desiaks
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पुरा दिन हम लोग घूमने फ़िरने में बिजी रहे। पूरा दिन मैं परेशान रहा की कल रात तो निरु को नहीं बचा पाया पर आज रात उसको कैसे बचाऊ जब की निरु खुद फसने जा रही थी। रात को हम घर पहुचे और सोने की तयारी कर रहे थे।
जीजाजी: "कल हम गेस्ट रूम में सोये थे, शायद इस वजह से प्रशांत ने दरवाजा नहीं खोला होगा। आज हम तुम्हारे बेडरूम में सोयेंगे निरु"
नीरु: "ठीक हैं, मैं बिस्तर लगा देती हूँ जीजाजी, आप आ जाइए"
नीरु अन्दर चली गयी।
प्रशांत: "यह आप गलत कर रहे हैं जीजाजी। आपने बोला था की बस एक बार ही निरु को चोदना चाहते हो। यह आज रात फिर से क्या हैं?"
जीजाजी: "क्या बताऊ? कल रात डॉगी स्टाइल चोदने में बहुत मजा आया। इसलिए आज रात भी चोदने से रोक नहीं पा रहा हूँ। सोच रहा हूँ आज निरु से खुद को चुदवाउ। वो मेरे ऊपर आकर मुझे चोदेगी तो और मजा आएग। फिर निरु तैयार हैं तो तुम्हे क्या प्रॉब्लम हैं?"
प्रशांत: "आप उस भोलि लड़की को फसा रहे हो।"
जीजाजी: "तो फिर दरवाजा खोलकर अन्दर आ जाना। अगर हम कुछ नहीं कर रहे होगे तो सोच लो, निरु का तुम पर से भरोसा उठ जायेगा"
प्रशांत: "और मैंने आप दोनों को चुदते हुए पकड़ लिया तो?"
जीजाजी: "दरवाजा खोला मतलब तुम्हे उस पर शक़ है। फिर चुदते हुए पकडे जाने के बाद निरु शर्म के मारे तुम्हारे पास कभी नहीं रहेगी"
जीजाजी अब मेरे बेडरूम में चले गए और दरवाजा बंद करते वक़्त अपनी आईब्रो उचकाते हुए मुझे चिढा दिया। मैं एक बार फिर वहीं सोफ़े पर सर पकड़ कर बैठ गया। मैने सोचा इस से अच्छा तो निरु को बुलाना ही नहीं चाहिए था। उसको बुला कर तो मैंने और फसा दिया।
लगभग एक घन्टे तक मैं वह बैठे रहा। पता था की अन्दर क्या हो रहा होगा पर फिर भी दरवाजा खोलने की हिम्मत नहीं हुयी। मैंने सब कुछ निरु पर छोड़ दिया। अगर उसकी इच्छा होगी तो चुदवा लेगी वार्ना नहीं चुदवाएगी।
एक घन्टे बाद दरवाजा खुला। मैं चोकन्ना हो गया। अन्दर लाइट बंद थी और जीजाजी दरवाजा बंद कर बाहर मेरे पास आए।
जीजाजी: "प्रशांत, तुम टेस्ट में पास हो गए। अब तक मैंने जो भी कहा वो झूठ था। मैं नहीं चाहता था की निरु फिर ऐसे आदमी के पास फिर जाए जो उस पर शक़ करता हो। इसलिए इतने सारे टेस्ट लेने पड़े। मेरी निरु पर कोई गन्दी नीयत नहीं हैं"
मै मुँह फाड़े जीजाजी को देख रहा था। मुझे उनकी बातों का यक़ीन नहीं हो रहा था।
जीजाजी : "मैंने जो भी गंदे शब्द निरु के लिए इस्तेमाल किये उसका अफ़सोस हैं, पर तुमको यक़ीन दिलाने के लिए बोलने पड़े। तुम्हारी निरु एकदम पवित्र है। वो सिर्फ तुम्हारी है। जाओ उसके पास। वो अन्दर सो रही हैं"
जीजाजी ने मेरे कंधे पर हाथ रख मुझे भरोसा दिलाने की कोशिश की। मुझे समझ नहीं आया की यह कैसा इंसान है। मेरे साथ इतना गन्दा मजाक किया ताकी मेरा टेस्ट ले पाए।
मै अब अपने बेडरूम में गया। निरु दूसरी तरफ मुँह किये करवट लिए सो रही थी। लाइट बंद थी। मैं निरु के पास जाकर लेट गया। जीजाजी की बातों पर यक़ीन नहीं हो रहा था। मुझे लगा वो अपने पाप कवर करने की कोशिश कर रहे थे। निरु को बिना चोदे वो छोड़ देंगे यह मुमकीन नहीं है। फिर मेरे दिमाग में एक प्लान आया।
जीजाजी उठकर बाहर गए हैं यह बात सोयी हुयी निरु को शायद नहीं पता होगी। अगर अभी मैं निरु के साथ कुछ भी करू तो उसको यही लगेगा की जीजाजी कर रहे है। मुझे कुछ करना चाहिए और निरु के रिएक्शन से पता चलेगा की जीजा-साली के बीचे अभी तक क्या हुआ है।
जीजाजी: "कल हम गेस्ट रूम में सोये थे, शायद इस वजह से प्रशांत ने दरवाजा नहीं खोला होगा। आज हम तुम्हारे बेडरूम में सोयेंगे निरु"
नीरु: "ठीक हैं, मैं बिस्तर लगा देती हूँ जीजाजी, आप आ जाइए"
नीरु अन्दर चली गयी।
प्रशांत: "यह आप गलत कर रहे हैं जीजाजी। आपने बोला था की बस एक बार ही निरु को चोदना चाहते हो। यह आज रात फिर से क्या हैं?"
जीजाजी: "क्या बताऊ? कल रात डॉगी स्टाइल चोदने में बहुत मजा आया। इसलिए आज रात भी चोदने से रोक नहीं पा रहा हूँ। सोच रहा हूँ आज निरु से खुद को चुदवाउ। वो मेरे ऊपर आकर मुझे चोदेगी तो और मजा आएग। फिर निरु तैयार हैं तो तुम्हे क्या प्रॉब्लम हैं?"
प्रशांत: "आप उस भोलि लड़की को फसा रहे हो।"
जीजाजी: "तो फिर दरवाजा खोलकर अन्दर आ जाना। अगर हम कुछ नहीं कर रहे होगे तो सोच लो, निरु का तुम पर से भरोसा उठ जायेगा"
प्रशांत: "और मैंने आप दोनों को चुदते हुए पकड़ लिया तो?"
जीजाजी: "दरवाजा खोला मतलब तुम्हे उस पर शक़ है। फिर चुदते हुए पकडे जाने के बाद निरु शर्म के मारे तुम्हारे पास कभी नहीं रहेगी"
जीजाजी अब मेरे बेडरूम में चले गए और दरवाजा बंद करते वक़्त अपनी आईब्रो उचकाते हुए मुझे चिढा दिया। मैं एक बार फिर वहीं सोफ़े पर सर पकड़ कर बैठ गया। मैने सोचा इस से अच्छा तो निरु को बुलाना ही नहीं चाहिए था। उसको बुला कर तो मैंने और फसा दिया।
लगभग एक घन्टे तक मैं वह बैठे रहा। पता था की अन्दर क्या हो रहा होगा पर फिर भी दरवाजा खोलने की हिम्मत नहीं हुयी। मैंने सब कुछ निरु पर छोड़ दिया। अगर उसकी इच्छा होगी तो चुदवा लेगी वार्ना नहीं चुदवाएगी।
एक घन्टे बाद दरवाजा खुला। मैं चोकन्ना हो गया। अन्दर लाइट बंद थी और जीजाजी दरवाजा बंद कर बाहर मेरे पास आए।
जीजाजी: "प्रशांत, तुम टेस्ट में पास हो गए। अब तक मैंने जो भी कहा वो झूठ था। मैं नहीं चाहता था की निरु फिर ऐसे आदमी के पास फिर जाए जो उस पर शक़ करता हो। इसलिए इतने सारे टेस्ट लेने पड़े। मेरी निरु पर कोई गन्दी नीयत नहीं हैं"
मै मुँह फाड़े जीजाजी को देख रहा था। मुझे उनकी बातों का यक़ीन नहीं हो रहा था।
जीजाजी : "मैंने जो भी गंदे शब्द निरु के लिए इस्तेमाल किये उसका अफ़सोस हैं, पर तुमको यक़ीन दिलाने के लिए बोलने पड़े। तुम्हारी निरु एकदम पवित्र है। वो सिर्फ तुम्हारी है। जाओ उसके पास। वो अन्दर सो रही हैं"
जीजाजी ने मेरे कंधे पर हाथ रख मुझे भरोसा दिलाने की कोशिश की। मुझे समझ नहीं आया की यह कैसा इंसान है। मेरे साथ इतना गन्दा मजाक किया ताकी मेरा टेस्ट ले पाए।
मै अब अपने बेडरूम में गया। निरु दूसरी तरफ मुँह किये करवट लिए सो रही थी। लाइट बंद थी। मैं निरु के पास जाकर लेट गया। जीजाजी की बातों पर यक़ीन नहीं हो रहा था। मुझे लगा वो अपने पाप कवर करने की कोशिश कर रहे थे। निरु को बिना चोदे वो छोड़ देंगे यह मुमकीन नहीं है। फिर मेरे दिमाग में एक प्लान आया।
जीजाजी उठकर बाहर गए हैं यह बात सोयी हुयी निरु को शायद नहीं पता होगी। अगर अभी मैं निरु के साथ कुछ भी करू तो उसको यही लगेगा की जीजाजी कर रहे है। मुझे कुछ करना चाहिए और निरु के रिएक्शन से पता चलेगा की जीजा-साली के बीचे अभी तक क्या हुआ है।