bahan ki chudai बहन का दर्द - Page 2 - SexBaba
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bahan ki chudai बहन का दर्द

तभी उसने नज़रे झुका ली,,,ऑर बड़े शांत अंदाज़ मे बोली,,,,,,,,हम लोग बेड अलग कर के सो जाएँगें
भैया लेकिन नीचे चलो मुझे अच्छा नही लग रहा अकेले सोना ऑर तुम्हारा ऐसे यहाँ


मुझे तंग मत करो,,,,,,,,,,, जाके माँ को बुला लो मुझे नही जाना नीचे ,,,मुझे यहीं सोना है,,,,तू समझती क्यूँ नही मेरी बात को,,,,,जा यहाँ से अब गुस्सा मत दिला मुझे,,,,,,,,

वो चद्दर खींच रही थी ऑर बिरजू भी अपनी चद्दर को अपने हाथों से उसको खींचने से रोक रहा था तभी ज़ोर कुछ 
ज़्यादा लग गया चद्दर पर ऑर वो उसके उपर गिर गई,,,,उसका आधा जिस्म उसके जिस्म के उपर था
जबकि जिस चद्दर की वजह से ये सब हुआ वो ज़मीन पर पड़ी थी,,,उसके गिरने से शॉल खुल गयी और रति के कठोर चूचक उसकी छाती से दब गये ऑर एक ही पल मे उसकी हालत खराब होने लगी,,

बिरजू अपनी बलिशट बाहों मे उसे जैसे कुचलना चाहता था.....रति की उन्नत चुचियाँ बिरजू के सीने की रगड़ से गुलाबी हो रहीं थी......

धोती में उसका लंड रति की जांघों मे फ्रिक्षन (घर्षण) पैदा कर रहा था......

फ़रवरी का महीना था ,गुलाबी ठंड में दोनों का शरीर..... एक आग पैदा कर रहा था... माहॉल में.....

रति का सर बिरजू के राइट साइड वाले कंधे पर था....बिरजू ने अपना दूसरा हाथ निकाला..... और रति की शॉल को पेट से उठा कर उस पर रख दिया.......

लौंडिया सिहर गयी.... और मुहँ से एक हल्की सी सिसकारी निकल गयी.... आआहा........

फिर हाथ उसकी कमर मे डाल कर बिरजू ने उसको अपने से बिल्कुल सटा लिया.......

अब बिरजू के लंड की तपिश और चुभन रति को अपनी जांघों मे महसूस हो रही थी.....
लेकिन फिर उसे पाप बोध का अहसास हुआ.... और बोली....भैया... हम भाई बेहन है....क्यों ये सब करके अपना रिश्ता मैला कर रहे हो....क्या ये सही है जो तुम चाह रहे हो.... और साथ- साथ वो अपने भाई का लंड और उस के अहसास से रोमांचित सी थी.....

तभी अचानक से मौसम बदला हल्की-हल्की बारिश शुरू हो गयी....जैसे रति की बेरूख़ी से आसमान भी रोने लगा हो....

तभी ठंड की एक लहर सी दौड़ी दोनो के अंदर... और रति ने बिरजू को अपनी शॉल मे ले लिया...और तभी उसे अहसास हुआ कि वो ऊपर से बिल्कुल नंगी है.....एक शॉल के अंदर दोनो का शरीर एक तपन में जल रहा था.....भैया बारिश तेज़ हो गयी है.... नीचे चलो... 

नहीं मैं नहीं आ रहा तू जा नहीं तो सर्दी लग जाएगी.... 

नहीं मैं भी नहीं जाउन्गी अगर आप नहीं आओगे तो.....वो गुस्से से बोली....वो गुस्से मे बड़ी प्यारी लग रही थी.... हालाँकि बारिश हो रही थी और और बादल छा गये थे... लेकिन फिर भी पूर्णिमा का चाँद... बीच-बीच में अपनी झलक दिखा जाता था.....

और उसी एक झलक मे.... रति की नथ का मोती फिर एक बार जगमगा उठा.... और उसकी चमक सीधी....बिरजू की आखों मे पड़ी...और उसे अपनी बेहन पर एकदम से बड़ा प्यार आया.... और उसने रति को एकदम से... अपने सीने से सटा लिया.... और उसकी चूचियाँ उसके उन्नत सीने से एकदम से कुचल सी गयी...... और एक आवेश मे बिरजू बोल पड़ा.... रति मैं तेरे को बहुत चाहता हूँ....और मैं तेरे साथ ही ज़िंदगी बिताना चाहता हूँ....

भैया ये कैसे संभव है....हम सगे भाई बेहन हैं और कोई समाज हमें इसकी मंज़ूरी नहीं देगा....अगर आप अपनी बेहन को इतना प्यार करते हो तो उसके साथ ऐसा खिलवाड़ क्यों कर रहे हो ? इस प्यार का क्या अंजाम होगा.... ये प्यार नहीं एक हवस है.....!.

फिर दोनो के बीच एक मौन सा छा गया....रति ने मौन तोड़ा..... आप बड़े हो मेरे से चलो आप ही मुझे समझा दो... मेरे को कन्वेन्स कर दो मैं आपकी हर बात मान लूँगीं... आप जैसा बोलगे मैं करूँगीं... सारा जीवन आपको समर्पित कर दूँगी...आपकी रखैल.... आपकी दासी बन के रहा लूँगीं.. पत्नी का दर्जा तो आप दे नहीं पाओगे....?. बारिश ने दोनो का तन बदन गीला कर दिया..... था....

फिर एक खामोशी सी छा गयी दोनो के बीच मे......और रति ने अपनी बात कंटिन्यू करते हुए...क्या...अपनी रंडी बनाना चाहते हो...

खामोश ! बिरजू लगभग शेर की तरह दहाड़ते हुए बोला....... 

रति सिहर गयी...उसका रौद्र रूप देख कर.... 


तू क्या समझती है... मैं तेरे को पाने के लिए ये सब कर रहा हूँ.... तेरे को ज़रा सा भी अहसास है.... ग़लती से तेरी शादी एक नामर्द से हो गयी है... जो दिन भर चरस- गांजे मे डूबा रहता है....

जो सवाल तेरे मे अभी हैं उन सारे सवाल पर मेरी माँ से बात हो चुकी है... मैं भी नहीं चाहता था ये .... लेकिन माँ ने तेरी दुहाई और हमारे प्यार का वास्ता दिया.......और ये कसम ली मेरे से क़ी मैं ज़िंदगी भर शादी नहीं करूँगा..... केवल तेरा ख़याल रखूँगा.... अब तेरे पास दो विकल्प(ऑप्षन) हैं.... या तो तू सारी उमर कुँवारी रह.... या फिर सारी उमर बदचलन... जो बहुत सी औरतें आज भी कर रहीं हैं....हर किसी से तैयार हो जाती हैं चुदवाने को..... फिर या...... मैं जो तेरे लिए.... अपनी सारी ज़िंदगी की समर्पित कर चूका हूँ.....

रति मैं आज ये कह रहा हूँ.... अगर हमारे बीच आज कुछ नहीं बन पाया तो ये समझ..... कि आज के बाद हम दोनो इस सेक्स की दुनिया से बहुत दूर हैं..... मेरा प्रण निश्चित है..... तू साथ है या नहीं.... अगर तेरे कभी कदम डगमगाए..... तो उस दिन के लिए....तेरी गर्दन.... या उस की गर्दन... नहीं रहेगी.... चाहे..... सारी ज़िंदगी जैल मे ही क्यों ना कट जाए.....ये मेरी भीष्म प्रतिग्या है.......!
 
लेकिन मैं तो समय हूँ......

मैं कुछ कर तो नहीं सकता.... लेकिन इस कहानी के सूत्र धार के रूप मे....
ये बता दूं.... ये प्रतिग्या अडिग और अमर रहने वाली है.... क्यों कि आज जो भी तारीख हो..... वो आज तक अमल है..... चलो मैं आपको अभी की तारीख बता ता हूँ.... रात के 12.01 मिनिट हो चुका है दिन बदल गया है.... 14थ फेब्रुवरी शुरू हो चुकी है....यानी कि वॅलिंटाइन डे...... उस समय शायद.वॅलिंटाइन का डे किसी को मालूम भी नहीं था... गाओं देहात मे....

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बारिश पूरे जोरों पर थी..... झूला हवा के बहाव से तेज़-तेज़ चल रहा था...... पूरा गाओं नींद के आगोश मे था..... कड़कती बिजली.... और मूसलाधार बारिश..... बार-बार रति की नथ का मोती चमका देते थे....जो बार-बार बिरजू को और उत्तेजित कर रहा था.... उसने एक बार फिर रति को अपने आगोश मे ले लिया.....

रति की आखों से तो गंगा जमना बहने लगी......उसे तो ये गुमान ही नहीं था कि उसका भाई उस-से इतना प्यार करता है..... उसके पास बिरजू के एक भी सवाल का जबाब नहीं था.... वो बस मंत्र मुग्ध सी बिरजू को सुन रही थी.........

बिरजू ने रति को अपने से बिल्कुल सटा लिया.... बारिश तो जैसे.... और तेज़ पर तेज़ होती जा रही...... बारिश की वजह से बिरजू को रति के आसू नहीं दिख रहे थे.... लेकिन जब उसने उसे अपने से चिपकाया तो उसे उसकी सिसकियाँ सुनाई... दी...

अरे पगली.. रोती क्यों जा रहीं है....... 

वो फिर तो दहाड़ मार-मार कर रोने लगी..... भैया आप मुझे इतना प्यार करते हो..... 

हां रति...... 

मुझे कहीं छोड़ तो नही जाओगे.....

कैसी बात करती है रति....मैं प्यार कर रहा हूँ कोई मज़ाक नहीं....

रति की चूत पनिया.... गयी फिर एक बार ..... उसका मन अंदर से एक दम से डोल गया..... आख़िर लंड का स्वाद है ही ऐसा..... तभी तो जमाने की लौंडिया.....इस अनोखे खिलोने की दीवानी हैं....

उधर बिरजू अपना हाथ रति के पेट , पीठ पर फिरा रहा था.....

बड़ा ही मन मोहक समा सा बँध गया था..... अब लब कुछ नहीं बोल रहे थे.... बस बरबस..... किसी अंजान चाहत... या अंजानी ताक़त से अपने आप काम बन रहा था.....

फिर उसने अपना हाथ का डाइरेक्षन घुमाया और उसे...कमर के पास लाता हुआ धीरे से..... रति के पेटिकोट के नाडे मे डाल दिया.... और उसका हाथ रति की गदराई गान्ड के उपरी हिस्से मे पहुँच गया......

और उसका मन खुशी से झूम उठा.... क्योंकि....? रति ने पेंटी भी नहीं.... पहनी हुई थी......अब तो उसका लंड सारे तट बंधन तोड़ कर आगे बढ़ना चाहता था......

उसने धीरे से ना जाने कब रति को पता भी नहीं चला अपनी धोती निकाल दी और लंड को खुली हवा मे छोड़ दिया..... लंड तो जैसे मौका ही ढूंड रहा था.... उसने अपना फन फफकार दिया.... और रतिया की जांघों के इर्द गिर्द..... सर्गोसियाँ करने लगा.....और अपना माल ढूँढने लगा.... 

रति तो जैसे पिघल सी ही गयी.... इस रोमांच से कि आज भैया... उसकी चूत का उद्घाटन करेंगें..... लेकिन दूसरे ही पल... उसे अपने रिश्ते का ख़याल फिर आया.... और थोड़ी दुखी भी हो गयी....पर फिर उसने सोचना बंद कर दिया... और मन से बोली... जो होगा देखा जाएगा.....

और उधर बिरजू थोड़ा कुछ ज़्यादा ही बोल्ड हो गया...... उसने रति का शॉल कुछ ज़्यादा ही उपर उठा दिया.... और लौंडिया की दोनो.... जबरात चूचियाँ....उसके हाथ मे आ गयी...... 

हाई... भैया ये क्या कर रहे हो..... लेकिन बिरजू ने उसकी एक ना सुनी...... और अपना काम जारी रखा.... और उसने बारी-बारी से उसकी मद मस्त चूचकों का जबरदस्त मर्दन करना जारी रखा....

क्या कर रहे हो भाई.... मुझे शरम आ रही है.....लेकिन उसका अंग- अंग मुस्कुरा रहा था......

बिरजू को ना जाने क्या सूझी.... और वो गाना गाने लगा.....

मेरे सपनो की रानी कब आएगी तू...$$$$$$$$$


बड़ा ही ख़ुसनूमा समा बँध चुका था...... इस गाने के दरमियाँ... बिरजू ने रति के सारे शरीर पर दम से हाथ फेरता रहा.... लौन्डिया भी मस्ती से गन-गना चुकी थी... और दो बार झड चुकी थी.....

बिरजू का खुन्टे जैसा लंड...... रति की चूत के मुहाने पर टिका हुआ था..... रति की चूत के पानी से वो भी पूरा तर हो चुका था.....

दोनो की नज़र..... फिर आकाश की तरफ उठी.... जहाँ चाँद धीर नीचे की ओर जा रहा था,,,,, और प्रेमी जोड़ा एक दूसरे में समाने के लिए तैयार था...... और बारिश अपने पूरे शाबाब पर थी...

रति मन्त्र मुग्ध हो कर बिरजू का गाना सुन रही थी..........गाना पूरा होने पर....बिरजू ने उसे चूमते हुए पूंच्छा कैसा लगा....बहुत सुंदर भाई आप सच में बहुत सुर में गाते हैं.....

ये सुन कर बिरजू ने एक बार फिर उसके गुलाबी गालों को चूम लिया.... गाल चूमने के कारण उसका लंड रति की चूत के और करीब आ गया......लौंडिया सिहर गयी..... फिर तो बिरजू ने उसके होंठो को अपने होंठो से सटा कर के बड़ा ही पॅशनेट स्मूचिंग किस किया

रति अब पूरी तरह से पिघल चुकी थी.......

बिरजू ने एक हाथ... रति के पेटिकोट के नाडे मे फसाया.... और उसकी गदराई गान्ड को थोड़ा उठा... के... पेटीकोत को नीचे खिसका दिया....... और फिर पैरों से... पेटीकोत को नीचे खिसका दिया.......

रति चाँदनी रात मे... खुले आकाश के नीचे बिल्कुल मदरजात नग्न अवस्था मे पड़ी थी.......
शरम से उसने अपनी आखें बंद कर ली और अपनी चुचियों को अपने हाथ से ढक लिया......

बिरजू तो जैसे... आज ही सारा रस पीना चाहता था......

भाई प्लीज़ अब आपने बहुत कर लिया.... बस अब इससे आगे नहीं......

बिरजू..... रति बहुत मज़ा आ रहा है... प्लीज़ अब मत रोक....

भैया मैं अपने पूरे फर्टाइल पीरियड मे हूँ.... और आपके इस मद मस्त लंड से पहली रात मे..... ही प्रेगञेन्ट हो जाऊंगी...... सो प्लीज़ लीव फॉर टुडे ओन्ली......

नहीं.... मेरी रानी... मैं पटना जा कर अपोलो हॉस्पिटा मे तेरा अबॉर्षन करवा दूँगा.... पर आज मेरे को मत रोक......
बड़ा ही पॅशनेट सेक्सी प्यार चल रहा था.... दोनों भाई बेहन का......
अब स्थिति ये आ गयी थी दोनो का भी अब अपने ऊपर बस नहीं था.....

बिरजू ने अपना लंड पकड़ा.... जो 2 घंटे की तपिश से किसी भी समय उफान से फटने वाला था......
और उसे रति की गुलाबी झान्टो से भरी चूत के मुहाने पर टिकाया......
लौंडिया.... सिहर गयी.... और समझ भी गयी क़ी अब उसे चुदना ही पड़ेगा.... अपने भाई के मज़बूत.... मदमस्त रसीले लंड से....

बिरजू ने एक बार लंड से अंगड़ाई ली और लंड... सीधा... रति की चूत पर टिका के... हल्का सा झटकककााअ माररराआ.... लंड चूत के माँस को चीरता हुआ.... अंदर सरक गया....

रति.... 9 इंच के लंड की आहट से ही नर्वस हो गयी.... भैया... संभाल के... आपका बहुत बड़ा लंड है...

जैसे तूने बड़े- बड़े लंड देखे है .....उसने अगला झटका थोड़ा ज़ोर से दिया.... और लंड सीधा... रति की चूत के गहराई मे घुस गया..... लौंडिया सिहर उठी.....और आहा...... आहा... करने लगी......
 
जब स्पीड बिरजू के मर्ज़ी के मुताबिक तेज हो गई तो रति ने उसकी गान्ड पर से हाथ उठाए
ऑर उन्ही हाथों से बिरजू की पीठ को सहलाने लगी और लिप्स से लिप्स को हटा लिए,,,,,,,,,,,,,,,,,,आहह
ऊवूऊवूयूवूऊवयाच्च ंमाज़्ज़जाअ आआ र्राहहा हहाई ब्बबाहही आपपंनी ब्बीहाआंन्णणन्
क्की कचहुद्दाआई क्काररननी म्मईए,,,,,,,,,,,,,,,,,,,हहानन्न ऱतिद्ऱति बभहुत्त्त ंमाज़्ज़जजाअ एयाया
र्राहहाअ हहाऐी रटिल्ल क्काररत्ता हहाई ईससी हही न्नांनन्ग्गी क्कार्रक्कीए सस्सार्ररररा रटिन्न्न्न्
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क्काररूव म्माईंन न्नाहही ररूककन्नी व्वाल्ल्ली त्तीररी क्कूव ब्बास्स ईससी हही आपपंनीई इसस्स
ब्बाददी म्मूऊऊस्साल्ल्ल कककूऊ त्टीरी ससीए प्पील्लटटीए र्राहहूओ म्मीरी कच्छूवतत म्मईए,,,,,,
आहह उुउऊहह हमम्म्मममममम उूुुुुउऊहह
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आप्प्पक्की ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,म्मीररी ब्बाहही ककूऊ कच्छूटतत सससी ज्ज्जययययाद्दा न्नास्शहाअ

बिरजू का लंड... सीधा रतिया.... की बच्चेदानी मे चोट... मार रहा था..... हर चोट पर रति 2- 2- फुट उछल रही थी....... आनंद की पराकाष्ठा (एक्सट्रीम) थी......हर धक्का पहले वाले धक्के से प्यारा था.....कोई आधे घंटे की बरबस चुदाई से दोनो का चरम (ऑर्गॅज़म) का वक्त आ गया.....बिरजू अपना लंड बाहर की तरफ खींचने लगा....

रति आनंद सागर से निकलती हुई बोली.... क्या हुआ भैया इसे क्यों निकाल रहे हो.... 

मैं बाहर झाड़ रहा हूँ.... कहीं तू पेट से ना हो जाए....

बड़ा ख़याल है अपनी बहना का..... वो मुस्काते हुए बोली.... अब आप अंदर ही फारिग हो जाओ... आज मैं आपका गाढ़ा - गाढ़ा पानी अपनी योनि मे लेकर पूरा सुख चाहती हूँ.....अगर प्रेगनेंट हुई तो आप बाप बन जाओगे... या रामलाल नमार्द अब मर्द कहलाने लगेगा.. और इसी एक पल में... बिरजू का लंड प्रवेश हो गया... रति की योनि मे......और ये कह कर रति फिर एक बार मुस्काई....

बिरजू ने रति का चेहरा चूम लिया.... और और आखरी धक्का..... दिया.... हाई....
दोनो क्या झड़े.... बिरजू के लंड से रति की चूत की बच्चेदानी सरा बोर हो गयी.... रति ने बिरजू को कस के पकड़ लिया.... वो बिरजू की आखरी बूँद तक का रस लेना चाहती थी......

रति की चूत बिरजू के वीर्य रस से भर चुकी थी.... और रति ने परम आनंद में अपनी आखें बंद कर ली....

बिरजू ने रति का गोरा मुखड़ा चूम लिया... रात के ठीक तीन बाज रहे थे.. रति बिरजू के बगल मे लेट गया.... सर्दी- की सर्द रात मे... दोनो पसीने- पसीने हो रहे थे.....बारिश भी बंद हो चुकी थी....... 

थोड़ी देर मे रति ने अपनी आखें खोली.... आकाश मे चाँद अभी भी दूधिया... चाँदनी बिखैर रहा था....
और चाँद जैसे मुस्करा रहा था....... क्यों कि वो गवाह था... आज एक बेहन भाई की रस भरी चुदाई का......

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मैं तो समय हूँ और गवाह हूँ..... हर क्षण का रति और बिरजू के इस रस भरे मिलन का............................
 
ना जाने कितनी देर तक भाई बेहन का प्रेमी जोड़ा.... भीगे बदन एक दूसरे मे समाए लेटा रहा......समुंदर के भरते ही सैलाब महासागर तक पहुँचा और रति की वीरान कोख के महासागर मे एक बार फिर से सन्गमित रस एकत्रित होने लगा.क्योंकी बिरजू के वीर्य की हर एक बूँद ने रति की बच्चेदानी को सिंचित कर दिया था, सैलाब इस कदर उफानित था कि उसके कारण दोनो अपने जिस्म के बाहर भी महसूस कर रहे थे. रति को उसके अंदर अनेक नदियाँ बहती हुई महसूस हुई और जैसे ही झूले पर आया "निस्चल प्रेम" का तूफान थमा, रति और बिरजू के जिस्म स्थिल होकेर सुषुप्त अवस्था मे गिर पड़े 

तभी रति ने देखा... सुबह होने वाली है और दोनो छत पर हैं... उसे लगा किसी ने देख लिया तो जग हंसाई हो जाएगी..... उसने जल्दी से बिरजू को उठाया,,, भैया सुबह हो गयी... चलो नीचे.... और दोनो नीचे आ गये....

बिरजू कमरे मे आ कर सो गया.... माँ भी जाग गयी..... उसने दरवाज़ा खोला माँ के लिए.... अपनी बेटी का चेहरा देख कर माँ समझ गयी कि रति की नथ उतर चुकी है...... उसने बड़े प्यार से..... उसका माथा चूम लिया..... रति शरमा के सिमट के रह गयी....पर उसका आज अंग-अंग मुस्कुरा रहा था....

दोनो माँ बेटी दैनिक क्रिया से निवृत हो गयी और पूजा करने लगी.... तभी बिरजू भी उठ गया.... वो भी फ्रेश हो कर आ गया... माँ ने दोनो के तिलक लगाया... और मुहँ मीठा करा दिया.... और एक धागा.... दोनो के हाथ मे बाँध दिया... बेटा ये तेरा वचन है.... सारी उमर अपनी बेहन का ख्याल रखना.... 

बिरजू ने माँ के पैर छुए..... और माँ बाहर खेतों की तरफ चली गयी.... वो शायद ज़्यादा से ज़्यादा वक़्त दोनो को अकेले देना चाहती थी.......

माँ के जाते ही बिरजू ने फिर.... रति को अपनी बाहों मे भर लिया.... 

क्या भैया... पूरी रात मे मन नहीं भरा क्या...... 

क्या तू ऐसी है जिस से एक रात मे मन भर जाए तेरे लिए तो सात जनम भी कम पड़ जाएँगे.... 

रति अपनी तारीफ़ सुन कर शरमा गयी...चलो छोड़ो.. सुबह- सुबह बहुत काम पड़े हैं करने को..... 

लेकिन बिरजू कहाँ मानने वाला था....... उसने बाहर का दरवाज़ा बंद किया.... और रति को गोद मे उठा कर....अंदर वाले कमरे मे.... ले गया..... और देखते ही देखते..... उसने.... रति की लहंगा चोली उतार दी..............और झट से अपना मूसल जैसा लंड उसकी चूत मे पिरो दिया..... लौंडिया सिहर गयी.... और फिर बिरजू.... ने धक्के मारना शुरू कर दिया.......आधे घंटे की धुआँ-धार चुदाई से उसने रति का अंग-अंग हिला दिया..... दोनो फिर एक दूसरे से चिपटे लेटे रहे....

रति ने फिर उठने की कोशिश की लेकिन बिरजू ने फिर उसे पकड़ लिया...... 

अब क्या है भैया... कर तो लिया.... 

पर बिरजू तो रति से एक पल के लिए अलग नहीं होना चाहता था...

उसने फिर रति का हाथ पकड़ के उसे अपने पास लिटा लिया..

.क्याअ है माँ अभी आ जाएगी... क्या सोचेगी.....

माँ दोपहर से पहले नहीं आएगी... 

अगर कोई आस पड़ोस का आ गया... तो क्या सोचेगा..कि दोनो भाई बेहन दरवाज़ा बंद कर के क्या कर रहें हैं....

कोई नहीं आएगा...

और फिर वो रति की जांघें फेलाने लगा.... 

अब क्या है... वो रुआंसी सी बोली...अभी -अभी तो किया है....

.पर बिरजू ने कभी किसी की सुनी है... उसका लंड तो जैसे साँप(स्नेक) अपना बिल ढूँढ लेता है उसी तरह.... फिर रति की योनि मे.... घुस गया..... दोनो फिर चिपट के लेटे रहे....

बिरजू बिना कुछ हिले डुले.... अपना लंड उसकी योनि मे डाले पड़ा रहा.... .. वो आनंद के गोते लगाती रही.... बिरजू का लंड था भी इतना मीठा- मीठा...... ना जाने वो कितनी देर तक ऐसे ही पड़े रहे.... तभी दरवाज़े पर दुस्तक हुई.... आउइ... वो बोली कोई आया है....

बिरजू ने जल्दी से अपना लंड निकाला... और लूँगी पहन कर... दरवाज़ा खोल दिया.. सामने माँ खड़ी थी... माँ सारा माजरा समझ गयी... अंदर देखा तो रति अपने कपड़े ठीक कर रही थी......माँ ने पूंच्छा... क्या चूल्हा नहीं जलाया....

हां माँ अभी जलाती हूँ... रति भाग कर रसोई मे घुस गयी.... माँ हंसते हुए...रति से बोली .... बिल्कुल अपने बाप पर गया.... है.... वो भी मुझे एक पल के लिए अकेला नहीं छोड़ते थे.... 

रति शरम से गढ़ी जा रही थी...

अब तो बिरजू का एक ही टॅशन हो गया... वो तो रात दिन रति की चूत मे अपना लंड डाले.... पड़ा रहता था....... और ये सिलसिला जब माँ भी घर मे होती तब भी चलता रहता.... और वो रति को अंदर वाले कमरे मे ले जाता...... और घंटो उसकी चूत में लंड डाल कर दोनो लेटे रहते....
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आज की तारीख याद कर लेना दोस्तों.......... 14थ फेब्रुवरी १९७०(वॅलिंटाइन डे)...................... 
ठीक नौ (9) मंत बाद.यानी(14 नवंबर1989) चिलदर्न्स डे पर......... रात के कोई 
2 बजे रति को दर्द उठना (लेबर पेन) शुरू हुए....... और ठीक......3 बजे................... उसने..... एक लड़की को जनम दिया.......................
जिसका नाम अलका ..... है.......

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अब वापस आज पर आते हैं.... और इस तरह रति और बिरजू के संबध आज भी चल रहे थे......रति के पति की मौत के बाद बिरजू ने ही घर की ज़िम्मेदारी संभाल ली और उसने शादी भी नहीं की और पूरी तरह रति को समर्पित रहा......

रवि ने -बाइक देखी और उसकी आखें खिल उठी.... उसने बाइक को ठीक किया सफाई की और उसे स्टार्ट किया....

तभी अंदर से अलका कॉलेज जाने के लिए.... तैयार हो कर आ गयी.....

उसने उस समय गुलाबी कलर की लो कट गले कई सलवार कमीज़ पहनी हुई थी.....रवि की आखें फटी की फटी रह गयी.....
उस की नज़र उसकी मस्त चुचिओ पर टिक गयी.... 

अपने भाई को इस तरह घूरते हुए देखते हुई पाकर अलका अंदर से सिहर गयी....

पर रवि की नज़र तो जैसे उसकी चुचिओ पर चिपक सी गयी... थी...उसका क्लीवेज और चुचिओ की अंदर तक की ढलान उसे सॉफ-सॉफ दिखाई दे रही थी.... रवि का कंट्रोल करते-करते भी लॅंड तन तना गया.....

रवि को इस तरह घूर ने कारण ...अलका थोड़ी असहज सी हो गयी.....उसने अपनी नज़रें नीचे कर ली और किचिन की तरफ जाने लगी......

अब रवि को उसके चौड़े- चौड़े चूतड़ दिखाई दिए...बड़ी ही मद मस्त बाहर निकली हुई गान्ड थी अलका की.... रवि का मन किया अभी दबोच के चोद दे ......पर उसने अपने मन को काबू किया....

किचन मे अलका ने एक ग्लास पानी पिया.....उसे अब बाहर जाने मे शरम आ रही थी....क्यों कि फिर उसे पता था रवि उसे वैसे ही घूरेगा....

तभी अंदर के कमरे से माँ आ जाती है..... अलका की तो जैसे साँस मे साँस आती है.....अच्छा माँ मैं चलती हूँ....इतना कह कर वो बाहर की तरफ आती है....

तभी रवि अपनी बाइक मे किक मरता है....और बोलता है.... चलो दीदी मैं आपको छोड़ देता हूँ.....

अलका : नहीं मैं चली जाउन्गि.... एक सहेली भी है वो मिल जाएगी....

रवि: अरे क्या प्राब्लम मैं छोड़ देता हूँ ना...मुझे कुछ काम भी है स्टेशन पर ...बाइक मे पेट्रोल भी भरवाना है... चलो बैठो...

मा: अरे जब ये जा ही रहा है तो चली जा ना.....

अलका बड़े बेमन से मोटर-बाइक पर बैठ जाती है...... और मन ही मन ...सब समझती हूँ तेरी चाल तू क्या चाहता है....

अलका के बैठते ही.... रवि अपनी बाइक बाहर निकाल लेता है.... और सड़क पर दौड़ा देता है....

अलका थोड़ा डिस्टेन्स मेनटेन करके बैठी हुई थी... और हाथ हल्के से रवि के कंधे पर रखा होता है.....

अचानक रवि ब्रेक लगाता है....और अलका सरक के रवि से सॅट जाती है..और उसकी चुचियाँ .... रवि की पीठ से धँस जाती है....

अलका ...मन ही मन बड़ा बेशरम है रवि तू.....

रवि: दीदी ज़रा अच्छी तरह से पकड़ के बैठो नहीं तो गिर जाओगी.....

अलका समझ जाती है रवि क्या चाहता है.... वो कुछ सोचती उस से पहले एक गाय रास्ते मे आ जाती है.... और रवि फिर ब्रेक लगा ता है....और फिर उसकी चुचियाँ रवि की पीठ से टकराती हैं.....

अलका मन ही मन सोचती है...अगर वो दूर बैठी रही... तो ये चलाएगा कम और ब्रेक ज़्यादा मारेगा.... इस लिए वो रवि के थोड़ा करीब हो जाती है...जिससे उसे उसकी चुचिओ का आनंद भी मिलने लगता है.....

रवि आनंद के सातवें आसमान पर दौड़ने लगता है........उसके मुलायम मुलायम चूचक रवि के शरीर मे आनंद और रोमांच का संचार कर रहे थे..... और वो भी आनंदित थी.... पर मन मे एक पाप बोध भी था....अपने सगे भाई के साथ...

पता नहीं कितनी जल्दी कॉलेज आ गया.....

दीदी आपकी छुट्टी कितने बजे होगी....

.2 बजे वो बोली 

ठीक है मैं लेने आ जाउन्गा....

अलका: क्यों परेशान हो रहा है.... मैं आ जाउन्गी ना...

रवि: मुझे ज़रा इस मोटर साइकल मे कुछ काम भी करवाना है..... उसके बाद मैं यहीं आपका वेट कर लूँगा....ठीक है ...2 बजे मिलते हैं.....

रवि ने बाइक मे काम करवाया और ठीक 2 बजे कॉलेज के गेट पर पहुँच गया .....

जब स्टूडेंट की भीड़ ख़तम हो गयी... तभी उसे अलका आती हुई दिखाई दी वो अपनी सहेली नीला के साथ थी...दोनो बात करते हुए आ रही थी...

अलका : आज मेरा भाई मुझ को लेने आ रहा है तू कैसे जाएगी ..

नीला: ओह ! फिर मेरे को अकेले जाना पड़ेगा....

अलका: तू हमारे साथ चल ना ... मोटर साइकल पर....

नीला: अरे यार कैसे बैठ पाएँगें...

अलका : चल ना ...अड्जस्ट हो जाएँगे....
 
तभी नीला की नज़र रवि पर पड़ी .... और उसके चेहरे पर मुस्कान सी खिल गयी....

नीला; देख अलका ये वो लड़का है ना आर्मी वाला जो उस दिन हमारे कॉलेज मे आया था....

अलका थोड़ी मुस्कुराइ पर बोली कुछ नहीं....

नीला : हाई कितना स्मार्ट है साला..... यार उस दिन तो तू इससे मिलने वाली थी.... क्या हुआ तूने बताया नहीं...

अलका ,चोंक गयी ... असल मे उस दिन दोनो की बात हुई थी वो उसने नीला को बता दी थी उसे क्या पता था कि रवि उसका भाई निकलेगा....

अलका : मैं तेरे को बताउन्गी...चल पहले तुझे अपने भाई से मिलवा दूं...

तब तक दोनो रवि के पास पहुँच गये थे...

रवि ये मेरी सहेली नीला है.....

अब चौंकने ! की बारी नीला की थी.... उसका मुहँ खुला का खुला रह गया.....

रवि : हाई नीला ....

नीला : हाई.....
उसके माथे पर पसीने की बूंदे सॉफ छलक रही थी.... और उसकी कुछ समझ मे नहीं आ रहा था....

अलका : हम दोनो बैठ जाएँगीं ना बाइक पर...

रवि : हां क्यों नहीं...पर पैर दोनो तरफ कर के बैठना होगा...

अलका और नीला ने एक दूसरे का चेहरा देखा और मुस्कुरा दी...

रवि ने बाइक मे किक मारी , पहले अलका और उसके पीछे नीला बैठ गयी...

अलका का बुरा हाल था.... उसकी जबरात चुचियाँ रवि की पीठ मे धसि जा रही थी....और वो भी इस का पूरा आनंद ले रहा था...

थोड़ी देर मे दोनो गाओं पहुँच गये... नीला को उसके घर उतार के वो दोनो भी अपने घर आ गये...

दोनो को देख कर माँ बहुत खुश हुई...

माँ: बेटा तूने सुबह से कुछ नहीं खाया....

रवि: हां माँ... हाथ मुहँ धो कर सभी ने खाना खाया.....

शाम हो गयी... तब रवि ने देखा अलका कहीं बाहर जा रही थी....वो माँ को बोली कि नीला के घर तक जा रही है.....

थोड़ी देर मे रवि ने भी बाइक उठाई और नदी किनारे पहुँच गया.....

वही कल वाला टाइम था....सूरज डूबने की तैयारी कर रहा था.... पानी का रंग सूरज की रोशिनी सी लाल्मय हो रहा था...
पन्छियो की चहचहाहट से सारा वातावरण बड़ा संगीतमय हो रहा था.......

रवि कल वाली जगह जा कर बैठ गया..... और पानी मे पत्थर फेंकने लगा.....

तभी उसको पानी मे एक आकृति दिखाई दी...उसने पीछे मूड के देखा....तो अलका को खड़े पाया....

आप...रवि के मुहँ से निकला....दोनो की आखें टकराई......

रवि ने खिसक के अलका के लिए बैठने की जगह बनाई....

अलका बैठ गयी.... दोनो चुप थे....लेकिन दिल की धड़कन बहुत तेज थी.....

तभी अलका ने अपनी उंगली से रिंग निकाल कर रवि को दी और बोली ये वापस ले लो...

रवि: नहीं ये तो मैने अपनी प्रेमिका को दी थी....

अलका: क्या बकवास कर रहे हो रवि....ये कैसे पासिबल है....
 
रवि:तुम मेरी पहले प्रेमिका हो...बाद मे मुझे पता चला कि तुम मेरी दीदी हो ...इस मे मेरी क्या ग़लती है....

अलका: अब तो पता चल गया.... ग़लती सुधार लो... 

रवि: ये ग़लती नहीं है...विधि का विधान है.....दीदी आइ लव यू....

अलका : पागल हो गया है क्क्या.....

रवि: हां दीदी मैं सही मे पागल हो गया हूँ......तुम्हारे प्यार मे...

अलका: ये कैसे पासिबल है...हम भाई बेहन हैं रवि....

रवि: थे....... अब नहीं है....जब भावना ही नहीं रही...तुमने मुझ को प्रेमी के रूप मे स्वीकार किया है और मैने तुमको अपनी प्रेमिका माना है.... क्या हम उम्र भर ये भूल सकते हैं.....

बात करते-करते रवि बार -बार उसकी उपर नीचे होते हुई मादक चूचिओ को घूर रहा था.....उसने अलका के दोनो कंधे पकड़े....
और उसकी ठोडी पकड़ी....दीदी बोलो ना.... 

अलका ने दूसरी तरफ मुहँ मोड़ लिया और बोली कुछ नही...

रवि कुछ देर ऐसे ही खड़ा रहा..... सूरज लगभग डूब चुका था......

रवि अलका के प्यारे से चेहरे को बड़े प्यार से देख रहा था..... उसे ऐसे देखते अलका झेंप गयी और मुहँ दूसरी तरफ कर के खड़ी हो गयी....

रवि उसके पीछे से गया....और पीछे उसकी कमर मे हाथ डाल कर उसको अपने से सटा लिया ....और उसके गालों से गाल सटाता हुआ बोला... दीदी यू हॅव नो ऑप्षन ... और एक प्यारा सा चुम्मा उसके गाल पर रख दिया...

लौंडिया सिहर उठी.....वो अपने आप को रवि की बाहों से छुड़ाने की कोशिश करने लगी.... लेकिन बाहें मजबूत थी.... और कोशिश कमजोर...शायद अंदर से वो भी उसकी बाहों मे खो जाना चाहती थी....

तभी रवि ने उसकी दोनो मादक चुचियाँ जोरो से दबा दी....लौंडिया सिहर गयी.... 

क्या करता है रवि ..तू.. 

पर रवि कहाँ मानने वाला था..... उसने ना तो चुचियाँ छोड़ी और ना ही...अलका को अपनी बाहों से.... लौंडिया कसमसा रही थी..... और रवि उसकी मदमस्त चुचिओ का आनंद ले रहा था..... 

अलका ने कसमसाते हुए... अपने को रवि से छुड़ाया.... और बोली मैं जा रही हूँ.....

रवि: रूको ना...

अलका: नहीं मुझे जाना है.... और आज के बाद हम नहीं मिलेंगें...

रवि: अच्छा मैं भी आ रहा हूँ...

रवि ने बाइक मे किक मारी ही थी...उसका फोन बज उठा.....

फोन माँ का था..बोली जल्दी घर आ जाओ.... एक सर्प्राइज़ है....

अलका: किस का फोन है....

रवि: माँ का , बोल रही हैं एक सर्प्राइज़ है...क्या सर्प्राइज़ हो सकता है...

और वो उत्सुक भी था कि माँ ने क्या....सर्प्राइज़ रखा है घर मे....दोनो बाइक से घर पहुँच गये......
 
घर पहुँच कर उन्होने डोर नॉक किया..... रति ने डोर खोला.... माँ क्या सर्प्राइज़ है.....?.हमारे लिए... जल्दी बताओ...

वो मुस्कुराती हुई.....बोली...इतनी जल्दी क्या है..... बताती हूँ....

नहीं माँ बताओ ना .... क्या सर्प्राइज़ है.....?

तभी अंदर वाले कमरे से आल्साता हुआ बिरजू निकाला.....

अलका के मुहँ से निकला मामा...... रवि भी लगभग चीखा.... ममाआआअ...................

बिरजू ने दोनो को अपने गले से लगा लिया..... बिरजू की आखों से आँसू निकल आए.... रवि को देख कर......कितना बड़ा हो गया रे तू......और बड़े प्यार से उसे चूमने लगा..... आख़िर थी तो उसी-की ही रचना.....और फिर उसने रवि को अपने गले से लगा लिया....

बहुत प्यार हो गया...... रति बोली चलो चाइ पी लो..... सब लोग हॉल मे चाइ पीने लगे....

सब एक दूसरे से बातों मे मशगूल हो गये........ सालों बाद बिरजू और रवि मिल रहे थे एक दूसरे से...... रवि अपनी फ्यूचर प्लॅनिंग बता रहा था..... बिरजू खुश था....आख़िर था तो रवि उसी का खून उसी का...बेटा.....जो उसके लंड और बेहन रति की कोख से पैदा हुआ था....

पूरी फॅमिली बहुत सालों बाद ऐसे मिल रही थी....रति की तो जैसे ख़ुसी का ठिकाना ही नहीं था..... वो तो ख़ुसी के मारे उड़ी-उड़ी घूम रही थी....

रवि ने अलका की ओर देखते हुए.... धीरे से कहा.... माँ को क्या हो गया है ? इतनी खुश क्यों घूम रही है.....

अलका : तू बुद्धू है.....

रवि: इसमे बुद्दु की क्या बात है.....

अलका फुसफुसाती हुई इशारे से बोलती हुई...काम लग गया है.....

रवि: क्या.....? फिर उसकी समझ मे आया.... और हंसते हुए.... ओह ...हान्णन्न्.........

नोट -दोस्तो कंफ्यूज़न की कोई बात नही है अलका अपनी माँ और मामा के बारे में रवि को बहुत कुछ बता चुकी है
और आपका दूसरा कंफ्यूज़न कि रवि और अलका ने एक दूसर को क्यों नही पहचाना तो दोस्तो इसका आन्सर ये है कि रवि जब छोटा था तभी उसे बोर्डिंग स्कूल में डाल दिया था रवि ने वही से पढ़ाई पूरी करके आर्मी में जॉब कर ली थी इसलिए रवि अपने गाँव बहुत सालों बाद लौटा था 

तभी सामने से रति आती हुई दिखाई डी .... वो हँसते हुए बोली ...क्या खुसुर फुसुर हो रही है... भाई बेहन मे.....
वो माँ हम आपके ही बारे मे बात कर रहे थे.....

मेरे बारे मे .....क्या बात....?

पीछे से अलका ने रवि को नोच दिया कहीं ये कुछ बक ना दे...

आज आप कितनी खुश नज़र आ रही हो...... और कितनी प्यारी लग रही हो.......

रति शरमा सी गयी अपने बेटे से अपनी तारीफ सुन कर ....और उसे लगा ....जैसे उसकी चोरी पकड़ ली हो.....
वो शरमाते हुए...धत्त्त..... चल गुड़िया किचन में चल मेरी हेल्प कर... खाना बनाने मे....

अलका का घर का नाम गुड़िया भी है....

अलका किचन मे चली गयी.... बिरजू और रवि हॉल मे टीवी देखने लगे...... और साथ-साथ बातें भी करने लगे......

तभी रति किचन मे आई... बोली भैया आज खाने मे क्या बनायें.....

बिरजू बोला.....बहुत दिनो से तेरे हाथ का नोन वेज नहीं खाया.....

रति: अरे नोन वेज तो घर मे कुछ नहीं हैं...

रवि: मैं अभी चिकन ले आ आता हूँ.....

बिरजू: तू घर मे रहा...अभी अभी तो आया है....मैं ले कर आता हूँ....

रवि: आपको क्या पता होगा यहाँ का.... 

रति: मामा के साथ मैं चली जाती हूँ..... और उसने अलका को कुछ इन्स्ट्रक्षन दिए और बाहर निकल गयी......

अब घर मे अब रवि अलका थे..... अलका किचन मे काम कर रही थी......

रवि धीरे से पीछे से गया और अलका को बाहों मे भर लिया......
 
अलका एक-दम से चोन्कते हुए... रवि मैं तो डर ही गयी....और उसने अपना किचन का काम चालू रखा.....

रवि अलका से पीछे से सॅट गया और धीरे-धीरे उसे सहलाने लगा और अपने गाल उसके गालों से सटा लिए.....

रवि: मेली प्याली गुलिया दी......

अलका :बहुत प्यार आ रहा है.....

रवि: मैं तो शुरू से अपनी जानू का दीवाना हूँ......

अलका: अच्छा ज़्यादा बातें मत बनाओ...और मुझे काम करने दो....

रवि: मैं भी तो अपना काम कर रहा हूँ....

अलका: अरे भाई कुछ उल्टा सीधा हो जाएगा...

रवि कहाँ मानने वाला था...उसने.. अलका के पेट को सहलाते हुए....अपने हाथ उसकी मद मस्त चूचिओ पर डाल दिए.....लौंडिया सिहर गयी......और अंदर से सारे शरीर मे सिरहन दौड़ गयी.....

अलका: भैया प्लीज़ ...ऐसे मत करो.....गुदगुदी होती है.....

रवि: अच्छा एक बात बता...तूने नोटीस किया....आज माँ कितनी खुश है.....

अलका: क्यों नहीं होगी.....?

रवि: क्या मतलब ?

अलका: ज़्यादा बनो मत....जैसे तुम्हे कुछ पता ही नहीं.... हैं....अलका मुस्कराते हुए...बोली.....

रवि: इसका मतलब.....लगता है कार्य क्रम (चुदाई) हो चुका है.....

अलका: लगता तो ऐसा ही है.....मैने माँ को बहुत दिन बाद इतना खुश देखा...है.....

रवि: अपना कार्य क्रम कब होगा....?

अलका मूड कर बेलन दिखाते हुए.... बहुत नॉटी हो गया.... है.... हटो नहीं तो मारूँगी.....

रवि ने उसे अपनी बाहों मे ले लिया.....और उसके गालों को चूमने लगा..... अलका की चूत फूट पड़ी....और उसमे से जल धारा निकल पड़ी जो अलका ने अपनी जाघो पर फील किया.....

अलका: भाई प्लीज़ काम करने दो...माँ मामा कभी भी आ जायेंगें....बहुत काम पड़ा है.....

रवि: वो दोनो इतनी जल्दी नहीं आएगें.... हनी मून कपल हैं.... 

अलका : अच्छा जी......

रवि: उदास मुहँ बनाता हुआ.... मेरा नंबर कब आएगा.....?

अलका: अच्छा जी अब कॉमेडी करने लगे.... भैया आपको तो कपिल शर्मा के शो मे जाना चाहिए..... आपसे बड़ा कॉमेडी किंग कोई नहीं हो सकता.....

रवि: तू भी ....एक दम हॉट बॉम्ब हैं... सन्नी लीयोन और मल्लिका शहरावत की छुट्टी हो जाएगी.....

अलका: कितने गंदे हो तुम...अपनी बेहन के बारे मे ऐसे बोल रहे हो....मैं तुमको हॉट बॉम्ब लगती हूँ.....

रवि: कसम से ग़लत नहीं बोल रहा..... बता ना......मेरा नंबर कब आएगा.....?

अलका: कभी नहीं - आएगा....... बस इंतेज़ार करो.....

रवि: एक वो भाई बेहन हैं...(बिरजू/ रति) और एक हम हैं....!

अलका: कभी उनकी जुदाई का सोचा.....कितने दिन बाद मिल रहे हैं..... उनकी जिंदगी केवल संघर्ष मे ही निकल गयी..... अब जैसे बरसों के सूखे के बाद माँ के जीवन में शीतल बारिश हो रही है.......

रवि: हां गुड़िया दीदी तू सच कह रही है.....

अलका: कुछ सोचते हुए....भैया.... हम माँ और मामा को हर तरह से खुश रखने की कोशिश करेंगें...... उन्होने सारी ज़िंदगी संघर्ष मे निकाल दी है......
 
रवि: अलका के चेहरे को चूमते हुए.... हां गुड़िया दी....हम उनका हर तरह से ख़याल रखेगें..... उनकी खुशी मे ही हमारी खुशी है......

अलका: हां भैया अब प्लीज़ मुझे काम करने दो ना......

रवि : हां जाता हूँ....बस केवल एक बार किस करने दे.... 

अलका:कितनी बार करोगे...... कर तो लिया.....इतनी बार.....

रवि: बस लास्ट बार.....

अलका: मूड कर उसकी ओर मुहँ कर के ..आखें बंद कर के....लो ले लो.....

रवि ने अपने होठ- उसके होंठो से मिला दिए.......और उसे पॅशनेट स्मूचिंग किस करने लगा.....

हाई...क्या दीवाना किस था दोनो के बीच में..... अलका सोच रही थी कि वो उसके गालों को चूमेगा..... लेकिन रवि ने उसके होठों को पकड़ लिया.....

अलका जैसे पिघलने लगी....... रवि ने अपना मुहँ खोल दिया.....और अलका की जीभ अपने जीभ से सटा के चूसने लगा.....
दोनो अब एक दूसरे से खुलते जा रहे थे....
कहते है जब लंड खड़ा होता है तो उसे सिर्फ़ चूत और गान्ड ही 
दिखाई देती है फिर वह चाहे जिसकी हो, और अगर वह चूत और 
गान्ड किसी रिस्ते की हो तो लंड ज़्यादा झटके मारता है, और रिश्ता 
जितना बड़ा या जितना करीबी औरत का होता है लंड उसके नाम पर 
सबसे जल्दी खड़ा होता है, और सबसे ज़्यादा मज़ा सबसे करीबी 
रिश्ते की औरत को चोदने मे आता है, बड़े बड़े शहरो का 
आधुनिक जीवन और खुलापन इंसान की सोच को बहुत जल्दी 
बदल कर रख देता है और वह रीलेशन के थोड़ा उपर उठ कर 
सोचने लगता है और फिर वह लाइफ के सबसे ज़्यादा मज़ा देने 
वाली चीज़ो को पाने की कोशिश मे लग जाता है और रीलेशन को 
ताक पर रख कर अपनी एक नई थियरी तैयार करता है, और अपनी 
सोच को बदलना ना चाहते हुए भी उसकी सोच मे एक बड़ा 
चेंज धीरे धीरे आने लगता है और एक दिन वह पूरी तरह 
बदल जाता है, जब वह पूरी तरह बदल जाता है तब अपने 
लक्ष्य को पाने का हर संभव प्रयास करता है और अगर उसे 
उस प्रयास मे सफलता हाथ नही लगती तो उस लक्ष्य को पाने का 
कोई ना कोई आख़िरी रास्ता ज़रूर ढूँढ निकालता है.

तभी दरवाजे पर आहट हुई.... दोनो जैसे नींद से उठे हों और एक झटके में अलग हुए....
दरवाजा खोला रति और बिरजू अंदर आ गये.....

अलका : मैने तरी और रोटी बना दी है....
रति: ठीक है बेटा...अब तू जा... फ्रेश हो आ... मैं देख लेती हूँ....
अलका :ठीक है माँ...
और वो उपर अपने रूम मैं चली जाती है....

अलका उपर अपने रूम की तरफ चली जाती है...
रवि उठ कर बालकनी की ओर जाते हुए अलका को आने का इशारा करता है अलका अपनी गर्दन ना मे हिलाती है, और बाथ रूम मे फ्रेश हो कर जब बाहर आती है और थोड़ी देर बाद अलका भी बालकनी की ओर जाकर रवि के बगल मे खड़ी हो जाती है, क्यों बुला रहा था मुझे, 

रवि-दीदी कब दोगि, 
अलका- क्या, 
रवि उसके दूध की और नज़रे करता है, 

अलका -तुनक कर कभी नही, 

रवि -दीदी कब तक अपने भाई को तडपाओगि तुम्हे मुझ पर ज़रा भी तरस नही आता है, 

अलका -तू तड़प्ता ही रहेगा, 

रवि- दीदी, इतना नखरा क्यो करती हो जबकि मैं जानता हूँ कि तुम भी मुझ से प्यार करती हो, 

अलका -ओ हो हो बेटा किसी ग़लत फ़हमी मे मत रहना, अलका तेरे हाथ नही आने वाली, 

रवि-दीदी तुम मुझे ज़बरदस्ती करने पर मजबूर कर रही हो, 

अलका -तू अपनी बहन के साथ ज़बरदस्ती करेगा, 

रवि -तुम प्यार से नही दोगि तो फिर मैं क्या करूँ, 

अलका- मतलब तू अपनी बहन का रेप करेगा, रवि मुझे तेरी सोच पर घिन आती है, तू ऐसा भी सोच सकता है मुझे मालूम नही था, 

रवि-दीदी मैं तुम्हारे लिए तड़प रहा हूँ और तुम मुझे भाषण दे रही हो, 

अलका -मैं कोई तेरी प्रेमिका तो नही हूँ कि तू मेरे लिए तड़प रहा है,

रवि- दीदी तुम्हे मेरा यकीन नही है, लेकिन तुम मेरे लिए एक प्रेमिका से भी कही ज़्यादा हो, रवि का चेहरा सीरीयस हो गया था, 
 
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