Chodan Kahani हवस का नंगा नाच - Page 2 - SexBaba
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अपडेट : 6


सुबेह हरदयाल की नींद खूली , साना अभी भी सो रही थी..रात में जाने कब उसके बदन से चादर हट के बीस्तर पर पड़ी थी और उसका नंगा बदन फिर से उसके सामने अपनी पूरी जवानी , और जवानी की खूबसूरत और मदमाती निशानियों की शानदार नुमाइश के साथ उसकी आँखों के सामने थी ...
वो एक टक उसकी बदन की खूबसूरती अपनी आँखों से पीता जा रहा था ... सुडौल , गोल गोल और कसी हुई चूचियाँ साना की धड़कानों के साथ साथ धक धक उपर नीचे हो रही थी..टाँगें हल्की सी फैली और चूत की फाँकें उसके वीर्य और साना की चूत रस से गीली ...चमकती हुई , मानो ओस की बूँदें किसी पेड़ के पत्ते पर चमक रहीं हों ... बाल बीखरे ...खूबसूरत आँखों की पलकें मूंदी ... बड़ी बड़ी आँखों को ऐसे ढँकी थी ..मानो बस कभी भी खूल जायें और अंदर से कोई अनमोल रतन निकल पड़े ...हरदयाल एक टक उसे देखे जा रहा था .....निहारे जा रहा था ....

उसे साना के लिए अपने दिल में बे-इंतहा प्यार , दुलार , कसक और चाहत का अहसास होता है....उसे ऐसा लगा वो अपनी बेटी से कभी जुदा नही हो सकता ..उसकी जुदाई बर्दाश्त नही कर सकता ...उफफफफ्फ़..यह कैसा अहसास था....जब कि उस ने उसकी शादी करने की सोच रहा था ......क्या वो किसी और के साथ अपनी बेटी का जिस्मानी और रूहानी रिश्ता बर्दाश्त कर सकेगा..? उसके दिल की धड़कनो से सॉफ ज़हीर था ..यह बात उसके लिए बहोत मुश्किल थी ..नामुमकिन था ....पर वो क्या करे ..उफफफ्फ़....पर एक बाप अपनी बेटी के साथ कब तक ऐसा रिश्ता रख सकता है..कब तक..? कभी ना कभी तो इसे ख़त्म करना ही पड़ेगा ....

पर साना से रिश्ता ख़त्म होने की सोच से ही उसके दिल में एक हूक सी होती है ...उसे ऐसा महसूस होता है उसके दिल की धड़कन बंद हो जाएगी...वो मर जाएगा ...साना उस के दिल की धड़कन बन चूकि थी ..उसकी ज़िंदगी .उसकी जान ........

वो अपने आप को रोक नही सका ..सोती हुई साना के उपर लेट जाता है , उसे अपने से भींच लेता है..उसे अपने सीने से जोरों से लगा लेता है ..फफक के रो पड़ता है और कहता जाता है..." साना ..साना ..मेरी साना ......मेरी जान ..मेरी रानी ..मैं तुम से जुदा नही हो सकता ...मैं तुम से अलग नही रह सकता .....साना ..साना ......साना ..तुम ने सुना ना ..मैं तुम से अलग नही हो सकता ..."

हरदयाल की हरकत से साना उठ जाती है..उसकी नींद खूल जाती है ...अपने पापा के बे-इंतहा प्यार से सराबोर पर बहोत ही मायूस और निराशा से भरे लहज़े में उनके शब्द उसके कानों में पड़ते हैं .....वो चौंक पड़ती है ..अपने पापा की आँसू से भरी आँखों पर अपनी पतली , लंबी और खूबसूरत उंगलियाँ रख उनके आँसू पोंछती है ..उनका चेहरा अपनी तरफ करती है ..अपने पापा के होंठ चूमती है और कहती है ..

" पापा ..पापा ..क्या हो गया आप को..मैं कब आप से अलग होने लगी ?....मैं तो बूरे से बूरे सपने में भी ऐसा नही सोच सकती ,,कभी नहीं .....कभी नही ..जब से मैने होश संभाला है ....आप से प्यार करती हूँ ..हमेशा से ...आप ही तो मुझ से दूर दूर रहते हो पापा ....क्यूँ..? आप ऐसा क्यूँ सोचते हो .मैं कभी आप से अलग नही रहूंगी ..भले आप मुझे अलग कर दो ....." और फिर से अपने पापा को चूमने लगी ..

" हां ..हां साना , हम कभी अलग नही होंगे ...तू मेरी जान है .मेरे दिल की धड़कन है ..बेटी ...तुझे हमेशा अपने दिल से लगाए रखूँगा ..हां बेटी अपने दिल से ..अपने दिल के अंदर ...." और यह कहता हुआ उस से और भी चीपक जाता है ..लिपट जाते हैं दोनों एक दूसरे से जैसे दो लताये आपस में गूँथे और चीपके रहते हैं ...चूमते हैं एक दूसरे को ..एक दूसरे में समा जाने की होड़ मची है ...

तभी साना अपने पापा के बदन से स्लीपिंग सूट पर अपनी हथेली अंदर अंदर डालते हुए फाड़ डालती है और चीख़्ती है " पापा ..पापा ..यह दूरी क्यूँ ...यह परदा क्यूँ ....मैं बे परदा नंगी हूँ और आप यह सूट ...हटाइए ना इसे.....प्लीज़...." और फिर अपने पापा का पाजामा भी उसके अंदर हाथ डालते हुए नीचे खींचती है जोरों से ....इतने जोरों से खींचती है पाजामा भी छर्र्र्र्र्ररर छर्र्ररर करता हुआ फॅट जाता है और हरदयाल अपने पावं उठाता हुए उसे भी उतार फेंकता है ..

दो नंगे बदन ..दो शरीर अब एक होने को बेचैन हैं ...बेताब हैं ....तड़प रहे हैं ..एक दूसरे में समा जाने को ..

एक दूसरे को चूम रहे हैं , चाट रहे हैं , चूस रहे हैं ...कहाँ शूरू करें और क्या ख़तम करें किसी की समझ के बाहर है ...

साना की चूत से पानी रीस्ता जा रहा है...हरदयाल का लॉडा कड़क है ...फनफना रहा है...साना की चूत के उपर रगड़ खा रहा है ..साना मस्ती में चीत्कार रही है ,, सिसक रही है ....
 
साना अपने पापा का लॉडा अपनी हथेली से जाकड़ लेती है ..उसे सहलाती है , पूचकारती है , लंड की चमड़ी उपर नीचे करती है ..उसे बड़ा प्यारा है अपने पापा का लंड ..सब से प्यारा लंड , सब से अज़ीज़ ....अपनी चूत पर घीसती जाती है , टाँगें फैलाए ...हरदयाल उसकी चूचियों पर टूट पड़ता है..कभी चूस्ता है , कभी जीभ फिराता है..कभी चाट ता है ..कभी अपनी जीभ उसकी मुँह में डाल साना की पतली , गीली और लंबी जीभ जाकड़ लेता है ..उसे चूस्ता है ..उसका सारा मुँह के अंदर का रस और लार चूस्ता है..अपने गले से नीचे उतरता हुआ उसका मीठा मीठा और बेहतरीन स्वाद का मज़ा लेता है ... जवानी की रस का भरपूर मज़ा . भरपूर स्वाद अपने अंदर महसूस करता है ..

दोनों पागल हैं एक दूसरे से लिपटे एक दूसरे को हर तरेह महसूस करते जा रहे हैं .....

और फिर साना चीख उठ ती है " पापा ..अब और नही ..पापा बस बस ..और नही सहा जाता ..प्लीज़ अब अंदर आ जाओ....मेरे अंदर आ जाओ ..मुझ में समा जाओ ना ...पूरी तरेह समा जाओ ना ...मैं आप को अंदर ले लूँगी पापा ..कभी भी अलग नही होने दूँगी..आ जाओ ना मेरे अंदर ......पापा आ जाओ ना ...."

और अपनी हथेली से जकड़े लौडे को चूत से लगाती है ..अपनी चूतड़ उपर उठाती है ..और हरदयाल भी अपनी कमर नीचे करते हुए अपने लौडे को दबाता है....उसका लॉडा फच से अपनी बेटी की चूत चीरता हुआ अंदर दाखिल हो जाता है....

बाप- बेटी दोनों सीहर उठ ते हैं ..पापा उसकी चूत के गीलेपन , गर्मी और मुलायम पर कसी हुई पकड़ से सीहर उठ ता है और बेटी अपने बाप के कड़क , लंबे और मोटे लौडे के गर्म , ठोस (सॉलिड) और लंबाई लिए हुए लौडे का अपनी चूत के अंदर जड़ तक घूसे होने की महसूस से सीहर जाती है...

हरदयाल थोड़ी देर तक अपना लॉडा अंदर किए पड़ा रहता है..उसकी चूत का ..उसकी बेटी के बदन का , बेटी की जवानी का मज़ा महसूस करता हुआ ..अपने में सब कुछ समान लेने का महसूस करता है ....

"पापा ..अब मैं आप के करीब हूँ ना..? और कितना करीब करूँ अपने आप को ..पापा ..?? अब कभी अलग तो नही समझोगे ना आप मुझ को अपने से ...बोलो ना पापा ...कभी भी ऐसा मत सोचना ...मैं मर जाऊंगी आप से अलग हो कर ...मर जाऊंगी पापा ...."

" हां बेटी ..मैं जानता हूँ..समझता हूँ ...."

" फिर आप रुक क्यूँ हो पापा .....मुझे पूरी तरेह महसूस करो ना ..मुझे बार बार महसूस करो ना ....अंदर बाहर करो ना ..चोदो ना मुझे ...चोदो ना ..प्लीज़ पापा ....मुझे बार बार महसूस करो ...हर पल महसूस करो ..मुझे नोच डालो ..मुझे फाड़ डालो .....आआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ........हाां ..हाआंन्‍नननननननननननननननननननननणणन् पापा ..बस ऐसे ही आआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .....कितना अच्छाअ लग रहा है .....बस ज़ोर और ज़ोर ..पापा ..पापा ओह पापा आइ लव यू सो मच ...." साना मस्ती में बड़बड़ा रही है..

हरदयाल उसकी बातों से और भी जोश में धक्के पर धक्का लगाता जाता है..हर धक्का पहले से और तेज़ और ज़ोर पकड़ता जाता है

दोनों पागल हो उठ ते है..जांघों से जाँघ टकराती हैं , एक एक अंग एक दूसरे में समा रहा है..मुँह से मुँह .. सीने से सीना ..हाथ से भी एक दूसरे को जकड़े हैं दोनों ....मस्ती , सीहरन और थरथराहट की बुलंदियों पर हैं दोनों ..थप ..ठप ..फतच फतच की आवाज़ें गूँज रही हैं ..चीख और मस्ती भरी सिसकारियाँ लगातार दोनों निकालते जा रहे हैं ...

और अब पापा के धक्कों में बिजली की फूर्ती और पिस्टन का ज़ोर आ जाता है ....साना की चूत के होंठ अपने पापा के लौडे को जाकड़ लेती है ....उसका पूरा बदन ऐंठ जाता है और " उईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई.....आआआआआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ...हाआआआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .." करते हुए उसका सारा बदन ढीला पड़ जाता है ...हाथ ,पैर ढीले पड़ जाते हैं ..पापा के नीचे हाँफती हुई पड़ी रहती है ..और पापा का लॉडा उसकी चूत रस की फुहार से बूरी तरेह नहा जाता है....इस गीलेपन के महसूस से , अपनी बेटी के चूत रस की गर्मी से हरदयाल का पूरा बदन कांप उठ ता है और वो भी अपनी बेटी की चूत के अंदर अपने अंदर जमा गर्म गर्म वीर्य का लावा उगलता जाता है....उगलता जाता है ..

अपनी बेटी को बूरी तरेह जकड़ता हुआ अपने लंड को बेटी की चूत के अंदर ही डाले रहता है और झटके पे झटका खाता है उसका लॉडा उसकी बेटी की चूत के अंदर .....कभी अलग ना होने का अहसास लिए..हमेशा साथ बने रहने का अहसास लिए ....

यह एक अजीब ही अहसास था दोनों के लिए ..सिर्फ़ जिस्मानी भूख मिटाने का जरीया नही था यह ..यह दोनों का हमेशा साथ बने रहने का एक दूसरे से वादा था ... एक दूसरे को बताने का ज़रिया था ....इस से अच्छा और कोई तरीक़ा हो सकता है भला ..???? 
 
अपडेट: 7


कुछ देर बाद दोनों अपनी आँखें खोलते हैं ...हरदयाल अपनी बेटी को देखता है ....साना भी उसकी आँखों में देखती है ...अपने पापा की आँखों में उसे एक संतुष्ती , शूकून और ताज़गी दीखाई देती है , अपने पापा को देखते हुए कहती है

" ह्म्‍म्म .तो पापा अब तो आप को भरोसा हो गया ना मैं आप से अलग नही हो सकती ...फिर से दूबारा ऐसा कभी मत सोचना आप ...पर एक बात पूछूँ पापा..??"

" हां बेटी पूछ ना ..एक बात क्यूँ जितनी चाहे पूछ ले ..." और यह कहता हुआ उसे फिर से गले लगा लेता है ...

" उफफफफ्फ़..पापा आप भी ना ....अच्छा यह तो बताइए आखीर आप के दिमाग़ में अचानक यह अलग होनेवाली बात आई कैसे ..?? क्या हुआ था..आप ने कोई बूरा सपना देखा था..? "

हरदयाल फिर से साना की ओर देखता है ...एक ठंडी सांस लेता है और कहता है ..

" बेटी ...आखीर तुझे मैं अपने घर कब तक बिठा सकता हूँ...तेरी शादी तो करनी पड़ेगी ना...फिर तू अपने पति के साथ चली जाएगी ...मैं फिर से अकेला रह जाऊँगा ...मेरी किस्मेत ही ऐसी है बेटी ..मैं जिस से भी प्यार करता हूँ .मुझ से दूर चली जाती है ..." हरदयाल का इशारा अपनी पत्नी की ओर था , साना भी समझ जाती है...हरदयाल बहोत मायूस सा चेहरा बनाए उसे देख रहा था ..

" पापा आप मम्मी से बहोत प्यार करते थे..? "

" पूछती क्यूँ है बेटी ... जिस तरेह मैं तुझ से प्यार करता हूँ..तुझे समझना चाहिए बेटी ..मैं कितना प्यार करता था तेरी मा से .."

" हां पापा मैं समझती हूँ ...महसूस करती हूँ...आप ने मम्मी का प्यार मुझे दिया ..पर मैं आप से अलग कभी नही रहूंगी पापा ..कभी नहीं..आप मेरी शादी-वादी का ख़याल अपने दिल से निकाल दीजिए ..मैं कोई शादी नहीं करने वाली ....अगर करूँगी भी तो आप से ..सिर्फ़ आप से ....समझे ...."

हरदयाल साना की बात से चौंक पड़ता है ..

" तू पागल हो गयी है क्या..? अपने बाप से शादी करेगी .? यह कैसे हो सकता है बेटी....."

" मैं नही जानती कुछ..पागल कहो आज ..कुछ भी कहो ...अगर किसी और से आप ने फिर से शादी की सोची ..तो समझ लीजिए आप जिंदा साना से नही उसकी लाश से किसी और की शादी करेंगे ....अगर आप बेटी की चूत में अपना लंड भर सकते हो ..चोद सकते हो ..फिर उसी बेटी की माँग में सिंदूर भरने में क्या प्राब्लम है आप को ...बोलिए ने पापा ..क्या प्राब्लम है " साना ने अपने पापा को झकझोरते हुए कहा

हरदयाल के पास साना की बातों का कोई जवाब नही था...उसकी नज़रें झूकि हैं ..ज़ुबान बंद है......और वो गहरी सोच में डूब जाता है ...
 
साना हरदयाल को फिर से उदास देख उसके चेहरे को अपनी हथेलियों से थाम लेती है और कहती है...

" पापा ...कम ऑन ..इतना सोचिए मत ..हमारा प्यार सच्चा है ... कोई ना कोई रास्ता निकलेगा ...बस आप सिर्फ़ मेरी शादी की चिंता मत कीजिए .... इस ख़याल को अपने दिल से निकाल दीजिए हमेशा के लिए ...आम आइ क्लियर ..??.."

हरदयाल अपनी बेटी की आँखों में एक आत्मविश्वास , पक्का इरादा और बे-इंतहा प्यार की झलक देखता है....

उसे भी हिम्मत आ जाती है ... साना ठीक ही कहती है कोई ना कोई रास्ता ज़रूर निकलेगा ....

" ओके साना ..मैं सोचूँगा इस बात पर ....अभी तो देख ना सुबेह कितनी देर हो चूकि है .... ऑफीस भी जाना है ..कुछ ज़रूरी मीटिंग्स भी हैं ..चल उठ ..लेट अस गेट रेडी ... "

दोनों अपने अपने बाथरूम की ओर चल पड़ते हैं ....

तैयार होते हैं .नाश्ता करते हैं और अपनी अपनी कार में हरदयाल ऑफीस की ओर जाता है और साना फटाफट कार फार्महाउस से अपने कॉलेज की ओर दौड़ा देती है....

हरदयाल दिन भर मीटिंग्स ... इंटरव्यूस में काफ़ी बिज़ी रहा ..शाम को अपने ऑफीस में थोड़ी फूर्सत से बैठा था ..उसके दिमाग़ में साना की बातें घूम रही थी.." कुछ रास्ता ज़रूर निकलेगा .... ज़रूर निकलेगा .... "

काफ़ी सोचता है हरदयाल इस बात पर ....आज तक उस ने एक से एक जटील और बहोत मुश्किल से जान पड़ने वाले प्रॉब्लम्स सॉल्व किए थे ....तभी आज कामयाबी के इस मुकाम पर पहुँच सका था...पर इस अपने खुद के ज़िंदगी का मामूली सा जान पड़नेवाले प्राब्लम का कोई हल उसे कोई नही सूझ रहा ....अंधेरे में ही क्यूँ भटक रहा है ..क्या इसका कोई हाल नहीं ..??

और फिर उसके चेहरे पे मुस्कान छा जाती है ......हां हल है ..रास्ता है ....और वो उछल पड़ता है ..... उसे अपनी ज़िंदगी के इस मामूली से लगनेवाले प्राब्लम का बहोत ही सटीक और सही हल मिल गया था....

वो साना से बात करने को मचल उठा ,,घड़ी की ओर देखा , 5 बज चूके थे ..साना शायद कॉलेज से घर वापस आ चूकि होगी ....

तभी उसके मोबाइल में रिंग हुई ..देखा तो साना का नाम उसकी मोबाइल की स्क्रीन पर झलक रहा था ....उस ने मोबाइल की स्क्रीन चूम ली और उसकी कॉल रिसीव की , साना की आवाज़ आई ..

" पापा ..आप कैसे हो....दिन कैसा रहा .." उसकी आवाज़ थोड़ी बुझी बुझी थी..अपने बाप की कितनी फिकर थी उसको ..

" आइ आम फाइन साना ...पर्फेक्ट्ली ओके....एक दम चूस्ट दूरूस्त ...तुम बताओ कैसा रहा तुम्हारा दिन ..?" उसकी आवाज़ में जाहिर है काफ़ी खूशी और चहक थी ....

" ह्म्‍म्म्म यह तो आप की आवाज़ से पता चल रहा है..पर यह चाहक और खुशी आई कैसे पापा...सुबेह आप कितने उदास उदास थे .... आइ आम सो हॅपी नाउ ...आइ आम सो रिलीव्ड ....."

" हां बेटी वो तो है ..एक काम करो ..अभी तुम सीधा घर आ जाओ ..मैं भी आ रहा हूँ..आइ हॅव सम्तिंग वेरी इंपॉर्टेंट टू शेअर विद यू ...सुन के तुम झूम उठोगी ..बस आ जाओ घर .....मैं ज़रा जल्दी में हूँ ...सी यू बेटी ...."

" श्योर पापा ..मैं बस आई .....आप भी आ जाओ ....मैं मरी जा रही हूँ ..आखीर क्या बात है ....उफफफ्फ़ ....सी यू पापा ..." और उस ने फोन कट कर दी.

साना कॉलेज के पार्किंग की ओर तेज़ कदमों से बढ़ाती है ..अपनी कार स्टार्ट करती है ..और घर की ओर कार फ़र्राटे की स्पीड से दौड़ती चल पड़ती है...
 
तभी म्र्स. डी'सूज़ा कमरे में चाइ और बिस्किट्स की ट्रे हाथ में लिए आ जाती है ...और साइड टेबल पे रखते हुए हरदयाल की ओर देखती है और कहती है... देखो ना साहेब आज साना बेटी कितनी खुश है ..आप के साथ इसे कितनी खुशी होती है ..." साना के सर पर प्यार से हाथ फेरती हुए.." आप दोनों चाइ पियो ..और खूब बात करो ....मैं जाती हूँ..आज साना के लिए कुछ स्पेशल बनाऊँगी ...."

" वाह म्र्स. डी'सूज़ा ..साना के लिए स्पेशल डिन्नर और मेरे लिए..???" हदायाल शिकायत करता है ..

" अरे बाबा मुझे मालूम है ना साहेब ...साना का स्पेशल आप को सूपर स्पेशल होता है .....है ना..?'' म्र्स.डी'सूज़ा तपाक से जवाब देती है ....

" ह्म्‍म्म्म..बात तो सही है आप की ...." हरदयाल कहता है और फिर साना और हरदयाल दोनों जोरों से हंस पड़ते हैं ... म्र्स.डी'सूज़ा की बात पर ...म्र्स.डी'सूज़ा भी मुस्कुराते हुए बाहर निकल जाती है ..साना और हदायाल कमरे में अकेले रह जाते हैं.

साना पलंग पर उठ के बैठ जाती है ..एक कप पापा को देती है और दूसरा खुद ले लेती है ....और बोल उठ ती है "नाउ ..माइ डार्लिंग पापा ..अब ज़रा हमें भी तो सुनाए आप का ब्रिलियेंट आइडिया .....जल्दी ..जल्दी ..मैं मरी जा रही हूँ ..."

" हां भाई मैं भी तो मरा जा रहा हूँ यार तुम से शेअर करने को..पर पहले चाइ तो पी लो ....फिर आराम से सुनाते हैं ..."

और फिर चाइ पीनी ख़त्म होती है .साना पापा की ओर देखती हा...

हरदयाल बोलना शूरू करता है अच्छा बाबा सुनो ध्यान से सुनो और बीच में कुछ बोलना मत ...

" देख साना ..हमारा रिश्ता ऐसा है कि हम किसी भी तरेह शादी नहीं कर सकते ... अपने इस रूप में ....यानी किसी और जगेह जहाँ हमें कोई नही जानता ..वहाँ हो सकती है यह बात ..पर शायद हमारा नाम हमारा पीछा दुनिया के किसी भी देश में नही छोड़ेगा ... हमारे इंडस्ट्रीस का नाम पूरी दुनिया में फैला है..है ना ,,??? और दुनिया के किसी भी देश का क़ानून इंसेस्टुअल रिलेशन्षिप को क़ानूनी दर्ज़ा नही देता ...यह भी सच है ...है ना ..?"

" हां पापा बात तो सही है .....फिर क्या सोचा आप ने ..??" साना पूछती है .

" हां मैने सोचा है तेरी शादी कर दी जाए किसी और से ..."

शादी की बात सुनते ही साना भड़क उठी और जोरों से बोल उठी " पापा ..यह क्या बकवास है ....फिर वोही बात शादी शादी ..शादी ...."

" अरे बाबा मेरी बात पूरी तो सुनो ना .....तुम चूप रहो ...बोलो मत सिर्फ़ सुनो ...देख शादी होगी तेरी .किसी और के साथ पर सिर्फ़ नाम के लिए ..सिर्फ़ पेपर में..वो शख्श इसी घर में घर दामाद की तरेह रहेगा ..और हम दोनों इस शादी की आड़ में मियाँ -बीबी की तरेह रहेंगे ..और फिर एक साल बाद तुम उस शख्श से तलाक़ ले लॉगी ..म्यूचुयल कन्सेंट से ... तब तक हमारा बच्चा भी तेरी कोख में हो चूका होगा .... और उस लड़के को हम तलाक़ के बाद यूएसए..यूके कहीं भी हमेशा हमेशा के लिए भेज देंगे ..फिर कभी वो हमें अपनी शकल नही दीखायगा .... क्यूँ है ना ठीक ....तलाक़ के बाद हम अपने बच्चे के साथ हमेशा हमेशा के लिए साथ रहेंगे ....क्यूँ कैसा लगा मेरा प्लान..?""

साना कुछ देर चूप रहती है ..सोचती है ..फिर बोलती है

" ह्म्‍म्म्म..पापा आइडिया तो है काफ़ी सटीक आप का..पर ऐसा बेवक़ूफ़ लड़का आप को मिलेगा कहाँ ..जो मुझ से शादी भी करेगा और कुछ काम भी नही करेगा ..?? " और बड़ी शरारती ढंग से मुस्कुराती है ....

" मिलेगा बेटी ज़रूर मिलेगा ..पैसा इंसान को सब कुछ करने पे मजबूर करता है ....मैं उसे इतना पैसा दूँगा जिंदगी भर उसको फिर कुछ भी करने की ज़रूरत नही होगी....हमारे यहाँ ही ऐसे कितने लोग मिल जाएँगे ..."

साना को बात सही लगती है ...वो फिर से मुस्काराते हुए कहती है ..." पर पापा आप ने यह सोचा है ना कि तलाक़ से पहले आप को मेरे साथ काफ़ी मेहनत करनी पड़ेगी ..??"

हरदयाल नासमझ बनते हुए बड़े भोलेपन से कहता है " पर मेरी रानी बेटी ..वो क्यूँ..?''

" वो इसलिए मेरे भोले पापा के तलाक़ से पहले आप को मेरे पेट में अपने बच्चे की बीज़ बोनी है ना ...." और साना का चेहरा शर्म से लाल हो उठ ता है ..

" हा हा हा !!! ..अरे बाबा मैं मेहनतकश इंसान हूँ मेरी जान ....मेहनत से कभी दूर नहीं हट ता..चलो आज से ही मेहनत शूरू कर देते है..अभी से ही अगर आप तैयार हैं तो ... ....." हरदयाल उसकी ओर देखते हुए कहता है ...

साना उसकी गोद में आ जाती है ..उसके होंठ चूम लेती है और कहती है " बिल्कुल तैयार हूँ मेरे प्यारे प्यारे पापा .." और अपने पापा के चौड़े सीने पर अपना सर रख देती है...

पापा उसे अपनी गोद में उठाते हैं और फिर से पलंग पर लिटा देते हैं ..साना की आँखें बंद हैं ..सांस धौंकनी की तरेह चल रही है और दिल जोरों से धक धक धक किए जा रहा है.....
 
अपडेट 8:

साना को घर पहूंचने में कोई 15-20 मिनिट लगे .... ट्रॅफिक अभी उतना बिज़ी नहीं था ....

घर पहूंचते ही उस ने ड्रॉयिंग रूम में रखे बड़े से सेंटर टेबल अपना बॅग फेंका और अपने बेड रूम में जाते ही अपने पलंग पर ढेर हो गयी ...और अपने पलंग के बगल लगे कॉल.बेल की स्विच दबाई ...यह बेल उन के घर की हाउस्कीपर म्र्स. डी' सूज़ा के लिए थी ...म्र्स. डी'सूज़ा एक अधेड़ उम्र की की विधवा औरत थी ...उसका काम था घर की देखभाल , उसके मातहत और भी नौकर .नौकरानियाँ , कुक वग़ैरह थे ...जिनके द्वारा वो उस घर का बड़े अपनेपन और ज़िम्मेदारी से पूरा काम संभालती ...साना उसे आंटी पुकारती ..उसकी हैसियत एक नौकरानी कम और घर की ही सदस्य की तरेह ज़्यादा थी..साना की देख भाल और घर संभालने में म्र्स. डी' सूज़ा ने अपनी तरेफ से कोई कमी नही रखी थी ...साना उसे उसकी बेटी की तरेह थी....उसकी भी कोई औलाद नही थी ...इस परिवार के अलावा म्र्स. डी'सूज़ा का और कोई करीबी नही था ....

घर दो फ्लोर का था..नीचे के फ्लोर पर ड्रॉयिंग हॉल , किचन और म्र्स डी'सूज़ा का रूम ...और उपर साना और हरदयाल के बेडरूम्स और 2 और बेडरूम्स थे ..जो गेस्ट्स के इस्तेमाल में आते....

म्र्स. डी' सूज़ा बेल की आवाज़ सूनते ही फ़ौरन साना के रूम में जाती है और साना के रूम में दाखील होती है ...साना आँखें बंद किए लेटी है ...

" ह्म्‍म्म लगता है कल रात मेरी बेटी ने बड़े ज़ोर शोर से अपनी बर्थ दे सेलेब्रेट की है ....मेरी भी बधाई ले ले बेटी ... " म्र्स. डी' सूज़ा ने साना के माथे को चूमते हुए कहती है..

" थॅंक्स आंटी ... हां आंटी ...पापा भी कल फार्महाउस आए थे...बड़ा मज़ा आया ...अरे हां पापा कहाँ हैं..अभी तक आए नहीं ऑफीस से ..??" साना ने अपनी अलसाई आँखे खोलते हुए थकि थकि आवाज़ में कहा ..कल रात के थकान की खुमारी अभी भी थी ...

" कम ऑन साना ..तेरे पापा इतनी जल्दी कब आए... जो आज आएँगे..? " म्र्स. डी' सूज़ा के लहज़े में प्यार भरा उलाहना था हरदयाल के लिए ..

" हां , पर वो आज जल्दी आएँगे आंटी ...हो सकता है रास्ते में ही हों...तुम उनके लिए भी चाइ बना लो और कड़क बनाना ..."

तभी बहार कार रूकने की आवाज़ आती है ..

." देखा ना आंटी ..मैने कहा और पापा आ भी गये ...जाओ जल्दी से चाइ बना लो बेडरूम में ही ले आना ..हम लोग यहीं बातें करेंगे ..."

म्र्स. डी'सूज़ा रूम से बहार निकलती है और वैसे ही हरदयाल ड्रॉयिंग रूम में अंदर आता है और उस से साना के लिए पूछता है ...म्र्स डी' सूज़ा बेड रूम की ओर इशारा कर बोलती है " आप की प्यारी बेटी आप का ही वेट कर रही है ...."

हरदयाल साना के कमरे में साना की ओर बढ़ता है और उसके सिरहाने की तरफ एक कुर्सी पर बैठ जाता है...साना के माथे पर प्यार से हाथ रखता है ...

" लगता है मेरी बेटी कुछ थकि सी है ....ठीक है बेटा तू आराम कर मैं भी ज़रा फ्रेश हो कर आता हूँ फिर इतमीनान से बातें करेंगे ..." और कुर्सी से उठता है ...साना अपने पापा का हाथ थाम लेती है और खींचते हुए फिर से कुर्सी पर बिठा देती है ...और कहती है ..

" आप कहीं नहीं जाएँगे ... आंटी चाइ ला रही हैं ..हम साथ चाइ पिएँगे ....पापा आप ने कभी सोचा है ऐसा मौका कितनी बार मिलता है के आप के साथ बैठ शाम को साथ चाइ पी सकें ..? आज इतनी मुश्किल से यह मौका हाथ आया है ..आप कहीं जानेवाले नही ...और सब से बड़ी बात ....आप का ग्रेट आइडिया ....उफफफ्फ़..मैं मरी जेया रही हूँ ..आखीर क्या तरीक़ा निकाला आप ने ...बताइए ना पापा..प्लीज़ ...जल्दी बताइए ...." साना ने एक ही सांस में सब बातें कह दी.

हरदयाल अपनी बेटी की बातों का मज़ा ले रहा था..कितनी खुश नज़र आ रही थी साना.....सही में उसे अपने पापा से कितना लगाव था ..कितना प्यार था ...और अब तो वो खुद भी अपनी बेटी से अलग होने की बात की कल्पना से कांप उठ ता ....उसे जल्द से जल्द अपने प्लान पर अमल करना होगा ...
 
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साना की चूचियाँ उसके टॉप के अंदर उसकी साँसों के साथ साथ ही उपर नीचे हो रही थीं , उसकी चूचियों के बीच के फाँक धड़कानों के साथ फैलती और सेकूडती जाती ..हरदयाल की आँखें एक टक उसी को देखे जा रही थी ...


वो भी साना के बगल में आता है और उस के साथ लेट जाता है...दोनों एक दूसरे की ओर चेहरा किए , टाँगें एक दूसरे के उपर रख लेते हैं ...


हरदयाल अपने हाथ साना के गदराए चूतड़ पर रख उसे अपनी ओर खींच लेता है ..अब तक उसकी पॅंट के अंदर कड़क होता लंड साना की चूत से टकराता है..साना पापा से और भी करीब हो जाती है ...दोनों की साँसें एक दूसरे से टकरा रही हैं ..


" साना ..." हरदयाल अपनी भरराई आवाज़ में उसके चेहरे को थामता हुआ कहता है..


" हां पापा .." साना उसके और भी करीब होती हुई पूछती है..


" मेरी रानी बेटी ....कितना अच्छा लगता है तेरे साथ ..मेरी सारी थकान दूर हो जाती है ..मैं फिर से ज़िंदा हो जाता हूँ..मेरा रोम रोम जाग उठ ता है बेटी ... उफ़फ्फ़ ...हम हमेशा ऐसे ही साथ रहेंगे ..कभी जुदा नहीं होंगे ..." हरदयाल ना जाने क्यूँ बहोत सेंटिमेंटल हो जाता है ...


"तो किस ने मना किया है मेरे पापा राजा ..?? आइए ना और पास आइए ना..मेरे में समा जाइए ..मैं भी आप में समा जाना चाहती हूँ ...आप को चूस लेना चाहती हूँ ..आप का बीज़ अपने में समान लेना चाहती हूँ..आप के बच्चे की मा बन ना चाहती हूँ ...हां पापा ..कितना अच्छा लगेगा ना पापा..आप के बदन का हिस्सा मेरे अंदर रहेगा ...अया कितना मज़ा आएगा ..." साना अपने पापा से लिपट जाती है ..


" हां बेटी ..यही तो औरत बन ने की सब से बड़ी कामयाबी है ,,मेरी जान ...यह सूख हम मर्द कभी भी महसूस नही कर सकते ...इसलिए मैं तुम्हें इस सूख से अलग नहीं होने देना चाहता ..और यह सब कर रहा हूँ ..मेरा एक अज़ीज़ और अपना हिस्सा तुझे दे सकूँ ...तुझे मा बना कर ..हां बेटी ..यह सब प्लान जो मैने किया सिर्फ़ तुम्हारे बच्चे का बाप बन ने के लिए ही तो कर रहा हूँ..." हरदयाल उसकी ओर प्यार भरे नज़रों से देखता हुआ कहता है .


"हां पापा ....आइ नो .आइ नो ..यू आर सो स्वीट ...." और यह कहते हुए साना उठ ती है .कमरे का दरवाज़ा बंद कर देती है ...
 
पापा की ओर मुस्कुराते हुए देखती है और कहती है " चलिए आज हम एक दूसरे को चूस चूस के , चाट चाट के अपने अंदर समा लेते हैं ....एक दूसरे को अपने अंदर महसूस करते हैं ..." और फिर अपने पूरे कपड़े उतार नंगी हो पापा के सामने खड़ी हो जाती है ...अपने नंगे बदन की नुमाइश करते हुए ..." कम ऑन पापा ....आप ने अभी तक कपड़े क्यूँ पहेन रखे हैं .... मुझे भी तो आप को चूसना है ना ....प्लीज़ हरी अप ....कपड़े उतारियो ना .."


हरदयाल आँखें फाडे बेटी की ओर देखता जा रहा है ..उसकी पूरी जवानी अपनी पूरी खूबसूरती और चाहता लिए उसके सामने खड़ी है ..उसकी बाहों में आने को तड़प रही है ..पापा के हवाले हो जाने को बेचैन ..उसे उसकी बातें कुछ समझ नही आती ..पर कपड़े फ़ौरन उतार देता है ..उसका लॉडा फंफनाता हुआ उछलता हुआ बाहर आ जाता है ..


साना फ़ौरन उसके लौडे को अपने हाथों में लेती है .उसे जाकड़ लेती है अपनी मुट्ठी से ..कितना कड़क , सख़्त और मोटा था यह प्यारा लॉडा .. पापा का लंड हाथ में लेते ही उसके पूरे बदन में सनसनी सी दौड़ जाती है ...वो लंड को हाथ में लिए लिए ही पापा को खींचते हुए पलंग की ओर चल पड़ती है ...पापा को लीटा देती है ...अपनी चूतड़ पापा के मुँह की ओर करती है , टाँगें पापा के चेहरे के दोनों ओर कर अपनी चूतड़ उनके मुँह पर ले आती है ... और खुद पापा के लंड की तरेफ मुँह करते हुए उस हसीन लंड को अपने होंठों से जाकड़ लेती है ....आ कितना मस्त स्मेल था पापा के लौडे का ....उसकी चूत भी पापा के नाक से लगी है ..उसकी चूतड़ की फाँक पापा के आँखों के सामने है ..उसकी चूत की सुगंध से पापा पागल हो उठ ते है ..अपने दोनो हाथों की हथेलियों से हरदयाल उसकी चूतड़ फैलाता है ...अया कितनी मस्त थी साना के गान्ड की सूराख...


गान्ड की सूराख के सीध में नीचे उसकी गुलाबी चूत ..जिस से पानी रीस रहा था ...उधर साना लौडे को जकड़े अपनी हथेली से उसकी चॅम्डी उपर उपर नीचे करती जाती है और होंठों से चूस्ती है ..होंठ इतने जोरों से लगाती है , उसके गाल अंदर की ओर हो जाते हैं..पापा सीहर उठ ते हैं और फिर वो भी अपनी जीभ पूरी तरेह बाहर निकल उसकी चूत की फाँकें उंगलियों से अलग करते हुए चाटने लगते हैं ...पापा की जीभ अपनी चूत पर महसूस करते ही साना उछल जाती है ...और उसकी पापा के लंड की चुसाइ और भी तेज़ हो जाती है ....पापा भी उसकी चूत पर टूट पड़ते हैं ..जीभ हटा कर अब पापा उसकी चूत अपने होंठों से जाकड़ लेते हैं और चूस्ते हैं ..मानो साना का पूरा चूत रस ..साना को पूरे का पूरा ही चूस डालेंगे ..दोनों कांप रहें सीहर रहें हैं ..एक दूसरे की चुसाइ से ....


मुँह से आवाज़ नही निकलती ..सिर्फ़ ह्म्म्म...चटखारे और चूसने की चुभलाने की आवाज़ आ रही है ..बदन कांप रहें हैं ., सीहर रहें हैं ..थरथरा हैं दोनो के ...


पापा छूट का रस अंदर लिए जा रहे हैं और साना लंड के रीस्ते हुए पतली सी पानी की धार ....कभी पापा के सुपाडे की होल पर जीभ फिराती है ..कभी सुपाडे को पूरे का पूरा चाट जाती है ....वो परेशान हैं ...तड़प रही है ..किसी भी तरेह पापा को पूरे का पूरा अपने अंदर चूस लेने को..और पापा भी चूत को बूरी तरेह चाट रहे हैं , चूस रहें हैं जीभ चूत में अंदर तक डाल रहें हैं ..अपनी बेटी को पूरी तरेह अपने में महसूस कर रहें हैं ..बेटी को खा जाने की कोशिश में..


और फिर दोनों के बदन बूरी तरेह कांप उठ ते हैं ..साना की चूतड़ उछल पड़ती है ..इसकी जंघें थरथरा उठ ती हैं ..पापा की आँखों के सामने उसकी चूत की दोनों फाँकें फदक रही हैं ...कांप रही हैं ..कभी सेकूडती हैं उसकी फाँक , कभी फैलती हैं और फिर साना की चूत से गाढ़ा सा रस फुट पड़ता है ...साना कांप रही है ..उसकी चूत पापा के मुँह पर आ जाती है और पापा का मुँह उसके रस से भर जाता है ..पापा मस्त हो कर रस को अमृत समझ पीते जा रहे हैं ..चूस्ते हुए अंदर लेते हैं पूरे का पूरा और खुद भी झटके खाते अपने लंड से पीचकारी छोड़ देते हैं..


साना का मुँह भी पापा के वीर्य से भर जाता है ... पापा झाड़ते जा रहें हैं और साना वीर्य की धार अपने गले के नीचे गटकते जाती है ..उसके गाल ..उसके होंठ..पापा के वीर्य से लत्पथ हैं ....अपनी उंगलियों से उसे पोंछती है और चाट जाती है ...पापा का लंड मुरझाया है...मुरझाए लंड को चूस चूस साना पूरी तरेह साफ कर देती है..एक एक कतरा भी नहीं छोड़ती ....पूरा उसके अंदर है....


बाप-बेटी एक दूसरे को , अपने शरीर के पानी के रूप को अपने अपने अंदर पूरी तरेह समा लेते है ...यह एक अजीब ही अहसास था ...


साना पापा के उपर निढाल हो कर पड़ जाती है..और पापा उसके नीचे हाथ पावं ढीले किए पड़े रहते हैं ...


दोनों की एक दूसरे की भूख शांत है अब ..चेहरे पर शूकून और मुस्कुराहट है... मानो उन्हें पूरा संसार मिल गया हो ..पूरी दुनिया का सूख चूत और लंड के रास्ते उन्होने समेट लिया अपने अंदर ... क्या अहसास था ...
 
अपडेट 10:


दोनों सूस्त से पड़े थे .. फिर साना ने आँखें खोलीं ..पापा का मुरझाया और चीपचीपा लंड अभी भी उसके होंठों से लगा था ...उस ने उसे चूम लिया और फिर से चाट कर पूरी तरह सॉफ कर दिया , उसकी इस हरकत से पापा की सूस्ती जाती रही , और फिर से उनमें भी फूर्ती आ गयी ,,उन्होने ने भी साना की चिपचिपी चूत चाट ली और सॉफ कर दी..

." ह्म्म ..पापा अभी और चाटना है या बस करें ..?" साना ने पापा से पूछा ..


" साना ..तेरी चूत की सुगंध और टेस्ट बड़ी मस्त है रे ...कभी चाटने से मन नही भरता ..पर अब देर हो रही है ..रात खाने के बाद मीठे खाने की जगेह तेरी चूत के मीठे और सोंधे सी रस का मज़ा लूँगा ..."हरदयाल ने अपनी जीभ साना की चूत से हटा ली ...


" जैसी आप की मर्ज़ी पापा..यह तो आप की है जब चाहे , जैसे चाहे चाट लीजिए ना ..मैं कब मना करती हूँ ...."


यह कहते हुए पापा के उपर से उठ कर उनके बगल लेट गयी , पापा के सीने पर हाथ फिराते हुए कहा .." पापा ...अब देर मत करो ..अपने प्लान पर काम शूरू कर दो ना ..."


"हां बेटी मैं भी इसी बात पर सोच रहा हूँ.. इस काम को किस तरेह अंज़ाम दिया जाए ..तुम भी कुछ सोचो ना ... " पापा ने बेटी के गाल सहलाते हुए कहा..



" अरे नही पापा इस काम में तो आप ही अपना दिमाग़ खपायें ..मैं कहाँ सोचने लगी ..मैं तो बस बेसब्री से इस इंतेज़ार में हूँ कि कब आपका बच्चा मेरे पेट में आए और मैं मा बन जाऊं ..ऊऊह पापा ..मैं तो इस कल्पना से ही सीहर उठ ती हूँ..."


" पर बेटी इस काम में तुझे बहोत अहतियात से काम लेना होगा ..किसी को कानो -कान खबर नही होनी चाहिए ...म्र्स. डी 'सूज़ा को भी नही ..बाद में भले ही बता दी जाए ..पर अभी जब तक मैं नही कहूँ किसी से भी इस बारे बात मत करना .. " पापा बड़ी सख्ती से साना से कहते है ..


" हां मैं समझती हूँ बाबा ...सब समझती हूँ .. आप इस बारे निश्चिंत रहें .. पर मुझे क्या करना है इस बारे तो आप बताएँगे ना ..मुझे पूरी तरेह मालूम होना चाहिए के मेरा क्या रोल रहेगा ..."


" हां साना ...यू आर वेरी राइट ..देख मेरा प्लान ध्यान से सून ... मैं अपनी कंपनी में जितने स्मार्ट और होनहार बॅच्लर्स हैं उनमें से किसी एक को अपना पी.ए. अपायंट करूँगा ...वो काम के सिलसिले में यहाँ घर भी आया करेगा मुझ से काम की बारे बात करने ....इसी दौरान वो तुझ से भी मिलेगा ...तुम से उसकी दोस्ती होगी और फिर तुम दोनों का प्यार का नाटक होगा जो तुम दोनों की शादी में ख़त्म होगा ..और फिर तुम दोनों का एक साल बाद तलाक़ ..इस से किसी को कोई शक़ नही होगा के यह कोई सोची समझी प्लान है ..क्यूंकी यह सब एक बहोत ही नॅचुरल तरीक़े से होगा ... " हरदयाल उसे समझाते हुए कहता है..


" ह्म्‍म्म्म.पापा यू आर सो ब्रिलियेंट ....मान गयी ..इतना बड़ा बिज़्नेस आप यूँ ही नही

चलाते..." और पापा के गाल चूम लेती है ..


" हा हा हा !! यह तो है बेटी..अच्छा तुम्हारा रोल यह रहेगा कि तुम उस से प्यार का सिर्फ़ नाटक करोगी ...प्यार नही ...ऐसा नही कि तुम एक जवान और स्मार्ट लड़के से हक़ीक़त में प्यार करने लागो...वरना सारा खेल चौपट ...." पापा ने हंसते हुए कहा ..


" ह्म्‍म्म्म..यह रिस्क तो बड़ा जबरदस्त है मेरे राजा पापा......पर क्या करें रिस्क तो लेना ही पड़ेगा ... "


" हां साना रिस्क तो लेना ही पड़ेगा ..मुझे अपने प्यार पर भरोसा है मेरी रानी बेटी ...अपने से भी ज़्यादा ... सब ठीक होगा ..बस तुम ठीक रहो ...और एक बात बेटी ...तुम्हें अब अपनी दोस्ती कुछ कम करनी होगी ...आइ होप यू अंडरस्टॅंड ...और शराब वग़ैरह तो बिल्कुल बंद ..वरना उसका बूरा असर हमारे बच्चे पर हो सकता है ..अभी से ही छोड़ना शूरू करोगी तभी उस समय तक पूरी तरेह छूट जाएगी...यह भी एक बड़ा रोल है तुम्हारे लिए .मेरी बिटिया रानी .."
 
साना कुछ देर चूप रहती है ..फिर कहती है ..


" पापा ..भरोसा रखिए..अपने बच्चे के लिए मैं कुछ भी कर सकती हूँ...मैं अपने आप को पूरी तरेह बदल दूँगी ..अब मेरी जिंदगी में आप के सिवा और कोई कभी नही आएगा ..बस सिर्फ़ आप और आप का यह हथिय्यार ..." और यह कहते हुए साना पापा के मुरझाए लौडे को जाकड़ लेती है ...


" उफफफ्फ़..समझ गया बाबा समझ गया ...चल अब अपने प्यारे हाथियार को छोड़ ...उठ और तैय्यार हो जा..म्र्स. डी'सूज़ा कभी भी आ सकती है डिन्नर की खबर लिए .." हरदयाल यह कहता हुआ उठ ता है ..कपड़े पहनता है और अपने रूम की ओर निकल जाता है...



दूसरे दिन हरदयाल ऑफीस पहूंचते ही अपने सेक्रेटरी को बूलाता है और उसे कहता है...


" आप एक काम करें ..हमारे यहाँ जितने भी नये और यंग ऑफिसर्स पीछले एक साल के अंदर जाय्न किए हैं ..उनकी फाइल्स ले कर आयें ..मुझे एक पी.ए. की सख़्त ज़रूरत है जो हमेशा मेरे साथ रहे ...काम बहोत बढ़ गया है ....आइ नीड सम्वन टू हेल्प मी ...जो मेरे साथ रहे.."



और फिर फाइल्स आ जाती है और उनमें से एक लड़के की फाइल उसे जॅंच गयी .लड़का मिड्ल क्लास फॅमिली का था ..उसकी तीन बहनें भी थी ..जिनकी उसे शादी करनी थी ...बाप रिटाइर्ड था ...कमानेवाला सिर्फ़ वो लड़का ...जाहिर है उसे पैसों की सख़्त ज़रूरत थी ..


उसे बुलवाता है और सारी बात उसे समझा देता है अच्छी तरेह .लड़का समझदार था ..उस ने और कुछ भी ना पूछा ..उसकी तो बस मानो जिंदगी भर की सारी मुसीबत ही ख़त्म हो गयी थी ...सिर्फ़ शादी का नाटक भर उसे करना था और वो भी सिर्फ़ एक साल ..फिर हमेशा की आज़ादी ..वो भी किसी फॉरिन कंट्री में....उसकी तो किस्मेत ही खूल गयी ..बहनों की शादी भी कितने आराम से हो सकती थी....


और उस ने बिना और कुछ पूछे हामी भर दी ..


उस लड़के ने जाय्न कर ली ..और कुछ दिनों बाद साना और उस लड़के की शादी बड़ी धूम धाम से हो गयी और सब कुछ प्लान के मुताबिक चलता गया ...साना की कोख में हरदयाल का बच्चा था ...साना खुशी से झूम उठी ..और फिर जैसा तय था उन दोनों का तलाक़ हो गया ...वो लड़का अपने पूरे परिवार सहित यूएसए चला गया .


और इधर साना और हरदयाल पति-पत्नी की तरेह जिंदगी गुज़ारने लगे .... घर के अंदर पति-पत्नी और बाहर बाप -बेटी ....


यह दोहरा रूप बड़े आराम और खुशी से दोनों निभाते रहे ...


म्र्स डी' सूज़ा को अब तक सारी बात मालूम हो गयी थी ...उस ने अपना मुँह बंद रखा था ..उसकी खुशी तो उस परिवार की खुशी में ही थी ....


सही समय आते ही साना की कोख से हरदयाल का बेटा पैदा हुआ ..बड़ा ही खूबसूरत स्वस्थ और बिल्कुल अपने बाप ( नाना) की शकल लिए ...

हरदयाल तो खुशी के मारे पागल हो उठा ..साना की जिंदगी का एक बड़ा ही सुंदर और खूबसूरत सपना साकार हो गया ...वो खुशी से फूली नही समाती ....


और फिर भाग्य कहें किस्मत कहें यह नियती कहें ...उस ने भी साना की जिंदगी में अपना खेल दीखाया ......
 
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