hotaks444
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सब कुछ सुनने के बाद वीरेंदर बोला: आशना मैं तुम्हारा गुनेहगार हूँ, तुम जो सज़ा दो मुझे मंज़ूर है. तुम चाहो तो मुझे ठुकरा सकती हो, यह कहकर उसने आशना की तरफ देखा. आशना के चेहरे की तरफ देखते ही वीरेंदर की रूह कांप उठी. आशना की आँखो से आँसुओ की झड़ी लगी हुई थी. वो बैठी बैठी जड सी बन चुकी थी. वीरेंदर ने उसे पुकारा लेकिन वो तो कहीं शून्य में जा चुकी थी. वीरेंदर जानता था कि उसने आशना का दिल दुखाया है. अगर यह सब बातें आशना के आने से पहले बीती होती तो शायद आशना को इनका इतना बुरा नहीं लगता.
वीरेंदर काफ़ी देर तक असहाय सा बैठा रहा. फिर वो हिम्मत करके आशना के पास गया और धीरे से अपना काँपता हुआ हाथ उसके कंधे पर रखा, आशना ने अपना कंधा झटक कर वीरेंदर के हाथ को दूर किया.
वीरेंदर: आशना...................
आशना(रोते हुए, गुस्से से): जस्ट लीव मी अलोन.
वीरेंदर ने अपनी शर्ट उठाई और चुप चाप कमरे से निकल गया.
वीरेंदर के जाते ही आशना फुट फुट कर रोने लगी. उसके आँसू थमने का नाम हे नहीं ले रहे थे. काफ़ी देर तक यों ही रो लेने के बाद आशना के आँसू भी सूखने लगे और रह रह कर उसके ज़हन मे वीरेंदर की बातें घूमती रही. धीरे धीरे आशना ने अपनी हालत पर काबू पाया और बेड से उठकर रूम की लाइट ऑन की. रूम मे रोशनी फैलते ही उसे अहसास हुआ कि कितनी मेहनत से उसने आज वीरेंदर का कमरा सजाया था और आज की रात को लेकर अपने दिल में कितने सपने संजोए थे. लेकिन अब सब ख़तम हो चुका था.
आशना की आँखो में एक बार फिर से नमी आ गई यह सब सोच कर. देल्ही आकर उसने हर घड़ी कुछ खोया ही खोया था. पहले अपनी पहचान खोई, फिर अपनी नौकरी खोई, फिर अपना भाई खोया और आज तो उसने अपना प्यार भी खो दिया.
आशना की नज़र टेबल पर रखी वाइन की बॉटल पर पड़ी. आशना ने बोतल उठाई और मुँह से लगा ली गटा गॅट शराब उसके गले से उतर कर उसके जिस्म में फैलने लगी. हर घूँट के साथ आशना की आँखो से आँसू मोती की तरह फिसल कर उसके गले से सरकते हुए उसकी चोली को भिगोने लगे. आशना ने एक ही बार मैं आधी से ज़्यादा बोतल खाली कर दी. उसके जिस्म में एक दम से जलन बढ़ने लगी और शराब का नशा उसके दिमाग़ पर भी छाने लगा.
आशना वॉश रूम मे घुसी और जैसे ही लाइट ऑन करके वो वॉशबेसिन के शीशे के सामने आई तो उसके दिल से आवाज़ आई " इस सब में तेरी भी तो ग़लती है".
आशना( मन में): नहीं नहीं, इसमे मेरी क्या ग़लती है???
दिल: क्यूँ????? तू नहीं जानती कि उसके खून मे कितनी मात्रा मे आफ्रोडीज़िक पाई गई थी. अगर उस वक्त तूने वीरेंदर को संभाल लिया होता तो क्या आज वीरेंदर भटका होता???? कभी नहीं, वो तुझसे प्यार करता है, यह अलग बात है. लेकिन उसकी शारीरिक ज़रूरतें अगर तू पूरी नहीं करेगी तो वो बाहर ही भटकेगा. तू तो उसकी हालत शुरू से जानती थी मगर क्या तूने कभी उसकी हालत समझने की कोशिश की????यही सच है कि तूने ही उसे सहारा नहीं दिया बल्कि उसमे अपना सहारा ढूँढा. उस ने तो फिर भी हिम्मत करके तुझे सब सच बता दिया. यह प्यार नहीं तो और क्या है????वो तुझे सच बता कर तुझे भविष्य मे धोके में नहीं रखना चाहता था मगर क्या तू कभी उसे सच बता पाएगी???? आशना, तुझे यह नहीं भूलना चाहिए कि तू अपनी सेक्षुयल नीड्स सॅटिस्फाइ करने के लायक है लेकिन वो तो यह भी नहीं कर सकता. तू सब जानती है तो सोच भला वो ग़लत कहाँ पर है???
आशना के दिमाग़ में अचानक आया कि वीरेंदर इस वक्त इतनी रात मैं कहाँ गया होगा. वो लड़खड़ाते कदमों से रूम में आई और वीरेंदर का नंबर. डाइयल किया. एक बेल पर ही वीरेंदर ने कॉल उठा ली.
वीरेंदर: हेलो.
आशना(अपने आप को नॉर्मल दिखाते हुए): मेरी ही कॉल का वेट कर रहे थे क्या जो एक ही बेल में उठा ली.
वीरेंदर: अगर तुम कॉल नहीं भी करती तो ज़िंदगी भर तक इंतज़ार कर सकता हूँ आशना मैं तुम्हारा. आइ आम सॉरी.
आशना: नो, यू आर नोट सॉरी बट मी. इट्स मी हू ईज़ सॉरी. आइ लव यू आंड आइ लव यू, आइ कॅन'ट शेयर माइ लव टू एनिबडी.
वीरेंदर: क्या हो गया है तुम्हे, ग़लती मैने की और माफी तुम माँग रही हो.
आशना: अभी कहाँ हो????
वीरेंदर: अपने कमरे मे हूँ, तुम रूको मैं अभी आ रहा हूँ.
कुछ ही सेकेंड्स मे वीरेंदर रूम मे दाखिल होता है. आशना , वीरेंदर को देखते ही उस से चिपक गई.
आशना: आइ आम सॉरी, मैने तुम्हे समझा नहीं. हर मोड़ पर जब तुम्हे मेरी ज़रूरत थी मैने तुम्हारा साथ नहीं दिया. मैं कभी अपने आप को माफ़ नहीं कर पाउन्गी.
वीरेंदर ने आशना के सर पर हाथ रखेकर उसे अपने साथ सटा लिया और बोला "पगली गुड़िया, मुझे तुमसे कभी कोई शिकायत नहीं हुई और ना ही कभी होगी.
आशना का दिमाग़ यह सुनकर एकदम शून्य मे चला गया. "पगली गुड़िया", यह नाम तो बचपन में उसे वीरेंदर ने दिया था. आशना ने झट से अपना चेहरा वीरेंदर की तरफ करके उसकी आँखो मे देखा.
आशना: क्या कहा अभी अपने????
वीरेंदर: वोही जो मैं तुम्हे बचपन मैं कहता था.
आशना की आँख से एक बार फिर से आँसुओ की झड़ी बहने लगी.
आशना: तो आपको पता था के मैं.......वीरेंदर ने झट से अपना हाथ उसके होंठो पर रख दिया और बोला " कल ही पता लगा".
आशना: आइ आम सॉरी भा..............
वीरेंदर: सस्स्शह, मैने कहा ना कि मुझे तुमसे कभी कोई शिकायत नहीं थी. हां तुमने मुझे कभी समझने की कोशिश नहीं की.
आशना: मैं समझ गई हूँ आपको वीरेंदर, सच मे समझ गई और अब मुझे किसी और को नहीं समझना.
वीरेंदर ने उसे अपनी बाहों मे कस लिया और बोला: मुझे भी अब किसी से कोई उम्मीद नहीं है तुम्हारे सिवा.
आशना: लेकिन यह सब आपको पता कैसे लगा???
वीरेंदर: बहुत जल्द सब बता दूँगा, मगर आज नहीं.
आशना: आज क्यूँ नहीं???
वीरेंदर: आज मेरी एंजल के साथ मेरी पहली डेट है.
आशना ने भी अपनी बाहें कस कर वीरेंदर के गले मे डाल दी और बोली: आपकी यह एंजल आज से "आपका हर ख़याल रखेगी".
वीरेंदर: जानता हूँ, तभी तो तुम सब कुछ छोड़ कर यहाँ आई हो.
दोनो के जिस्म मिलने से एक बार फिर से उनके शरीर में गर्मी बढ़ने लगी.
वीरेंदर: आज की डेट में मुझे क्या मिलेगा???
आशना: बहुत कुछ और शायद सब कुछ.
वीरेंदर: आईला, ऐसा क्या.
आशना: जी हां मेरे राजकुमार.
वीरेंदर: कहीं तुम्हारे दिल में कोई डर या कोई हीन भावना तो नहीं इस रिश्ते को लेकर.
आशना: मैं तो काफ़ी दूर निकल आई हूँ इस रास्ते पर और अब लोटना नहीं चाहती.
वीरेंदर ने आशना को गोद में उठा लिया.
आशना: उउउइ माँ.
वीरेंदर: तो फिर चलो आज अपने उस रिश्ते को मिटाकर एक नया रिश्ता बनाए.
आशना(वीरेंदर के गले में बाहें डालते हुए): जो आप कहें मेरे पिया जी.
वीरेंदर: ओह हो पिया जी, तो अब मत कहना कि यह क्या किया जी.
आशना को लेकर वीरेंदर बेड पर आ गया और उसे बेड पर पटक दिया.
आशना: ऊउच, यह क्या तरीका है वीरेंदर????
वीरेंदर: जब मॅट्रेस खरीदे थे तो सेल्समन ने गॅरेंटी दी थी कि इस पर कितना भी उछल लो, चोट नहीं आएगी, आज सोचा चेक कर ही लूँ.
आशना: अच्छा???? तो और क्या क्या कहा था उसने???
वीरेंदर: उसने तो यह भी कहा था कि यह मट्रेस्स स्पेशल हनिमून कपल्स के लिए बनाया गया है.
आशना: तब तो चेक करना ही पड़ेगा.
वीरेंदर ने अपनी शर्ट उतारी और झट से बेड पर कूद पड़ा.
वीरेंदर: वाउ, सच मैं बहुत मज़ा आता है इस पर कूदने में.
आशना: आप आराम से कूदिए, तब तक मैं फेश होकर आती हूँ.
वीरेंदर: ओह नो यार, ऐन मोके पर कलपद.
आशना: आज सच मे कलपद नहीं होगा, प्रॉमिस. जस्ट गिव मी 15-20 मिनट्स प्लीज़.
वीरेंदर: कम ऑन, युवर टाइम स्टार्ट्स नाउ, ओन्ली 20 मिनट्स.
वीरेंदर काफ़ी देर तक असहाय सा बैठा रहा. फिर वो हिम्मत करके आशना के पास गया और धीरे से अपना काँपता हुआ हाथ उसके कंधे पर रखा, आशना ने अपना कंधा झटक कर वीरेंदर के हाथ को दूर किया.
वीरेंदर: आशना...................
आशना(रोते हुए, गुस्से से): जस्ट लीव मी अलोन.
वीरेंदर ने अपनी शर्ट उठाई और चुप चाप कमरे से निकल गया.
वीरेंदर के जाते ही आशना फुट फुट कर रोने लगी. उसके आँसू थमने का नाम हे नहीं ले रहे थे. काफ़ी देर तक यों ही रो लेने के बाद आशना के आँसू भी सूखने लगे और रह रह कर उसके ज़हन मे वीरेंदर की बातें घूमती रही. धीरे धीरे आशना ने अपनी हालत पर काबू पाया और बेड से उठकर रूम की लाइट ऑन की. रूम मे रोशनी फैलते ही उसे अहसास हुआ कि कितनी मेहनत से उसने आज वीरेंदर का कमरा सजाया था और आज की रात को लेकर अपने दिल में कितने सपने संजोए थे. लेकिन अब सब ख़तम हो चुका था.
आशना की आँखो में एक बार फिर से नमी आ गई यह सब सोच कर. देल्ही आकर उसने हर घड़ी कुछ खोया ही खोया था. पहले अपनी पहचान खोई, फिर अपनी नौकरी खोई, फिर अपना भाई खोया और आज तो उसने अपना प्यार भी खो दिया.
आशना की नज़र टेबल पर रखी वाइन की बॉटल पर पड़ी. आशना ने बोतल उठाई और मुँह से लगा ली गटा गॅट शराब उसके गले से उतर कर उसके जिस्म में फैलने लगी. हर घूँट के साथ आशना की आँखो से आँसू मोती की तरह फिसल कर उसके गले से सरकते हुए उसकी चोली को भिगोने लगे. आशना ने एक ही बार मैं आधी से ज़्यादा बोतल खाली कर दी. उसके जिस्म में एक दम से जलन बढ़ने लगी और शराब का नशा उसके दिमाग़ पर भी छाने लगा.
आशना वॉश रूम मे घुसी और जैसे ही लाइट ऑन करके वो वॉशबेसिन के शीशे के सामने आई तो उसके दिल से आवाज़ आई " इस सब में तेरी भी तो ग़लती है".
आशना( मन में): नहीं नहीं, इसमे मेरी क्या ग़लती है???
दिल: क्यूँ????? तू नहीं जानती कि उसके खून मे कितनी मात्रा मे आफ्रोडीज़िक पाई गई थी. अगर उस वक्त तूने वीरेंदर को संभाल लिया होता तो क्या आज वीरेंदर भटका होता???? कभी नहीं, वो तुझसे प्यार करता है, यह अलग बात है. लेकिन उसकी शारीरिक ज़रूरतें अगर तू पूरी नहीं करेगी तो वो बाहर ही भटकेगा. तू तो उसकी हालत शुरू से जानती थी मगर क्या तूने कभी उसकी हालत समझने की कोशिश की????यही सच है कि तूने ही उसे सहारा नहीं दिया बल्कि उसमे अपना सहारा ढूँढा. उस ने तो फिर भी हिम्मत करके तुझे सब सच बता दिया. यह प्यार नहीं तो और क्या है????वो तुझे सच बता कर तुझे भविष्य मे धोके में नहीं रखना चाहता था मगर क्या तू कभी उसे सच बता पाएगी???? आशना, तुझे यह नहीं भूलना चाहिए कि तू अपनी सेक्षुयल नीड्स सॅटिस्फाइ करने के लायक है लेकिन वो तो यह भी नहीं कर सकता. तू सब जानती है तो सोच भला वो ग़लत कहाँ पर है???
आशना के दिमाग़ में अचानक आया कि वीरेंदर इस वक्त इतनी रात मैं कहाँ गया होगा. वो लड़खड़ाते कदमों से रूम में आई और वीरेंदर का नंबर. डाइयल किया. एक बेल पर ही वीरेंदर ने कॉल उठा ली.
वीरेंदर: हेलो.
आशना(अपने आप को नॉर्मल दिखाते हुए): मेरी ही कॉल का वेट कर रहे थे क्या जो एक ही बेल में उठा ली.
वीरेंदर: अगर तुम कॉल नहीं भी करती तो ज़िंदगी भर तक इंतज़ार कर सकता हूँ आशना मैं तुम्हारा. आइ आम सॉरी.
आशना: नो, यू आर नोट सॉरी बट मी. इट्स मी हू ईज़ सॉरी. आइ लव यू आंड आइ लव यू, आइ कॅन'ट शेयर माइ लव टू एनिबडी.
वीरेंदर: क्या हो गया है तुम्हे, ग़लती मैने की और माफी तुम माँग रही हो.
आशना: अभी कहाँ हो????
वीरेंदर: अपने कमरे मे हूँ, तुम रूको मैं अभी आ रहा हूँ.
कुछ ही सेकेंड्स मे वीरेंदर रूम मे दाखिल होता है. आशना , वीरेंदर को देखते ही उस से चिपक गई.
आशना: आइ आम सॉरी, मैने तुम्हे समझा नहीं. हर मोड़ पर जब तुम्हे मेरी ज़रूरत थी मैने तुम्हारा साथ नहीं दिया. मैं कभी अपने आप को माफ़ नहीं कर पाउन्गी.
वीरेंदर ने आशना के सर पर हाथ रखेकर उसे अपने साथ सटा लिया और बोला "पगली गुड़िया, मुझे तुमसे कभी कोई शिकायत नहीं हुई और ना ही कभी होगी.
आशना का दिमाग़ यह सुनकर एकदम शून्य मे चला गया. "पगली गुड़िया", यह नाम तो बचपन में उसे वीरेंदर ने दिया था. आशना ने झट से अपना चेहरा वीरेंदर की तरफ करके उसकी आँखो मे देखा.
आशना: क्या कहा अभी अपने????
वीरेंदर: वोही जो मैं तुम्हे बचपन मैं कहता था.
आशना की आँख से एक बार फिर से आँसुओ की झड़ी बहने लगी.
आशना: तो आपको पता था के मैं.......वीरेंदर ने झट से अपना हाथ उसके होंठो पर रख दिया और बोला " कल ही पता लगा".
आशना: आइ आम सॉरी भा..............
वीरेंदर: सस्स्शह, मैने कहा ना कि मुझे तुमसे कभी कोई शिकायत नहीं थी. हां तुमने मुझे कभी समझने की कोशिश नहीं की.
आशना: मैं समझ गई हूँ आपको वीरेंदर, सच मे समझ गई और अब मुझे किसी और को नहीं समझना.
वीरेंदर ने उसे अपनी बाहों मे कस लिया और बोला: मुझे भी अब किसी से कोई उम्मीद नहीं है तुम्हारे सिवा.
आशना: लेकिन यह सब आपको पता कैसे लगा???
वीरेंदर: बहुत जल्द सब बता दूँगा, मगर आज नहीं.
आशना: आज क्यूँ नहीं???
वीरेंदर: आज मेरी एंजल के साथ मेरी पहली डेट है.
आशना ने भी अपनी बाहें कस कर वीरेंदर के गले मे डाल दी और बोली: आपकी यह एंजल आज से "आपका हर ख़याल रखेगी".
वीरेंदर: जानता हूँ, तभी तो तुम सब कुछ छोड़ कर यहाँ आई हो.
दोनो के जिस्म मिलने से एक बार फिर से उनके शरीर में गर्मी बढ़ने लगी.
वीरेंदर: आज की डेट में मुझे क्या मिलेगा???
आशना: बहुत कुछ और शायद सब कुछ.
वीरेंदर: आईला, ऐसा क्या.
आशना: जी हां मेरे राजकुमार.
वीरेंदर: कहीं तुम्हारे दिल में कोई डर या कोई हीन भावना तो नहीं इस रिश्ते को लेकर.
आशना: मैं तो काफ़ी दूर निकल आई हूँ इस रास्ते पर और अब लोटना नहीं चाहती.
वीरेंदर ने आशना को गोद में उठा लिया.
आशना: उउउइ माँ.
वीरेंदर: तो फिर चलो आज अपने उस रिश्ते को मिटाकर एक नया रिश्ता बनाए.
आशना(वीरेंदर के गले में बाहें डालते हुए): जो आप कहें मेरे पिया जी.
वीरेंदर: ओह हो पिया जी, तो अब मत कहना कि यह क्या किया जी.
आशना को लेकर वीरेंदर बेड पर आ गया और उसे बेड पर पटक दिया.
आशना: ऊउच, यह क्या तरीका है वीरेंदर????
वीरेंदर: जब मॅट्रेस खरीदे थे तो सेल्समन ने गॅरेंटी दी थी कि इस पर कितना भी उछल लो, चोट नहीं आएगी, आज सोचा चेक कर ही लूँ.
आशना: अच्छा???? तो और क्या क्या कहा था उसने???
वीरेंदर: उसने तो यह भी कहा था कि यह मट्रेस्स स्पेशल हनिमून कपल्स के लिए बनाया गया है.
आशना: तब तो चेक करना ही पड़ेगा.
वीरेंदर ने अपनी शर्ट उतारी और झट से बेड पर कूद पड़ा.
वीरेंदर: वाउ, सच मैं बहुत मज़ा आता है इस पर कूदने में.
आशना: आप आराम से कूदिए, तब तक मैं फेश होकर आती हूँ.
वीरेंदर: ओह नो यार, ऐन मोके पर कलपद.
आशना: आज सच मे कलपद नहीं होगा, प्रॉमिस. जस्ट गिव मी 15-20 मिनट्स प्लीज़.
वीरेंदर: कम ऑन, युवर टाइम स्टार्ट्स नाउ, ओन्ली 20 मिनट्स.