hotaks444
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आज रश्मि को होटल का पूरा कारोबार समझते मुझे देर हो गई थी,शबनम के साथ हुआ एनकाउंटर और इतना सारा माथापच्ची वाला काम ,मैं बुरी तरह से थका हुआ घर पहुचा ,निशा सोफे में ही सोई हुई मिली,रात 1 बज रहे थे…
मैं उसके पास जाकर बैठ गया और उसके माथे में हाथ फेरने लगा …
मेरे स्पर्श से वो जागी ,
“आप आ गए भइया “वो सोफे से उठ चुकी थी
“हाथ पैर धो लीजिये खाना लगा देती हु “
“अरे पागल तू क्यो परेशान हो रही है मैं खा के आया हु,तेरी भाभी आ गई ,”
“नही थोड़ी देर पहले तो फिर से गई है,रात को नही आ पाऊंगी बोल रही थी…”उसकी बात सुनकर मेरा चहरा थोड़ा उदास हो गया,जिसे निशा ने पढ़ लिया,
“भइया आपके और भाभी के बीच सबकुछ ठीक तो है ना ……”
“हा मेरी जान सब ठीक है,जा जाके सो जा,”
मैं अपने कमरे में आ गया,और फ्रेश होकर बिस्तर में लेट गया,बीते हुए पूरे दिन की तस्वीर मेरे दिमाग में आने लगी थी,मैं सोच रहा था की आखिर काजल क्या प्लान कर रही है...उसके पास इतने पैसे कहा से आने वाले है,
काजल जैसी भी हो लेकिन वो मूर्ख तो नही थी,वो पढ़ी लिखी थी,और इस बिजनेस की एक्सपर्ट भी थी,वो टैलेंट के मामले में भी कमाल की मैनेजर थी,उसे अकाउंट की भी अच्छी जानकारी थी ,तो मैं इतना तो समझता था की अगर वो कुछ करने वाली है तो उसके पास कुछ तो सॉलिड प्लान होगा….
क्या मुझे उससे पूछना चाहिए ,क्या मुझे उसकी मदद करनी चाहिए…????
मेरे दिमाग में हर चीज बहुत ही तेजी से चल रही थी की दरवाजे में दस्तक हुई ,दरवाजा लॉक नही था तो वो खुलता चला गया ,वो निशा थी ,उसने अभी अभी चेंज किया था वो एक काले रंग की झीनी सी नाइटी में थी,आज पहली बात मैं उसे इस रूप में देख रहा था,हा वो मेरी बहन थी और मैं उसके बारे में कुछ भी गलत नही सोच सकता लेकिन वो सच में सेक्सी लग रही थी,वो धीरे से मेरे पास आयी और मेरे साथ ही बिस्तर में लेट गई और मुझे कसकर पकड़ लिया …
“क्या हो गया बड़ा प्यार आ रहा है भाई पर ..और ये किसने दिया ..”
“नींद नही आ रही भइया,इसे तो भाभी जी ने लिया है हमारे लिए,बहुत से मॉर्डन कपड़े दिलवाए है ...कैसी है “
वो मुझे छोड़कर उठी और अपने कपड़े को पकड़ कर मुझे दिखाने लगी..
“हम्म ठिक है पर सोते समय ही पहना कर इसे ,बहुत ट्रांसपरेंट है,आज मुझे भी पता चला की मेरी बहन कितनी बड़ी हो गई है”
मैं ये सब अचानक ही बोल गया था लेकिन निशा ने जैसे सब समझ लिया उसका चहरा शर्म से लाल हो गया था,
“छि भइया मैं जा रही हु,”
वो बिस्तर से उठाने वाली थी की मैं उसका हाथ पकड़कर खिंचते हुए उसे अपने सीने से चिपका लिया..वो भी मेरे बालो से भरे नंगे सीने में खुद को समेटने लगी,उसके गाल मेरे बालो से रगड़ खाने लगे थे जिसका कोमल अहसास मेरा प्यार और भी बढ़ा रहा था,मैं उसके बालो में हाथ फेरने लगा था...मेरी बांहे उसके कोमल जिस्म को समेटे हुए थी और उसकी सांसे मैं अपने सीने में महसूस कर पा रहा था,ना ही वो कुछ बोल रही थी ना ही मैं लेकिन मुझे इससे बहुत सुकून मिल रहा था,दिन भर की थकान और दिमाग का पूरा टेंसन ही धूल गया,मैं उसके सर पर एक किस करके अपनी आंखे बंद कर बस उसके अहसास को महसूस करने लगा…….
शरीर की थकावट ने आंखे कब लगा दी पता भी नही चला ……..
जब आंख खुली तो सूरज भी चढ़ चुका था,और मेरे बाजू में सोने वाली निशा की जगह अब काजल ने ले लिया था,वो मुझे अपने बांहो में समेटे हुए सो रही थी,हमारे बीच जो कुछ भी चल रहा है उसके बाद भी वो मुझसे ऐसे लिपटी हुई थी जैसे की अब भी वो मुझसे उतना ही प्यार करती हो,मैं उसके मासूम से चहरे को देख रहा था,उसके तन का वो पतला कपड़ा उसके यौवन को ढक पाने में असमर्थ था,उसके स्लेवलेस नाइटी से झांकते हुए उसके उजोर और जांघो के बीच से झांकते हुए उसके योनि के भाग इस बात का इशारा दे रहे थे की उसने नीचे कुछ भी नही पहना है,मेरे सीने में सर रखे वो एक मासूम सी बच्ची लग रही थी,उसके लिए मेरे मन में प्यार ही प्यार था,जो उसे देखते ही उमड़ कर सामने आने लगा,लेकिन………….???
लेकिन पूरी रात वो ना जाने क्या गुल खिला कर आई थी,उसकी इस मादक जवानी को भोगने वाला मैं नही कोई और ही था,उसके कोमल उरोजों को मसलने और अपने दांतो के निशान उसमे छोड़ने वाला मैं नही कोई और ही था,उसके योनि के रस से भीगा हुआ लिंग मेरा नही किसी और का रहा होगा…….
जलन,ईर्ष्या,दुख,और गुस्सा...सभी मेरे मन में एक साथ आ कर चले गए,वही मैं प्यार ,दर्द,उत्तेजना,के कम्पन को भी अपने दिल में महसूस कर रहा था,ये आज भी,सब जानते हुए भी,मेरे लिए सोच पाना कठिन हो गया था की काजल का जिस्म मेरे सिवा किसी और का भी है,लेकिन….
लेकिन जिस समय मैंने शबनम की पेंटी उतारी थी उसी समय काजल मेरे प्यार के बंधन से आजाद हो चुकी थी,.....अब वो बंधी नही थी क्योकि मैंने भी इस बंधन को तोड़कर आजदी को चुना था,अब ये आजादी मुझे कितना दर्द देने वाली थी ये तो मुझे भी नही पता था……….
मैं उठाने को हुआ तो काजल मचली,और मुझे और भी जोरो से जकड़ लिया ,मैं अपने होठो को उसके होठो के पास लाकर उसके गुलाबी होठो में अपने होठो को रख दिया,मैं हल्के हल्के से उसे चूसना चाहता था ताकि वो जग ना जाए...मैं डरने लगा था…..मैं डरने लगा था काजल को अपना प्यार दिखाने से ,मैं नही चाहता था की उसे पता चले की मैं उससे कितना प्यार करता हु,वो बस यही समझे की मैं उससे नफरत करने लगा हु,
लेकिन बाबू इश्क मुश्क छिपता तो नही …
मैं तो बहुत ही हल्के हल्के ही उसके होठो को चूम रहा था लेकिन उसने मेरे बालो में अपने हाथ रख दिए और इससे पहले की मैं वँहा से उठ भागता उसने अपनी पूरी जीभ ही मेरे होठो में घुसा दी ,...दोस्तो सच बताऊ की ये मजबूरी क्या थी??
मैं उसे छोड़ भी नही सकता था और पकड़ भी नही ...मैं अपने ही मन के कोलाहल में घूम सा हो चुका था,,लेकिन मैं उसके होठो को चूसने लगा,मैं भूल जाना चाहता था की मैं क्या हु,वो क्या है…
जब हम अलग हुए तो काजल की आंखे मुझे ही देख रही थी और होठ ...होठो में एक मुस्कान फैले हुए था जैसे मेरी चोरी पकड़ ली हो…
मैं थोड़ा नर्वस था मैं जल्दी से उठाना चाहता था लेकिन काजल ने मुझे जकड़ लिया था और वो अब मेरे ऊपर आ गई,उसके बाल फैले हुए थे ,माथे का सिंदूर थोड़ा फीका लग रहा था ,उसके कमर मेरे कमर के ऊपर थे ,मेरा लिंग उसके नंगे जांघो के बीच रगड़ खा रहा था,उसके बाल मेरे मुह में फैल गए जिसे मैंने हटाया,वो बहुत ही मादकता से मुस्कुरा रही थी,शायद मैं इस का दीवाना ही हो जाता अगर मुझे असलियत पता न होती…
लेकिन अब भी तो मैं उसका दीवाना ही था….
उसने मेरे हाथो को अपनी कमर में रख दिया और झुककर मेरे गालो को ,माथे को ,नाक,होठ ,आंखे बल,गला सब अपने होठो से भिगोने लगी थी,उसके हाथ मेरे छाती में चलते ,पीठ में चलते,मेरे कमर के नीचे पहुचते,बालो के सहलाते या दोनो हाथो से मेरे चहरे को पकड़ लेते और वो मुझे बेतहासा चूमती…..
वो पागल हो गई थी ,इतनी जितनी की वो पहले होती थी,मुझसे रहा नही गया और मैंने भी उसके बालो को पकड़ कर उसके चहरे को अपने चहरे से मिला लिया…..
उसकी आंखों से टपका हुआ आंसू मेरे गालो में फैल गया था,और मैं उसके होठो को अपने होठो से अलग करना ही नही चाहता था,.............
हम तब तक ऐसे ही रहे जब तक की निशा ने दरवाजा नही खटखटाया ,हम दोनो ही एक दूसरे से अलग हुए और एक दूसरे के चहरे को देखकर मुस्कुराए …..
“भइया ...नाश्ता लगा दु क्या …”
“रुक फ्रेश होके आता हु “
मैं लेटे हुए ही चिल्लाया ..
“रुको ना थोड़ी देर “
काजल अब भी मेरे ऊपर ही थी..
“अगर तुम रात को आ जाया करो तो सारी रात तुम्हारे साथ बिताऊंगा “
मैंने बुझे स्वर में कहा जिसका कोई भी जवाब उसके पास नही था,उसका खिला हुआ चहरा मुरझा गया और वो मेरे ऊपर से हटी,मैं सीधे बाथरूम में घुस गया…..
मैं उसके पास जाकर बैठ गया और उसके माथे में हाथ फेरने लगा …
मेरे स्पर्श से वो जागी ,
“आप आ गए भइया “वो सोफे से उठ चुकी थी
“हाथ पैर धो लीजिये खाना लगा देती हु “
“अरे पागल तू क्यो परेशान हो रही है मैं खा के आया हु,तेरी भाभी आ गई ,”
“नही थोड़ी देर पहले तो फिर से गई है,रात को नही आ पाऊंगी बोल रही थी…”उसकी बात सुनकर मेरा चहरा थोड़ा उदास हो गया,जिसे निशा ने पढ़ लिया,
“भइया आपके और भाभी के बीच सबकुछ ठीक तो है ना ……”
“हा मेरी जान सब ठीक है,जा जाके सो जा,”
मैं अपने कमरे में आ गया,और फ्रेश होकर बिस्तर में लेट गया,बीते हुए पूरे दिन की तस्वीर मेरे दिमाग में आने लगी थी,मैं सोच रहा था की आखिर काजल क्या प्लान कर रही है...उसके पास इतने पैसे कहा से आने वाले है,
काजल जैसी भी हो लेकिन वो मूर्ख तो नही थी,वो पढ़ी लिखी थी,और इस बिजनेस की एक्सपर्ट भी थी,वो टैलेंट के मामले में भी कमाल की मैनेजर थी,उसे अकाउंट की भी अच्छी जानकारी थी ,तो मैं इतना तो समझता था की अगर वो कुछ करने वाली है तो उसके पास कुछ तो सॉलिड प्लान होगा….
क्या मुझे उससे पूछना चाहिए ,क्या मुझे उसकी मदद करनी चाहिए…????
मेरे दिमाग में हर चीज बहुत ही तेजी से चल रही थी की दरवाजे में दस्तक हुई ,दरवाजा लॉक नही था तो वो खुलता चला गया ,वो निशा थी ,उसने अभी अभी चेंज किया था वो एक काले रंग की झीनी सी नाइटी में थी,आज पहली बात मैं उसे इस रूप में देख रहा था,हा वो मेरी बहन थी और मैं उसके बारे में कुछ भी गलत नही सोच सकता लेकिन वो सच में सेक्सी लग रही थी,वो धीरे से मेरे पास आयी और मेरे साथ ही बिस्तर में लेट गई और मुझे कसकर पकड़ लिया …
“क्या हो गया बड़ा प्यार आ रहा है भाई पर ..और ये किसने दिया ..”
“नींद नही आ रही भइया,इसे तो भाभी जी ने लिया है हमारे लिए,बहुत से मॉर्डन कपड़े दिलवाए है ...कैसी है “
वो मुझे छोड़कर उठी और अपने कपड़े को पकड़ कर मुझे दिखाने लगी..
“हम्म ठिक है पर सोते समय ही पहना कर इसे ,बहुत ट्रांसपरेंट है,आज मुझे भी पता चला की मेरी बहन कितनी बड़ी हो गई है”
मैं ये सब अचानक ही बोल गया था लेकिन निशा ने जैसे सब समझ लिया उसका चहरा शर्म से लाल हो गया था,
“छि भइया मैं जा रही हु,”
वो बिस्तर से उठाने वाली थी की मैं उसका हाथ पकड़कर खिंचते हुए उसे अपने सीने से चिपका लिया..वो भी मेरे बालो से भरे नंगे सीने में खुद को समेटने लगी,उसके गाल मेरे बालो से रगड़ खाने लगे थे जिसका कोमल अहसास मेरा प्यार और भी बढ़ा रहा था,मैं उसके बालो में हाथ फेरने लगा था...मेरी बांहे उसके कोमल जिस्म को समेटे हुए थी और उसकी सांसे मैं अपने सीने में महसूस कर पा रहा था,ना ही वो कुछ बोल रही थी ना ही मैं लेकिन मुझे इससे बहुत सुकून मिल रहा था,दिन भर की थकान और दिमाग का पूरा टेंसन ही धूल गया,मैं उसके सर पर एक किस करके अपनी आंखे बंद कर बस उसके अहसास को महसूस करने लगा…….
शरीर की थकावट ने आंखे कब लगा दी पता भी नही चला ……..
जब आंख खुली तो सूरज भी चढ़ चुका था,और मेरे बाजू में सोने वाली निशा की जगह अब काजल ने ले लिया था,वो मुझे अपने बांहो में समेटे हुए सो रही थी,हमारे बीच जो कुछ भी चल रहा है उसके बाद भी वो मुझसे ऐसे लिपटी हुई थी जैसे की अब भी वो मुझसे उतना ही प्यार करती हो,मैं उसके मासूम से चहरे को देख रहा था,उसके तन का वो पतला कपड़ा उसके यौवन को ढक पाने में असमर्थ था,उसके स्लेवलेस नाइटी से झांकते हुए उसके उजोर और जांघो के बीच से झांकते हुए उसके योनि के भाग इस बात का इशारा दे रहे थे की उसने नीचे कुछ भी नही पहना है,मेरे सीने में सर रखे वो एक मासूम सी बच्ची लग रही थी,उसके लिए मेरे मन में प्यार ही प्यार था,जो उसे देखते ही उमड़ कर सामने आने लगा,लेकिन………….???
लेकिन पूरी रात वो ना जाने क्या गुल खिला कर आई थी,उसकी इस मादक जवानी को भोगने वाला मैं नही कोई और ही था,उसके कोमल उरोजों को मसलने और अपने दांतो के निशान उसमे छोड़ने वाला मैं नही कोई और ही था,उसके योनि के रस से भीगा हुआ लिंग मेरा नही किसी और का रहा होगा…….
जलन,ईर्ष्या,दुख,और गुस्सा...सभी मेरे मन में एक साथ आ कर चले गए,वही मैं प्यार ,दर्द,उत्तेजना,के कम्पन को भी अपने दिल में महसूस कर रहा था,ये आज भी,सब जानते हुए भी,मेरे लिए सोच पाना कठिन हो गया था की काजल का जिस्म मेरे सिवा किसी और का भी है,लेकिन….
लेकिन जिस समय मैंने शबनम की पेंटी उतारी थी उसी समय काजल मेरे प्यार के बंधन से आजाद हो चुकी थी,.....अब वो बंधी नही थी क्योकि मैंने भी इस बंधन को तोड़कर आजदी को चुना था,अब ये आजादी मुझे कितना दर्द देने वाली थी ये तो मुझे भी नही पता था……….
मैं उठाने को हुआ तो काजल मचली,और मुझे और भी जोरो से जकड़ लिया ,मैं अपने होठो को उसके होठो के पास लाकर उसके गुलाबी होठो में अपने होठो को रख दिया,मैं हल्के हल्के से उसे चूसना चाहता था ताकि वो जग ना जाए...मैं डरने लगा था…..मैं डरने लगा था काजल को अपना प्यार दिखाने से ,मैं नही चाहता था की उसे पता चले की मैं उससे कितना प्यार करता हु,वो बस यही समझे की मैं उससे नफरत करने लगा हु,
लेकिन बाबू इश्क मुश्क छिपता तो नही …
मैं तो बहुत ही हल्के हल्के ही उसके होठो को चूम रहा था लेकिन उसने मेरे बालो में अपने हाथ रख दिए और इससे पहले की मैं वँहा से उठ भागता उसने अपनी पूरी जीभ ही मेरे होठो में घुसा दी ,...दोस्तो सच बताऊ की ये मजबूरी क्या थी??
मैं उसे छोड़ भी नही सकता था और पकड़ भी नही ...मैं अपने ही मन के कोलाहल में घूम सा हो चुका था,,लेकिन मैं उसके होठो को चूसने लगा,मैं भूल जाना चाहता था की मैं क्या हु,वो क्या है…
जब हम अलग हुए तो काजल की आंखे मुझे ही देख रही थी और होठ ...होठो में एक मुस्कान फैले हुए था जैसे मेरी चोरी पकड़ ली हो…
मैं थोड़ा नर्वस था मैं जल्दी से उठाना चाहता था लेकिन काजल ने मुझे जकड़ लिया था और वो अब मेरे ऊपर आ गई,उसके बाल फैले हुए थे ,माथे का सिंदूर थोड़ा फीका लग रहा था ,उसके कमर मेरे कमर के ऊपर थे ,मेरा लिंग उसके नंगे जांघो के बीच रगड़ खा रहा था,उसके बाल मेरे मुह में फैल गए जिसे मैंने हटाया,वो बहुत ही मादकता से मुस्कुरा रही थी,शायद मैं इस का दीवाना ही हो जाता अगर मुझे असलियत पता न होती…
लेकिन अब भी तो मैं उसका दीवाना ही था….
उसने मेरे हाथो को अपनी कमर में रख दिया और झुककर मेरे गालो को ,माथे को ,नाक,होठ ,आंखे बल,गला सब अपने होठो से भिगोने लगी थी,उसके हाथ मेरे छाती में चलते ,पीठ में चलते,मेरे कमर के नीचे पहुचते,बालो के सहलाते या दोनो हाथो से मेरे चहरे को पकड़ लेते और वो मुझे बेतहासा चूमती…..
वो पागल हो गई थी ,इतनी जितनी की वो पहले होती थी,मुझसे रहा नही गया और मैंने भी उसके बालो को पकड़ कर उसके चहरे को अपने चहरे से मिला लिया…..
उसकी आंखों से टपका हुआ आंसू मेरे गालो में फैल गया था,और मैं उसके होठो को अपने होठो से अलग करना ही नही चाहता था,.............
हम तब तक ऐसे ही रहे जब तक की निशा ने दरवाजा नही खटखटाया ,हम दोनो ही एक दूसरे से अलग हुए और एक दूसरे के चहरे को देखकर मुस्कुराए …..
“भइया ...नाश्ता लगा दु क्या …”
“रुक फ्रेश होके आता हु “
मैं लेटे हुए ही चिल्लाया ..
“रुको ना थोड़ी देर “
काजल अब भी मेरे ऊपर ही थी..
“अगर तुम रात को आ जाया करो तो सारी रात तुम्हारे साथ बिताऊंगा “
मैंने बुझे स्वर में कहा जिसका कोई भी जवाब उसके पास नही था,उसका खिला हुआ चहरा मुरझा गया और वो मेरे ऊपर से हटी,मैं सीधे बाथरूम में घुस गया…..