Chudai Story मौसी का गुलाम - Page 6 - SexBaba
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Chudai Story मौसी का गुलाम

मैंने मौसी से यह सब कभी नहीं कहा क्योंकि जहाँ एक ओर मैं बहुत घबरा रहा था, दूसरी ओर मेरा लंड यह कल्पना करके ही बुरी तराहा खड़ा हो जाता था आख़िर ललिता ने अपनी बात मनवा ही ली और एक बार मुझे दो दिन उन दोनों चुदैल और बदमाश माँ बेटी के हवाले करके मौसाजी और मौसी दो तीन दिन को किसी काम से चले गये मैं मौसी को बता देता कि ललिता क्या कह रही थी, तो शायद वह कभी मुझे उनके हवाले नहीं करती

पर मैं एक अजीब उहापोह में था आख़िर तक मैंने सिर्फ़ मौसी से प्रार्थना की कि मुझे ललिता और रश्मि के साथ अकेला ना छोड़े, उसे कारण नहीं बताया शायद मैं भी मन ही मन उस परवर्तित मौके की तलाश में था मौसी को लगा कि मैं सिर्फ़ शरम के कारण ऐसा कहा रहा हूँ और उसने मेरी एक ना सुनी

बाद में मुझे हफ़्ता भर उन रंडी माँ बेटी के साथ अकेला रहना पड़ा उस दौरान क्या हुआ वह बताने लायक नहीं है हाँ इतना कह सकता हूँ कि वासना का अतिरेक हो गया और ऐसे ऐसे काम मुझसे उन दोनों ने करवाए कि मैंने कभी नहीं सोचा था क़ि कोई किसी के साथ ऐसी घिनौनी हरकतें करता होगा! पर मैंने बाद में मौसी से शिकायत नहीं की मज़ा भी बहुत आया था मुझे और बाद में जो हुआ उसकी तो मैंने कल्पना भी नहीं की थी! आगे बताऊन्गा

हमारे इस स्वर्गिक संभोग में और भी कई मतवाली घटनाएँ घटीं एक दोपहर को फिर डॉली का फ़ोन आया कि वह यहाँ शहर में आई हुई है और कल आएगी और आफ़िस से गोल मारकर दोपहर भर रहेगी अंकल दौरे पर थे और ललिता ने उस दिन छुट्टी ले ली थी इसलिए रास्ता सॉफ था

इस बार मौसी ने निश्चय कर लिया कि डॉली के साथ उसके संभोग में मुझे शामिल करके रहेगी डॉली को उसने फ़ोन पर ही बता दिया कि वह उसे कुछ मज़ेदार चीज़ दिखाना चाहती है

डॉली के आने के पहले उसने पिछली बार जैसे ही अपनी पैंटी मेरे मुँह में ठूंस कर ब्रेसियर से मेरी मुश्कें बाँध दीं और बिस्तर पर लिटा दिया डॉली आने के बाद वे दोनों साथ के बेडरूम में अपनी कामक्रीडा में जुट गयीं मुझे कुछ दिख तो नहीं रहा था पर चुंबनो और चूसने की आवाज़ से क्या चल रहा होगा, इसका अंदाज़ा मैं कर सकता था

कुछ देर बाद मौसी सिसकने लगी "हाय डॉली डार्लिंग, कितना अच्छा चूसती है तू, तेरे जैसी चूत कोई नहीं चूसता, सिवाय मेरे खिलौने के" उसके बाद फिर पलंग चरमराने और चूसने की आवाज़ें आने लगीं शायद सिक्सटी नाइन चल रहा था

कुछ देर बाद चूसने की आवाज़ें बंद हो गयीं और फिर चुंबनो के स्वर सुनाई देने लगे दोनों झडने के बाद लिपट कर चुंबन लेते हुए प्यार की बातें कर रही थीं डॉली ने पूछा "दीदी, खिलौने का क्या कह रही थी?" मौसी बोली "डॉली रानी, सुन, आज कल मेरे पास एक बड़ा प्यारा खिलौना है, उसे मैं जैसा चाहे इस्तेमाल करती हूँ, चूत चुसवाती हूँ, चुदवाती हूँ और गान्ड भी मराती हूँ"
 
डॉली की आवाज़ में आश्चर्य और अविश्वास था "झूट बोलती हो दीदी, मज़ाक मत करो, रबर का बड़ा गुड्डा मँगवा लिया है शायद तूने बाहर से, जैसा उस दिन हमने एक किताब के इश्तिहार में देखा था पर गुड्डा ऐसा कैसे करेगा?" वह शायद रबर के उन बड़े फूल साइज़ गुड्ड़ों और गुडियों के खिलौनों के बारे में सोच रही थी जो बाहर के देशों में मिलते हैं और जिनका उपयोग स्त्री पुरुष संभोग के लिए करते हैं

मौसी बोली "डार्लिंग रबर का नहीं, जीता जागता प्यारा बच्चा है, और कोई पराया नहीं, मेरी बड़ी बहन का लडका है, मेरा सगा भांजा" डॉली ने हँस कर दाद दी "दीदी, तू तो बड़ी हरामी छुपी रुस्तम निकली" मौसी ने पूछा "देखेगी? आज कल मेरे पास ही है चल तुझे दिखाऊँ, अरे घबरा मत, काटेगा नहीं, बाँध कर रखा है"

दरवाजा खुला और दोनों नग्न नारियाँ अंदर आईं मौसी का मध्यम परिपक्व रूप और डॉली की मादक जवानी को देखकर मैं कसमसा उठा क्योंकि मुँह में मौसी की पैंटी होने से बोलने का सवाल नहीं था

मौसी ने मेरे पास आकर मेरे तन कर खड़े शिश्न को प्यार से पुचकारते हुए कहा "देख क्या प्यारा चिकना लंड है" डॉली खडी खडी मुझे बड़े इंटरेस्ट से देखती रही और फिर मेरे बँधे शरीर को देखकर उसे दया आ गयी "अरे बेचारा, इसे बाँध कर क्यों रखा है दीदी? और मुँह में क्या ठूँसा है?"

मौसी बोली "अरे मेरी पैंटी और ब्रा है, उसे चूसने से इसका और मस्त खड़ा हो जाता है और बाँधूंगी नहीं तो अभी हस्तमैथुन चालू कर देगा, बड़ा शैतान है, हमेशा मेरी चूत चूसने की फिराक में रहता है"

डॉली बोली कि मैं बिलकुल उसके छोटे भाई जैसा दिखता हूँ और मेरे पास बैठकर प्यार से मेरे बालों में उंगलियाँ फेरने लगी अब तक मौसी ने मेरा लंड निगल कर चूसना शुरू कर दिया था और जब मैंने अपने नितंब उछाल कर नीचे से ही उसका मुँह चोदना चाहा तो हँसते हुए उसने मुँह में से लंड निकाल दिया डॉली बोली "क्यों सताती हो दीदी बेचारे बच्चे को? खोल दो उसका मुँह"

मौसी ने मेरा मुँह खोल दिया बोली कि मुझे चुनमूनियाँ रस पिलाने का टाइम भी हो गया है फिर डॉली के सामने ही मेरे मुँह पर बैठ कर वह अपनी चुनमूनियाँ मेरे होंठों पर रगडते हुए वह मुझसे चुसवाने लगी मेरे भूखे मुँह और जीभ ने उसे ऐसा चूसा कि दो ही मिनिट में स्खलित होकर उसने मेरे मुँह में अपना चुनमूनियाँ का पानी छोड़ दिया

मौसी हान्फते हुए मुझे पानी पिलाते हुए बड़े गर्व से बोली "देखा रानी, कितना अच्छा चूसता है! झडा दिया मुझे दो मिनिट में, तेरे साथ इतनी देर संभोग के बाद भी मेरी झडी चुनमूनियाँ में से रस निकाल लिया!" फिर मौसी मेरे लंड को अपनी चुनमूनियाँ में घुसाकर मुझे उपर से चोदने लगी डॉली टक लगाकर मौसी की चुनमूनियाँ से निकलता घुसता मेरा किशोर कमसिन लंड बड़े गौर से देख रही थी उसकी आँखों में भी अब खुमारी भर गयी थी

क्रमशः……………………
 
मौसी का गुलाम---24

गतान्क से आगे………………………….

उसका यह हाल देखकर मौसी ने उसे बाँहों में भर लिया और चूमने लगी डॉली भी मौसी के स्तन दबाती हुई उसके चुंबनो का जवाब देने लगी एक बार फिर झड कर मौसी सुस्ताने लगी डॉली से बोली "मैं मन भर कर इसे चोद लेती हूँ, तब तक तू ज़रा अपना चूत रस पिला दे ना बेचारे को, देख कैसा लालचा कर तेरी सुंदर चूत को देख रहा है"

डॉली पहले तैयार नहीं हो रही थी वह पक्की लेस्बियन थी और शायद एक मर्द से, भले ही वह मेरे जैसा चिकना छोकरा हो, अपनी चुनमूनियाँ चुसवाने की ख़याल उसे कुछ अटपटा लग रहा था मैंने भी उसे 'दीदी' 'दीदी' कहकर छोटे भाई जैसी ज़िद करते हुए खूब मनाया तब जाकर वह तैयार हुई

मौसी की मदद से डॉली मेरे मुँह पर अपनी चुनमूनियाँ जमाकर बैठ गयी आख़िर मुझे उसकी प्यारी खूबसूरत चुनमूनियाँ पास से देखने का मौका मिला डॉली ने पूरी झांतें शेव की हुई थीं और उसकी वह गोरी गोरी चिकनी चुनमूनियाँ ऐसी लग रही थी जैसी बच्चियों की होती है गुलाबी मुलायम भगोष्ठो से घिरा उसका लाल रसीला छेद और एक लाल मोती जैसा चमकता उसका क्लिट देखकर मैं झूम उठा

वह मेरे मुँह पर बैठ गयी और उस मुलायाम गुप्ताँग में मुँह छुपाकर मैंने उसे ऐसा चूसना शुरू किया जैसे जन्म जन्म का भूखा हूँ जीभ अंदर डालकर उसे प्यार से चोदते हुए उसका शहद निकाला और निगलने लगा जीभ से उसके क्लिट को ऐसा गुदगुदाया कि डॉली पाँच मिनिट में ढेर हो गयी मुझे बड़ा गर्व हुआ कि एक पक्की लेस्बियन को मैंने इतना सुख दिया मेरे मुँह में गाढे मीठे चिपचिपे शहद की धार लग गयी इतना स्वादिष्ट अमृत मैंने कभी नहीं चखा था अब समझ में आया कि मौसी क्यों डॉली से इतना प्यार करती है ऐसा अमृत तो नसीबवालों को ही मिलता है

मौसी भी मेरा यह करतब देखकर बड़ी खुश हुई "मैं कहती थी ना कि लडका बड़ा प्यारा और माहिर है! अब तू चोदती रह इसके मुँह को, मैं भी पीछे से आती हूँ, दोनों मिलकर मज़ा करेंगे" मौसी ने आगे झुककर डॉली के स्तन पीछे से पकड़ लिए और उन्हें प्यार से दबाती हुई फिर मुझे चोदने लगी

उधर डॉली भी अब वासना से मेरे सिर को कस कर पकडकर उपर नीचे होकर मेरे मुँह पर स्टमैथून कर रही थी आधे घंटे तक उन्होंने खूब मस्ती से मेरे लंड और मुँह को मन भर कर चोदा आख़िर तृप्त होकर जब डॉली उठी तो बोली "सच बहुत प्यारा बच्चा है, दीदी तूने तो बड़ा लंबा हाथ मारा है"

मौसी मेरे तन्नाए लंड को पक्क से अपनी चुदी चुनमूनियाँ में से खींच कर उठ बैठी मेरा लंड और पेट मौसी के रस से भीग गये थे डॉली बड़ी लालचाई आँखों से अपनी दीदी के उस रस को देख रही थी मौसी ने हँस कर उसका साहस बाँधाया "देखती क्या है रानी, चाट ले ना, तुझे तो मेरी चूत का पानी बहुत अच्छा लगता है ना? तो ले ले मुँह में और चूस"

लंड चूसने के नाम से डॉली थोड़ी हिचकिचा रही थी पर आख़िर मन पक्का करके मेरा पेट और शिश्न चाटने लगी सॉफ करने के बाद वह सीधी हुई और मौसी को बोली कि अभी बाथरूम जाकर आती हूँ
 
मौसी ने मेरी ओर देखा और आँखों आँखों में कुछ पूछा मैंने बड़ी बेचैनी से सिर दुलाकर हामी भरी, मैं जानता था कि अब क्या होने वाला है और उसकी कल्पना करके ही मैं वासना से सिहर उठा मेरी हाँ देखकर मौसी ने आँखों आँखों में मुझे शाबासी दी और डॉली से बोली "अरे रुक, बाथरूम क्यों जाती है, यहीं कर ले" डॉली चकरा गयी गुस्से से बोली "क्या दीदी, गंदी बात करती हो, तुम्हारा बिस्तर मैं क्यों खराब करूँ?"

मौसी उसकी चूची दबाती हुई बोली "बिस्तर पर मूतने को कौन कहा रहा है रानी, अरे अपना प्यारा पोर्टेबल टॉयलेट यहीं है, मुझे भी लगी है, देख पहले मैं करती हूँ, फिर तू कर लेना ऐसे ही" मेरे मुँह पर बैठते हुए फिर मौसी बोली "बेटे, मुँह खोल, सू सू लगी है"

मुझे जम के प्यास लगी थी और मैं खुश हो रहा था कि दो मस्त चुनमूनियाओ का मूत आज पीने मिलेगा मैंने मुँह खोल दिया और मौसी निशाना लगाकर मेरे मुँह में मूतने लगी मैं गटागट उस खारे शरबत को पीने लगा और मौसी डॉली के आश्चर्यचकित चेहरे की ओर देखकर हँसने लगी

डॉली को पहले विश्वास ही नहीं हो रहा था पर जब उसने देखा कि कितनी लालसा से मैं मौसी का मूत पी रहा हूँ तो वह भी उत्तेजित हो गयी जब मौसी आख़िर रुकी तो डॉली अपने ही क्लिट को रगड रगड कर अपनी चुनमूनियाँ में उंगली करते हुए सिसक रही थी

मौसी उठी, डॉली को बाँहों में कस कर उसे चुम्मा और उसका हौसला बढाती हुई बोली "अब तू भी आराम से इस नन्हे प्यारे टॉयलेट को इस्तेमाल कर और पिला दे अपना मूत इसे डर मत, इसपर कोई ज़बरदस्ती नहीं है, इसे सच में औरतों का और ख़ास कर सुंदर औरतों का मूत बहुत अच्छा लगता है"

डॉली लडखडाती हुए किसी तरह मेरे मुँह पर बैठी और फिर झुक कर मेरी आँखों में देखने लगी जब उसे वहाँ सिर्फ़ प्यार और वासना की चमक दिखी तो उसे विश्वास हो गया कि सच में मैं उसका मूत पीने को तैयार हूँ उसकी रही सही हिचक जाती रही और एक गहरी साँस लेकर उसने मेरे खुले मुँह में मूतना शुरू कर दिया

क्या मस्त खारा गरमा गरम मूत था! मैं मन लगा कर पी रहा था डॉली भी अब वासना से थरथराते हुए बिना रुके पूरे ज़ोर से मूत रही थी लगता था कि काफ़ी देर से मूती नहीं थी मुझे बड़ी जल्दी जल्दी उस अमृत को निगलना पड़ा मौसी भी थोड़ी घबराई कि इस जोरदार धार को मैं सह पाऊन्गा कि नहीं पर मैंने एक बूँद भी गिराए बिना पूरा मूत निगल लिया

आख़िर प्रेशर कम होने पर डॉली ने मूतने की गति धीमी कर दी मेरी आँखों में देखते हुए वह रुक रुक कर मूतने लगी कि मुझे उसका स्वाद लेने का मौका मिले वह तडप कर मौसी से बोली "दीदी, यह तो सच में मेरा मूत पी गया, और बड़े प्यार से पी रहा है जैसे शरबत हो"

मौसी ने उसकी चुचियाँ मसलते हुए और उसे चूमते हुए समझाया "मैंने कहा था ना रानी, मेरा गुलाम है और अब तेरा भी, इसके लिए तो यह चुनमूनियाँ का शरबत सचमुच के शरबत से बढकर है जब से इसने यह पीना सीखा है, मैंने बाथरूम जाना ही छोड़ दिया है"

क्रमशः……………………
 
मौसी का गुलाम---25

गतान्क से आगे………………………….
मूतना समाप्त होने तक डॉली ऐसी फडक उठी कि सीधा मेरे मुँह पर बैठकर मेरे मुँह को चोदने लगी और झड कर ही दम लिया मुझे मेरी मेहनत का खूब फल भी मिला, उसकी चुनमूनियाँ के स्वादिष्ट रस के रूप में

उठकर उसने मौसी को बधाई दी कि मेरे जैसा प्यारा गुलाम उसे मिला डॉली अब मुझसे इतनी खुश थी कि मेरे तडपते लंड को चूसने में भी वह मौसी के साथ कदम से कदम मिला कर चली बारी बारी से उसने मौसी के साथ मेरा लौडा चूसा और जब मैं आख़िर झडा तो ज़रा भी ना झिझके उसने भी मेरा वीर्य अपने मुँह में लिया मेरे लिए यह बहुत गर्व की बात थी कि डॉली जैसी पक्की लेस्बियन को भी मैं इतना खुश कर सका

जब आख़िर डॉली जाने लगी तो मेरा गाल चूमकर बोली कि आगे से मौसी मुझे भी अपने कामकर्म में शामिल करेगी, उसे बहुत अच्छा लगेगा जाते जाते मेरे आग्रह करने पर एक बार फिर डॉली ने मेरे मुँह का टॉयलेट जैसा इस्तेमाल किया मौसी को वह बोली कि अब हर हफ्ते कम से कम एक बार वह आया करेगी मुझे प्यार से चूम कर वह बोली"राज, तैयार रहना, अब जब भी आऊँगी तो खूब पानी पीकर आऊन्गि, दिन भर नहीं मुतुँगी, तेरे लिए इतना चुनमूनियाँ का शरबत लाऊंगी कि तू घंटों पीता रहेगा"

उसके जाने पर बतौर इनाम के मौसी ने सारे दिन और रात मुझे अपनी गान्ड मारने दी इसके बाद जब भी डॉली आती, हम तीनों धुँआधार कामुक रति करते बस एक बात का मुझे अफ़सोस है कि डॉली ने कभी मुझे उसे चोदने या गान्ड मारने नहीं दिया, हाँ, उसका अमृत जैसा चुनमूनियाँ का रस और शरबत जैसा मूत उसने मुझे खूब पिलाया

इस बार जब मौसाजी दौरे से वापस आए तो मौसी दो दिन के लिए एक शादी अटेंड करने के लिए बाहर गयी तब मैंने मौसाजी के साथ भी खूब मज़ा किया मौसाजी ने मौसी को कहा कि वह बेझिझक हो आए, वे उसके भांजे का पूरा ख़याल करेंगे मौसी हँसने लगी "मालूम है, तुम उसकी कैसी हिफ़ाज़त करोगे"

मौसाजी ने उन दो दिनों में इतना प्यार मेरे से किया कि वैसा कभी किसी ने नहीं किया होगा ओफिस से उन्होंने छुट्टियाँ ले ली कि पूरा समय मेरे साथ बिता सकें उन्होंने मुझे ऐसे भोगा कि जैसे मैं नयी नवेली दुल्हन हूँ और वे कामातूर दूल्हा वे मुझे खुद प्यार से बच्चे जैसा नहलाते, अपना लंड चुसवाते और फिर उपर से गिरते ठंडे शोवर के नीचे दीवाल से मुझे सटाकर खड़े खड़े मेरी गान्ड मारते

उन्होंने उन दो दिनों में मेरी इतनी गान्ड मारी कि मानों जैसे जनम भर की तृप्ति उन दो दिनों में ही पा लेना चाहते हों मेरी गान्ड मारते हुए मेरे सुख का भी वे पूरा ख़याल रखते थे डाइनिंग टेबल पर चोदने का एक बड़ा प्यारा आसन उन्होंने आजमाया जो बहुत ही मादक सिद्धा हुआ मैं टेबल पर अपने चुतड किनारे पर रख कर लेट गया मेरे सामने वे खड़े हो गये और मेरे पैर पकडकर अपने कंधे पर रख लिए अब मेरे नितंब थोड़े उठ गये थे और ठीक उनके लौडे के सामने थे

धीरे धीरे उन्होंने मेरी गान्ड में लंड उतारा और मुझसे चिपक कर खड़े हो गये मैंने उनके सिर को अपने पैरों के बीच पकड़ लिया और उन्होंने मेरी जांघें पकडकर खड़े खड़े ही आगे पीछे होकर मेरी मारना शुरू कर दी यह बहुत आराम का आसन था क्योंकि मेरे शरीर पर उनका ज़रा भी बोझ नहीं पड़ता था वे भी मुझसे बातें करते हुए, मेरे चिकने शरीर को सामने से नंगा देखने का मज़ा लेते हुए और मेरे लंड के साथ खेलते हुए बहुत देर मुझे चोद सकते थे

मेरी आँखों में देखकर मुस्कराते हुए मुझे दूर से ही फ्लाइंग किस देते हुए और मेरे लंड को मुठियाते हुए वे गान्ड मार रहे थे बीच में प्यार से उन्होंने पूछा "राज बेटे, तू चुद तो रहा है ना ठीक से?" मैंने सुख की सिसकारियाँ भरते हुए कहा "हाँ अंकल, बहुत मज़ा आ रहा है ऐसे मरवाने में" खेल खेल में मैं अपने पैर उनके गालों और मुँह पर रगडने लगा उनकी शेव ना की हुई ज़रा सी बढ़ी दाढी के बाल मेरे तलवों को बड़ी प्यारी गुदगुदी कर रहे थे

उन्होंने अचानक मेरे पैरों को चूमना और चाटना शुरू कर दिया फिर मेरे पैर के अंगूठे और दूसरी उंगलियों को मुँह में लेकर चूसने लगे और मेरे तलवे चाटने लगे एक बड़ी मीठी अनुभूति से मैं सिहर उठा मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी कि तलवों को चटवाने से इतना मज़ा आता है

मैं उनसे और करने के लिए कहने लगा "हाय मौसाजी, बहुत अच्छा लग रहा है, आप मेरे तलवे चाटते हैं तो बहुत प्यारी गुदगुदी होती है" वे भी बोले "मेरे राजा, तेरे पैर कितने खूबसूरत हैं, बिलकुल गोरे गुलाबी और चिकने, मैं तो इन्हें हमेशा चाटता रहूं ऐसा लगता है" आख़िर वे मस्त ज़ोर से झडे और फिर मेरी गान्ड में से लंड निकालकर वहीं टेबल पर मुझे लिटाकर मेरा लंड चूस लिया
 
उन दो दिनों में हमने इतनी ब्लू फिल्में देखीं कि मेरा पूरा सेक्स एजुकेशन हो गया हर तरह का संभोग उन्होंने मुझे दिखाया, होमो, लेस्बियन, ग्रुप, जानवरों के साथ रति इत्यादि ये फिल्में देखते हुए मैं अपनी गान्ड में उनका लंड लेकर उनकी गोद में बैठा रहता था और वी प्यार से मुझे चूमते हुए, मेरे निपल मसलते हुए, नीचे से हौले हौले मेरी गान्ड मारते हुए मुझे टीवी पर दिखाते सब कामकर्मों के बारे में बताते

इसी पॉज़ में हम गंदी गंदी किताबें भी पढ़ते और सचित्र मेग्ज़ीन देखकर खूब मज़ा लेते मौसाजी घंटों अपना लंड खड़ा रखते थे और मेरी मारते रहते थे मुझे भी नहीं झडने देते थे एक बार तो लगातार चार घंटे ना झडे हुए इस पॉज़ में हमने एक के बाद एक चार वीसीडी देखीं

मेरी गुदा का स्वाद अब उन्हें इतना अच्छा लगता था कि गान्ड मारने के पहले अक्सर बहुत देर वे उसे चाटा करते थे और जीभ अंदर डाल डाल कर मेरी गान्ड चूसते

एक दिन दोपहर की चुदाई के बाद आराम करने के बाद एक शाम को नहाकर हम घूमने जा रहे थे बाहर जाते समय अंकल को कुछ सूझा और वे मुझे किचन में ले गये

मेरी हाफपैंट और चड्डी उतारकर उन्होंने मुझे झुक कर टेबल को पकडकर खड़ा होने को कहा फिर एक केला छीला और धीरे धीरे बड़े प्यार से पूरा मेरी गुदा में घुसेड दिया बोले "ज़रा अपने नाश्ते का इंतजामा कर लूँ बेटे, वापस आकर भूख लगेगी तो तेरी गान्ड में से यह केला खाऊंगा"

मैंने निकर फिर पहन ली केला थोड़ा कच्चा था और काफ़ी ठोस था मुझे अपनी गान्ड भारी भारी लग रही थी और बहुत मज़ा आ रहा था जब मैंने कच्चेपन के बारे में अंकल से कहा तो बोले "तेरी तपती रसीली गान्ड में घंटे भर में पक जाएगा, शर्त लगा ले चाहे तो"

चलते समय मेरे चुतड केले को मस्त दबा दबा कर रगड रहे थे मुझे इतना अच्छा लग रहा था कि मेरा लंड खड़ा हो गया और उसे मैंने निकर के अंदर खड़ा कर के बेल्ट की नीचे बाँध लिया कि किसी को दिखे नहीं जब हम वापस लौटे तो अंकल को केला खाने की ऐसी जल्दी थी कि वहीं दीवानख़ाने में मेरी चड्डी उतार कर मेरा गुदा चूसने बैठ गये

इंच इंच करके केला वे चूस चूस कर बाहर निकालते जाते और सीधा मेरी गान्ड में से ही खाते जाते केला खतम करके बोले "वाह, क्या स्वाद है राज, तेरी गान्ड की भीनी खुशबू से यह और मस्त हो गया है" मेरा लंड खूब जम कर खड़ा हो गया था इसलिए मौसाजी भी कपड़े उतार कर वहीं कुर्सी को पकडकर झुक कर खड़े हो गये और मैंने खड़े खड़े ही उनकी गान्ड मार ली बहुत आनंद आया

मेरे झडते ही उन्होंने मुझे नीचे फर्श पर ओँधा पटक दिया और मेरी गान्ड में अपना मस्त तन्नाया लंड उतार दिया केले से चिकनी मेरी गान्ड में वह ऐसे गया जैसा मख्खन में छुरी मुझे ज़रा भी तकलीफ़ नहीं हुई फर्श पर पटक पटक कर मेरी उन्होंने ऐसी मारी कि हम दोनों उसे भुला नहीं सकते
क्रमशः……………………
 
कामुक-कहानियाँ

मौसी का गुलाम---26

गतान्क से आगे………………………….

उस रात को नहाते हुए हमेशा की तरह मैंने उनका लंड चूसा और झडाकर वीर्य पी डाला वे शोवर के नीचे खड़े थे और मैं उनकी टाँगों के बीच घुटनों पर बैठकर उनका लंड चूस रहा था मैं उनके झडे हुए सिकुडे लंड को चूसता ही रहा और उसे छोड़ने को तैयार नहीं था उन्होंने कहा "छोड़ दे बेटे, अब मूतना है मुझे" मैंने उनकी आँखों में आँखें डाल कर कुछ कहा और लंड मुँह में और कस कर दबा लिया असल में अब मुझे उनपर इतना प्यार आ रहा था कि मैं उनके साथ हर तरह का काम करना चाहता था

मौसाजी मेरा मतलब समझ गये उनकी आँखें प्यार और वासना से चमक उठीं मेरे सिर को पकडकर उन्होंने मेरा चेहरा अपनी झांतों में कस कर दबा लिया और फिर मेरे मुँह में ही मूतने लगे गरमा गरम खारे मूत की जोरदार धार मेरे गले से टकराई और मैं उसे बड़े चाव से पीने लगा

मौसाजी तो वासना से कसमसा उठे "आह राज, मेरा प्यारा बेटा, कितना प्यारा है तू, मेरा मूत पी रहा है, मेरी जान, आई लव यू, आराम से पी राजा, और पी पी जा मेरा पूरा शरबत" स्वाद मौसी और डॉली से अलग था पर फिर भी था बड़ा मादक मैंने मन ही मन सोचा- आख़िर स्वाद अलग होगा ही, एक कुएँ का पानी है और एक नल का

मेरे मुँह में पूरा मूतने के बाद अंकल मेरे सिर को वैसे ही पकड़े खड़े रहे मेरा पेट भर गया था, इतना उन्होंने मूता था उनका लंड अब जल्दी जल्दी खड़ा हो रहा था मेरे गले तक तो उनका सुपाडा पहुँच भी गया था इसके पहले मैंने कभी उनका पूरा लंड मुँह में नहीं लिया था जैसे मौसी आराम से लेती थी पर अब अपने आप यह हो गया था और उनका गले तक उतरा मस्त मोटा लंड मुझे बहुत अच्छा लग रहा था

उन्होंने मुझे छोड़ा नहीं, बल्कि मेरे सिर को अपनी झांतों पर और कस कर दबा कर वे आगे पीछे होते हुए मेरे मुँह को चोदने लगे "अब मैं नहीं छोड़ने वाला तुझे बेटे, मेरा मूत पी के तूने मेरा ऐसा खड़ा किया है कि तेरा मुँह चोदे बिना मुझे नहीं तसल्ली होगी!"

मैंने अपने गले को बिलकुल ढीला छोड़ दिया और उनके नितंबों को बाँहों में भरकर उनका लंड चूसने लगा वे अब इतने ज़ोर से मेरा मुँह चोद रहे थे कि मेरे गले में उनका सूजा सुपडा चुनमूनियाँ की तरह चल रहा था मेरा दम भी घुट रहा था पर उस कामसुख के आगे मैंने उसका ख़याल नहीं किया जब अंकल झडने के करीब आए तो मैंने दो उंगलियाँ उनकी गान्ड में डाल दीं वे ऐसे कसमसा कर झडे कि एक हल्की चीख उनके मुँह से निकल गयी मुझे सिर्फ़ इस बात का गम था कि उनका मलाईदार वीर्य उनके लंड ने सीधा मेरे गले और पेट में फेंका, लौडा मेरे गले में गहरा धँसा होने से मैं उसका स्वाद नहीं ले पाया

रात को अंकल ने मुझे वही सुख दिया जो मैंने उन्हें बाथरूम में दिया था पहले तो मैंने उन्हें पलंग पर लिटा कर उनके मुँह पर चढ कर खूब मज़ा ले लेकर उनके मुँह को चोदा झडने के बाद मैं जब उठने की कोशिश करने लगा तो उन्होंने मेरे चुतड बाहों में भर लिए और मेरा लंड चूसते रहे, मुझे नहीं उठने दिया मुझे अब ज़ोर से मुतास लगी थी और मैं उन्हें कहता रहा कि अंकल पेशाब लगी है, मुझे प्लीज़ जाने दीजिए उन्होंने मेरी एक ना सुनी और मेरा झडा शिश्न छोटे गाजर की तरह मुँह में लेकर चूसते रहे

कुछ देर हातापाई करने के बाद मैं समझ गया कि मौसाजी क्या चाहते हैं मैं चुपचाप उनके सिर को पकडकर लेट गया और उनके गले में मूतने लगा उन्होंने मेरा मूत ऐसे स्वाद से पिया कि जैसे कोई शरबत पी रहे हों मेरे लिए यह बड़ी सुखद भावना थी ऐसा लग रहा था कि मैं अंकल को अपने शरीर का कोई अमूल्य उपहार दे रहा हूँ अब मुझे समझ में आया कि मौसी को मेरे या मौसाजी के मुँह में मूतते समय इतना मज़ा क्यों आता था और डॉली जैसी लेस्बियन भी मेरे मुँह में मूत कर क्यों अचानक पिघल गई थी

अब हम यह काम हमेशा करने लगे मौसी का मूत पीते समय जो सावधानी बरतना पड़ती थी, कि कहीं छलक ना जाए, वह हम दोनों को ज़रूरी नहीं थी सीधा मुँह में लंड को एक बड़े स्ट्राम की तरह लेकर मूत्रपान किया जा सकता था

शुरू में हमने यह क्रीडा मौसी से छुपा कर रखी कि कहीं वह नाराज़ ना हो जाए पर एक दिन जब हम तीनों साथ साथ नहा रहे थे तो भांडा फुट गया कई दिन हो गये थे मौसाजी का मूत पिए और इसलिए जब नहाते समय मौसाजी ने मुझसे लंड चुसवाया तो झडने के बाद भी मैं उसे चूसता रहा

उन्होंने चुपचाप मेरे मुँह में मूतना शुरू कर दिया, उपर से तो कुछ भी नहीं पता चलता था पर मौसी ने जब देखा कि मेरे गला उपर नीचे होकर कुछ निगल रहा है तो वह गौर से मेरी ओर देखने लगी फिर भी शायद बात छुपी रहती पर मूतने से होने वाली 'खलल' 'खलल' आवाज़ से उसे सब पता चल गया पर नाराज़ होने के बजाय वह उल्टे काफ़ी उत्तेजित हो गयी उसे बहुत अच्छा लगा कि मैं उसके पति को भी वही सुख दे रहा हूँ जो हम दोनों उसे देते थे

गरमी की छुट्टियो भर हमारा यह संभोग चला आख़िर छुट्टियाँ खतम होने को आई और मैं घर जाने की तैयारी करने लगा शन्नो मौसी और रवि अंकल ने कहा कि अब हर छुट्टियों में मैं यहीं आऊ दीवाली की छुट्टियाँ बस चार माह में आने ही वाली थी

मौसी बोली कि बेटे, अब घर जाकर अपनी माँ की भी खूब सेवा करना वह शैतानी से मुस्करा रही थी मैं शरमा गया पर मेरा लंड खड़ा हो गया अब मैं यही सोचता रहता कि मेरी प्यारी माँ की सेवा मैं कैसे शुरू करूँ

अचानक माँ का फ़ोन आया कि मैं दो तीन हफ्ते और रुक जाऊ वे कहीं बाहर जाने वाली थी बोली कि मेरे स्कूल में बता देगी फिर वह मौसी से फ़ोन पर बातें करती रही मौसी बार बार मेरी ओर देखकर बड़ी कुटिलता से हँस रही थी वह उत्तेजित भी बहुत लग रही थी

थोड़ी देर बाद में वह बोली कि चलो अब चुदाई और मन भर कर सकते हैं पर बची छुट्टियों में मेरे साथ क्या हुआ यह बड़ी गंदी और परवर्टेड कहानी है

दोस्तो ये कहानी यही समाप्त होती है फिर मिलेंगे एक नई कहानी के साथ आपका दोस्त राज शर्मा
समाप्त
 
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