hotaks444
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लोगों के दिए गए उपहारों को समेट कर घर आते-आते पुनः रात के बारह बज गए। देर तक सोने का समय ही नहीं बचा। सबसे पहले अपने कपड़े बदले, दो बैग तैयार किये, अपना कैमरा और लैपटॉप रखा। सोने का कोई सवाल ही नहीं था, इसलिए मैं रश्मि को लेकर अपनी बालकनी में आ गया।
“कितनी शान्ति है – लगता ही नहीं की यह वही शहर है जहाँ दिन भर इतना शोर होता रहता है।“ रश्मि ने कहा।
“हा हा! हाँ, रात में ही लोगो को ठंडक पड़ती है यहाँ तो! पूरा दिन बदहवासी में भटकते रहते हैं सब! आपने अभी मुंबई शहर नहीं देखा – देखेंगी तो डर जाएँगी।”
“इतना खराब है?”
“खराब छोटा शब्द है! बहुत खराब है।”
कुछ देर चुप रहने के बाद,
“आप क्यों इतना खर्च कर रहे हैं? मैं ... हम, अपने घर में, मतलब यहीं क्यों नहीं रह सकते?”
“जानेमन, अपने ही घर में रहेंगे। हनीमून घर में नहीं मनाते! और इसी बहाने कहीं घूम भी आयेंगे!! मैंने अपनी पूरी लाइफ में सिर्फ एक ही यात्रा की है – और उसमें ही भगवान को इतनी दया आ गयी की आपको मेरे जीवन में भेज दिया। सोचा, की एक बार और अपने लक को ट्राई कर लेता हूँ। न जाने और क्या क्या मिल जाए! हा हा!”
“अच्छा, तो आपका मन मुझसे अभी से भर गया, की अब दूसरी की खोज में निकल पड़े?” रश्मि ने मुझे छेड़ा।
“दूसरी की खोज! अरे नहीं बाबा! फिलहाल तो पहली की ही खोज चल रही है! न तो आपने कभी बीच देखे, और न ही मैंने! बीच भी देखेंगे, और.... और भी काफी कुछ!” मैंने आँख मारते हुए कहा।
“काफी कुछ मतलब?”
उत्तर में मैंने रश्मि के कुरते के ऊपर से उसके स्तन को उंगली से तीन चार बार छुआ।
“आप थके नहीं अभी तक?” रश्मि ने मुस्कुराते हुए कहा।
“ऐसी बीवी हो तो कोई गधा हस्बैंड ही होगा जो थकेगा! तो बताओ, मैं गधा हूँ क्या?”
रश्मि ने प्यार से मेरे गले में गलबैंयां डालते हुए कहा, “नहीं... आप तो मेरे शेर हैं!”
“आपको मालूम है की शेर और शेरनी दिन भर में कोई 40-50 बार सेक्स करते हैं?”
“क्या?... आप सचमुच, बहुत बदमाश हैं! न जाने कैसे ऐसी बाते मालूम रहती हैं आपको!”
“इंटरेस्टिंग बाते मुझको हमेशा मालूम रहती हैं!”
“तो, जब आपने मान ही लिया है, की मैंने आपका शेर हूँ.... और आप... मेरी शेरनी... तो....”
“हःहःहःह...” रश्मि हल्का सा हंसी, “शेर आपके जैसा हो, और शेरनी मेरे जैसी, तो शेरनी तो बेचारी मर ही जाए!”
मैंने कुछ और खींचने की ठानी, “मेरे जैसा मतलब?”
“जब हमारी शादी पास आ रही थी, तो पास-पड़ोस की 'भाभियां' मुझे.... सेक्स... सिखाने के लिए न जाने क्या-क्या बताती रहती थीं।“
“आएँ! आपको भाभियाँ यह सब सिखाती है?”
“तो और कौन बतायेगा? उनके कारण मुझे कम से कम कुछ तो मालूम पड़ा – भले ही उन्होंने सब कुछ उल्टा पुल्टा बताया हो! अब तो लगता है की शायद उनको ही ठीक से नहीं मालूम!”
मुझे रश्मि की बात में कुछ दिलचस्पी आई, “अच्छा, ऐसा क्या बताया उन्होंने जो आपको उल्टा पुल्टा लगा? मुझे भी मालूम पड़े!”
रश्मि थोड़ा शरमाई, और फिर बोली, “उन्होंने मुझे बताया की पुरुषों का... ‘वो’.. ककड़ी के जैसा होता है। मैं तो उसी बात से डर गयी! मैंने तो सिर्फ बच्चों के ही... ‘छुन्नू’ देखे थे, लेकिन उस दिन जब मैंने पहली बार आपका.... देखा, तो समझ आया की ‘वो’ उनके बताये जैसा तो बिलकुल भी नहीं था। आपका साइज़ तो बहुत बड़ा है! मुझे लगा की मेरी जान निकल जाएगी। और फिर आप इतनी देर तक करते हैं की.....!”
“मतलब आपको मज़ा नहीं आता?” मैंने आश्चर्य से कहा – मुझे लगा की मैंने रश्मि को बहुत मज़े दे रहा हूँ! कहीं देर तक करने के कारण उसको तकलीफ तो नहीं होती!
“नहीं! प्लीज! ऐसा न कहिये! मैं सिर्फ यह कह रही हूँ की आप वैसे बिलकुल भी नहीं हैं, जैसा मुझे भाभियों ने मर्दों के बारे में बताया है! भाभियों के हिसाब से सेक्स.... बस दो-चार मिनट में ख़तम हो जाता है, और यह भी की यह मर्दों के अपने मज़े के लिए है। लेकिन आप.... आप एक तो कम से कम पंद्रह-बीस मिनट से कम नहीं करते, और आप हमेशा मेरे मज़े को तरजीह देते हैं। और बात सिर्फ सेक्स की नहीं है......”
रश्मि थोड़ी भावुक हो कर रुक गई, “मेरे शेर तो आप ही हैं!” कहते हुए रश्मि ने मेरे लिंग को अपने हाथ की गिरफ्त में ले लिया – मेरा लिंग फूलता जा रहा था।
“आई ऍम सो लकी! .... और अगर मैं यह बात आपको बोलूँ, तो आप मेरे बारे में न जाने क्या सोचेंगे! लेकिन फिर भी मुझे कहना ही है की मैं आपकी फैन हूँ! फैन ही नहीं, गुलाम! आप मेरे हीरो हैं... आप जो कुछ भी कहेंगे मैं करूंगी। आज आपने मुझे जब कपड़े उतारने को कहा, तो मुझे डर या शंका नहीं हुई। मुझे मालूम था की आप मेरे लिए वहां हैं, और मुझे कोई नुक्सान नहीं होने देंगे। और... आप चाहे तो दिन के चौबीसों घंटे मेरे साथ सेक्स कर सकते हैं, और मैं बिलकुल भी मना नहीं करूंगी!”
“हम्म्म्म! गुड!” फिर कुछ सोच कर, “... लगता है आपकी भाभियों को मेरे पीनस (लिंग) का स्वाद देना पड़ेगा!”
“न न ना! आप बहुत गंदे हैं!” रश्मि ने मेरे लिंग पर अपनी गिरफ्त और मज़बूत करते हुए कहा, “ऐसा सोचिएगा भी नहीं। ये सिर्फ मेरा है!”
कह कर रश्मि ने मेरे लिंग को दबाया, सहलाया और हल्का सा झटका दिया।
“ये करना आपकी भाभियों ने सिखाया है?” मैंने शरारत से पूछा।
“चलिए, आपको थकाते हैं!” रश्मि ने मुस्कुराते हुए कहा।
मैंने भी मुस्कुराते हुए रश्मि को चूमने के लिए उसकी कमर को पकड़ कर अपनी तरफ खीचा और उसके मुँह में मुँह डाल कर उसको चूमने लगा। कुछ देर चूमने के बाद मैंने रश्मि का कुरता उसके शरीर से खींच कर अलग किया और अपना भी टी-शर्ट उतार दिया। मेरी हुस्न-परी के स्तन अब मेरे सामने परोसे हुए थे – मैंने रश्मि के दाहिने निप्पल को अपनी जीभ से कुछ देर तक चुभलाया, फिर मुँह में भर लिया। रश्मि के मुँह से मीठी सिसकारी निकल पड़ी। मैं बारी-बारी से उसके स्तनों को चूमता और चूसता गया - जब मैं एक स्तन को अपने मुँह से दुलारता, तो दूसरे को अपनी उँगलियों से। उसके निप्पल उत्तेजना से मारे कड़े हो गए, और सांसे तेज हो गईं। अब समय था अगले वार का - मैंने अपने खाली हाथ को उसकी शलवार के अन्दर डाल दिया, और उसकी योनि को टटोला। योनि पर हाथ जाते ही मुझे वहां पर गीलेपन का एहसास हुआ। कुछ देर उसको सहलाने के बाद मैंने अपनी उंगली रश्मि की योनि में डाल कर अन्दर-बाहर करना शुरू कर दिया।
“कितनी शान्ति है – लगता ही नहीं की यह वही शहर है जहाँ दिन भर इतना शोर होता रहता है।“ रश्मि ने कहा।
“हा हा! हाँ, रात में ही लोगो को ठंडक पड़ती है यहाँ तो! पूरा दिन बदहवासी में भटकते रहते हैं सब! आपने अभी मुंबई शहर नहीं देखा – देखेंगी तो डर जाएँगी।”
“इतना खराब है?”
“खराब छोटा शब्द है! बहुत खराब है।”
कुछ देर चुप रहने के बाद,
“आप क्यों इतना खर्च कर रहे हैं? मैं ... हम, अपने घर में, मतलब यहीं क्यों नहीं रह सकते?”
“जानेमन, अपने ही घर में रहेंगे। हनीमून घर में नहीं मनाते! और इसी बहाने कहीं घूम भी आयेंगे!! मैंने अपनी पूरी लाइफ में सिर्फ एक ही यात्रा की है – और उसमें ही भगवान को इतनी दया आ गयी की आपको मेरे जीवन में भेज दिया। सोचा, की एक बार और अपने लक को ट्राई कर लेता हूँ। न जाने और क्या क्या मिल जाए! हा हा!”
“अच्छा, तो आपका मन मुझसे अभी से भर गया, की अब दूसरी की खोज में निकल पड़े?” रश्मि ने मुझे छेड़ा।
“दूसरी की खोज! अरे नहीं बाबा! फिलहाल तो पहली की ही खोज चल रही है! न तो आपने कभी बीच देखे, और न ही मैंने! बीच भी देखेंगे, और.... और भी काफी कुछ!” मैंने आँख मारते हुए कहा।
“काफी कुछ मतलब?”
उत्तर में मैंने रश्मि के कुरते के ऊपर से उसके स्तन को उंगली से तीन चार बार छुआ।
“आप थके नहीं अभी तक?” रश्मि ने मुस्कुराते हुए कहा।
“ऐसी बीवी हो तो कोई गधा हस्बैंड ही होगा जो थकेगा! तो बताओ, मैं गधा हूँ क्या?”
रश्मि ने प्यार से मेरे गले में गलबैंयां डालते हुए कहा, “नहीं... आप तो मेरे शेर हैं!”
“आपको मालूम है की शेर और शेरनी दिन भर में कोई 40-50 बार सेक्स करते हैं?”
“क्या?... आप सचमुच, बहुत बदमाश हैं! न जाने कैसे ऐसी बाते मालूम रहती हैं आपको!”
“इंटरेस्टिंग बाते मुझको हमेशा मालूम रहती हैं!”
“तो, जब आपने मान ही लिया है, की मैंने आपका शेर हूँ.... और आप... मेरी शेरनी... तो....”
“हःहःहःह...” रश्मि हल्का सा हंसी, “शेर आपके जैसा हो, और शेरनी मेरे जैसी, तो शेरनी तो बेचारी मर ही जाए!”
मैंने कुछ और खींचने की ठानी, “मेरे जैसा मतलब?”
“जब हमारी शादी पास आ रही थी, तो पास-पड़ोस की 'भाभियां' मुझे.... सेक्स... सिखाने के लिए न जाने क्या-क्या बताती रहती थीं।“
“आएँ! आपको भाभियाँ यह सब सिखाती है?”
“तो और कौन बतायेगा? उनके कारण मुझे कम से कम कुछ तो मालूम पड़ा – भले ही उन्होंने सब कुछ उल्टा पुल्टा बताया हो! अब तो लगता है की शायद उनको ही ठीक से नहीं मालूम!”
मुझे रश्मि की बात में कुछ दिलचस्पी आई, “अच्छा, ऐसा क्या बताया उन्होंने जो आपको उल्टा पुल्टा लगा? मुझे भी मालूम पड़े!”
रश्मि थोड़ा शरमाई, और फिर बोली, “उन्होंने मुझे बताया की पुरुषों का... ‘वो’.. ककड़ी के जैसा होता है। मैं तो उसी बात से डर गयी! मैंने तो सिर्फ बच्चों के ही... ‘छुन्नू’ देखे थे, लेकिन उस दिन जब मैंने पहली बार आपका.... देखा, तो समझ आया की ‘वो’ उनके बताये जैसा तो बिलकुल भी नहीं था। आपका साइज़ तो बहुत बड़ा है! मुझे लगा की मेरी जान निकल जाएगी। और फिर आप इतनी देर तक करते हैं की.....!”
“मतलब आपको मज़ा नहीं आता?” मैंने आश्चर्य से कहा – मुझे लगा की मैंने रश्मि को बहुत मज़े दे रहा हूँ! कहीं देर तक करने के कारण उसको तकलीफ तो नहीं होती!
“नहीं! प्लीज! ऐसा न कहिये! मैं सिर्फ यह कह रही हूँ की आप वैसे बिलकुल भी नहीं हैं, जैसा मुझे भाभियों ने मर्दों के बारे में बताया है! भाभियों के हिसाब से सेक्स.... बस दो-चार मिनट में ख़तम हो जाता है, और यह भी की यह मर्दों के अपने मज़े के लिए है। लेकिन आप.... आप एक तो कम से कम पंद्रह-बीस मिनट से कम नहीं करते, और आप हमेशा मेरे मज़े को तरजीह देते हैं। और बात सिर्फ सेक्स की नहीं है......”
रश्मि थोड़ी भावुक हो कर रुक गई, “मेरे शेर तो आप ही हैं!” कहते हुए रश्मि ने मेरे लिंग को अपने हाथ की गिरफ्त में ले लिया – मेरा लिंग फूलता जा रहा था।
“आई ऍम सो लकी! .... और अगर मैं यह बात आपको बोलूँ, तो आप मेरे बारे में न जाने क्या सोचेंगे! लेकिन फिर भी मुझे कहना ही है की मैं आपकी फैन हूँ! फैन ही नहीं, गुलाम! आप मेरे हीरो हैं... आप जो कुछ भी कहेंगे मैं करूंगी। आज आपने मुझे जब कपड़े उतारने को कहा, तो मुझे डर या शंका नहीं हुई। मुझे मालूम था की आप मेरे लिए वहां हैं, और मुझे कोई नुक्सान नहीं होने देंगे। और... आप चाहे तो दिन के चौबीसों घंटे मेरे साथ सेक्स कर सकते हैं, और मैं बिलकुल भी मना नहीं करूंगी!”
“हम्म्म्म! गुड!” फिर कुछ सोच कर, “... लगता है आपकी भाभियों को मेरे पीनस (लिंग) का स्वाद देना पड़ेगा!”
“न न ना! आप बहुत गंदे हैं!” रश्मि ने मेरे लिंग पर अपनी गिरफ्त और मज़बूत करते हुए कहा, “ऐसा सोचिएगा भी नहीं। ये सिर्फ मेरा है!”
कह कर रश्मि ने मेरे लिंग को दबाया, सहलाया और हल्का सा झटका दिया।
“ये करना आपकी भाभियों ने सिखाया है?” मैंने शरारत से पूछा।
“चलिए, आपको थकाते हैं!” रश्मि ने मुस्कुराते हुए कहा।
मैंने भी मुस्कुराते हुए रश्मि को चूमने के लिए उसकी कमर को पकड़ कर अपनी तरफ खीचा और उसके मुँह में मुँह डाल कर उसको चूमने लगा। कुछ देर चूमने के बाद मैंने रश्मि का कुरता उसके शरीर से खींच कर अलग किया और अपना भी टी-शर्ट उतार दिया। मेरी हुस्न-परी के स्तन अब मेरे सामने परोसे हुए थे – मैंने रश्मि के दाहिने निप्पल को अपनी जीभ से कुछ देर तक चुभलाया, फिर मुँह में भर लिया। रश्मि के मुँह से मीठी सिसकारी निकल पड़ी। मैं बारी-बारी से उसके स्तनों को चूमता और चूसता गया - जब मैं एक स्तन को अपने मुँह से दुलारता, तो दूसरे को अपनी उँगलियों से। उसके निप्पल उत्तेजना से मारे कड़े हो गए, और सांसे तेज हो गईं। अब समय था अगले वार का - मैंने अपने खाली हाथ को उसकी शलवार के अन्दर डाल दिया, और उसकी योनि को टटोला। योनि पर हाथ जाते ही मुझे वहां पर गीलेपन का एहसास हुआ। कुछ देर उसको सहलाने के बाद मैंने अपनी उंगली रश्मि की योनि में डाल कर अन्दर-बाहर करना शुरू कर दिया।