desiaks
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पिछली कड़ी में आपलोगों ने पढ़ा कि अपने ऑफिस में अपने कम के सिलसिले में मुझे कई ऐसे क्लाइंट्स से पाला पड़ता था जिन्हें मेरी खूबसूरती मोह लेती थी और वे मेरे साथ हमबिस्तर होने की ख्वहिश रखते थे। अपने पेशे में सफलतापूर्वक आगे बढ़ने के लिए मैंने कई ऐसे क्लाईंट्स की मनोकामना को पूर्ण भी किया। इसकी शुरुआत एक क्लाईंट मेहता जी से हुई। उनके प्रोजेक्ट पर विचार विमर्श के लिए उन्हीं के होटल में मैं अकेली गई और नतीजा यह हुआ कि अब मैं नग्न अवस्था में उनके बिस्तर पर थी। अब आगे:-
“वाह मेहता जी क्या माल है। तेरी पसंद की दाद देता हूँ। कसम से मजा आएगा आज।” कहते हुए राधेश्याम जी ने मेरी पैंटी भी खींच ली। उत्तेजना के मारे मेरा बुरा हाल था लेकिन मैं ने बनावटी लज्जा से अपनी जांघें सटा लीं। राधेश्याम जी ने जबर्दस्ती मेरी जांघों को अलग किया और मेरी चिकनी फकफकाती और पनिया उठी योनी को देख कर मुस्कुरा उठा। “अहा, मेहता जी, इसकी चूत तो चुदने के लिए पहले से पानी छोड़ने लगी है। साली रंडी, झूठ मूठ के नखरे कर रही थी मां की लौड़ी।” राधेश्याम जी लार टपकाती आवाज में बोले। मेरी हालत बहुत बुरी थी। अपनी उत्तेजना को छिपाने की सारी कोशिशें बेकार हो गयी थीं। मेरी गीली योनी मेरी दशा की चुगली कर रही थी। इधर मेरे उन्नत उरोजों को भी अब तक मेहता जी ब्रा के बंधन से मुक्त कर चुके थे। अब मैं पूर्णतया नग्न हो चुकी थी। इधर ये दोनों कामुक भेड़िये भी अपने वस्त्रों से मुक्त हो चुके थे। गजब का नजारा था। जहां ठिंगने कद के मोटे ताजे, गोरे चिट्टे मेहता जी की जुबान से लार टपक रही थी वहीं उनका छ: इंच लंबा किंतु तीन इंच मोटा लिंग फनफना कर मेरी योनी में तहलका मचाने को बेताब लार टपका रहा था। उधर राधेश्याम जी तो ऐसा लग रहा था जैसे कोई कई दिनों का भूखा काला भुजंग दानव अपने स्वादिष्ट भोजन को अपने सम्मुख पा कर नोच डालने को बेताब हो। उनका काला मोटा ताजा किसी सुमो पहलवान की तरह विशाल तोंद वाला भयावह शरीर और सामने झूलते अपने 10″ लंबे और चार इंच मोटे टनटन करते लिंग का दर्शन करके मेरी तो घिग्घी बंध गई थी। बहुत बुरी फंसी थी मैं। हालांकि मैं इससे पहले मैं कई अलग अलग लोगों के साथ अकेले या सामुहिक रुप से संभोग का लुत्फ ले चुकी थी लेकिन इस समय इस तरह की परिस्थिति में मैं खुद को पहली बार पा रही थी जब अपने व्यवसाय से सम्बंधित मुलाकात में क्लाईंट्स की कुत्सित इच्छा की पूर्ति के लिए मुझे मजबूर होकर यह करना पड़ रहा था। अब जब बात यहां तक बढ़ चुकी थी तो खैर उन्हें तो अपनी मनमानी करनी ही थी, मैं तनिक आतंकित होते हुए भी खुद को अंदर ही अंदर तैयार कर रही थी, अपने साथ होने वाले इस वासनात्मक खेल के लिए। सशंकित भी थी कि पता नहीं वे किस तरह से मेरे शरीर का उपभोग करेंगे।
मेरी नग्न देह की छटा को वे कुछ पलों के लिए अपलक देखते रह गए। “वाह क्या माल है मेहता जी, इसकी चूची तो देखिए, कितनी बड़ी बड़ी, चिकनी और सख्त” अपने विशाल पंजों से मेरे उरोजों को दबाते हुए राधेश्याम जी बोले। “ठीक कहा, राधे, इसकी गांड़ जरा देखिए, इसके शरीर के अनुपात में इतनी मस्त चिकनी, बड़ी बड़ी और गोल गोल गांड़, वाह, सच में आज तो हमारी किस्मत खुल गई है। मैं तो इसकी गांड़ मारूंगा।” मेरे नितंब पर चपत लगाते हुए मेहता जी बोले।
“वाह मेहता जी क्या माल है। तेरी पसंद की दाद देता हूँ। कसम से मजा आएगा आज।” कहते हुए राधेश्याम जी ने मेरी पैंटी भी खींच ली। उत्तेजना के मारे मेरा बुरा हाल था लेकिन मैं ने बनावटी लज्जा से अपनी जांघें सटा लीं। राधेश्याम जी ने जबर्दस्ती मेरी जांघों को अलग किया और मेरी चिकनी फकफकाती और पनिया उठी योनी को देख कर मुस्कुरा उठा। “अहा, मेहता जी, इसकी चूत तो चुदने के लिए पहले से पानी छोड़ने लगी है। साली रंडी, झूठ मूठ के नखरे कर रही थी मां की लौड़ी।” राधेश्याम जी लार टपकाती आवाज में बोले। मेरी हालत बहुत बुरी थी। अपनी उत्तेजना को छिपाने की सारी कोशिशें बेकार हो गयी थीं। मेरी गीली योनी मेरी दशा की चुगली कर रही थी। इधर मेरे उन्नत उरोजों को भी अब तक मेहता जी ब्रा के बंधन से मुक्त कर चुके थे। अब मैं पूर्णतया नग्न हो चुकी थी। इधर ये दोनों कामुक भेड़िये भी अपने वस्त्रों से मुक्त हो चुके थे। गजब का नजारा था। जहां ठिंगने कद के मोटे ताजे, गोरे चिट्टे मेहता जी की जुबान से लार टपक रही थी वहीं उनका छ: इंच लंबा किंतु तीन इंच मोटा लिंग फनफना कर मेरी योनी में तहलका मचाने को बेताब लार टपका रहा था। उधर राधेश्याम जी तो ऐसा लग रहा था जैसे कोई कई दिनों का भूखा काला भुजंग दानव अपने स्वादिष्ट भोजन को अपने सम्मुख पा कर नोच डालने को बेताब हो। उनका काला मोटा ताजा किसी सुमो पहलवान की तरह विशाल तोंद वाला भयावह शरीर और सामने झूलते अपने 10″ लंबे और चार इंच मोटे टनटन करते लिंग का दर्शन करके मेरी तो घिग्घी बंध गई थी। बहुत बुरी फंसी थी मैं। हालांकि मैं इससे पहले मैं कई अलग अलग लोगों के साथ अकेले या सामुहिक रुप से संभोग का लुत्फ ले चुकी थी लेकिन इस समय इस तरह की परिस्थिति में मैं खुद को पहली बार पा रही थी जब अपने व्यवसाय से सम्बंधित मुलाकात में क्लाईंट्स की कुत्सित इच्छा की पूर्ति के लिए मुझे मजबूर होकर यह करना पड़ रहा था। अब जब बात यहां तक बढ़ चुकी थी तो खैर उन्हें तो अपनी मनमानी करनी ही थी, मैं तनिक आतंकित होते हुए भी खुद को अंदर ही अंदर तैयार कर रही थी, अपने साथ होने वाले इस वासनात्मक खेल के लिए। सशंकित भी थी कि पता नहीं वे किस तरह से मेरे शरीर का उपभोग करेंगे।
मेरी नग्न देह की छटा को वे कुछ पलों के लिए अपलक देखते रह गए। “वाह क्या माल है मेहता जी, इसकी चूची तो देखिए, कितनी बड़ी बड़ी, चिकनी और सख्त” अपने विशाल पंजों से मेरे उरोजों को दबाते हुए राधेश्याम जी बोले। “ठीक कहा, राधे, इसकी गांड़ जरा देखिए, इसके शरीर के अनुपात में इतनी मस्त चिकनी, बड़ी बड़ी और गोल गोल गांड़, वाह, सच में आज तो हमारी किस्मत खुल गई है। मैं तो इसकी गांड़ मारूंगा।” मेरे नितंब पर चपत लगाते हुए मेहता जी बोले।