desiaks
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“क्या? सबको? सबको मतलब?” मैं चौंक गयी।
“हम सबको पता है मैडम तेरे बारे में। सभी आ जाएंगे। खाली बोलने का देरी है।” कितनी आसानी से सलीम बोला।
“नहीं नहीं, ऐसे कैसे? कैसे होगा सब? साईट में काम तो होगा नहीं, सब के सब आ कर क्या करेंगे?” मैं घबराई।
“का करेंगे मतलब? वही करेंगे जिस काम के लिए आएंगे अऊर का।”
“त त त तो तुम्हारा मतलब……”
“हां हां, मेरा मतलब वही है जो तुम सोच रही है चोदाचोदी, और का?”
“नहीं नहीं, ऐसे में मत ही आओ।” मैं बोली। लेकिन एक गंदी सोच मेरे मन में सर उठाने लगी। क्यों न यह भी कर के देख लिया जाय? कितने मर्द होंगे? छ: कुली, जिनमें से एक कम उम्र का चिकना गांडू, तीन मिस्त्री तथा औरतों की तरह शरीर वाला सुपरवाइजर मुंडू, कुल मिला कर दस पुरुष। उनमें से दो नामर्दों को कम भी कर दिया जाय तो बचते हैं आठ। तो क्या मैं उन आठ पुरुषों को झेल पाऊंगी? शायद नहीं।
“ऐसा न बोलो मैडम।” बोदरा बोला।
“फिर कैसा बोलूं मै?”
“बुला ही लो ना, जब बात निकलिए गया है तो अब काहे का मना करना।” सलीम बोला।
“हट हरामी, मैं क्या कोई रंडी हूं?” मैं सलीम से छिटक कर अलग हो गयी।
“वईसे रंडी से कम तो हो नहीं, फिर भी, बताए दे रहे हैं, दू गो गांडू तो रहबे करेंगे, खोकोन अऊर मुंडू।”
“मुंडू सुपरवाइजर? वह भी गांडू है?” आश्चर्य तो नहीं हुआ सुनकर, फिर भी बोली मैं।
“हां, ऊ भी गांडू है। गांडू है तभी तो हम लोगों को रखा है काम में। काम तो होईए जाता है, काम के साथ साथ उसका गांड़ का भी काम हो जाता है।” रफीक मुस्कुराता हुआ बोला।
“अऊर साथ में बुरचोदी छमिया कांता तो हईए है। ऊ कम लंडखोर थोड़ी है। हम सबका लौड़ा खाती रहती है।” सलीम ने जोड़ा।
“और बाकी तीन रेजा?” मैं अब थोड़ी सहज थी।
“बाकी तीन रेजा में से एक सोमरी, उसका मरद मरियल, रेक्सा चलाता है। चुदवाती हमी लोगों से है।”
“और बाकी दो?” मैं बोली। अब मुझे उनकी बातों से मजा आ रहा था।
“बाकी दो, सुखमनी अऊर रूपा, ऊ दोनों को देखा नहीं तुमने? बड़ा बड़ा चूची अऊर बड़ा बड़ा गांड़। काली हैं तो का, चुदक्कड़ नंबर एक, इंजीनियर साहब का पसंद। हमलोग भी कभी कभी रगड़ लेते हैं ऊ लोग को। इंजीनियर साहब को पते नहीं है कि उसके लिए रिजर्व माल में भी हमलोग हाथ साफ कर लेते हैं।” सलीम फिर से मेरे नंगे बदन को बांहों में भर कर मेरी चूचियों को सहलाते हुए बोला। अब फिर रफीक और बोदरा भी मुझ से चिपक गये थे।
“आह्ह, छोड़ो मुझे। फिर से चालू हो गये तुम लोग? फिर से रगड़ने का इरादा है क्या? फिर से गरम कर दिया हरामी लोग। बस, अब टाईम नहीं है।” उनकी घेरेबंदी से अलग हो कर बोली। “समझ गयी, सब समझ गयी। मतलब यही कि तुम सब लोग कल यहां आने वाले हो। जितना सुनी, समझ गयी कि तुम सब लोग हरामी ठेकेदार के हरामी कामगार हो।” मैं मन ही मन सोचने लगी कि हरिया, करीम और रामलाल को किस बहाने से कल यहां से हटाऊँ ताकि कल यहां जो कुछ होने वाला है वह बेरोकटोक हो सके, बिना किसी व्यवधान के।
“हां, हम सब हरामी हैं और बिल्कुल आने वाले हैं कल यहां हम, लेकिन तुम्हारे यहां के ये तीन लोग?”
“इन तीनों को किसी तरह यहां से हटाऊंगी।” मैं बोली।
“तो पक्का? हम कल आ रहे हैं।” सलीम बोला।
“आओ, सब के सब आओ। मैदान खाली रखूंगी।”
“वाह, यह बात हुआ ना।” सबके सब एक स्वर में बोले और फिर से मुझे दबोच कर चूमने लगे। रफीक जहां मेरी चूचियां दबाने लगा था, वहीं बोदरा मेरी गांड़। मैं छिटक कर अलग हो गयी।
“छोड़ो मुझे हरामियों। गरम करके दुबारा चोदने का इरादा है क्या?” मैं बोली।
“हां, दे दे न, एक बार और चोदने।” सलीम कुत्ते की तरह लार टपकाती नजरों से मेरी नंगी देह को देखते हुए बोला।
“नहीं नहीं, अब कल, कल जितना चोदना है चोद लेना तुम लोग।” कहकर मैं अपने कपड़े पहनने लगी। मन मसोस कर सभी वहां से रुखसत हुए। मैं कल की योजना बनाने लगी।
आगे की कथा अगली कड़ी में। तबतक के लिए मुझे आज्ञा दीजिए।
“हम सबको पता है मैडम तेरे बारे में। सभी आ जाएंगे। खाली बोलने का देरी है।” कितनी आसानी से सलीम बोला।
“नहीं नहीं, ऐसे कैसे? कैसे होगा सब? साईट में काम तो होगा नहीं, सब के सब आ कर क्या करेंगे?” मैं घबराई।
“का करेंगे मतलब? वही करेंगे जिस काम के लिए आएंगे अऊर का।”
“त त त तो तुम्हारा मतलब……”
“हां हां, मेरा मतलब वही है जो तुम सोच रही है चोदाचोदी, और का?”
“नहीं नहीं, ऐसे में मत ही आओ।” मैं बोली। लेकिन एक गंदी सोच मेरे मन में सर उठाने लगी। क्यों न यह भी कर के देख लिया जाय? कितने मर्द होंगे? छ: कुली, जिनमें से एक कम उम्र का चिकना गांडू, तीन मिस्त्री तथा औरतों की तरह शरीर वाला सुपरवाइजर मुंडू, कुल मिला कर दस पुरुष। उनमें से दो नामर्दों को कम भी कर दिया जाय तो बचते हैं आठ। तो क्या मैं उन आठ पुरुषों को झेल पाऊंगी? शायद नहीं।
“ऐसा न बोलो मैडम।” बोदरा बोला।
“फिर कैसा बोलूं मै?”
“बुला ही लो ना, जब बात निकलिए गया है तो अब काहे का मना करना।” सलीम बोला।
“हट हरामी, मैं क्या कोई रंडी हूं?” मैं सलीम से छिटक कर अलग हो गयी।
“वईसे रंडी से कम तो हो नहीं, फिर भी, बताए दे रहे हैं, दू गो गांडू तो रहबे करेंगे, खोकोन अऊर मुंडू।”
“मुंडू सुपरवाइजर? वह भी गांडू है?” आश्चर्य तो नहीं हुआ सुनकर, फिर भी बोली मैं।
“हां, ऊ भी गांडू है। गांडू है तभी तो हम लोगों को रखा है काम में। काम तो होईए जाता है, काम के साथ साथ उसका गांड़ का भी काम हो जाता है।” रफीक मुस्कुराता हुआ बोला।
“अऊर साथ में बुरचोदी छमिया कांता तो हईए है। ऊ कम लंडखोर थोड़ी है। हम सबका लौड़ा खाती रहती है।” सलीम ने जोड़ा।
“और बाकी तीन रेजा?” मैं अब थोड़ी सहज थी।
“बाकी तीन रेजा में से एक सोमरी, उसका मरद मरियल, रेक्सा चलाता है। चुदवाती हमी लोगों से है।”
“और बाकी दो?” मैं बोली। अब मुझे उनकी बातों से मजा आ रहा था।
“बाकी दो, सुखमनी अऊर रूपा, ऊ दोनों को देखा नहीं तुमने? बड़ा बड़ा चूची अऊर बड़ा बड़ा गांड़। काली हैं तो का, चुदक्कड़ नंबर एक, इंजीनियर साहब का पसंद। हमलोग भी कभी कभी रगड़ लेते हैं ऊ लोग को। इंजीनियर साहब को पते नहीं है कि उसके लिए रिजर्व माल में भी हमलोग हाथ साफ कर लेते हैं।” सलीम फिर से मेरे नंगे बदन को बांहों में भर कर मेरी चूचियों को सहलाते हुए बोला। अब फिर रफीक और बोदरा भी मुझ से चिपक गये थे।
“आह्ह, छोड़ो मुझे। फिर से चालू हो गये तुम लोग? फिर से रगड़ने का इरादा है क्या? फिर से गरम कर दिया हरामी लोग। बस, अब टाईम नहीं है।” उनकी घेरेबंदी से अलग हो कर बोली। “समझ गयी, सब समझ गयी। मतलब यही कि तुम सब लोग कल यहां आने वाले हो। जितना सुनी, समझ गयी कि तुम सब लोग हरामी ठेकेदार के हरामी कामगार हो।” मैं मन ही मन सोचने लगी कि हरिया, करीम और रामलाल को किस बहाने से कल यहां से हटाऊँ ताकि कल यहां जो कुछ होने वाला है वह बेरोकटोक हो सके, बिना किसी व्यवधान के।
“हां, हम सब हरामी हैं और बिल्कुल आने वाले हैं कल यहां हम, लेकिन तुम्हारे यहां के ये तीन लोग?”
“इन तीनों को किसी तरह यहां से हटाऊंगी।” मैं बोली।
“तो पक्का? हम कल आ रहे हैं।” सलीम बोला।
“आओ, सब के सब आओ। मैदान खाली रखूंगी।”
“वाह, यह बात हुआ ना।” सबके सब एक स्वर में बोले और फिर से मुझे दबोच कर चूमने लगे। रफीक जहां मेरी चूचियां दबाने लगा था, वहीं बोदरा मेरी गांड़। मैं छिटक कर अलग हो गयी।
“छोड़ो मुझे हरामियों। गरम करके दुबारा चोदने का इरादा है क्या?” मैं बोली।
“हां, दे दे न, एक बार और चोदने।” सलीम कुत्ते की तरह लार टपकाती नजरों से मेरी नंगी देह को देखते हुए बोला।
“नहीं नहीं, अब कल, कल जितना चोदना है चोद लेना तुम लोग।” कहकर मैं अपने कपड़े पहनने लगी। मन मसोस कर सभी वहां से रुखसत हुए। मैं कल की योजना बनाने लगी।
आगे की कथा अगली कड़ी में। तबतक के लिए मुझे आज्ञा दीजिए।