desiaks
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- Aug 28, 2015
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वैसे तो लंड बहुत गर्म था और जब उस पर थोड़ी ठंडी हवा लगी तो अच्छा महसूस होने लगा। जब उसने अपने कोमल हाथों से मेरे लंड को छुआ तो मैं सिहर गया और जब वो सहलाने लगी तो मानो मैं जन्नत में पहुँच गया। कुछ ऐसा जादू था उसके हाथों में।
ऊपर मैं उसकी चूचियों को ज़ोर-ज़ोर से मसलने लगा और चूसने लगा.. तो वो भी मेरे लंड को ज़ोर-ज़ोर से दबाने लगी। सो मैं भी बुरड़ों को छोड़ कर अपना एक हाथ उसकी बुर के पास ले आया और ऊपर से सहलाने लगा। कपड़ों के ऊपर से ही लेकिन कपड़ों के ऊपर में बुर को सहलाने का क्या मजा..? सो मैंने उसके कपड़ों में हाथ डाल दिया और मेरी उंगली उसकी बुर के पास पहुँच गई। उसकी बुर तो मानो तप रही थी.. जैसे कोयले की भट्टी हो।
सो मैं उसके कपड़े उतारने लगा.. तो वो भी कपड़े उतारने में साथ देने लगी और अब वो मेरे सामने पूरी नंगी खड़ी थी।
जब उसके बदन पर ठंडी-ठंडी हवा लगी तो उसके रोंए खड़े हो गए।
दीप्ति- मैं नंगी खड़ी हूँ.. और तुम कपड़ों में अच्छे नहीं लग रहे हो।
मैं- तुम ही आकर उतार दो।
दीप्ति- खुद से उतार लो।
मैं- नहीं खुद से तो नहीं उतारना है मुझे.. तुम उतारोगी तो बोलो..
दीप्ति- ओके.. मैं ही उतार देती हूँ.. वैसे भी तुमसे बड़ी हूँ।
वो मेरे कपड़े उतारने लगी तो मैं खुद सारे कपड़े उतार कर नंगा हो गया और बोला- लो मैं भी तुम्हारे जैसा हो गया।
दीप्ति- वाउ… तुमने तो अच्छी बॉडी बना रखी है।
मैं- हाँ जिम जाता हूँ वैसे तुम्हारी बॉडी भी बहुत सेक्सी है और कोई इतना गोरा कैसे हो सकता है यार..
दीप्ति- ओहो.. थैंक्स..
मैं- आओ अब इसको मुँह में ले लो.. ये अन्दर जाने के लिए बहुत देर से तड़फ रहा है।
दीप्ति- छी: नहीं.. मैं नहीं लूँगी..
मैं - लेकर तो देखो.. मजा आ जाएगा।
कांता - ठीक है.. कोशिश करती हूँ।
वो नीचे बैठ गई और लंड पर किस किया फिर लंड के आगे वाले भाग पर जीभ घुमाने लगी। मुझे मजा आने लगा तो मैं बोला- अब अन्दर लो ना इसको..
तो उसने मुँह खोला और मैंने लंड अन्दर डाल दिया..
उसके मुँह में पूरा लंड नहीं आ पा रहा था.. सो वो उतने ही भाग को ही चूसने लगी।
मैं उसके सिर को पकड़ कर लंड अन्दर-बाहर कर रहा था। कुछ देर ऐसा करने के बाद उसको बिस्तर पर लिटा दिया और हम 69 की अवस्था में आ गए। अब मैं उसकी बुर को और वो मेरे लंड को चूस रही थी। उसकी गुलाबी सी बुर को जब मैं जीभ से चाट रहा था तो कितना मजा आ रहा था कि बता नहीं सकता।
कुछ देर ऐसा करने के बाद उसकी बुर ने पानी छोड़ दिया। कुछ देर बाद मेरा लंड भी छूट गया और सारा पानी उसके चेहरे पर लग गया। अब हम दोनों अलग हुए।
मैं- कैसा लगा?
दीप्ति- बहुत मजा आया..
मैं- बड़ी कमाल की है तुम्हारी बुर यार.. मुझे भी चूस कर मजा आ गया।
दीप्ति ने मेरे लंड पर हाथ मारते हुए- ये अभी तक खड़ा है।
मैं - हाँ तुम्हारे अन्दर जाना चाहता है।
दीप्ति- अब कहाँ?
मैंने उसकी बुर पर उंगली फिरा दी… बोला- यहाँ..
दीप्ति - नहीं यार.. नहीं जाएगा.. बहुत बड़ा है… बहुत दर्द होगा।
मैं - नहीं होगा ना.. मैं आराम से डालूंगा
दीप्ति - नहीं.. मेरी बुर फट जाएगी.. किसी और दिन।
मैं - कुछ नहीं होगा.. वैसे भी काल करे सो आज कर.. सो अभी ही करते हैं।
दीप्ति - नहीं यार.. मुझे डर लग रहा है.. बहुत दर्द होगा..
मैं - कुछ भी नहीं होगा.. जब ज्यादा दर्द होगा.. तो मत करना..
दीप्ति - ओके ठीक है.. लेकिन कन्डोम है? बिना कन्डोम के मैं नहीं करूँगी।
ऊपर मैं उसकी चूचियों को ज़ोर-ज़ोर से मसलने लगा और चूसने लगा.. तो वो भी मेरे लंड को ज़ोर-ज़ोर से दबाने लगी। सो मैं भी बुरड़ों को छोड़ कर अपना एक हाथ उसकी बुर के पास ले आया और ऊपर से सहलाने लगा। कपड़ों के ऊपर से ही लेकिन कपड़ों के ऊपर में बुर को सहलाने का क्या मजा..? सो मैंने उसके कपड़ों में हाथ डाल दिया और मेरी उंगली उसकी बुर के पास पहुँच गई। उसकी बुर तो मानो तप रही थी.. जैसे कोयले की भट्टी हो।
सो मैं उसके कपड़े उतारने लगा.. तो वो भी कपड़े उतारने में साथ देने लगी और अब वो मेरे सामने पूरी नंगी खड़ी थी।
जब उसके बदन पर ठंडी-ठंडी हवा लगी तो उसके रोंए खड़े हो गए।
दीप्ति- मैं नंगी खड़ी हूँ.. और तुम कपड़ों में अच्छे नहीं लग रहे हो।
मैं- तुम ही आकर उतार दो।
दीप्ति- खुद से उतार लो।
मैं- नहीं खुद से तो नहीं उतारना है मुझे.. तुम उतारोगी तो बोलो..
दीप्ति- ओके.. मैं ही उतार देती हूँ.. वैसे भी तुमसे बड़ी हूँ।
वो मेरे कपड़े उतारने लगी तो मैं खुद सारे कपड़े उतार कर नंगा हो गया और बोला- लो मैं भी तुम्हारे जैसा हो गया।
दीप्ति- वाउ… तुमने तो अच्छी बॉडी बना रखी है।
मैं- हाँ जिम जाता हूँ वैसे तुम्हारी बॉडी भी बहुत सेक्सी है और कोई इतना गोरा कैसे हो सकता है यार..
दीप्ति- ओहो.. थैंक्स..
मैं- आओ अब इसको मुँह में ले लो.. ये अन्दर जाने के लिए बहुत देर से तड़फ रहा है।
दीप्ति- छी: नहीं.. मैं नहीं लूँगी..
मैं - लेकर तो देखो.. मजा आ जाएगा।
कांता - ठीक है.. कोशिश करती हूँ।
वो नीचे बैठ गई और लंड पर किस किया फिर लंड के आगे वाले भाग पर जीभ घुमाने लगी। मुझे मजा आने लगा तो मैं बोला- अब अन्दर लो ना इसको..
तो उसने मुँह खोला और मैंने लंड अन्दर डाल दिया..
उसके मुँह में पूरा लंड नहीं आ पा रहा था.. सो वो उतने ही भाग को ही चूसने लगी।
मैं उसके सिर को पकड़ कर लंड अन्दर-बाहर कर रहा था। कुछ देर ऐसा करने के बाद उसको बिस्तर पर लिटा दिया और हम 69 की अवस्था में आ गए। अब मैं उसकी बुर को और वो मेरे लंड को चूस रही थी। उसकी गुलाबी सी बुर को जब मैं जीभ से चाट रहा था तो कितना मजा आ रहा था कि बता नहीं सकता।
कुछ देर ऐसा करने के बाद उसकी बुर ने पानी छोड़ दिया। कुछ देर बाद मेरा लंड भी छूट गया और सारा पानी उसके चेहरे पर लग गया। अब हम दोनों अलग हुए।
मैं- कैसा लगा?
दीप्ति- बहुत मजा आया..
मैं- बड़ी कमाल की है तुम्हारी बुर यार.. मुझे भी चूस कर मजा आ गया।
दीप्ति ने मेरे लंड पर हाथ मारते हुए- ये अभी तक खड़ा है।
मैं - हाँ तुम्हारे अन्दर जाना चाहता है।
दीप्ति- अब कहाँ?
मैंने उसकी बुर पर उंगली फिरा दी… बोला- यहाँ..
दीप्ति - नहीं यार.. नहीं जाएगा.. बहुत बड़ा है… बहुत दर्द होगा।
मैं - नहीं होगा ना.. मैं आराम से डालूंगा
दीप्ति - नहीं.. मेरी बुर फट जाएगी.. किसी और दिन।
मैं - कुछ नहीं होगा.. वैसे भी काल करे सो आज कर.. सो अभी ही करते हैं।
दीप्ति - नहीं यार.. मुझे डर लग रहा है.. बहुत दर्द होगा..
मैं - कुछ भी नहीं होगा.. जब ज्यादा दर्द होगा.. तो मत करना..
दीप्ति - ओके ठीक है.. लेकिन कन्डोम है? बिना कन्डोम के मैं नहीं करूँगी।