Desi Chudai Kahani कमसिन जवानी - SexBaba
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Desi Chudai Kahani कमसिन जवानी

hotaks444

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कमसिन जवानी-1


आज उमैर अपने दोस्तों के साथ फ्रेशर्ज़ पार्टी में जा रहा था...जहाँ कई हसीन नवयोवानयों के दर्शन उसे होने थे.....कॉलेज में कई हसीन लड़कियों ने अड्मिशन लिया था जिसकी आज फ्रेशर्ज़ पार्टी थी...


बड़ी बड़ी आँखें,विराट ललाट चौरा चकरा चेहरा..और उछलती मर्दानगी उसे अन्य सभी से अलग ही प्रदर्शित करती थी......मुस्कुलर बॉडी जिसे देख कर हर किसी का मन डोल जाए ऐसा दिखता था.......

उसके दोस्त उससे जलते थे......लेकिन लड़कियाँ तो जैसे सिर्फ़ उमैर को ही निहारा करती थी......आज उमैर अपनी उन कमसिन हसीनायो के द्वारा खुद को प्रशंसा प्राप्त करवाने के लिए व्याकूल होता जा रहा था......उपर ली कूपेर की टी-शर्ट और नीचे कॉरगो पहने हुए वह जैसे ही अंदर हॉल में दाखिल हुआ ही था के सब उसे ही निहारने लगे...उसकी माँ जिनका नाम कलसूम था वह उन्हे कलसूम माँ कह कर पुकारा करता था....देखते ही उमैर को लपक ली...


कलसूम माँ:- अरे बेटे क्या बात है आज किस किस पर क़यामत गिरओगे......


उमैर:- अरे नहीं माँ ऐसा कुछ नहीं बस ऐसे ही...वैसे आप का भी जवाब नहीं हैं...कमाल की लग रही हैं आप भी आज तो...


कलसूम माँ :- शर्मा कर बोली...! कैसी बात कर रहे हो आज की इन छोकरियो के सामने हमे तो कोई देखेगा ही नहीं बेटे...हहहे...और चली गयी.........


सभी नव यौवनाओ के चेहरे पेर अलग ही रौनक झलक रही थी....अचानक कलसूम माँ तो जैसे उसके पीछे पागल ही हुई जा रहीं थी...हर लड़की की ज़ुबान पर बस एक ही बोलबाला था के ये सीनियर आख़िर हैं कॉन.......बाकी सब लड़के उससे जल रहे थे.....



उमैर एक अच्छा शरीफ घर का लड़का था जिसे जो गुडलूकिंग इंटेलिजेंट और हर तरीक़े से उम्दा लड़का था.......गॅल्स के प्रपोज़ल तो उसे हमेशा ही आते थे लेकिन इन सब में उसे ज़्यादा इंटरेस्ट नहीं था केवल गॅल्स को अपनी और अट्रॅक्ट क्रना मात्र ही उसका उद्देश्य होता था....


कलसूम माँ भी उस पर डोरे डाला करती थी...देखने में वह कम सेक्सी नहीं थी ...40 पार कर चुकी औरत होने के बावजूद एक दम सेक्सी लगती थी.....उमैर का किसी से बात करना उसे ज़्यादा पसंद नहीं था...उसने उमैर को अपने पास बुलाया और पूछने लगी के और बताओ बेटे कोई पसंद आई क्या तुझे आज के इस फक्न्षन में........


उमैर हिचकिचा कर बोला के एमेम एमेम....क्या..!!!


कि अचानक एक मीठी सी आवाज़ उसे अपने कानो में सुनाई दी....

मम्मी देखो ....आप मुझे छ्चोड़ के आ गई ....में भटक गई थी...ओह माइ गॉड....कितनी परेशान हो गई थी में..क्या मोम..और अचानक आकर अपनी मा कलसूम से चिपक गई.....


उमैर तो जैसे उसकी आवाज़ सुनकर पागलों की तरह उसे देखे जा रहा था पहली बार जो उसे गुदगुदी सी हुई अपने शरीर में.... कलसूम मा..:- ये उमैर हैं ...माइ फेव स्टूडेंट जिसके बारे में तुम्हे बताया करती थी....


और उमैर ये मेरी बेटी है गोशी...!!


उमैर और गोशी एक तक 1 दूसरे को बस देखे ही जा रहे थे....वहाँ उमैर के छ्होटे उस्ताद का बुरा हाल होरहा था...सामने खड़ी मदमस्त जवानी को देखकर कोई भी पागल हो जाए ....स्लीवलेशस टॉप और नीचे घुटनों तक स्कर्ट देखकर कोई भी बोखला जाए .....छलकते हुए उभार और गोरा चिटा बदन.....से आने वाली महेक उसका मन आंदोलित करे जा रही थी....


कि अचानक ..!!!
 
गोशी बोली..:- क्या हुआ कभी लड़की नही देखी क्या और ज़ोर ज़ोर से हस्ने लगी.....!!!!!


उमैर हड़बरकार अर्र्ररे नहीं...हाइ...होस यू..कुछ बोल नहीं पा रहा था..


उसे खुद पर यकीन नहीं हो रहा था ..की वह प्यार का एहसास हुआ है या सिर्फ़ इठलाते यौवन को देखकर उसका मन काबू में नहीं रहा....


कलसूम माँ..:- अरे मेरे बेटे ऐसे क्या देखे जा रहा है..ये मेरी बेटी हैं....इंजीनियरिंग की स्टूडेंट है....आज ही आई है बॉमबे से अब यहीं रहेगी...कलसूम माँ को उसका उसी की बेटी को ऐसे देखना अच्छा नहीं लग रहा था........


गोशी बेटी जाओ औरो से मिल लो...


गोशी का दिल भी उस हॅंडसम को देखकर पागल हुआ जा रहा था बेमन से वो वहाँ से चलीगई.....


..........................


फंक्षन में कॅट वॉक स्टार्ट हुआ...जहाँ पर सेलेक्टेड गॅल्स को रम्पिन्ग करनी थी.....


उमैर भी उस लड़कियो को देखे जा रहा था ..कि अचानक रॅंप पर उची सैंडल होने की वजेह से एक लड़की की सैंडल मूडी और लड़खड़केर वह वहीं गिर गयी......उमैर स्टेज के पास खड़ा हुआ था अचानक...भागते हुए गया और अपनी आगोश में लेकर उसे उठाया ...सब हँसने लगे ....लड़की को चोट जो लग गयी थी आर वो रोने लगी..मासूम सा चेहरा था...और एक हाथ उसकी पीठ पे और दूसरा उसकी टाँगो के नीचे था वह उठाने की कोशिश कर रहा था...बेचारी के पैर में मोच्च आई थी और चल नहीं पा रही थी.....उमैर को अच्चानक उसकी दाई चेस्ट पर कुछ अजीब सा मुलायम एहसास सा हुआ ....और उसका दिमाग़ खराब हो गया....एक तो पहली बार एक लड़की ज़ात का इतना करीब से स्पर्श पाया ...


ओ बोला .."हे भगवान आज ये क्या हो रहा है मेरे साथ"

और ले जा के उसने वहाँ लड़की को टेबल पर बैठा दिया ...कोई नहीं नहीं था वहाँ सिफ्र उमैर और उस लड़की के...वह उसकी जूनियर थी....


उमैर उसे छ्चोड़ कर जाने लगा ................सर्ररर.......

अहह...!!!सुनिए तो.........


आवाज़ आई...उसने उमैर का हाथ पकड़ लिया था और बोली .......थॅंक्स सर आप नहीं आते तो शायद सब मेरा मज़ाक ही बना चुके होते.....


उमैर का हाथ उसके हाथों में था उसकी मासूम सी आँखों में देखते हुए बोला .......अरे तो क्या हुआ...वैसे काफ़ी भारी हो....दोनो हँसने लगे..


उमैर:- नाम क्या है तुम्हारा?


लड़की:-जी फ़िज़ा.......!!


उमैर:- अगली बार ज़्यादा उँची मत पहेनना वरना कोई तुम्हे उठा नहीं पाएगा हहेहहे....


फ़िज़ा:- उसकी बात सुनकर शर्मा सी गयी ..झेप गयी....उसका दिल जो आगया था उस पर ..........कैसे उसने उसे भागते हुए आके अपनी बाहों में समेत लिया था था....और कैसे उसके हाथ उसके शरीर से टच हो रहे थे..


उमैर:- क्या हुआ बताओ ज़्यादा तो नहीं लगी ना...?

उमैर ने उसके पैर के घुटने पर हाथ रखा और धीरे से उठाया .....

थोड़ा हिलाया ही था कि अचानक फ़िज़ा ने ज़ोर से चिल्ला दिया...........आआआआआआवउूऊचह.................मुम्मय्ययययी


और वह रोने लगी....उमैर घबरा गया हे भगवान ये रोने क्यूँ लगी.....उसने उसका पैर छ्चोड़ दिया उसे चुप कराने लगा......


अरे थोड़ा तो दर्द होगा ही ना ,...चलो चुप हो जाओ वरना कोई आ जाएगा और कहेगा की अचानक लड़के के साथ रोने लगी ....उसके दर्द को देख ना सका और अपनी आगोश में उसे समा लिया....फ़िज़ा उसके सीने से लगी और फिर चुप हो गयी....वह समझ गयी थी उसे प्यार हो गया है अपने ही सीनीयार से जो सबसे अलग है....सबसे अच्छा और हॅंडसम..बाहर कुछ लोगो के आने की आवाज़ आई और उमैर ठीक ठाक हो गया....


कलसूम माँ और माँ के साथ आई थी गोशी.वहाँ उमैर और फ़िज़ा को देख कर तो जैसे उसे साँप सूंघ गया ...उमैर बाहर जाओ तुम यहीं खड़े रहोगे क्या....आख़िर अपने आशिक को देख कर कोई भी बोखला जाएगा.........................................
 
बाहर जाकेर उमैर को बस उसके उभारों का मुलायम स्पर्श ही पागल बनायें जा रहा था......उसके हाथों में कॉफी थी और दोस्तो क साथ खड़ा खड़ा गौसिप्स में लगा हुआ था...........वहाँ से किसी ने चिल्ला कर पुकारा उमैर कोई बुला रहा है तुम्हे ...........वहाँ कोरीदौर में...उमैर फ्र्न्ड्स को थोड़ी देर बाद आने का बोलकर चला गया...........गया तो कोर्रडौर में कोई नहीं था.............


हाथ में कॉफी लिए हुए था .....किसी को नहीं देखकेर अचानक मुड़ा और टकरा गया...और सारी की सारी कॉफी सामने खड़ी गोशी पे जा गिरी ...कॉफी थोड़ी ठंडी हो चुकी थी वरना गोशी जल ही जाती....कॉफी गिरते ही उसके उभारो से होती हुई उसके पेट तक को गीला कर डाला.............उमैर उसे देख कर वैसे ही पागल था और ये सब हो गया.....


उमैर:- ओह आइ एम सॉरी मेने देखा नहीं आपको और में अचानक मूड गया..


गोशी :-खैर कोई बात नहीं ....अब देख लो....गोशी की आँखों वासना थी और सिफ्फ वासना....आख़िर वो औलाद तो कलसूम माँ की ही थी ना..............


उमैर ने देखा कि उसकी टॉप उसके शरीर से चिपक गयी है....और अब फिगेर और शानदार दिख रहा था...फॉरन उसने अपनी निगाहों को फेर दिया...क्यूकी उसे वह उन नज़रों से नहीं देख सकता था...आख़िर उसे प्यार का भूत सवार जो हो गया था....


उमैर:- गोशी जाओ और चेंज करके आओ देखो तुम पूरी गीली हो चुकी हो प्लज़्ज़्ज़्ज़......


गोशी:- ह्म्म.....तुमने ही गिराया है इसे सॉफ कर दो ना...


उमैर:- तुम प्लज़्ज़्ज़ जाओ यहाँ से खुद को सॉफ करो प्ल्ज़...कोई देखेगा तो मुझे अच्छा नहीं लगेगा....वो भी ऐसे..उमैर उसे दुनिया से छुपा कर रखना चाहता था...बट उसे क्या पता था कि वह तो है ही ऐसी ...................


गोशी:-अर्रे तो क्या हुआ कर लूँगी बाद में सॉफ....और अगर इतना ही अफ़सोस है गिरा देने का तो खुद ही अपने इन हाथों से कर दो ना ..प्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़


गोशी ने उसका हाथ अपने हाथों में ले लिया और हँसने लगी..


उमैर का हाथ झुरजुरा गया...और नीचे से उपेर उसकी मर्दानगी ने अंगड़ाई ले डाली...


उसे आज क्या हो गया.....जिसने फ़िज़ा को उठा कर उसने इतने दूर तक ले जाके रखा आज सिर्फ़ गोशी के च्छू देने से उसे क्या हो रहा है...


उसने अपना हाथ छुड़ा लिया ...और वहाँ से जाकेर फिर से हॉल में आ गया..............

क्रमशः.............................
 
कमसिन जवानी-2

गतान्क से आगे...........................

......

वहाँ जाके दोस्त उसके हँसने लगे और उसका मज़ाक उड़ाने लगे.........य्य्य्ये बेटे कहाँ आजकल बुज़ी हो गये हो...किसने बुलाया था...कह कर उसे टीज़ करने लगे...


लेकिन आज तो जैसे उसका मन विचलित सा हो गया था.....उसे लगने लगा था कि वो अपने आपे में नहीं रह पाएगा........

उमैर:-यार.......मुझे कुछ अच्छा नहीं लग रहा है यार...में घर जा रहा हूँ......


अजय(उमैर1 बेस्ट फ्र्न्न्ड):- अबे साले .............!!!!!!पहले पीछे तो देखले ..


उमैर ने मूड कर पीछे देखा तो मुस्कुराती हुई फ़िज़ा को देखा....उमैर ने मुस्कुराहट के बदले मुस्कुराहट का जवाब दे दिया............और जाने लगा..


और डोर तक पहुचा ही था....कि अचानक..उसे कलसूम माँ की आवाज़ आई....


उमैर...............!!!!!!!!!!


उमैर ने मूड कर देखा तो डर गया ..कि कलसूम माँ अब अपनी बेटी के उपेर कॉफी गिर जाने पर उसे सुनाएगी ..क्या कर रहा था वो उसकी बेटी के साथ आख़िर वो भी अकेले में..................उमैर कहाँ जाअ रहे हो हां....?????


आआआआआं................कुछ नहीं माँ कुछ अजीब सा लग रहा है...घर जा रहा हूँ.....सिर दर्द कर रहा है मेरा..


कलसूम माँ:- ऐसे कैसे जाओगे तुम वो भी इतनी जल्दी.....?


जाओ पहले गोशी को घर छ्चोड़ दे....भीग गयी है वो....अब इतना तो कर सकते है ना...?

उमैर मन ही मन खुश हुआ कि अपने प्यार के साथ इतना वक़्त काफ़ी है....लेकिन उस मनचली का कोई ठिकाना नहीं पता नहीं कैसी कसी बाते करने लग जाती है...उसने हां में सिर हिला दिया...!!!!!!ओके माँ...


गोशी और उमैर दोनो ही कार में बैठे और चले गये......जाते हुए दोनो को फ़िज़ा ने देखा और अचानक उसे रोना आ गया....


कि ओह तो ये थी उमैर की गर्ल फ्रेंड...कहीं उमैर कोँमिटेड तो नहीं...और उसने अपनी उम्मीदे छ्चोड़ दी ...........लेकिन प्यार कभी भुलाया नहीं जा सकता ......और आख़िर वो सच्चा प्यार करने लगी थी...अपने उमैर से..........


गोशी:-उमैर>.........!!!!!!!!!!!!!!!

तुम ऐसे क्यूँ छ्चोड़ कर आ गये थे वहाँ.........?

उमैर:- तुम जा नहीं रहीं थी तो में ही आगया ...!!!!!!


कार ड्राइव करते उमैर का हाथ पकड़ लिया ...उमैर का फिर दिमाग़ खराब हो चुका था.....


गोशी:-अरे उसमे भागने वाली क्या बात थी.....


गोशी ने उसका हाथ पकड़ लिया था....और उससे कहा...के यार एक बात तो है...


उमैर:-क्या

गोशी:-तुम्हारी आँखों में शरारत.....(मुस्कुरकर)..!!!!!

उमैर:-तुम्हारा घर कहाँ है गोशी...???????


गोशी:- वैसे मुझे तो कयि लोगो ने प्रपोज़ किया है लेकिन आज लगता है कि बसस्स..


उमैर:- सोचते हुए..क्या मतलब औरो ने भी तुम्हे???


गोशी:-हां लेकिन में मना कर देती थी उन्हे..

उमैर ने हां में सिर हिलाया और मन ही मन बोहोत खुश हुआ कि उसकी चाय्स ग़लत नहीं हैं....


घर आ चुका था....अंदर आ जाओ और हां तुम्हारी कॉफी मुझ पर गिर गयी थी ना...आ जाओ अंदर आ जाओ कॉफी पी कर जाना....


उमैर थोड़ा सकुचाया फिर अंदर आ गया...गोशी के पिताजी नहीं थे ...उनका देहांत हो चुका था...अंदर आते ही गोशी ने उसे सोफे पर बैठने को कहा और खुद अंदर चली गई ..... नहा धोकेर फ्रेश होके जब वो बाहर निकली ही थी कि उमैर ने उसे पुन: एक टक देखना शुरू कर दिया वो भी बिना पालक झपकाए..


ऐसे क्या देख रहे हो..और वह कॉफी बनाने चली गई....कॉफी लेके उसके सामने आई और झुकी तो उसने ध्यान दिया कि उमैर का ध्यान उसकी लटकती चूचियो पर ही अटका हुआ है...


जान्भुजकर वह थोड़ी सी कॉफी उमैर क़ी शर्ट पर गिरा देती है...उमैर एक दम हड़बड़ा गया...


उमैर:-ये क्या मज़ाक है...........


गोशी:-वही......!!!!जो तुमने कोर्रडौर में मेरे साथ करा था...


उमैर:-मेने जानबूज कर नहीं करा था गोशी........


गोशी:-अर्रे तो मेने भी कहाँ जानबूझकेर करा है...

जाओ तुम भी नहा धोलो अब ....हे हे


उमैर:-लेकिन मैं चेंज क्या करूँगा और मुझे घर भी जाना हैं...


गोशी:-चले जाना ...लेकिन ऐसे गंदे होके जाओगे तो सब हासेंगे....अब जाओ भी ना...........


उमैर उठा और बाथरूम में जा कर फ्रेश होके बाहर आता है...


उसकी ली कूपेर की शर्ट खराब हो चुकी होती है .....तो बाहर अपने कॉरगो में निकलता है उपेर टवल लपेट कर.....मसकुलर बॉडी देखते ही गोशी की जवानी अंगड़ाई लेती है...उमैर का मर्दाना जिस्म और चेहरे पेर चमक देख कर उसमे वासना सॉफ सॉफ देखाई दे देती हैं......


उमैर...!!!!!एक बात कहूँ...गोशी ने कहा..


हा बोलो गोशी....


दोनो सोफे पर आमने सामने बैठे रहते हैं...
 
दोनो सोफे पर आमने सामने बैठे रहते हैं...


गोशी:-तुम्हे कभी किसी से प्यार हुआ है..????

उमैर:-नहीं..(सकुचाते हुए)

गोशी:-मुझे हो रहा है शायद ...कहते हुए वह उमैर के करीब आके बैठ गई...


उमैर आख़िर उसे अपना दिल दे बैठा था ...लेकिन इस प्रकार कि गोशी के कहने से उसे खुद पर यकीन नहीं हो रहा था...


उमैर:-मतलब???????

गोशी:-उमैर.!!!!!!!!!आइ लव यू.......

उमैर:- अचानक हुए इस वार से घबरा गया..


सीसी...सीसी..क्या कह रही हो तुम...माँ को पता चला ना ...तो तुम और मैं दोनो ही मॅर जाएँगे गोशी...होश में तो हो ना...तुम..


गोशी:-मुझे मोम की चिंता नहीं हैं...बस तुम मुझे छू लो जान.......बस एक बार...


कामुक आवाज़ में वह उमैर के पास आ जाती हैं...और उसके पास आके टवल धीरे से उसके शोल्डर से सर्का देती है,.......


उमैर:-देखो गोशी ..प्ल्ज़.......हम हद से गुज़र जाएँगे....और मेने हां या नहीं कुछ नहीं करा है .....ओके ना..?

गोशी:-में कुछ नहीं जानती जान........प्ल्ज़्ज़.......किस मी वन्स...में अपने सपनो के राजकुमार का ही इंतेजार कर रही थी और आज वो मेरे सामने हैं...


उमैर की गोद में आकर बैठ जाती हैं....उमैर उसकी नरम नरम जांगों का स्पर्श पाकर उत्तेजित होने लगता हैं.....

और उसका खड़ा होने लगता हैं...आख़िर उपेर से एक दम नंगा बदन और मूह पर झुकी हुई चूचियाँ...वो भी उस लड़की की जिसे पहली नज़र में देख कर ही उसने अपने होश खो दिए थे.....


आज ये क्या क्या हो रहा है मेरे साथ..................उसने मन ही मन सोचा....


गोशी ने कहा बताओ ना जान...करोगे मुझसे प्यार.......?????????????????बताओ ना..


उमैर तो जैसे एक दम एक तक उसकी तरफ देखे जा रहा था...कि अचानक बेल बजी और दोनो अलग हो गये...


गोशी:-ये साला अब कॉन आ गया ......


उमैर उठ कर खड़ा हो गया ....

मेडम जी ये कोर्रीएर आया है...


गोशी दरवाज़ा बंद केरके वापिस आई तो देखा कि उमैर उठ कर खड़ा हो चुका था....


उमैर:-गोशी में जा रहा हूँ..

गोशी:-रुक जाओ ना जान..........

उमैर:-प्लज़्ज़्ज़.......जाने दो मुझे पेरेंट्स वेट कर रहे हैं और कुछ काम भी हैं..

गोशी:-में तुम्हारे जवाब का इंतेज़ार करूँगी...


उमैर उसके भाई की टी शर्ट जो गोशी ने उसे दी थी पहेन कर चला जाता हैं....


.....................................


घर जाता हैं उसे रात को नींद ही नहीं आती....


दूसरे दिन अचानक कॉलेज में कलसूम मॅम..:- कैसा है बेटा ???????????

सब बढ़िया है ना....तेरी तबीयत तो ठीक है ना अब ....देखता है कि मॅम के साथ उसकी बेटी भी आई है...


गोशी उसे अपनी कार में बुलाती हैं..

उमैर जाता है......दोनो अंदर बैठ जाते हैं..

उमैर:-ये लो गोशी तुम्हारे भाई की टी शर्ट वापिस ......

गोशी:-और कुछ भी तो बाकी हैं ना ..डार्लिंग..

उमैर मुस्कुराता है और जवाब उसका हां में होता हैं............................


उमैर ...आज से तुम और में एक दूसरे के हुए ना..


उमैर मुस्कुराता है ..लेकिन वह नहीं जानता कि इस बनावटी प्यार के पीछे वासना की इक्षा को पूरा केरना मात्र ही था........गोशी उससे नहीं बल्कि उसकी मर्दानगी पर मर मिटी थी...वह उससे अपनी जवानी के मज़े लेना ही चाहती थी....


उमैर बाहर आता है....

उमैर:-जाता हूँ गोशी टाइम होरहा है.....

गोशी:-इधर आओ ना प्ल्ज़............एक चुंबन उसके गाल पर जड़ देती हैं...और अलविदा कहती हैं..


अचानक उमैर को देखकेर फ़िज़ा का दिल दावाड़ोल हो उठता है.....

आरती:-अरे सर..!!!गुड मॉर्निंग...कैसे हैं आप..?


उमैर को अचानक उस दिन का एहसास हो जाता हैं..आआआआआ अच्छा हूँ...


सररर....आआ...........और अचानक उमैर को कोई बुला लेता हैं..और वो उसे क्सक्यूस मी बोल कर चले जाता है........बेचारी मूक दर्शक बनी खड़ी रह जाती है...

क्रमशः.............................
 
कमसिन जवानी-3

गतान्क से आगे...........................

......

रात को 12 बजे किसी का फोन आता है....


उमैर:-हेलो..!!!!हू`ईज़ देर..?

तुम्हारी जान..गोशी थी वो...


उमैर:-क्या हुआ गोशी इतनी रात को क्यूँ करा कॉल...........

गोशी:-अभी इस टाइम में नहीं करूँगी तो क्या मेरी अम्मा करेगी और दोनो हँसने लग जाते हैं.....................


उमैर तुमने कभी किसी औरत के साथ कुछ किया है..

उमैर:-वत्त्तत्त......!कैसी बातें कर रही हो जान तुम..

गोशी:-बताओ ना जान?????????

उमार:-नहीं जान कभी नहीं तुम्हारी कसम..............

गोशी:-अच्छा जान तुम मास्टरबेट केरते हो ????????????????????????????


उमैर बौखला कर:_क्या...क्या होगया है तुम्हे आज???

गोशी:-ऐसी बातें में नहीं तो कॉन करेगा....?बता दो ना जान तुम अपने आइयैट्मेंट के लिए क्या करते हो...?????????

उमैर:-जानू..!!मेने आज तक तो नहीं करा ...हां दोस्त करते हैं और बताते भी हैं,...लेकिन में नहीं करता....

गोशी:-मतलब तुम डाइरेक्ट किसी लड़की के साथ ही करोगे क्या...जान?

उमैर:-बात को टालते हुए....छोड़ो जान...तुम क्या करती हो..

गोशी:-में तो बोहोत प्यासी हूँ...लेकिन क्या करूँ....खुद ही मेहनत करनी पड़ती हैं...और अचानक फोन काट देती हैं..

उमैर ट्राइ भी करता है तो नहीं लगता ...


उमैर सोचता है कि गोशी जैसी लड़की खुद को उंगली करती है या मास्टरबेट करती है आख़िर उसे ????

सोचते सोचते वो सो जाता हैं...

सुबह कॉलेज जाता हैं ..............वापस आने के लिए कार में बैठता ही है


कलसूम मॅम...:- अर्रे बेटे उमैर इधर तो आना बेटे...!!!

उमैर:-जी मॅम..?

कलसूम:-अर्रे बेटा मुझे अपनी बहेन के यहाँ जाना हैं...छ्चोड़ देगा क्या ज़रा ?

उमैर:-आइए ना...

कलसूम मॅम तो जैसे हवा में उड़ने लगती है...आख़िर उमैर भी खुश होता है वह गोशी की मा जो थी...


कार में बैठी कलसूम को जैसे नीचे गीलेपन का एहसास होता हैं...........

उमैर बेटे देख तो ज़रा ये मेरी पीठ पे कुछ हैं क्या...

एक हाथ से उमैर उसकी पीठ पे जैसे ही हाथ लगाता है...कलसूम की तो जैसे जनमो की ख्वाहिश पूरी हो जाती हैं..........कुछ नहीं हैं मॅम...

कलसूम:-अरे देख तो ज़रा बेटे.........कुछ तो हैं...हाई मैं मॅर रहीं हूँ मेरे लाल देख भी..ब्लाउस के अंदर तो नहीं चला गया..उमैर अपने कड़े हाथो से देखता हैं.........


ब्लाउस के अंदर डालते ही उसे शरम सी आने लगती हैं कि ये वही मॅम है जो उसे पढ़ाती है.............


उमैर:-मॅम कुछ नहीं है...करके उसे छ्चोड़ देता है उसकी बहेन के यहाँ ............


और डाइरेक्ट गोशी के घर चला जाता हैं./..आज वो घर पर अकेली थी.............................................................................................................


उमैर गोशी के घर आता है.....दरवाज़ा खुलते ही गोशी 2 मिनट के लिए थोड़ा हिचुक सी जाती है..अर्रे अर्रर तुम आज कैसे वो भी बिना बतायें..??

उमैर:-क्यूँ नहीं आना चाहिए था क्या (मुस्कुरा कर)

गोशी:-नहीं वो आक्च्युयली..!!/!

उमैर:-क्या हुआ जान..तुम्हारी मोम को छ्चोड़ कर आरहा हूँ यार.....इसलिए सोचा कि तुम्हे मिल लूँ....

गोशी मन ही मन कुछ सोचती हैं और उसे अंदर बुलाती हैं.......


अंदर आते ही वो सोफे पर बैठता है और अजीब नज़रों से गोशी को देखने लगता हैं...गोशी आती है और हमेशा की ही तरह उसकी गोद में बैठ जाती हैं.....


"क्या हुआ जान ऐसे क्या देख रहे हो मेरी तरफ ??ह्म्‍म्म्मममममम"क्या बात है..गोशी बोली...


उमैर:-उस लड़की को देख रहा हूँ जो कल मुझसे क्स्सिट्म्न्ट वाली बड़ी बड़ी बातें कर रहीं थी और अधूरी बात कर के कॉल डिसकनेक्ट भी कर दिया.....?

गोशी अचानक शर्मा जाती हैं और उसके सीने में घुसती चली जाती हैं...


उमैर:-बताओ ना जान क्यूँ करती हो मास्टरबेट तुम???तुम्हे क्या ज़रूरत है उसकी..?

गोशी:-अर्रे..तो क्या मुझे लगता था इसलिए करती थी...बॅट शायद अब तुम आ गये हो तो.........कह कर रुक गई...

उमैर:-नहीं जान में तुम्हारे साथ ऐसा वेसा कुछ नहीं करूँगा...अपनी शादी होने तक...


सुनकेर जैसे गोशी के कानो से खून आने लगा ...क्यूंकी वह अपनी जवानी के मज़े लेना चाहती थी ना कि शादी ब्याआह के बंधन में बँध जाना चाहती थी...

गोशी:-तो क्या हुआ शादी करने के बाद भी कर लेंगे ना..?????????

उमैर:-प्यार से उसके गालो पे चुंबन देता है और बोलता है कि नहीं जान अगर में तुम्हारी साथ कुछ भी कर लूँगा तो शायद बोर हो जाउ इसलिए हम सिर्फ़ कोँमिटेड ही रहेंगे........


गोशी:-:ये कैसा गेबला और मूसरचंद टाइप के इंसान से मेरा पाला पड़ गया...देखने में तो इतना सेक्सी है कि किसी का भी यूज़ कर सकता है...और सोच ब्रह्मचारियो जैसी हैं इसकी...इसलिए थोड़ी ना फसाया था इसे मेने...."


अचानक डोर पर बेल बजी...

गोशी सकपका गई कहीं राज तो नहीं आ गया ओह माइ गॉड मैने ही बुलाया था राज को अब क्या होगा सोच कर उसने दरवाज़ा खोला....


राज को देखकेर उमैर बोला:- कॉन है ये गोशी ...कॉन्सा फरन्ड है ये तुमने कभी बताया नहीं.......


गोशी/:-ववव.वऊू मेरा स्कूल फरन्ड है उमैर......

राज अंदर आता है अजीब तरीक़े का लग रहा था जेसे पेग चढ़ा कर आया हो...

उमैर को उसका आना अच्छा नहीं लगा...और वो गोशी को बाइ बोलकेर चला गया...
 
उमैर नहीं जानता था कि गोशी इसी से अपने शौक पूरे करती हैं...


.....................................

अगले दिन कॉलेज में अजय उमैर का ब्स्ट फरन्ड उमैर से बोलता है....:भाई तू आजकल काफ़ी खोया खोया सा रहता है क्या हुआ आख़िर तुझे ऐसा तो नहीं था तू................?"


अजय को सारी बात बता कर उमैर ने जैसे राहत की साँस ले डाली...अजय ने उमैर को गोशी को उसके घर वालो से मिला देने का आइडिया दिया...

दोनो कॉलेज की सीडीयों पे जाने को चढ़ने के लिए मुड़े और अचानक से फ़िज़ा अजय से टकराती हैं और अजय थोड़ा दूर हो जाता है और झटक कर थोड़ा दूर होती हैं ...आख़िर उमैर उसे बाहों में संभालता हैं...........


वो दोनो हाथो से अपनी आखों को मींच लेती है जैसे सोच रहीं हो कि अब तो गयी ज़मीन पर....धीरे से एक आँख को खोलती हैं....और लगभग 3 इंच दूरी पर उसे अपने सीनीयार सर का चेहरा दिखता है...


शर्म से उसके तो जैसे गाल ही गुलाबी हो जाते हैं..

उमैर:-क्या बात हैं हमेशा मेरी बाहों में ही आकेर गिरती हो....?????ह्म्‍म्म्मममम................??आख़िर बात क्या है...


फ़िज़ा तो जैसे शर्म से पानी पानी हो जाती है......खुद को छुड़ा कर दोनो को सॉरी बोलती हैं..और भाग जाती हैं...


उमैर ,अजय एक दूसरे को देखकेर मुस्कुरा कर चले जाते हैं...........


आज उमैर गोशी को अपने घर ले जाता हैं...दोनो कार में बैठ कर बातें करते हैं....

गोशी:-कॉन कोन हैं तुम्हारे घर पर .........उमैर जानू..?????

उमैर:-मोम डॅड भैया भाभी और उनका छ्होटा बेबी है 3-4 मंत्स का,,..


गोशी दूसरी तरफ मूह चढ़ाते हुए........क्या यार ये मुझे रिश्तो में क्यूँ बाँध रहा है.../

गोशी:-जानू में तुम्हे किस कर लूँ...आख़िर पहेल उसी ने की..

उमैर:-(मुस्कुराते हुए)ह्म्‍म्म्म वो सब बाद में अभी घर आ गया चलो...


घर पर सबसे मिलवाता हैं...उमैर के मोम डॅड को किसी पार्टी में जाना होता है वो लोग चले जाते हैं...भैया घर पर नहीं होते हैं...सिर्फ़ भाभी रहती हैं..और उनका 3-4 महीने का बच्चा .........


उमैर जाओ बाहर से ये ये समान ले आना आज पहली बार आई हैं कुछ नाश्ता करवा ना है ...

उमैर चला जाता हैं..

भाभी अपने बेबी को गोशी के पास छ्चोड़ देती हैं और कुछ काम से उसे इंतजार करने को छोड़ कर चले जाती हैं.........


बेचारी सेक्स की प्यासी गोशी की प्यास किसी को नज़र नहीं आती......वो अकेले ही कमरे में बैठ कर उमैर का इंतेज़ार करने लगती हैं...


छ्होटे से बच्चे को अपनी गोद में उठाकर ना जाने क्या सोचती हैं...भाभी उसे 15 20 मिनट बाद आने का बोल कर नीचे कहीं काम करने चली गई थी..

गोशी अपनी वासना में मरी जा रहीं थी...


बच्चे को अपनी आगोश में लेकर उसके मुलायम हाथों को अपने हाथों में लेकर अपने नेक पे रगड़ना शुरू करती है....और धीरे से अपने टॉप को जो की स्ट्रेचबल रहता है ...नीचे कर देती हैं..और बच्चे को अपना दूध वैसे ही पिलाने लगती हैं जैसे कोई माँ अपने बच्चे को पिलाती है............


बच्चे का मूह उसके बूब्स पर लगते ही जैसे उसे स्वर्ग का एहसास होने लगता हैं............बच्चे को माँ के स्तन से दूध पीने की आदत थी वह उसी को समझ कर दूध पीने की कोशिश कर रहा था...


वहाँ टीना उमैर का ख़याल करके ऐसे ढूढ़ पीला रही थी जैसे बच्चा नहीं उमैर ही उसका दूध पी रहा है..................................................................


अपनी वासना में खोई हुई गोशी बच्चे द्वारा अपनी प्यास बुझाने में लीन थी कि अचानक किसी के अंदर आने की आहट सुनाई देकर उसने खुद को ठीक़ किया और बच्चे को खिलाने लगी.......

उमैर आते ही उसे नीचे नाश्ता करवाता हैं..और उसे घर छ्चोड़ देता हैं....

क्रमशः.............................
 
कमसिन जवानी-4


गतान्क से आगे...........................

......

अगले दिन भी गोशी घर पर अकेली रहती है मा उसकी वापस नहीं आई........घर पर अकेला होने क बावजूद वो उमैर को बुलाती हैं..

उमैर गोशी के घर जाता है...दोनो बैठ कर प्यार भरी बाते करते ही हैं..


शाम के 7 बज चुके थे....जाने का समय हो चुका था कि अच्चानक ज़ोर ज़ोर से बारिश होने लगती है..ये देख कर गोशी की खुशी का तो जैसे ठिकाना ही नहीं रहता है..."आअज उमैर मेरा और सिर्फ़ मेरा है"सोच सोच कर आनंदित होती रहती है..

उमैर:-क्या यार अब क्या होगा जानू ..देखो बारिश हो रही है..

गोशी:-तो क्या हुआ...आज यहीं रुक जाओ ना......बदल गरज रहे हैं...मुझे डार्र लग रहा है और उसकी पीठ से ज़ोर से लिपट जाती हैं..

उमैर अपने घर वालों को कॉल कर देता है कि आज वो एक फरन्ड के यहाँ ही रहेगा,..


उमैर:-आओ ना गोशी बारिश में भीगते हैं...(प्यार में पागल उमैर उसके साथ खूबसूरत लम्हे व्यतीत करना चाहता था)

गोशी को तो जैसे हरी झंडी ही मिल........दोनो छत पर जाते हैं और बारिश में भीगते हैं...


भीगते हुए दो मदमस्त जोड़े बारिश में नाचते मोर के जैसे प्रतीत होते हैं...अचानक उमैर की नज़रें गोशी के जिस्म पर पड़ती हैं तो उसके तो जैसे होश ही उड़ जाते हैं..बारिश में उछल रही गोशी की कुरती उसके जिस्म से चिपक गई थी ...उसका पतला और छोटा सा पेट सॉफ सॉफ नज़र आ रहा था.....उसकी सुंदर नाभि ने तो जैसे उमैर के होश ही उड़ा दिए थे...


उमैर ने निगाहो को पलटने की कोशिश करी लेकिन बेचारा क्या करता ..था तो मर्द का ही दिल ना..

गोशी को मालूम था कि वो उसे ऐसे ही देख रहा है.और सामने से आकर ज़ोर से उमैर के सीने में खुद को समा लेती है..":देखो जान मज़ा आरहा है ना"..गोशी बोली..

उमैर उसके बालों में लगे क्लुचेर को निकाल देता है..और भीगते बालों को आज़ाद कर देता हैं...

बारिश में ही भीगते हुए उसके बालो में अपने हाथों को फिराने लगता है..

पहली बार उमैर किसी के साथ स्वयं ही ऐसा कर रहा था उसे खुद नहीं मालूम था के वो ऐसा क्यूँ कर रहा है..और गोशी भी तो यही चाहती थी..........

बालों में हाथ फिराते फिराते झुक कर हल्के से उसके कानो को काट लेता है...

गोशी:- आह ..आह श्ह

गोशी के कान में उमैर उससे पूछता है"जान आज अगर..,.."उसकी बात को टालते हुए गोशी पागलों की तरह उससे लिपट जाती है..और बात आगे बढ़ते हुए बोलती है"आज जो करना है कर दोना जान...जो भी चाहो करो "..

सुनकर ही संमीर उसे अपनी बाहों में उठा लेता हैं...बारिश मे भीग कर गीली हो चुकी हुस्न की मल्लिका का स्पर्श ही उसे पागल बनाने के लिए काफ़ी था...

और नीचे आ जाता हैं..उसे बेड पर बैठा देता है...गीले बालों से टपकता रस,आखों मे शरारत,और कपकपाते होठ ये सब देखकेर ही उमैर उस पर झपट्टा मारता है है..और दोनो ही एक दूसरे से लिपट जाते हैं..


बिजली की गरज और तेज़ बारिश दोनो के मिलन के लिए एक अलग ही रोमांच पैदा कर रही थी................................


गोशी के जिस्म से आरही मादक खुश्बू उमैर के रग- रग मे समाए जा रही थी..उमैर ने गोशी की गीली पलकों को चूमा ...और अपने होठों के द्वारा उसके नर्म कंपित होठों को अपने मूह मे ले लिया...ह्म्म उमैर के लिए ये सब किसी स्वप्न से कम नहीं था...आख़िर वह ये सब शादी के बाद ही करना चाहता था..लेकिन उसे क्या मालूम था कि ज़िंदगी कैसे मोड़ लेगी.............................

उमैर ने होंठो को चूस्ते हुए उसकी गर्दन मे अपना मूह घिसना शुरू करा..वहाँ गोशी को तो जैसे कोई होश ही नहीं रहा..कि अब उसके साथ क्या हो रहा है..उमैर धीरे धीरे हाथों को उसकी कुरती के उपेर से ही पेट पर फिराता है..कमरे मे गर्मी और वासना का उफान ज़ोरों पर आजाता है...


हल्के हाथों को उसके बूब्स पर ले जाता है और धीरे धीरे उन्हे गोल गोल घुमा कर अपनी मुठ्ठी में समेट लेता है...

उमैर का तो जैसे पॅंट ही फट जाएगा उसे ऐसा लगता है...उसकी कुरती को थोड़ा उपेर करके नंगे पेट पर हाथ फिराना शुरू करता है..और उसकी नाभि मे अपनी उंगली हल्के हल्के फिराता है.

अहह..अहह हम्म ऑच....जाअँ...प्ल्ज़ अब और मत तरसाओ प्ल्ज़....गोशी मरी जा रही थी...

उमैर से भी अब बर्दाश्त नहीं हो रहा था...उसकी कुरती उतार देता है....बादलों की गरज उसकी उत्तेजना को और बड़ा रही थी....
 
कुर्ता उतार कर हवा मे उच्छाल देता है..अब सिर्फ़ ब्रा में देखता है..पहली बार किसी लड़की के इस प्रकार के दर्शन से उसकी हालत खराब हो जाती है..

सीने पर चूमा चॅटी करता है..वहाँ गोशी की हालत ही लुस्त हो जाती हैं...मर्द का स्पर्श उसे जन्नत की सैर जो करा रहा था..उमैर उसके स्तनो को भी ब्रा से आज़ाद कर देता है और स्वयं को भी उपेर से ...................

सीने से सीना टकराता हैं और तूफान आजाता है................बाहर अलग तूफान था और यहाँ उमड़ रहा था वासना का तूफान......एक एक कर के उसके स्तनो को दबाता है..फिर स्तनो पर उगे हुए छूते से दाने को चूसने लगता है...

गोशी का तो जैसे बुरा हाल हो जाता है ...आख़िर किसी बच्चे के चूसने और मर्द के चूसने मे ज़मीन आसमान का अंतर जो था............

वहाँ एक हाथ गोशी का स्वयं ही उमैर के पॅंट के उपर घूमने लगता है...उमैर का तो जैसे पॅंट ही फॅट जाएगा ......तुरंत अपने पॅंट को उतार देता है.....

और अंडर वेअर में ही उफनते हुए लंड को देखकेर गोशी के मूह मे पानी आने लगता है...

गोशी पलट कर उमैर को नीचे और खुद उसके उपेर चढ़ जाती हैं.....

उसके सीने को चूमते हुए उमैर के दाने को हल्के हल्के अपने होठों से बल देकेर दबाती है...

एक हाथ उमैर के लंड पर चलता रहता है................

उमैर:-जान ....../!

अहह..ओह्ह म्‍म्म्मम

गोशी उसके अंडर वेअर को आज़ाद कर देती है...सामने साप की तरह फुफ्कार रहे लंड को एक हाथ से पकड़ कर उसे मुठ्ठी मे समेत कर मड़ोड़ने लगती हैं....

वासना की आग मे गोते लगा रहा उमैर मरा जा रहा था....उसके चेहरा को पकड़ कर लंड के सूपदे को उसके मूह मे थूस देता है....................


गू गुऊ..की आवाज़ गोशी के मूह से निकलने लगती हैं.......वहाँ उमैर के लंड के सूपदे को गर्मी का एहसास होता है और पूरा का पूरा लंड उसके थूक और लार से गीला होता रहता है...उसी के मूह को चूत समझ कर चोदने लगता है..................


वहाँ गोशी कम नहीं थी...अपने मूह से ही लंड को ऐसे चूस रही थी..जैसे लंड के छेद से चूस चूस कर कुछ निकालने वाली हो और वो उसकी फेव हो...

आख़िर सब्र का बाँध टूट ता जा रहा था......और उमैर ने लंड मूह से निकाल कर गोशी गोशी को नीचे आने को कहा...लेकिन वो कहाँ आने वाली थी...उमैर को उठने नहीं दिया और..बैठ गई उसके लंड पर............./और उपेर नीचे होने लगी ...उमैर उसके अमरूदो को जो कि उसके मूह पर ही झूल रहे थे....पकड़ कर ज़ोर ज़ोर से नीचे उपेर करने लगता है......


चुदाई अपने चरम सीमा पर आकेर ख़तम हो जाती है.....और दोनो वैसे ही मदरज़ाट नंगे एक दूसरे से लिपट कर सो जाते हैं.............................


सुबह क 5 बजे उमैर की नींद खुलती हैं...

और अपनी बाहों में नंगी गोशी को लिपटा हुआ पाता है..........


गोशी उमैर की बाहों में नंगी सो रही थी....उमैर सोच रहा था कि गोशी को मेरे लंड घुसने पर ज़रा भी तक़लीफ़ नहीं हुई ऐसा क्यूँ हुआ...????वो तो किसी क्सपर्ट की ही तरह लंड पर उचक रही थी जैसे कितनो से चुद चुकी हो....उसने अपने दोस्तों से सुना था कि कुँवारियों को लंड के घुसने पर इत्त्नि तक़लीफ़ होती है है कि या तो उनकी चीख निकलती हैं या फिर वो रोने लगती है लेकिन ऐसा गोशी के साथ क्यूँ नहीं हुआ.........शी वाज़ नोट वर्जिन ?????सोचने में मसरूफ़ रहता है कि अचानक गोशी का हाथ उसके सीने पर चलने लगता हैं..एक बार फिर से चुदाई शुरू हो जाती है...

घर जाकेर उमैर बोहोत अजीब सा फील कर रहा था ....कि कल रात जो भी हुआ क्या वह सही था..?उसके लंड मे एक अलग ही दर्द हो रहा था..


..............................

वहाँ कलसूम मॅम घर आ चुकी हैं...और कॉल लगाती है..........

कलसूम:- आ रहा है ना तू ..?......?????

अननोन:-ह्म्‍म्म आरहा हूँ ....सब्र तो कारर्र मेरी छम्मक्छल्लो..@!

कलसूम:-और कितना तरसाएगा ....मेरी खुजली बढ़ती ही जा रही है और तू....

अननोन:-थोड़ा और रुक जा मेरी छम्मक्छल्लो.........तेरी खुजली मिटाता हूँ आकर....बोहोत फदक रही है ना


वह कॉलेज के ही प्रोफेसर सिन्हा थे..जिसकी रखेल कलसूम थी...

घर का दरवाज़ा खटखटता है..दरवाज़ा खुलते ही कलसूम मॅम और प्रोफेसर एक दूसरे को एक फ्रेंशच किस देते है..सिन्हा .कलसूम की चूचियो को मसल्ने लगता है..

कलसूम:-अंदर तो आजा या बाहर ही चोदने लगेगा ??

सिन्हा:-हां तेरी खुजली जो बढ़ रही थी...आज फाड़ नहीं दी तो नाम बदल देना...

मेरी रंडी(प्यार से)


दोनो अंदर आ जाते हैं

कलसूम:-देर मत कर और पॅंट उतार..और स्वयं ही पॅंट को उतार कर अलग कर देती है...

सिन्हा ने कलसूम के ब्लाउस को उतार दिया.....और भारी भारी चूचियो से रस निकालने लगा..आआऔच क्या करेगा....इतना मत दबा हारम्खोर..दर्द मुझे भी होता है ...जान निकाल लेगा क्या ..?

सोफे पर कलसूम बैठ कर सिन्हा की ज़िप को खोल कर लंड बाहर खीच कर ऐसे मूह में भर लेती है जैसे जन्मो की प्यास उसके भीतर उमड़ रही हो...

सिन्हा भी कलसूम की भारी भारी चूचियो से रस निकालने की भरपूर कोशिश मे लगा हुआ था......और एक हाथ से कलसूम मॅम की चूत को खुदर रहा था..

सिन्हा:-क्यूँ छम्मक्छलो...आहह..लोंडे कहाँ गये..?भेज दिया ना तूने

कलसूम:-एक लोंडे को तो कल्कटा भेजा है...दूसरा यहीं गया है....मेरी सहेली के यहाँ अरे वो मल्होत्रा की बीवी का बिस्तर गरम करने...ह्म्म्म....आह

चूत के अंदर उंगली अंदर बाहर करते हुए...सिन्हा बोला..और लोंडे मिल जाते तो मज़ा आ जाता क्यूँ रीईईईईईई ?


कलसूम:-हां हां एक है तो लेकिन बाद में बताउन्गि ....अगर अच्छे से हाथ लग गया तो फाड़ ही देगा सबकी...अभी तो तू मेरी फाड़ दे रे..खुजली मिटा दे मेरी..

उंगली निकाल कर सिन्हा उसकी चूत के मुहाने पर लंड ठोक देता है...ले साली बोहोत खुजली हो रहीं थी ना तुझे ...ये ले और लीईए..अचानक सिन्हा रुक जाता है...


"व्व वाहाआँ कोई हैं...किसी ने हमे देखा.."..........सिन्हा बोला

अर्रे तू क्यूँ रुक गया हरम्खोर....कोई नहीं हैं........मेरी बेटी है...और फिर से चुदाई में लग जाते हैं....सिन्हा ज़ोर ज़ोर से ऐसे चोद्ता है जैसे आज कलसूम को मार कर ही दम लेगा या फिर कलसूम की बछेदानि ही पूरी बाहर आ जाएगी..कलसूम की चूचियाँ लटक रही थी...वह कुतिया बन कर चुद रही थी...


आख़िरी धक्का लगते ही वह उसकी पेट पर लेट जाता है....दोनो वैसे ही पड़े रहते हैं...................कलसूम की खुजली मिट गयी थी...


क्रमशः.............................
 
कमसिन जवानी-5

गतान्क से आगे...........................

......

वो गोशी थी जो अपनी माँ को रंडी की तरह चुद्ते हुए देख रही थी...उसकी हर्कतो से वो वाक़िफ़ जो थी...


कॉलेज के अगले दिन अजय (उमैर`स बेस्ट फरन्ड) अपने दोस्तों के साथ गपशप कर रहा था...अजय निहायती अल्हड़ किस्म का,शरारती और शैतान किस्म का लड़का था लड़कियों पर टोन्ट केरने मे इतना मज़ा वहाँ शायद ही किसी लड़के को आता था अजय को वलजर टॉक और लड़कियों के मज़े लेने का बेहद शौक था...अब तक 2 लड़कियों की ले चुका था........अचानक आवाज़ आती हैं...अजय अजी..

वो सपना थी..कॉलेज में चाल चलन कुछ ठीक नहीं था उसका..

अजय:-जी फरमाइए कैसे याद करा आपने मुझे..?????


सपना:-उम्म्म...कुछ नहीं ये बुक उमैर तक पहुचा दोगे या मे किसी और को दे दूं..?

अजय:- अर्रे मेडम जो चाहें करवाए बंदा तो यहाँ आप ही के लिए हैं..(मस्का लगाते हुए)

सपना:-अच्छा ...तो जो कहूँगी करोगे...?

अजय:- हां किस करने को बोलोगि या कुछ और करने को बोलोगि तो कर दूँगा,....बट कहीं आ जा नहीं सकता ....?

बोलो कहीं जाने को तो नहीं बोलॉगी..

सपना:-अच्छा बेटू....किस लेने देने की बात नहीं हुई है...मेरे पास मूवी के टिकेट्स हैं ...सारी फरन्डस के पार्ट्नर्स हैं मेरा नहीं है...बोलो चलोगे..कल का शो हैं...रात 9 टू 12 ......?जल्दी बोलो.

अजय तो जैसे सुनकर ही खुश...हा हाआँ क्यूँ नहीं....तुम बुलाओ और मे नहीं आऊ....आ जाउन्गा...


खुश होकेर वहाँ से चली जाती हैं....

वहाँ दूसरी तरफ फ़िज़ा बेचेन होकेर अपनी फ्रेंड्स के साथ बैठ कर उमैर के बारे में सोच ही रही थी..कि कैसे अपने दिल की बात वो उमैर को बतायें.....


सामने संमीर को आते देख वो भागकेर उमैर के पास जाती हैं...भागते भागते 2 3 सीढ़ियों से उसे गुज़रना पड़ता है ज़ाहा बारिश का पानी गिरा होने से उसका पैर फिसल जाता है ...और ढ़ाचाक से फिसल कर वहीं सीढ़ी पर बैठ जाती हैं....


और अपनी गांद पर हाथ फेरने लगती हैं..इस बार उमैर भी ज़ोर ज़ोर से हस्ने लगता हैं उसके पास आकर"क्या बात है तुम हमेशा गिरती पड़ती रहती हो...और समहालना मुझे ही पड़ता है"ज़ोर से ठहाके लगाने लगता हैं...


फ़िज़ा:-मालूम नहीं सर मेरे ही साथ ऐसा क्यू होता है...?"गांद मलते हुए"


सर मुझे आपसे कुछ बात करनी हैं..

उमैर:-कहो क्या बात हैं..?

फ़िज़ा:-सर आज मेरा बर्थ`डे हैं//////

उमैर:-ओह्ह्ह्ह..............हॅपी बर्थडे ....मेनी मेनी हॅपी रिटर्न्स ऑफ दा डे..

फ़िज़ा:-अगर में आपसे कुछ माँगूँ तो आप देंगे..???

उमैर :-पहले वहाँ गार्डेन में चलो बैठ कर बातें केरते हैं.................

दोनो गार्डेन में जाकेर बैठ जाते हैं..


कॉलेज की सारी लड़कियाँ फ़िज़ा को उमैर के साथ देख कर बुरी तरह से जल जाती हैं............साली इसे केसे चान्स मिल गया उमैर के साथ बैठने का,,????


फ़िज़ा:-सर ....में कुछ कहना चाहती हूँ आपसे...

उमैर:-हां हां बोलो...क्या बात हैं..?नोट्स वगेरह तो नहीं चाहिए तुम्हे या दिलवा दूं जो माँगना चाहो माँग लो फ़िज़ा....

फ़िज़ा:-नो...सस्स सर आक्च्युयली...!!!!!!!


"आइ लव यू "

इतना कहकर वो खुद क चेहरे को हाथों से छुपा लेती हैं...
 
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