hotaks444
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पायल दीदी और जय भैया मेरे दाँये-बाँये के सिंगल सोफे पर और काजल मेरे साथ लंबे सोफे पर आकर बैठ गयी, मूवी शुरू हुई तो सभी उसमे खो से गये, एक के बाद एक डरावने सीन को देख कर सभी की हालत खराब हो रही थी.
अचानक काजल ने मेरे बाजू मे अपनी बाहे फसा दी और खिसक कर मेरे करीब आ गयी और धीरे से बोली – “ये तो बड़ी डरावनी मूवी है… मुझे तो डर लग रहा है…”
उसकी बात सुनकर दूर बैठा जय बोला : “तुझे बोला था ना कि तू मत देख, बेकार मे डरेगी…” और फिर सभी मूवी देखने मे व्यस्त हो गये…
सिर्फ़ मुझे छोड़कर क्योंकि काजल के इतने करीब आने की वजह से उसके नन्हे स्तन मेरी बाजू से टकरा कर मुझे एक अलग ही आनंद प्रदान कर रहे थे, उसकी नरम चुचियाँ रूई के गोले की तरह मेरी बाहों पर रगड़ खा रही थी. मेरा लंड धीरे-2 खड़ा होने लगा..
अचानक एक सीन आया जिसमे दरवाजा खुलते ही कुछ उपर गिरता है हीरो के, और वो देख कर काजल के मुँह से जोरदार चीख निकल गयी… मैने हंसते हुए उसके सिर पर थपकी देते हुए कहा : “काजल, तू एक काम कर, डर लग रहा है तो उपर चली जा, वरना यहीं सो जा..”
उपर जाने का तो सवाल ही नही था, डरावनी मूवी देख कर अकेले मे वो कैसे सो पाएगी. इसलिए वो वही लेट गयी, सिर को उसने मेरी गोद मे रखा और मेरे पेट की तरफ मुँह करके आँखे बंद करके सो गयी..
जय भी बोला : “हां, ये सही किया तूने, वरना पूरी रात जागना पड़ता तुझे सुलाने के लिए…”
जय और पायल दीदी तो दोबारा मूवी देखने मे मस्त हो गये पर मेरी हालत खराब थी, कारण था मेरा खड़ा हुआ लंड, जो पिछले 10 मिनट से खड़ा होकर स्टील का डंडा बन चुका था और उसी के बिल्कुल करीब आकर काजल ने अपना मुँह लगा दिया था… और वो इतना करीब था कि उसकी गरम साँसे मैं अपने लंड पर सॉफ महसूस कर पा रहा था, सिर्फ़ 1-2 कपड़े थे बीच मे.. और कुछ नही…
सबकी मूवी देख कर और मेरी काजल को देख कर हालत खराब हो रही थी.. सब सोच रहे थे कि वो सो गयी है पर सिर्फ़ मैं ही जानता था कि वो जाग रही है..
क्योंकि उसने अपने हाथ से मेरी जाँघ वाले हिस्से को सहलाना शुरू कर दिया था… पता नही क्यो पर वो उसे लगातार सहलाए जा रही थी अपने नखुनो से… मुझे मज़ा तो बहुत आ रहा था ऐसे सेनुयल टच से पर मेरी फट भी रही थी क्योंकि जय भैया वही बैठे थे..
फिर कुछ देर बाद मैने भी हिम्मत करके अपना एक हाथ उसकी जाँघ पर रख दिया और उसे भी ठीक वैसे ही सहलाने लगा जैसे वो सहला रही थी. मेरे हाथो को महसूस करके वो मुस्कुरा उठी और धीरे-2 वो अपनी उंगलियो को और उपर लाने लगी.. मेरे लंड की तरफ.
मेरे हाथ भी उसी के अनुसार उसकी जाँघ से खिसकते हुए उसकी चूत की तरफ जाने लगे… मैं उसके चेहरे को देखे जा रहा था ताकि मुझे ये पता चल सके कि वो अब भी मेरी हरकतों को एंजाय कर रही है या नही…
उसके चेहरे से तो नही पर उसकी तेज हो चुकी सांसो को अपने लंड पर महसूस करके मुझे पता चल रहा था कि उसकी हालत भी मेरी तरह ही है… उसकी नन्ही छातियाँ उपर नीचे हो रही थी, उत्तेजित हो चुकी थी वो भी..
पर यहाँ हम कर भी क्या सकते थे, मेरी बहेन थी वहाँ, काजल का भाई भी वही था.. ऐसे मे कुछ करने का तो सवाल ही नही पैदा होता था.. पर एक बात तो तय थी कि काजल की जवानी भी लहरे मार रही है… और उसे अपनी बोतल मे उतारना मुश्किल नही होगा..
अचानक काजल ने मेरे बाजू मे अपनी बाहे फसा दी और खिसक कर मेरे करीब आ गयी और धीरे से बोली – “ये तो बड़ी डरावनी मूवी है… मुझे तो डर लग रहा है…”
उसकी बात सुनकर दूर बैठा जय बोला : “तुझे बोला था ना कि तू मत देख, बेकार मे डरेगी…” और फिर सभी मूवी देखने मे व्यस्त हो गये…
सिर्फ़ मुझे छोड़कर क्योंकि काजल के इतने करीब आने की वजह से उसके नन्हे स्तन मेरी बाजू से टकरा कर मुझे एक अलग ही आनंद प्रदान कर रहे थे, उसकी नरम चुचियाँ रूई के गोले की तरह मेरी बाहों पर रगड़ खा रही थी. मेरा लंड धीरे-2 खड़ा होने लगा..
अचानक एक सीन आया जिसमे दरवाजा खुलते ही कुछ उपर गिरता है हीरो के, और वो देख कर काजल के मुँह से जोरदार चीख निकल गयी… मैने हंसते हुए उसके सिर पर थपकी देते हुए कहा : “काजल, तू एक काम कर, डर लग रहा है तो उपर चली जा, वरना यहीं सो जा..”
उपर जाने का तो सवाल ही नही था, डरावनी मूवी देख कर अकेले मे वो कैसे सो पाएगी. इसलिए वो वही लेट गयी, सिर को उसने मेरी गोद मे रखा और मेरे पेट की तरफ मुँह करके आँखे बंद करके सो गयी..
जय भी बोला : “हां, ये सही किया तूने, वरना पूरी रात जागना पड़ता तुझे सुलाने के लिए…”
जय और पायल दीदी तो दोबारा मूवी देखने मे मस्त हो गये पर मेरी हालत खराब थी, कारण था मेरा खड़ा हुआ लंड, जो पिछले 10 मिनट से खड़ा होकर स्टील का डंडा बन चुका था और उसी के बिल्कुल करीब आकर काजल ने अपना मुँह लगा दिया था… और वो इतना करीब था कि उसकी गरम साँसे मैं अपने लंड पर सॉफ महसूस कर पा रहा था, सिर्फ़ 1-2 कपड़े थे बीच मे.. और कुछ नही…
सबकी मूवी देख कर और मेरी काजल को देख कर हालत खराब हो रही थी.. सब सोच रहे थे कि वो सो गयी है पर सिर्फ़ मैं ही जानता था कि वो जाग रही है..
क्योंकि उसने अपने हाथ से मेरी जाँघ वाले हिस्से को सहलाना शुरू कर दिया था… पता नही क्यो पर वो उसे लगातार सहलाए जा रही थी अपने नखुनो से… मुझे मज़ा तो बहुत आ रहा था ऐसे सेनुयल टच से पर मेरी फट भी रही थी क्योंकि जय भैया वही बैठे थे..
फिर कुछ देर बाद मैने भी हिम्मत करके अपना एक हाथ उसकी जाँघ पर रख दिया और उसे भी ठीक वैसे ही सहलाने लगा जैसे वो सहला रही थी. मेरे हाथो को महसूस करके वो मुस्कुरा उठी और धीरे-2 वो अपनी उंगलियो को और उपर लाने लगी.. मेरे लंड की तरफ.
मेरे हाथ भी उसी के अनुसार उसकी जाँघ से खिसकते हुए उसकी चूत की तरफ जाने लगे… मैं उसके चेहरे को देखे जा रहा था ताकि मुझे ये पता चल सके कि वो अब भी मेरी हरकतों को एंजाय कर रही है या नही…
उसके चेहरे से तो नही पर उसकी तेज हो चुकी सांसो को अपने लंड पर महसूस करके मुझे पता चल रहा था कि उसकी हालत भी मेरी तरह ही है… उसकी नन्ही छातियाँ उपर नीचे हो रही थी, उत्तेजित हो चुकी थी वो भी..
पर यहाँ हम कर भी क्या सकते थे, मेरी बहेन थी वहाँ, काजल का भाई भी वही था.. ऐसे मे कुछ करने का तो सवाल ही नही पैदा होता था.. पर एक बात तो तय थी कि काजल की जवानी भी लहरे मार रही है… और उसे अपनी बोतल मे उतारना मुश्किल नही होगा..