Desi Chudai Kahani कमसिन जवानी - Page 2 - SexBaba
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Desi Chudai Kahani कमसिन जवानी

उमैर सुन कर ही बोखला गया ..."क्या बोल रही हो फ़िज़ा??????"

फ़िज़ा:-सर आइ लव यू......"में आपसे बोहोत प्यार केरने लगी हूँ...जबसे देखा है आपको मुझे नींद ही नहीं आ रही है...और जबसे आपने मुझे फ्रेशेरएस पार्टी वाले दिन उठाया था ...में चैन से नहीं सो पा रही हूँ.ये प्यार है या कुछ और में नहीं ...बस इतना है के आआपको हमेशा अपने सामने देखना चाहती हूँ...आपसे हमेशा बातें करना चाहती हूँ....हर पल हर लम्हा में सिर्फ़ आप ही के बारे में सोचती हूँ...में क्या करूँ....प्ल्ज़ सर आप मेरा दिल मत तोड़िएगा...में आपसे प्रॉमिस नहीं लेना चाहती हूँ ....बस आपके साथ रहना चाहती हूँ ....और अगर कभी भी किसी के बारे मैं सोचूँगी किसी भी मर्द के बारे में तो सिर्फ़ वो आप ही होंगे..वरना में शादी नहीं करूँगी..."...


उमैर तुनक कर जवाब देता है"फ़िज़ा में किसी के साथ ऑलरेडी कोँमिटेड हूँ ..में तो किसी और के बारे में सोच भी नहीं सकता...वो लड़की ही मेरी ज़िंदगी है और उसी से शादी करूँगा...म सॉरी फ़िज़ा लेकिन में तुमसे किसी भी टाइप का कोई रीलेशन नहीं मेनटेन कर पाउन्गा ...आइ आम सॉरी............"


फ़िज़ा की भावनाओ को रौंद कर वो वहीं उसे छोड़केर उठकेर चला गया...और बेचारी फ़िज़ा 2 मिनट तक ऐसे ही देखते रही जब तक उसकी आँखों से वो ओझल नहीं हो गया....

बारिश होने लगी लेकिन गार्डेन में फ़िज़ा वहीं बैठी रही.............उसके आँसुओ को बारिश में शायद कोई नहीं पहचान सकता था...........वह टूट चुकी थी...........................



उमैर ने अजय को गोशी वाली और फ़िज़ा वाली सारी बात बताई...आख़िर वो उसका बेस्ट फ़्रेंड जो था ...उससे कुछ भी नहीं छुपाता था....

अजय ने कुछ नहीं कहा.....वह सिर्फ़ उसकी बातों को बड़े गौर से सुनता ही रहा....


अगले दिन शरारती अजय...करिज़्मा लेकेर 8:30 बजे सपना के घर से थोड़े ही दूर उसका इंतेज़ार कर रहा था...अजय बड़े बाप की औलाद था...

सपना:- आ गये तुम....करिज़्मा है तुम्हारे पास..?????

अजय:- हां ....है..तो क्या करोगी ..?(अकड़ते हुए)

सपना:-बड़ा अजीब सा नेचर हैं तुम्हारा कल लाइन मार रहे थे आज अकड़ क्यूँ दिखा रहे हो...

अजय:- बैताउन्गा अब ...या मुझे टिकेट्स दे दो में चला जाता हूँ...(इतराते हुए)

सपना मूह बनाकर उसके पीछे बैठ गई.....


गाड़ी चलते वक़्त बार बार ब्रेक लगाने के कारण सपना की चूचियाँ वहाँ अजय की पीठ पर दबी जा रही थी....

अजय मुस्कुरा कर"अब क्या धस ही जाओगी अंदर मेरे...थोड़ा पीछे हो जाओ ....आज मेरा उपास है..."और ज़ोर ज़ोर से ठहाके लगाने लगा...


सपना:में क्या करूँ क्यूँ ब्रेक लगा रहे हो बार बार.............


दोनो झगड़ते हैं और मंज़िल तक पोहोच जाते हैं.......


9 बजे का शो शुरू हुआ...अजय और सपना दोनो ही बड़े मज़े से मूवी देखने में लगे हुए थे....अजय के करीब बैठी सपना ने उपेर टॉप और नीचे घुटनो तक स्कर्ट पहेन रखी थी.....


सपना बड़े मज़े से पॉपकॉर्न खा रही थी...अजय भी चुप चाप बैठ कर अच्छे बच्चो की तरह मूवी देख रहा था...पीछे से निकलते हुए किसी का धक्का सपना की पीठ पे लगा और सारे पोप कॉर्न अजय की गोद मे जा गिरे.....अजय कुछ समझ पाता के सपना उसकी झांघों के उपेर से गिरे पॉपकोर्न्स को हटाने लगी...सो सॉरी यार...


सपना के हाथों का स्पर्श पाकर अजय के लंड ने अंगड़ाई ली और वह सपना को एक तक देखने लगा...सपना इस बात से बेख़बर थी...कि उसके हाथों ने अंजाने मे ही अजय के लंड को खड़ा कर दिया...चुप चाप फिर से मूवी देखने लग गयी....
 
अजय ने अपने दोनो हाथों को सीने पर बाँध लिया और चुप चाप मूवी देखने लगा...उसे एहसास हुआ के उंगलियाँ किसी मुलायम चीज़ से टकरा रही हैं....साइड से सपना की चुचियो पर उसकी उंगलिया टकरा रही थी..अजय को जैसे करेंट सा लग गया...लेकिन सपना ने कोई रिक्षन नहीं दिया,...


अजय ने थोड़ा और आगे हाथ किया तो सपना ने तब भी कुछ नहीं किया...अजय के हाथ में सपना की गोलाइयाँ आ चुकी थी कि अचानक सपना ने अजय के हाथ को पकड़ लिया...

अजय की तो जैसे फट ही गई कि अब सारी पब्लिक उसे धो डालेगी...उसने हाथ हटाने की भी कोशिश करी...लेकिन सपना उसके हाथों को वैसे ही पकड़े रही और वहीं हाथ को दबा दिया...

अजय ने आश्चर्या भरी निगाहों से सपना को देखा...इशारा उसके लिए काफ़ी था....


धीरे धीरे उसकी छातियों को उपेर से ही उमेथने लगा ..सपना को थोड़ा और अपनी तरफ झुका लिया ताकि और अच्छे से वो उसे प्यार कर सके....एक चुचि तो उसने सपना की इतने ज़ोर से दबा दी ..कि वो चिल्ला उठी..आआआवचह...अहह


सपना की फरन्ड:- क्या हुआ तुझे ...?

सपना:-कुछ नहीं वो शायद कीड़े ने काट लिया...अजय ने मुस्कुराते हुए सपना की तरफ आँख मारी और पुन: उसके निपल को मसल्ने लगा...


सपना:-कोई देख लेगा अजय ..पज़्ज़

अजय:-कोई नहीं देखेगा जान..बस तुम ऐसे ही बैठी रहो...चुप चाप..

अंधेरे में किसी को कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था...सब मूवी देखने में बुज़ी हो चुके थे...

अजय उसके टॉप के अंदर से हाथ डालता है साइड से और ब्रा के उपेर से उसकी एक चुचि को पकड़ के मसल्ने लगता है...सपना अपनी आवाज़ को मूह में क़ैद किए हुए ही ....आँखें मीच कर आंगे होने वाली घटना का स्मरण कर रही थी...


हाथ को पीछे ले जाकेर पीठ पर घूमता है...और उसका ब्रा का हुक खोल देता है...


सपना:-क्या कर रहे हो प्ल्ज़ कोई देख लेगा अजय./.................


लेकिन अजय को वो जानती कहाँ थी ...वो तो बस मन की करने वालों में से था...किसी की परवाह उसे कहाँ ?

उसकी उसकी बात को अनसुना कर दिया और आगे हाथ लेजा कर उसकी चूचियों की मालिश करने लगा...वहाँ सपना की चूत का बुरा हाल हो गया....उसकी पॅंटी चूत रस से पूरी तरह भीग चुकी थी.....


अजय:- कैसा लग रहा है सपना डार्लिंग...(कान में फुसफुसाते हुए)
 
सपना ने कोई जवाब नहीं दिया..

बारी बारी से वो वाहा निपल्स को बस मसल ही सकता था...लेकिन उन्हे मूह में लेकेर चूस नहीं सकता था....सपना ने अचानक उसका हाथ अपने स्कर्ट के उपेर रख दिया....

अजय:-क्या हुआ..?

सपना:- यहाँ कुछ करो ना???


अजय:-(कुछ ना समझते हुए)यहाँ..??क्या करते हैं यहाँ..क्या करूँ.(मुस्कुराते हुए )........


सपना:-अर्र्र्र्र्रररे य्ाआआआआर.....कुछ भी करो प्ल्ज़...कुछ हो रहा है मुझे वहाँ..

आख़िर अजय ने भी अपनी मासूमियत छ्चोड़ दी और स्कर्ट को झांघों तक उठा दिया और जांघों के उपेर सपना का बॅग रख दिया....ताकि रोशनी होने पर नंगी जांघों को कोई ना देख ले......................




जांगों के उपेर बॅग रख दिया और हाथ को स्कर्ट क कोने से अंदर ले गया....सपना तो जैसे सिहर ही उठी...वह खुद को कैसे रोक पा रही थी सिर्फ़ वही जानती थी...पॅंटी के उपेर हाथ फेरते फेरते अजय ने सपना के कानो में पूछा"कैसा लग रहा है डार्लिंग"

सपना:-आह...इसस्शह..कुछ मत पूछो..बोहोत मज़ा आ रहा है...हाथ को दबाओ ना थोड़ा और ज़ोर से..आ.सपना धीरे धीरे बोल रही थी...ताकि कोई सुन ना ले..

सपना ने अपनी स्कर्ट को अपनी गंद से भी हटा लिया अब वह नंगी गांद करके कुर्सी पर बैठी थी...ताकि उसकी स्कर्ट गीली ना हो जाए...और किसी को शक ना हो जाए

क्रमशः.............................
 
कमसिन जवानी-6

गतान्क से आगे...........................

......

अजय उसकी पॅंटी के साइड से हाथ ले जा कर चूत पर हाथ फेरने लगता है...उम्म्म्म घनी झांतो के बीच छ्होटी सी चूत उसे दीवाना बना रही थी...उम्म...."बाल साफ नहीं करती क्या..??"अजय ने पूछा..


सपना:-नहीं अभी तक तो नहीं करे..ह..एम्म्म

अजय ने अपनी दो उंगलियों से उसने चूत के होठों को फैलाया और चूत दाने को मसल्ने लगा..सपना तो जैसे जन्नत में ही पोचोच गयी..अजय को बोहोत मज़ा आ रहा था....और अजय धीरे धीरे चूत को मसल्ने लगता है....नर्म नर्म चूत से निकलने वाली गर्मी से अजय को एहसास हो रहा था के उसका हाथ किसी जलती भट्टी के अंदर डाल दिया हो...

सपना धीरे धीरे आहें भर रही थी........अजय अपनी बीच की उंगली उसके चीढ़ में घुसाने लगता है..

सपना:-अहह ...अजय प्ल्ज़्ज़ यहाँ नहीं...प्लज़्ज़्ज़....दर्द हो रहा है...


अजय :-चुप चाप बैठो वरना सबको पता चल जाएगा...अभी थोड़ा दर्द फिर तो मज़ा ही मज़ा है मेरी जान..इतना कह कर उसने उंगली चूत के छेद के अंदर कर दी.......

और धीरे धीरे अंदर बाहर करने लगा........सभी मूवी देखने मे मस्त थे और यहाँ इनकी काम प्रतिक्रिया चल रही थी....

अहनन्न..ष्ह


मुझे कुछ हो रहा है...आज अज्जे..

अजय ने उंगली अंदर बाहर करना और तेज़ कर दिया..अचानक सपना ने अपने बाए हाथ से अजय के हाथ को ज़ोर से पकड़ लिया वो पूरी अकड़ गई और तीन चार चम्मचछ चूत रस की फुहार ने अजय के हाथो को पूरा गीला कर डाला...गरम गरम चिपचिपे लावे से अजय का हाथ पूरा गीला हो गया

और वो ढीली पड़ गयी...अजय ने उंगली से ही सपना की चुदाई कर डाली थी..लेकिन वहाँ उसका लंड अपने उफान पर था.....वह पॅंट फाड़ कर बाहर आने के लिए मचला जा रहा था...

अजय ने सपना से इंटर्वल में ही कहीं बाहर चलने को कहा..आज वो उसे चोदे बिना नहीं मानने वाला था..

सपना से भी बर्दाश्त करना मुश्किल जो हो रहा था....क्यूकी सपना भी अजय क लंड का स्वाद चखना चाहती थी....

इंटर्वल होते ही सपना अपनी दोस्त से सिर दर्द का बहाना बना कर जाने का बोल देती है.....

सपना:-यार में घर जा रही हूँ अजय छ्चोड़ देगा मुझे घर तक.......

और अजय सपना दोनो ही सपना के रूम पर चले जाते हैं....


सपना किराए का रूम लेकर रहा करती थी...और उसके रूम पर लड़के लड़की सभी आते जाते थे...मकान मालिक को किसी के आने जाने से कोई आपत्ति नहीं थी..वो उपेर ही रहा करता था और नीचे सपना रूम में किराए से रहती थी...

रूम के अंदर जाते ही अजय ने सपना को ज़ोर से अपनी बाहों मे भीच लिया..........

सपना ने भी कोई कसर नहीं छोड़ी ...उसने उसके चेहरे को हल्का नीचे झुका कर अपने प्यासे होठों को अजय के होठों पर रखकर अपनी प्यास बुझाने लगी........


अजय उसके नर्म और मुलायम होठों को ज़ोर ज़ोर से चूसने लगा और अपनी जीभ उसके पूरे मूह में घुमाने लगा......

एक हाथ से अजय ने सपना की चूचियो को हाथ में पकड़ रखा था और उसे मसल रहा था ....

सपना की फिगर 38 थी....जिसे देख कर कोई भी पागल हो जाए..एक दम सुडौल ........अजय ने किस करते करते ही उसके टॉप को उपेर उठा कर ब्रा के उपेर से उसकी चूचिया मरोड़ने लगा...और एकदम से सपना को खुदसे अलग कर दिया...


सपना हड़बडकेर.."क्या हुआ ..रुक क्यूँ गये तुम"

अजय कुछ नहीं...."अपने कपड़े उतार"

सपना"तुम उतार दो ना"

अजय"मैने कहा टॉप उतार अपना"
 
सपना खुद ही टॉप उतारने लगी...और उसकी भारी चूचियाँ उपेर की और तन गयीं....ब्रा में खड़ी सपना एक दम गोरी चित्ति लग रही थी...उसके बूब्स तो जैसे भारी होने की वजह से ऐसे लग रहे थे जैसे टूट कर नीचे गिर जाएँगे..

सपना"लो उतार दिया"

अजय"चल स्कर्ट उतार अपनी"

अजय उसके सामने खड़ा उसे हुकुम देता जा रहा था और वो उसके हुक्म का पालन करती जा रही थी...

स्कर्ट उतारते ही सपना की भारी और गदराई जांघें अजय को दिखाई दे. गई ...अजय के मूह में पानी आ गया ..

सामने खड़ी 'कमसिन जवानी' स्वर्ग से उतरी हुई काम की देवी लग रही थी...काली ब्रा और काली पॅंटी..पॅंटी के सामने का कपड़ा ट्रॅन्स्परेंट था जिसमे से उसकी झांतो वाली चूत सॉफ सॉफ दिखाई दे रही थी....

सपना को ऐसा करने में शर्म नहीं आ रही रही लेकिन जब अजय ने उसे अपनी ब्रा उतारने के लिए कहा तो सपना शर्म से पानी पानी हो गई..

सपना"तुम ही उतार दो प्लस्स अजय ..अब में नहीं कर पाउन्गि.."

सुनकर अजय सपना के पास आता है और दोनो बूब्स को सामने से ही पकड़ लेता है और उसे मसल्ने लगता है...

सपना के मूह से कामुक सिसकारियाँ निकलने लगती है....

और एक हाथ को पीछे ले जाकर वह उसकी ब्रा के हुक को खोल कर उसके आमो को ब्रा की क़ैद से आज़ाद कर देता है.....बड़ी बड़ी भारी भारी चूचियाँ जैसे लटक कर अजय को अपने पास आने और चूस जाने के लिए लालायित करती हैं..

अजय ने बिना समय गवाए ही दोनो को अपनी मुठ्ठी में भर लिया चूचिया इतनी बड़ी थी कि अजय की मुट्ही से भी बाहर निकाल रहीं थी...अजय वहाँ पड़े सोफे पर जाकर बैठ गया और सपना को अपनी गोदी में दोनो तरफ पैर करके बैठा लिया..

और सपना की चूचिया अजय के मूह के सामने लटक रहीं थी..निप्पल्स तो जैसे फूल कर मोटे मोटे हो गये ...

अजय ने एक निपल अपने मूह मे ले लिया और ज़ोर ज़ोर से ऐसे चूसने लगा कि आज वो इनमे से रस निचोड़ कर इनके साइज़ को आज छोटा करके ही दम लेगा...कमरे मे निपल चूसे जाने की वजेह से चस पुच ....की आवाज़े आ रही थी दूसरे हाथ से दूसरा निपल को अपनी उंगली और अंगूठे से उमेथ रहा था..सपना इधर उधर अपने मूह घूमने लगी और फड़फड़ने लगी..............


सपना के मम्मे एक हाथ से दबे जा रहे थे और दूसरी तरफ चूस रहे थे....सपना की चूत फिर से गीली हो चुकी थी....निपल को चूसने में मग्न अजय की शर्ट के बटन्स को वह सामने से पूरा खोल देती है और उसकी छाती पर हाथ फेरने लगती है....

अजय सपना की चूचियो को छ्चोड़ कर उसे खड़ा कर देता है ...अपनी शर्ट और पॅंट उतार कर फिर वैसे ही सोफे पर बैठ कर सपना को अपनी गोद में वैसे ही दोनो तरफ पैर करके बैठा लेता है...अजय पुन: उसके मम्मो को दबाने चूसने और काटने में लग जाता है...सपना भी दोनो हाथों से उसके सिर को अपनी चूची मे घुसा देना चाहती थी....

सपना की चूत पानी छ्चोड़ रही थी..ट्रॅन्स्परेंट पनती से निकलता हुआ चूत रस अजय की जांघों पर बहने लगा...और अजय को जांघों पर गरम गरम पदार्थ का अनुभव हो रहा था ..वो समझ गया कि सपना तय्यार हो चुकी है...एक हाथ को उसके सपना की गांद पर ले जाकर पॅंटी नीचे करने में लग गया और पॅंटी को उतार दिया ...उसी हाथ से धीरे धीरे सपना की चूत को उंगली करने में लग गया...दूसरा हाथ की एक उंगली से सपना की नाभि की चारो और गोल गोल घुमा रहा था और अपना मूह उसकी दोनो भारी भारी चूचियों पर रगड़ रहा था..

सपना तो जैसे स्वर्गलोक मे जा पहुँची थी....इतना मज़ा उसे कभी नहीं आया था...सपना ने भी अजय के अंडर वेअर से लंड को बाहर खीच लिया...अजय का 9 " लंड देख कर पहले तो सपना की चीख ही निकल गई अजय भी उसकी चीख सुन कर थोड़ा घबरा गया..
 
अजय:-क्या हुआ ..चिल्लाई क्यूँ?कभी देखा नहीं क्या..

सपना:-इतना बड़ा भी होता है क्या किसी का..

अजय मुस्कुराते हुए"हां और आज इसी से तुम्हारी खोल खोल कर मारूँगा मेरी जान देखना बोहोत मज़े लोगि और चिल्लाओगी कि और पेलो और पेलो.."

सपना लंड को देख कर घबरा गई थी..आख़िर लंड को जी भर कर देखना कुँवारियों के बस की बात नहीं होती...

अजय उसकी प्रतिक्रिया को देखकेर उसे अपनी गोद में उठाकर बेड पर सीधा लेटा देता है...

और उसकी जांघों के समीप आकर बैठ जाता है...दो उंगलियो से चूत को फैलाता है..गुलाबी गुलाबी आंतरिक चूत दिखाई देने लगती है...फूली हुई चूत के अंदर सबसे उपेर छोटा सा दाना जिसे क्लिटॉरिस कहते हैं और उसने नीचे मूत्र द्वार और उसके नीचे स्वर्ग दार जहाँ हर मर्द अपने लंड को पेल पेल कर संतुष्टि प्राप्त करता है....और जहाँ से संसार की सृष्टि मे जीव जगत का निर्माण हुआ था यही थी वह गुहा...


सपना का छेद बोहोत छोटा था...9"लंड अंदर जाना आसान काम नहीं था..अजय से रहा नहीं गया और उसने अपने होठों पर जीभ फिराकर उसे गीला केरके होठों को चूत दाने पर रख दिया और उसे चाटने लगा ...सपना की आँखे बंद थी...पूरा शरीर कपकपा रहा था...और अजय उस छोटे से दाने को धीरे धीरे चूसने लगता हैं..कभी अपनी जीभ को उसकी क्लिटॉरिस पर फिरा रहा था तो कभी जीभसे ही चूत चोद रहा था...सपना चरम सुख पर आकर फिर अकड़ गई और अपनी चूचियों को मसल्ते मसल्ते ढीली पड़ गई....


अजय के लंड का बुरा हाल हो रहा था ...वो स्वयं ही लंड के सूपदे को अपने हाथों से मरोड़ रहा था..आख़िर बेचारा 1 घंटे से बर्दाश्त कर रहा था..अचानक सपना ने अजय के हाथों को हटाया और लंड अपने हाथों में ले लिया

अजय:क्यूँ तुम्हे तो..ह डर लग रहा था ना //?

सपना ने बिना कुछ कहे अजय को बिस्तर पर धक्का देके लिटा दिया और लंड को भूखी शेरनी की तरह देखने लगी...

सबसे पहले लंड की जड़ से सूपदे तक अपनी उंगलियों से निहारती रही..और फिर अपने मूह का 'ओ' शेप बनाकर उसे मूह में लेने का प्रयास करने लगी...अजय को उसके मूह की गर्मी मिलने और लंड का गीला हो जाने से स्वर्ग मे पहुचने का एहसास हो रहा था...सूपदे पर धीरे धीरे अपने नर्म होठों से दबाव बना रही थी...लंड को मूह के अंदर ऐसे ले रही थी जैसे छोटा बच्चा बार बार अपनी फेव आइस्क्रीम को चूस चूस कर मज़े लेता है...

लंड फूल कर इतना मोटा हो गया कि सपना का मूह छोटा पड़ गया .अजय ने बिना समय गवाए ही सपना को लंड से हटाया और नीचे बेड पर लेटा कर खुद उसके उपेर आ गया.......


सपना की चूत को दोनो उंगलियों से खोल कर अपने लंड के सूपदे को चूत द्वार पर रखा और धीरे धीरे रगड़ने लगा...सपना ने आगे होने वेल दर्द का स्मरण करके ही दोनो हाथो को अपनी आखों के सामने कर लिया...अजय ने उसके हाथों को चेहरे से हटा दिया और अपने होठों को उसके होठों पर रख दिया ताकि चीख मकान मालिक ना सुन ले...

और धीरे धीरे सूपदे का दबाव चूत छेद पर बनाने मे लग गया....लंड को एक धक्का मारा और सपना की आँखें बाहर की तरफ निकल आईं...और आखों से अश्रुधारा बहने लगी..उसकी चीख अजय के मूह के अंदर ही समा गई ...अजय ने लंड अंदर पेल दिया था..और धीरे धीरे चूचिया मसल्ने लगा और ज़ुबान को उसके मूह मे घुसा कर मूह चोदने लगा...थोड़ी देर बाद सपना ने भी गांद से उपेर की ओर धक्का दे मारा...

अजय ने बिना देर किए ही लंड आधा बाहर निकाल कर पुन: अंदर पेल दिया....सपना अब तय्यार हो चुकी थी...थोड़ा ही दर्द बाकी रह गया था...

अपनी गंद को उचकाने का प्रयास कर रही थी/...अजय लंड धीरे धीरे अंदर बाहर करने लगा..ह अहह आहह आहह स्सहि..की आवाज़ें पूरे कमरे मे गूँज रहीं थीं....अजय भी मर्दानगी के जोश पर आ चुका था...वाहा सपना 3 बार झाड़ चुकी थी...और मारे उत्तेजना के आँखों से पानी बहा जा रह था...अजय पागलों की तरह स्ट्रोक पे स्ट्रोक लगाए जा रहा था..."सपना आअज तो फ़ाआद दूँगा तेरी..."

सपना"फाड़ दे अजेयी...चूत आज सिर्फ़ तेरी है..अहह और पेल अंदर घुसा ना..अहह और आ अजय प्लस्स और आहह बस आह ...मेरी चू चुतटत्त......अहह"

आख़िरी धक्का लगाकर अजय ने अपना लावा वहीं उसकी चूत में धकेल दिया और लस्ट होकर उसके उपर ही गिर गया...पिचकारिया निकाल ते जा रही थी इसके साथ ही अजय "आइ लव यू अहह सपना यू सो सेक्सी" बोले जा रहा था...


और ऐसे ही मदरजात नंगे पड़े रहे और कब इन दोनो की नींद लग गयी पता ही नहीं चला..........................

क्रमशः.............................
 
कमसिन जवानी-7

गतान्क से आगे...........................

......

शाम को 5 बज चुके थे...अजय और सपना दोनो घोड़े बेचकर सो रहे थे...सपना की नींद खुलती है तो वह खुद को पूरी नंगी अजय की बाहों में पाती है,,..अजय का एक हाथ सपना की दाई चूची पर था...और सपना भी उसके तरफ करवट लेकेर उसके सीने से लगी हुई लेटी थी...वह उठती है और अजय के होठों को अपने मूह मे ले लेती हैं...अजय के होठ चूसे जाने के कारण उसकी नींद खुल जाती है और एक टक उसे देखने लगता है...

सपना:-(अंगड़ाई लेते हुए)

उआआआह्ह्ह ...जान कल रात को तो तुमने जान ही निकाल दी थी मेरी ..लेकिन बोहोत मज़ा आया...कैसे चोदे जा रहे थे..देखना पड़ेगा ..मेरी फट तो नहीं गई..(मुस्कुराते हुए )

अजय फिर भी उसे देखता रहा बिल्कुल एक टक होकर ..सपना उसके सीने पर अपने हाथ घुमाने लगती है..अजय उसे धक्का बेड पर देता है और खुद उठ कर खड़ा हो जाता है..

अजय:-ओयय जा रहा हूँ..

सपना:-(हड़बडकेर)कल तो बोहोत मज़े से चुदाई कर रहे थे अचानक जाने क्यूँ लगे??

अजय:-तो क्या तेरी चूत मे अपना लंड ही घुसाए रहू 24 घंटे,,??

सपना को ऐसे उत्तर की उम्मीद नहीं थी...वो भी अजय के नेचर को अब समझ गई थी..


अजय को दीन दुनिया की मस्ती से ही फ़ुर्सत नहीं थी खुद में ही खुश रहना तो कोई उसी से सीखे...वो लाइफ को एंजाय करने में यकीन रखता था...

....................


वहाँ कलसूम मॅम और सिन्हा सर दोनो नज़ायज़ संबंध में बँधे ऐसे धंढेख़ोर थे जो कॉलेज के लड़को को उनके शौक पूरे करने का लालच देकर या फिर उन्हे भारी रकम देकर असंतुष्ट औरतों या आँटिओ की प्यास बुझाने के लिए सप्लाइ करते थे,....


लड़के कॉलेज के ही रहा केरते थे जिन्हे पहले कलसूम मॅम फसाया करती थी...और फिर उनको पैसे और अन्या शौको का लालच देकर उन्हे ग़लत राह पर जाने को प्रेरित करती थी या यूँ माने लड़के सप्लाइ करती थी..........

उमैर को फसाना मात्र ही उसका मुख्य उद्देश्य था..ये काम उस जैसी चुदी चुदाई आंटी के लिए करना आसान काम नहीं था इसलिए अपनी लड़की को मुंबई से बुलाया था...और उमैर गोशी की हवस का शिकार हो चुका था...

अगले दिन...!!!


गोशी और उमैर कॉलेज में टेहल रहे थे...गोशी उमैर से मिलने के लिए कॉलेज आती जाती रहती थी..उन्हे देखकेर अजय वहाँ आ गया ...


अजय:-अर्रे भाई..और आप भी हैं..कैसी हैं गोशी जी..?(मुस्कुराकर)

गोशी:-अच्छी हूँ तुम कॉन हो वैसे????????

उमैर दोनो का परिचय करवाता हैं...

उमैर:-गोशी ही`इज माइ बेस्ट फरन्ड जान से भी प्यारा दोस्त हैं..और अजय ये गोशी ...(धीरे से) "तेरी भाभी"...

अजय गोशी की रेस्पॅक्ट करता था आख़िर वो उसके दोस्त की अमानत थी..

परिचय होने के बाद उमैर गोशी दोनो जाने लगते हैं..

उमैर:-चल भाई शाम को मिलते हैं....कोचैंग में

जाते जाते गोशी अजय से हाथ मिलकर बाइ कहती है और अपनी बीच की उंगली से अजय की हथेली को खुजा देती हैं...
 
अजय इन मामलों में नंबर 1 का कुत्ता था...सब जानता था...

और वो हड़बड़ा गया कि ये गोशी आख़िर ऐसी लड़की हैं..???????????चुप चाप वहाँ से चला जाता हैं...

वहाँ दूर से बैठी हुई फ़िज़ा अपने प्यार को किसी और की बाहों में देखकर जल रही थी कुध रही थी..

उमैर तो जैसे गोशी और सिर्फ़ गोशी के लिए ही बना था वो ऐसा ही सोचा करता था...

अजय को कलसूम मॅम के बारे में शक था अब वो समझ चुका था कि माँ बेटी दोनो ही रंडी हैं...

शाम को उमैर को उसने सारी बातें बताई कि"यार उमैर गोशी अच्छी लड़की नहीं हैं...उसने आज मेरी उंगली से खुज़ाया कल चुदवायेगि भाई छ्चोड़ दे ....इससे अच्छी तो वो फ़िज़ा है..मासूम सी"

सुनकर ही उमैर का मूह कलेजे को आने को हुआ और अपने प्यार के बारे में इतने गंदे क्मन्ट्स सुनकेर वह अजय से भी मूह मॉड्कर चला गया....


अजय को अंदेशा हो था कि उमैर अब बर्बाद होने वाला है...और बर्बादी का कारण गोशी और उसकी रंडी माँ कलसूम ही होंगी...


...............


कलसूम मॅम को बेटी की चुदाई का मालूम था ...घर पर कलसूम मॅम बेटी के साथ बात करते हुए"हाअए मेरी लाडो तूने तो सच्ची उमैर का लंड ले लिया ..अर्रे मेरा भी तो कुच्छ करवा दे(चूत खुजाते हुए)..

मेरी भी बेड़ा पार करवा दे तू बता रही थी कि उसका 8" है...मेरी तो जनम जनम की प्यास मिटा देगा री वो तो...ही फाड़ देना मेर्र्ररी भी कैसी औलाद है तू मा की तड़प भी तो देख...खुद की ही खुजली मिटाएँगी क्या...गोशी बोली"ह्म्म तुम्हे भी चुदवाना है तो जल्दी बताओ ये खेल मुझे भी ख़तम करना है...अब में उससे बोर हो गई हूँ...चुदवालो जितना चुदावाना है ....और करो जल्दी उसका जो करना है..प्ल्ज़्ज़"नॉवव म फ्रस्टरेटेड टू हिम..


दोनो मा बेटी मिलकर उसे कल घर पर बुलाने का प्लान बनाते हैं..और यहीं से उमैर की ज़िंदगी बर्बादी के मोड़ पर आ खड़ी होती है...........


गोशी:-आ रहे हो ना जान आज घर पर..?बोहोत याद आ रही थी तुम्हारी...

उमैर:-ह्म्म आ रहा हूँ....बस 10 मिनट और रूको जान रास्ते मे ही हूँ अभी...मुआहह

उमैर घर आता है और दरवाज़े को खुला पाता है..

उमैर"अर्रे गोशी घर पर है तो ये दरवाज़ा क्यूँ खुला हुआ है...आख़िर क्या कर रही है गोशी और चील्ल्ल्लता हुआ जाता है..'गोशी गोशी कहाँ हो जान'...

कहीं से कोई आवाज़ नहीं आती और वह गोशी क रूम मे चला गया ..बाथरूम मे कोई नहा रहा था..

उमैर"ओह्ह्ह्ह तो जानेमन नहा रहीं हैं..ओके आइ एम वेटिंग"

उमैर बिस्तेर पर आकर लेट जाता है..और आँखों को बंद करके गोशी और सिर्फ़ गोशी के बारे मे सोच ही रहा था कि बाथरूम का दरवाज़ा खुला..उमैर की आँखे अब भी बंद थी वह सोने का नाटक जो कर रहा था..सोच रहा था कि अब गोशी आएगी और उसे प्यार करेगी...

ठंडे ठंडे हाथों को वह उमैर के होठों से लेकेर पूरे चेहरे पर रगड़ रही थी..और गीले बालों से उमैर का चेहरा पूरा ढक गया..

उमैर की शर्ट के बटन खुल चुके थे और एक हाथ से उसके पॅंट के उपेर हाथ घुमा रही थी..


उमैर को मालूम था कि वो उसकी जान गोशी ही हैं...

नीचे झुक कर वो उमैर का लंड पॅंट से निकाल कर अपने मूह में ही ले लेती हैं और चूसने लगती है..उमैर"आह हह ध.धीरे आह..जानू लव यू...आह "और ज़ोर ज़ोर से उसके मूह में धक्के मारने लगता है.....


सूपदे के छेद पर ज़ुबान फिरा फिरा कर उसने उमैर को इतना उत्तेजित कर दिया कर उमैर को उसके मूह में ही अपना माल गिराना पड़ा..और उमैर ने पिचकारिया उसके मूह मे छोड़ दी....सारा माल गाटा गट उसके मूह में पोहोच गया......उमैर की आँखे अब भी बंद थी.......और वो उसके बाजू में आकर नंगी ही लेट गई ...उमैर ने एक हाथ से उसकी चूची को टटोलकर अपने हाथों में ले लिया...उसे एहसास होता है कि गोशी की चूची तो छ्होटी छ्होटी हैं मेच्यूर नहीं हैं उसके हाथों द्वारा पकड़ी गयी चूची बड़ी बड़ी और भारी थी...निपल्स भी बोहोत मोटे मोटे थे..और उमैर ने अपनी आखे खोल दी...सामने का नज़ारा देखकेर ही गश खा जाता हैं...जैसे उसकी आँखे फट कर बाहर ही आने वाली थी..


सामने उसकी खुद की ही टीचर और वो भी पूरी नंगी हालत में बैठी हुई कलसूम मॅम थी..हिन्दी की टीचर....

उमैर"एम्म मम्म ..आ आआआप................"गोशी कहाँ हैं???????इम सॉरी मॅम रियली सॉरी..प्ल्स..

कलसूम ने उमैर को वैसे ही लेटा दिया और मुरझाए लंड को अपने हाथों में ले लिया.....


कलसूम उमैर के मुरझाए हुए लंड को पकड़ लेती है जैसे आज इससे चुदवाये बिना लंड को छ्चोड़ेगी ही नहीं...

कलसूम:-"अर्ररे मेरे राजा, मेरे लाल, मेरे मुन्ना गोशी को भी चोद लेना पहले मेरी चूत की खुजली तो मिटा दे मेरे बेटे.."कलसूम मेडम की ज़ुबान से ऐसे शब्द सुन कर उमैर हक्का बक्का रह गया था..."एम्म मेडम..देखिए म सॉरी प्लस्स आप मेरी मा जितनी है और मेरी टीचर भी..आप हट जाइए में जा रहा हूँ..प्लस्सस..."उमैर बेचारा कलसूम से लंड छुड़ाने की कोशिश में लगा हुआ था...

कलसूम:-"अर्ररे ऐसे कैसे मेरे लाल ये लंड मुझे ऐसे नंगा छ्चोड़ कर कहीं नहीं जा सकता /...चोद देना राजा क्या जाएगा तेरा मेरा बेटा ..मेडम को गुरु दक्षिणा ही देदे...आह (चूत पर हाथ फिराते हुए)वरना तू सोच ले बुरा होगा तेरे साथ...में गोशी को बता दूँगी कि तूने कैसे अभी मेरे साथ लंड चुसाई केरवाई फिर वो हमेशा के लिए तुझे छ्चोड़ देगी आ..आहह हाईए बुझा देना मेरी प्यास मेरे लाअल...( लंड मरोदते हुए)"उमैर मेडम की बात सुनकेर हैरान था..कैसे कॉलेज में गुरु शिष्य का पाठ पढ़ा रही थी..और आज मेरे सामने मादरजात नंगी होकेर चूत और लंड की बातें कर रही है....
 
उमैर गोशी को खोना नहीं चाहता था..उमैर बोला"ठीक है लेकिन ये अब कभी गोशी को मत बताना जो चाहोगी कर दूँगा..."कलसूम तो जैसे उसकी बातें सुनकेर ही लाअर टपकाने लगी ... लंड की आगे की खाल को पीछे करने लगी और सूपड़ा अपनी घूँगट की चादर के खुलते ही बाहर आ गया...और कलसूम उसे बड़ी बेदर्दी से चूसने लगती है..कब से इसी लंड का स्वाद चखना चाहती थी..उमैर का पूरा 8" खड़ा हो जाता है और मारे उत्तेजना के वह भी कलसूम की दोनो चूचियों को बारी बारी से मसल्ने लगता है...

कमरे में कामुक आवाज़ें गूँजे जा रहीं थी...कलसूम लंड को चूस लेने क बाद उमैर को खुद के उपेर कर लेती है.."हयी रज्जा देख तो ज़रा चूत कैसे फदक रही है ..प्यास बुझा दे रे मेरे लाल..हाई..आज तो पेल पेल कर चोद मुझे ...घुसेड घुसेड कर छोड़ दे और पूरी फाड़ दे.."उमैर बेचारा उसकी चूत को कैसे फाड़ पाता जो पहले से ही फटी फटाई थी...

कलसूम उमैर के सामने अपनी टांगे उठा कर चूत को उसके मूह के सामने ले आती है"हाए देख ज़रा खुजली बढ़ रही है मेरी कुछ कर दे र्र्र्र्र्रररे"...और उमैर के सामने ही अपनी मोटी फांको वाली चूत को उसके मूह के सामने खोल देती है दोनो हाथों से और अंदर का गुलाबी हिस्सा उमैर के सामने आ जाता है..उमैर उसके चूत की मोटी मोटी फाकों पर जीभ फिरा फिरा कर और गीला कर देता है...और चूत के छेद में ज़ुबान अंदर बाहर करने लग जाता है...कलसूम "अहह और अंदर कर दे रे आहह उंगली से भी तो कर मेरे मुन्ना आआअहह ....कर दे रे"आख़िर 22 साल का नौजवान उस अधेड़ को पूरी मर्दानगी के साथ काम सुख देने में लगा हुआ था..

उमैर चूत के अंदर थोड़े देर तक अंगुल अंदर बाहर करने के बाद कलसूम के उपेर आकर उसकी बड़ी बड़ी चूचियों को हाथों में भर लेता है...एक हाथ से चूचियों का रस निकालने में लग जाता है और दूसरे से निपल्स तोड़ने लगता है..

लंड का सुपाड़ा चूत के बड़े छेद पर रखकर एक धक्का उमैर ने दिया और सरसराता हुआ पूरा 8" लंड अंदर जाकर कलसूम की बच्चेड़ानी से जा टकराया,..उमैर ने चूचियों को मसल्ते हुए ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाने शुरू कर दिए थे..वहाँ कलसूम "आहह ...अर्र्र्र्रररे हरंखोर्र और ज़ोर से मेरे लाल..अहह और पेल ..जितना चाहे चोद फाड़ दे आअज तो मेरी ...चाहे मुझे टाँके ही क्यूँ ना लगवाने पड़ें.अहह सा उमैर और ज़ोर से और ज़ोर से..अहह"कलसूम तो स्वारग्लोक की सैर कर रही थी...उमैर उसके मूह से गालियाँ सुनकर ही दंग था लेकिन अभी तो उसे काम ख़तम करना था..

...थोड़ी देर के बाद कलसूम ने उमैर को उठाया और उमैर के सामने कुतिया बनकर झुक गई.."ले जल्दी कर यहाँ कॉन घुसेडेगा तेरा बाप आएगा क्या..कर जल्दी उमैर पीछे से छेद में लंड अंदर बाहर कर देता है..बेचारा करता भी क्या..उसे क्या मालूम था जिस लड़की से इतना प्यार करता है उसकी मा छिनालो को भी मात दे सकती है..उमैर आगे हाथ कर चूचियों को मसल रहा था और यहा स्ट्रोक पर स्ट्रोक लग रहे थे ...कलसूम से बर्दाश्त के बाहर हुआ और वो ओन्धे होकर ही झुक गई उमैर का काम बाकी था ...धक्को की स्पीड तेज़ हो गई और वीर्य की पिचकारिया एक के बाद एक एक करके निकलती गई और उमैर ज़ोर ज़ोर से कलसूम के निपल्स को नोचने लगा ...और पीछे से पीठ पर लद गया वैसे ही दोनो पड़े रहे.....

1 घंटा बीत जाने के बाद उमैर वापस जाने की गुहार करता है.."मॅम ..!!!मैं जा रहा हूँ.."उमैर को किसी खौफनाक घटना का अंदेशा होने लगा था..

कलसूम अर्रे एक बार चोद दे मेरे लाल फिर चले जाना..बेचारा उमैर फिर से उस रंडी की प्यास बुझाता है.."मममम..और कितना कर्वओगि ..?"आख़िर बर्दाश्त की भी हद थी उमैर उसकी फटी फटाई चूत को कब तक चोद्ता बेचारा चोद चोद कर हाल उसका खराब हो चुका था...आख़िरी चुदाई 7वी थी...और कलसूम की प्यास बुझ गई.."हाआँ मेरे लाल जा चले जाआ"

उमैर की खुशी का ठिकाना नहीं था..उठकेर कपड़े पहनते हुए वो बाहर जाता है...और दरवाज़े की और हाथ बढ़ता है ही है के पास वाले कमरे से किसी के आहें भरने की आवाज़ आ रही और उमैर वहीं रुक कर आवाज़ को पहचानने की कोशिश करने लगता है.....
 
वहाँ अजय अपने ग्रूप के साथ बुंदेलखंड जाने की तय्यारी कर रहा था....कॉलेज के स्टूडेंट्स अजय ,हर्षा ,दीपाली और मानव घूमने के लिए बुंदेलखंड जा रहे थे..अजय अपने जिगरी दोस्त से जुदाई हो जाने से बोहोत मायूस था...उसने फरन्डस के साथ बाहर घूम कर आने से मूड ठीक़ करने का प्लान बनाया...


दीपाली और मानव प्रेमी , प्रेमिका थे..लेकिन हर्षा को अजय अपनी बहेन के रूप में देखा करता था..वे सभी लोग बुंदेलखंड के किसी गाओ में घूमने का प्लान बना रहे थे..चूँकि वहाँ मानव के परदादा की पुरानी ज़मीन थी और वही पर घर भी था जहाँ कोई नही रहता था सिर्फ़ शेरसिंघ के अलावा ...शेरसिंघ दादाजी की खेती समहालता था और वहीं उनके मकान में किराए से रहा करता था..अजय अपने दोस्तों के साथ उमैर को बाहर जाने का बता कर चला गया...

लेकिन उसे नहीं मालूम था कि ये वही समय था जहाँ उमैर की ज़िंदगी में उसे अजय की सबसे ज़्यादा ज़रूरत थी.....

क्रमशः.............................
 
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