hotaks444
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अनोखी चुदाई
साथियो एक और कहानी शुरू कर रहा हूँ ये कहानी भी आपको बहुत मज़ा देगी . हम बॉम्बे में रहते थे, 65 के शुरू में और दस साल तक रहे.
वैसे तो हम, पहाड़ी इलाक़े के रहने वाले हैं. मेरा नाम जय और मेरी बीबी का सुमन.
भाभी, मिनी जो की चाचा की बहू है.
मिनी का हसबैंड, अमन है.
मेरी बीबी, एक बेहद सुन्दर औरत है और बहुत ही मस्त और करारी फिगर है, उसकी.
कोई मर्द देखते ही, उस की गाण्ड में घुसेड़ने की सोचे और मिनी तो पूछो मत.
देखते ही लण्ड हुंकार भरने लगे, किसी का भी.
एक भरपूर “सुंदरता की मूरत” है, वो.
मिनी और अमन बॉम्बे में ही रहते हैं, काफ़ी सालों से.
मैं और अमन, दोनों ही मीडियम साइज़ के अच्छे कद काठी वाले हैं और हर बात में विचार मिलते जुलते हैं.
मेरी बीबी, एक स्कूल में टीचर है और मिनी बैंक में काम करती है.
तो शुरू करते हैं वहाँ से जब, मैं अपनी बीबी और बीबी की भाभी यानी मिनी के साथ शॉपिंग करने के लिए बड़ी मार्केट में आए थे और काफ़ी सारी आइटम्स खरीद ली.
अब हुआ यह की हम सामान ले कर, जैसे ही चले तो बारिश शुरू हो गई.
बरसात के दिन थे और इन दिनों, बॉम्बे में कभी भी बारिश आ जाती है.
इस मौसम का लोग मज़ा लेते हैं, घूमने और भीगने का.
हम बाहर निकलने की कोशिश में थे की बारिश, बहुत ही ज़ोर से होने लगी.
अचानक, भीड़ इतनी बढ़ गई की आदमी के साथ आदमी चिपक के खड़े हो गये और चलने की बिल्कुल भी जगह नहीं थी.
बीबी की भाभी के हाथ में दो बैग थे और मेरे हाथ में, भी दो बैग थे.
बीबी के हाथ में, एक बैग था.
दोनों ही औरतें, कमीज़ और सलवार में थी.
मैं इन के पीछे खड़ा था और संयोग से, ऐसा हुआ की भाभी के साथ चिपक गया था.
उन दिनों “छीना सिल्क” के कपड़े पहनने का बड़ा रिवाज था, औरतों में.
दोनों ने ही, छीना सिल्क की कमीज़ सलवार पहनी थी.
मेरी बीबी के पीछे, एक मोटा सा सांड़ जैसा आदमी खड़ा हो गया था और मैं भी थोड़ा साइड में सरक गया था, भीड़ के धक्कों से.
इधर मैं, भाभी के पीछे आ गया था की एक धक्का लगा तो भाभी की गाण्ड से चिपक गया.
मेरा लण्ड, भाभी की गाण्ड से चिपकते ही गरम हो गया पर मैं चुप चाप खड़ा रहा.
तभी एक और धक्का लगा और मैं थोड़ा सा, साइड में हो गया.
थोड़ी देर के बाद, देखा तो भाभी के पीछे भी वैसा ही एक सांड़ सा आदमी चिपक के खड़ा हो गया है.
अब बारिश तो बंद होने का नाम नहीं ले रही थी और भीड़, बढ़ती ही जा रहा थी.
एक के ऊपर, एक चढ़ा हुआ था.
मुझे यह समझते देर नहीं लगी की मेरी बीबी की गाण्ड में, वो आदमी मौका पा कर उंगली करने की कोशिश कर रहा है.
बीबी, थोड़ा सा तिलमिलाई पर शांत खड़ी रही.
शायद भीड़ में, तमाशा नहीं करना चाहती थी.
मैं सोचा की सलवार पतली होने की वजह से, उस की उंगली बीबी की चूत मे आसानी से रगड़ खा रही होगी.
अब मेरा बुरा हाल था, यह सब देख कर.
वो पहला पल था, जब ये एहसास हुआ की आँखों के सामने बीवी की गाण्ड या चूत में उंगली करे तो लंड, हुंकार भरने लगता है.
आना तो वैसे, मुझे गुस्सा चाहिए था पर आ मज़ा रहा था.
खैर, इधर भाभी की भी हालत ऐसी ही थी.
वो भी बेचारी, इधर उधर हो रही थी.
अब मैंने देखा के पीछे वाला आदमी फटा फट भाभी की गाण्ड में, उंगली रगड़ रहा है और चूत में उंगली पहुँचाने की कोशिश कर रहा है.
क्या करें, दोनों हाथ में बैग थे.
10 मिनट के बाद भाभी, बड़ी मशक्कत से मेरे साइड में आ गई पर शायद, उसे पता नहीं था की पीछे में हूँ.
भाभी बड़ी सुन्दर तो है ही लेकिन उस की गोल गाण्ड तो और भी कहर ढाती है तो कोई भी उंगली तो क्या लण्ड भी घुसेड देगा, उस की मदमस्त गाण्ड में.
अब हूँ तो मैं भी मर्द, लंड का मारा.
कई दिनों से में भी सोच रहा था की उस की गाण्ड में, उंगली करूँ तो कैसे.
बहुत सोचा पर आज तक इस का जवाब नहीं मिला की अगर, अपने पति या पत्नी से वफ़ा इतनी ज़रूरी होती है तो क्यूँ पराई नर या नारी को देख कर, लंड मचलता है या चूत गिलगिला जाती है.
अब ये तो ऐसा हुआ ना मिठाई की दुकान पर बैठा दिया जाए और कहा जाए की भैया जी, खा सिर्फ़ आप शक्कर पारे सकते हो.
सवाल तो ये भी कोई आपकी बीवी की गाण्ड में उंगली करे तो आपका खून खौलना चाहिए या लंड.
चलो जो भी हो, मौका था.
इसलिए मैंने धीरे से, भाभी की चूत में उंगली डालने का ट्राइ कर लिया.
उस समय, मुझे यकीन था की भाभी को नहीं पता था, पीछे कौन है.
पता नहीं चल रहा था, भीड़ में कौन है.
शाम के सात, बजने जा रहे थे.
मैंने सोचा, क्यूँ ना चान्स ले लूँ और देखूं की आगे क्या होता है.
अब बाहर का भैंसा सा आदमी मज़े ले रहा है तो मैं तो घर का ही हूँ.
इसलिए, मैं भी उंगली फिराने लगा और फिर रगड़ने लगा.
कुछ ही पल में, उंगली तो सीधे उस की चूत से टकराई जो की अब तक गीली हो गई थी.
जब मैंने उन्हें देखा था तो ऐसा लग रहा था की वो उस सांड़ से आदमी से परेशान हो रही हैं पर यहाँ तो चूत पनिया रही थी.
साथियो एक और कहानी शुरू कर रहा हूँ ये कहानी भी आपको बहुत मज़ा देगी . हम बॉम्बे में रहते थे, 65 के शुरू में और दस साल तक रहे.
वैसे तो हम, पहाड़ी इलाक़े के रहने वाले हैं. मेरा नाम जय और मेरी बीबी का सुमन.
भाभी, मिनी जो की चाचा की बहू है.
मिनी का हसबैंड, अमन है.
मेरी बीबी, एक बेहद सुन्दर औरत है और बहुत ही मस्त और करारी फिगर है, उसकी.
कोई मर्द देखते ही, उस की गाण्ड में घुसेड़ने की सोचे और मिनी तो पूछो मत.
देखते ही लण्ड हुंकार भरने लगे, किसी का भी.
एक भरपूर “सुंदरता की मूरत” है, वो.
मिनी और अमन बॉम्बे में ही रहते हैं, काफ़ी सालों से.
मैं और अमन, दोनों ही मीडियम साइज़ के अच्छे कद काठी वाले हैं और हर बात में विचार मिलते जुलते हैं.
मेरी बीबी, एक स्कूल में टीचर है और मिनी बैंक में काम करती है.
तो शुरू करते हैं वहाँ से जब, मैं अपनी बीबी और बीबी की भाभी यानी मिनी के साथ शॉपिंग करने के लिए बड़ी मार्केट में आए थे और काफ़ी सारी आइटम्स खरीद ली.
अब हुआ यह की हम सामान ले कर, जैसे ही चले तो बारिश शुरू हो गई.
बरसात के दिन थे और इन दिनों, बॉम्बे में कभी भी बारिश आ जाती है.
इस मौसम का लोग मज़ा लेते हैं, घूमने और भीगने का.
हम बाहर निकलने की कोशिश में थे की बारिश, बहुत ही ज़ोर से होने लगी.
अचानक, भीड़ इतनी बढ़ गई की आदमी के साथ आदमी चिपक के खड़े हो गये और चलने की बिल्कुल भी जगह नहीं थी.
बीबी की भाभी के हाथ में दो बैग थे और मेरे हाथ में, भी दो बैग थे.
बीबी के हाथ में, एक बैग था.
दोनों ही औरतें, कमीज़ और सलवार में थी.
मैं इन के पीछे खड़ा था और संयोग से, ऐसा हुआ की भाभी के साथ चिपक गया था.
उन दिनों “छीना सिल्क” के कपड़े पहनने का बड़ा रिवाज था, औरतों में.
दोनों ने ही, छीना सिल्क की कमीज़ सलवार पहनी थी.
मेरी बीबी के पीछे, एक मोटा सा सांड़ जैसा आदमी खड़ा हो गया था और मैं भी थोड़ा साइड में सरक गया था, भीड़ के धक्कों से.
इधर मैं, भाभी के पीछे आ गया था की एक धक्का लगा तो भाभी की गाण्ड से चिपक गया.
मेरा लण्ड, भाभी की गाण्ड से चिपकते ही गरम हो गया पर मैं चुप चाप खड़ा रहा.
तभी एक और धक्का लगा और मैं थोड़ा सा, साइड में हो गया.
थोड़ी देर के बाद, देखा तो भाभी के पीछे भी वैसा ही एक सांड़ सा आदमी चिपक के खड़ा हो गया है.
अब बारिश तो बंद होने का नाम नहीं ले रही थी और भीड़, बढ़ती ही जा रहा थी.
एक के ऊपर, एक चढ़ा हुआ था.
मुझे यह समझते देर नहीं लगी की मेरी बीबी की गाण्ड में, वो आदमी मौका पा कर उंगली करने की कोशिश कर रहा है.
बीबी, थोड़ा सा तिलमिलाई पर शांत खड़ी रही.
शायद भीड़ में, तमाशा नहीं करना चाहती थी.
मैं सोचा की सलवार पतली होने की वजह से, उस की उंगली बीबी की चूत मे आसानी से रगड़ खा रही होगी.
अब मेरा बुरा हाल था, यह सब देख कर.
वो पहला पल था, जब ये एहसास हुआ की आँखों के सामने बीवी की गाण्ड या चूत में उंगली करे तो लंड, हुंकार भरने लगता है.
आना तो वैसे, मुझे गुस्सा चाहिए था पर आ मज़ा रहा था.
खैर, इधर भाभी की भी हालत ऐसी ही थी.
वो भी बेचारी, इधर उधर हो रही थी.
अब मैंने देखा के पीछे वाला आदमी फटा फट भाभी की गाण्ड में, उंगली रगड़ रहा है और चूत में उंगली पहुँचाने की कोशिश कर रहा है.
क्या करें, दोनों हाथ में बैग थे.
10 मिनट के बाद भाभी, बड़ी मशक्कत से मेरे साइड में आ गई पर शायद, उसे पता नहीं था की पीछे में हूँ.
भाभी बड़ी सुन्दर तो है ही लेकिन उस की गोल गाण्ड तो और भी कहर ढाती है तो कोई भी उंगली तो क्या लण्ड भी घुसेड देगा, उस की मदमस्त गाण्ड में.
अब हूँ तो मैं भी मर्द, लंड का मारा.
कई दिनों से में भी सोच रहा था की उस की गाण्ड में, उंगली करूँ तो कैसे.
बहुत सोचा पर आज तक इस का जवाब नहीं मिला की अगर, अपने पति या पत्नी से वफ़ा इतनी ज़रूरी होती है तो क्यूँ पराई नर या नारी को देख कर, लंड मचलता है या चूत गिलगिला जाती है.
अब ये तो ऐसा हुआ ना मिठाई की दुकान पर बैठा दिया जाए और कहा जाए की भैया जी, खा सिर्फ़ आप शक्कर पारे सकते हो.
सवाल तो ये भी कोई आपकी बीवी की गाण्ड में उंगली करे तो आपका खून खौलना चाहिए या लंड.
चलो जो भी हो, मौका था.
इसलिए मैंने धीरे से, भाभी की चूत में उंगली डालने का ट्राइ कर लिया.
उस समय, मुझे यकीन था की भाभी को नहीं पता था, पीछे कौन है.
पता नहीं चल रहा था, भीड़ में कौन है.
शाम के सात, बजने जा रहे थे.
मैंने सोचा, क्यूँ ना चान्स ले लूँ और देखूं की आगे क्या होता है.
अब बाहर का भैंसा सा आदमी मज़े ले रहा है तो मैं तो घर का ही हूँ.
इसलिए, मैं भी उंगली फिराने लगा और फिर रगड़ने लगा.
कुछ ही पल में, उंगली तो सीधे उस की चूत से टकराई जो की अब तक गीली हो गई थी.
जब मैंने उन्हें देखा था तो ऐसा लग रहा था की वो उस सांड़ से आदमी से परेशान हो रही हैं पर यहाँ तो चूत पनिया रही थी.