hotaks444
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फिर मैने बिना रुके ऋतु की योनि के अंदर अपने प्यार की हलचल शुरू कर दी. मैने प्यार का वो तूफान खड़ा कर दिया कि ऋतु ज़ोर ज़ोर से आहें भरने लगी
“आआहह…….. जतिन थोड़ी देर रूको वरना मैं चाँद तक पहुँचने से पहले ही गिर जाउन्गि” ----- ऋतु ने कहा
“आअहह…..नहीं जान, चाँद का सफ़र बीच में रुक कर पूरा नही किया जा सकता. हाँ जान. मैं तुम्हे हारगीज़ गिरने नही दूँगा. अगर तुम गिर भी गयी तो मैं तुम्हे फिर उठा लूँगा. पर ये गाड़ी अब अपनी मंज़िल पर ही रुकेगी” ------ मैने हांपते हुवे कहा
“ऊओ……तुम बहुत बदमाश हो जतिन” ---- ऋतु ने आहें भरते हुवे कहा
“तुम्हे प्यार करने का ये मतलब नही है कि मैं ये खूबसूरत बदमाशी नही करूँगा” ----- मैने कहा
“आअहह……लगता है, मैने तुमसे शादी करके ग़लती कर ली है, तुम अब मुझे जींदगी भर सताओगे” ---- ऋतु ने हांपते हुवे कहा
“आहह…हां सताउन्गा, वो भी पूरे हक़ से, आइ लव यू” ---- मैने कहा
“आइ लव यू टू जतिन, थोड़ी देर रूको ना” ----- ऋतु ने कहा
“क्या तुम्हे दर्द हो रहा है, ऋतु” ------ मैने धक्के मारते हुवे पूछा
“नहीं जतिन दर्द नहीं है, पर बर्दास्त नही हो रहा” ----- ऋतु ने कहा
“चाँद की उँचाई तक पहुँचने के लिए तुम्हे थोड़ी देर और बर्दास्त करना होगा. हम प्यार की ऐसी उँचाई की तरफ बढ़ रहें हैं जहाँ हम खो जाएँगे और परमात्मा में मिल जाएँगे” ----- मैने कहा
“ऊऊहह….तुम्हारी बाते मेरी समझ से बाहर है जातीं, प्लीज़ जल्दी ख़तम करो….आअहह” ---- ऋतु ने कहा
“मुझ पर विश्वास रखो जान, मैं इस मिलन को सेक्स से कहीं आगे ले जा रहा हूँ…..आहह” ---- मैने बिना रुके कहा
“क..क..कहाँ ले जा रहे हो जतिन” ---- ऋतु ने पूछा.
“प्यार के चरम पर, मुझे खुद वहाँ का रास्ता नही पता. सुना है की वहाँ भगवान रहते हैं. शायद ये प्यार हमें वहाँ ले जाए” ---- मैने कहा
मुझे खुद नही पता था कि मैं क्या कह रहा था. अपने आप मेरे दिल से कुछ ना कुछ निकल रहा था.
मैं थोड़ी देर यू ही लगा रहा. ऋतु भी थोड़ी देर कुछ नही बोली. बस पड़ी पड़ी आहें भरती रही
“आअहह……कैसा लग रहा है तुम्हे जान” ----- मैने अपनी स्पीड और बढ़ा कर पूछा
“बहुत अछा…..पर बर्दास्त नही हो रहा, अब रुक भी जाओ” ----- ऋतु ने कहा
मैने अपनी स्पीड और तेज कर दी. हम दोनो की साँसे अपने चरम पर पहुँच गयी
“बस जान…….. हम पहुँचने… ही वाले हैं, हाँ ” ---- मैने कहा और अपनी स्पीड को तूफान की गति दे दी.
और फिर अचानक मेरा प्रेम रस ऋतु के अंदर बह गया और मैं ऋतु के उपर गिर गया.
वक्त मानो ठहर गया.
अचानक मैने महसूष किया कि ऋतु सूबक रही है. मैने सर उठा कर देखा तो वो रो रही थी.
मैने पूछा, “क्या हुवा जान, मैने कुछ ग़लत किया क्या” ?
“मैं आज फिर ये सोच कर रो रहीं हूँ कि अगर भगवान को हमें ये खूबसूरत रिस्ता देना था तो हमें इतने बदसूरत रस्तो पर क्यों घुमाया. क्या हम पहले नही मिल सकते थे” ---- ऋतु ने रोते हुवे कहा.
“दुखी मत हो जान, सुकर मनाओ कि हम आख़िर में मिल तो गये. इस जींदगी में हम दोनो बहुत नीचे गिरे थे. तुम्हारी ग़लती कम थी. मैं ही तुम्हे नीचे घसीट कर ले गया था. क्या तुम्हे ये बात पता है कि प्रकृति का एक नियम है, ‘जो बहुत नीचे गिरता है उसी की बहुत उँचा उठने की भी संभावना होती है’. न्यूटन का थर्ड लॉ भी तो यही कहता है, ‘टू एवेरी आक्षन देर ईज़ ऑल्वेज़ आन ईक्वल आंड ऑपोसिट रिक्षन’. शायद भगवान को हमें नीचे गिरा कर बहुत उपर उठाना था. देखो आज हम प्यार की एक खूबसूरत उँचाई पर खड़े हैं. यहाँ से ये दुनिया और ये जींदगी बहुत खूबसूरत नज़र आ रही है. दिल छोटा मत करो और भगवान को हमें इस मोड़ पर लाने के लिए सुक्रिया करो” ------ मैने कहा
“तुम सच में बहुत बदल गये हो जतिन” --- ऋतु ने कहा
“सब तुम्हारे प्यार का असर है जान, सब तुम्हारे कारण है”
“वैसे तुम अब बाहर निकलोगे या फिर मैं धकक्का दे कर बाहर निकालूं” ---- ऋतु ने हंसते हुवे कहा
“तुम ही निकाल दो धक्का दे कर. मेरा तुमसे दूर जाने का मन नही है” ----- मैने कहा
“तुम एक दम दीवाने हो गये हो” --- ऋतु ने कहा
“जिसे जींदगी में इतना प्यार मिले वो भला दीवाना क्यों नही होगा” ---- मैने कहा
“जतिन तुमने अपनी डाइयरी में लीखा था कि हम बस चिंटू को रखेंगे, और बच्चो की क्या ज़रूरत है. पर क्या हम इस प्यार का फूल नही खीलाएँगे” ---- ऋतु ने शरमाते हुवे कहा
“तुम चाहती हो कि इस प्यार का फूल खीले” --- मैने ऋतु की आँखो में झाँक कर पूछा
“हां जतिन” ---- ऋतु ने कहा
“ठीक है फिर मैं दिन रात तुम्हारी ज़मीन की सींचाई कर दूँगा, देखना प्यार का बहुत प्यारा फूल खीलेगा” ---- मैने कहा
“दिन रात की ज़रूरत नही है मिस्टर… तुमने क्या मेरी जान लेने की ठान रखी है” ---- ऋतु ने कहा
“तुम्हारी जान में मेरी जान है ऋतु, आइ लव यू. तुम चिंता मत करो मेरा प्यार तुम्हे परेशान नही करेगा” --- मैने कहा
“मैं तो मज़ाक कर रही थी जतिन, तुम्हारा प्यार मेरी जींदगी है, परेशानी नही. दुबारा ऐसा मत बोलना” ---- ऋतु ने कहा
और फिर हम एक दूसरे की बाहों में खो गये और थोड़ी देर चुपचाप पड़े रहे. मैं अभी भी ऋतु के उपर था.
कब नींद आ गयी पता ही नही चला
“आआहह…….. जतिन थोड़ी देर रूको वरना मैं चाँद तक पहुँचने से पहले ही गिर जाउन्गि” ----- ऋतु ने कहा
“आअहह…..नहीं जान, चाँद का सफ़र बीच में रुक कर पूरा नही किया जा सकता. हाँ जान. मैं तुम्हे हारगीज़ गिरने नही दूँगा. अगर तुम गिर भी गयी तो मैं तुम्हे फिर उठा लूँगा. पर ये गाड़ी अब अपनी मंज़िल पर ही रुकेगी” ------ मैने हांपते हुवे कहा
“ऊओ……तुम बहुत बदमाश हो जतिन” ---- ऋतु ने आहें भरते हुवे कहा
“तुम्हे प्यार करने का ये मतलब नही है कि मैं ये खूबसूरत बदमाशी नही करूँगा” ----- मैने कहा
“आअहह……लगता है, मैने तुमसे शादी करके ग़लती कर ली है, तुम अब मुझे जींदगी भर सताओगे” ---- ऋतु ने हांपते हुवे कहा
“आहह…हां सताउन्गा, वो भी पूरे हक़ से, आइ लव यू” ---- मैने कहा
“आइ लव यू टू जतिन, थोड़ी देर रूको ना” ----- ऋतु ने कहा
“क्या तुम्हे दर्द हो रहा है, ऋतु” ------ मैने धक्के मारते हुवे पूछा
“नहीं जतिन दर्द नहीं है, पर बर्दास्त नही हो रहा” ----- ऋतु ने कहा
“चाँद की उँचाई तक पहुँचने के लिए तुम्हे थोड़ी देर और बर्दास्त करना होगा. हम प्यार की ऐसी उँचाई की तरफ बढ़ रहें हैं जहाँ हम खो जाएँगे और परमात्मा में मिल जाएँगे” ----- मैने कहा
“ऊऊहह….तुम्हारी बाते मेरी समझ से बाहर है जातीं, प्लीज़ जल्दी ख़तम करो….आअहह” ---- ऋतु ने कहा
“मुझ पर विश्वास रखो जान, मैं इस मिलन को सेक्स से कहीं आगे ले जा रहा हूँ…..आहह” ---- मैने बिना रुके कहा
“क..क..कहाँ ले जा रहे हो जतिन” ---- ऋतु ने पूछा.
“प्यार के चरम पर, मुझे खुद वहाँ का रास्ता नही पता. सुना है की वहाँ भगवान रहते हैं. शायद ये प्यार हमें वहाँ ले जाए” ---- मैने कहा
मुझे खुद नही पता था कि मैं क्या कह रहा था. अपने आप मेरे दिल से कुछ ना कुछ निकल रहा था.
मैं थोड़ी देर यू ही लगा रहा. ऋतु भी थोड़ी देर कुछ नही बोली. बस पड़ी पड़ी आहें भरती रही
“आअहह……कैसा लग रहा है तुम्हे जान” ----- मैने अपनी स्पीड और बढ़ा कर पूछा
“बहुत अछा…..पर बर्दास्त नही हो रहा, अब रुक भी जाओ” ----- ऋतु ने कहा
मैने अपनी स्पीड और तेज कर दी. हम दोनो की साँसे अपने चरम पर पहुँच गयी
“बस जान…….. हम पहुँचने… ही वाले हैं, हाँ ” ---- मैने कहा और अपनी स्पीड को तूफान की गति दे दी.
और फिर अचानक मेरा प्रेम रस ऋतु के अंदर बह गया और मैं ऋतु के उपर गिर गया.
वक्त मानो ठहर गया.
अचानक मैने महसूष किया कि ऋतु सूबक रही है. मैने सर उठा कर देखा तो वो रो रही थी.
मैने पूछा, “क्या हुवा जान, मैने कुछ ग़लत किया क्या” ?
“मैं आज फिर ये सोच कर रो रहीं हूँ कि अगर भगवान को हमें ये खूबसूरत रिस्ता देना था तो हमें इतने बदसूरत रस्तो पर क्यों घुमाया. क्या हम पहले नही मिल सकते थे” ---- ऋतु ने रोते हुवे कहा.
“दुखी मत हो जान, सुकर मनाओ कि हम आख़िर में मिल तो गये. इस जींदगी में हम दोनो बहुत नीचे गिरे थे. तुम्हारी ग़लती कम थी. मैं ही तुम्हे नीचे घसीट कर ले गया था. क्या तुम्हे ये बात पता है कि प्रकृति का एक नियम है, ‘जो बहुत नीचे गिरता है उसी की बहुत उँचा उठने की भी संभावना होती है’. न्यूटन का थर्ड लॉ भी तो यही कहता है, ‘टू एवेरी आक्षन देर ईज़ ऑल्वेज़ आन ईक्वल आंड ऑपोसिट रिक्षन’. शायद भगवान को हमें नीचे गिरा कर बहुत उपर उठाना था. देखो आज हम प्यार की एक खूबसूरत उँचाई पर खड़े हैं. यहाँ से ये दुनिया और ये जींदगी बहुत खूबसूरत नज़र आ रही है. दिल छोटा मत करो और भगवान को हमें इस मोड़ पर लाने के लिए सुक्रिया करो” ------ मैने कहा
“तुम सच में बहुत बदल गये हो जतिन” --- ऋतु ने कहा
“सब तुम्हारे प्यार का असर है जान, सब तुम्हारे कारण है”
“वैसे तुम अब बाहर निकलोगे या फिर मैं धकक्का दे कर बाहर निकालूं” ---- ऋतु ने हंसते हुवे कहा
“तुम ही निकाल दो धक्का दे कर. मेरा तुमसे दूर जाने का मन नही है” ----- मैने कहा
“तुम एक दम दीवाने हो गये हो” --- ऋतु ने कहा
“जिसे जींदगी में इतना प्यार मिले वो भला दीवाना क्यों नही होगा” ---- मैने कहा
“जतिन तुमने अपनी डाइयरी में लीखा था कि हम बस चिंटू को रखेंगे, और बच्चो की क्या ज़रूरत है. पर क्या हम इस प्यार का फूल नही खीलाएँगे” ---- ऋतु ने शरमाते हुवे कहा
“तुम चाहती हो कि इस प्यार का फूल खीले” --- मैने ऋतु की आँखो में झाँक कर पूछा
“हां जतिन” ---- ऋतु ने कहा
“ठीक है फिर मैं दिन रात तुम्हारी ज़मीन की सींचाई कर दूँगा, देखना प्यार का बहुत प्यारा फूल खीलेगा” ---- मैने कहा
“दिन रात की ज़रूरत नही है मिस्टर… तुमने क्या मेरी जान लेने की ठान रखी है” ---- ऋतु ने कहा
“तुम्हारी जान में मेरी जान है ऋतु, आइ लव यू. तुम चिंता मत करो मेरा प्यार तुम्हे परेशान नही करेगा” --- मैने कहा
“मैं तो मज़ाक कर रही थी जतिन, तुम्हारा प्यार मेरी जींदगी है, परेशानी नही. दुबारा ऐसा मत बोलना” ---- ऋतु ने कहा
और फिर हम एक दूसरे की बाहों में खो गये और थोड़ी देर चुपचाप पड़े रहे. मैं अभी भी ऋतु के उपर था.
कब नींद आ गयी पता ही नही चला