hotaks444
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आशना ने वीरेंदर का लिंग मुँह से निकाले बिना अपने आप को वीरेंदर की छाती पर घुमाया और अपनी दोनो टाँगे उसकी कमर के इर्द गिर्द कर दी. खुमारी के कारण वीरेंदर की आँखें बंद थी. जैसे ही आशना की योनि की खुश्बू उसके नथुनो मे समाई उसने धड़कते दिल से आँखें खोली. सामने के नज़ारे को देख कर उसके लिंग ने एक झटका खाया जिसे आशना ने अपने मुँह के अंदर महसूस किया.
इस एहसास से कि उसकी यह अदा वीर के मन को रोमांचित कर गयी, आशना के जिस्म मे एक चिंगारी उठी और उसे भुजाने के लिए उसने अपनी योनि वीरेंदर के तपते होंठो के हवाले कर दी. जैसे ही वीरेंदर के होंठो का स्पर्श उसे अपनी योनि पर महसोस हुआ, आशना की कमर ने एक झटका खाया और खुद ब खुद उसकी कमर वीरेंदर की छाती पर रगड़ खाने लगी.
करीब 5 मिनट तक एक दूसरे को मुख मैथुन का सुख देने के बाद वीरेंदर ने अपने हाथों से आशना के नितंबों को उपर की तरफ उठाया. आशना ने वीरेंदर के संकेत को समझा और उसके उपर से हट कर एक ओर लूड़क गयी. उसकी साँसों की गति बहुत ही संवेदनशील हो चुकी थी.
वीरेंदर( मदहोशी मे): इस बार तुम उपर आओ गुड़िया.
आशना: मुझे शरम आती है वीर.
वीरेंदर: मैं तुम्हारे उभारों से खेलना चाहता हूँ जब तुम तुम मेरी सवारी करो.
वीरेंदर के दिल की चाहत को जान कर आशना ने कोई विरोध नही किया और पलट कर वीरेंदर के उपर आ गयी. एक हाथ से वीरेंदर के लिंग को दिशा देकर वो लिंग को अपनी योनि मे उतारने लगी. आशना के चेहरे पर आई पीड़ा के भाव देख कर वीरेंदर के दिल मे उसके लिए अपार प्रेम उमड़ आया.
आशना के समर्पित भाव को देख कर उसे आशना पर और भी प्यार आने लगा. वीरेंदर ने अपने लिंग को थोड़ा सा सिकोड कर उसे फिर से फुलाया तो आशना ने हैरानी से वीरेंदर की तरफ देखा.
वीरेंदर: आइ कॅन डू दट.
आशना ने बिना कोई जवाब दिए अपनी योनि के मसल्स को फ्लेक्स किया तो वीरेंदर के गले से एक मधुर आह निकल गयी.
इस बार वीरेंदर ने आशना की तरफ हैरानी से देखा तो आशना बोली " आपकी ही बेहन हूँ, यह तो मैं भी कर सकती हूँ".
आशना के ऐसा कहते ही वीरेंदर ने आशना के उभारों को पकड़ लिया और उसे अपने पास खींच लिया. ऐसा करने से वीरेंदर का लिंग आशना की योनि मे और भी समा गया. आशना ने अपने घुटनों के बल होकर वीरेंदर के लिंग को जड तक जाने से रोक दिया.
वीरेंदर: क्या हुआ???
आशना: अंदर दर्द होता है जब आपका यह सारा जाता है. प्लीज़ इतना ही रहने दीजिए.
वीरेंदर ने मुस्कुरा कर आशना को गले से लगा लिया.
वीरेंदर: तुम मेरे लिए इतना कर रही हो तो क्या मैं तुम्हारे लिए इतना भी नहीं कर सकता.
आशना ने वीरेंदर की बात पूरी होते ही अपनी योनि को संकुचित करकरे ढीला छोड़ दिया.
वीरेंदर: उूवो, अया मज़ा आ गया जान.
वीरेंदर ने भी अपने लिंग को संकुचित किया तो फिर तो जैसे उन दोनो मे होड़ सी लग गयी. बिना किसी धक्के के उनमे उत्तेजना बढ़ने लगी और बिना किसी शारीरिक परिश्रम के वो दोनो मंज़िल के करीब पहुँचने लगे. सखलन करीब आते ही आशना ने वीरेंदर के लिंग पर तेज़ी से उछलना शुरू कर दिया. वीरेंदर का लिंग जड तक आशना की योनि मे जाकर चोट कर रहा था. खुमारी मे किसी को भी यह एहसास नहीं हुआ कि वीरेंदर का लिंग आशना की योनि की अंदुरूनी दीवारों की धज्जियाँ उड़ा चुका है.
शायद, प्यार का खुमार इसे ही कहते हैं. सखलन होने तक दोनो की स्पीड इस कदर बढ़ चुकी थी कि बेड भी उनके साथ हिलने लगा था. सखलन होते ही आशना, वीरेंदर पर झुक गयी और वीरेंदर ने उसका एक वक्ष पकड़ कर आवेश मे आकर उसे अपने दाँतों से काट लिया. आशना ने प्रेमावेश मे आकर उफ्फ तक ना की.
अपनी अपनी मंज़िल पर एक साथ पहुँच कर उनके शरीर स्थिर हो गये. रह रह कर आशना के जिस्म मे तरगे चलती तो उसका सारा बदन हिल जाता. इस बार भी वीरेंदर के लिंग ने आशना की योनि का साथ नहीं छोड़ा और मुँह लटकाए उसी मे छुपा रहा.
होश मे आते ही आशना दर्द से बिलख कर बोली: आह वीर, आपने तो मुझे बहाल कर दिया है. टाँगे तो पहले से ही जवाब दे चुकी थी और अब यहाँ पर काट कर तो आपने अपने जंगली होने का प्रमाण भी दे दिया.
वीर ने देखा के उसने आशना के वक्ष पर दाँत गढ़ा दिया है जिस कारण वहाँ पर खून जमा हो गया है.
वीरेंदर: सॉरी गुड़िया, मैं पागल हो गया था.
आशना, वीरेंदर की घबराहट देख कर मुस्कुराइ और बोली: थॅंक्स फॉर दा सौविनीएर माइ लव.
वीरेंदर ने आशना की बात सुनकर उसे कंधे से पकड़ कर अपने उपर से उठाया और उसके दूसरे वक्ष को भी काट लिया.
इस बार आशना तड़प उठी. आशना की आँखो मे आँसू आ गये. आँखो मे नमी लिए आशना बोली: यह किस लिए????
वीरेंदर: मैं किसी के साथ अन्याय नहीं करता. एक बेचारा मेरी निशानी पाकर फूला नहीं समा रहा था तो भला दूसरे को दुखी कैसे कर सकता था.
आशना ने बुरा सा मुँह बनाते हुए कहा: और इस बच्ची के साथ जो अन्याय हुआ है उसका क्या?????
इस एहसास से कि उसकी यह अदा वीर के मन को रोमांचित कर गयी, आशना के जिस्म मे एक चिंगारी उठी और उसे भुजाने के लिए उसने अपनी योनि वीरेंदर के तपते होंठो के हवाले कर दी. जैसे ही वीरेंदर के होंठो का स्पर्श उसे अपनी योनि पर महसोस हुआ, आशना की कमर ने एक झटका खाया और खुद ब खुद उसकी कमर वीरेंदर की छाती पर रगड़ खाने लगी.
करीब 5 मिनट तक एक दूसरे को मुख मैथुन का सुख देने के बाद वीरेंदर ने अपने हाथों से आशना के नितंबों को उपर की तरफ उठाया. आशना ने वीरेंदर के संकेत को समझा और उसके उपर से हट कर एक ओर लूड़क गयी. उसकी साँसों की गति बहुत ही संवेदनशील हो चुकी थी.
वीरेंदर( मदहोशी मे): इस बार तुम उपर आओ गुड़िया.
आशना: मुझे शरम आती है वीर.
वीरेंदर: मैं तुम्हारे उभारों से खेलना चाहता हूँ जब तुम तुम मेरी सवारी करो.
वीरेंदर के दिल की चाहत को जान कर आशना ने कोई विरोध नही किया और पलट कर वीरेंदर के उपर आ गयी. एक हाथ से वीरेंदर के लिंग को दिशा देकर वो लिंग को अपनी योनि मे उतारने लगी. आशना के चेहरे पर आई पीड़ा के भाव देख कर वीरेंदर के दिल मे उसके लिए अपार प्रेम उमड़ आया.
आशना के समर्पित भाव को देख कर उसे आशना पर और भी प्यार आने लगा. वीरेंदर ने अपने लिंग को थोड़ा सा सिकोड कर उसे फिर से फुलाया तो आशना ने हैरानी से वीरेंदर की तरफ देखा.
वीरेंदर: आइ कॅन डू दट.
आशना ने बिना कोई जवाब दिए अपनी योनि के मसल्स को फ्लेक्स किया तो वीरेंदर के गले से एक मधुर आह निकल गयी.
इस बार वीरेंदर ने आशना की तरफ हैरानी से देखा तो आशना बोली " आपकी ही बेहन हूँ, यह तो मैं भी कर सकती हूँ".
आशना के ऐसा कहते ही वीरेंदर ने आशना के उभारों को पकड़ लिया और उसे अपने पास खींच लिया. ऐसा करने से वीरेंदर का लिंग आशना की योनि मे और भी समा गया. आशना ने अपने घुटनों के बल होकर वीरेंदर के लिंग को जड तक जाने से रोक दिया.
वीरेंदर: क्या हुआ???
आशना: अंदर दर्द होता है जब आपका यह सारा जाता है. प्लीज़ इतना ही रहने दीजिए.
वीरेंदर ने मुस्कुरा कर आशना को गले से लगा लिया.
वीरेंदर: तुम मेरे लिए इतना कर रही हो तो क्या मैं तुम्हारे लिए इतना भी नहीं कर सकता.
आशना ने वीरेंदर की बात पूरी होते ही अपनी योनि को संकुचित करकरे ढीला छोड़ दिया.
वीरेंदर: उूवो, अया मज़ा आ गया जान.
वीरेंदर ने भी अपने लिंग को संकुचित किया तो फिर तो जैसे उन दोनो मे होड़ सी लग गयी. बिना किसी धक्के के उनमे उत्तेजना बढ़ने लगी और बिना किसी शारीरिक परिश्रम के वो दोनो मंज़िल के करीब पहुँचने लगे. सखलन करीब आते ही आशना ने वीरेंदर के लिंग पर तेज़ी से उछलना शुरू कर दिया. वीरेंदर का लिंग जड तक आशना की योनि मे जाकर चोट कर रहा था. खुमारी मे किसी को भी यह एहसास नहीं हुआ कि वीरेंदर का लिंग आशना की योनि की अंदुरूनी दीवारों की धज्जियाँ उड़ा चुका है.
शायद, प्यार का खुमार इसे ही कहते हैं. सखलन होने तक दोनो की स्पीड इस कदर बढ़ चुकी थी कि बेड भी उनके साथ हिलने लगा था. सखलन होते ही आशना, वीरेंदर पर झुक गयी और वीरेंदर ने उसका एक वक्ष पकड़ कर आवेश मे आकर उसे अपने दाँतों से काट लिया. आशना ने प्रेमावेश मे आकर उफ्फ तक ना की.
अपनी अपनी मंज़िल पर एक साथ पहुँच कर उनके शरीर स्थिर हो गये. रह रह कर आशना के जिस्म मे तरगे चलती तो उसका सारा बदन हिल जाता. इस बार भी वीरेंदर के लिंग ने आशना की योनि का साथ नहीं छोड़ा और मुँह लटकाए उसी मे छुपा रहा.
होश मे आते ही आशना दर्द से बिलख कर बोली: आह वीर, आपने तो मुझे बहाल कर दिया है. टाँगे तो पहले से ही जवाब दे चुकी थी और अब यहाँ पर काट कर तो आपने अपने जंगली होने का प्रमाण भी दे दिया.
वीर ने देखा के उसने आशना के वक्ष पर दाँत गढ़ा दिया है जिस कारण वहाँ पर खून जमा हो गया है.
वीरेंदर: सॉरी गुड़िया, मैं पागल हो गया था.
आशना, वीरेंदर की घबराहट देख कर मुस्कुराइ और बोली: थॅंक्स फॉर दा सौविनीएर माइ लव.
वीरेंदर ने आशना की बात सुनकर उसे कंधे से पकड़ कर अपने उपर से उठाया और उसके दूसरे वक्ष को भी काट लिया.
इस बार आशना तड़प उठी. आशना की आँखो मे आँसू आ गये. आँखो मे नमी लिए आशना बोली: यह किस लिए????
वीरेंदर: मैं किसी के साथ अन्याय नहीं करता. एक बेचारा मेरी निशानी पाकर फूला नहीं समा रहा था तो भला दूसरे को दुखी कैसे कर सकता था.
आशना ने बुरा सा मुँह बनाते हुए कहा: और इस बच्ची के साथ जो अन्याय हुआ है उसका क्या?????