hotaks444
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फूफा: "इतनी सी बात बोलने के लिए इतना वक़्त लगाया"
चाची: "आपके लिए इतनी सी बात होगी...पता है मे कितना डर गयी थी, अगर उस दिन कोई देख लेता तो?
फूफा: "अर्रे उस भीड़ मे कॉन देखता"
चाची: "फिर भी..पता है राज वही खड़ा था"
फूफा: "अच्छा एक बात बताओ क्या तुम्हे वो सब ज़रा भी अच्छा नही लगा?"
चाची: "नही..मुझे अच्छा नही लगा..ये सब मेरे साथ पहली बार हुआ है"
फूफा: "शायद पहली बार था इसीलये तुम्हे अच्छा नही लगा वरना औरते तो ऐसे मौके की तलाश मे रहती है"
चाची: "अच्छा अब तो हाथ निकालिए"
फूफा: "कोमल जी तुम्हारी चूतर बड़ी प्यारी है"
चाची: "छी कैसी गंदी बाते कर रहे है आप"
फूफा: "गंदी बात..तो तुम्ही बता दो इसे क्या कहते है"
चाची: "मुझे नही पता"
फूफा "फिर तो मे हाथ नही निकालने वाला"
चाची: "राजेश कोई आ जाएगा"
फूफा: "अर्रे क्यूँ घबराती हो कोई नही आएगा"
चाची: "नही मुझे डर लग रहा है.. बच्चे देख लेंगे"
फूफा: "एक शरत पर तुम्हे मेरे थाइस पर मालिश करनी होगी"
चाची: "ठीक है कर देती हूँ"
फूफा ने फिर लुगी के अंदर हाथ डाल कर अपना अंडरवेर निकाल दिया, चाची की तो आँखे बड़ी हो गई, उन्हे कुछ समझ नही आ रहा था वो तुरंत बोली "अर्रे ये क्या कर रहे है आप"
फूफा: "कुछ नही..इसे निकालने से थोड़ा आराम हो जाएगा"
चाची: "तो मे मालिश कैसे करूँगी?"
फूफा: "क्यूँ तुम मेरे अंडरवेर की मालिश करने वाली हो"
चाची: "पर...!!!"
फूफा: "कुछ नही तुम मालिश सुरू करो"
चाची तो बुरी तरह से फँस गयी थी पर करती भी क्या और फिर चुप चाप जाँघो की मालिश करने लगी पर नज़र तो उनके खड़े लंड पर थी शायद चाची को भी इतने मोटे लंड को देखने मे मज़ा आ रहा था. मे समझ गया था आज कुछ ना कुछ तो होने वाला है. फूफा ने अपने पैरो को फैलाया जिस से उनकी लूँगी पैरो से हट कर नीचे आ गयी और खड़ा लंड साफ दिखने लगा. चाची ने अपना मूह घुमा लिया पर फूफा कहाँ रुकने वाले थे चाची की जाँघो पर हाथ फिराने लगे. चाची भी अब अपने रंग मे आ गयी थी वो बेझिझक फूफा के लंड को देख रही थी और मुस्कुरा रही थी.
चाची: "आपके लिए इतनी सी बात होगी...पता है मे कितना डर गयी थी, अगर उस दिन कोई देख लेता तो?
फूफा: "अर्रे उस भीड़ मे कॉन देखता"
चाची: "फिर भी..पता है राज वही खड़ा था"
फूफा: "अच्छा एक बात बताओ क्या तुम्हे वो सब ज़रा भी अच्छा नही लगा?"
चाची: "नही..मुझे अच्छा नही लगा..ये सब मेरे साथ पहली बार हुआ है"
फूफा: "शायद पहली बार था इसीलये तुम्हे अच्छा नही लगा वरना औरते तो ऐसे मौके की तलाश मे रहती है"
चाची: "अच्छा अब तो हाथ निकालिए"
फूफा: "कोमल जी तुम्हारी चूतर बड़ी प्यारी है"
चाची: "छी कैसी गंदी बाते कर रहे है आप"
फूफा: "गंदी बात..तो तुम्ही बता दो इसे क्या कहते है"
चाची: "मुझे नही पता"
फूफा "फिर तो मे हाथ नही निकालने वाला"
चाची: "राजेश कोई आ जाएगा"
फूफा: "अर्रे क्यूँ घबराती हो कोई नही आएगा"
चाची: "नही मुझे डर लग रहा है.. बच्चे देख लेंगे"
फूफा: "एक शरत पर तुम्हे मेरे थाइस पर मालिश करनी होगी"
चाची: "ठीक है कर देती हूँ"
फूफा ने फिर लुगी के अंदर हाथ डाल कर अपना अंडरवेर निकाल दिया, चाची की तो आँखे बड़ी हो गई, उन्हे कुछ समझ नही आ रहा था वो तुरंत बोली "अर्रे ये क्या कर रहे है आप"
फूफा: "कुछ नही..इसे निकालने से थोड़ा आराम हो जाएगा"
चाची: "तो मे मालिश कैसे करूँगी?"
फूफा: "क्यूँ तुम मेरे अंडरवेर की मालिश करने वाली हो"
चाची: "पर...!!!"
फूफा: "कुछ नही तुम मालिश सुरू करो"
चाची तो बुरी तरह से फँस गयी थी पर करती भी क्या और फिर चुप चाप जाँघो की मालिश करने लगी पर नज़र तो उनके खड़े लंड पर थी शायद चाची को भी इतने मोटे लंड को देखने मे मज़ा आ रहा था. मे समझ गया था आज कुछ ना कुछ तो होने वाला है. फूफा ने अपने पैरो को फैलाया जिस से उनकी लूँगी पैरो से हट कर नीचे आ गयी और खड़ा लंड साफ दिखने लगा. चाची ने अपना मूह घुमा लिया पर फूफा कहाँ रुकने वाले थे चाची की जाँघो पर हाथ फिराने लगे. चाची भी अब अपने रंग मे आ गयी थी वो बेझिझक फूफा के लंड को देख रही थी और मुस्कुरा रही थी.