hotaks444
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मैं थक गई थी. लेकिन दीदी बड़ा मज़ा आया चुदाई का और मैंने भी दिल खोल के दी.
मेरी चूत फूल गई थी पूरी रात उस ने अपना लण्ड चूत के अंदर ही रखा.
दूसरे दिन वो गया.
जाते जाते बोला – भाभी जी बड़ा मज़ा आया तुम्हारी चुदाई करने में. लगता है अमन तुम्हारी पूरी तरह चुदाई नहीं करता.
मैं बोली – करता तो बहुत है लेकिन तुम्हारे इस घोड़े जैसे लण्ड के आगे उस का तो कोई मुकाबला नहीं हो सकता ना. अब जितना मोटा और लंबा लण्ड इस चूत में घुसेगा उतनी ही तो चौड़ी होगी ना.
मेरी जैसी सुंदर औरत को पेलते रहो. जब दिल करे अंदर घुसेड दो और लण्ड अंदर ही रखो.
उसने कहा – जब से देखा था आप को, मैंने सोच लिया था की मिनी को चोदना है किसी भी कीमत पर और बस रब ने मौका दे दिया.
फिर उस ने मुझे तीनों दिन रात दिन चोदा. जब भी खड़ा हो जाता सीधा अंदर घुसेड देता और मैं भी दिल खोल कर चौड़ी हो कर चुदती.
सोचा चलो एक और सुहागरात और हनीमून सही.
वैसे भी अमन हफ्ते में दो बार ही चोदता है सो मेरा भी दिल भर गया इस मोटे लण्ड की चुदाई से.
मज़ा आ गया भाभी..
फिर वो काफ़ी दिन नहीं आया.
दो महीनो बाद एक दिन, दिन में आया और मुझे खूब चोदा.
फिर शमी अब तक नहीं आया.
अमन बोला के उस की ट्रान्स्फर हो गई और वो अब नहीं आएगा बॉम्बे.
काफ़ी दिन याद आती रही उस की चुदाई की. अमन को आज तक पता नहीं की उस ने मुझे तीन दिन खूब चोदा था मसल मसल कर. पूरा गिफ्ट्स का हिसाब कर लिया था उस ने और मैंने भी पूरी कीमत चुका दी.
अगर अमन को पता चल जाता तो उसका उसके दोस्तों से विश्वास उठ जाता और वो दुखी हो जाता. इसलिए मैं उस की खुशी के लिए चुप रही और सोचा चुप रहने में ही फ़ायदा है.
वैसे भी भाभी में कौन सी सील बंद थी, रास्ता खुला था सो उस ने और चौड़ा कर दिया था.
मेरी सील तो मेरी शादी से पहले ही टूट चुकी थी.
वो भी एक दूध बेचने वाले के मोटे काले लण्ड से.
फिर कभी सुना दूँगी आपको यह आप बीती.
कैसे बेदर्दी से पेला था उस ने.
मैं फट से बोली – अरे मिनी अब तो और भी मज़ा आएगा. तुम्हारी इस शील भंग की गाथा का.
मैंने मिनी पर काफ़ी ज़ोर डाला की मुझे बता दे कौन था वो किस्मत वाला, जिस के हाथ यह परी लगी और कैसे टाँगें उठा के तेरी टाइट फुददी का फावड़ा बना दिया.
मिनी बोली – सुमन भाभी, आप बहुत चालू हैं अगर आप को 10 मर्द भी चोद जाएँ तो भी किसी को पता ना चले. दूसरे की बात को सुन ने को तड़प जाती है आप और पूरी गाथा दिमाग़ मैं बैठा लेती हैं कंप्यूटर की तरह और कहती है की मज़ा आ गया.
भाभी – चल यूँ ही सही. अब शुरू कर.
मिनी – सुनो भाभी यह बात उन दिनों की है जब मैं कॉलेज के दूसरे साल में दाखिल हुई थी.
उम्र कोई 19 की थी.
हमारा अपना घर है. जिस में मैं पापा और मम्मी रहते थे. मैं अकेली ही संतान हूँ उन की इसलिए काफ़ी ध्यान रखते थे.
घर छोटा था, तीन बेड रूम और आगे पीछे जगह है.
दो बाथरूम हैं एक बाहर था प्राइवेट गस्ट्स के लिए. घर एक चारदीवारी के अंदर बनाया हुआ है अलग है दूसरे घर से.
सामने छोटा सा गेट है.
गेट हम रात को ही बंद करते हैं नहीं तो खुला ही रहता है.
एक बेड रूम कॉर्नर में बाथरूम का साथ और दूसरा उसी के साथ है और एक दूसरी कॉर्नर में कॉर्नर में किचन के साइड में.
मम्मी पापा इसी में रहते है और मेरा रूम सेंटर वाला था.
बाथटब अटॅच्ड था.
छोटा है लेकिन बहुत ही सज़ा के रखा था.
मम्मी स्कूल टीचर हैं और बगल के टाउन में पढ़ती हैं.
देखने में एक दम से सुंदर, पतली कमर, चौड़ी छाती, मोटे चुटटर और थोड़ी लंबी हैं.
कहें तो सुंदरता की मूर्ति हैं वो.
शांत स्वाभाव है और हँसमुख चेहरा.
पापा जिला ऑफीस में एक सरकारी वकील हैं और हफ्ते में दो बार आते हैं घर. अच्छी सेहत, लंबे, तगड़े और थोड़ा पक्का रंग है उनका.
खाने पीने के शौकीन हैं और विसकी बगैरा ले लेते हैं कभी कभी.
घर का रुतीन कुछ ऐसा था.
सुबह 5 बजे तक सब उठ जाते हैं. दूध वाला आ जाता और आवाज़ देता या बेल बजा देता था. उस का टाइम एक दम से पक्का था.
चाहे कुछ भी हो जाए.
हम ने फ्रेश दूध लगवाया हुआ था. गाँव से लाता था जो की कोई 10-12 घरों को ही देता है.
उठते ही साफ सफाई होती. फिर फ्रेश हो कर पूजा पाठ और नाश्ता. कोई 8 बजे तक सब अपने अपने काम पर चले जाते हैं.
अब हुआ ऐसे की मेरी रेनी सीज़न की छुट्टियाँ चल रहीं थी और मैं फुल टाइम घर में ही रहती थी.
दिन भर सोने का और थोड़ी पढ़ाई, टीवी देखना, खाना और सोना.
कभी कभी एक दो सहेलियों से मिल लाती या वो आ जातीं.
एक रात को ऐसा हुआ की मेरी नींद टूट गई.
रात को 12 बजे का टाइम था. मैं उठी और किचन की ओर चल दी की पानी की बॉटल ले कर आ जाऊं.
जब मैं मम्मी के बेड रूम से गुजर रही थी तो मुझे कुछ आवाज़ें आईं. जो अजीब सी थीं.
मैं पिछली खिड़की के पास चली गई धीरे से और उन के कमरे में झाँकी.
मेरा दिमाग़ काम करना बंद कर दिया.
देखा की मम्मी एक दम नंगी हैं और पापा से चूमा चाटी कर रहें हैं.
फिर पापा उठे और मम्मी को कुछ बोला.
मैंने देखा की पापा का लण्ड कोई 10 इंच लंबा और 3 इंच मोटा एक लोहे के डंडे जैसा खड़ा है और घोड़े की तरह हिल रहा है.
तभी मम्मी बिस्तर पर लेट गयीं. वो एक भरपूर सुंदर औरत लग रहीं थीं.
मैं देखना चाहती थीं की आगे क्या होता है.
पापा ने मम्मी की चुचियाँ चूसी. फिर कोई 5 मिनट तक चूत को चटा.
मम्मी बोली – अब शुरू करो.
तब पापा ने मम्मी की टाँगें अपने कंधों पर रखी और एक जोरदार धक्के से अपना पूरा लण्ड उन की चूत में घुसेड दिया.
मम्मी तिलमिलाई पर पापा पर कोई असर नहीं हुआ.
पापा ने धना धन मम्मी को चोदना शुरू किया.
कोई 5 मिनट में पापा ढीले पड़ गये.
मम्मी को बड़ा गुस्सा आया और बोली – यह क्या हुआ.
मेरा पानी निकल गया, क्या करें. – पापा ने जवाब दिया.
मम्मी गुस्से में उठी और बाथरूम चली गई.
मम्मी के सेक्स की पूर्ति नहीं हो पाई थी.
मेरी चूत फूल गई थी पूरी रात उस ने अपना लण्ड चूत के अंदर ही रखा.
दूसरे दिन वो गया.
जाते जाते बोला – भाभी जी बड़ा मज़ा आया तुम्हारी चुदाई करने में. लगता है अमन तुम्हारी पूरी तरह चुदाई नहीं करता.
मैं बोली – करता तो बहुत है लेकिन तुम्हारे इस घोड़े जैसे लण्ड के आगे उस का तो कोई मुकाबला नहीं हो सकता ना. अब जितना मोटा और लंबा लण्ड इस चूत में घुसेगा उतनी ही तो चौड़ी होगी ना.
मेरी जैसी सुंदर औरत को पेलते रहो. जब दिल करे अंदर घुसेड दो और लण्ड अंदर ही रखो.
उसने कहा – जब से देखा था आप को, मैंने सोच लिया था की मिनी को चोदना है किसी भी कीमत पर और बस रब ने मौका दे दिया.
फिर उस ने मुझे तीनों दिन रात दिन चोदा. जब भी खड़ा हो जाता सीधा अंदर घुसेड देता और मैं भी दिल खोल कर चौड़ी हो कर चुदती.
सोचा चलो एक और सुहागरात और हनीमून सही.
वैसे भी अमन हफ्ते में दो बार ही चोदता है सो मेरा भी दिल भर गया इस मोटे लण्ड की चुदाई से.
मज़ा आ गया भाभी..
फिर वो काफ़ी दिन नहीं आया.
दो महीनो बाद एक दिन, दिन में आया और मुझे खूब चोदा.
फिर शमी अब तक नहीं आया.
अमन बोला के उस की ट्रान्स्फर हो गई और वो अब नहीं आएगा बॉम्बे.
काफ़ी दिन याद आती रही उस की चुदाई की. अमन को आज तक पता नहीं की उस ने मुझे तीन दिन खूब चोदा था मसल मसल कर. पूरा गिफ्ट्स का हिसाब कर लिया था उस ने और मैंने भी पूरी कीमत चुका दी.
अगर अमन को पता चल जाता तो उसका उसके दोस्तों से विश्वास उठ जाता और वो दुखी हो जाता. इसलिए मैं उस की खुशी के लिए चुप रही और सोचा चुप रहने में ही फ़ायदा है.
वैसे भी भाभी में कौन सी सील बंद थी, रास्ता खुला था सो उस ने और चौड़ा कर दिया था.
मेरी सील तो मेरी शादी से पहले ही टूट चुकी थी.
वो भी एक दूध बेचने वाले के मोटे काले लण्ड से.
फिर कभी सुना दूँगी आपको यह आप बीती.
कैसे बेदर्दी से पेला था उस ने.
मैं फट से बोली – अरे मिनी अब तो और भी मज़ा आएगा. तुम्हारी इस शील भंग की गाथा का.
मैंने मिनी पर काफ़ी ज़ोर डाला की मुझे बता दे कौन था वो किस्मत वाला, जिस के हाथ यह परी लगी और कैसे टाँगें उठा के तेरी टाइट फुददी का फावड़ा बना दिया.
मिनी बोली – सुमन भाभी, आप बहुत चालू हैं अगर आप को 10 मर्द भी चोद जाएँ तो भी किसी को पता ना चले. दूसरे की बात को सुन ने को तड़प जाती है आप और पूरी गाथा दिमाग़ मैं बैठा लेती हैं कंप्यूटर की तरह और कहती है की मज़ा आ गया.
भाभी – चल यूँ ही सही. अब शुरू कर.
मिनी – सुनो भाभी यह बात उन दिनों की है जब मैं कॉलेज के दूसरे साल में दाखिल हुई थी.
उम्र कोई 19 की थी.
हमारा अपना घर है. जिस में मैं पापा और मम्मी रहते थे. मैं अकेली ही संतान हूँ उन की इसलिए काफ़ी ध्यान रखते थे.
घर छोटा था, तीन बेड रूम और आगे पीछे जगह है.
दो बाथरूम हैं एक बाहर था प्राइवेट गस्ट्स के लिए. घर एक चारदीवारी के अंदर बनाया हुआ है अलग है दूसरे घर से.
सामने छोटा सा गेट है.
गेट हम रात को ही बंद करते हैं नहीं तो खुला ही रहता है.
एक बेड रूम कॉर्नर में बाथरूम का साथ और दूसरा उसी के साथ है और एक दूसरी कॉर्नर में कॉर्नर में किचन के साइड में.
मम्मी पापा इसी में रहते है और मेरा रूम सेंटर वाला था.
बाथटब अटॅच्ड था.
छोटा है लेकिन बहुत ही सज़ा के रखा था.
मम्मी स्कूल टीचर हैं और बगल के टाउन में पढ़ती हैं.
देखने में एक दम से सुंदर, पतली कमर, चौड़ी छाती, मोटे चुटटर और थोड़ी लंबी हैं.
कहें तो सुंदरता की मूर्ति हैं वो.
शांत स्वाभाव है और हँसमुख चेहरा.
पापा जिला ऑफीस में एक सरकारी वकील हैं और हफ्ते में दो बार आते हैं घर. अच्छी सेहत, लंबे, तगड़े और थोड़ा पक्का रंग है उनका.
खाने पीने के शौकीन हैं और विसकी बगैरा ले लेते हैं कभी कभी.
घर का रुतीन कुछ ऐसा था.
सुबह 5 बजे तक सब उठ जाते हैं. दूध वाला आ जाता और आवाज़ देता या बेल बजा देता था. उस का टाइम एक दम से पक्का था.
चाहे कुछ भी हो जाए.
हम ने फ्रेश दूध लगवाया हुआ था. गाँव से लाता था जो की कोई 10-12 घरों को ही देता है.
उठते ही साफ सफाई होती. फिर फ्रेश हो कर पूजा पाठ और नाश्ता. कोई 8 बजे तक सब अपने अपने काम पर चले जाते हैं.
अब हुआ ऐसे की मेरी रेनी सीज़न की छुट्टियाँ चल रहीं थी और मैं फुल टाइम घर में ही रहती थी.
दिन भर सोने का और थोड़ी पढ़ाई, टीवी देखना, खाना और सोना.
कभी कभी एक दो सहेलियों से मिल लाती या वो आ जातीं.
एक रात को ऐसा हुआ की मेरी नींद टूट गई.
रात को 12 बजे का टाइम था. मैं उठी और किचन की ओर चल दी की पानी की बॉटल ले कर आ जाऊं.
जब मैं मम्मी के बेड रूम से गुजर रही थी तो मुझे कुछ आवाज़ें आईं. जो अजीब सी थीं.
मैं पिछली खिड़की के पास चली गई धीरे से और उन के कमरे में झाँकी.
मेरा दिमाग़ काम करना बंद कर दिया.
देखा की मम्मी एक दम नंगी हैं और पापा से चूमा चाटी कर रहें हैं.
फिर पापा उठे और मम्मी को कुछ बोला.
मैंने देखा की पापा का लण्ड कोई 10 इंच लंबा और 3 इंच मोटा एक लोहे के डंडे जैसा खड़ा है और घोड़े की तरह हिल रहा है.
तभी मम्मी बिस्तर पर लेट गयीं. वो एक भरपूर सुंदर औरत लग रहीं थीं.
मैं देखना चाहती थीं की आगे क्या होता है.
पापा ने मम्मी की चुचियाँ चूसी. फिर कोई 5 मिनट तक चूत को चटा.
मम्मी बोली – अब शुरू करो.
तब पापा ने मम्मी की टाँगें अपने कंधों पर रखी और एक जोरदार धक्के से अपना पूरा लण्ड उन की चूत में घुसेड दिया.
मम्मी तिलमिलाई पर पापा पर कोई असर नहीं हुआ.
पापा ने धना धन मम्मी को चोदना शुरू किया.
कोई 5 मिनट में पापा ढीले पड़ गये.
मम्मी को बड़ा गुस्सा आया और बोली – यह क्या हुआ.
मेरा पानी निकल गया, क्या करें. – पापा ने जवाब दिया.
मम्मी गुस्से में उठी और बाथरूम चली गई.
मम्मी के सेक्स की पूर्ति नहीं हो पाई थी.