hotaks444
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हालाँकि आशना को वीरेंदर पर यकीन था मगर उसके दिल मे एक डर भी पैदा हो गया था. आशना के जाते ही वीरेंदर ने स्कॉच का ऑर्डर रिपीट किया. थोड़ी देर बाद जब आशना वॉश रूम से बाहर आई तो उसे सारे टेबल्स घूमते हुए नज़र आने लगे. आशना का शरीर एक दम हल्का महसूस कर रहा था. धीरे धीरे चलकर वो अपने टेबल तक पहुँची. टेबल पर रखे दो ग्लास देख कर आशना बोली: यह क्या???
वीरेंदर: मैने सोचा आज हमारी पहली डेट है तो सेलेब्रेशन तो बनती ही है.
आशना: अच्छा??? तो पहले किस ख़ुसी मे पी थी???
वीरेंदर: खुशी मे????? अरे वो तो गम मे पी थी.
आशना(मुस्कुरा कर):आपको किस बात का गम लग गया जनाब.
वीरेंदर: बहुत बड़ा गम है मुझे.
आशना: ज़रा हम भी तो सुनें कि जनाब किस गम मे आज पी रहे है और पिला रहे हैं. यह कह कर आशना ने अपना ग्लास उठाया.
वीरेंदर: मेरी गर्लफ्रेंड और होने वाली बीवी मेरे साथ है और मुझे एक किस भी नहीं देती.
वीरेंदर पर भी वाइन का नशा हावी होने लगा था.
आशना: किस?????
वीरेंदर: मेरा मतलब किस, मतलब चहुउऊउउम्म्मी और यह कह कर वीरेंदर ने अपनी उंगली अपने होंठों पर रख कर इशारे से आशना को समझाया.
आशना: हाहहहहा, कितना बड़ा गम है तुम्हे, मुझे तो रोना आ रहा है.
वीरेंदर: रोना मत, प्लीज़ रोना मत. नहीं तो मैं भी रो दूँगा.
इस वक्त दोनो शराब के नशे मे पूरी तरह से आ चुके थे. आशना और वीरेंदर ने धीरे धीरे सीप लेते हुए दूसरा ग्लास भी खाली कर दिया.
वीरेंदर: एक बात पूछूँ???
आशना: पूछ ना.
वीरेंदर: तुम्हे नशा हुआ है क्या?????
आशना: कचह, इतने से भी नशा होता है क्या??
आशना: और तुम्हे???
वीरेंदर: मुझे तो पता भी नहीं लग रहा कि मैने दारू पी है. साली दारू ही नकली है.
आशना: तुमने पहले भी कभी पी है क्या???
वीरेंदर: पहले ............., पी है ना, पहले भी पी है. अरे जब एमबीए करके वापिस आया था तो पापा ने बहुत बड़ी पार्टी दी थी, उसमे खूब दारू पी थी मैने.
आशना(हैरान होके):अच्छा????
वीरेंदर: हां, उसके बाद तो माँ से इतनी गालियाँ पड़ी कि सारा नशा ही उतर गया और फिर कभी दारू को हाथ, हाथ नहीं, मुँह नहीं लगाया.
आशना: अच्छे बच्चे, मम्मी की हर बात मानते हैं.
वीरेंदर: तुमने भी पी है क्या पहले कभी???.
आशना: हुउऊउउन्न्ञणन्, हाँ पी है ना.
वीरेंदर: कब???
आशना: जब मेरी 12थ की फेरवेल थी तो तब हम फ्रेंड्स ने बियर पी थी.
वीरेंदर: किसी को पता चला????
आशना: ना.
वीरेंदर: लकी गर्ल.
तभी उनकी नज़र टेबल पर पड़ी.
आशना: अरे खाना आ भी गया और पता भी नहीं चला.
वीरेंदर: मुझे तो यह साला होटेल ही भूतिया लगता है, देखो इसकी दीवारें भी कैसे घूम रही हैं.
आशना: मैं भी कब से देख रही थी लेकिन मुझे लगा कि शायद मेरा वहम है.
वीरेंदर: जल्दी से खाना खाकर यहाँ से निकलते हैं, अगर शादी से पहले ही मर गये तो हम भी भूत बन जाएँगे.
आशना: हां, चलो चलो जल्दी करो.
वीरेंदर: एक काम करते हैं.
आशना: क्या???
वीरेंदर: पहले शादी कर लेते हैं, उसके बाद खाना खा लेंगे.
आशना: आइडिया तो ज़बरदस्त है लेकिन मैं शादी क्या इन्ही कपड़ो मे करूँगी.
वीरेंदर: तो क्या??शादी के बाद तो यह भी उतरने हैं.
आशना: पागल, इतने लोगों के सामने तो मैं कपड़े नहीं उतारूँगी, सब क्या सोचेंगे. चलो घर चलते हैं.
वीरेंदर: घर???? घर कहाँ है हमारा???
आशना: अरे घर का रास्ता तो मुझे भी याद नहीं.
वीरेंदर: तो फिर हम क्या करें.
आशना: खाना खाते हुए सोचते हैं, चलो खाना खा लें नहीं तो ठंडा हो गया तो फिर से गरम करना पड़ेगा और मैं नहीं चाहती कि शादी करके ही मैं सीधा किचन मे जाउ.
वीरेंदर: अरे किचन में तुम क्यूँ जाओगी, मैं हूँ ना. तुम आराम से सुहागरात मनाना मैं खाना गरम करके लाउन्गा.
आशना: सो स्वीट.
वीरेंदर(अचानक से): लेकिन अगर मैं किचन मे चला जाउन्गा तो तुम सुहागरात किस के साथ मनाओगी.
आशना: अरे हां, यह तो गड़बड़ हो गई.
वीरेंदर: हम दोनो किचन में जाकर खाना गरम करेंगे और फिर बेडरूम मे जाकर सुहागरात मनाएँगे.
आशना: हां, यह सही रहेगा. तुम कितने इंटेलिजेंट हो ना.
वीरेंदर: तो चलो फिर किचन मे चलते हैं.
आशना: लेकिन मुझे तो यह भी नहीं पता कि किचन कहाँ है.
वीरेंदर: उठते हुए बैठ गया और बोला: यह तो मुझे भी नहीं पता, अब क्या करें???
आशना: आज ठंडा खाना ही खा लेते हैं, कल सबसे पहले किचन ढूंढ़ेंगे तो घर अपने आप ही मिल जाएगा.
वीरेंदर: देखा मेरे साथ रहकर तुम भी इंटेलिजेंट बन गई.
वीरेंदर: मैने सोचा आज हमारी पहली डेट है तो सेलेब्रेशन तो बनती ही है.
आशना: अच्छा??? तो पहले किस ख़ुसी मे पी थी???
वीरेंदर: खुशी मे????? अरे वो तो गम मे पी थी.
आशना(मुस्कुरा कर):आपको किस बात का गम लग गया जनाब.
वीरेंदर: बहुत बड़ा गम है मुझे.
आशना: ज़रा हम भी तो सुनें कि जनाब किस गम मे आज पी रहे है और पिला रहे हैं. यह कह कर आशना ने अपना ग्लास उठाया.
वीरेंदर: मेरी गर्लफ्रेंड और होने वाली बीवी मेरे साथ है और मुझे एक किस भी नहीं देती.
वीरेंदर पर भी वाइन का नशा हावी होने लगा था.
आशना: किस?????
वीरेंदर: मेरा मतलब किस, मतलब चहुउऊउउम्म्मी और यह कह कर वीरेंदर ने अपनी उंगली अपने होंठों पर रख कर इशारे से आशना को समझाया.
आशना: हाहहहहा, कितना बड़ा गम है तुम्हे, मुझे तो रोना आ रहा है.
वीरेंदर: रोना मत, प्लीज़ रोना मत. नहीं तो मैं भी रो दूँगा.
इस वक्त दोनो शराब के नशे मे पूरी तरह से आ चुके थे. आशना और वीरेंदर ने धीरे धीरे सीप लेते हुए दूसरा ग्लास भी खाली कर दिया.
वीरेंदर: एक बात पूछूँ???
आशना: पूछ ना.
वीरेंदर: तुम्हे नशा हुआ है क्या?????
आशना: कचह, इतने से भी नशा होता है क्या??
आशना: और तुम्हे???
वीरेंदर: मुझे तो पता भी नहीं लग रहा कि मैने दारू पी है. साली दारू ही नकली है.
आशना: तुमने पहले भी कभी पी है क्या???
वीरेंदर: पहले ............., पी है ना, पहले भी पी है. अरे जब एमबीए करके वापिस आया था तो पापा ने बहुत बड़ी पार्टी दी थी, उसमे खूब दारू पी थी मैने.
आशना(हैरान होके):अच्छा????
वीरेंदर: हां, उसके बाद तो माँ से इतनी गालियाँ पड़ी कि सारा नशा ही उतर गया और फिर कभी दारू को हाथ, हाथ नहीं, मुँह नहीं लगाया.
आशना: अच्छे बच्चे, मम्मी की हर बात मानते हैं.
वीरेंदर: तुमने भी पी है क्या पहले कभी???.
आशना: हुउऊउउन्न्ञणन्, हाँ पी है ना.
वीरेंदर: कब???
आशना: जब मेरी 12थ की फेरवेल थी तो तब हम फ्रेंड्स ने बियर पी थी.
वीरेंदर: किसी को पता चला????
आशना: ना.
वीरेंदर: लकी गर्ल.
तभी उनकी नज़र टेबल पर पड़ी.
आशना: अरे खाना आ भी गया और पता भी नहीं चला.
वीरेंदर: मुझे तो यह साला होटेल ही भूतिया लगता है, देखो इसकी दीवारें भी कैसे घूम रही हैं.
आशना: मैं भी कब से देख रही थी लेकिन मुझे लगा कि शायद मेरा वहम है.
वीरेंदर: जल्दी से खाना खाकर यहाँ से निकलते हैं, अगर शादी से पहले ही मर गये तो हम भी भूत बन जाएँगे.
आशना: हां, चलो चलो जल्दी करो.
वीरेंदर: एक काम करते हैं.
आशना: क्या???
वीरेंदर: पहले शादी कर लेते हैं, उसके बाद खाना खा लेंगे.
आशना: आइडिया तो ज़बरदस्त है लेकिन मैं शादी क्या इन्ही कपड़ो मे करूँगी.
वीरेंदर: तो क्या??शादी के बाद तो यह भी उतरने हैं.
आशना: पागल, इतने लोगों के सामने तो मैं कपड़े नहीं उतारूँगी, सब क्या सोचेंगे. चलो घर चलते हैं.
वीरेंदर: घर???? घर कहाँ है हमारा???
आशना: अरे घर का रास्ता तो मुझे भी याद नहीं.
वीरेंदर: तो फिर हम क्या करें.
आशना: खाना खाते हुए सोचते हैं, चलो खाना खा लें नहीं तो ठंडा हो गया तो फिर से गरम करना पड़ेगा और मैं नहीं चाहती कि शादी करके ही मैं सीधा किचन मे जाउ.
वीरेंदर: अरे किचन में तुम क्यूँ जाओगी, मैं हूँ ना. तुम आराम से सुहागरात मनाना मैं खाना गरम करके लाउन्गा.
आशना: सो स्वीट.
वीरेंदर(अचानक से): लेकिन अगर मैं किचन मे चला जाउन्गा तो तुम सुहागरात किस के साथ मनाओगी.
आशना: अरे हां, यह तो गड़बड़ हो गई.
वीरेंदर: हम दोनो किचन में जाकर खाना गरम करेंगे और फिर बेडरूम मे जाकर सुहागरात मनाएँगे.
आशना: हां, यह सही रहेगा. तुम कितने इंटेलिजेंट हो ना.
वीरेंदर: तो चलो फिर किचन मे चलते हैं.
आशना: लेकिन मुझे तो यह भी नहीं पता कि किचन कहाँ है.
वीरेंदर: उठते हुए बैठ गया और बोला: यह तो मुझे भी नहीं पता, अब क्या करें???
आशना: आज ठंडा खाना ही खा लेते हैं, कल सबसे पहले किचन ढूंढ़ेंगे तो घर अपने आप ही मिल जाएगा.
वीरेंदर: देखा मेरे साथ रहकर तुम भी इंटेलिजेंट बन गई.