hotaks444
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"अले. मेले. लाड़ले." ऊर्मि दीदी ने बड़े लाड से कहा, "कित'ने जलदी नलाज होता है मेला राजा भैया. उसे मश्करी भी समझ आती नही." ऐसा कह'कर वो ज़ोर से हंस'ने लगी. में कुच्छ नही बोला और चेह'रा मायूस कर के उसे दिखाने लगा के में नाराज़ हो गया हूँ.
"अच्च्छा! अच्च्छा!. इत'नी भी नाराज़ होने की ऐकटिंग कर'ने की ज़रूरत नही है, सागर. मुझे मालूम है मन ही मन लड्डू फूट रहे होंगे तुम्हारे." उस'ने बड़ी मुश्कील से अप'नी हँसी रोकते हुए कहा और वो सुन'कर मुझे भी हँसी आई.
"देखा. देखा. कैसे दिल से हँसे तुम." ऐसा कह'कर ऊर्मि दीदी उठ गयी और अप'ने घुट'ने पर खड़ी होकर उस'ने मुझे उप्पर उठ'ने का इशारा किया. में झट से उठा के बैठ गया. उस'ने मेरा टी-शर्ट दोनो बाजू से पकड़ लिया और धीरे धीरे उप्पर उठाते हुए निकाल दिया. फिर उस'ने मुझे पिछे धकेल के लिटा दिया और वैसे ही अप'ने घुट'ने के बल चल के वो मेरे पैरो तले गई. फिर उस'ने मेरे -पॅंट के इलास्टीक में दोनो बाजू से अप'नी उंगलीया घुसा के उसे पकड़ लिया. उस'ने उंगलीया ऐसे घुसाई थी के शॉर्ट पॅंट के साथ उस'ने अंदर की मेरी अंडरावेअर भी पकड़ ली थी. धीरे धीरे वो उसे नीचे खींच'ने लगी.
मेरा लंड ज़्यादा कड़क नही था और नीचे की ओर पड़ा हुआ था इस'लिए पॅंट नीचे खींचते सम'य उसे मेरा लंड आड़े नही आ रहा था. मेरे लंड के उप्पर की झाँते नज़र आने लगी तो उसे हँसी आई और बड़ी मुश्कील से अप'नी हँसी दबाते हुए वो पॅंट और नीचे खींच'ती गई. जैसे जैसे मेरा लंड उसे नज़र आने लगा वैसे वैसे उसकी हँसी कम होती गई. मेरी बड़ी बहन के साम'ने मेरा लंड खुल रहा है इस ख़याल से में उत्तेजीत हो रहा था. ऊर्मि दीदी ने पॅंट मेरे घुटनो तक खींची और यकायक मेरा लंड उसकी नज़र के साम'ने खुल गया! झट से उस'ने पॅंट मेरे पैरो से खींच के निकाल दी और बाजू में डाल दी.
क्रमशः……………………………
"अच्च्छा! अच्च्छा!. इत'नी भी नाराज़ होने की ऐकटिंग कर'ने की ज़रूरत नही है, सागर. मुझे मालूम है मन ही मन लड्डू फूट रहे होंगे तुम्हारे." उस'ने बड़ी मुश्कील से अप'नी हँसी रोकते हुए कहा और वो सुन'कर मुझे भी हँसी आई.
"देखा. देखा. कैसे दिल से हँसे तुम." ऐसा कह'कर ऊर्मि दीदी उठ गयी और अप'ने घुट'ने पर खड़ी होकर उस'ने मुझे उप्पर उठ'ने का इशारा किया. में झट से उठा के बैठ गया. उस'ने मेरा टी-शर्ट दोनो बाजू से पकड़ लिया और धीरे धीरे उप्पर उठाते हुए निकाल दिया. फिर उस'ने मुझे पिछे धकेल के लिटा दिया और वैसे ही अप'ने घुट'ने के बल चल के वो मेरे पैरो तले गई. फिर उस'ने मेरे -पॅंट के इलास्टीक में दोनो बाजू से अप'नी उंगलीया घुसा के उसे पकड़ लिया. उस'ने उंगलीया ऐसे घुसाई थी के शॉर्ट पॅंट के साथ उस'ने अंदर की मेरी अंडरावेअर भी पकड़ ली थी. धीरे धीरे वो उसे नीचे खींच'ने लगी.
मेरा लंड ज़्यादा कड़क नही था और नीचे की ओर पड़ा हुआ था इस'लिए पॅंट नीचे खींचते सम'य उसे मेरा लंड आड़े नही आ रहा था. मेरे लंड के उप्पर की झाँते नज़र आने लगी तो उसे हँसी आई और बड़ी मुश्कील से अप'नी हँसी दबाते हुए वो पॅंट और नीचे खींच'ती गई. जैसे जैसे मेरा लंड उसे नज़र आने लगा वैसे वैसे उसकी हँसी कम होती गई. मेरी बड़ी बहन के साम'ने मेरा लंड खुल रहा है इस ख़याल से में उत्तेजीत हो रहा था. ऊर्मि दीदी ने पॅंट मेरे घुटनो तक खींची और यकायक मेरा लंड उसकी नज़र के साम'ने खुल गया! झट से उस'ने पॅंट मेरे पैरो से खींच के निकाल दी और बाजू में डाल दी.
क्रमशः……………………………