bahan sex kahani मेरी बिगडेल जिद्दी बहन - Page 2 - SexBaba
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bahan sex kahani मेरी बिगडेल जिद्दी बहन

अब मैं सोच मे पड़ गया था मिली का इशारा ओरल सेक्स की तरफ था वैसे भी मिली के सामने रीना कुछ भी नही थी और जब मिली आज ओरल करने को तैयार है तो आगे भी कुछ करने को तैयार हो ही जाएगी ये सौदा मुझे फ़ायदे का लगा

"ठीक है मिली जब तक तू मुझे संतुष्ट करती रहेगी मैं रीना की तरफ देखूँगा भी नही समझ ले मैने आज और अभी से ही उसका साथ छोड़ दिया"मैं बोला

"ये हुई ना बात" मिली के चेहरे पर खुशी सॉफ झलक रही थी...........

मेरी बात सुनकर मिली का चेहरा खिल गया था अब उसने झट से फिल्म दोबारा चला दी फिल्म मे अब चुदाई शुरू हो चुकी थी लेकिन मेरा ध्यान कहीं और था मैं अभी भी यही सोच रहा था कि मिली के मोबाइल मे ये फिल्म कैसे आई कहीं उसका कोई बॉय फ्रेंड तो नही है क्या वो पहले भी चुदाई तो नही कर चुकी तभी मिली की नज़र मुझ पर पड़ी मुझे सोच मे डूबे देख उसने एक बार फिर फिल्म रोक दी और बोली "क्या सोच रहा है राजू"

"तेरे पास ये फिल्म कहाँ से आई" मैं बोला

"ये फिल्म तो पिछले दो साल से मेरे पास है स्कूल मे मेरी सहेली के मोबाइल से ली थी" मिली बोली

"तो क्या तुम इतने दिनो से ऐसी फ़िल्मे देख रही हो और तुम्हारी सहेलियाँ भी देखती है ऐसी फिल्म" मैं बोला

"हां हम सभी सहेलिया ये फिल्म देखती है और इसमे ग़लत क्या है हम भी तो आख़िर इंसान है हमारी भी इच्छा होती है ये सब करने की" मिली ने जवाब दिया

"तो क्या तुम भी किसी के साथ ये सब कर चुकी हो" मैं लॅपटॉप की तरफ इशारा करते हुए बोला

"नही मैने आज तक कभी भी सेक्स नही किया है मैं एकदम वर्जिन हू अभी तक लेकिन अपनी उंगली का इस्तेमाल बहुत बार किया है"

"उंगली का इस्तेमाल? मैं कुछ समझा नही" मैं बोला और सच मे उस वक्त तक नही जानता था

"तू भी ना नीरा बुद्धू है ये देख" कह कर उसने फिल्म शुरू कर दी जिसमे लड़के का लंड लड़की की चूत मे सतसट अंदर बाहर हो रहा था और बोली "जैसे लड़की की उसमे लड़के का वो पंपिंग कर रहा है ना मैं उसी तरह अपनी उस मे अपनी उंगली अंदर बाहर कर के काम चला लेती हूँ"

मिली की बात सुनकर एक बार फिरसे मेरा मौसम बनने लगा था और अब मैं नॉर्मल भी हो गया था मेरे मन मे शरारत वाला कीड़ा कुलबुलाने लगा था "तू ये क्या बोल रही है 'वो' 'उसमे' ये मुझे कुछ समझ नही आरहा है ज़रा खुल कर बोल ना"


मिली समझ गई कि मैं उसके मुँह से क्या कहलवाना चाहता हूँ और वैसे भी हम दोनो अभी तक बहुत खुल चुके थे आपस मे और आगे भी बहुत कुछ करने वाले थे शायद इसीलिए मिली ने बगैर झिझक के बोल दिया "मैं अपनी चूत मे लंड की जगह अपनी उंगली चला कर ही काम निकाल लेती हूँ, यही सुनना चाहता था ना तू"

मिली की बात सुनकर मेरे लंड मे और भी ज़्यादा तनाव आ गया था और मेरा ध्यान एक बार फिर फिल्म की तरफ चला गया जहाँ धुआधार चुदाई चल रही थी मिली भी मेरे साथ फिल्म देखने लगी....


फिल्म मे लड़का चुदाई करते हुए लड़की के बूब्स को ज़ोर ज़ोर से दबा रहा था उसे देख कर मेरे भी हाथो मे खुजली होने लगी थी मिली मेरे साइड मे ही बैठी थी मैने धीरे से अपना हाथ उसके गले मे डाल दिया और कपड़ो के उपर से ही उसके बुबू को धीरे धीरे मसल्ने लगा लेकिन मिली ने कोई विरोध नही किया शायद उसकी भी यही मर्ज़ी थी वो भी फिल्म देख कर गरम हो चुकी थी अब मेरे हाथ उसके मांसल बूब्स को अच्छी तरह निचोड़ रहे थे और मेरा लंड मेरे लोवर को फाड़ कर बाहर आने को हो रहा था मैने अपने एक हाथ से उसका हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया मिली ने फिल्म से नज़रे नही हटाई और मेरे लंड को मसल्ने लगी कुछ देर ऐसे ही चलता रहा लेकिन कपड़ो के उपर से करने मे मुझे मज़ा नही आरहा था तो मैने अपना हाथ मिली के टॉप के अंदर डाल दिया और उसकी ब्रा के अंदर हाथ घुसेड कर उसके बूब्स दबाते हुए फिल्म देखने लगा शायद मिली को भी नंगे लंड से ही खेलना था इसलिए उसने भी मेरे लोवर मे हाथ डाल दिया अब मेरा लंबा मोटा औजार उसके हाथ मे था जिसे वो पूरी ताक़त से मसल रही थी और खीच रही थी लगभग 5 मिनट तक यही सब चलते रहा कि तभी वो फिल्म ख़तम हो गई मिली ने तुरंत दूसरी फिल्म लगा दी

अब मुझसे रहा नही जराहा था मेरा लंड दर्द करने लगा था तो मैं बोला "बस मिली अब बहुत हो गया मेरा लंड दर्द कर रहा है इसे शांत कर दे"

मेरी बात सुनकर मिली मुस्कुराते हुए बोली "ठीक है निकाल उसे बाहर"

"ऐसे नही ऐसे मज़ा नही आएगा एक काम करते है दोनो ही नंगे हो जाते है तब ज़्यादा मज़ा आएगा" मैं बोला

मिली भी शायद यही चाहती थी कुछ ही पॅलो बाद हम दोनो नंगे हो चुके थे और बेड से नीचे एक दूसरे के सामने खड़े थे
अब मैं मिली की तरफ ही देख रहा था क्योंकि कहाँ से शुरू करू मुझे समझ नही आरहा था मिली मेरी परेशानी समझ गई और उसने आगे बढ़ कर मेरा सिर पकड़ते हुए अपने होठ मेरे होंठो से जोड़ दिए अब मिली के बूब्स मेरे सीने पर दब रहे थे और मेरा लंड उसकी चूत के पास रगड़ खा रहा था और मेरे हाथ उसके मांसल गुदाज भारी नितंबो को मसल रहे थे..........
 
मेरे हाथ मिली के भारी नितंबो को सहला रहे थे और मेरा लंड लगातार उसकी कुआरी चिकनी चूत पर रगड़ खा रहा था मिली भी पूरी मस्ती मे मेरे होठ चूस रही थी और उसकी गोल गोल सॉफ्ट लेकिन थोड़ी सी सख़्त चुचिया मेरी छाती मे गढ़े जा रही थी मेरे लंड की चुभन शायद उसे भी अपनी चूत पर महसूस हो रही थी इसलिए वो भी अपनी कमर मटका मटका कर अपनी चूत को मेरे लंड पर ठेले जा रही थी

मैं सचमुच स्वर्ग का सा आनंद ले रहा था ऐसा मज़ा आज तक मुझे नही मिला था मैं भी अपनी मस्ती मे सराबोर हो चुका था अब मेरा एक हाथ मिली के कूल्हे पर था और दूसरा उसकी एक चुचि को मसल रहा था मैं दीवानो की तरह मिली के होंठो को सहयोग करते हुए लिप किस का पूरा मज़ा ले रहा था कि तभी मेरा हाथ जो मिली के भारी कुल्हो से खेल रहा था वो उसकी गान्ड की दरार पर चला गया मिली का शरीर हल्का सा कांपा लेकिन फिर नॉर्मल हो गया अब मैं अपने उस हाथ की उंगलिया मिली की गान्ड की दरार मे उपर से नीचे तक घुमाने लगा अब मिली और भी जोश मे आ गई थी और मेरे सिर के बालो को ज़ोर ज़ोर से खिचते हुए मेरे मूह मे अपनी जीभ चला रही थी


अचानक ही मेरी एक उंगली मिली की गान्ड के छेद से टकराई और मिली का सारा बदन कांप उठा 'उम्म्मह' की एक मादक सिसकारी उसके मूह से निकली लेकिन मेरे मूह के ढक्कन की वजह से वहीं घुट कर रह गई अब मैने उसके बूब्स दबाना छोड़ कर अपना एक हाथ उसकी कमर पर कस दिया और अपनी उंगली उसकी गान्ड के छेद पर सहलाने लगा मेरी इस हरकत से मिली सिहर उठी और अपने बदन को हिलाने लगी जिससे अब मेरा लंड उसकी चूत पर और भी ज़्यादा चुभने लगा उसकी चूत की गर्मी और गीला पन मैं अपने लंड पर सॉफ महसूस कर रहा था अभी ऐसा करते हुए दो मिनट भी नही हुए होंगे कि मिली का शरीर अकड़ने लगा उसने मेरे होठ चूसना बंद कर दिया और अपने शरीर का सारा बोझ मुझ पर डालते हुए पीछे की तरफ धनुष की तरह टेढ़ी हो गई जिससे उसकी चूत बिल्कुल मेरे लंड से सट गई अब मैं अपने लंड पर उसकी चूत से झरता हुआ पानी अच्छे से महसूस कर रहा था शायद मिली झड गई थी


मिली की चूत इतने पास पा कर मेरे सबर ने भी जवाब दे दिया और मैने वापस उसे अपने सीने पर झुकाते हुए उसके दोनो कुल्हो को नीचे से पकड़ा और थोड़े से घुटने मोडते हुए एक धक्का लगा दिया

'ऊहह... माआअ.....उउफफफ्फ़...मर गैिईई' एक दर्दीली चीख मिली के मूह से निकली लेकिन रूम का दरवाजा बंद होने के कारण बाहर तक नही जा पाई

मुझे ऐसा लगा जैसे मेरे लंड के सुपाडे का कुछ हिस्सा किसी भट्टी जैसी जगह मे घुस गया हो

मुझे पता ही नही चला कि कब मेरे लंड का कुछ हिस्सा मिली की चूत मे घुस गया था मिली तो उस झटके से हिल ही गई थी वो मुझसे अलग होने के लिए छटपटाने लगी थी मैं भी उसकी चीख से कुछ घबरा गया था इसलिए मैने भी उसे छोड़ देने मे ही अपनी भलाई समझी और अपने शरीर को पीछे खिचते हुए मिली से अलग हो गया


मेरे अलग होते ही मिली बेड पर गिर कर गहरी गहरी साँसे लेने लगी तभी मेरी नज़र उसकी चूत पर पड़ी लेकिन मुझे उसकी चूत पहले जैसी ही लगी शायद मेरा लंड उसकी सील नही तोड़ पाया था इसलिए वहाँ खून भी नही दिख रहा था मैं भी मिली के पास जाकर बैठ गया और उसके सिर को सहलाने लगा कुछ देर बाद मिली ने आँखे खोली और मुझे देख कर कहा "मैने तुझसे कहा था ना कि हम सेक्स नही करेंगे फिर भी तूने मुझे चोदने की कोशिश की"

"सॉरी यार पता नही कैसे ये सब हो गया जबकि मुझे तो पता भी नही है कि चूत का मूह कहाँ होता है जहाँ से चुदाई की जाती है" मैने मायूस स्वर मे जवाब दिया

अब हम दोनो ही खुले शब्दो मे बाते कर रहे थे
 
अब हम दोनो ही खुले शब्दो मे बाते कर रहे थे

"तूने तो मेरी सील तोड़ने मे कसर ही नही छोड़ी थी यदि हम लेट कर ये सब कर रहे होते तो शायद अभी तक तेरा लंड मेरी चूत फाड़ चुका होता" कहते हुए मिली ने मेरा लंड पकड़ लिया

"लेकिन तू चीखी क्यों थी" मैने पूछा

"जब भी कोई लड़की पहली बार चुदवाती है तो सील टूटने के कारण उसे दर्द होता ही है वो तो अच्छा हुआ कि तेरा धक्का इतना तेज नही था वरना मेरी चीख इतनी तेज होती कि सारा मोहल्ला जाग जाता क्योंकि उस वक्त मैं चुदाई के लिए तैयार नही थी" मिली मेरे लंड की मूठ मारती हुई बोली

मैं एक बार फिर आनंद के सागर मे डूबने के लिए उतरने लगा था अब मैं मिली से और भी ज़्यादा खुल जाना चाहता था इसलिए मैं बोला "मिली मैं एक बार तेरी चूत को अच्छे से देखना चाहता हूँ प्ल्ज़ देखने देना"

"अब तो हम लगभग रोज ही ये सब करेंगे इसलिए तुझे भी पता होना चाहिए कि चूत कैसी होती है इसलिए मैं तुझे मना नही करूँगी देखले जो भी देखना चाहता है" कहते हुए मिली ने मेरा लंड छोड़ दिया और अपनी टाँगे अच्छे से फैला ली
अब मैं भी उठ कर उसकी टाँगो के बीच मे आ गया था मिली की चूत मेरी आँखो के सामने थी



गोरी चिकनी बाल रहित कुवारि चूत जिसके होठ कभी कभार कंपकपा रहे थे क्या नज़ारा था मुझसे रहा नही गया और मेरा एक हाथ उस जन्नत के दरवाजे जैसी चूत पर चला गया मिली एक बार फिर सिहर उठी

कुछ देर मैं उसकी चूत पर ऐसे ही हाथ फेरते रहा फिर मेरी एक उंगली मिली की चूत की फांको के बीच तैरने लगी थी मिली के मुँह से एक बार फिर सिसकारिया निकलने लगी थी उसकी चूत फिर गीली होने लगी थी

अब मैं उठ कर मिली के बाजू मे लेट गया और उसकी चूत को अपने एक हाथ मे भर कर भिचते हुए उसके होंठो को चूसने लगा मिली ने मस्ती मे आँखे बंद कर ली थी और मेरे लंड के साथ खेलने लगी थी

अब मैने उसकी चूत को अपनी मुट्ठी से आज़ाद कर के अपनी एक उंगली उस मे अंदर बाहर करनी शुरू कर दिया था मेरी हरकतों से मिली का बदन झटके पर झटके खा रहा था थोड़ी ही देर मे मिली एक बार फिर झड गई थी और इधर मेरे लंड का बुरा हाल हो चुका था अब मैं भी शांत हो जाना चाहता था इसलिए मैने मिली को इशारे से अपने लंड की तरफ देखने को कहा वो मेरे इशारा समझते हुए मुस्कुरई और उठ कर मुझे चित लेटा दिया और खुद मेरे लंड के पास बैठ गई और मेरे लंड के सुपाडे पर अपनी जीभ चलाने लगी



अपनी बहन की जीभ का स्पर्श अपने लंड पर होते ही मेरा खून दोगुनी रफ़्तार से दौड़ने लगा था मेरे आनंद की कोई सीमा नही थी मिली मुझे आज मेरे जीवन की सबसे नायाब चीज़ दे रही थी कुछ ही देर मे मिली ने मेरे मूह को अपने मूह मे भर लिया था और उसे चूसने लगी थी उसके मूह की गर्मी से मेरा लंड लगातार फूले जा रहा था वैसे भी मिली को मेरा लंड पूरी तरह मूह मे भरने मे परेशानी हो रही थी

थोड़े ही समय बाद मुझे लगा कि मैं झड़ने वाला हूँ मैने मिली को बताया तो उसने मेरे लंड को मूह से निकाल दिया और अपने हाथ से ही ज़ोर ज़ोर से मेरी मूठ मारने लगी



10-12 झटको के बाद ही मेरा लंड अपना लावा उगलने लगा था जो मिली के हाथ पर गिर रहा था जब मेरा लंड पूरी तरह शांत हो गया तो मिली ने उसे छोड़ा और बोली "च्चिि... गंदे मेरा हाथ खराब कर दिया" और उठ कर बातरूम जाने लगी मैं उसकी मटकती गान्ड देखता रहा



मिली के बाद मैं भी बाथरूम से होकर आचुका था तब तक मिली अपने कपड़े पहन कर बेड पर लेट गई थी

"चल मिली दोनो एक ही बेड पर सोते है" मैं बोला

"नही भाई आज के लिए इतना ही काफ़ी है दो बार झड़ने के कारण मैं बहुत थक गई हू और वैसे भी मुझे तुझ पर भरोसा नही है कही सोते मे ही तूने मेरी इज़्ज़त लूट ली तो, और वैसे भी तू चुदाई करने के लिए मरा जा रहा है इसलिए अब तू भी अपने बेड पर लंड पकड़ कर सो जा ज़्यादा इच्छा हो तो वही मूठ मार लेना" मिली हँसते हुए बोली

मैं अपना सा मूह लेकर रह गया मुझे पता था कि एक बार वो जो बोल देती है वही करती है इसलिए उसे फोर्स करना ठीक नही था वरना वो बिदक भी सकती थी

"ठीक है लेकिन कल तो ये प्रोग्राम फिर होगा ना?" मैने पूछा

"कल की कल से देखेंगे अभी तू लाइट ऑफ कर और सो जा" उसने जवाब दिया और अपनी आँखे बंद कर ली
मैं भी थके हुए कदमो से आगे बढ़ कर लाइट बंद करके सो गया...........
अगले दिन मैं और मिली साथ ही कॉलेज गये वहाँ जानबूझ कर मैं खाली टाइम मे मिली के साथ ही रहा और रीना से मिलने की कोशिश भी नही की हालाकी रीना ने मुझे कई बार फोन किया मिलने के लिए लेकिन हर बार मैने उसे बहाना बना कर टाल दिया मिली मुझमे आए इस बदलाव से बहुत खुश थी 
 
उस रात भी हम ने ओरल किया और एक दूसरे को संतुष्ट किया अब लगभग 15 दिन हो चुके थे इस दौरान 7-8 बार हम लोग उपर उपर से सेक्स कर चुके थे लेकिन मिली इससे आगे बढ़ने को तैयार नही थी जबकि उसकी मस्त गान्ड और चूत को इतने पास से देख कर भी भोग नही पाने की खीझ मेरे मन मे बढ़ती जा रही थी इन दिनो मे मैं लगभग हर बार ही उसकी चूत मे उंगली किया करता था एक दो बार तो मैने उसकी गान्ड मे भी उंगली कर दी थी जिससे मिली मुझसे थोड़ा नाराज़ भी हुई कि ये गंदी जगह है यहाँ ऐसा नही करना चाहिए लेकिन मैने उसे मना लिया

किस्मत से एक दिन मुझे बीफ की एक ऐसी सीडी मिल गई जिसमे सिर्फ़ अनल सेक्स ही था मैने वो सीडी मिली को दिखाने के लिए घर लाकर रख दी थी अभी शाम के 5 बजे थे और मम्मी पापा भी घर पर आगये थे मिली भी घर पर ही थी मैने वो सीडी अपने रूम मे बेड पर गद्दे के नीचे छुपा दी कि रात मे मिली को दिखाउन्गा

आख़िर रात भी हो गई और हम सभी खाना खाने के बाद अपने अपने रूम मे आ चुके थे मिली की हरकतों से ऐसा नही लग रहा था कि आज वो कुछ करने के मूड मे है वो चेंज कर के सीधे अपने बेड पर लेट गई और सोने की कोशिश करने लगी लेकिन मैं कहाँ मानने वाला था मैने लॅपटॉप उठाया सीडी निकाली और मिली के बेड पर उसके साइड मे बैठ कर सीडी लॅपटॉप मे लगा दी

मिली मेरी सारी हरकतों को बड़ी खामोशी से देख रही थी लेकिन वो ज़्यादा देर खामोश नही रह पाई और बोली "तू इतनी रात को ये सब क्या कर रहा है राजू, क्या दिखाना चाहता है तू मुझे"

"एक नईगर्लफ्रेंड है वो ही दिखाना चाहता हूँ" मैं लॅपटॉप मे सीडी ओपन करते हुए बोला

"आज मेरा मन नही है राजू रहने दे" वो बोली

"ठीक है हम कुछ करेंगे थोड़ी ही बस देखना ही तो है" मैं बोला

"जब कुछ करना ही नही है तो देखने से क्या मतलब" वो फिर बोली

"तू ज़्यादा सवाल मत कर बस देख ले इसे एक बार नयी चीज़ है इसमे" मैं बोला

शायद नयी चीज़ के बारे मे सुनकर मिली की भी उत्सुकता जाग गई थी इसलिए अब उसने मना नही किया और चुपचाप लॅपटॉप को देखने लगी फिल्म शुरू हो गई थी अपने उसी पुराने तरीके चूमा चाटी से लग भाग 15 मिनूट तक यही चलता रहा तो मिली के सब्र ने जवाब दे दिया "क्या नया है इसमे बेकार ही टाइम खराब कर रहा है" वो झल्लाते हुए बोली


"बस दो मिनट रुक अभी आता है नया नज़ारा" मैं बोला और फिल्म को फोर्वेर्ड कर दिया

अब फिल्म एकदम सही जगह पर आ गई थी उसमे लड़की घोड़ी बनी हुई थी और लड़का उसकी गान्ड के छेद पर थूक लगा रहा था मैने मुस्कुराते हुए मिली की तरफ देखा

"क्या है ऐसे क्या देख रहा है ये तो हर बीएफ मे होता है इसमे नया क्या है" वो एक बार फिर झल्लाई

"जैसा इस बीएफ मे हो रहा है सबमे वैसा नही होता मेडम शायद तूने ध्यान से देखा नही कि लड़का कहाँ थूक लगा रहा है" मैं बोला

अब मिली ने ध्यान से देखा लड़के का निशाना देख कर उसकी आँख फैल गई "यी..ये..ये तो गान्ड मे थूक लगा रहा है"

"यही तो नया है इसमे" मैं बोला

अब मिली बड़े ध्यान से फिल्म देख रही थी अब फिल्म मे लड़के ने अपना लंड लड़की की गान्ड मे घुसाना शुरू कर दिया था बड़ी ही आसानी से उसका पूरा लंड लड़की की गान्ड मे समा चुका था और वो ज़ोर ज़ोर से लड़की की गान्ड मारने लगा था ये सब देख कर मिली की आँख लगातार फैलती ही जा रही थी शायद उसे अब तक नही पता था कि लड़कियो की गान्ड भी मारी जाती थी लगभग 10 मिनट मे वो शॉट ख़तम हुआ तो मैने फिल्म बंद की और मिली से बोला "बोल नया था ना"

"मुझे यकीन नही होता कि लड़कियों की गान्ड भी मरी जाती है" वो सदमे की सी हालत मे बोली

"अब जो भी हुआ तूने अपनी आँखो से देखा है यकीन तो करना ही पड़ेगा" मैं उसकी हालत का मज़ा लेते हुए बोला

"ज़रूरी नही कि ये सच ही हो कोई ट्रिक भी हो सकती है" वो ज़िद्द मे बोली

"तू सच मे ज़िद्दी है देख मिली गे लड़के भी तो एक दूसरे की गान्ड मारते है तो इसमे क्या ग़लत है कि लड़कियो की गान्ड मारी जाती है" मैने उसे समझाया

"लेकिन वो गंदी जगह है वहाँ पर ये सब करना कैसे इन लोगो को अच्छा लगता होगा" वो अब नॉर्मल होते हुए बोली

"कोई जगह गंदी नही होती भगवान ने लड़की का हर छेद चोदने के लिए ही बनाया है वरना चूत भी तो गंदी जगह ही होती है जहाँ से तुम लोग पेशाब करती हो और म्सी भी तो तुम्हे वहीं से आती है" मैं बोला

मेरी बात सुनकर मिली चुप हो गई शायद मेरी बात उसे सही लगी थी

अब मैं अपनी आगे की चाल चलना चाहता था लेकिन अभी मिली का मूड ठीक नही था इसलिए मैने ज़्यादा बात करने की कोशिश नही कि मेरी चल तभी सफल हो सकती थी जब वो सेक्स के मूड मे होती मैं अब किसी भी तरह उसकी गान्ड मारना चाहता था इसलिए मैने और एक दिन इंतज़ार करने की सोची और सब समान अपनी जगह रख कर बेड पर लेट गया

फिल्म देखने के बाद शायद मिली की भी नींद उड़ गई थी वो एक टक छत को घुरे जा रही थी मिली को ऐसे देखते देखते पता नही कब मुझे नींद ने आ घेरा और मैं सो गया..........
 
अगले दिन सुबह मैं थोड़ा लेट जगा क्योंकि कॉलेज की दो दिन की छुट्टी थी मम्मी और पापा अपने जॉब पर चले गये थे
मैं हॉल मे आया तो मुझे मिली दिखाई नही दी तभी किचेन से कुछ खटर पटर की आवाज़ आई शायद मिली किचेन मे है ये सोचते हुए मैं वहाँ पहुचा तो सामने का नज़ारा देख कर मेरा लंड टाइट होने लगा मिली की पीठ मेरी तरफ थी और वो एक शॉर्ट टॉप और टाइट हाफ पॅंट मे खड़ी कुछ काम कर रही थी



वो पॅंट बड़ी मुश्किल से उसके कुल्हो को ही ढँक पा रहा था उसके भारी कूल्हे उस पॅंट मे समाने से इनकार करते हुए पूरा दम लगा कर बाहर आने को हो रहे थे उसकी गोरी मांसल जांघे मेरे मन मे खलबली मचाए दे रही थी वैसे भी रात मे देखी बीएफ के कारण मैने तय कर लिया था कि मुझे मिली की चूत जब मिलेगी तब मिलेगी लेकिन उसकी गदराई गान्ड का भोग तो मुझे जल्द से जल्द लगाना है

मेरा लंड अपने पूरे शबाब पर आचुका था और मिली की गान्ड देख देख कर मेरे बॉक्सर के अंदर ठुमके लगा रहा था मैं धीरे धीरे बगैर आहट किए आगे बढ़ा और मिली को पीछे से दबोच लिया इससे पहले कि वो कुछ समझ पाती मेरे होंठ ढक्कन बन कर उसके होंठो से चिपक गये और मेरे हाथ उसके बूब्स की सॉफ्टनेस का अंदाज़ा लगाने लगे इधर मेरा खड़ा लंड कपड़ो के उपर से ही उसकी गान्ड मे घुसने को संघर्ष करने लगा


मिली मेरी हरकतों का विरोध कर रही थी लेकिन मैने उसे कोई मौका नही देते हुए अपना कार्यकरम जारी रखा मेरा लंड लगातार उसके कुल्हो और गान्ड की दरार पर रगड़ खा रहा था और मेरे हाथ बेरहमी से उसकी चुचियाँ मसल रहे थे
थोड़ी ही देर मे मिली का विरोध ख़तम हो चुका था शायद वो भी गरम हो चुकी थी अब वो भी मेरे होठ चूस्ते हुए मेरा साथ दे रही थी

कुछ देर हम वैसे ही खड़े खड़े ये सब करते रहे लेकिन मेरा मन इतने से नही भरने वाला था मैने मिली को अपनी बाहों मे उठाया और रूम मे लाकर बेड पर लेटा दिया और उस पर टूट पड़ा मिली मेरा कोई विरोध नही कर रही थी बल्कि मुझे उकसा रही थी कि मैं और बेरहमी से पेश आउ शायद उसकी भी यही मर्ज़ी रही होगी तभी उसने ऐसे सेक्सी कपड़े पहने हुए थे जिसमे उसका सारा भूगोल नज़र आए

कुछ देर ऐसे कपड़ो के उपर से खेलने के बाद मेरे सबर ने जवाब दे दिया और मैं मिली के कपड़े उतारने लगा लेकिन अब मिली को शरारत सूझ रही थी वो मुझे अपने कपड़े नही उतारने दे रही थी जितना वो विरोध कर रही थी मैं उतना ही ज़ोर लगा रहा था उसके कपड़े उतारने के लिए

उसकी हँसी की आवाज़ मेरे कानो मे कोहराम मचाए हुई थी और जैसे आग मे घी का काम कर रही थी लगभग 10 मिनट की कोशिश के बाद जब मिली थक गई तो मैं उसे नंगी करने मे कामयाब हो गया अब वो बेड पर नंगी पड़ी थी और मैं अपने कपड़े उतार रहा था



मिली मेरे सामने नंगी पड़ी हुई थी और मैं भी नंगा हो चुका था वो बेड पर लेटे हुए बड़ी मादक नज़रो से मेरी तरफ देख रही थी मेरा लंड अपनी औकात पर आकर पूरी तरह अकड़ गया था और आज किसी भी तरह मिली की गान्ड मे घुसने की ज़िद्द कर रहा था और इसी उम्मीद मे थोड़ा थोड़ा पानी भी छोड़ रहा था


मैने आज फ़ैसला कर ही लिया था कि चाहे जो भी हो आज मिली की गान्ड की ओपनिंग करनी ही है मैने एक बार फिर मिली के बदन का मुआयना किया सच मे भगवान ने उसे बहुत ही मस्त बनाया था उसकी चुचिया कड़क हो कर छत को घूर रही थी और उसके मांसल कूल्हे गद्दे पर दबे हुए थे उसकी चूत के होंठ खुल बंद हो रहे थे और चेहरे पर एक मादक मुस्कान खेल रही थी जैसा व्यवहार आज वो कर रही थी उससे मुझे बहुत उम्मीद बढ़ गई थी कि आज कुछ नया तो ज़रूर ही होगा

"ऐसे खड़े खड़े क्या सोच रहा है राजू" वो बोली

उसकी आवाज़ सुनकर मैं अपनी सोचो से बाहर आया और बेड पर उसके बगल मे लेटता हुए मैने अपने एक हाथ से उसकी चूत को मुट्ठी मे भर कर भींच लिया और उसके गालो को चूमने लगा मिली ने भी साथ देते हुए मेरे लंड की कसरत शुरू कर दी

"मिली अब ये सब कर कर के मैं बोर हो गया हूँ अब ओरल करने मे मज़ा नही आता कुछ नया करते है ना" मैं बोला

"देख राजू मैं तुझे पहले ही कह चुकी हूँ कि मैं तेरे साथ चुदाई नही कर सकती क्योंकि मैं इसके लिए अपने आप को तैयार नही कर पा रही हूँ हम जितना भी कर रहे है वो भी हमारे रिश्ते मे ग़लत है इसलिए ऐसे ही मज़े ले और खुश रह" मिली बोली

"लेकिन ये सब करने से चुदाई वाला मज़ा तो नही मिलता है ना, मैं चाहता हूँ कि हम कुछ ऐसा करे जिससे चुदाई वाला मज़ा मिले" मैं बोला

"अब मेरा मूह तो तू चोद ही चुका है ना कई बार सिर्फ़ चुदाई ही बाकी है उसके अलावा तुझे चुदाई वाला मज़ा कैसे दूं मैं" वो परेशान होती बोली

"कल हम ने ब्लूफिल्म मे जो देखा वो तो हम कर ही सकते है ना" मैं धीरे से बोला

"क्याअ...तू मेरी गान्ड मारना चाहता है" मिली चौक कर बैठ गई "तूने ये सोचा भी कैसे कि मैं इस गंदे काम के लिए तैयार हो जाउन्गी"

"इसमे ग़लत क्या है मिली सभी लोग करते है और भले ही तू अपने रिश्ते का ख़याल कर के मुझसे नही चुदवाया लेकिन गान्ड मरवाने मे तो कोई रिश्ता बीच मे नही आता ना" मैं भी बैठते हुए बोला

"नही राजू मैं ये नही कर सकती" मिली सपाट स्वर मे बोली

"प्ल्ज़ यार मिली मान जा ना कभी ना कभी तेरा पति भी तो तेरी गान्ड मारेगा ही ना इसलिए तू मुझे चूत नही देना चाहती तो ना दे लेकिन अपनी गान्ड तो देदे" मैं उसे मस्का लगाता हुआ बोला

मेरी बात सुनकर उसने कुछ सोचा और फिर गर्दन हिलाते हुए बोली "नही राजू मैं ये नही कर सकती"

"मतलब मुझे फिर रीना के पास जाना पड़ेगा" मैं बोला

"क्या मतलब" वो गौर से मुझे देखते हुए बोली

"मतलब ये कि ओरल करने से मुझे शांति नही मिलती इतना मज़ा तो मैं अपने हाथ से ही ले सकता हूँ मुझे सिर्फ़ चुदाई मे ही मज़ा आएगा इसलिए अब मुझे दोबारा रीना के पास जाना पड़ेगा क्योंकि तू तो मान ही नही रही है" मैं उसे डराता हुआ बोला

"लेकिन तूने वादा किया था कि अब तू कभी रीना जैसी लड़की से संबंध नही रखेगा" वो कुछ परेशान होती बोली

"तुझे शायद याद नही मैने कहा था कि जब तक तू मुझे संतुष्ट करती रहेगी मैं रीना के पास नही जाउन्गा लेकिन अब तू मुझे संतुष्ट नही कर पा रही है तो मेरे पास और कोई रास्ता नही है" मैं बोला

"लेकिन राजू गान्ड मारना गंदा काम है कितनी गंदी जगह होती है वो कैसे तू वहाँ अपना लंड घुसाएगा" मिली बोली

"वो तू मुझ पर छोड़ दे मैं सब कर लूँगा और अगर वो तुझे गंदा काम लगता है तो फिर मुझे अपनी चूत चोदने दे क्योंकि तेरे दोनो मे से किसी भी छेद मे लंड घुसाए बगैर मैं संतुष्ट नही हो सकता अब फ़ैसला तेरे हाथ मे है कि तू मुझे कॉन सा छेद इस्तेमाल करने देती है वरना आख़िर मे रीना तो है ही" मैने उससे स्पष्ट कहा

अब वो सोच मे पड़ गई थी शायद फ़ैसला नही कर पा रही थी कि क्या करे उसके चेहरे पर उलझन वाले भाव थे और मैं उसे ही देखे जा रहा था और सोच रहा था कि मेरी बिगडेल ज़िद्दी बहन क्या फ़ैसला करेगी गान्ड देने का या चूत देने का या फिर मुझे रीना के पास भेजने का...
 
अब वो सोच मे पड़ गई थी शायद फ़ैसला नही कर पा रही थी कि क्या करे उसके चेहरे पर उलझन वाले भाव थे और मैं उसे ही देखे जा रहा था और सोच रहा था कि मेरी बिगडेल ज़िद्दी बहन क्या फ़ैसला करेगी गान्ड देने का या चूत देने का या फिर मुझे रीना के पास भेजने का...

10 मिनट के आस पास हो चुके थे हमारे बीच चुप्पी छाए हुए ना मैं कुछ बोल रहा था ना मिली मैं जानता था कि ऐसे वक्त मे मिली को ज़्यादा छेड़ना ठीक नही था इसलिए मैं बगैर कुछ बोले बेड से उतरने लगा तभी मिली अपनी सोचो से बाहर आई और मुझे बेड से उतरता देख बोली "कहाँ जा रहा है"

"अपने बेड पर अब यहाँ मेरा क्या काम है तू तो कुछ जवाब दे ही नही रही है" मैं बोला

"तू रुक और बैठ यहीं मुझे थोड़ा सोचने दे" मिली बोली और मेरा हाथ पकड़ कर मुझे वापस बैठा लिया

मेरे मन मे एक उम्मीद जागी लेकिन मिली का फ़ैसला क्या होगा मुझे अभी भी समझ मे नही आया था

"राजू लोग पीछे से कैसे कर लेते है" थोड़ी देर बाद मिली बोली

"कैसे कर लेते है मतलब, तूने कल फिल्म मे देखा नही" मैने जवाब दिया

"अरे मेरा वो मतलब नही था मैं ये कह रही हूँ कि चूत मे तो पानी के कारण चिकनाई होती है इसलिए लंड आराम से अंदर चला जाता है लेकिन गान्ड तो पूरी सुखी होती है फिर वहाँ लंड कैसे घुसता है और क्या लंड रगड़ने से तकलीफ़ नही होती?" वो बोली

"ऐसा कुछ नही होता शुरू मे ही थोड़ा दर्द होता है बाद मे छेद बड़ा हो जाए तो कुछ तकलीफ़ नही होती जहाँ तक चिकनाई की बात है तो उसके लिए तेल या थूक का इस्तेमाल कर लेते है" मैं थोड़ी खुशी से बोला मुझे लगने लगा था कि अब मुझे मिली के पिछवाड़े की सैर करने को मिलने वाली है

"तू सच कह रहा है ना सच मे ज़्यादा तकलीफ़ नही होती ना" वो कुछ डरते हुए बोली

"मिली मैं तुझसे झूठ क्यों बोलूँगा तूने खुद ही तो फिल्म मे देखा है कि वो लड़की कैसे मज़े ले लेकर गान्ड मरवा रही थी यदि यकीन ना आए तो वो फिल्म एक बार और देखले" मैं मस्का मारते हुए बोला

"नही मैं देख चुकी हूँ लेकिन फिर भी डर लगता है कि कही कुछ गड़बड़ ना हो जाए"

"अरे कुछ नही होता मैं कह रहा हूँ ना"

मेरी बात सुनकर मिली कुछ देर सोचती रही फिर बोली "देख राजू मैं तेरे साथ पीछे से करने को तैयार हूँ लेकिन तू कभी भी रीना के बारे मे बात नही करेगा और नही कभी मेरी चुत चोदने की डिमॅंड करेगा बोल मंजूर है"

अँधा क्या चाहे दो आँखे मैने झट से हामी भर दी और मिली से चिपक गया

"आरीए.अरी..ज़रा रुक तो अभी मैं तैयार नही हूँ और खाना खाने का भी टाइम हो गया है" मिली बोली

मैने टाइम देखा 12 बज चुके थे "तो फिर कब करेंगे" मैं बोला

"पहले खाना खा लेते है उसके बाद करेंगे जब तक मैं भी अपना मन पक्का कर लूँगी और खाना खाने से थोड़ी ताक़त भी आजाएगी तेरा लंड झेलने की" वो हँसते हुए मेरा लंड पकड़ कर बोली जो उसकी गान्ड मे घुसने के नाम से ही झटके मार रहा था

मिली हँसते हुए बेड से नीचे उतर गई लेकिन मेरा मूड अभी खाना खाने से ज़्यादा उसकी गान्ड मारने का था "खाना भी खा लेंगे यार पहले एक बार तो हो जाए" मैं बोला

"मैने कहा ना खाना खाने से ताक़त आएगी और वैसे भी मुझे बहुत भूख लगी है इसलिए प्लीज़ तू भी उठ और खाना खा ले" अब मिली थोड़ा गंभीर होते हुए बोली

मन मार कर मुझे भी उठना पड़ा उधर मिली अपने कपड़े उठाने लगी थी पहनने के लिए तभी मुझे शरारत सूझी "ठीक है मानी तेरी बात लेकिन आज खाना हम बगैर कपड़ो के ही खाएँगे एकदम नंगे हो कर" मैं बोला

"ये कैसी बात कर रहा है तू क्या नंगे होकर भी खाना खाया जाता है" वो बोली

"हमेशा नही खाया जाता लेकिन खास मौको पर चलता है" मैं बोला

"तो अभी कौन सा खास मौका है" वो भी चुहल करते हुए बोली ये बात अलग थी कि अब वो कपड़े पहनने की कोशिश नही कर रही थी

"आज मैं पहली बार तेरी गहराई को नापने जा रहा हूँ भले ही वो पीछे की क्यों ना हो तो खास मौका तो है ही और वैसे भी खाने के बाद तो कपड़े उतारना ही है तो बेकार मे ही पहनने उतारने की मेहनत क्यों करे" मैं उसकी पीठ से सटते हुए बोला
अब मेरा तना हुआ सख़्त लंड उसकी गान्ड की दरार से रगड़ खा रहा था उसकी गान्ड का स्पर्श अपने लंड पर होने से मैं बहुत उत्तेजित हो गया था मैने अपने एक हाथ से उसकी एक चुचि को मसलना शुरू कर दिया था और दूसरे हाथ से अपना लंड पकड़ कर उसकी गान्ड की दरार मे उपर से नीचे घुमा रहा था

चुचि मसल्ने से मिली भी उत्तेजित हो गई थी और शायद गान्ड पर रगड़ होने से भी इसलिए उसके मूह से लगातार मादक सिसकारिया फुट रही थी जिससे मेरा लंड और भी फूलता जा रहा था अभी ऐसा करते दो तीन मिनट ही हुए होंगे कि मिली छिटक कर मुझसे दूर हो गई और बोली "बस राजू अब और नही पहले चल कर खाना खा बाकी उसके बाद करेंगे और हां खाना ख़तम होने तक तू मुझे हाथ भी नही लगाएगा समझा"

मिली के दूर हटने और उसकी बात सुनकर मेरा लंड झटके मारते हुए धीरे धीरे नीचे बैठने लगा था अब मैने भी सोच लिया कि मिली को ज़्यादा सताना ठीक नही है वरना वो बिदक भी सकती है

"ओक, चल पहले खाना ही खा लेते है" मैं बोला

अब हम दोनो बाहर आ गये थे मिली ने मेरी बात मानकर कपड़े नही पहने थे वो मेरे सामने चल रही थी और चलने से उसके भारी नितंबो मे होती थिरकन मेरे होश उड़ाए जा रही थी बड़ी मुश्किल से मैं अपने आपको रोके हुए था 'कोई बात नही सालो थोड़ी देर बाद ही कुचलता हूँ तुम्हे' मन ही मन मैं उसके नितंबो से बोला

मिली नंगे बदन ही खाना लगाने निकल चुकी थी और अब थाली परोसने वाली थी "चल मिली आज हम एक ही थाली मे खा लेते है" मैं बोला
 
मेरी बात सुनकर वो मुस्कुराइ और एक ही थाली लगाने लगी जब वो थाली लगा चुकी तो मेरी तरफ देखा मैं जाकर डाइनिंग टेबल की एक कुर्सी पर बैठ गया मिली ने टेबल पर थाली रखी और मेरे साइड की कुर्सी खिचने लगी "उसकी क्या ज़रूरत है तू मेरी गोद मे ही बैठ जा ना खाना खाने मे परेशानी नही होगी" मैं बोला

"तू भी ना बहुत नाटक करने लगा है ज़रा भी सबर नही हो रहा तुझे" कहती हुए मिली आकर मेरी गोद मे बैठ गई

उसके बैठने से मेरा लंड उसके मुलायम चुतड़ों के नीचे गान्ड की दरार मे दब गया था लेकिन जैसे ही मिली का स्पर्श हुआ मेरा लंड फिर से फूलने लगा और मिली की गान्ड की दरार मे अपनी जगह बनाने लगा

"तेरा लंड भी ना साला बहुत अकड़ता है इसका कुछ करना ही होगा" मिली बोली और अपनी गान्ड हिलाते हुए मेरे लंड को अपनी गान्ड से थोड़ा और दबा दिया

मेरे मज़े की अभी कोई सीमा नही थी मिली अब खाना खाने लगी थी और मैं भी मज़े लेते हुए उसका साथ देने लगा था....
हम दोनो ही खाना खा चुके थे मैने मिली के साथ बर्तन वग़ैरह उठाए और हम दोनो ही रूम मे आ गये मेरी धड़कनें अब तेज हो गई थी आख़िर मेरे मन की मुराद जो पूरी होने वाली थी और शायद धड़कनें तो मिली की भी तेज थी लेकिन वो डर की वजह से थी गान्ड मरवाने मे जो दर्द उसे होना था शायद वही सोच सोच कर उसकी गान्ड लप्के ले रही थी


रूम मे आते ही मिली चुपचाप बेड पर बैठ गई थी और उसकी गर्दन नीचे की ओर झुकी हुई थी वो मुझसे नज़र नही मिला रही थी मैं भी जाकर उसके पास बैठ गया और उसके सिर पर हाथ फेरते हुए बोला "क्या बात है मिली तू इतनी शांत क्यों है"

"राजू मुझे बहुत डर लग रहा है प्लीज़ तू अपनी ज़िद्द छोड़ दे ना मैं मूह से ही कर देती हूँ" मिली बोली

"मैने तुझे समझाया था ना कि बस थोड़ा सा ही दर्द होगा वो भी पहली बार बाद मे सब ठीक हो जाएगा फिर क्यों डरती है और अगर तुझे ज़्यादा दर्द हुआ तो मैं लंड बाहर निकाल लूँगा और कुछ नही करूँगा" मैं उसे मनाते हुए बोला

"लेकिन फिर भी राजू मुझे डर लग रहा है एक काम करते है आज तू मेरे मूह से ही काम चला ले पीछे से कल कर लेंगे" वो बोली

"देख मिली मैं तेरे से कोई ज़बरदस्ती नही कर रहा हूँ यदि तू चाहती है कि मैं सिर्फ़ तेरा बाय्फ्रेंड बनकर रहूं और किसी और लड़की के पास ना जाउ तो आज तुझे मेरी बात माननी ही होगी गान्ड मे लेने मे डर लग रहा हो तो चूत मे ले ले मैने ठान रखा है कि आज तेरे दोनो छेद मे से किसी एक मे मेरा लंड घुस कर ही रहेगा और अगर ऐसा नही हुआ तो कल से मैं किसी और के पास चला जाउन्गा फिर मैं तेरे मानने से भी नही मानूँगा" मैं उसे धमकी देता हुआ बोला

अब मिली सोच मे पड़ गई थी एक तरफ दर्द का डर और दूसरी तरफ मेरी धमकी 5 मिनूट तक वो ऐसे ही सोचती रही फिर एकाएक ही बेड पर पेट के बल लेट गई और बोली "कर ले राजू जो करना है लेकिन ऐसे करना कि मुझे दर्द कम हो"

मेरी खुशी का ठिकाना नही था मिली की मस्त गान्ड मेरी आँखो के सामने थी और मिली भी मुझे आमंत्रित कर चुकी थी अब रुकना बेकार था मैं उठा और सीधे मिली की गान्ड पर किस करते हुए बोला "तू चिंता मत कर मिली मैं पूरी कोशिश करूँगा कि तुझे कम से कम दर्द हो"

अब मैने अपने दोनो हाथो से उसके कुल्हो को फैला दिया और उसकी गान्ड की दरार को ध्यान से देखने लगा खुशी के मारे मुझे समझ नही आरहा था कि शुरुआत कहाँ से करूँ मिली ने भी बेड की चादर को अपनी मुठ्थियों मे भींच लिया था और मेरे हमले को झेलने की तैयारी कर रही थी

"मिली ऐसे कुछ नही होगा यार थोड़े घुटने मोड़ ले ताकि गान्ड अच्छे से उभर कर बाहर आजाए" मैं बोला

मेरी बात सुनकर मिली ने घुटने मोड़ लिए और अपनी गान्ड को उपर की तरफ उठा लिया जिससे उसके कूल्हे फैल गये और मुझे उसकी गान्ड का छेद नज़र आने लगा मैने देर ना करते हुए अपनी एक उंगली उस छेद से लगा दी और उसे सहलाने लगा मेरा हाथ छेद से टच होते ही मिली का बदन ज़ोर से कांपा और उसके मूह से एक सिसकारी निकल गई थोड़ी देर बाद मैने अपनी बीच वाली उंगली को थूक से गीला किया और एक ही झटके मे छेद के अंदर घुसा दिया "अओउूचह...." एक जोरदार आह मिली के होंठो से निकली 

"क्या डाला अंदर" मिली कराहते हुए बोली

"उंगली डाली है, दर्द हुआ क्या?" मैने पूछा 

"थोड़ा थोड़ा" वो बोली

"देखा ना दर्द कम होता है तू तो बेकार मे ही डर रही थी" मैं अपनी उंगली छेद मे अंदर बाहर करते हुए बोला

"ये उंगली है इसलिए दर्द कम हुआ है लेकिन तेरा लंड तो इससे 10 गुना मोटा है सोच कितना दर्द होगा" मिली गान्ड मे उंगली अंदर बाहर होने से कराहते हुए बोली

"कुछ नही होगा तुझे दर्द कम हो इसीलिए तो मैं उंगली से तेरा छेद बड़ा कर रहा हूँ" मैं वैसे ही उंगली चलाता हुआ बोला
लगभग 5 मिनट हो गये थे मुझे उसकी गान्ड मे उंगली करते हुए अब मेरा धैर्य ख़तम हो चुका था और लंड फट पड़ने को हो रहा था मुझे पता था कि लंड अंदर जाने से मिली को बहुत दर्द होगा इसलिए मैं उठा और नारियल का तेल ले आया और उससे अपनी एक उंगली अच्छे से भिगो कर फिर मिली की गान्ड मे चलाने लगा 

"अब की बार दर्द हुआ क्या" मैने पूछा

"नही" वो बोली

"ऐसे ही लंड जाने पर भी एक ही बार दर्द होगा वो भी बहुत कम उसके बाद तो हम दोनो के ही मज़े है" मैं लगातार उंगली अंदर बाहर करते हुए बोला

थोड़ी देर बाद ही मैने उसकी गान्ड तेल से सराबोर कर दी और बहुत सारा तेल अपने लंड पर भी चुपड लिया मेरा लंड किसी काले नाग की तरह चमकने लगा था और अपने बिल मे घुसने को एकदम तैयार हो चुका था 

अब मेरे सामने बड़ी चुनौती थी मुझे बहुत होशियारी के साथ मिली की गान्ड मे पूरा लंड घुसेड़ना था ज़रा सी भी चूक मेरा सारा खेल बिगाड़ सकती थी अगर मैं दो ही धक्को मे लंड अंदर नही कर पाता हूँ तो दर्द के कारण शायद मिली मुझे आगे कुछ करने ही नही देगी यही सोच कर मैने फ़ैसला किया कि मुझे कोई रहम नही करना है और दो ही धक्को मे पूरा लंड मिली की गान्ड मे ठूंस देना है 

मैं अपने लंड और मिली की गान्ड को पूरी तरह तेल मे भिगोने के बाद अपनी पोज़िशन ले चुका था और मिली की कमर को एक हाथ से कस कर दूसरे हाथ से अपना लंड उसकी गान्ड के छेद पर सेट कर चुका था पहले उंगली करने की वजह से मेरा लंड उसके खुल बंद होते छेद पर अटक सा गया था 

अब मैने पूरी सावधानी बरतते हुए दूसरे हाथ से भी उसकी कमर थाम ली और लंड का दबाव उसकी गान्ड पर बढ़ा दिया लंड उसकी गान्ड के छेद को फैलाता हुआ अंदर जाने लगा और ऐसा होते ही मिली छटपटाने लगी और जोरो से चीखते हुए अपने बदन को आगे की तरफ खिचने लगी लेकिन मैने भी पूरी ताक़त से उसकी कमर को पकड़ रखा था इसलिए मिली अपनी कोशिश मे सफल नही हो सकी और ज़ोर से चिल्लाने लगी कि मैं लंड बाहर निकाल लूँ लेकिन अभी घर मे कोई भी नही था जो उसकी मदद को आता 

मुझे लगने लगा था कि मुझे जल्द ही कुछ करना चाहिए वरना मिली चिल्ला चिल्ला कर कोहराम मचा देगी मेरा चौथाई लंड उसकी गान्ड मे घुस चुका था
 
मैने अपना लंड बाहर को खींचा और एक ज़ोर का धक्का लगा दिया मेरा आधे से भी ज़्यादा लंड इस धक्के से मिली की गान्ड मे समा चुका था 

"ओह्ह..मम्मी मर गई रीए....छोड़ दे राजू छोड़ दे मुझे , मुझे नही करना ये सब मैं अब तुझे कभी भी मना नही करूँगी रीना से मिलने को प्ल्ज़ छोड़ दे मुझे" मिली रोते हुए बोली 

लेकिन मैं कहाँ मानने वाला था मैने अपना लंड फिर बाहर खींचा और एक आख़िरी ज़ोर का धक्का और लगा दिया इस धक्के ने मेरा पूरा लंड मिली की गान्ड मे उतार दिया

"उफ्फ....साले कुत्ते क्या मेरी गान्ड फाड़ के ही मानेगा भाई है या कसाई" मिली के मूह से एक दर्द भरी चीख और निकली लेकिन मैने कोई जवाब नही दिया और वैसे ही उसकी कमर थामे खड़ा रहा 



3-4 मिनट तक मैने कुछ नही किया और वैसे ही मिली की गान्ड मे अपना पूरा लंड घुसाए रुका रहा अब मिली की सिसकिया भी बहुत कम हो गई थी "अब कैसा लग रहा है मिली" मैं बोला

"कुत्ते कहीं के पहले तू क्या बोला था कि दर्द होते ही लंड बाहर निकाल लेगा और किया क्या?" मिली गुस्से से हान्फते हुए बोली

"मिली मेरे पूरा लंड तेरी गान्ड मे घुस चुका है ज़रा भी बाकी नही है जितना दर्द होना था हो चुका अब बता कि तेरा दर्द कैसा है" मैने फिर पूछा

"क्याअ... सारा लंड अंदर चला गया बाप रे कहीं मेरी गान्ड ना फट गई हो राजू देख तो कहीं खून तो नही निकल रहा जलन बहुत हो रही है" वो चौुक्ति हुई बोली उसे उम्मीद नही थी कि दो ही धक्को मे सारा लंड उसकी गान्ड मे था

"नही कोई खून नही निकला और थोड़ी देर जलन तो होगी ही लेकिन तुझे दर्द तो नही हो रहा अब" मैं बोला

"दर्द तो हो रहा है लेकिन बहुत कम" वो गहरी गहरी साँस लेते हुए बोल रही थी

"तो ठीक है मैं पंपिंग शुरू करता हूँ अब" मैं बोला और धीरे धीरे उसकी गान्ड मे धक्के लगाने लगा

"आहह...उउन्न्ह...उउफफफ्फ़......" जैसी सिसकारियाँ उसके मूह से निकलने लगी धीरे धीरे मेरे धक्को से वो दर्द भरी आहें अब मादक हो चुकी थी क्योंकि अब मैं उसकी गान्ड मारने के साथ साथ उसकी चूत मे अपनी दो उंगलिया भी अंदर बाहर करने लगा था

"मिली मज़ा आरहा है ना?" मैने पूछा

"आहह..अब ठीक लग रहा है राजू मज़ा भी आ रहा है ज़रा स्पीड तो बढ़ा अपनी उंगली की" वो बोली

"तू बोले तो गान्ड से निकाल कर लंड तेरी चूत मे डाल दूं" मैं अपने लंड और उंगली दोनो की ही स्पीड बढ़ाते हुए बोला

"ना बाबा ना इतना ही बहुत है आज के लिए और वैसे भी मैं तेरा लंड अपनी चूत मे नही लूँगी तेरे लिए मेरी गान्ड ही बहुत है" मिली मस्ती भरी मादक सिसकिया लेते हुए बोली

15-20 धक्को बाद ही मुझे लगने लगा कि अब मैं झड़ने वाला हूँ तो मैने अपनी स्पीड फुल कर दी मिली भी इन झटको और मेरी उंगली की कारस्तानी से झड़ने लगी थी मेरी सारी हथेली उसके यौवन रस से सराबोर हो चुकी थी और ऐसा होते ही मेरे लंड ने भी उसकी गान्ड मे पिचकारियाँ छोड़नी शुरू कर दी थी आज मेरे लंड ने इतना माल निकाला कि वो मिली की गान्ड मे भी नही समाया और बाहर निकलने लगा


झड़ते हुए मैं बुरी तरह थक चुका था इसलिए मैने मिली की कमर छोड़ी और उसकी गान्ड मे लंड घुसाए हुए ही उस पर ढेर गया मिली भी मेरे वजन की वजह से बेड पर धराशायी हो गई हम दोनो ही गहरी गहरी साँसे लेते हुए बेड पर पड़े थे..

मैं और मिली बहुत देर तक ऐसे ही बेड पर पड़े रहे मुझे तो ऐसा लग रहा था जैसे मैं अभी अभी जन्नत की सैर करके आया था कितना मज़ा आया था मिली की टाइट गान्ड मारने मे मैं बयान भी नही कर सकता था

जबकि शायद मिली की हालत मुझसे जुदा थी जो उसके चेहरे से सॉफ दिखाई दे रही थी उसे बहुत दर्द हुआ था शायद पहली बार गान्ड मरवाने मे

"मिली तू ठीक तो है ना?" मैने पूछा

"हूंम्म्म..." उसके मूह से निकला

"दर्द बहुत हो रहा है क्या?" मैने फिर पूछा

"दर्द तो कम हो गया है लेकिन कुछ जलन सी हो रही है वहाँ" वो बोली

"तू रुक मैं अभी कुछ करता हूँ" कहते हुए मैं उठा और बोरो प्लस का ट्यूब उठा लाया

"मैं ये क्रीम लगा देता हूँ तुझे आराम मिल जाएगा" मैं उसे वो ट्यूब दिखाता हुआ बोला

"लेकिन ये तो और भी जलन करेगा" वो बोरो प्लस को देखती हुई बोली

"बस एक बार फिर तो आराम मिल ही जाएगा" मैं बोला और मिली को फिर उल्टा लिटा दिया और उसकी गान्ड के छेद पर क्रीम लगाने लगा
 
क्रीम की जलन से मिली बार बार कराह रही थी लेकिन ये सब तो उसे एक बार झेलना ही था मैने देखा उसकी गान्ड का छेद अब बहुत खुल गया था पहले से

थोड़ी देर बाद मैं अपने काम से फारिग हो चुका था टाइम भी 3 से उपर ही हो गया था

"मैं चाइ बना कर लाता हूँ" मैं बोला

"मैं भी सू-सू कर लेती हूँ" मिली बोली और उठ कर खड़ी हो गई और बाथ रूम की तरफ जाने लगी लेकिन उसकी चाल मे लंगड़ाहट थी मेरी नज़र उससे मिली तो वो मुस्कुरा दी

"सॉरी" मैं बोला

"कोई बात नही राजू कभी ना कभी तो ये होना ही था" वो बोली और बाथ रूम मे घुस गई और मैं भी चाइ बनाने चला गया
.......
उस दिन के बाद हम दोनो ही हमेशा एक दूसरे को खुश रखने लगे थे और भाई बहन वाले प्यार के अलावा भी एक अलग सा प्यार हम दोनो मे एक दूसरे के लिए पनप चुका था जिसमे एक अलग ही तड़प थी अब कॉलेज मे भी खाली समय मे हम साथ ही रहते और ज़रूरी ना हो तो एक ही गाड़ी मे कही भी जाते मैने अब किसी और लड़की की तरफ देखना भी बंद कर दिया था जिससे मिली बहुत खुश थी

हम दोनो अब लगभग रोज ही ओरल किया करते और मैं हर हफ्ते 4-6 बार तो मिली की गान्ड भी अपने माल से गीली कर ही दिया करता था अब मैं उसकी चूत भी चूसने लगा था और अपनी उंगलियों और जीभ से उसे चोदा भी करता था लेकिन इस एक महीने मे कभी भी मैने उससे चूत चोदने की बात नही की थी क्योंकि वो अपने मूह और गान्ड से मुझे अच्छे से शांत कर देती थी

जिंदगी मज़े से कट रही थी हम दोनो ही एक दूसरे से पूरी तरह खुश थे लेकिन शायद मेरी किस्मत मे पूरी तरह से बहन्चोद बनना ही लिखा हुआ था इसके बाद मुझे मेरी बहन की चूत भी चोदने को मिली लेकिन ये मिली ने अपनी मर्ज़ी से किया इसके लिए मैने उसे फोर्स नही किया

मिली ने मुझे अपनी चूत कैसे मारने दी थोड़ी देर बाद बताता हूँ....
प्ल्ज़ वेट.........











तो दोस्तो हुआ यूँ कि मिली के साथ पीछे से सेक्स करते हुए कोई एक महीना हो चुका था कि मिली को मालूम पड़ा कि हमारे कॉलेज से एक ट्रिप फेमस हिल स्टेशन पर जा रही थी जो कि मिली को बहुत पसंद था लेकिन वो आज तक वहाँ जा नही पाई थी उसकी कुछ सहेलियाँ भी उस ट्रिप पर जा रही थी लेकिन उनके साथ उनके बाय्फ्रेंड भी जा रहे थे जिस वजह से जाहिर था कि मिली वहाँ अकेली पड़ जाने वाली थी जबकि वो वहाँ खूब एंजाय करना चाहती थी इसलिए उसने मुझसे साथ चलने को कहा लेकिन मुझे घूमना फिरना ज़्यादा अच्छा नही लगता था

"नही यार मिली मैं नही चल सकता मुझे इन सब का शौक नही है" मैने उसे मना कर दिया

"प्लीज़ राजू मेरी खातिर सिर्फ़ एक बार मान जा ना वहाँ पर मेरी सारी सहेलिया तो अपने बाय्फ्रेंड के साथ मस्त रहेगी और मैं अकेली पड़ जाउन्गी" मिली ने मुझे मनाया

"लेकिन मैं वहाँ बोर हो जाउन्गा मिली" मैने जवाब दिया

"तू एक बार चल तो सही मैं वादा करती हूँ कि मैं तुझे बोर नही होने दूँगी और वैसे भी इन तीन दिन मे तू मेरे बगैर वैसे ही बोर हो जाएगा क्योंकि तुझे मेरे 'पीछे' लगने की आदत जो पड़ गई है" वो मुस्कुराते हुए बोली

ये बात तो वो सही कह रही थी उसके बिना तो अब मुझे घंटा भर भी चैन नही मिलता था और यहाँ तो बात तीन दिन की थी और फिर रात मे उसके साथ मस्ती भी तो नही कर पाउन्गा मुझे उसके साथ ट्रिप पर जाने मे ही अपनी भलाई लगी और मैने हां कर दी मिली बहुत खुश हुई

ट्रिप ने दो दिन बाद रवाना होना था हम ने घर आकर पापा मम्मी से पेर्मिशन भी ले ली थी अब मिली अपनी तैयारियो मे बिज़ी हो गई थी दो बार तो मार्केट भी ले जाना पड़ा शॉपिंग के लिए

आख़िर वो दिन आ ही गया जब हमे रवाना होना था कॉलेज से दो बस मे टीचर्स सहित लगभग 100 लोग दो बस मे रवाना हुए लड़के और लड़किया अलग अलग बस मे थे

कोई 6 घंटे के सफ़र के बाद हम उस हिल स्टेशन पहुचे लेकिन ये जंगल मे बसा हुआ स्थान था ज़्यादा सुविधाए यहाँ अभी नही थी एक रेस्ट हाउस मे हम सभी के रुकने की व्यवस्था की गई थी लेकिन वो भी बड़ा नही था तो उसके कॉंपाउंड मे ही छोटे छोटे टेंट लगा दिए गये जिनमे लड़को के सोने का प्रबंध किया गया और लड़कियो और टीचर्स को रेस्ट हाउस मे ही रहना था वैसे भी मार्च का महीना था तो ठंड और बारिश की चिंता ही नही थी
 
हम लोग शाम को लगभग 5 बजे वहाँ पहुच चुके थे लेकिन सफ़र की थकावट सभी को थी इसलिए अगले दिन से ही घूमने फिरने का प्रोग्राम था रात को सभी लोग खाना खाने के बाद कुछ देर साथ बैठे और फिर सोने चले गये मेरे कुछ दोस्त भी इस ट्रिप पर आए थे तो हम सभी दोस्त एक ही टेंट मे सो गये

अगले दिन सुबह का नाश्ता कर सभी लोग ग्रूप बना बना कर घूमने जाने लगे मिली और उसकी चार सहेलियों के बाय्फ्रेंड ने एक ग्रूप बनाया जिसमे मिली ने मुझे भी शामिल कर लिया

हम सभी लोग अपने अपने जोड़े के साथ आगे बढ़ने लगे और जंगल की सुंदरता को निहारने लगे सिर्फ़ मेरा और मिली का ही जोड़ा ऐसा था जो सिर्फ़ हाथ पकड़े चल रहा था बाकी चारो जोड़े गले मे बाहें डाले एक दूसरे को चिपके हुए आगे बढ़ रहे थे और वो सभी हमसे आगे थे


मिली का सिर्फ़ हाथ ही मेरे हाथ मे था जबकि उसकी बाकी सभी इंद्रिया जंगल का ही निरीक्षण कर रही थी और मैं सिर्फ़ चलता जा रहा था जैसे जैसे हम आगे बढ़ रहे थे धीरे धीरे एक एक जोड़ा हम लोगो से अलग जंगल मे गुम होता जा रहा था लेकिन मिली को इस बारे मे कोई खबर नही थी वो तो बस जंगल को ही निहार रही थी और शायद पता भी नही चलता लेकिन एक ठोकर जो उसके पैरो पर लगी थी उसने उसका ध्यान जंगल की सुंदरता से वापस इस दुनिया मे ला दिया था और उसी टाइम आख़िरी बचा जोड़ा भी जंगल के अंदर घुस रहा था

"आउछ्ह...." मिली की कराह निकली

"क्या हुआ" मैं बोला

"ठोकर लग गई यार" मिली सामने देखते हुए बोली "लेकिन बाकी के लोग कहाँ गये"

मैने उस आख़िरी जोड़े जो कि जंगल की गहराई मे गुम होने जा रहा था की तरफ इशारा किया और बोला "जैसे ये जा रहे है वैसे ही बाकी के भी चले गये"

मिली मुस्कुरा के रह गई और बोली "तुम बोर तो नही हो रहे"

"नही मुझे तो बहुत मज़ा आरहा है" मैं बोला

"अब ज़्यादा बनो मत मैं कुछ देर के लिए खो सी गई थी लेकिन अब ऐसा नही होगा अब आगे चलो" कहते हुए मिली मुझे खींचते हुए आगे बढ़ गई

कुछ ही दूर आगे एक झरना मिला जिसकी तारीफ के लिए हम दोनो के ही पास शब्द नही थे हम दोनो वही बैठ गये और बाते शुरू कर दी थोड़ी देर बाद मैने जानबूझ कर मिली से पूछा "मिली वो लोग जंगल मे अकेले क्या कर रहे होंगे"

"क्या कर रहे होंगे मतलब, अरे पागल वो प्यार की बाते कर रहे होंगे और क्या"

"तू सच मे बहुत भोली है वो कोई बाते नही कर रहे होंगे बल्कि धुआधार चुदाई मे लगे होंगे" मैं बोला

"मैं नही मानती ऐसे पथरीले जंगल मे चुदाई कैसे होगी, ऐसे मे चुदाई करने पर तो नीचे वाला छिल जाएगा" वो बोली

"तुझे मेरी बात पर यकीन नही आरहा है ना तो चल चल कर देखते है मुझे पूरी उम्मीद है वो वही सब कर रहे होंगे" मैं बोला

"ठीक है चल चल कर देखते है किसकी बात सही है" कहते हुए मिली खड़ी हो गई

अब हम वापस जाने लगे मुझे अच्छे से याद था कि आख़िरी जोड़ा किधर से जंगल मे घुसा था मैं मिली का हाथ पकड़े वहीं से जंगल के अंदर घुसने लगा कुछ दूर जाने के बाद भी वो हमे नज़र नही आए

"कहाँ गये वो लोग तुझे अच्छे से पता तो है ना कि वो यहीं से अंदर आए थे?" मिली बोली

"तू चुप रह मुझे अच्छे से याद है, मुझे कुछ सोचने दे" मैं इतना कह कर सोचने लगा कि वो लोग कहाँ हो सकते है कुछ देर सोचने के बाद मुझे लगा कि छुप कर चुदाई करने के लिए झाड़ियों से अच्छी जगह कोई नही हो सकती इसलिए मैं मिली को वही रुकने का बोल कर बड़ी बड़ी झाड़ियो को चेक करने लगा 5-6 झाड़ियों को देखने के बाद आख़िर मुझे कामयाबी मिल ही गई अभी मैं उस झड़ी से 10 कदम दूर ही था कि मुझे उस झड़ी से कुछ मादक सिसकारियों की आवाज़े आई मेरे होंठो पर विजयी मुस्कान आ गई मैने मिली को चुप रहने का इशारा करते हुए पास आने का इशारा किया मिली भी मेरा इशारा समझते हुए शांति के साथ बिना आवाज़ किए पास आ गई .


अब मैं मिली का हाथ पकड़े धीरे धीरे उस झाड़ी के पास पहुच गया इस दौरान हम दोनो ने किसी भी प्रकार की आवाज़ नही होने दी जैसे ही हम दोनो की नज़र उस झाड़ी के अंदर पड़ी हम दोनो ही रोमांचित हो गये झाड़ियों के अंदर मिली की एक सहेली मादक आवाज़े निकालते हुए अपने बाय्फ्रेंड के साथ चुदाई मे मग्न थी उन लोगो को इतनी मस्ती छाइ हुई थी कि उन्हे हमारे पास आने की भनक भी नही लगी थी


अपनी आँखो के सामने लाइव चुदाई देख कर मिली की साँसे भी भारी हो चुकी थी और उसकी नज़रे वहाँ से हट ही नही रही थी इधर मेरे लंड का हाल भी बुरा था लेकिन ये मौका कुछ करने का नही था इसलिए मैं मन मसोस कर रह गया


थोड़ी देर बाद ही वो दोनो ज़ोर ज़ोर की आवाज़े निकालने लगे मैं समझ गया कि अब इनकी चुदाई ख़तम होने वाली है इसलिए मैने मिली का हाथ पकड़ा और उसे भी खड़ा कर लिया और बिना कुछ बोले ही हम वहाँ से वापस चल दिए
 
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