hotaks444
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उस रात रागिनी अपने कमरे से बाहर नहीं निकली और बिहारी भी कुछ देर ज़मीन पर बेहोश पड़े रहने के बाद जब होश में आया तो हाल से उठकर अपने कमरे में चला गया. यह सब आशना और वीरेंदर के घर में आने से पहले हो चुका था. हाल में खून(बिहारी की नाक से निकला हुआ) के धब्बे और उनके पास पड़ा कॅमरा आने वाले वक्त की एक डरावनी तस्वीर पेश कर रहे थे.
सुबह ठीक 8:00 बजे "शर्मा निवास" की शांति भंग हुई. आशना और वीरेंदर एक दूसरे की बाहों में चैन की नींद सो रहे थे जब उनके दरवाज़े को किसी ने ज़ोर से पीटा. आशना ने वीरेंदर को उठाया तो वीरेंदर बोला: कॉन है???
बिहारी: मालिक, गरमा गरम नाश्ता तैयार है.
आशना:काका, बस आधे घंटे में हम दोनो नीचे आते हैं.
आशना झट से उठी और फटाफट जॅकेट डाल कर वीरेंदर के उपर से ब्लंकेट हटाया.
आशना: कम ऑन हरी अप, देखो कितना लेट हो गया है आज.
वीरेंदर: आओ ना यार कुछ देर और तुम्हारी बाहों मे सोने का दिल कर रहा है.
आशना: नो वे, जल्दी से फ्रेश होकर तैयार हो जाइए. मैं दूसरे रूम में जा रही हूँ, फ्रेश होकर आपको नीचे ही मिलती हूँ.
करीब 8:50 पर वीरेंदर जब नीचे पहुँचा तो देखा कि आशना भी नीचे आ चुकी है और काका को नाश्ता परोसने में मदद कर रही है. वीरेंदर, आशना को देखे जा रहा था. आशना बिहारी की मौजूदगी में कंफर्टबल फील नहीं कर रही थी. काफ़ी देर तक कोई कुछ ना बोला.
चुप्पी को तोड़ते हुए आशना बोली: रागिनी कहीं दिखाई नहीं दे रही??
बिहारी: हड़बड़ाते हुए, जी मालकिन वो कल शाम को ही अपने घर चली गयी , उसकी माँ का फोन आया था कि उसके पिता जी काफ़ी बीमार हैं.
वीरेंदर नाश्ता करते हुए एक दम रुक गया. आशना भी रागिनी के यों अचानक चले जाने से चौंक उठी. बिहारी ने दोनो की आँखो में उमड़ रहे सवालो को पढ़ लिया और बोला: कहकर गयी है कि 4-5 दिन में वापिस आ जाएगी. अब अचानक से जाना पड़ा तो आपको बताने का समय ही नहीं मिला.
आशना: काका, मुझे रागिनी के घर का नंबर. चाहिए मैं उस से बात करूँगी, शायद उसे किसी चीज़ की ज़रूरत हो.
बिहारी(परेशान होते हुए): मालकिन, वहाँ का नंबर. तो मुझे नहीं पता. हां रागिनी का मोबाइल नंबर. है मेरे पास मगर वो सुबह से ही स्विच ऑफ आ रहा है.
वीरेंदर( नाश्ता करके उठते हुए): ठीक है काका, जैसे ही कोई खबर आए, हमे बता देना, हम दोनो ऑफीस जा रहे हैं.
करीब 9:45 पर आशना और वीरेंदर ऑफीस के लिए निकल गये.
आशना(गाड़ी में): मैं ऑफीस चलकर क्या करूँगी वीर. आप काम में बिज़ी रहेंगे और मैं बोर हो जाउन्गी.
वीरेंदर: मुझे कोई खास काम नहीं है आज ऑफीस में. टेंडर के लिए सुपरवाइजर और मेनेज़र अपायंट कर लिए है वो सब संभाल लेंगे. मुझे बस कभी कभी साइट पर जाकर प्रोग्रेस चेक करनी है.
आशना: तो इसी लिए आप मुझे ले जा रहे हैं ताकि आपको कंपनी मिल जाए.
वीरेंदर: ओफ़कौर्स, तुम तो बहुत समझदार हो गयी हो यार.
आशना: लेकिन मिस्टर. वीर अफ़सोस कि मैं रागिनी नहीं हूँ जो ऑफीस में आपको एंटरटेन करूँगी.
आशना की बात सुनकर वीरेंदर एकदम सीरीयस हो गया. वीरेंदर का सीरीयस चेहरा देखा कर आशना को एहसास हुआ कि उसने मज़ाक मज़ाक में ग़लत बोल दिया है.
आशना(कान पकड़ते हुए, मासूमियत से): आइ आम सॉरी, आइ डॉन'ट वान्ट टू हर्ट यू.
वीरेंदर: इट'स ओके.
आशना: देन चियर अप, ऐसे मुँह लटकाए क्यूँ बैठे हो.
वीरेंदर: याद आ रही है रागिनी की और वीरेंदर यह कहकर ठहाका मार कर हंस दिया.
आशना ने हाथ से मुक्का बना कर वीरेंदर को दिखाया और झूठे गुस्से से बोली: युयूयुयूवयू रास्कल.
इसी नोक झोंक मे ऑफीस भी आ गया. ऑफीस में आते ही वीरेंदर काम में बिज़ी हो गया. वॉर्कर्स को काम समझाने और रेकॉर्ड्स चेक करने में उसे करीब 1:00 बज गया. इस दौरान बीच बीच में आशना से भी बात हो जाती थी. वीरेंदर के साथ कभी यहाँ तो कभी वहाँ चलते चलते आशना थकान फील करने लगी थी.
आशना: वीरेंदर, मैं आपके कॅबिन में जा रही हूँ, आप जब फ्री हो जाएँ तो वहीं पर आ जाइएगा.
वीरेंदर: आइ आम सॉरी आशना, मैं तुम्हे वक्त ही नहीं दे पा रहा.
आशना(मुस्कुराते हुए): डॉन'ट वरी, काम सबसे पहले. वैसे भी मेरी तो सारी ज़िंदगी आपके ही नाम है. इतमीनान से सारा काम ख़तम कीजिए और अपने कॅबिन में आ जाइए.
आशना के जाते ही वीरेंदर ने होटेल से खाना ऑर्डर किया. कोई 15 मिनट के बाद जब वीरेंदर अपने कॅबिन में घुसा तो आशना सोफे पर बैठी सुस्ता रही थी.
वीरेंदर: थक गयी क्या????
आशना: गॉड !!! वीर, आप यह सब कैसे मॅनेज कर लेते हैं?? मैं तो बार बार सीढ़ियाँ चढ़ कर उतर कर ही थक गयी हूँ.
वीरेंदर: जल्द ही तुम्हे भी आदत पड़ जाएगी.
आशना: ना बाबा ना, मैं तो घर में ही ठीक हूँ.
वीरेंदर: तो चलो फिर दोनो, हमारे पाँच बच्चो को तुम पालोगी और मैं उनके लिए पैसे कमा कर लाउन्गा.
आशना: 5?????
वीरेंदर(मासूमियत से): कम हैं???? चलो 1-2 और जोड़ लो मगर इस से ज़्यादा नहीं. मैं इंसान हूँ टार्ज़ॅन नहीं यार.
सुबह ठीक 8:00 बजे "शर्मा निवास" की शांति भंग हुई. आशना और वीरेंदर एक दूसरे की बाहों में चैन की नींद सो रहे थे जब उनके दरवाज़े को किसी ने ज़ोर से पीटा. आशना ने वीरेंदर को उठाया तो वीरेंदर बोला: कॉन है???
बिहारी: मालिक, गरमा गरम नाश्ता तैयार है.
आशना:काका, बस आधे घंटे में हम दोनो नीचे आते हैं.
आशना झट से उठी और फटाफट जॅकेट डाल कर वीरेंदर के उपर से ब्लंकेट हटाया.
आशना: कम ऑन हरी अप, देखो कितना लेट हो गया है आज.
वीरेंदर: आओ ना यार कुछ देर और तुम्हारी बाहों मे सोने का दिल कर रहा है.
आशना: नो वे, जल्दी से फ्रेश होकर तैयार हो जाइए. मैं दूसरे रूम में जा रही हूँ, फ्रेश होकर आपको नीचे ही मिलती हूँ.
करीब 8:50 पर वीरेंदर जब नीचे पहुँचा तो देखा कि आशना भी नीचे आ चुकी है और काका को नाश्ता परोसने में मदद कर रही है. वीरेंदर, आशना को देखे जा रहा था. आशना बिहारी की मौजूदगी में कंफर्टबल फील नहीं कर रही थी. काफ़ी देर तक कोई कुछ ना बोला.
चुप्पी को तोड़ते हुए आशना बोली: रागिनी कहीं दिखाई नहीं दे रही??
बिहारी: हड़बड़ाते हुए, जी मालकिन वो कल शाम को ही अपने घर चली गयी , उसकी माँ का फोन आया था कि उसके पिता जी काफ़ी बीमार हैं.
वीरेंदर नाश्ता करते हुए एक दम रुक गया. आशना भी रागिनी के यों अचानक चले जाने से चौंक उठी. बिहारी ने दोनो की आँखो में उमड़ रहे सवालो को पढ़ लिया और बोला: कहकर गयी है कि 4-5 दिन में वापिस आ जाएगी. अब अचानक से जाना पड़ा तो आपको बताने का समय ही नहीं मिला.
आशना: काका, मुझे रागिनी के घर का नंबर. चाहिए मैं उस से बात करूँगी, शायद उसे किसी चीज़ की ज़रूरत हो.
बिहारी(परेशान होते हुए): मालकिन, वहाँ का नंबर. तो मुझे नहीं पता. हां रागिनी का मोबाइल नंबर. है मेरे पास मगर वो सुबह से ही स्विच ऑफ आ रहा है.
वीरेंदर( नाश्ता करके उठते हुए): ठीक है काका, जैसे ही कोई खबर आए, हमे बता देना, हम दोनो ऑफीस जा रहे हैं.
करीब 9:45 पर आशना और वीरेंदर ऑफीस के लिए निकल गये.
आशना(गाड़ी में): मैं ऑफीस चलकर क्या करूँगी वीर. आप काम में बिज़ी रहेंगे और मैं बोर हो जाउन्गी.
वीरेंदर: मुझे कोई खास काम नहीं है आज ऑफीस में. टेंडर के लिए सुपरवाइजर और मेनेज़र अपायंट कर लिए है वो सब संभाल लेंगे. मुझे बस कभी कभी साइट पर जाकर प्रोग्रेस चेक करनी है.
आशना: तो इसी लिए आप मुझे ले जा रहे हैं ताकि आपको कंपनी मिल जाए.
वीरेंदर: ओफ़कौर्स, तुम तो बहुत समझदार हो गयी हो यार.
आशना: लेकिन मिस्टर. वीर अफ़सोस कि मैं रागिनी नहीं हूँ जो ऑफीस में आपको एंटरटेन करूँगी.
आशना की बात सुनकर वीरेंदर एकदम सीरीयस हो गया. वीरेंदर का सीरीयस चेहरा देखा कर आशना को एहसास हुआ कि उसने मज़ाक मज़ाक में ग़लत बोल दिया है.
आशना(कान पकड़ते हुए, मासूमियत से): आइ आम सॉरी, आइ डॉन'ट वान्ट टू हर्ट यू.
वीरेंदर: इट'स ओके.
आशना: देन चियर अप, ऐसे मुँह लटकाए क्यूँ बैठे हो.
वीरेंदर: याद आ रही है रागिनी की और वीरेंदर यह कहकर ठहाका मार कर हंस दिया.
आशना ने हाथ से मुक्का बना कर वीरेंदर को दिखाया और झूठे गुस्से से बोली: युयूयुयूवयू रास्कल.
इसी नोक झोंक मे ऑफीस भी आ गया. ऑफीस में आते ही वीरेंदर काम में बिज़ी हो गया. वॉर्कर्स को काम समझाने और रेकॉर्ड्स चेक करने में उसे करीब 1:00 बज गया. इस दौरान बीच बीच में आशना से भी बात हो जाती थी. वीरेंदर के साथ कभी यहाँ तो कभी वहाँ चलते चलते आशना थकान फील करने लगी थी.
आशना: वीरेंदर, मैं आपके कॅबिन में जा रही हूँ, आप जब फ्री हो जाएँ तो वहीं पर आ जाइएगा.
वीरेंदर: आइ आम सॉरी आशना, मैं तुम्हे वक्त ही नहीं दे पा रहा.
आशना(मुस्कुराते हुए): डॉन'ट वरी, काम सबसे पहले. वैसे भी मेरी तो सारी ज़िंदगी आपके ही नाम है. इतमीनान से सारा काम ख़तम कीजिए और अपने कॅबिन में आ जाइए.
आशना के जाते ही वीरेंदर ने होटेल से खाना ऑर्डर किया. कोई 15 मिनट के बाद जब वीरेंदर अपने कॅबिन में घुसा तो आशना सोफे पर बैठी सुस्ता रही थी.
वीरेंदर: थक गयी क्या????
आशना: गॉड !!! वीर, आप यह सब कैसे मॅनेज कर लेते हैं?? मैं तो बार बार सीढ़ियाँ चढ़ कर उतर कर ही थक गयी हूँ.
वीरेंदर: जल्द ही तुम्हे भी आदत पड़ जाएगी.
आशना: ना बाबा ना, मैं तो घर में ही ठीक हूँ.
वीरेंदर: तो चलो फिर दोनो, हमारे पाँच बच्चो को तुम पालोगी और मैं उनके लिए पैसे कमा कर लाउन्गा.
आशना: 5?????
वीरेंदर(मासूमियत से): कम हैं???? चलो 1-2 और जोड़ लो मगर इस से ज़्यादा नहीं. मैं इंसान हूँ टार्ज़ॅन नहीं यार.