hotaks444
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रवि- तुम्हारी खूबसूरती और ये प्यारी नथ....
अलका- मुस्कुरा कर, क्या मेरी नथ बहुत खूबसूरत है
रवि- नही
अलका- अपनी हँसी अपने चेहरे से गायब करती हुई, क्यो
रवि- तुम बहुत खूबसूरत हो कि नही यह मैं नही जानता लेकिन मुझे तुम दुनिया मे सबसे ज़्यादा खूबसूरत लगती हो,
अलका- अपने चेहरे पर फिर से मुस्कुराहट लाती हुई, रवि तुझे लड़किया पटाने के अच्छे आइडिया आते है,
रवि- फिर भी लड़किया पटती कहाँ है
अलका- उसमे भी तेरी ही ग़लती है
रवि- वो कैसे
अलका- हो सकता है कोई लड़की तुझे दिलो जान से चाहती हो और शरमाती हो, पर तू आगे बढ़ता ही नही होगा तो वह तुझसे कैसे पटेगी,
रवि- अलका को घूर कर देखते हुए, हाँ तुमने यह तो सही कहा है कि मैं ज़्यादा आगे नही बढ़ पता हूँ इसलिए लड़किया
ज़्यादा नखरा दिखाने लगती है और मुझसे नही फँसती है, लेकिन फिर मैं भी ज़्यादा भाव खाने वाली लड़कियो को ज़्यादा दिन तक वेट नही करता, और वैसे भी दीदी तुमने एक कहावत तो सुनी ही होगी
अलका- कौन सी कहावत
रवि- यही कि लड़कियो और बसों के पीछे ज़्यादा नही भागना चाहिए क्यो की एक जाती है तो दूसरी आ जाती है,
अलका- रवि तेरी थिंकिंग बहुत खराब है ऐसे तो तू मेरी जिंदगी बर्बाद कर देगा
रवि- दीदी मैं तुम्हारी बात थोड़े ही कर रहा हूँ
अलका- उसकी बात सुन कर एक दम झेप जाती है और उसे अपनी ग़लती का एहसास होता है, मेरा मतलब है कि तेरी इस तरह की सोच तो किसी भी लड़की की जिंदगी बर्बाद कर सकती है ना,
रवि- अलका की आँखो मे देखता हुआ, दीदी मैं जिस लड़की को चाहता हूँ, उसकी जिंदगी बर्बाद नही आबाद करना चाहता हूँ
बस वह लड़की एक बार हिम्मत करके मेरा साथ देने को तैयार हो जाए,
अलका- अपनी नज़रे रवि से हटाकर उपर की ओर देखती हुई मुस्कुरा कर, कौन है वो लड़की,
रवि- अलका को घूर कर देखते हुए, क्यो तुम नही जानती उसे
अलका- रवि से अपनी नज़रे इधर उधर करके, मुझे क्या पता तु कहाँ-कहाँ अपनी चाहत का इज़हार करता फिरता है,
रवि- दीदी तुमसे बेहतर मुझे कौन जान सकता है, और मुझसे बेहतर तुम्हे कौन जान सकता है, और मुझे तो लगता है
कि हम दोनो एक ही रह पार चलने वाले मुसाफिर है तभी तो हमारी सोच भी इतनी मिलती है,
तभी उनकी कॉफी आ जाती है और दोनो कॉफी पीते हुए एक दूसरे को देख कर मुस्कुराने लगते है, कॉफी पीने के बाद
रवि- दीदी
अलका- हूँ
रवि- दीदी किसी सुनसान जगह पर चले जहाँ मैं और तुम हो और कोई ना दिखाई दे, यहाँ भीड़-भाड़ मई मज़ा नही आता है
हँ शांति से बात भी नही कर पाते है,
अलका- पर रवि ऐसी सुनसान जगह पर मुझे डर लगता है,
रवि- दीदी मैं हू ना तुम्हारे साथ फिर डरने की क्या बात है
अलका- रवि मुझे ऐसी सुनसान जगहों से नही तुझसे ही डर लगता है ना जाने वहाँ ले जाकर मेरे साथ क्या करेगा
रवि- तुम्हे क्या लगता है मैं तुम्हारे साथ क्या करना चाहता हू
अलका- मुस्कुरा कर मैं सब जानती हूँ तेरी नीयत को,
रवि- क्या जानती हो
अलका- यही कि तू मुझे..
रवि- हा..हा बोलो..बोलो
अलका- मुझे नही मालूम
रवि- अच्छा मत बताओ और जल्दी बोलो कहाँ चलना है,
अलका- रवि एक कम करते है हमारी सबसे अच्छी जगह कॉलेज का पार्क ही है चल वही चल कर बैठेंगे
अलका- मुस्कुरा कर, क्या मेरी नथ बहुत खूबसूरत है
रवि- नही
अलका- अपनी हँसी अपने चेहरे से गायब करती हुई, क्यो
रवि- तुम बहुत खूबसूरत हो कि नही यह मैं नही जानता लेकिन मुझे तुम दुनिया मे सबसे ज़्यादा खूबसूरत लगती हो,
अलका- अपने चेहरे पर फिर से मुस्कुराहट लाती हुई, रवि तुझे लड़किया पटाने के अच्छे आइडिया आते है,
रवि- फिर भी लड़किया पटती कहाँ है
अलका- उसमे भी तेरी ही ग़लती है
रवि- वो कैसे
अलका- हो सकता है कोई लड़की तुझे दिलो जान से चाहती हो और शरमाती हो, पर तू आगे बढ़ता ही नही होगा तो वह तुझसे कैसे पटेगी,
रवि- अलका को घूर कर देखते हुए, हाँ तुमने यह तो सही कहा है कि मैं ज़्यादा आगे नही बढ़ पता हूँ इसलिए लड़किया
ज़्यादा नखरा दिखाने लगती है और मुझसे नही फँसती है, लेकिन फिर मैं भी ज़्यादा भाव खाने वाली लड़कियो को ज़्यादा दिन तक वेट नही करता, और वैसे भी दीदी तुमने एक कहावत तो सुनी ही होगी
अलका- कौन सी कहावत
रवि- यही कि लड़कियो और बसों के पीछे ज़्यादा नही भागना चाहिए क्यो की एक जाती है तो दूसरी आ जाती है,
अलका- रवि तेरी थिंकिंग बहुत खराब है ऐसे तो तू मेरी जिंदगी बर्बाद कर देगा
रवि- दीदी मैं तुम्हारी बात थोड़े ही कर रहा हूँ
अलका- उसकी बात सुन कर एक दम झेप जाती है और उसे अपनी ग़लती का एहसास होता है, मेरा मतलब है कि तेरी इस तरह की सोच तो किसी भी लड़की की जिंदगी बर्बाद कर सकती है ना,
रवि- अलका की आँखो मे देखता हुआ, दीदी मैं जिस लड़की को चाहता हूँ, उसकी जिंदगी बर्बाद नही आबाद करना चाहता हूँ
बस वह लड़की एक बार हिम्मत करके मेरा साथ देने को तैयार हो जाए,
अलका- अपनी नज़रे रवि से हटाकर उपर की ओर देखती हुई मुस्कुरा कर, कौन है वो लड़की,
रवि- अलका को घूर कर देखते हुए, क्यो तुम नही जानती उसे
अलका- रवि से अपनी नज़रे इधर उधर करके, मुझे क्या पता तु कहाँ-कहाँ अपनी चाहत का इज़हार करता फिरता है,
रवि- दीदी तुमसे बेहतर मुझे कौन जान सकता है, और मुझसे बेहतर तुम्हे कौन जान सकता है, और मुझे तो लगता है
कि हम दोनो एक ही रह पार चलने वाले मुसाफिर है तभी तो हमारी सोच भी इतनी मिलती है,
तभी उनकी कॉफी आ जाती है और दोनो कॉफी पीते हुए एक दूसरे को देख कर मुस्कुराने लगते है, कॉफी पीने के बाद
रवि- दीदी
अलका- हूँ
रवि- दीदी किसी सुनसान जगह पर चले जहाँ मैं और तुम हो और कोई ना दिखाई दे, यहाँ भीड़-भाड़ मई मज़ा नही आता है
हँ शांति से बात भी नही कर पाते है,
अलका- पर रवि ऐसी सुनसान जगह पर मुझे डर लगता है,
रवि- दीदी मैं हू ना तुम्हारे साथ फिर डरने की क्या बात है
अलका- रवि मुझे ऐसी सुनसान जगहों से नही तुझसे ही डर लगता है ना जाने वहाँ ले जाकर मेरे साथ क्या करेगा
रवि- तुम्हे क्या लगता है मैं तुम्हारे साथ क्या करना चाहता हू
अलका- मुस्कुरा कर मैं सब जानती हूँ तेरी नीयत को,
रवि- क्या जानती हो
अलका- यही कि तू मुझे..
रवि- हा..हा बोलो..बोलो
अलका- मुझे नही मालूम
रवि- अच्छा मत बताओ और जल्दी बोलो कहाँ चलना है,
अलका- रवि एक कम करते है हमारी सबसे अच्छी जगह कॉलेज का पार्क ही है चल वही चल कर बैठेंगे