bahan sex kahani ऋतू दीदी - Page 5 - SexBaba
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bahan sex kahani ऋतू दीदी

निरु के मुँह से एक बार फिर रह रह कर आह आह निकलने लगी। मेरा लण्ड की नलि में जमा पानी अब शांत हो चुका था पर निरु की सिसकियों से मेरा लण्ड अभी भी कड़क था। मुझे निरु पर गुस्सा भी आ रहा था। वो मेरी उंगलियो से चुद कर सिसकिया भर मजे ले रही थी। मैने अपनी उंगलिया उसके दोनों छेद से बाहर निकली और निरु की गर्दन एक बार फिर झुक गयी और आहें बंद हुयी। मैंने फिर पोजीशन लेकर अपना लण्ड उसके दोनों छेद पर रगडा।

नीरु मुँह बंद किये हम्म्म हम्म्म कर रही थी। मैंने अपना लण्ड एक बार फिर निरु के चूत में उतार कर धक्के मारना शुरू किया और निरु फिर सर उठाये सिसकिया भरने लगी "जीजा जी...ओह नो" कहना शुरू कर दिया।थोड़ी देर चोदने के बाद ही मुझे लगा की निरु अब झड़ने वाली है। उसकी सिसकिया अब बहुत घरी और लगातार आ रही थी। बीच बीच में वो

"जीजाजी.. ओह...नो"

जरूर बोल रही थी।

नीरु का शरीर अब एकदम कड़ा हो चुका था। निरु के मुँह से जानी पहचानी

"हूउउउन... हुउउउउन... ऊऊह्ह्ह ह्हुउउ उउउ... ीीेहठ"

की आवाज आ रही थी। इसी तरह आवाजें निकालते हुए निरु अब झड़ चुकी थी और थोड़ा शांत हो गयी थी। नीरु को झड़ता देख मेरे लण्ड का पानी बाहर निकलने को उफ़नने लगा था। मन में इतना गुस्सा भर गया की निरु मुझे अपने जीजाजी समझ मुझसे पूरा मजा लेकर झड़ चुकी थी। एक तरह से वो मन से अपने जीजाजी से चुदवा चुकी थी। मै झड़ने के करीब था और निरु की चूत में नहीं झड़ सकता था।

मैंने गुस्से में वो किया जो आज तक नहीं किया था। मैंने हमेशा सुना था की गांड मार भी सकते हैं और इच्छा भी थी। शादी के इन एक साल में मैंने दो-तीन बार निरु को बोला था की हम गांड मारते हैं पर निरु ने मना कर दिया की दर्द होता है। मेरे सामने निरु की गांड का छेद था और अब झड़ने के लिए उसकी गांड से बेहतर जगह नहीं हो सकती थी। मैने अपना लण्ड निरु की चूत से निकाला और उसकी गांड के छेद को खोल उसमे डाल दिया।

निरु के मुँह से चिल्लाते हुए

"ओह्ह्ह्ह जिजाजीई" निकला।

मैने निरु की गांड में हलके हलके धक्के मारने शुरू किया और हर धक्के के साथ लण्ड गांड में जाते ही निरु

"ओह्ह्ह्ह जीजा" कहति

मुझे गांड मारने से निरु ने हमेशा मना किया पर आज वो मुझे जीजा समझ गांड भी मारने दे रही थी। मेरा गुस्सा अब सातवे आसमान पर था। मैंने एक जोर का झटका निरु की गांड में मारा और निरु की चख निकली

"आईईए"

मैं दूसरा झटका मारने के लिए लण्ड पीछे खीचा और उसके पहले ही निरु उच्छल कर आगे खिसक गयी और मेरा लण्ड निरु की गांड के बाहर आ गया। पीछे मुडते हुए निरु के मुँह से निकला

"जीजाजी नहीं, दर्द हो..."

और मुझे देखते ही उसने अपना एक हाथ अपने मुँह पर रख लिया। उसने अपना मुँह फिर आगे किया और चेहरा तकिये में घुसा कर सुबकना शुरू कर दिया।

मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था की यह रोना धोना किस कारण से था। जीजाजी से चुदने की शर्म की वजह से था या फिर राहत थी की उसने जीजाजी से नहीं चुदवाया बल्कि मुझसे चुदवाया था। मै घुटनों के बल चलते हुए उसके साइड में आया। उसकी पीठ पर हाथ फेरते हुए उसको दिलासा दिया। मुझे आखिर अच्छा लगा की देर से ही सही पर निरु ने चुदाई को रोकने को कहा था। मगर काफी देर भी कर दी थी।
 
प्रशांत: "निरु, रोना बंद करो। कुछ नहीं हुआ है, मैं ही हूँ"

नीरु ने तकिये से मुँह निकला और मेरी तरफ देखा। उसकी आँखें आँसुओ से भरी थी। उसका रोता हुआ चेहरा देख मुझे अच्छा नहीं लगा। झूठा ही सही, मैंने उसका दिल तोड़ दिया था। नीरु अब घुटनों के बल खड़ी हो गयी। फिर मेरी तरफ पलती और मेरे सीने से लग फिर सुबकने लगी। मैंने उसकी पीठ पर हाथ फेरते हुए उसको शांत किया। थोड़ी देर बाद वो पीछे हति और सुबकते हुए बात करने लगी।

नीरु: "ऐसा क्यों किया तुमने? पता हैं मेरे दिल की धड़कन कितनी तेज हो गयी थी, मुझे हार्ट अटैक आ जाता तो? क्यों किया तुमने ऐसा?"

हलाँकि मैं भी निरु का करैक्टर टेस्ट ले रहा था पर सच सुनकर उसको बुरा लगता। इसलिए मैंने झूठ बोल दिया।

प्रशांत: "मैं बस चेक कर रहा था की तुम प्लान को ढंग से फॉलो करोगी या नहीं। तुम कुछ गड़बड़ कर दोगी तो प्लान फेल हो जाएगा। तुमने मना बोलने में बहुत देर कर दी"

नीरु: "मैं इन्तेजार कर रही थी की तुम अन्दर कब आओगे। मैं रोकना चाह रही थी पर जीजाजी को फेस करने की हिम्मत नहीं हो रही थी। जब तुम इतनी देर नहीं आये तो फिर मुझको ही रोकना पड़ा"

प्रशांत: "अब रोना बंद करो, कुछ भी नहीं हुआ है। तुम अब असली टेस्ट के लिए रेडी हो? मैं अब सच में जीजाजी को बुलाने वाला हूँ"

नीरु: "मुझसे नहीं होगा प्रशांत अब यह सब। मुझे नहीं करना"

प्रशांत: "अरे तुमने बहुत अच्छा किया है। सोचो अगर जीजाजी ने आकर कुछ नहीं किया तो! सब ठीक हो जायेगा न"

नीरु: "अभी जो हुआ उसके बाद मुझे डर लग रहा है। अगर सच में जीजाजी ने मुझे चोद दिया तो?"

प्रशांत: "तो फिर मैं अन्दर आ जाऊँगा"

नीरु: "तुम टाइम पर नहीं आये और तब तक जीजाजी ने मुझे चोदना शुरू कर दिया तो? मुझे यह रिस्क नहीं लेना। मैं यह सब बुरी फीलिंग फिर से नहीं लेना चाहती"

प्रशांत: "अभी तो मैं अन्दर ही था तो कैसे आता? मैं एकदम टाइम पर आ जाऊंगा। मैंने तुम्हारे और मेरे फ़ोन में एक एप्प डाउनलोड की है। एक फ़ोन यहाँ रखकर वीडियो बनाएगा और दूसरा बाहर मेरे पास रहेगा। जैसे ही जीजाजी कुछ गड़बड़ करेंगे, मैं अन्दर आ जाउँगा"

नीरु: "मुझे इस पर भरोसा नहीं है। तुम यहीं कमरे में रहो"

प्रशांत: "मैं यहाँ रहूँगा तो जीजाजी कुछ करेंगे ही नहीं। उनका टेस्ट कैसे होगा?"

नीरु: "तुम यहीं कहीं छूप जाओ। बेड के नीचे या अलमारी में"

प्रशांत: "उनको क्या लगेगा की हमने उनको जान बूझकर ट्रैप किया है। मुझे बाहर ही रहना होगा। जीजाजी जैसे ही तुम्हारे साथ कुछ करने लगेगे, तुम चिल्ला कर मुझे बुला लेना"

नीरु: "नहीं, जीजाजी ने कुछ किया तो मैं उन्हें मना नहीं बोल पाउँगी। अभी भी मैं मना नहीं बोल पायी थी"

प्रशांत: "हो जायेगा निरु"

नीरु: "ऋतू दीदी का क्या होगा? उनका तो जीजाजी से भरोसा उठ जाएगा। मुझे किसी को इस हालात में नहीं डालना है। जीजाजी पकडे गए तो हंगामा होगा और हम चारो के रिश्ते के लिए ठीक नहीं हैं"

प्रशांत: "तो फिर तुम्हे जीजाजी की सच्चाई कभी पता नहीं चलेगी"

नीरु: "मुझे फ़र्क़ नहीं पडता, मुझे नहीं जानना की उनकी सच्चाई क्या हैं"

प्रशांत: "मगर मुझे जानना है। मैं अब और उस आदमी को तुम्हे गलत नीयत से छूने नहीं दे सकता"

नीरु: "जीजाजी को आने दो, उन्हें मेरे साथ जो करना हैं उन्हें करने दो। मैं कुछ नहीं कहूँगी और तुम भी कुछ नहीं कहोगे। मुझे देखना हैं की मुझे चोदने के बाद उनके मन में कोई रिगरेट होता हैं की नहीं। उनके मन में ज़िन्दगी भर जो शर्मिन्दगी रहेगि, वोहि उनके लिए सबसे बड़ी सजा होगी"

प्रशांत: "यह क्या बोल रही हो? मैं उनको तुम्हे चोदते हुए सिर्फ देखते ही रहु?"

नीरु: "हॉ। हम दोनों तो इस सदमे को भूल कर आगे बढ़ भी जायेंगे पर ऋतू दीदी का क्या होगा? उनको तो जीजाजी के साथ ही रहना होगा। वो तो माँ भी नहीं बन सकती, उनका तो सिर्फ जीजाजी ही आसरा है। उनका तो घर टूट जाएग। कैसे भी हो, जीजाजी उनके पति हैं"

प्रशांत: "मैं इसके लिए रेडी नहीं हूँ। मैं तुम्हे जीजाजी के साथ चुदते हुए नहीं देख सकता। कैसी बात कर रही हो? कोई पति अपनी बीवी को किसी के साथ चुदते हुए चुपचाप देखते रहे बस?"
 
नीरु: "तुम भी अज़ीब हो। मुझे दो बार नँगा जीजा जी के सामने लगभग छोड़ कर चले गए थे। भूल गए?"

प्रशांत: "नंगा रख कर जाने में और चोदने में फ़र्क़ हैं"

नीरु: "तो फिर यह एक्सपेरिमेंट ही मत करो। जो चल रहा हैं उसको चलने दो"

प्रशांत: "मैं चाहता हूँ की जीजाजी गलत हैं तो ज़िन्दगी भर तुमसे दूर ही रहो"

नीरु: "तो ठीक हैं, सिर्फ तुम्हारे लिए मैं एक बार फिर करने को रेडी हूँ। तुम अन्दर आ जाना पर चिल्ला कर ऋतू दीदी को मत पता लगने देना की जीजाजी ने क्या हरकत की है। हम जीजाजी को समझा देंगे। मुझे ऋतू दीदी का घर नहीं तोडना है। मैं ज़िन्दगी भर जीजाजी से फिर दूर ही रहूँगी और बात भी नहीं करूंगी"

प्रशांत: "ठीक हैं"

नीरु: "मगर अभी नहीं, सुबह करेंगे। अभी मेरी सारी एनर्जी ख़त्म हो चुकी हैं"

मै और निरु अब सो गए और मैं थोड़ी देर सो नहीं पाया क्यों की मैं अभी भी निरु को समझ नहीं पाया था। हालाँकि उसकी चुदाई मैंने ही की थी पर उसने मन में तो जीजाजी से ही चुदवाया था। अगली सुबह हम दोनों जल्दी उठ गए थे। उस दिन हम दोनों को ऑफिस भी जाना था पर उसके पहले जीजाजी का टेस्ट लेना था। जीजाजी भी उठ चुके थे क्यों की उनको भी अपने घर के लिए निकलना था।

नीरु: "तुम फिर सोच लो प्रशांत। तुम्हे यह एक्सपेरिमेंट करना है। बहुत बड़ी गड़बड़ भी हो सकती है। तुमने पहले भी जो प्लान किये थे वो बिगड गए थे। कुछ बुरे सच बाहर ना ही आये तो अच्छा हैं।"

प्रशांत: "तुम क्या चाहती हो? एक बुरे इंसान का सच हमें पता न चले?"

नीरु: "पता चले पर कोई बतंगड ना बने, कोई बवाल खड़ा न हो बस"

प्रशांत: "तो फिर क्या करे की सच भी पता लगे और बवाल भी न हो"

नीरु: "तुम अभी वाक के लिए बाहर चले जाओ। मैं यहाँ पर कल की तरह पोजीशन ले लुंगी। जीजाजी को अन्दर आने दो। देखति हूँ की वो क्या करते है। मुझे गुस्सा आया तो मैं उनको अच्छे से हैंडल कर लुंगी। तुम अनजान बने रहना की उन्होंने क्या किया हैं और दीदी को भी नहीं बतायेंगे। यह बात मेरे और जीजाजी के बीच ही रहेगी। तुम्हे यह सब पता हैं, इस बात का जीजाजी को पता नहीं चलेगा"

प्रशांत: "कल रात तो तुम रोक नहीं पायी, अभी कैसे रोकोगी?"

नीरु: "अब मैं तैयार हूँ, मैं कर लुंगी। तुम रूम में मत आना। मेरे साथ गलत होगा तो मैं ही सम्भालूंगी"

प्रशांत: "मैं तुम्हरे फ़ोन पर वीडियो चालू करके जा रहा हूँ, मैं बाहर से अपने फ़ोन पर देखते रहुंगा। जरुरत हुयी तो मैं अन्दर आ जाऊँगा"

नीरु: "ठीक हैं, तुम वीडियो पर देख लेना। पर जीजाजी को हैंडल मैं ही करुँगी। मैं कमजोर नहीं हूँ"

और प्लान के मुताबिक मैंने निरु को कल की तरह अन्दर के कपड़ो में डॉगी स्टाइल में बेड पर बैठा दिया। निरु का फ़ोन मैंने अपने बेड के हेड रेस्ट पर खड़ा कर दिया था ताकी वीडियो शूटिंग होती रहे। जीजजी और दीदी घर जाने के लिए रेडी हो रहे थे। मैं उनको बोलकर बाहर चला गया की जीजाजी को निरु ने बुलाया हैं और मैं आधे घन्टे के लिए वाक करने जा रहा हूँ।

बाहर गार्डन में आकर मैंने अपने फ़ोन पर एप्प चालु कर वीडियो देखना शुरू किया। निरु बिस्तर पर डॉगी स्टाइल में बैठि थी। आज के दिन जीजाजी की सच्चाई बाहर आने वाली थी। मै इन्तेजार कर रहा था की कब जीजाजी रूम में आए। निरु भी परेशानी की मुद्रा में थी की अब क्या होने वाला था। तभी एक धडाम की आवाज आयी। उस आवाज से निरु पूरा हील गयी और फिर एक और हलकी धडाम की आवाज आई और मेरे फ़ोन की स्क्रीन पर अँधेरा छा गया। आवाज आनी भी बंद हो गायी। मैं अपने फ़ोन को थप्पड़ मारने लगा जैसे खराबी मेरे फ़ोन में ही हो।
 
मैने २-३ मिनट इन्तेजार किया की वो वीडियो फिर चालू होगा पर वो नहीं हुआ। मेरी दिल की धड़कने बढ़ने लगी। कही निरु मुसीबत में तो नहीं है। हालाँकि वीडियो में अब तक जीजाजी आते दीखे नहीं थे। मैने डरते डरते निरु को फ़ोन लगया, हालाँकि यह गलत टाइम हो सकता था। मगर निरु का फ़ोन लग ही नहीं रहा था। मुझे और टेंशन होने लगी।

मैने फिर अपने घर की तरफ बढ़ चला। मुझे नहीं पता रूम में जीजाजी आये होंगे या नहीं, उन्होंने कुछ किया भी होगा या नहीं। लिफ़्ट भी उस दिन कुछ ज्यादा ही देरी से आयी। ५ मिनट बाद मैं अपने घर के दरवाजे के बाहर था।

चाबि तो मैं लेकर ही गया था तो मैंने डरते हुए दरवाजा खोला। दरवाजे के पास ही जीजाजी-दीदी के बैग पैक पड़े थे। उनमे से एक बैग नीचे गिरा पड़ा था। पास में सोफ़े पर ऋतू दीदी डरे हुए बैठे थे। मैंने एकदम नार्मल रहने की एक्टिंग की। मैने वो बैग सीधा किया और ऋतू दीदी को पूछा की जीजाजी कहा है?

ऋतू दीदी की आँखों में आंसू आ गए। मैं उनके पास पहुंच। मुझे डर था की कहीं जीजाजी ने निरु को चोदना चालू तो नहीं कर दिया और ऋतू दीदी ने देख लिया हो। मैने ऋतू दीदी से रोने का कारण पूछा और जीजाजी कहाँ हैं यह भी पुछा। ऋतू दीदी ने जो कहा उस से मेरे होश जरूर उड़ गए। ऋतू दीदी ने जीजाजी को यह बता दिया था की उस दिन मेरे और ऋतू दीदी के बीच चुदाई हुयी थी। मैने अपना माथा पीट लिया। इस तरह के सीक्रेट कौन सी औरत अपने पति को बताती हैं?

फिर उन्होंने सुबकते हुए बताया की जीजाजी मेरे बेडरूम में निरु से बात करने गए हैं। मेरे तो हाथ पैर कॉंम्प उठे। एक तरफ यह डर था की जीजाजी अब मेरी पोल निरु के सामने खोल डेंग। निरु तो मुझे तलाक देकर अलग हो जाएगी। इतनी खूबसूरत बीवी मुझे मिली हैं, इतनी ख़ुशी से रह रहे थे तो एक गलती अब भारी पड़ने वाली थी। दूसरी तरफ यह डर भी था की निरु के फ़ोन को क्या हुआ होगा और वो आवाज़े क्या थी।

जीजाजी और निरु कहीं मेरी और ऋतू दीदी की चुदाई का बदला लेने के लिए आपस में ही चुदाई न कर ले। कहाँ तो मैं जीजाजी के करैक्टर पर शक़ कर के निरु को बहला रहा था और अब मेरा ही करैक्टर खुल कर निरु के सामने आने वाला था। मै घर पर भाग्ता हुआ आया था की मैं जीजाजी को निरु के साथ गलत हरकत करते हुए पकडूँगा पर अब तो मेरी ही हरकत पकड़ी गयी थी और मेरी हिम्मत नहीं थी की उस वक़्त मैं अपना बेडरूम खोल कर उन दोनों का सामना भी कर पाऊं।

मै वही नजरे झुकाये बैठा रहा। हाथ पैर अभी भी कॉंम्प रहे थे और मन में अलग अलग तरह के बुरे विचार आ रहे थे। ऋतू दीदी के सुबकने से मेरे बेडरूम से आती आवाजें भी सुनाई नहीं दे रही थी। मेरे मन में कल रात की निरु की आवाजें गूँज रही थी

"जीजाजी ओह न... जीजाजी धीरे... जीजाजी दर्द हो रहा है... वगैरह"

ईसी तरह चिन्ता में ५ मिनिट्स, फिर १० मिनिट्स हो चुके थे। ना तो बेडरूम का दरवाजा खुला और ना ही अन्दर से कोई आवाज आई और न ही मेरी कुछ करने की हिम्मत थी। मै खुद सोचने लगा की जब अन्दर से निरु और जीजाजी बाहर आयेंगे और मुझसे सवाल पुछेंगे तो मैं क्या जवाब दूंगा? क्या मैं सारा ईल्जाम ऋतू दीदी पर डाल दू? मगर मैं भी तो भागीदार था।

मै ऋतू दीदी से ही पुछ लीया की क्या जीजाजी गुस्से में थे। ऋतू दीदी ने एक बार फिर रोता मुँह बना कर अपने आंसू पोछे और सुबकने लगी। मेरी तो उनके कंधे पर हाथ रख दिलासा देने की भी हिम्मत नहीं हुयी। मैं अब अपने जवाब तैयार करने लगा की मैं क्या बोलुंगा। या फिर मैं खुद ही जीजाजी पर चढ़ जाऊँगा की वो भी तो निरु का नाम लेकर ऋतू दीदी को चोद रहे थे।

तभी बेडरूम का दरवाजा खुला और जीजाजी बाहर आए। मैं अपनी जगह खड़ा हो गया की अब कुछ सुनने को मिलेंगा। जीजा जी ने बोला "ऋतू चलो" और ऋतू दीदी उठ कर बैग्स के पास आए। वो दोनों दरवाजे के बाहर चले गए और मैंने दरवाजे तक जाकर देखा वो लिफ्ट में थे। मैंने दरवाजा बंद किया और अब मुझे निरु का सामना करना था।
 
मै डरते हुए बेडरूम के अन्दर पहुंचा। निरु अलमारी के सामने खड़ी थी और सिर्फ पैंटी पहने थी। उसके हाथ में ब्रा थी। यह ब्रा और पैंटी कल रात वाला नहीं थी। मेरा दिल धक् से रह गया, क्या सच में मेरे और ऋतू दीदी के बारे में सुनकर निरु का दिल टूट गया होगा और उसने जीजाजी से चुदवा लिया होगा? मेरे अन्दर आते ही निरु ने मेरी तरफ देखा और अपने आँख को पोंछी। क्या वो रो रही थी? अपनी आँखें पोछते ही वो मेरी तरफ देख मुस्कुरायी तो मुझे बहुत राहत मिली की वो मुझसे नाराज नहीं थी। मै उसकी तरफ बढा और उसके नजदीक पहुंचा तब तक उसने ब्रा पहन लिया था। मैंने अब थोड़ा डरते हुए निरु से बात की।

प्रशांत: "निरु तुम ठीक हो!"

नीरु: "नहीं, जीजाजी और दीदी जा रहे हैं तो थोड़ा इमोशनल हो गयी।"

प्रशांत: "जीजाजी ने कुछ कहा तुमसे। और वो फ़ोन पर वीडियो बंद हो गया। जीजा ने कुछ किया..."

नीरु: "बाहर जोर से कुछ गिरने की आवाज आई और डर के मारे हिलने से वो मेरा फ़ोन बेड से नीचे गिर गया और बंद हो गया। मैं बहुत डर गयी और अपना गाउन पहन लिया। सोर्री, मैं वो एक्सपेरिमेंट नहीं कर पायी, मुझे बहुत डर लग रहा था"

प्रशांत: "तुम रो क्यों रही थी, जीजा जी कुछ बोल रहे थे?"

नीरु: "जीजाजी बहुत इमोशनल लग रहे थे तो मैं भी उनको देख इमोशनल हो गयी। इतना इमोशनल तो वो मेरी शादी के टाइम पर विदाई में हुए थे। फिर कुछ अज़ीब सी बातें कर रहे थे, की मैं खुश हु या नहीं, हमारी शादीशुदा लाइफ अच्छे से चल रही या नहीं पुछ रहे थे। तुम्हारा ध्यान रखने को कह रहे थे। और बहुत सी बातें की।"

नीरु इस बीच तैयार भी होती जा रही थी। मैं समझ नहीं पा रहा था की जीजाजी ने सच में मेरे और ऋतू दीदी के रीलेशन के बारे में निरु को नहीं बताया था।

प्रशांत: "तुम उनको बाई बाई बोलने बाहर क्यों नहीं आयी?"

नीरु: "वो चले गए? मुझे ऋतू दीदी को बाई भी बोलना था। मैंने सोचा पहले मैं ऑफिस के लिए तैयार हो जाती हूँ। मेरा फ़ोन तो ख़राब हैं, तुम अपना फ़ोन दो मैं अभी फ़ोन करती हूँ दीदी को"

(अगर मेरे फ़ोन से ऋतू दीदी को फ़ोन जाएगा और जीजाजी को पता चलेगा तो और बवाल होगा तो मुझे निरु को रोकना पडा।)

प्रशांत: "अब तक तो वो निकल गए होंगे। तुम बाद में ऑफिस से फ़ोन कर लेना ऋतू दीदी को"

मैने नोट किया की निरु के कल रात के ब्रा और पैंटी वहीं बिस्तर के पास पड़े थे। मैंने वो पैंटी उठा ली और ऊँगली से छु कर चेक किया तो वो थोड़ी गीली थी। मेरे शक़ की सुई फिर घूमने लगी। निरु की चूत गीली हैं मतलब पक्का उसने जीजाजी से चुदवाया होगा।

प्रशांत: "यह तुम्हारी पैंटी गीली कैसे!"

नीरु ने मेरे हाथ से पैंटी खींच ली और अपना नीचे पड़ा ब्रा भी उठा लिया और बाथरूम में ले जाते हुए मुझे जवाब दिया।

नीरु: "बेशरम कही के, तुम्हे बड़ा चेक करने हैं मेरे अन्दर के कपडे। अभी थोड़ी देर पहले ही बाथरूम करके आई थी , थोड़ा लग गया होगा। तुम मुझ पर शक़ कर रहे हो?"

प्रशांत: "नहीं, कोई कुछ भी कहे, हम एक दूसरे पर भरोसा बनाये रखेंगे"
 
जीजाजी ने निरु को मेरा सच नहीं बताया था और मुझे भी जीजाजी और निरु का सच नहीं पता चला था।

मगर मैं अब भविष्य में जीजाजी का सामना करने की हालत में नहीं था। कुछ वीक्स बाद पता चला की निरु प्रेग्नेंट हो गयी थी। मेरे तो होश ही उड़ गए और सारा शक़ जीजाजी पर था। मैंने निरु को एबॉर्शन के लिए बोला तो उसने मन बोल दिया और उलटा मुझ पर ही गुस्सा करने लगी की मैंने जो उसको दो बार बिना प्रोटेक्शन के चोदा था उसी गलती की वजह से वो प्रेग्नेंट हुयी है। उसने मेरे और अपने घर वालों को भी बता दिया और मुझे डाट पड़ी की मैंने एबॉर्शन के लिए क्यों बोला? मैंने हमारे करियर की ही बात की पर सच तो यह था की मुझे वो बच्चा जीजाजी का लग रहा था।

फिर मुझे इस तरह निराश देखकर निरु ने एक दिन मुझे बोला की हम यह बच्चा जीजाजी और ऋतू दीदी को दे देंगे, उनको वैसे ही बच्चा नहीं हो रहा हैं तो वो गोद ले लेंगे। मेरा शक़ अब और भी गहरा हो गया था। मुझे समझ नहीं आया की मैं खुश हो जाऊ की बच्चा अपने असली बाप के पास जाएगा और मुझे किसी और का पाप अपने ऊपर नहीं लेना पडेगा। या फिर मुझे दुखी होना चाहिए की इसका मतलब यह सब प्लांड था और जीजाजी ने जानबूझकर निरु को चोदकर अपने खुद का बच्चा पैदा किया था।

नीरु के घर वालें, जीजाजी और ऋतू दीदी बहुत खुश हुए पर मेरे घर वालों ने ऑब्जेक्शन कर दिया की पहला बच्चा तो हम ही रखेंगे। मगर मैं यह कैसे होने देता, मैं बीच में कूद पड़ा और ऐलान कर दिया की यह पहला बच्चा तो जीजाजी और ऋतू दीदी ही गोद लेंगे।घूमने जाने से पहले जीजाजी ने बोला था की निरु उनके बच्चे की ही माँ बनेगी । उस वक़्त मुझे वो मजाक लगा पर जीजाजी ने शायद वो सच करके दिखा दिया था। फाइनली सब सेट हो गया। निरु बहुत खुश थी। उसको तो पता ही था की यह बच्चा उसने वैसे ही जीजाजी से पैदा किया था उन्ही के लिये। निरु खुश होकर मुझे थैंक यू बोलने आई

नीरु: "मुझे बहुत अच्छा लगा की तुम यह बच्चा ऋतू दीदी को देने के लिए मान गए। इस चक्कर में हमने कितने दिनों से सेक्स नहीं किया है। मैं तुमसे बहुत खुश हूँ, चलो मेरे साथ जो करना हैं कर लो। कुछ टाइम बाद प्रेगनेंसी में मैं तुम्हे चोदने नहीं दूंगी।"

प्रशांत: "कोई बात नाहि, मैं आज तुम्हे जम कर चोदूंगा की आने वाले टाइम का भी चोद दूंगा"

नीरु: "अब तो मैं वैसे ही प्रेग्नेंट हूँ तो तुम मुझे पहली बार बिना प्रोटेक्शन के पूरा चोद सकते हो। तो जितना मजा लेना हैं आज ले लो"

प्रशांत: "हां यार, बिना प्रोटेक्शन के बिना डरे हुए पूरा चोदने में कितना मजा आता हैं, क्या बताऊ!"

नीरु: "तुम्हे कैसे पता? मैंने तो तुम्हे कभी बिना प्रोटेक्शन पूरा चोदने ही नहीं दिया?"

(अब उस भोलि निरु को क्या पता की मैं उसकी बड़ी बहन को बिना प्रोटेक्शन के बिना डरे पूरा चोद चुका हूँ।)

प्रशांत: "वो उस रात को लगभग तुम्हे पूरा चोद दिया था। याद हैं जब ऋतू दीदी जीजाजी के साथ कर रही थी"

नीरु: "उस रात तो तुमको लंड मेरी चूत से बाहर निकालना पड़ा था, आज तो तुम्हे मेरी चूत में ही सारा जूस निकालने को मिलेंगा। और तुम्हे बड़ा याद हैं उस दिन ऋतू दीदी क्या कर रही थी। बहुत घूरने के मजे लिए होंगे तुमने तो!"

प्रशांत: "किसी और को चोदते हुए देखते हैं तो भी तो उतना ही मजा आता हैं न!"

नीरु: "चलो न, आज की चुदाई को स्पेशल बनाती है। तुमने उस दिन कहा था की अगले २४ घन्टे में मेरी स्पेशल चुदाई होगी और तुमने वादा निभा कर सच में मेरी स्पेशल चुदाई की थी। मैं कितना डरते डरते चुदवा रही थी, तुमने सच ही कहा था की वो चुदाई मुझे हमेशा याद रहेगी"

प्रशांत: "तो फिर क्या प्लान हैं? आज क्या स्पेशल करू?"

नीरु: "मेरे फेवरेट डॉगी स्टाइल में चोदना और तुम मेरा नाम लेकर चोदोगे। उस दिन तुम बता रहे थे की तुमने बाथरूम में जीजाजी को निरु निरु बोलते हुए चोदते सुना था। वोही अब बोलते हुए चोदना"

प्रशांत: "ठीक हैं, मगर फिर तुमको भी उस दिन की तरह जीजाजी जीजाजी बोलते हुए चुदवाना पड़ेगा"

(नीरु यह सुनकर शर्म से लाल हो गयी और मुझे एक हल्का सा हाथ पीठ पर मार दिया।)

नीरु: "हट पागल। तुम्हे क्या पता उस वक़्त मेरे दिल में क्या चल रहा था। हालत ख़राब हो गयी थी मेरी सोच सोच कर"

प्रशांत: "उस दिन तो तुम्हे चुदवाते वक़्त पता नहीं था पर आज तो पता हैं की मैं ही चोद रहा होँऊंगा, तो फिर जीजाजी का नाम लेने में क्या हैं"

नीरु: "नहीं, मैं किसी और का नाम नहीं लुंगी। तुम मेरा नाम लेकर चोदोगे बस"

प्रशांत: "तो फिर इसमें क्या स्पेशल हैं?"

नीरु: "तुम्हारे लिए स्पेशल यह हैं की तुम बिना प्रोटेक्शन पहली बार पूरा चोद सकते हो और मेरे लिए स्पेसल हैं की तुम पहली बार मेरे नाम का जाप करते हुए मुझको चोदोगे"
 
नीरु स्पेशल तैयार होने बेडरूम में गयी और मुझे कहा की मैं उसके बुलाने के बाद ही अन्दर जाऊँगा और वो कमरे की रौशनी एकदम कम रखेगी ताकी रोमांटिक माहौल रहे। कुछ मिनट्स बाद ही उसने दरवाजा थोड़ा खोल मुझे आवाज दि। मैं अब बेडरूम में पंहुचा तो देखा की अन्दर बहुत धीमी रौशनी थी।

कमरा अन्दर महक रहा था। निरु सामने वोहि साड़ी पहने खड़ी थी जो उसको जीजाजी ने दी थी और उसने यह साड़ी जीजाजी के यहाँ आने वाले दिन पहनी थी।

नीरु साड़ी में वैसे ही डबल सेक्सी लगती हैं तो मेरे लण्ड का जूस तो अन्दर उबाल मारने लगा। मैं सीधा निरु की तरफ बढ़। मैने निरु के पास जाकर उसकी नंगी कमर पर हाथ रखा और एक साँस छोड़ते हुए उसकी स्माइल और चौड़ी हो गयी। मैंने जीजाजी की ही स्टाइल में निरु की तारीफ़ की।

प्रशांत: "वाह निरु, आज तो बड़ी कमाल की लग रही हो"

नीरु: "आपके लिए ही तैयार हुयी हूँ जी..."

(नीरु शायद जीजाजी बोलने वाली थी पर बोलते बोलते ही रुक गयी थी।)

मैने निरु को घुमाया और उसको पीछे से आकर उसके पतले पेट पर हाथ रख पकड़ लिया। मेरा लण्ड अब तक कड़क हो चुका था और निरु की साड़ी को चिरता हुआ जैसे अन्दर घूसने को उतारू था।

नीरु ने अपने सर का पिछला हिस्सा मेरे कंधे पर रख दिया और मैं उसकी गर्दन और कंधे पर चुमने लगा।निरु आँख बंद किये आहें भर रही थी। मैने अब एक हाथ उसके पेट से हटा कर उसके ब्लाउज पर रख दिया और मैं उसके मम्मो को महसूस कर पाया, क्यों की उसने अन्दर ब्रा नहीं पहना था।

नीरु: "जल्दी से चोद दो मुझे, मेरा जूस निकल रहा हैं और कपडे गंदे हो जायेंगे"
 
मै निरु को बिस्तर के पास ले आया और वो डॉगी स्टाइल में बिस्तर पर चढ़ कर बैठ गयी। मैं भी अब उसके पिछवाड़े पर आकर बैठ गया और उसकी साड़ी को पेटिकट सहित उसके मुड़े हुए घुटनों के ऊपर ले आया ताकी ऊपर उठने में आसानी हो। मै निरु की साड़ी का पल्लु कंधे से निकाल कर कमर तक नीचे उतार लाया।

उसकी पीठ लगभग पूरी नंगी मेरे सामने थी और उसका पतला फिगर मैं देख कर चोदने को लालायित था। मैने अब उसकी साड़ी और पेटिकट को जाँघो के ऊपर उठाया और गांड से हटा दिया। मैंने देखा की उसने पैंटी भी नहीं पहनी थी और उसकी गोरी गोल गांड मुझे चोदने को बुला रही थी। मैने अपनी उंगलिया उसकी चूत और गांड पर फेरानी शुरू की और वो तडपने लगी और आहें भरने लगी। थोड़ी बहुत ऊँगली मैंने उसकी चूत के छेद में भी उतार दी और रगडने लगा।

सच में उसकी चूत अच्छे से गीली हो चुकी थी। कुछ देर ऊँगली करने से ही उसकी तेज साँसें चलने लगी और पूरा बदन हिलने लगा। मैने अब अपने कपडे उतारे और चोदने की पोजीशन ली। मेरा लण्ड निरु की चूत से छूटे ही उसकी चूत से निकले पानी से गीला हो गया। मैंने उसको तडपाने के लिए ऐसे ही अपने लण्ड से उसकी चूत के बाहरि भाग को रगडा।

नीरु: "अंदर डाल कर जल्दी से चोदना शुरू करो, नहीं तो मैं ऐसे ही झाड़ जाउँगी। मैं एकदम भरी बैठि हूँ"

मैने अब "ओह्ह निरुउउउ" बोलते हुए अपने लण्ड को निरु की चूत में उतारा और निरु एक तेज आह के साथ ही काम्पने लगी। मैंने अब धीरे धीरे उसको अन्दर बाहर धक्के मार कर चोदना शुरू किया। चुदाई शुरू होते ही मैं बराबर "ओह्ह निरू क्या चूत हैं तुम्हारि, मजा आ गया। क्या फिगर हैं तुम्हारा निरु, तुम्हे चोद दु क्या मेरी प्यारी निरु"

नीरु मजे लेते हुए लगातार सिसकिया मार रही थी और मैं उसके नाम को लेकर ठीक वैसे ही कर रहा था जैसा उस दिन मैंने जिजाजजी को बाथरूम में निरु का नाम लेकर ऋतू दीदी को चोदते हुए सुना था। बिना डर के पहली बार, बिना प्रोटेक्शन निरु को चोदते हुए मुझे मजा आ रहा था और उसकी चूत में बने पानी से लगातार छप छप की आवाजें आ रही थी जो की मेरा और उसका नशा बढा रही थी।

नीरु: "आह प्रशांत अब बहुत मजा आ रहा हैं, अब रुकना मत और चोदते रहना.. आह्ह्ह्हुउउउ आयहहा..."

मुझे लग गया की अब निरु उस फेज में पहुच चुकी हैं जहाँ वो गहरे नशे में चली जाती है। मैंने अब उसकी परीक्षा लेनी शुरू की।

प्रशांत: "निरु मैं तुम्हारा नाम लेकर चोद रहा हूँ, तुम भी जीजाजी का नाम लेकर चुदवाओ, जैसे उस दिन चुदवा रही थी"

नीरु ने "ना" बोला और चुदवाती रही। मैंने अब अपने चोदने की स्पीड एक दम धीमी कर दि। निरु अब चिढ गयी और मुझे जोर से चोदने को बोलने लगी। पर मैंने जिद रख दी की उसको भी जीजाजी बोलना पडेगा।

वो ऐसे ही आँख बंद किये नशिली आवाज में तड़प रही थी और मेरे हलके धक्के उसको और ज्यादा तरसा रहे थे। फिर अचानक उसके मुँह से वो निकला जिसका मुझे वेट था।

नीरु: "जीजाजी जोर से चोदो"

मैने अब फिर से धक्के मारने की स्पीड बढ़ाई और उसको पहले की तरह चोदना जारी रखा।

प्रशांत: "निरु तुम्हे ऐसे चोद दू?"

नीरु: "हॉ, जीजाजी चोद दो मुझे ऐसे... एआईए.. ओह्ह्ह जीजाजी क्या चोदते हो तुम... ऐसे ही जोर से चोद दो"

प्रशांत: "ओह मेरी प्यारी निरु, अपने जीजा से चुदवाओगी न तुम"

नीरु: "हां जीजाजी चोद दो"

प्रशांत: "निरु मैं तुम्हारा ब्लाउज खोल कर तुम्हारे मम्मे नंगे कर दू"

नीरु: "खोल दो जीजाजी"

मैने निरु के ब्लाउज की गाँठ पीछे से खोल दी और बाकी का ब्लाउज उसने खुद ही पूरा अपने हाथों से निकाल कर दूर कर दिया। मै पीछे से चोदते हुये, उसके मम्मे लटकते हुए और हिलते हुए देख सकता था।

प्रशांत: "निरु, मेरी साली, तुम्हारे मम्मे तो बहुत जबरदस्त हैं "

नीरु: "आयी... जीजा जी जोर से चोदो अपनी साली को... मेरे बाकी के कपडे भी पूरे खोल कर चोदो.. चोद दो अपनी साली को जीजाजी"

नीरु ने अपनी साड़ी पेट से अपने पेटिकट से बाहर निकाल कर अपने पेटिकट की डोरी खोल दि। साड़ी अलग कर उसने अपना पेटिकट ऊपर खिसका कर अपने सर से निकाला और पूरी नंगी हो गयी।
 
प्रशांत: "वाह निरु, पूरी नंगी तुम बहुत सेक्सी लग रही हो, तुम्हारे जीजाजी अब तुम्हे पूरा चोदेगे, तुम रेडी हो"

नीरु: "अपनी पूरी नंगी साली को चोद दो जीजाजी.. ओह जीजाजी... मेरा...होने वाला हैं... जीजाजी... जोर से मारो"

मैने अब निरु को झटके मारने शुरू किये, मेरा खुद का जूस अब मेरी लण्ड की नलि में भर चुका था और पिचकारी छुट्ने के करीब थी। पर मैं कोशिश कर रहा था की पहले निरु झड़ जाए।

प्रशांत: "ओह्ह निरु, क्या सेक्सी फिगर हैं, तुम्हारे जीजा तुमको पूरा चोद देंगे, ओह्ह्ह निरु तुम्हे चोदने में मुझे क्या मजा आ रहा हैं"

नीरु :"अह्ह्ह जीजाजी... मुझे भी मजा आ रहा हैं... मैं आने वाली होऊँ...अह्ह्ह जीजाजी...ओह्ह्ह जीजाजी चोदो आह आ आ आह आयी माँ...आहह जीजाजी... हो गया.. मेरा"

मैने अब अगले १५-२० जोर के झटके मारे और पहली बार अपना सारा जूस निरु की चूत में खाली कर दिया। निरु वही तकिये पर सर टिकाये वैसे ही डॉगी स्टाइल में बैठि रही। मैने अपना लण्ड बाहर निकाला और उसके साइड में गया। निरु तेज तेज साँसें ले रही थी। १५- २० सेकंड के बाद वो अपनी साँसें समेटते हुए उठी और मेरी छाती पर बंद मुठियो से मारने लगी।

नीरु: "जब मेरा होने वाला था तभी मुझको जीजाजी का नाम लेने को बोलकर फसाया तुमने, ऐसे तुमको ज्यादा मजा आया फिर?"

प्रशांत: "मैंने मजबूर थोड़े ही किया था, तुम ना बोल सकती थी"

नीरु: "मैं तब कितनी देर से तड़प रही थी, तुमने ही बदमाशी की हैं जानबूझ कर। ऐसे वक़्त में तुम अगर मेरे दुश्मन का नाम लेने को बोलते तो भी ले लेति, फिर जीजाजी क्या चीज है। वैसे भी नाम कुछ भी लो पर चोद तो तुमहि रहे थे न!"

प्रशांत: "पर चुदते हुए तो तुमने जीजाजी को ही याद किया। इसकी सजा तुम्हे मिलेगी"

नीरु: "ठीक हैं, कल मैं तुम्हे तुम्हारी फेवरेट काऊबॉय पोजीशन में चुदुंगी। तुम भी चाहे जिसका नाम ले लेना। उस दिन तुम ऋतू दीदी को चोदते हुए देख बड़ा एक्ससिटेड हो रहे थे, तुम भी ऋतू दीदी का नाम ले लेना"

अगले दिन मैं नीचे लेटा और निरु मेरे ऊपर आकर मुझे चोदने लगी। मेरी तो ऋतू दीदी का नाम लेने की इच्छा नहीं हो रही थी क्यों की जीजाजी को तो सच पता ही था और कभी न कभी निरु को पता चल सकता था। मागर निरु ने ही मुझको पूछा की मैं ऋतू दीदी का नाम क्यों नहीं ले रह। तो मैंने एक दो बार ऋतू दीदी का नाम ले भी लिया। चुदते हुए निरु एक बार फिर नशे में चली गयी थी। मैने निरु को बोला की मैं ऋतू नाम ले रहा हूँ तो वो भी नीरज नाम ले ले। वो मान गयी। मैं "ऋतू मुझे चोद दो" बोल रहा था तो निरु "नीरज मैं तुम्हे चोदूंगी" बोल रही थी। जैसे जैसे चुदाई आगे बढ़ी मैंने अपने बोल अचानक बदल दिए।

प्रशांत: "ओह निरु, अपना जीजाजी को नहीं चोदोगी"

नीरु कुछ नहीं बोली और ऊपर नीचे उछलते हुए मुझे चोदती रही बस "हां नीरज मैं तुम्हे चोदूंगी" बोली।

मैने फिर नीचे लेटे थोड़े झटके मारे और कहा की "निरु अपने जीजाजी को अच्छे से चोद दो"।

मेरे झटके खाकार निरु हल्का सा चीखी और फिर "हां जीजाजी निरु चोदेगी आपको.. ओह्ह जीजाजी मैं चोदूंगी आपको, जोर से चोदूंगी"

प्रशांत: "हां निरु, चोद दो अपने जीजाजी को"

नीरु: "हां जिअज्जी ओह मजा आ रहा हैं जीजाजी"

प्रशांत: "मुझे चोद कर मेरे बच्चे की माँ बनोगी न निरु"

नीरु: "हां जीजाजी, मुझे चोद कर अपने बच्चे की माँ बना दो, ओह्ह जीजाजी मेरे बूब्स पकड़ लो"
 
नीरु बैठे बैठे उच्छल कर मुझको चोद रही थी और उसके टाइट मम्मे ऊपर नीचे उच्छल रहे थे जिनको अब मैंने पकड़ लिए और दबाने लगा। नीरु अब आँख बंद करे तड़पते हुए मुझे चोदती रही और अपने मुँह से लगातार "ओह जीजा जी चोद दो मुझे " कहते हुए मुझे चोदती रही। जब वो झड़ने लगी तब मेरे ऊपर पूरा लेट गयी और उसके नंगे मम्मे मेरे सीने से चिपक गए और वो जोर से चीखी "आह जीजाजी क्या चोदा हैं"।

कुछ सेकण्ड्स के बाद उसको अहसास हुआ की उसने क्या किया हैं और अपना मुँह छिपाए वो मेरे ऊपर से उठी और सीधा वॉशरूम में भागी। पूरे १५ मिनट्स के बाद वो वॉशरूम से बाहर आई और वो रो रही थी। मैंने उसको रोने का कारण पूछा तो मुझ पर ही भड़क गयी की मैंने ही उसको करप्ट कर दिया और जीजाजी का नाम लेकर चोदने को मजबूर किया था। मैने उसको शांत कर लाइटली लेने को बोला। मगर मैं खुद समझ नहीं पा रहा था की मैं इसका क्या मतलब निकलूँ। मैंने उसको करप्ट किया था या वो खुद ही रेडी थी।

ये ९ महिने मेरे लिए बहुत मुश्किल से गुजरे। रह रह कर जीजाजी और निरु के चुदते हुयी तसवीरे ही घूम रही थी। जब बच्चा पैदा हुआ तो मुझे उस बच्चे की शकल जीजाजी जैसी लग रही थी। नीरु की प्रेगनेंसी से लेकर बच्चा पैदा होने तक मैंने निरु को कई बार बोला हैं की कहीं यह बच्चा जीजाजी का तो नहीं और निरु हमेशा बात को मजाक में उडा देती। उसको लगता की मैं मजाक कर रहा हूँ, पर मैं उसको सीरियसली पुछ रहा होता था। कभी कभी तो कोफ़्त कहकर निरु बोल ही देती की

"हॉ, यह बच्चा जीजाजी का ही है। क्या करना हैं?"

मै सिर्फ मुँह फाड़े उसको देखते ही रहता और वो मेरे गालो को खींच कर मुझे शांत कर देती। हालाँकि निरु का उस बच्चे से दिल लग चुका हैं पर बच्चा जब माँ का दूध पीना छोड़ देगा तब वो बच्चा ऋतू दीदी को सौंप दिया जाएगा। मेरे मन में शक़ का कीड़ा आज भी कुलबुला रहा है। मैंने निरु को बोला हैं की मैं वो एक्सपेरिमेंट आज भी करना चाहता हूँ ताकी जीजाजी का सच बाहर आए, पर निरु हमेशा बात को मजाक में उडा लेती है। मैने अपनी उम्मीदें नहीं खोयी है। मैं कोसिश करता रहूँगा की मैं यह सच पता लगा कर रहु और निरु को फिर मना लु की वो अपने जीजाजी का टेस्ट ले।

कहानी लिखी जाने तक बच्चा जीजाजी और ऋतू दीदी को सौंप दिया गया। बच्चा मिलने से जीजाजी बहुत खुश थे और जीजाजी जब प्रशांत से मिले तो उसको माफ़ कर दिया, क्यों की ऋतू दीदी ने अपनी गलती मान कर माफ़ी मांग ली थी। जीजाजी ने प्रशांत को अकेले में यह भी बताया की बच्चा ना होने की वजह से ऋतू दीदी को हाइपर सेक्स की बीमारी हो गयी थी। वो एक दिन भी बिना सेक्स के नहीं रह सकती है। अब शायद बच्चा मिलने से वो बीमारी ठीक हो जाए। शायद इसी हाइपर सेक्स की बीमारी के कारण ऋतू दीदी ट्रैन में अपना क्लीवेज दिखा रही थी और जीजाजी को वॉशरूम में और रात को हमारे सामने छोड़ रही थी। मगर वॉशरूम में निरु का नाम लेकर छोड़ने का रहस्य आज भी बना हुआ है।

एन्ड नोट: प्रशांत अब खुद एक बार फिर निरु-जीजाजी-ऋतुदीदी के साथ घूमने का प्लान के बारे में सोच रहा हैं, जहा वो अपना एक्सपेरिमेंट फिर से करना चाहता है। मेरे हिसाब से उसे शक़ करना बंद कर देना चाहिए और निरु के साथ आराम से रहना चहिये। जीजाजी ने प्रशांत पर एक अहसान ही किया हैं की निरु को यह नहीं बताया की प्रशांत ने निरु की दीदी के साथ क्या गलत काम किया हैं।
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end of part-1
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