bahan ki chudai बहन का दर्द - SexBaba
  • From this section you can read all the hindi sex stories in hindi font. These are collected from the various sources which make your cock rock hard in the night. All are having the collections of like maa beta, devar bhabhi, indian aunty, college girl. All these are the amazing chudai stories for you guys in these forum.

    If You are unable to access the site then try to access the site via VPN Try these are vpn App Click Here

bahan ki chudai बहन का दर्द

hotaks444

New member
Joined
Nov 15, 2016
Messages
54,521
बहन का दर्द

फ्रेंड्स अभी एक छोटी सी कहानी स्टार्ट कर रहा हूँ फिर समय के हिसाब से कोई लंबी सी कहानी पोस्ट करूँगा मित्रो ये कहानी माँ बेटा बहन भाई पर आधारित रहेगी जो आपको ज़रूर पसंद आएगी
 
रवि आज कोई 5 साल बाद अपने गाओं वापस आया था....

वो आर्मी मैं है...कारगिल की जंग ख़तम हुई है... सारे देश मैं देश के जवानों के लिए एक जोश था....

उसने अपने घर मैं किसी को भी अपने आने की सूचना नहीं दी थी वो एक सर्प्राइज़ देना चाहता था.....

वो जैसे ही स्टेशन पर पहुँचा उसे लगा जैसे सारा कस्बा उसके स्वागत के लिए उमड़ पड़ा हो......

स्टेशन पर डीएम , एसएसपी , एमएलए और सभी गणमान्य नागरिक उसके स्वागत के लिए खड़े हुए थे..... उस पर ढेरों मालाए डाल दी..

तभी उस की नज़र भीड़ मैं एक बला की सुंदर लड़की पर गयी...वो उसे देख कर मंद-मंद मुस्कुरा रही थी.....

जब सब की मालाए डल गयी तो वो धीरे से रवि के पास आई और उसने भी रवि के गले मे माला डाल दी....
बगल मे खड़े कॉलेज के प्रिन्सिपल साब ने बताया क़ी ये हमारे यहाँ मेद्स की टीचर हैं.... दोनो की आखें टकराई...
और एक दूसरे को विश किया.... फिर सब लोग उसे कॉलेज के ग्राउंड मे ले गये जहाँ हज़ारों की भीड़ उसे देखने आई हुई थी...

सारी भीड़ आर.पी. सिंग जिंदाबाद- जंदबाद जिंदाबाद के नारे लगा रही थी.....कॉलेज के प्रांगण में उसका फिर स्वागत हुआ...
फिर सब लोगो की भाषण बाजी शुरू हुई....रवि को 10 लाख का स्टेट गवर्नमेंट की तरफ से चेक मिला बहादुरी के लिए....
असल में रवि को जंग मे वीरता के लिए शौर्य चक्र मिला है.....इसके अलावा उसे ... पास के थर्मल पवर प्लांट के चीफ की तरफ से भी 10 लाख का चेक मिला.... केंद्र सरकार से 20 लाख का चेक मिला, उसे तमाम इनाम मिले....

जब सारा कार्य क्रम ख़तम हो गया.....और सब लोग स्नॅक्स लेने लगे ...उसने एक बात नोटीस की...वो लड़की बराबर उसे देख रही थी.... और उसकी झील की जैसी प्यारी आखों मैं एक अजब सी चमक थी..... दोनो की नज़रें फिर एक दूसरे से टकराई.... और वो झेंप गयी और उसने नज़रें दूसरी तरफ फेर ली.... रवि ने अपनी प्लेट में कुछ स्नॅक्स लिए और वो उस लड़की की तरफ चला गया....
 
हेलो..... वो दूसरी तरफ मुहँ कर के खड़ी हुई थी.... रवि की आवाज़ सुन कर जैसे वो नींद से उठी हो ... ओह... हाई हेलो ...कैसे हैं आप...

असल मैं वो रवि के और दूसरों के सामने एक दम से नर्वस सी हो गयी.....

रवि: मैं ठीक हूँ... आप कैसी हैं...

वो: जी मैं भी ठीक हूँ....

रवि: यहाँ कब से पढ़ा रही हैं आप...

वो: अभी जाय्न किया है... 3-4 महीने हुए हैं.....

दोनो बातों में मशगूल हो गये..... रवि भीइ आर्मी में रह कर बहुत हॅंडसम हो गया था.....इस समय उसने आखों पर रेबन का सनग्लास लगा रखा था...और आर्मी की ड्रेस में वो गजब का स्मार्ट लग रहा था....

रवि: कहाँ रहती हैं आप....

वो: जी रामगढ़ में.....

रवि: चौंकते हुए... रामगढ़ अरे वो तो मेरा भी गाँव है....

तभी किसी ने उसे पीछे से आवाज़ लगाई रवि साब.... वो उधर मुड़ा और इशारे से बोला ... कमिंग....
रवि: अब चलना होगा....

वो : जी ठीक हैं....

रवि : पर अपना तो एक ही गाँव हैं... मिलते हैं वहीं...

उसके मुहँ से बार-बस निकल गया हो जैसे ....
कब....!

रवि : आज शाम को ...गंगा के किनारे.... ठीक 6 बजे...

वो: शरमाते हुई.... जी ठीक है....

रवि जाने को मुड़ा और फिर उस लड़की की तरफ मुड़ा... और बोला....आप बहुत सुंदर हैं..!

उस को लगा जैसे उस पर ढेरों पानी डाल दिया हो..... वो शरम से लाल हो गयी.....

और रवि मूड कर लोगो से मिलने लगा... सब उस से हाथ मिलाना चाहते थे.....

कुछ देर में उसने सब से चलने की आग्या माँगी... और वो अपने गाओं के लिए निकल पड़ा.......
 
घर के आगे टॅक्सी के रुकते ही... उसने अपने घर को देखा.. गाओं भी बहुत बदल चुका था.... बहुत डेवेलपमेंट हो गया था गाओं में....

घर में अंदर आते ही उसने देखा .. माँ सामने ही बैठी हुई थी.... माँ तो रवि को देखते ही पागल सी हो गयी...

बेटा... अरे कितना बड़ा हो गया है.... माँ ने तुरंत अपनी आखों का काजल निकाल के उसे लगा दिया.... कहीं नज़र ना लग जाए...

माँ की आखें ख़ुसी से डब-डबा रहीं थी.......

तभी रवि ने पूछा माँ दीदी कहाँ है... 

अभी -अभी निकली है.... शायद किसी सहेली के घर होगी....

तभी रवि की नज़र रिस्ट वॉच पर गयी.... ओह माइ गॉड.... 6 बज गये..... उसे याद आया उसे उस लड़की से भी मिलने जाना था...
जो उसको कॉलेज में मिली थी...

क्या हुआ... ऐसा क्या हो गया.... माँ बोली...

अरे नहीं माँ मैं अभी आता हूँ.... दीदी आए तो उन्हें मत बताना मैं आया हूँ ...मैं उन्हे सर्प्राइज़ दूँगा.....

कहाँ जा रहा है...

दोस्त से मिलने रवि बोला.. और दौड़ता हुआ..... नदी की तरफ भाग निकला....

रवि मन ही मन सोच रहा था.... पता नहीं वो आएगी या नहीं आएगी.... वो अपने आप को कोस रहा था उसने उसका नाम भी नहीं पूछा.. नहीं तो कम से कम वो उसे ढूँढ ही लेता... ..उधेड़ बुन मे...वो गंगा के किनारे पहुँच गया....

बड़ा ही शानदार और भव्य द्रश्य था गंगा किनारे का... सामने सूरज डूबने को था..... सारी नदी.... सूरज की लालिमा से लाल हो रही थी..... चारों तरफ पन्छियो की गूँज से वातावरण बड़ा स्वर्णमय हो रहा था.... तभी उसने चारों तरफ देखा.... उसे दूर एक साया.... खड़ा दिखाई दिया..... सूरज के बीचो बीच..... वो उस साए की तरफ बढ़ चला ...

शायद ये वोही थी..... उसका मुहँ सूरज की तरफ था.... रवि की तरफ उसकी पीठ थी..... क्या गजब था वो सीन ....

रवि उसके करीब पहुँचा........ उसने चोली घाघरा पहना हुआ था..... चोली केवल एक डोरी से बँधी हुई थी.... पीछे से उसकी पीठ ऐसे लग रही थी जैसे... दमकता हुआ.... कुंदन (गोल्ड)..... चारों तरफ पत्थर थे... और आस पास घनी झाड़ियाँ थी.... वो घुटने-घुटने पानी में थी....

रवि उसके पास गया..... सुनिए.... रवि की आवाज़ सुन कर वो मूडी...... क्या दमकता रूप था उसका...बॅकग्राउंड मे.... सूरज... नीचे गंगा नदी का पानी...चारों तरफ कल-कल करती...पन्छियो की आवाज़ें , पानी की आवाज़ें.......

वो जल्तरंग सी बोली... आ गये आप....

हां.... रवि पसीने से सारॉबार था.... 

सुना हैं आर्मी वाले टाइम के बड़े पंक्चुयल होते हैं....

रवि ने अपनी घड़ी देखी ...6.15 हो रहे थे.... सॉरी...वो मैं घर गया & यू कॅंट बिलिव मैं सीधा भागते हुए आ रहा हूँ....

उसने देखा रवि पूरा पसीने से सरॉबार है.... अरे लगता है दौड़ते हुए आ रहे है.... 

हां एंड कॅन यू बिलिव ..आज मैं रेकॉर्ड टाइम में यहाँ आ गया हूँ... मैं आर्मी मे स्प्रिंटर भी हूँ.....

वो हंसते हुई चलो अच्छा है इसी बहाने आपने अपना रेकॉर्ड बना लिया.....

रवि ने अब गौर से उसे देखा... क्या गजब का रूप दिया था भगवान ने उस लड़की को...... रंग गोरा.... सुराहीदार गर्दन....उभार..चुचियाँ.... शायद रवि ने इतनी बड़ी पहाड़ियाँ कारगिल में भी नहीं देखी थी...... गजब कड़क चूचक थे... और पिछवाड़ा ... हाई..... इतने चौड़े- चौड़े चूतड़..... जिन्हे शास्त्रों में..... गजगमिनी कहते थे.... वो रूप था उसका.....

वो: क्या देख रहे हो....?

रवि शरमाता हुआ...अरे कुछ नहीं....बस ऐसे ही.....

वो: ऐसे क्या...?

रवि थोड़ा संभलते हुई.....ये देख रहा हूँ....कि ये परी ज़मीन पर कहाँ से आ गयी.......

अपनी तारीफ़ सुन कर मुस्करा गयी वो...और बोली .... आते ही फ्लर्ट चालू.....

रवि: नहीं फ्लर्ट नहीं... सच कहा रहा हूँ.... कसम से...

तभी किसी पत्थर पर पैर रखने से उसका बॅलेन्स बिगड़ गया....और वो गिरने लगी और उसने... रवि की बाहें पकड़ ली.....

रवि ने भी तुरंत उसे सहारा दिया.... और अपनी मजबूत बाहों में भर लिया...... और उसे पकड़े-पकड़े ही एक पत्थर से सट के दोनो खड़े हो गये....... रवि ने अभी भी उसे कंधे के पास से पकड़ के रखा था...

उसने रवि की तरफ मुँह किया और बोली... बोलो क्यों बुलाया था....

मैने बुलाया था ? 

...और नहीं तो क्या...वो थोड़ा नाराज़ होते हुए बोली....

रवि ने सोचा कहीं ये सच में नाराज़ नहीं हो जाए..... बोला अरे हम एक ही गाओं के हैं और मैने सोचा.... मिलते हैं....

जैसे लड़कियों में होता है.... नखरे ज़रूर करती हैं....

वो बोली ठीक है मिल लिए ना ...अब मैं चलूं.....

अरे नहीं रवि चोन्कते हुए...उसे लगा जैसे दुनिया ही ख़तम हो जाएगी अगर ये चली गयी तो....
इतनी जल्दी क्या है....

जल्दी है ..माँ इंतेज़ार कर रही होगी.... अंधेरा भी हो रहा है.....

ओके ओके रवि बोला... उसे लगा जैसे ये सच में कहीं चली ही नहीं जाए.....
 
वो हड़बड़ाता हुआ.. बोला और काफ़ी नर्वस भी था....... यू आर माइ ड्रीम गर्ल..... आइ एम इन लव वित यू ....
और वो जो भी बोल रहा था वो दिल से ही बोल रहा था.... असल में उसे उस से सच्चा प्यार हो गया था....
और आगे भी बोलता चला गया.... मैं अपनी ज़िंदगी तुम्हारे साथ बिताना चाहता हूँ....

आर्मी में फ्रंट पर दुश्मनो के छक्के छुड़ाने वाला ये जवान...आज प्यार के फ्रंट पर धराशाही हो रहा था......

क्या तुम भी ?....... प्लीज़ ना मत बोलना.... नहीं तो मैं शायद..वो कुछ आगे बोलता उस ने अपना हाथ रवि के मुहँ पर रख दिया....

दोनो एक दूसरे को एक-टक देख रहे थे..... प्यार में डूबा ये युवा जोड़ा...दोनो की आखे आँसुए से भरी हुई थी.....

उधर सूरज भी रुक-रुक कर डूब रहा था....वो भी इस प्रेमी जोड़े के रोमॅंटिक दृश्य को देखना चाहता हो जैसे.........

तुम मुझे छोड़ कर तो नहीं चले जाओगे..... उसने आसुओं से डब-डबाती आखों से पूछा.....

नही कभी नहीं....... तुम बोलो तो मैं कल तुम्हारे घर तुम्हारा हाथ मागने आता हूँ.....!

दोनो भाव विभोर हो कर एक दूसरे के आलिंगन में बँध जाते हैं...... हम कभी जुदा नहीं होगें.... चाहे कुछ भी हो जाए...
हां हम कभी जुदा नहीं होंगें.....

रवि ने अपने कान से एक रिंग निकाली और घुटनो के बल बैठ कर उसे उसकी उंगली में पहना दिया...... लड़की तो जैसे हिल गयी.....अंदर से....

फिर तो दोनो ने एक पॅशनेट हग किया एक दूसरे को....

उसकी कठोर चूचियाँ रवि के सीने से कुचल रहीं थी...... रवि उसकी पीठ पर हाथ फेर रहा था.... तभी दोनो के होठ मिले और एक प्यार भरा..... स्मूचिंग किस शुरू हुआ..... रवि ने उसकी जीभ अपने मुँह में ले ली.... और दोनो एक दूसरे का लावा पीने लगे..... ना जाने कितनी देर वो एक दूजे की बाहों में रहे.....

दोनो के साथ ये शायद पहली बार हो रहा था इस लिए दोनो बहुत भावुक थे.......

रवि उसके हाथ को चूमते हुए... मेरे को छोड़ कर तो नहीं चली जाओगी...... 

उसने रवि माथा चूम लिया ... कभी नहीं मेरी जान.....पर अब मुझे चलना होगा... देखो कितना अंधेरा हो गया है...... 

रवि का मन नहीं था पर उसे तो जाना ही था....
वो जाने को जैसे ही मूडी रवि ने फिर उसका हाथ पकड़ के अपनी ओर खींच लिया...... एक बार फिर दोनो का शरीर एक दूसरे से टकराया.....इस बार उसका पिछवाड़ा रवि से टकराया....

रवि ने उसे पीछे से ही पकड़ लिया.... और उसकी पीठ पर एक जोरदार चुंबन जड़ दिया... लौंडिया सिहर गयी....
ओह.... छोड़ो प्लीज़ देर हो रही है......माँ चिंता कर रही होगी....पर रवि की मजबूत बाहों में उसे अपार सुख और आनंद मिल रहा था....

रवि ने अपने गाल उसके गालों से रगड़ते हुए..... एक प्यारा सा चुंबन उसके गाल पर दे दिया..... हाई... लौंडिया का बुरा हाल हो रहा था.......अचानक रवि ने आगे से उसे फिर अपने से बिल्कुल सटा लिया...उसका लौडा पूरे ताव पर था... लौंडिया के चौड़े- चौड़े चुतड़ों की दरार में... जबरन ठोक दिया..... घाघरे के उपर से भीइ उसे असीम आनंद की अनुभूति हो रही थी.....और अपने दोनो हाथ उसके पेट पर रखते हुए उसने एक ज़ोर से झटका मारा.... उसके पूरे फूले हुई लंड का आनंद उसे दे दिया....


फिर अचानक जो हुआ.... उसकी कल्पना दोनो ने आज के लिए तो नहीं सोची थी.....
 
फिर अचानक जो हुआ.... उसकी कल्पना दोनो ने आज के लिए तो नहीं सोची थी.....

पता नहीं रवि में कहाँ से इतनी हिम्मत आ गयी......... और उसने अपना हाथ पेट से उठा कर लौंडिया के ज़ोबन पर डाल दिया............ उसकी दोनो जबरात चुचियाँ.....अपने हाथ में भर ली उसके मोटे -मोटे कड़क चूचकों को ज़ोर से मसल दिया..... एक -एक चूचक इतना बड़ा था क़ी वो रवि के दोनो हाथों में नहीं आ रहा था......

लौंडिया की सिटी बजने लगी.....और उसकी चूत का बाँध टूट गया और खड़े-खड़े ही झड गयी.................

रवि 10 मिनिट तक..... उसके जोबन से खेलता रहा....

तभी उसे होश आया.... और उसे लगा..... अगर इसे और लिफ्ट दी तो यहीं.... पर चूत का चित्तोड़गढ़ बना देगा...

चलो छोड़ो....और अपने को रवि से छुड़ाती हुई... अपने बालों को ठीक करती हुई..... रवि को धक्का दिया और जीभ चिड़ाते हुए भाग गयी.....

रवि पीछे से चिल्लाते हुए ... अरे अपना नाम तो बताती जा..... 

खुद पता कर लो...... 

कब मिलोगि..... 

कल यहीं पर.....और वो जंगल की चंचल हिरानी की तरह... कुलाचे मारती हुई ..... ना जाने अंधेरे में कहाँ गायब हो गयी.....

रवि ....के मन एक खुशी के भाव थे..... वो मुस्काता हुआ... डूबते सूरज को देखता रहता है और फिर अपने गाओं की तरफ मूड जाता है.....

घर पहुँच कर वो माँ से पूछता है.... माँ ...दीदी आ गयी क्या ?

कहाँ चला गया था तू..कब से दोनो की राह देख रहीं हूँ.....

तो क्या दीदी अभी तक नहीं आई..... 

नहीं अभी-अभी आई है.... माँ ने आवाज़ लगाई.....
अलका देख कौन आया है..... अंदर से आवाज़ आई आती हूँ माँ.....

रवि: माँ तुमने बताया तो नहीं मैं आ रहा हूँ....

नहीं...माँ बोली....

तभी रवि को पैरो की आहट सुनाई दी..... और वो अंधेरे में दीवार की ऑट में छुप जाता है..

कौन आया है....?

तू पहचान माँ बोली....

तभी रवि ... हूओ..... कह कर डराता हुआ..... दीदीईईए........कह कर ज़ोर से चिल्लायाअ................

वो एक दम से घबरा गयी....... पर जब उसने दीदी कहा तो रवि कहते हुए ...उस साए में खड़े रवि के गले से लग गयी....
दोनो एक दूसरे को देख भी नहीं... पाए...... अरे कितना बड़ा हो गया है तू....

रवि ने भी अपनी बेहन को अपनी बाहों में ले कर झूला दिया.....

2 मिनिट तक दोनो एक दूसरे से कसे रहे....
वैसे भी तो सालों बाद मिल रहे थे..

दोनो की आखों में आसू थे....रवि के डराने के कारण उसकी दिल अभी भी जोरों से धड़क रहा था.....
और उसकी मांसल चुचियाँ..... बरबस हिल रहीं थी.....
रवि की मजबूत पकड़ से वो सिहर गयी....

थोड़ी देर में दोनो अलग हुए....और दोनो ने एक दूसरे को देखा.... आखों में आसू की वजह से सब धुंधला- धुंधला दिख रहा था....

दोनो ने आसू पोंछे....और एक दूसरे को देखा...और दोनो का मुहँ खुला का खुला रहा गया.....और धीरे से वो रवि से अलग हो गयी.....

विस्मय की रेखा..... रवि के चेहरे पर खिंच गयी.....
और यही हाल अलका का था.....

माँ ने दोनो को ऐसे देखा तो वो सोच में पड़ गयी.... क्या हुआ तुम दोनो खुश नहीं हुए....

नहीं माँ ऐसा नहीं है..... बहुत दिनो बाद मिल रहे हैं... इस लिए.....

पर विधि की विडंबना तो देखो......

आप लोग सोच रहे होंगें... क्या हुआ जो रवि और अलका को वो इतना चोंक गये...एक दूसरे को देख कर....

असल में अल्को वोही लड़की थी जो उसे कॉलेज में मिली थी और जो उसकी आज ही प्रेमिका बनी थी....
 
रवि ने अपना समान उठाया...और उपर वाले रूम की तरफ चल दिया......

वो अपने बेड पर लेटा हुआ था तभी ...अलका आई और बोली चाइ....
रवि जैसे किसी गहरी नींद में से उठा हो.... हां.... क्या.....

चाइ ,अलका बोली ...

हां...ये कहते हुए उसने चाइ अपने हाथ में ले ली....

दोनो चुप थे और कमरे में सन्नाटा पसरा हुआ था.....

अलका थोड़ी देर वहीं खड़ी रही.... ना तो उसके लब खुले और ना ही रवि के.....

खाना खा के रवि थोड़ी देर माँ से इधर उधर की बात करता रहा.... माँ को तो बस अलका की शादी की चिंता थी..
वो हर बार यही बात दोहरा रही थी...देख जवान बेहन है घर मे कोई लड़का देख ....और इस के हाथ पीले कर दे....

हां माँ करता हूँ कुछ...

माँ: ये तो मंगली भी है... मंगली लड़की के लिए जल्दी लड़का भी नहीं मिलता....

रवि माँ को केवल सुन रहा था...फिर उठा और बोला माँ मैं सोने जा रहा हूँ....
और 1स्ट फ्लोर पर बने अपने रूम की तरफ चल दिया.....

आखों में नींद तो कोसो दूर थी..... और यही हाल अलका का था....

रात ना जाने कितनी देर दोनो करवटें बदलते रहे और.. और आखरी पहर पर आख लगी....

सुबह रवि जल्दी उठ कर जॉगिंग करने निकल गया.... और लौट के आया तो माँ और अलका आँगन में बैठी हुई थी....
उसने चाइ पी और ...फिर माँ से गुफ्त-गु करने लगा..... अलका केवल सुन रही थी....

दोनो कनखियों से एक दूसरे को देख लेते थे..... पर बात चीत कुछ नहीं हुई....

रवि ने घर मे एक बुलेट मोटर साइकल देखी .... अरे माँ ये मोटर साइकल किस की है....

बेटा ये बिरजू मामा की है ....

बिरजू मामा.... कहाँ हैं वो आजकल.... बेटा वो अपने गाओं में हैं और यहाँ भी आते जाते रहते हैं.....
वो ही सब काम संभालते हैं यहाँ का.....

ओके रवि बोला.... आप सब सोच रहे होंगें कौन हैं ये बिरजू मामा.....

अब थोड़ा हम आपको बताते हैं...... रवि की माँ रति जो कि अभी कोई 42 साल की होगी.... गाओं में जल्दी शादी हो जाती है....

शादी के बाद उसे पता चला कि उसका पति नामर्द है...पर था बड़ा ज़मींदार...... ये बात १९७०' की है.....
आपको अब ..थोड़ा फ्लश बॅक में चलना होगा.....
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
 
Flashback.......................

ये बात है १९७० की..... रति की नयी-नयी शादी हुई थी..... वो पहली बार...... ससुराल से मैके आई.... थी.... जैसा गाओं मे होता है....हर कोई नयी नवेली दुल्हन की खबर लेने को उत्सुक रहता है... 

माँ ने पूछा कैसी है बेटी... 

ठीक हूँ माँ.... 

और लाला जी (दामाद रामलाल) 

उन्हे क्या होगा वो भी ठीक हैं.... 

माँ को उसकी उदासी कुछ रहस्यमई सी दिखी.....माँ मेरा 12थ का पेपर है...कुछ पढ़ाई कर लूँ...

उसका भाई बिरजू.... जो गाओं का सबसे लाड़ला लड़का था.... ना जाने कितनी भाभियों को अभी... तक चोद चुका था... बहुत ही शैतान... और बदमाश किसम का लड़का था.... जब उसे पता लगा कि उसकी बेहन रति गाओं वापस आ गयी है तो वो दौड़ कर अपने घर पहुँच गया....

रति जो अभी केवल 18 साल की ही होगी.... और बिरजू अभी कोई 20 साल का बांका जवान था.....

रति अपनी साड़ी उतार कर ब्लाउस पेटिकोट में थी....

उसे एक पल देख कर बिरजू दंग सा रहा गया...... पर उसे चेहरे पर एक टेन्षन सी दिखी..... 

क्या हुआ ये इतने गुस्से मैं क्यों हो.....रति के कड़े चूचक देख कर उसका लंड वैसे ही फनफना गया..............
कुछ देर ऐसे ही घूरता रहा..... 

ऐसे क्या देख रहा है....

कुछ नहीं इतने दिन बाद तू आई है.... तुझे देख रहा हूँ... और एक टक उसकी चूचिओ को निहरता रहा...

उसे ऐसे देखते हुए.....रति ने अपनी नज़रें घुमा ली और उसकी तरफ अपनी पीठ कर ली...

अब बिरजू उसकी मद मस्त गान्ड को घूर्ने लगा.....रति अपनी साड़ी की तह लगा रही थी.....बिरजू धीरे से उसकी पीछे गया.......और रति को अपनी.... बाहों में भर लिया......उसका लंड लोहे की रोड की तरह तन गया था......रति का मुलायम-मुलायम बदन पा कर तो वो बिल्कुल पागल हो गया....

रति चोन्कते हुई...... आए भैया क्या करते हो....चलो काम करने दो.... 

पर बिरजू कहाँ मान ने वाला था.... उसने रति को अपने से बिल्कुल सटा लिया और अपने लौडे का अहसास उसकी गान्ड पर दे दिया....लौंडिया सिहर गयी.... जिस अहसास के लिए वो तरस रही थी.....जो उसे अपने पति से नहीं मिला , पर हाई री किस्मत , मिला तो वो भी सगे भाई से.......

संस्कारों की एक दीवार थी ....लेकिन बिरजू तो जैसे पागल आवारा.......वो तो रति को छोड़ ही नहीं रहा था..... 

क्या भैया ऐसे क्यों कर रहा..... है... 

वो बोला अपनी बेहन पर बहुत प्यार आ रहा है....और उसे ऐसे ही मसलता रहा......अब तो रति भी स्पर्श सुख का भरपूर आनंद ले रही थी....

बिरजू उसके गालों को भर-भर के चूस-चूस कर चूमने लगा... लौंडिया गन-गना गयी.... हाई क्या करते हो भैया.... कोई ऐसा करता है अपनी बेहन से....और आहें भरने लगी..... 

बिरजू सोच रहा था.... अब तो उसकी बेहन की सील खुल चुकी होगी... अब तो उसका भी कुछ हक़ बनता है....ये कह कर बिरजू उसे लेकर पास पड़ी खटिया पर बैठ गया..... और उसने रति को अपनी गोद में बिठा लिया..... और उसे चारों तरफ से मसल रहा था....

.आज बहुत मन कर रहा है अपनी बहना को प्यार करने का....वो बोला....

तभी उनकी माँ दरवाज़े पर आई....और उसने देखा.... बिरजू अपनी बेहन रति को गोद में ले कर.... मसल-मसल के प्यार कर रहा है....वो थोड़ी देर दरवाज़े पर खड़ी हो कर दोनो की रास लीला देखने लगी...और मन ही मन मंद-मंद मुस्का गयी...... उसने सोचा रति अब सयानी हो गयी है.... शादी भी हो गयी है इसकी...... पर शादी का सुख नहीं मिला इसे.....वो कुछ सोचते हुए आगे बढ़ गयी.....

दोनो अभी भी अपनी मस्ती मे मस्त थे.....बिरजू अपना हाथ रति के पेट पर और उसकी गोलाईयों के नीचे फेर रहा था... और कभी-कभी उसकी गूलाईयों को भी टच कर रहा था....

तभी माँ को देख कर रति उठने को हुई.... पर बिरजू ने उसे कस लिया... 

अरे बिरजू बड़ा प्यार हो रहा है... अपनी बहना पर..... ठीक है बेटा... खूब करो.... 

हां माँ बहुत दिनो बाद आई है... इसलिए.... 

रति का मुहँ शरम से लाल हो रहा था...उसने बिरजू को कोहनी मारी....और उसका हाथ वहाँ से हटा दिया....और एक दम से खड़ी हो गयी... और माँ के पास चली गयी.... 

बिरजू अपने लंड को पायजामे मे छुपाने लगा....और खड़ा हो गया.... माँ और रति किचन मे खाना बनाने लगे..... सबने साथ मे खाना खाया....और सोने की तैयारी करने लगे.....

माँ बोली मैं बाहर घैर(जहाँ जानवर बाँधते हैं) पर सोने जा रही हूँ.....

रति बोली क्यों माँ.....

अरे मुझे पता नहीं क्यों अंदर नींद नहीं आती...

अरे माँ मैं बाहर सो जाउन्गा....बिरजू बोला....(वैसे वो माँ के इस प्रस्ताव से मन ही मन बहुत खुश था)..

.नहीं माँ बोली तुम दोनो अंदर कमरे में सो जाना....और बंद कर लेना...और दोनो बेड पर सो जाना... नीचे कोई कीड़ा भी काट सकता है....माँ ने एक हिदायत से कहा और बाहर चली गयी...

बिरजू की तो खुशी का कोई ठिकाना ही नहीं रहा......उसने जल्दी से दरवाजा अंदर से बंद कर लिया....
 
रति को भी बहुत शरम आ रही थी और उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि ये क्या हो रहा है....वो शरम से सिमटी हुई बेड पर बैठ गयी....

मुस्कुराता हुआ बिरजू दरवाज़ा बंद कर के मुड़ा...

कमरे मे रति छुई मुई सी शरमा रही थी... उसकी समझ मे नहीं आ रहा था... कि आगे क्या होने वाला है लेकिन फिर भी अपने सगे भाई के साथ हम बिस्तर होने मे उसे संकोच था.... यहाँ तक कि उसकी माँ की भी इसमे मौन सहमति थी... लेकिन फिर भी उसके संस्कार आड़े आ रहे थे....उसे लग रहा था... जैसे कोई पाप होने जा रहा था....उसने बिरजू की तरफ देखा..... वो तो जैसे उसको पाने के लिए मरा जा रहा था...

बिरजू पलंग पर आधा लेट गया....और रति को एक आग्रह भरी दृष्टि से देखने लगा....जैसे कह रहा हो आ जाओ मेरी बाहों में.... कमरे में एक मौन था.... कोई किसी से कुछ नहीं बोल रहा था......केवल आखें ही बाते कर रही थी.... बिरजू की अभी भी हिम्मत नहीं हो रही थी...

लेकिन कुछ सोचते हुए...बिरजू ने मौन तोड़ा और बोला...रोशनी बढ़ा दे....रति ने कमरे मे लटकी लालटेन की रोशनी धीमी कर दी.... कमरे मे अंधेरा छा गया......केवल लालटेन की बहुत मध्यम- मध्यम रोशनी और बाहर खिड़की से पूर्णिमा का चाँद.....
बिरजू ने एक बार खिड़की से बाहर देखा.... चाँद आज पूरे शब्बाब पर था और अपनी दूधिया रोशनी.....रति के चेहरे पर डाल रहा था.....रति को ऐसे खड़े देखते हुए... बिरजू बोला ऐसे क्यों खड़ी है... क्या खड़ी-खड़ी सोच रही है....चल आ सो जा....उसने आग्रह भरे सुर से कहा.... और पलंग पर दूसरी तरफ खिसक गया....

रति जैसे कोमा से बाहर आई.....हां..... क्या भैया...

चल सो जा...बिरजू फिर बोला....रात बहुत हो गयी है....

फिर रति ने पलंग की तरफ देखा... और उसने अभी भी साड़ी पहनी हुई थी...जैसे कि गाओं में लड़कियाँ शादी के बाद साड़ी ही पहनती हैं....उसने धीरे से अपनी लाल साड़ी उतार दी..और पास पड़ी एक कुर्सी पर रख दी... और धीरे-धीरे सकुचाती हुई.....पलंग पर आ गयी.....और लेट गयी.....

कमरे मे एक अनंत सन्नाटा सा पसरा हुआ.... था....सामने से चाँदनी की किरण सीधे रति के चेहरे पर पड़ रही थी.....और उसका गोरा मुखड़ा चाँदनी से नहा गया....

बिरजू की तरफ उसकी पीठ थी.... बिरजू ने धीरे से अपना हाथ रति की कमर पर रखा और उसे अपने से सटा लिया.... उसके मद-मस्त छोड़े-छोड़े चुतड़ों की दरार मे पेटिकोट के उपर से..... अपना.... जबरदस्त 9" का लंड .... उसकी गान्ड पर टिका दिया.....

बिरजू के लंड के अहसास से रति सिहर सी गयी.... उसके सारे शरीर मे एक सिरहन सी दौड़ गयी.....बिरजू धीरे-धीरे अपना लंड उसकी दरार मे ठेलने लगा.....

अठारह(18) साल की जवान लौंडिया जिसने कभी लंड का अहसास नहीं किया हो...... लंड के दबाब से गीली हो गयी.....और उसकी मखमली चूत से रस बहने लगा....

बिरजू ने धीरे से रति की सुराही दार गर्दन पर एक चुम्मा ले लिया...और उसके कान के पास...कान का एक कोना जिस मे वो एक बाली(एअर रिंग) पहने हुए थी....उसे अपने मुहँ से धीरे- धीरे काटने लगा...लौंडिया फिर सिहर गयी.... और सारे शरीर में खून का दबाब पूरे ज़ोर से संचारित होने लगा...दिल इतनी ज़ोर से धड़कने लगा जैसे.....निकल के बाहर आ जाएगा... रति झट- अपना हाथ अपने कान पर ले गयी...और अपने कान को बिरजू के मुहँ से छूटा लिया.... और अपना हाथ अपने कान पर रख लिया....

बिरजू ने तुरंत अपना अगला हमला कर दिया......उसने अपना हाथ जो उसकी कमर और पेट को सहला रहा था..... उसको जबरन चूचिओ पर रख दिया....और उसे कस के मसल दिया.... रति के मुँह से एक चीख सी निकल गयी....पर बिरजू नहीं रुका.... और उसने रति की चूचिओ को एक प्रकार से मसल्ने लगा.....और उसके ब्लाउस के बटन खोल दिए और कुछ बटन टूट गये....और उसने अपना हाथ सीधे.... अंदर डाला...उसे बड़ा आस्चर्य हुआ.... रति ने नीचे ब्रेसियार (ब्रा) पहन रखी थी.....

ज़्यादातर गाओं में लड़कियाँ शादी तक ब्रा नहीं पहनती इस लिए... उनकी चूचिओ बिना किसी बंधन के दिन दूनी रात चोगुनि बढ़ती जाती हैं.....अब जैसे उसकी शादी हो गयी थी तो शायद माँ ने उसे ब्रा खरीद कर दी थी....

ये ब्रा बिरजू के लिए नया चक्रव्यूह थी.... इस यन्त्र (मशीन) का सामना... उसे पहली बार हो रहा था... आज तक उसने जितनी भी चुदाई की थी किसी ने भी ब्रा नहीं पहनी थी.....उसे पता था... रति तो इसे खोलने से रही.... और उसे ये ही नहीं पता था...इस का हुक कहाँ होता है....आगे या पीछे...और उसे डर था उसने पहले ही उसके ब्लाउस के कई बटन तोड़ दिए हैं.... तो कहीं... रति नाराज़ नहीं हो जाए....वो उसकी चूचिओ को टटोल के ब्रा का हुक ढूढ़ने लगा.... रति के चेहरे पर एक मुस्कान सी आ गयी..... और वो मज़े से देखने लगी कि देखें अब बिरजू भैया क्या करते हैं....

अगले ही पल बिरजू ने उसका ब्लाउस उतार के नीचे फेंक दिया.... जिसके बटन पीठ पर थे...

रति की चूचियाँ उसकी टाइट ब्रेजियर में क़ैद थी... और उसकी चाबी (की) बिरजू को नहीं मिल रही थी....जब आगे सारा टटोलने के बाद.... बिरजू को कुछ नहीं मिला.... तो उसने रति की पीठ पर ब्रा पर हाथ फेरा.... ओमाइगॉड......यहाँ छुपा है... स्वर्ग का ख़ज़ाना.... उसने तुरंत अपनी उंगलियाँ डाल.... कर ब्रा का हुक खोल दिया... उसे ऐसा लगा जैसे.... उसे... अली बाबा का ख़ज़ाना मिल गया हो.... खुल- जा- सिम-सिम.... की तरह रति की दो बड़ी- बड़ी चूचियाँ....खुले आसमान के नीचे आ गयी....चाँदनी की रोशनी में दोनो चूचियाँ... कंचनजंघा के बर्फ़ीले पहाड़ सी लगीं.... बिरजू को जैसे मुहँ माँगा.... खिलोना... मिल गया.... था... अपनी जवान बेहन की मद मस्त चूचियाँ.... पा कर तो वो जैसे दीवाना हो गया...

वो आटे की तरह रति की चूचिओ को मसल्ने लगा.... और अपना लंड उसकी गान्ड में पेटिकोट के उपर से... उसकी दरार में धकेलने लगा....उसकी खुशी का ठिकाना नहीं था... रति अभी भी उसकी तरफ पीठ करे हुए थी.... उसने रति को सीधा.... किया.... और उसकी मद मस्त चूचिओ पर अपना.... मुहँ लगा दिया..... फिर तो बिरजू मसल- मसल के अपनी बेहन की चूचिओ का रस पीने लगा....रति की चूत तो बस जैसे फूट ही पड़ रही थी.... वो एक उन्माद (एग्ज़ाइट्मेंट) में थी....और सेक्स की आग उस पर हावी हो चुकी थी...और वो भी बिरजू का सहयोग देने लगी.... बिरजू का लंड अब उसके पेट पर ठोकरें मार रहा था....
 
तभी बिरजू ने कोई 10 मिनट तक उसकी चूचिओ का मर्दन करने के बाद....

बिरजू ने रति का चेहरा चाँदनी की रोशनी में देखा... रति ने अपनी नाक में... एक बड़ी प्यारी सी नथ (बाली) पहन रखी थी.....और चाँदनी की चमक मे उसकी नथ का मोती चाँद की रोशनी में और दमकने लगा.... उसे ऐसा लगा जैसे चाँद भी रति की नथ में उतर आया हो...उसे अपनीी बहना की खूबसूरती पर गुमान होने लगा.....दोनो की आखें एक दूसरे से टकराई... और बिरजू ने.... उसकी नथ को चूम लिया.... हाई.... लौंडिया.... उन्माद के शिखर पर पहुँच गयी....

अचानक ! रति का मुहँ खुल गया....फिर बिरजू ने अपने लरजते होठ..... रति के होठों पर रख दिए....और बिरजू उसकी जीभ को अपने मुँह मे लेकर बेतहाशा चूसने लगा.... दोनो का स्मूचिंग किस कोई 10 मिनिट तक चला...रति की चूत से जैसे....पानी की धार रुकने का नाम ही नहीं... ले रही थी...दोनो जैसे एक दूसरे में समाना चाहते थे... और दोनो के लब ये बयान कर रहे.... थे और दूर चाँद भाई- बेहन का संगम देख कर मुस्करा रहा था.

रति जैसे ही होश में आई और अगले ही पल उसे अहसास हुआ कि वो अपने सगे भाई के साथ है....उसकी आखों से आँसुओं की धार टूट पड़ी...... नीचे उसकी चूत..का बाँध टूट गया.... और वो झर- झरा के झड गयी...
और साथ ही उसके.... आँसुओं का बाँध भी टूट पड़ा....और वो हिचकी ले-ले कर रो पड़ी.... और उसे अपने पाप बोध का अहसास हुआ......वो अधनंगी अवस्था में फूट-फूट कर रोने लगी....उसने बिरजू को एक धक्का सा दिया....और उठ कर खड़ी हो गयी....

बिरजू को जैसे कुछ समझ में ही नहीं आया.... बोला क्या हुआ... क्यों रो रही है....

भैया ये ग़लत है.... ये पाप है.... उसके गोरे मुखड़े से तो आसुओं की धार रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी.... बिरजू बड़े विस्मय की दृष्टि से रति को देखने लगा....और उसकी कुछ समझ में नहीं आया कि अचानक रति को क्या हो गया..... लेकिन वो रति को बहुत प्यार करता था...... वो चाहता तो अभी ज़बरदस्ती भी कर सकता था.... उसकी माँ की मौन सहमति थी....
लेकिन वो कुछ नहीं बोला.... और कमरे से बाहर जाने लगा....
कहाँ जा रहे हो भैया,,,,,,,,बिरजू जाते जाते दरवाजे पर रुक गया रति की आवाज़ सुनके,,,,,,लेकिन
बिरजू वापिस नही पलटा ऑर ऐसे ही उसकी बात का जवाब देने लगा,,,,,

मैं छत पर सोने जा रहा हूँ,,,,,,,,मुझे नही लगता कि अब हम दोनो को एक कमरे मे सोना 
चाहिए,,,,,,,,इतना बोलकर बिरजू वहाँ से चला गया,,,,,,,,,,,बिरजू कमरे से निकल तो गया था लेकिन
अब सोना कहाँ था ये नही पता था बिरजू उपर वाली छत की तरफ चला गया जहाँ एक बड़ा झूला है,बिरजू उससी झूले पर लेट गया,,, 

काफ़ी देर तक लेटा रहा लेकिन नींद नही आई,,, 

बिरजू किसी सोच में डूबा हुआ था और सारे घटना क्रम पर सोचने लगा... तभी उसे सीढ़ियों की तरफ से एक साया उसकी तरफ आता नज़र आया ऑर वो रति थी,,,,,,,उसने एक शाल ओढ़ रखी थी 

भैया तुम उपर क्यों आ गये,,,,,,,उसने बड़ी उदासी से पूछा,,,,

कुछ नही बस ऐसे ही ,,,मेरा दिल नही किया नीचे सोने को,,,,,बिरजू ने बड़े रूखे ऑर रूड अंदाज़
मे उसको जवाब दिया,,,,,,,,,,

भैया मुझे अकेले नींद नही आ रही,,,जैसे आपको भी नही आ रही,,,,,,,उसने फिर से उदासी से बोला,,,,,,,,

नींद बस आने ही वाली थी कि तुम आ गई,,,,अब जाओ नीचे मुझे सोने दो ,,बिरजू फिर से रूड 
तरीके से बोला उसको,,,,,

भैया मुझे नींद नही आ रही बोला ना,,,अब उसका लहज़ा थोड़ा गर्म था,,,आपको पता है ना
बिरजू बचपन से आपके साथ सोती हूँ ,,,,,,,,,,अकेले सोना मुश्किल है मेरे लिए,,,

जानता हूँ लेकिन नीचे कमरे मे एक ही पलंग है
 
Back
Top