bahan sex kahani दो भाई दो बहन - Page 5 - SexBaba
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bahan sex kahani दो भाई दो बहन

फ्लॅट से निकल कर वो सड़क पर ऐसे ही चहेल कदमी करने लगी....

दुकाने करीब करीब बंद हो चुकी थी... तभी उसकी निगाह सड़क के

सामने की ओर एक खुले बार पर पड़ी... ना जाने क्या सोच कर

हिचकिचाते हुए उसने बार मे कदम रखा.

बार बहोत बड़ा नही था.... हॉल मे रोशनी काफ़ी कम थी.. टेबल के

उपर लगी हल्की रोशनी के बल्ब जल रहे थे.... कोने मे एक ड्ज

रेकॉर्डर पर गाने बज रहा था.

रोमा एक टेबल पर जाकर बैठ गयी. तभी कहीं अंधेरा से एक 35

साल का मर्द प्रगट हुआ और रोमा को देख मुस्कुराने लगा.

"ज्योति ये लड़की जो भी पीना चाहे इसे लाकर दे दो." उसने टेबल के

पास खड़ी एक वेट्रेस से कहा.

रोमा के मन मे एक बार तो आया कि वो मना कर दे... लेकिन वो आदमी

दीखने मे काफ़ी स्मार्ट और इज़्ज़तदार लग रहा था इसलिए उसने कुछ

कहा नही.

"जी बहोत बहोत शुक्रिया आपका," रोमा ने उससे कहा और वेट्रेस को

एक वोड्का वित लाइम लाने को कह दिया.

"मेरे ख्याल से तुम इसी सहर के कॉलेज मे पढ़ती हो... है ना?"

उसने मुस्कुराते हुए पूछा.

"हां अभी दाखिला लिया है, ज़रूर आप ज्योतिष् विद्या जानते है."

रोमा ने जवाब दिया.

"नही ज्योतिष् तो नही हूँ.... पर हां मुझे ऐसा लगा.... वैसे

मुझे जीत कहते है." उस मर्द ने कहा.

"मुझे रोमा."

वेट्रेस ज्योति ने ड्रिंक लाकर रोमा के टेबल पर रख दी... रोमा

अपना ग्लास उठाकर धीरे धीरे सीप करने लगी.

"अगर आपको बुरा ना लगे तो क्या में आपके साथ बैठ सकता हूँ?"

जीत ने पूछा.

रोमा इस स्तिथि मे नही थी कि उसे मना कर सके, "प्लीस बैठिए

मुझे कोई ऐतराज़ नही है."

"तो, तुम्हारी कॉलेज लाइफ कैसे चल रही है?" जीत ने उसके सामने

की कुर्सी पर बैठते हुए पूछा.

"सच कहूँ तो बहोत मुश्किल हो रही है... नई साथी नई जगह और

साथ ही पढ़ाई भी थोड़ी डिफिकल्ट है... काफ़ी मेहनत करनी पड़ती

है." रोमा ने जवाब दिया.

"वैसे कौन से विषय मे परेशानी होती है तुम्हे?" जीत ने एक बार

फिर पूछा.

"सबसे ज़्यादा तकलीफ़ मॅतमॅटिक्स मे होती है.... अलगेबरा तो मेरी

समझ मे नही आता है." रोमा ने जवाब दिया.

रोमा को जीत से बाते करते हुए अच्छा लग रहा था... आज पहली

बार किसी ने उससे उसकी परेशानियाँ या फिर उसकी पढ़ाई के बारे मे

इतने अप्नत्व से पूछा था.... उसने अपनी ठंडी ड्रिंक से एक घूंठ

लिया और उसकी तरफ देखने लगी.... जीत एक हॅंडसम नौजवान था...

काली आँखें........ काले घने बॉल... चौड़े कंधे... और काफ़ी

हॅंडसम लग रहा था.. रोमा खुश थी कि वो उस के साथ बैठी थी.

"अगर तुम चाहो तो में तुम्हारी मदद कर सकता हूँ... जिस कॉलेज

मे तुम पढ़ रही हो मेने उसी कॉलेज से ग्रॅजुयेशन किया है और बाद

मे मेने Bएड का सर्टिफिकेट भी ले लिया है... में प्राइवेट अकॅडमी

मे पढ़ाता हूँ जो यहाँ से ज़्यादा दूर नही है... मेद्स और हिस्टरी

मेरे खास विषय है... में अकेला रहता हूँ और शाम के वक्त मेरे

पास काफ़ी समय रहता है." जीत ने उसकी आँखों मे आँखे डालते हुए

कहा.

रोमा तो खुशी उछल पड़ी, "क्या सच मे ऐसा हो सकता है?"

"हां अगर तुम चाहो तो," जीत ने उसके खुशी से भरे चेहरे पर

नज़र डालते हुए कहा, "जाने से पहले मेरा फोन नंबर ले लेना.... तुम

किसी भी वक्त मुझे फोन कर सकती हो... तुम्हारी मदद करके मुझे

खुशी होगी."

"आज में बहोत खुश हूँ और में चाहती हूँ कि आप मेरी मदद

करें." रोमा ने जवाब दिया.

राज और रिया दोनो रोमा के दीमाग से इस समय निकल चुके थे... आज

कितने दिनो बाद उसे एक राहत सी महसूस हो रही थी... दोनो बातो

मे खो गये.... वक्त कब बीत गया दोनो को पता ही नही चला.

* * * * * * * * * * *
 
"राज पता नही क्यों मुझे ऐसा लग रहा है कि रोमा को हमारा साथ

साथ बाहर जाना अछा नही लगा." रिया ने राज का हाथ पकड़े गाड़ी की

और बढ़ते हुए कहा.

"गाड़ी तुम चलाओगी या में चलूं?" राज ने पूछा.

रिया राज को पकड़ गाड़ी के पास आगाई और ड्राइवर साइड के दरवाज़े पर

उसे हल्का सा धक्का देते हुए अपने होंठ उसके होठों पर रख चूसने

लगी.... उसके होठों को चूसने के बाद वो धीरे से उसके कान मे

फुस्फुसाइ, "मेरी गाड़ी की पीछले सीट काफ़ी चौड़ी है अगर तुम

चाहो तो....."

"फिलहाल मेरी कुछ समझ मे नही आ रहा."राज ने धीरे से कहा...

उसके ख़यालों मे अब भी रोमा का चेहरा बसा था जहाँ उसके चेहरे

पर जलन की भावना उसे सॉफ दिखाई डी थी.

"राज उस दिन तुम हमारे साथ नही थे..... मेने कसम खा कर कहती

हूँ कि उसने खुद कहा था कि अगर में उस रात वाली हरकत वापस ना

दोहराऊ तो वो तुम्हे मेरे साथ बाँटने के लिए तैयार है...." रिया ने

उसे गालों पर हाथ फिराते हुए कहा, "फिर भी मेने एक महीने तक

इस बात का इंतेज़ार किया कि शायद मुझे तुम्हारे साथ कुछ समय

बिताने का मौका मिल जाए."

"हां तुमने बाद मे बताया था और में खुश हूँ कि तुम्हारे सभी

टेस्ट सही गये.. उस रात की वजह से तुम्हे कोई बीमारी नही हुई."

राज ने उसके होठों को हल्के से चूमते हुए कहा, "वैसे क्या हुआ था

उस रात?.... कितना डर गये थे हम दोनो."

रिया एक गहरी साँस ले कर रह गयी.... उस भयानक रात की काली

परछाईयाँ आज भी उसे नींद मे सताती थी........और दर्द की टीस

उसके पूरे बदन मे दौड़ जाती थी.

"प्लीज़ राज आज की रात उस हादसे की बात मत करो.. वो रात मेरी

जिंदगी की एक भयानक हादसा था जिसे में भुला देना चाहती हूँ"

रिया ने रोते हुए कहा, "आज की रात में तुम्हारे साथ हंसते हुए

गुज़ारना चाहती हूँ... तुम नही जानते एक महीना मेने आज के लिए

इंतेज़ार किया है.. कितनी अकेली थी में गुज़रे एक महीने तक."

"फिर भी में जानना चाहता हूँ कि उस रात तुम्हारे साथ क्या हुआ?

रोमा भी मुझे कुछ बताने को तैयार नही है." राज ने कहा.

राज की ज़िद ने रिया के मन मे दबे गुस्से और झल्लाहट को जैसे हवा

दे दी, "क्या तुम ये चाहते हो कि में तुम्हे बताऊ की में तुमसे

कितना प्यार करती हूँ.... में कितनी अकेली थी तुम्हारे बिना....

मेने अपनी सेहत अपनी जान इस लिए जोखम मे डाली कियों कि में

तुम्हे पा नही सकती थी... में सारी सारी रात बिस्तर पर करवट

बदलते हुए तुम्हारे सपने देखा करती थी और तुम रोमा की बाहों मे

चैन की नींद सोते थे... और क्या करती में... मुझे तुम पर गुस्सा

आ रहा था... मेने सोचा था कि हम दोनो का वक्त साथ साथ अछा

गुज़रेगा लेकिन ऐसा नही हुआ...." रिया ने रोते रोते कहा.

"हां में तुम्हारे मुँह से यही सुनना चाहता था" राज ने मुस्कुराते

हुए कहा.

राज को मुस्कुराते देख रिया का गुस्सा काफूर हो गया और उसके होठों

पर एक मधुर मुस्कान आ गयी, "बड़े हरामी हो तुम?" रिया ने उसके

छाती पर हल्के मुक्के मारते हुए कहा.

"अब चलॉगी या फिर यहीं खड़े रहने का इरादा है" राज ने रिया को

अपने गले लगाते हुए कहा.

रिया ने राज को गाड़ी की चाभी पकड़ी....राज ने ड्राइवर सीट का दरवाज़ा

खोला और अंदर बैठ गयी.. रिया भी दूसरी तरफ से घूम कर आई

और उसके बगल मे बैठ गयी.... राज ने जैसे ही गाड़ी पार्किंग से

बाहर निकाली रिया उससे और चिपक कर बैठ गयी.... उस रात के

ख़याल से अभी भी उसका बदन कांप रहा था और दिल मे हल्का सा डर

समाया हुआ था.

"राज क्यों ना हम आज किसी पब या बार मे जाने की बजाई ड्राइव पर

जाएँ." रिया ने राज से चिपकते हुए कहा.

राज ने उसकी बात मानते हुए गाड़ी सहर के बाहर के रास्ते पर बढ़ा

दी. राज ने महसूस किया कि रिया के शब्दों मे कुछ अजीब सा था...

उसे अफ़सोस होने लगा कि उसने उस रात वाला विषय छेड़ा ही क्यों.

शायद रिया ने राज के मन की बात पढ़ ली थी, "में ठीक हूँ राज

तुम चिंता मत करो.... मुझे तो खुद पर गुस्सा आ रहा है कि उस

रात मेने ऐसा क्यों किया... पर कहते है ना कि प्यार मे लोग पागल

हो जाते है... और अक्सर कुछ पागलों वाली हरकत कर बैठते है..

शायद मेने भी कुछ ऐसा ही किया था.... कितनी बेवकूफ़ हूँ में

मुझे समझ लेना चाहिए था कि में तुम्हे नही पा सकती.... पर

क्या करूँ ये दिल है कि ये बात मानने को तैयार ही नही है."

राज ने कोई जवाब नही दिया उसके दीमाग मे एक तूफान सा उठा हुआ

था... वो रिया को प्यार करता था पर साथ ही वो अपनी प्यारी बेहन

रोमा को भी बहोत प्यार करता था.... साथ ही रोमा की इज़्ज़त भी

बहोत करता था .. कितनी मेहनत कर रही थी वो अपना एक अच्छा

भविश्य बनाने के लिए.... उसकी समझ मे नही आ रहा था कि वो

क्या करे... वो एक ऐसे दो राहे पर खड़ा था कि उसकी कुछ समझ मे

नही आ रहा था.

"राज आगे एक पार्किंग एरिया है और इस समय सुनसान होगा गाड़ी वहाँ ले

लेना" रिया ने राज से कहा.

राज ने रिया के कहे अनुसार गाड़ी पार्किंग एरिया मे रोक दी.. उसने देखा

की जगह वाकई मे सुनसान पड़ी थी.

गाड़ी के रुकते ही रिया राज की तरफ चेहरा किया उसकी गोद मे बैठ

गयी. राज ने उक्सी गर्दन मे हाथ डाला और उसके घने बालों मे अपनी

उंगलियाँ फिराने लगा, "मुझे तुम्हारे ये घने बाल बहोत अच्छे लगते

है."
 
रिया के चेहरे पर थोड़ी शैतानी आ गयी...."और वो क्यों?" उसने

पूछा.

राज थोड़ी देर सोचता रहा फिर बोला, "क्यों कि ये इतने लंबे और

घने है और एकदम रेशम की तरह मुलायम है... ठीक जैसे किसी

शॅमपू की आड़ मे देखाए जाते है."

रिया राज की बात सुनकर मुस्कुरा दी और उसके गालों पर अपने गुलाबी

होठ रगड़ने लगी.... "क्या तुम्हे ये भी अच्छे लगते है?"

राज की उत्तेजना बढ़ने लगी... उसका लंड पॅंट के अंदर उछलने लगा

था.... "मुझे तुम्हारे होंठ भी बहोत पसंद है."

"ओह्ह्ह अच्छा.... तो फिर बताओ तुम्हे मेरे होठ क्यों पसंद है?"

"इसलिए कि ये जो भी करते है बहोत अच्छा करते है..." राज ने उसके

होठों पर हल्के से उंगली फिराते हुए कहा.

रिया अंधेरे मे मुस्कुरा दी...."और तुम क्या चाहते हो... कि ये क्या

करें?"

इस ख़याल से ही रिया के होठ उसके लंड पर क्या क्या कर सकते है

उसका लंड पॅंट के अंदर पूरी तरह तन गया... उसे पता था कि उसके

कहने की देर है रिया उसके लंड को चूसने और चूमने लगेगी..

रिया ने जब देख की राज ने कोई जवाब नही दिया तो उसने उसके सूखे

होठों को चूमते हुए कहा... "राज बताओ ना तुम क्या चाहते हो कि मेरे

होठ वो सब करें...."

राज ने अपने हाथों से उसके चेहरे को अपने नज़दीक खींचा और उसके

होठों पर अपने होठ रख दिए... दोनो की जीब एक दूसरे से खिलवाड़

करने लगी.. दोनो एक दूसरे को बेतहाशा चूमने लगे.

"पीछले एक महीने मेने तुम्हे कितना मिस किया है पता है तुम्हे?"

रिया ने उसके होठों को जोरों से चूमते हुए कहा. "में जब भी

तुम्हे उसके साथ देखती तो मुझे ऐसा लगता कि मेरी जान ही निकली

जा रही है."

"पर में तुम दोनो से बहोत प्यार करता हूँ.... रिया." राज ने उसके

गालों पर हाथ फिराते हुए कहा.

"पर आज की रात तुम मेरे हो.... सिर्फ़ मेरे...." रिया ने राज से

कहा, "कहो कि तुम मुझे प्यार करते हो"

"में तुम्हे अपने दिल की गहराइयों से चाहता हूँ... सच..." राज ने

कहा...."मेरी गुड़िया में तुम्हे प्यार करना चाहता हूँ."

"में भी तुम्हे मेरी जान.... बहोत प्यार करना चाहती हू," कहकर

रिया ने राज को जोरों से बाहों मे भींच लिया और अपनी चुचियों को

उसकी छाती पर रगड़ने लगी.

रात के अंधेरे मे पार्किंग लॉट मे गाड़ी के अंदर दोनो की साँसे तेज

होने लगी... मुँह से हल्की उन्माद भारी सिसकियाँ फूटने लगी....

"पता है मुझे वो तालाब का किनारा बहोत याद आ रहा है... उस

चाँदनी रात मे तुम्हारा मुझे प्यार करना... सच मे बहोत अछा लगा

था उस दिन..." रिया ने उसे चूमते हुए कहा.

क्रमशः..................
 
23

गतान्क से आगे.......

राज को वो रात याद आने लगी जब उसने खड़े खड़े रिया के मुँह मे

अपना लंड डाल उसके मुँह को चोदा था....

शायद रिया भी उसी रात के ख़याल मे खोई हुई थी... "क्या चाहते हो

मेरे राजा... क्या आज फिर उसी दिन की तरह के मेरे मुँह को चोद्ना

चाहते हो...यही चाहते हो ना..." रिया ने उसकी पॅंट के उपर से उसके

लंड को मसल्ते हुए कहा.

राज जानता था कि उसे कुछ कहने की ज़रूरत नही है.. रिया सब कुछ

समझ जाती थी... यही तो फ़र्क था इन दोनो के बीच.... रिया उसकी

गोद से उतरी और उसके बगल मे गाड़ी की ज़मीन पर बैठ गयी... रिया

ने उसकी शर्ट को पॅंट के अंदर से बाहर खींच लिया... राज का पेट

और कमर नंगे हो गये... रिया झुक कर अपनी जीभ उसकी कमर और

पेट पर फिराने लगी.. एक झुरजुरी सी राज के बदन मे दौड़ गयी....

रिया ने उसकी पॅंट के बटन खोल दिए और उसे थोड़ा नीचे खिसका

दिया.... राज का लंड अंदर मचल उठा... वो भी उत्तेजना मे आज़ाद

होने के लिए के फड़फदा रहा था......रिया ने भी किसी भूकि बिल्ली

की तरह उसके लंड को पकड़ा और कपड़ों की क़ैद से आज़ाद कर दिया...

और फिर उसके सूपदे पर अपनी जीब फिराने लगी..

राज से सहन नही हो रहा था... घूटनो मे फँसी पॅंट उसे तकलीफ़

दे रही थी.. उसने थोड़ा सा उँचा उठाते हुए अपनी पॅंट को पूरी तरह

नीचे खिसका दिया और रिया के चेहरे को अपने लंड पर दबाने

लगा....."रिया चूसो इसे... देखो कैसे फड़फदा रहा है...ये."

रिया ने अपने मुँह को पूरी तरह ओओओ के रूप देते हुए खोला और उसके

लंड को अपने गले तक ले लिया... फिर अपनी थूक से भरी जीब को

उसके लंड से चिपकाते हुए उसे चूसने लगी....

सन्नाटे से भरी रात मे गाड़ी के अंदर 'स्पप्प्र स्पप्प्र' के आवाज़ गूंजने

लगी.... राज तो जैसे पागल हो गया.

"ऑश हाां चूवसो ऐसे ही चूऊवसो श अया हाां और ज़ोर से

चूसो." राज रिया के सिर को पकड़ नीचे से अपने लंड को और अंदर

तक घूसाते हुए बड़बड़ा उठा.

रिया उसके लंड को हाथो से पकड़ अपने मुँह को उपर नीचे कर जोरों

से उसके लंड को चूस रही थी....

थोड़ी ही देर मे राज के लंड ने उबाल खाना शुरू कर दिया....उत्तेजना

मे उसने अपना हाथ रिया के सिर पर से हटाया और गाड़ी की छत का

सहारा ले अपनी कमर उठा दी.... उसका लंड पहले से भी ज़्यादा उसके

गले के अंदर तक घुस गया....

जब उसका लंड पानी छोड़ने ही वाला था रिया ने अपना मुँह उसके लंड

पर से हटा लिया.

"ऑश रिया ये क्या किया तुमने... तुम्हे पता है मेरा छूटने ही वाला

था...." राज ने मायूसी भरे स्वर मे कहा.

"अभी नही मेरे राजा...." रिया धीरे से फुफूसा... "अभी मेरा

कुछ और करने का इरादा है."

रिया उठ कर उसके बगल मे बैठ गयी और अपनी छोटी स्कर्ट के अंदर

हाथ डाल दिया.. राज गहरी नज़रों से उसकी मुलायम टाँगो को देखता

रहा... इतने मे रिया ने अपनी पॅंटी उतार दी....

रिया एक बार फिर राज की गोद मे बैठ गयी... उसने अपनी शर्ट के

बटन खोल दिए.... उसकी सफेद ब्रा से ढाकी चुचियाँ नज़र आने

लगी... उसने अपने हाथ पीछे को किया और ब्रा का हुक खोल दिया

जिससे ब्रा ढीली पड़ गयी..... राज ने अपने हाथ बढ़ा कर ब्रा को

थोड़ा उपर किया और फिर उसकी चुचियों को मसल्ने लगा.

"ओ राज कितना अच्छा लग रहा है..." रिया ने उसकी गर्दन मे हाथ

डाल दिया.... "में कब्से इस दिन का इंतेज़ार कर रही थी.... कितना

तडपया है तुमने मुझे..... जब में जानती थी कि तुम मेरे पास ही

हो और अपनी बेहन को चोद रहे तो अपने आप को संभालना बहोत

मुश्किल हो जाता था राज... सच कहती हूँ में तुमसे बहोत प्यार

करती हूँ." रिया ने उसे चूमते हुए कहा.
 
जब तुम दोनो की चुदाई की आवाज़ें मेरे कानो मे पड़ती तो दिल हमेशा

यही कहता कि वो रोमा नही में हूँ.... तुम्हारे सपने देखते हुए

मेने कितनी बार अपनी चूत की गर्मी को उंगलियों से शांत किया तुम्हे

बता नही सकती." रिया उसे जोरों से चूमते हुए बोल रही थी.

रिया के मुँह से प्यार का इज़हार और इकरार सुन वो और उत्तेजित हो

गया... वो उसके खड़े लंड पर अपनी गीली चूत लिए बैठी थी....

उसका लंड उसकी चूत के पास मचल रहा था. वो अपने कूल्हे हिला अपनी

चूत को उसके लंड पर घिस रही थी.

राज उसकी चुचियों को ज़ोर ज़ोर से मसल्ने लगा.... उसकी खड़े निपल

को भींचने लगा.... रिया भी अपनी चूत का दबाव उसके लंड पर

बढ़ा रही थी.

"ऑश राज तुम्हारा लंड कितना मोटा और तगड़ा है."

"और तुम्हारी मखमल सी मुलायम चूत किसी भट्टी की तरह सुलग

रही है... और गीली भी हो गयी है..." राज ने उसकी चुचियों पर

अपनी जीब घूमाते हुए बोला.

"हा राज अब नही रहा जाता." कहकर रिया थोड़ा सा उपर को उठी और

अपना हाथ नीचे कर उसके खड़े लंड को पकड़ अपनी चूत के मुँह पर

लगा दिया.... फिर धीरे से नीचे बैठते हुए उसने उसके लंड को

अपनी चूत के अंदर ले लिया.

राज ने भी अपनी कमर उचक कर अपने लंड को उसकी चूत के अंदर

तक थेल दिया.

"ऑश राज तुम्हारा लंड कितना अच्छा लग रहा है.. ओह ऊवू"

"रिया में तुम्हे पाना चाहता हूँ." राज ने धीरे से कहा.

"में तुम्हारे पास ही हूँ राज .... जब भी जैसे भी तुम चाहो."

रिया ने वादा किया.

रिया ने राज के कंधों को पकड़ा और उछल उछल कर धक्के लगाने

लगी.... रिया ने उसके पूरे लंड को अपनी चूत के अंदर ले लिया

था..... इस आसन से राज का लंड रिया की चूत की दीवारों को

रगड़ता हुआ उसकी चूत का अंदर बाहर हो रहा था.

राज ने अपने दोनो हाथ रिया के कुल्हों के नीचे लगाए और अपने लंड

को उसकी चूत के अंदर बाहर करने लगा...

'ऑश हां ऐसे ही चूड़ो.... किसी लड़की की चुदाई ऐसी ही की जाती

है.. अब ज़ोर ज़ोर से मुझे छोड़ूओ और मेरे चेहरे पर वो मुस्कान दे

दो जिसे में जिंदगी भर ना भूल पयूं."

राज ने अपनी शर्ट के बटन खोल कर अपनी छाती को नंगा कर दिया

और रिया उसकी नंगी छाती पर अपनी चुचियाँ रगड़ने लगी... दोनो

एक दूसरे के होठों को चूस्ते हुए चुदाई मे लगे हुए थे.

रिया धीरे धीरे उपर नीचे हो उसके लंड पर धक्के मार रही

थी... और राज भी नीचे से अपनी कमर उठा उसका साथ दे रहा था..

"हां राज आज ऐसे ही प्यार से मुझे प्यार करो.. धीरे धीरे आज

बहोत अच्छा लग रहा है.. ओह हाआँ ऐसे ही.. ओह्ह्ह्ह" रिया सिसक रही

थी.

राज ने उसकी चुचि को पकड़ अपने मुँह के पास किया और उसके निपल को

अपने दाँत से काट लिया... फिर मुँह ले चुलबुलाने लगा... फिर पूरी

चकुही मुँह मे ले चूसने लगा.. एक हाथ से दूसरी चुचि को मसल्ते

हुए वो एक चूची को जोरों से चूसने लगा..

'ऑश राज हाआँ ऐसे ही चूवसो....ऑश थोड़ा ज़ोर से... हां आज खा

जाओ मेरी चुचि को ....ओह हां और ज़ोर से मसालो... श ओह.."

रिया की उत्तेजना अपनी चरम सीमा पर पहुँच चुकी थी.

रिया अब जोरों से उछल उछल कर धक्के मार रही थी.. गाड़ी के अंदर

गर्मी बढ़ती जा रही थी और साथ ही दोनो का शरीर पसीने से नहा

गया था... रिया झड़ने के करीब पहुँच चुकी थी.... राज भी अब

उसका पूरे ज़ोर से साथ दे रहा था... दोनो के सिसीक़ियों की आवाज़ गाड़ी

मे गूँज रही थी....

"ऑश हाआँ आआआः ऑश हाआँ ऐसे ही ऑश में करीब ही हूँ राज

मेरा चूओटने वाला है..." रिया सिसक रही थी.

रिया जोरों से राज के लंड पर उछल रही थी.... उसकी चूत मे तनाव

बढ़ता जा रहा था....वो ज़ोर से उपर होकर एक ही झटके मे राज के

लंड पर बैठती चली गयी..... और उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया.

"खुश हो ना मेरी जान." राज ने उसे चूमते हुए कहा.

"बहुत खुश हूँ." रिया अपनी गंद को उसके लंड पर घुमाते हुए

बोली... "लेकिन अभी खेल ख़तम नही हुआ है... है ना?"

"नही" राज ने कहा.

* * * * * * * * * * * *
 
रोमा और जीत इस तरह घुल मिल कर बातें कर रहे थे जैसे उनकी

बरसों की पुरानी जान पहचान हो.

"आज तुमसे मिलकर और बात कर के मेरे दिल का बहोत सारा बोझ हल्का

हो गया." रोमा ने जीत से कहा.

जीत और रोमा इसी दरमियाँ हॉल के टेबल से उठ कर कोने मे बने एक

बूथ मे बैठ गये थे.... बाहर संगीत जोरों से बज रहा था.

"ये रही तुम दोनो की ड्रिंक" ज्योति ने टेबल पर ड्रिंक रखते हुए

कहा. "बहुत जल्दी दोस्ती हो गयी तुम दोनो की, ज़रा बच कर रहना इस

शैतान से." ज्योति ने जीत की तरफ इशारा करते हुए रोमा से कहा.

"हाआँ....तुम तो ऐसे कह रही हो जैसे में रोज़ आकर कॉलेज की

लड़कियों को पाटता रहता हूँ." जीत ने हंसते हुए कहा, "ज्योति और

मेरे बीच इस तरह के मज़ाक चलते रहते है."

ज्योति ने हंसते हुए जीत के सिर पर हल्के से एक चपत

जमाए.. "औरों की तो में नही जानती लेकिन हाआँ... आज से पहले

ऐसी कॉलेज की लड़की तुम्हे नही मिली होगी."

ज्योति की बात सुनकर रोमा के मुँह से जोरों से हँसी छूट गयी..

उसने जल्दी से अपने मुँह पर हाथ रख कर हँसने लगी.... हंसते

हंसते उसका बुरा हाल हो गया.. और आँखों मे आँसू आ गये.

"बहुत दिनो बाद ऐसे खुल कर हँसी हूँ..." रोमा ने कहा.

"हँसना सेहत के लिए वैसे भी अछा होता है," जीत ने कहा, "वैसे

अगर तुम मेरे घर पर ट्यूशन लेने आओगी तो तुम्हारे बॉय फ़्रेंड को

बुरा तो नही लगेगा."

"मेरा कोई बॉय फ़्रेंड नही है," रोमा ने जवाब दिया, "में अपने भाई

और उसकी गर्ल फ़्रेंड के साथ रहती हूँ... और मुझे लगता है की उन

दोनो को कोई फरक नही पड़ेगा अगर में तुमसे ट्यूशन लूँगी तो."

"ये तो बहोत अच्छी बात है."

दो ड्रिंक के बाद रोमा को थोड़ा नशा होने लगा था.... उसका सिर

चकरा रहा था... जीत से मिलकर उसे बहोत अच्छा लगा था और कुछ

देर के लिए वो राज और रिया को अपने दीमाग से निकल चुकी थी.

"चलो बाहर चल कर बैठते है.. यहाँ थोड़ी घुटन सी हो रही

है." जीत ने रोमा की हालत देखते हुए कहा.

दोनो बाहर आकर एक टेबल पर बैठ गये... जीत ने ज्योति से कह कर

अपनी पसंद का गाना लगाने को कह दिया....

"क्या तुम मेरे साथ डॅन्स करना पसंद करोगी?" जीत ने रोमा की तरफ

हाथ बढ़ते हुए कहा.

"पता नही... ज्योति बार बार मुझे तुमसे सावधान रहने को कह रही

है.." रोमा ने हंसते हुए कहा.

"क्या तुम डरती हो मुझसे... तुम्हे लगता है की में तुम्हारे साथ कोई

ग़लत हरकत करूँगा." जीत ने पूछा.

"नही मुझे डर तुमसे नही अपने आपसे है... कि डॅन्स करते वक्त

कहीं मे गिर ना पदू.. मुझे नाचना नही आता." रोमा ने जवाब

दिया.

"ये तो और भी अछी बात है." जीत ने मुस्कुराते हुए कहा, "अब मुझे

पढ़ाई के अलावा तुम्हे और भी कुछ सीखाने का मौका मिल जाएगा."

रोमा को जीत पसंद आ गया था.. वो एक हस्मुख और अछा इंसान था..

उसने अपना हाथ आगे बढ़ा दिया.... जीत ने उसका हाथ पकड़ा और उसे

डॅन्स फ्लोर पर ले आया.... जीत ने उसकी कमर मे हाथ डाला और दोनो

गाने की धुन पर नाचने लगे.

"इतना अच्छा तो नाच रही हो." जीत ने कहा.

रोमा ने उसे कस कर पकड़ लिया और अपना सिर उसके बाएँ कंधे पर

टिका दिया.

"तुम ठीक तो हो ना?"

रोमा हल्के से मुस्कुराइ और उसकी पीठ पर हाथ फिराते हुए

बोली, "पहले से कहीं बेहतर... मेरी आज की रात रंगीन बनाने के

लिया शुक्रिया."

जीत ने किसी बुजुर्ग की तरह उसके माथे को चूम लिया, "ये तो मेरी

ख़ुशनसीबी है की मुझे तुम्हारी सहयता करने का मौका मिला."

दोनो इसी तरह एक दूसरे की बाहों मे बाहें डाले थोड़ी देर तक

नाचते रहे.

"चलो में तुम्हे घर छोड़ देता हूँ, रात काफ़ी हो चुकी है." जीत

ने रोमा से कहा.

जीत ने किसी अच्छे इंसान की तरह की होटेल का बिल चुकाया और रोमा

को सहारा देते हुए अपनी गाड़ी तक ले आया.... फिर रोमा को गाड़ी की

अगली सीट पर बिठा कर उसने गाड़ी रोमा के घर की तरफ बढ़ा दी.

रोमा ने उसे अपने मकान के सामने रुकने का इशारा किया तो जीत ने

गाड़ी रोक दी.

"तुम ठीक हो ना?" जीत ने एक बार फिर पूछा.

"हां में बिल्कुल ठीक हूँ.... क्या तुम अंदर आना चाहोगे?" रोमा ने

पूछा.

"नही रात काफ़ी हो चुकी है... अब में चलूँगा... हां अगर कोई

काम हो तो फोन करने मे मत हिचकिचाना... तुम्हारी मदद करके

मुझे खुशी होगी." जीत ने जवाब दिया.

"शुक्रिया आज तुमने मेरी काफ़ी मदद की उसके लिया." कहकर रोमा अपने

फ्लॅट मे चली गयी.
 
"ऑश इहहस ऑश" सिसकते हूर राज अपनी कमर उठा नीचे से

रिया को चोद रहा था.... और रिया भी जोरों से उछल उछल कर उसके

लंड का मज़ा ले रही थी... रिया दो बार झाड़ चुकी थी.. लेकिन उसकी

चूत गर्मी शांत ही नही हो रही थी.

राज का लंड पूरे उबाल पर था... उसने रिया को कमर से पकड़ा और

अपना लंड पूरा अंदर घुसाते हुए अपने वीर्य की पिचकारी उसकी चूत

मे छोड़ दी.

रिया भी पूरी ताक़त से उसके लंड पर बैठ अपनी चूत की

मांसपेशियों को कस उसके लंड को अपनी गिरफ़्त मे ले लिया.

'ऑश हाआँ चूड़ो ऑश ऐसे ही ऑश हन आअज भर दो मेरी चूत को

अपने रस से....ऑश और अंदर तक घुसा डूऊ." रिया अपनी चूत को

उसके लंड पर रगड़ते हुए सिसकने लगी.

जब राज का लंड शांत हुआ तो रिया ने उसके होठों को चूम

लिया, "ऑश राज आज तुमने मेरी कितने दिनो की प्यास बुझा दी.....

में तुमसे बहुत प्यार करती हूँ."

दोनो का बदन पसीने मे नाहया हुआ था... गाड़ी मे उनकी उखड़ी साँसों

की आवाज़ गूँज रही थी... वातावरण मे गर्मी बढ़ी तो राज ने ड्राइवर

सीट वाली खिड़की नीचे कर डी..ठंडी हवा का झोंका उनके बदन से

टकराया तो एक बार लिया दोनो बदन एक साथ कांप उठे.

राज का लंड मुरझा कर रिया की चूत की बाहर आ चुका था.

"तुम्हे क्या लगता है रोमा इस समय क्या कर रही होगी?" राज ने रिया

से पूछा.

"प्लीस राज रोमा के बारे मे मुझसे कोई सवाल मत करो... सही पूछो

तो मुझे मतलब भी नही है.. बस मुझे इसी तरह अपनी बाहों मे

भींचे रहो." रिया ने अपनी बाहों का कसाव बढ़ाते हुए जवाब दिया.

रिया की चुचियाँ राज की छाती से रगड़ खाने लगी तो रिया ने अपनी

जीब राज के मुँह मे डाल दी... राज उसकी जीब को चूसने लगा....

दोनो एक बार फिर एक दूसरे को चूमने चूसने लगे.

"चलो गाड़ी की पिछली सीट पर चलते है... में तुम्हारे नंगे

बदन को अपने बदन पर महसूस करना चाहती हूँ." रिया ने उसके

होठों को चूस्ते हुए कहा.

"हमे तूरंत घर चलना चाहिए." राज ने कहा.

"अभी नही राज... तुम्हारी बेहन एक रात तुम्हारे बिना गुज़ार सकती

है... आज की रात मुझे तुम्हारी ज़रूरत है.. और शायद अब तक तो

वो सो भी चुकी होगी... चलो पीछे चलते है."

एक एक कर के दोनो आगे की सीट से खिसक कर पीछे की सीट पर आ

गये. रिया ने अपना ब्लाउस और ब्रा खोल कर निकाल दिया. जब राज सीट

पर अछी तरह से बैठ गया तो वो उसके सामने नीचे बैठ गयी और

उसके मुरझाए लंड को अपने हाथो मे ले मसल्ने लगी.

"रिया में फिर से कुछ कर पाऊ.. उसमे हो सकता है कुछ वक्त

लगे...." राज ने उसे बताया.

रिया ने एक शैतानी मुस्कुराहट के साथ कहा, "ये सब तुम मुझपर

छोड़ दो.."

रिया के हाथों की गर्माहट पाकर उसका लंड फिर से हरकत करने

लगा.... रिया ने अपनी पूरी जीब को बाहर निकालते हुए उसके लंड के

नीचले हिस्से से चाटना शुरू किया फिर उपर तक आकर वो उसके लंड

के सूपदे के छेद पर अपनी जीब की नोक रगड़ने लगी..... कुछ मिनटों

मे ही राज का लंड फिर तनने लगा.... राज सीट के सहारे पसर सा

गया और रिया ने उसके लंड को अपने मुँह मे ले लिया.

पहले तो रिया धीरे धीरे उसके लंड को चूस रही थी.. लेकिन जब

लंड पूरी तरह तन गया तो वो जोरों से चूसने लगी... राज ने अपना

हाथ उसके सिर पर रख दिया और अब नीचे से उसके मुँह मे धक्के

लगाने लगा.

रिया के बदन मे भी गर्मी बढ़ने लगी थी... उसके निपल तन चुके

थे..... चूत मे सरसराहट हो रही थी... उसने अपना दूसरा हाथ

नीचे किया और अपनी चूत को रगड़ने लगी.

"लगता है तुम फिर से तैयार हो गये हो?" रिया ने अपने मुँह को उसके

लंड पर से हटाते हुए कहा.

"नही अभी थोड़ी कसर बाकी है.." कहकर उसने रिया के मुँह को फिर

अपने लंड पर झुका दिया.

क्रमशः..................
 
24

गतान्क से आगे.......

रिया जानती थी कि वो रोमा से अच्छा लंड चूसना जानती है. और राज

ये बात जानता था क्यों कि लंड चूसवाना राज की कमज़ोरी थी....वो

खुशी खुशी एक बार फिर राज का लंड चूसने लगी.

"तुम यही चाहते हो ना.... " एक वासनात्मक मुस्कान के साथ उसने पूछा

और फिर से उसके लंड को मुँह मे ले चूसने लगी.

"हाआन्न....ऐसी ही चूसो....ओह हाँ और ज़ोर से जीब को भींच कर

चूसो." राज सिसकते हुए बोला.

"ठीक है में चूस कर तुम्हारा पानी छुड़ा दूँगी... लेकिन हमारे

घर पहुँचने पर अगर रोमा सो चुकी होती तो आज कि रात तुम्हे मेरे

साथ सोना होगा." रिया ने कहा.

"तुम जो कहोगी में करूँगा.... लेकिन अभी रूको मत....बस ज़ोर ज़ोर

से चूस्ति रहो...ऑश हाआँ चूवसू."

रिया राज के लंड को जोरों से चूसने लगी.... वो उसे अपने होठों से

दबा अपनी जीब से रगड़ते हुए चूस रही थी... उसका मुँह लंड पर

तेज़ी से उपर नीचे हो रहा था....

"ऑश हाआँ ऐसे ही... हाआँ जूओरों से.... तुम कितना अच्छा लंड

चूस्टी हूओ ऑश हाआँ... में गया...." बड़बड़ाते हुए राज ने अपनी

कमर उपर को उठाया और उसके गले मे ज़ोर की पिचकारी छोड़ दी...

रिया उसके वीर्य को पी गयी... उसके लंड को मसल्ते हुए वो एक एक

बूँद को निचोड़ निचोड़ कर पीने लगी.

"आज हम दोनो कितने खुश हैं... है ना?" रिया ने मुँह को उसके लंड

पर से हटाते हुए कहा.

"हां रिया आज में बहोत खुश हूँ..." राज ने उसके होठों को

चूमते हुए कहा.

थोड़ी देर सुसताने के बाद दोनो ने अपने कपड़े ठीक किए... और घर

की ओर चल पड़े.....

"राज याद है ना मेने क्या कहा था... अगर रोमा सो रही होगी तो

तुम्हे मेरे साथ सोना होगा." रिया ने उसकी जाँघ पर हाथ फिराते हुए

कहा.

दोनो घर पहुँचे तो देखा कि रोमा सो ही नही रही थी बल्कि ज़ोर

ज़ोर से खर्राटें ले रही थी.... रोमा को इस तरह सोते देख दोनो के

चेहरे पर खुशी छा गयी....

रिया किचन मे खड़ी अपने लिए पानी का ग्लास भर रही थी कि तभी

फोन की घंटी बजी... उसने कमरे मे आकर फोन उठा लिया.

"हेलो?"

"रिया?" उसे दूसरी तरफ से जय की आवाज़ सुनाई पड़ी.

"हाई भाई.. कैसे हो? कितने दीनो बाद फोन कर रहे हो" रिया ने खुश

हो कर कहा. "हम दोनो एक ही शहर मे रहते हुए भी बड़ी मुश्किल से

एक दूसरे से मिल पाते है."

"क्या हम बात कर सकते है?"

रिया सोच मे पड़ गयी... उसे कुछ शक़ होने लगा... जय को कभी

पूछने की ज़रूरत नही थी... उसकी घबराई हुई आवाज़ ने उसे डरा दिया

था.

"सब कुछ ठीक तो है ना जय?" रिया ने पूछा.

दूसरी तरफ जय थोड़ी देर शांत रहा, "नही... क्या हम कहीं अकेले मे

मिल सकते है.. मुझे तुमसे कुछ बात करनी है."

"तुम किसी भी समय घर पर आ सकते हो.... रोमा अपने नये टूटर के

साथ बाहर गयी है....और राज लाइब्ररी गया गया है कुछ रिपोर्ट

तैयार करने" रिया ने जे से कहा.

में जितनी जल्दी हो सका वहाँ पहुँचता हूँ." जे ने जवाब दिया.

"रानी कहाँ है?" रिया ने अपने भाई से पूछा.

"वो यहीं है.. में उससे कोई बहाना बनाकर अभी तुम्हारे पास

पहुँचता हूँ" जय ने जवाब दिया.

फोन रखकर रिया सोचने लगी कि जय को ऐसा क्या काम पड़ गया..

उसपर ऐसी क्या मुसीबत आ गयी है..... पानी का ग्लास लिए वो खिड़की

के पास आई और पर्दे हटा कर बाहर देखने लगी.

अगले बीस मिनिट तक रिया के मन मे अलग अलग विचार आते रहे.. क्या

हुआ जय और रानी के बीच... क्या दोनो आपस मे झगड़ पड़े या फिर कोई

बीमार हो गया है....

जब दरवाज़े की घंटी बजी तो रिया के चेहरे पर मुस्कान आ गयी.. अपने

भाई से मिलने की खुशी मे वो उछल कर दरवाज़े तक गयी और दरवाज़ा

खोल दिया.
 
"जय आऊ..." उसने खुशी मे जय को गले लगा लिया. फिर थोड़ा पीछे

हटकर जय को निहारने लगा... उसका भाई कितना बदल गया था.. चौड़ा

सीना खिला हुआ चेहरा...

"आओ अंदर आओ और आराम से बैठ कर मुझे बताओ क्या हुआ..." रिया ने

उसका हाथ पकड़ उसे सोफे पर बिठाया, "जब से तुम्हारा फोन आया मुझे

कितनी चिंता हो रही है."

जय सोफे पर बैठ गया तो रिया उसके बगल मे बैठ कर अपने हाथ को

उसके कंधे पर रख दिया.... कितने दिनो बाद आज वो अपने भाई से मिल

रही थी.

"रानी मा बनने वाली है" जे ने कहा.

"मुबारक हो! ये तो खुशी की बात है." रिया ने उसे गले लगाते हुए कहा.

पर रिया को लगा कि जय इस बात से खुश नही है और कोई तो बात है

जो उसे खाए जा रही है..

"ऑश अब समझी शायद तुम ये सब इतनी जल्दी नही चाहते थे.. है

ना?" रिया ने कहा.

"हां... कल मेरे और रानी के बीच इस बात को लेकर काफ़ी बहस भी

हुई.. " जय ने जवाब दिया. "समझ मे नही आता क्या करूँ.. जब ज़्यादा

दिन हो जाएँगे तो उसे अपना काम छोड़ना पड़ेगा और में अकेला इतने सारी

ज़िम्मेदारियों को नही निभा पाउन्गा.. घर का खर्चा..गाड़ी वग़ैरह..

समझ मे नही आता में क्या और कैसे करूँ."

रिया ने प्यार से उसके गालों को चूम लिया और अपना सिर उसके कंधे पर

रख दिया.. "पता है जय में कितनी खुश थी तुम्हे लेकर.... काश

मेरे पास इस समस्या का कोई हल या जवाब होता.."

"में तुमसे कोई मदद माँगेने नही आया.. ये तो में भी समझता हूँ

कि इसका हल तो मुझे और रानी को मिलकर ही निकलना है.. " जय ने उसकी

कमर मे हाथ डालते हुए कहा." वो तो बस तुम्हारी याद आ रही थी और

में सोच रहा था कि तुम्हारी जिंदगी कैसे गुज़र रही है."

रिया ने अपना चेहरा उठाया और उसके बालों मे अपना हाथ फिराने लगी..

उसके दिल का दर्द आँसू बन उसके चेहरे पर छलक आया.

"माफ़ करना रिया.. में तुम्हे तकलीफ़ नही देना चाहता था." जय अपनी

बेहन को गले लगाते हुए बोला.

रिया ने अपने आँसू पौन्छे और अपने जज्बातों को हटाते हुए बोली, "कोई

बात नही जय... में भी अपने दिल की बात तुमसे करना चाहती हूँ..

वो क्या है ना रोमा मेरे और राज के बीच आ गयी है..फिर भी हम

दोनो आपस मे समय निकाल ही लेते है.."

"क्या तुम उससे बहोत प्यार करती हो?" जे ने पूछा.

रिया ने अपनी गर्दन हन मे हिला दी.

"जानती हो रिया जब तुमने हमारे साथ तालाब के किनारे आना शुरू किया

में तभी समझ गया था. कि राज तुम्हे पसंद है.. लेकिन ये जज़्बा

इतना बढ़ जाएगा ये मुझे मालूम ना था."

"राज भी मुझसे बहोत प्यार करता है" रिया ने तुरंत कहा, "लेकिन वो

अपनी बेहन को भी उतना ही प्यार करता है... कभी कभी तो मुझे

लगता है कि वो अपनी बेहन के साथ खुश नही है.. इसीलिए में

इंतेज़ार कर रही हूँ उस दिन का जिस दिन वो उसे छोड़ मेरे पास आ जाएगा."

जय मुस्कुराते हुए रिया को देखने लगा... वो बचपन से ही रिया की

बहोत इज़्ज़त करता था और दिल से उसे बहोत प्यार करता था... वो जाने

अंजाने मे भी उसे कोई तकलीफ़ नही पहुँचाना चाहता था.... पर जो हो

सकता है वो तो उसे कहना ही था, "हो सकता है राज रोमा का साथ कभी

ना छोड़े?"

जय की बात सुन रिया की रुलाई फुट पड़ी"में भी ये जानती

हूँ....पर में क्या करू.. में राज के बिना नही रह सकती.. बहोत

प्यार करती हूँ उससे." उसने रोते हुए अपना चेहरा जय के कंधों मे

छुपा लिया....जय उसकी पीठ को सहला उसे सांत्वना देने लगा.

"माफ़ करना रिया,... काश हम अपने गुज़रे हुए कल को वापस ला सकते..

मुझे आज भी वो दिन याद है जब तुम कॉलेज से छुटकर घर आती और

हम सब मिलकर तालाब के किनारे मज़े करते."

"हां सो तो है.. काश वो दिन वापस लौट आते?" रिया ने सोच भरी

आवाज़ मे कहा.

अचानक रिया ने अपने होंठ जय के होठों पर रख दिए.. दोनो के होठ

मिले और दोनो एक दूसरे के होठों को चूसने लगे.

"जय पता है में तुम्हे कितना मिस कर रही थी.. हमेशा तुम्हारी

याद आती रहती थी." रिया ने कहा, "आज बता दो कि तुम मुझे उतना ही

याद करते थे और उतना ही प्यार करते हो जितना पहले करते थे."

रिया की बात सुनकर जय सोच मे पड़ गया.... वो रानी के बारे मे सोचने

लगा.. अगर उसे पता चल गया कि उसका अपनी ही बेहन के साथ रिश्ता

है तो आफ़त खड़ी हो जाएगी... पर रिया के शब्दों की मायूसी और दिल

मे चाहत... वो एक धरम संकट मे फँस चुका था.. उसकी समझ मे

नही आ रहा था कि वो क्या करे क्या कहे.

"प्लीज़ जय में समझ रही हूँ तुम क्या सोच रहे है.. लेकिन आज

मुझे तुम्हारी ज़रूरत है.. में किसी अपने के स्पर्श के लिए तरस

रही हूँ... प्लीज़ मुझे प्यार करो ना." रिया ने लगभग गिड़गिदते

हुए कहा.

"यहाँ हाल मे नही कभी भी कोई भी आ सकता है और में कोई ख़तरा

नही उठा सकता." जय ने जवाब दिया.

"तो फिर मेरे बेडरूम मे चलते है." रिया ने उसका हाथ पकड़ते हुए कहा.

* * * * * * * * *

पता नही क्यों रोमा को घबराहट के मारे माथे पर पसीना आ रहा

था... उसने अपने माथे का पसीना रूमाल से पौंच्छा और जीत के मकान

की घंटी बज़ा दी. उसने नीले रंग की डेनिम की शॉर्ट्स पहन रखी थी

और उस पर एक पीच रंग का टी शर्ट. अपने कपड़ों को ठीक कर वो

दरवाज़ा खुलने का इंतेज़ार करने लगी. जब दरवाज़ा खुला और जीत का

चेहरा नज़र आया तो उसके होठों पर मुस्कान आ गयी.
 
"तुम मुस्कुरा रही हो इसका मतलब है कि तुम्हारे पेपर ठीक हुए है."

जीत ने कहा.

"हां ये सब तुम्हारी वजह से हुआ है... थॅंक्स." रोमा ने जवाब दिया.

"आओ अंदर आओ." जीत ने उसकी कमर मे हाथ डालते हुए कहा.

जीत के हाथों का स्पर्श अपनी कमर पर रोमा को अछा लग रहा था....

"चलो आज इस खुशी मे बाहर जाकर कहीं पार्टी करते है." जीत ने

कहा.

"में एक अछा रेस्टोरेंट जानता हूँ.. चलो वहीं चलते है.. तुम्हे

अछा लगेगा." जीत ने कहा.

रोमा का दिल खुशी से भर उठा.. "जीत तुम बहुत अच्छे हो.. तुम इतना

सब मेरे लिए क्यों कर रहे हो?" रोमा ने अपना सिर उसके कंधों पर

रखते हुए पूछा.

"इसलिए की मुझे तुम्हारा साथ अच्छा लगता है." जीत ने अपने दिल की

बात कही. जीत रोमा के खिलखिलाते चेहरे और उस पर छाई खुशी को

नही देख सका.

बीस मिनिट बाद दोनो एक रेस्टोरेंट मे दाखिल हो रहे थे जिसका नाम

था 'कपल्स'

"ये तुम मुझे कहाँ ले आए." रेस्टोरेंट का नाम पढ़ वो हंसते हुए बोली.

"कहनी नही बस.. तुम्हे इस सहर की सैर करा रहा हूँ."

दोनो रेस्टोरेंट के अंदर आकर एक कॅबिन मे बैठ गये... जीत ने

वेटर को बुला कर खाने का ऑर्डर दे दिया.

थोड़ी देर मे वेटर टेबल पर खाना लगा गया.. वेटर के जाते ही

जीत ने रोमा की कमर मे हाथ डाल उसे अपने नज़दीक खींच लिया..

मुस्कुराते चेहरे से वो रोमा के चेहरे को निहारने लगा... उसका बदन

कांप रहा था... वो उसे चूमना चाहता था लेकिन हिक्किचाहत और डर

के मारे वो ऐसा नही कर पाया.

"तुम बहोत सुंदर हो रोमा... जी करता है कि तुम्हे चूम लूँ." जीत

हिक्किचाते हुए कहा.

"तो फिर चूमते क्यों नही...." रोमा ने मुक्सुरा कर जवाब दिया.

जीत ने उसके चेहरे को अपने हाथो मे लिया और अपने होठ उसके होठों

पर रख उसे चूमने लगा... इतने महीनों मे वो पहली बार इस तरह

रोमा को चूम रहा था... रोमा भी उसका साथ देने लगी और उस पर

झुकते हुए उसने अपनी चुचियों को उसके छाती पर गढ़ा दी.

अपनी चुचियों को उसकी छाती पर रगड़ते हुए रोमा ने अपनी जीब उसके

होठों मे डाल दी.... जीत भी काम विभोर हो उसकी जीब को चूसने

लगा....

रोमा भी उत्तेजित हो गयी थी... उसकी चुचियों कठोर हो गयी थी और

निपल तन कर खड़े हो चुके थे...जीत का हाथ अब उसके चेहरे से हट

कर उसकी पीठ पर आ गया था और वो उसकी पीठ को सहलाने

लगा......फिर फिसलते हुए उसके हाथ उसके कुल्हों पर आ गये और उसने

उसके कुल्हों को अपने हाथों मे भर मसल दिया.... रोमा अपनी चुचियों

को और ज़ोर से उसकी छाती पर रगड़ने लगी... जीत का लंड भी पॅंट के

अंदर हरकत करने लगा था....

जीत ने अपने आप को रोमा से अलग किया, "तुम्हे चूम कर बहोत अछा

लगा रोमा."

"अगर अछा लगा तो रुक क्यों गये..?" रोमा ने पूछा.

"हमे खाना भी तो खाना है." जीत ने टेबल पर पड़े खाने की ओर

देखते हुए कहा.

"हां वो तो है." रोमा ने खिलखिलते हुए कहा... जीत की हालत देख

उसे हँसी आ रही थी.

जीत के अलग होते ही रोमा ने अपनी निगाह उसकी जाँघो की ओर डाली जहाँ

लंड तन कर खड़ा हो चुका था... रोमा ने अपनी उंगली धीरे से पॅंट

के उपर से लंड पर फिराई.... और फिर अपना हाथ हटा हँसने लगी.

"तुम बहोत शैतान हो?" जीत ने उसे डाँटते हुए कहा.

"हां वो तो हूँ... और कभी कभी इससे भी ज़्यादा शैतान हो जाती

हूँ." रोमा ने फिर हंसते हुए कहा.

दोनो मिलकर खाना खाने लगा... जीत एक निहायत ही शरीफ और

हॅंडसम नौजवान था.. रोमा उसे पसंद करने लगी थी.. उससे उमर मे

थोड़ा बड़ा था तो क्या हुआ....आख़िर वो कब तक अकेली रहेगी.. जिससे वो

सच्चा प्यार करती थी उसका भाई राज.. उसे रिया मे दिलचस्पी ज़्यादा

थी.....दिल मे छुपे दर्द ने एक बार फिर उसकी आँखों को भीगो दिया.

जीत रोमा को देख सोचने लगा... उसे नही पता था कि रोमा के साथ

बढ़ता रिश्ता कहाँ तक जाएगा.. जब उसने रोमा की मदद करने को कहा

तो उसके दिल मे कोई भावना नही थी.. वो एक शरीफ इंसान की तरह

उसकी मदद करना चाहता था... उसने दिल और मन दोनो लगाकर उसकी

पढ़ाई मे मदद की थी.

पर वक्त के साथ हालत और रिश्ते बदल गये थे.. वो रोमा को पसंद

करने लगा था.. रोमा भी काफ़ी बदल गयी थी...दिल कहता था कि रोमा

को उससे प्यार हो गया था लेकिन वो अपने प्यार का इज़हार करते हुए डरता

था... कई रातें उसने अपने लंड को मसल्ते रोमा के सपने देखे

थे... और रोमा की हरकत सॉफ इशारा कर रही थी कि उसका सपना

हक़ीकत मे बदालने वाला था.

* * * * * * *

बेडरूम मे आते ही रिया ने अपने कपड़े उतारे और नंगी अपने पलंग पर

लेट गयी.. जे भी पीछे नही रहा वो भी नंगो होकर अपनी बेहन के

बगल मे लेट गया.... उसका लंड अभी तन कर खड़ा नही हुआ था....

"जय आज में तुम्हारी हूँ.." रिया ने अपने नंगे जिस्म को अपने भाई को

पेश करते हुए कहा, "तुम जैसे चाहो इससे खेल सकते हो.. में कुछ

नही कहूँगी."

"में चाहता हूँ कि तुम मेरा लंड चूसो... जब तुम्हारे होठ मेरे

लंड को अपनी गिरफ़्त मे ले चूस्ते है तो मुझे बहोत अछा लगता है."

जय ने कहा.

जय अपनी आँखे बंद किया लेटा रहा और रिया उसकी टाँगो के बीच आकर

उसने उसके लंड को अपने मुँह मे ले चूसने लगी.

"क्या रानी भी तुम्हारे लंड को चूस्ति है?" रिया ने पूछा.

"कभी कभी." जय ने जवाब दिया.
 
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