Desi Sex Kahani गदरायी मदमस्त जवानियाँ - Page 3 - SexBaba
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Desi Sex Kahani गदरायी मदमस्त जवानियाँ

गोरी गोरी निकिता को एक छोटी सी ब्रा और पैंटी में देखकर राज और रूपेश के लंड पूरी सलामी देते हुए खड़े हो गए थे. 

"वा, आप दोनों ने तो बिलकुल ठान लिया था की इस पार्टी के थीम को जीतना ही हैं," रूपेश ने अपनी आँखों से निकिता के अधनंगे रूप को निहारते हुए कहा. 

"निकिता, तुम इस ब्रा और पैंटी में कमाल की सेक्सी लग रही हो. ख़ास कर तुम्हारी गोरी गोरी जांघें बहुत ही हॉट लग रही हैं." राज बोला।

"सचमुच, नीरज तुमने भी कमाल कर दिया, बहुत हॉट लग रहे हो," सारिका हँसते हुए बोली और मैंने भी उसकी हाँ में हाँ मिलाई. 

मैं, राज, सारिका और रूपेश उन दोनोंके इर्दगिर्द नाचने लगे और तालिया बजाते रहे. अब निकिता किसी भी शर्म या लज्जा के बगैर अपने सेक्सी गोर बदन का खुले-आम प्रदर्शन कर रही थी और दोनों लड़के, खासकर रूपेश उसकी तारीफ़ पर तारीफ़ करते जा रहे थे. 

अब वाइन पीने का एक और दौर चला और हम सारे संगीत की लय पर नाचने लगे. 

शुरुसे ही कोई भी अपने पार्टनर के साथ नहीं नाच रहा था. निकिता कभी राज की बाहों में थी तो कभी रूपेश की बाहों में. वो दोनों उसके वक्ष, जाँघे और नितम्बोँको स्पर्श कर उसे उत्तेजित कर रहे थे. उनके उठे हुए कड़क लंड जब निकिता को छूते तब उसके मुँह से दबी हुई आवाज़ में आहें निकल रही थी. 

दूसरी ओर मैं और सारिका मिलकर नीरज को एकदम करीब से सेहला रही थी. वो भी हम दोनों को बारी बारी से बाहों में लेकर हमारे यौवन को छू रहा था. कुछ देर के बाद तो उसने मेरी मिनी स्कर्ट उठाकर मेरी गांड और चुत को अच्छेसे स्पर्श किया. इतने गर्म माहौल में मेरी पैंटी का गीली होना स्वाभाविक था. फिर उसने सारिका को भी नजदीक से सहलाया और उसकी गांड पर हाथ फेरता रहा. 

पार्टी थीम की जीत पर हमने एक बड़ा सा गिफ्ट नीरज और निकिता को दिया. उसमे महंगे वाले परफ्यूम, निकिता के लिए कॉस्मेटिक्स और नीरज के लिए एक बढ़िया सी घडी थी.

"अरे, इतने सारे तोहफ़ोंकी क्या जरूरत थी?" निकिता ने शर्माते हुए कहा. 

"अरे नहीं, अब तो आप दोनों हमारे चारों के लिए सबसे नजदीकी और निकट के स्पेशल दोस्त हैं. फिर इतने स्पेशल दोस्त के लिए गिफ्ट भी तो कुछ ख़ास ही होना चाहिए, हैं न?" रूपेश ने कहा. 

इस बात पर निकिता ने रूपेश को फिर से अच्छे से गले लगाया और मैंने नीरज को. तभी राज ने सारिका को पीछे से बाहोने में लेकर अपने हाँथोंसे उसकी चूचियां दबाई. 

फिर निकिता राज के पास आकर उसकी बाहोंमें समा गयी. यह सिर्फ दोस्त बनकर गले मिलना नहीं था, कुछ ज्यादा ही लग रहा था. राज ने अपने होंठ निकिता के होठोंसे मिलाये और उसका एक दीर्घ चुम्बन लिया. निकिता भी आँखें मूंदकर एन्जॉय कर रही थी. 

अब बिनधास्त होकर सारिका ने भी नीरज को अपनी बाहोंमें भर लिया. अब रूपेश ने मुझे प्यार से आलिंगन करके मेरे होंठ चूमे. 

इतने कम कपडोंमें जब एक दुसरे के पार्टनर को इतना आलिंगन चुम्बन हो रहा था तो मानो उस कमरे में एक सेक्सुअल करंट दौड़ रहा था. 

हम सबका बार बार आभार प्रकट करने के और पार्टी अच्छे से एन्जॉय करने के बाद नीरज और निकिता अपने घर चले गए और फिर हमारा बैडरूम फिर एक बार जबरदस्त चुदाई की आवाज़ोंसे गूँज गया. 
 
अगले ही दिन दोपहर को मैंने और सारिका ने निकिता को अपने घर पर बुलाया. आते ही उसे गले लगाकर उसका स्वागत किया. मैंने उसकी पसंद के गरमागरम प्याज के पकौड़े और कॉफी टेबल पर रक्खी और हम तीनोंका खाना-पीना-हंसी-मजाक शुरू हो गया. 

फिर बातों बातों में मैंने कहा, "निकिता, तुम्हे याद हैं न मेरी और राज की स्पेशल फोटोशूट जो तुमने और नीरज ने की थी?"

"हाँ, हाँ, अच्छे से याद हैं सुनीता रानी," कहते हुए निकिता के गाल लाल हो गए थे. 

"वैसे ही स्पेशल फोटोशूट हमने सारिका और रूपेश की भी कराई," मैंने मुस्कुराते हुए कहा. 

"वॉव, तुम दोनों बहने एकदम ही बिनधास्त हो और दोनोंके पति कितने लकी हैं!" निकिता ने लगभग चिल्लाते हुए कहा. "दिखाओ, मुझे भी देखना हैं वो अल्बम।" वो बोली. 

सारिका बैडरूम में गयी और अल्बम ढूंढने लगी. तब तक निकिता ने मुझे दबी हुई आवाज़ में पूंछा, "क्या रूपेश भी राज के जितना ही सेक्सी है?"

"हाँ री , एकदम हट्टा कट्टा, तगड़ा और शूटिंग के वक़्त उसका लम्बा लौड़ा खड़ा होकर सलामी दे रहा था. मैंने भी सिर्फ ब्रा और पैंटी पहनकर उसे उकसाने में कोई कसर नहीं छोड़ी," मैंने धीरे से कहा. 

इतने में सारिका अंदरसे अल्बम लेकर आ गयी. फिर हम तीनो अल्बम की एक एक फोटो देखने लगी. रूपेश के लगभग नग्न शरीर को देख कर निकिता उत्तेजित होती दिख रही थी. 

सारा अल्बम देखकर पूरा होने के बाद निकिता सारिका से बोली, "तेरा पति तो एकदम फिल्म के हीरो के माफ़िक़ सेक्सी हैं री!" 

मैंने निकिता को पीछेसे बाहोंमे लिया और सारिका उसके होंठ चूम कर बोली, "रूपेश चाहिए क्या तुझे निकिता?"

निकिता के मुँह से सिर्फ गरम आहें निकल रही थी. "हाँ सारिका, तुम दोनोंके पति बहुत ही सेक्सी हैं. मेरा भी बहुत मन करता हैं उन्हें नंगा देखने का और उनकी बाहोंमे समाने का," निकिता बोली. 

अब हम तीनों भी गरम हो चुकी थी. 

सारिका ने निकिता के टॉप को कंधेपे से हटाकर उसकी गर्दन और कांधोंपर किस किया। मैंने पीछेसे उसकी स्कर्ट उठाकर जांघोंको सहलाते हुए उसकी पैंटी के ऊपर से उसकी चुत को स्पर्श करने लगी. 

"चल बैडरूम में जाएंगे," मैंने धीरे से निकिता के कानोंमें कहा. 

फिर मैं, निकिता और सारिका एक दुसरे को चूमते और सहलाते हुए बैडरूम में दाखिल हो गयी. 

निकिता ने आगे बढ़कर सारिका का टॉप उतार दिया, अंदर देखा की सारिका ने ब्रा पहनी ही नहीं थी. मैं अपना टी-शर्ट और स्कर्ट उतारकर निकिता का टॉप उतारने लगी. एक मिनट के अंदर तीनो नंगी होकर बेड पर लेटी थी. सारिका अब निकिता के वक्षोंको सहलाकर उसके निप्पल्स चूसने लगी. मैंने निकिता की जांघोंको खोलकर उसकी चुत का दाना रगड़ने लगी. 

निकिता को दोनों तरफ से सुख का आनंद हो रहा था और उसने अब अपनी ऊँगली सारिका के चुत में कर दी. तीनोंके दिल जोरो शोरोसे धड़क रहे थे. 

"एक सीक्रेट बताऊ तुम्हे निकिता?" उसकी चुत को चाटते हुए और दानेको अपनी जीभ से दबाती हुई मैं बोली. 

"आह, आह, हाँ.. बताओ न जल्दी.. आह, मुझे चाटती रहो और बताओ..आह," निकिता अब आँखें मूंदकर डबल प्लेज़र का मजा ले रही थी. 

मैंने उसे और भी उत्तेजित करने के लिए चुत चटाई के साथ मेरी दो उंगलियोंसे उसकी गुलाबी चुत को चोदने लगी. वहा सारिका अपनी चुत निकिता के मुँह पर रगड़ रही थी. 

"साली, जल्दी बता न, आह आह.." निकिता काम रसमें डूबकर मदहोश होती जा 

उसकी चुत के दाने को मूंहमें लेकर चूसते हुए मैं बोली, "मैं और सारिका, दोनों.."

"तुम दोनों क्या, आगे बोल न हरामी," निकिता की उत्तेजना चरमसीमा पर आ रही थी. 

"एक दुसरे के.."

"साली रंडी, जल्दी बता न," पहली बार मैंने निकिता के मुँहसे गाली सुनी थी. मुझे निकिता को तड़पाने में बड़ा मजा आ रहा था. 

"पतियोंसे चुद चुकी हैं.."

"क्या?"

"हाँ, निकिता, हम दोनों पिछले कई दिनोंसे पार्टनर स्वैपिंग करके एक दुसरे के पतियोंसे चुद रही है."

यह सब सुनने के बाद निकिता के मुँह से जबरदस्त आह और उसकी चुत से रस की धरा निकली. मैंने उसका सारा रस चाट लिया और थोड़ा मुँह में रखकर सारिका का चुम्बन लिया. अब निकिता की योनि का थोड़ा रस सारिका ने भी चख लिया था. बैडरूम फिर एक बार जबरदस्त चुदाई की आवाज़ोंसे गूँज गया. 
 
"हाँ, निकिता, रूपेश मुझे बड़े प्यार से चोदता हैं और राज अपनी साली सारिका को!" मैंने कहा. 

फिर सारिका भी बोली, "निकिता, राज भैया मुझे इतना खुश करते हैं की पूछो मत. इतनी देर तक चोदते है और फिर मैं उनका सारा रस चाटकर पी जाती हूँ." 

अब निकिता सुख और आनंद के मारे बेहोश सी हो रही थी. 

अगले दो घंटो तक हम दोनोने निकिता को बार बार जताया की अपने पति के अलावा किसी और मर्द के लौड़े से कितना अच्छा सुख मिलता हैं और कितना ज्यादा मज़ा आता हैं. आखिर में तीनो लड़कियोंने एक दुसरे को चुत चाटकर, चूचिया चूसकर और उंगलीसे चोद कर स्वर्गीय सुख लिया और दिया. 

अब चुत का काम रस निकल जाने के बाद पूर्ण रूप से निढाल होकर निकिता ने कहा, "तुम दोनों कितनी बिनधास्त हो, और कितना सेक्स एन्जॉय करती हो. सच बात तो यह हैं की मुझे भी सिर्फ नीरज से चुदवाकर थोड़ी बोरियत लग रही हैं."

अपनी ही चूतमें ऊँगली करती हुई वो बोली, "मैं चाहती हूँ की, एक दिन हम तीनो कपल साथ में बहार मस्ती करे ताकि मैं भी राज और रूपेश को और करीब से जान लू और परख लू. तभी मैं अदलाबदली के लिए अपने आप को तैयार कर पाऊँगी."

हमारे घर के पार एक वॉटर पार्क था जहाँपर गर्मी के दिनोंमें ज्यादा भीड़ रहती थी, खासकर शनिवार और रविवार को. उनका बुधवार के दिन "लेडीज और फॅमिली स्पेशल" होता था जहा किसी अकेले मर्द को आना मना होता था. उस दिन की एंट्री फी दुगनी रहती थी मगर सारी लड़किया और परिवार वाले लोग अक्सर उस दिन ही जाया करते थे. तीनो आदमियोंने आपस में बात करके एक बुधवार की छुट्टी ले ली और एक बड़ी कार में हम वहां पहुंचे. 

जब हम वॉटर पार्क में थे तब यह तय हुआ की आधा दिन तक एक पार्टनर रहेगा और दिन के दुसरे भाग में अलग. सुबह ऐसे जोड़े बने - राज निकिता , रूपेश सुनीता और नीरज सारिका। राज का तो जैसे सपना ही पूरा हो गया था , शुरू में ही निकिता के साथ सारी वॉटर राइड्स पर मस्ती करनेका उसे मौका मिला था. वैसे मैं रूपेश के साथ भी खुश थी, मगर दोपहर का इंतज़ार करने लगी. 

तीनो जोड़े भी काफी खुश नज़र आ रहे थे. नीरज और सारिका तो सबसे आँखे चुराके किसी और कोने में गायब हो गए. वैसे निकिता को इस बात की भी ख़ुशी हो रही थी की राज उसकी प्यारी सुनीता रानी को भी खुलके एन्जॉय करने दे रहा था. उसे महसूस हुआ की राज अपनी पत्नीसे बहुत ज्यादा प्यार करता हैं और उसकी हर ख़ुशी का पूरा इंतज़ाम करता हैं. 

निकिता राज की कमर में हाथ डालकर खुलके हँसी मज़ाक कर रही थी और बात बात में उसे लिपट कर गालोंपर चुम्बन कर देती थी. नीरज को भी सारिका की गोरी गोरी गदरायी हुई जवानी भा गयी थी. वह सरिकाको बाहोंमे लेकर उसकी पीठ और मस्त गांड को सहला रहा था और सारिका भी शायद उसके लंड को हाथसे दबा रही थी. जैसे ही निकिता ने देखा की उसका पति भी खुलके मजे ले रहा है फिर वह भी बिलकुल खुल गयी. 

मैं और रूपेश राइड्स पर कम जा रहे थे और एक दुसरे के अंगोंसे ज्यादा छेड़खानी कर रहे थे. बिकिनीमे मेरी भरपूर मांसल जाँघे, पतली कमर, आकर्षक नितंब और सामनेसे लो कट से झांकता हुआ क्लीवेज मानो कहर ढा था! किसी फिल्म की सेक्सी हेरोइन से काम नहीं थी मेरी जवानी. वहाँ नीरज तो सारिका को गोदीमें उठाकर घूम रहा था और दोनों सबकी नजरे चुराकर आलिंगन और चुम्बन में मग्न थे. 

राज के खड़े लंड का स्पर्श कई बार निकिता को हुआ और शायद उसे भी इस बात से ख़ुशी हो रही थी की उसकी सुंदरता और सेक्स अपील का उसके लंडपर असर साफ़ झलक रहा था. मैंने देखा की राज भी निकिता की गोरी गोरी मुलायम जांघोंपर और उसकी गोल गांडपर हाथ फेरने का मौका बार बार ले रहा था. निकिता की पुष्ट चूँचिया उसके बिकिनी में से अपना जलवा दिखा रही थी और कई बार तो कहीं कोने में जाकर राज उसके मम्मोंको भी दबा और सहला रहा था. अब निकिता की भी झिझक निकल गयी थी और दो-तीन बार तो उसने खुद आगे होकर राज को किस किया और अपने जीभ से उसकी जीभ को चूसा. 
 
तीनो जोडिया अपने नए पार्टनर के साथ पूरी मौज मस्ती कर रहे थे, किसी बाहरवाले को पता भी नहीं चला की यह तीनो अपने अपने पति/पत्नी के साथ नहीं हैं. 

जैसे ही दोपहर हुई, जोडिया फिर से बदल गयी, अब - राज के साथ सारिका, रूपेश के साथ निकिता और नीरज के साथ सुनीता, यानी मैं. 

जिस पल का मैं सुबह से इंतज़ार कर रही थी वो आ गया, अब किसी की परवाह करे बगैर मैं नीरज को लेकर सबसे दूर चली गयी और एक कोना ढूँढ़के हम गरमागरम चूमा चाटी में जुड़ गए. 

"ओह मेरी सुनीता डार्लिंग, जबसे तुम्हे नंगा देखा हैं, मैं तुम्हारा दीवाना हो गया हूँ. तुझे घोड़ी बनाकर चोदना हैं सुनीता रानी," नीरज ने कहा. 

मैं बोली, "मैं भी तुमसे चुदवाने के लिए तरसी जा रही हूँ. तेरी बीवी को जल्दी मना, ताकि तेरे इस कड़क लौड़े को मैं अपनी चुत में घुसा दू."

मैं और नीरज पूरा समय बाकी के दो जोडोंसे अलग रहे इसलिए मुझे पता भी नहीं की आखिर रूपेश और निकिता के बीच क्या हुआ होगा. मैं तो नीरज के साथ कपडोंके ऊपर से जो भी मज़ा ले सकते हैं, पूरा ले रही थी. उसने भी मेरे मम्मे दबाकर, मेरी जाँघे सहलाकर और मेरी जीभ चूसकर मुझे पागल कर दिया था. 

वाटर पार्कसे लौटने के बाद रास्तेमे एक ढ़ाबेपर खाना खाकर हम सारे घर लौटे. कारमें भी हंसी मज़ाक और एडल्ट जोक्स चल रहे थे. अब तो तीनो लड़किया भी आसानीसे लंड , चुत और बूब्स के बारेमें खुल्लम खुल्ला बाते कर रही थी. घर पहुंचकर निकिता ने हम चारोंको अपने घर पर बुलाया और बियर, वाइन की बोतले खुल गयी. 

राज , नीरज और रूपेश काजू और नमकीन प्लेट्स में जमाने लगे और हम तीनो लड़किया हँसते हँसते बेडरूममे घुस गयी. नीरज ने बैद्यनाथ वीटा एक्स की बोतल निकाली. तीनो लड़कोंने चार चार गोलिया खायी, क्योंकि आज पूरी रात सम्भोग का सुख जो लेना था. 

अंदर जाते ही निकिता बोली, "सुनीता सारिका, आज मैं भी इस अदलाबदली के खेल में शामिल होना चाहती हूँ. तुम दोनोंके पति सचमुच बड़े अच्छे हैं और मेरी चुत भी उनसे चुदवाने के लिए पानी छोड़ चुकी हैं."

हम दोनों बहनोंने उसे गले लगाकर बहुत सारा प्यार किया. 

पांच मिनट बाद हम जब बाहर आयी तो लड़कों ने देखा की हम तीनोंने भी स्लीवलेस और खुले गले का टैंक टॉप और मिनी स्कर्ट पहना था. सब मिलकर दारु पीकर मस्तीमे नाचने लगे. अब सारिका राज के साथ, नीरज के साथ मैं और रूपेश के साथ निकिता लिपट लिपटकर नाचकर मस्तीमे झूम रही थी. मैं नीरज के शॉर्ट्स में हाथ डालकर उसके लंड को दबाने और पुचकारने लगी. वो भी मेरी मिनी स्कर्ट उठाकर मेरी गांडपर और पैंटी के उपरसे ही चुत पर हाथ फेरने लगा. 

जबसे नीरज यहाँ आया था तबसे उसे मैं आकर्षित कर रही थी, आज सुनेहरा मौका उसके हाथ लगा था, जिसे वो खाली नहीं जाने देनेवाला था. अब नीरज ने कमरे की लाइट एकदम धीमी कर दी और नाचते नाचते मुझे एक कोनेमे ले गया. मेरे खुले टैंक टॉप में हाथ डालकर अब वो मेरी कठोर चूँचिया दबाने और मसलने लगा. मैंने भी आव देखा न ताव, और एक ही झटके में अपनी टॉप उतारकर फ़ेंक दी और नीरज का टी-शर्ट भी निकाल दिया. अब दोनों एक दूजे की बाहोंमे समाकर होंठ चूसने और एक दुसरे के अंगो से खेलने लगे. 

अब नीरज को इस बात की भी चिंता नहीं थी की उसकी शर्मीली पत्नी निकिता रूपेशके साथ क्या कर रही होगी, उसपर तो सिर्फ मेरी जलती जवानी का भूत सवार था और आज मुझे चोदे बिना नहीं रहनेवाला था. नीरज ने मुझे चूमते हुए मेरी ब्रा भी खोल दी. अब वो दोनों हाथोंसे मेरे बूब्स सहलाने और मेरे खड़े हुए निप्पल्स अपनी उंगलियोंमे प्यार से दबाने लगा. वहाँ तीसरे कोने में निकिता और रूपेश दोनोंके ऊपर के कपडे उतर गए थे और रूपेश निकिता के मम्मे चूसने के साथ साथ उसकी गांड और चुत को प्यार कर रहा था. निकिताका हाथ उसके शोर्टमे से कड़क लंड से खेल रहा था. 
 
नीरज ने अब मुझे गोदीमें उठाया और सीधा बैडरूम की तरफ चला गया. उसने न अपनी पत्नी निकिता से कुछ कहा, न राज से उसकी पत्नी को चोदने की इजाज़त मांगी. आज तो माहौल ऐसा था की पूरे छे के छे लोगोंने अपने नए पार्टनर के साथ चुदाइ के लिए मन में ठान लिया था. निकिता और रूपेश एक सोफेपर चढ़ गए और उनके बदन पर बचे हुए कपडे भी गायब हो गए. राज सारिका को लेकर बेडरूममे घुस गया और उसने बेड के दुसरे हिस्से में सारिका को लिटा दिया. 

"सुनीता, जबसे तुम्हे नंगा देखा हैं तबसे मैं इस घडी का इंतज़ार कर रहा हूँ. आज तुझे जी भरके चोद कर तेरी चुत और बड़े बड़े मम्मोंका पूरा मजा लूँगा," नीरज बोल उठा. 

"हाँ, मेरे राजा, आ चोद मुझे, फाड़ दाल मेरी फुद्दी को. ले चूस मेरी बड़ी बड़ी चूचियाँ। मैं तेरे इस लम्बे और मोटे लिंग को चूस कर तुझे पागल कर दूँगी," मैं उसके लंड को और गोटियोंको सहलाकर बोली. 

हम सीधा सिक्सटी नाइन में आ गए और नीरज की जीभ मेरी चुत की पंखुड़ियां खोलकर अपनी जीभसे मुझे चोदने लग गया. साथ में कभी दाना चाटना और कभी चूसना जारी था. मैं नीरज के लिंगको उसका सबसे सुखद मुखमैथुन दे रही थी. साथ में गोटियां सहलाना भी चल रहा था. नीरज मेरे लिए इतने दिनोंसे पागल था इसलिए अत्याधिक उत्तेजित होने के कारण उसका लौड़ा अपने वीर्य की थोड़ी थोड़ी बूंदे लगातार मेरे मुँह में छोड़ रहा था. मैं भी हर एक बूँद पीकर उसके लौड़े के टोपेपर जीभ से मानो बलात्कार कर रही थी. 

अब दो बहने आजु बाजू लेटकर चुद रही थी और सबकी साँसे तेज़ हो गयी थी. राज ने सारिका की स्कर्ट और पैंटी उतारी, सारिका ने भी अपने गांड उठाकर पूरी सहायता की. अब राज भी पूरा नंगा होकर उसपर लेट गया. उसके मम्मे बारी बारी चूसने लगा, सारिका उसके तने हुए लौडे को अपनी गीली चुत पर रगड़ने लगी. 

बाहर रूपेश और निकिता चूमा चाटी करते हुए कब सिक्सटी नाइन की अवस्था में पहुंचे, उन्हें भी पता न चला. निकिता उस तगड़े आठ इंच के लौड़े को चूसकर सारा वीर्य निगल गयी. कुछ ही मिनटोंमें रूपेश का लौड़ा फिरसे खड़ा हुआ और वो निकिता की गर्म और गीली चुत को चोदने लगा. 

"निकिता, तुम्हारी गोरी जवानी को पाकर मैं कितना खुश हूँ. तुम इस दुनिया की सबसे सुन्दर और सेक्सी लड़की हो. आज मैं तुम्हे जीवन का पूरा सुख दूंगा," इतना कहकर रूपेश उसे चोदने में जुटा रहा. 

सिक्सटी नाइन के बाद नीरज ने मुझे आधे घंटे तक मिशनरी पोज में चोदा और फिर अपना सारा वीर्य मेरे कठोर वक्षोंपर निकाल दिया. वो उसकी सालोंकी फैंटसी थी जो निकिता कभी पूरी नहीं होने देती थी. मेरे बाजू में लेटी हुई सारिका ने वह सारा वीर्य मेरे चूचियोंसे चाट कर पी लिया और वो देखकर नीरज और भी उत्तेजित हुआ और उसका लंड फिर से खड़ा हुआ. अब उसने मुझे घोड़ी बनाकर चोदा और मेरे मम्मोंको जोर जोर से मसला. अब की बार सारा वीर्य मेरी गांडपर उंडेल दिया. यह भी उसकी एक और फैंटसी थी जिसे निकिता मना करती थी. मैं नीरज के साथ कुछ भी करने के लिए राजी थी. 

मुझे इस बात की सबसे ज्यादा ख़ुशी हुई की मेरी नीरज से चुदने की इच्छा पूरी करने के लिए राज ने निकिता को पहले रूपेश से चुदने दिया. वैसे यह तो तय था की कुछ देर बाद पार्टनर फिर बदले जाएंगे, क्योंकि नीरज को भी तो सारिका को चोदना था. 

आधे घंटे के बाद, निकिता खुद चल कर बैडरूम में आयी और उसने राज को अपनी बाहोंमें भर लिया. बाजुमें लेटी सारिका पलटकर नीरज की बाहोंमें चली गयी और मैं बाहर रूपेश से चुदवाने चली गयी. 

भोली भाली और शर्मीली निकिता आज अपने पडोसी राज से चुदने वाली थी और उसी बिस्तर पर उसका पति नीरज, राज की साली, यानि सारिका को चोद रहा था. राज ने निकिता के वक्ष और गुलाबी निप्पल्स काफी देर तक चूसे।

"निकिता, तुम्हारे इन चूचियोंको चूसकर कितना मजा आ रहा हैं. जी करता हैं इन्हे खा जाऊं," मदहोशी भरी आवाज़ में राज ने कहा. 

"ओह राज, येस , चूसो और मसलो इनको. आह, फक तुमको मैं इतनी अच्छी लगती हूँ. काश मैं उस फोटोशूट वाली रात ही तुमसे चुदने के लिए तैयार हो जाती," जोर जोर से आहें भरते हुए निकिता बोली. 

अब राज सिक्सटी नाइन की पोज में आ गया और निकिता की मुलायम गुलाबी चुत और चुत का दाना उसने करीब आधे घंटे तक चूसा. निकिता को इस दौरान कई ओर्गास्म आये और उसकी योनि से लगातार ज्यूसेस बहने लगे. राज को उनका स्वाद पसंद आया और उसकी योनि से निकलती हर बूँद को वो चाटता गया. 
 
"कितना अच्छा हैं तुम्हारी चुत से निकला पानी. यह तो सुनीता और सारिका की चूतोंसे निकलने वाले पानी से भी ज्यादा स्वादिष्ट हैं निकिता डार्लिंग," राज अपनी जीभ होठोंपर फेरते हुए बोला. 

इस दौरान निकिता राज के लौड़े के बिना रुके चूसती रही और उसका वीर्य दो बार पी गयी थी. 

"तुम्हारा नमकीन माल भी कुछ काम टेस्टी नहीं हैं. और कितना ज्यादा आया मेरे मुँह में, मैं पीती ही रह गयी," वो बोली. 

अब उत्तेजना के मारे, सिक्सटी नाइन की पोज में राज ने निकिता की गांड में भी ऊँगली घुसा डाली, जिसके कारण निकिता और भी उत्तेजित हो गयी. 

"आह, राज, डालो मेरी गांड में ऊँगली और अंदर बाहर करो. मुझे यह भी बहुत अच्छा लगता हैं. तुम्हारी उंगलियोंसे मेरी गांड को चोद डालो, आह," निकिता के होठोंसे आवाज़ निकली. 

जब निकिता तीसरी बार जोर से झड़ी तब उसकी चुत से एकसाथ बहुत सारा कामरस निकला, जिसे राज ने चाट चाट कर गटक लिया. 

अब सिक्सटी नाइन का पूरा आनंद लेने के बाद, राज ने निकिता को मिशनरी पोज में लिटाकर उसकी जाँघे खोलकर अपना लौड़ा घुसेड़ दिया. आधे घंटे तक दोनों डटे रहे और फिर राज अपना बचा हुआ वीर्य निकिता की गुलाबी चुत में छोड़कर निढाल हो गया. उसकी भी कई दिनोंकी फैंटसी आज जाकर पूरी हुई थी. निकिता को भी राज बहुत पसंद आया और दोनों एक दुसरे को चूमते हुए जीभ चूस रहे थे. 

अब राज को उसकी जिंदगी का सबसे बड़ा सरप्राइज निकिता से मिला. आजतक हमें पता नहीं था की इतनी शर्माने वाली और अदलाबदली की चुदाई के लिए तैयार न होने वाली निकिता को गांड की चुदाई बहुत पसंद थी. 

उसने राज के लौड़े को कंडोम पहनाया और फिर बोली, "राज, अब तुम मेरी गांड मारो. मुझे सुनीता ने बताया था की यह तुम्हारी फैंटसी है जो आजतक सुनीता पूरी नहीं कर सकी. आज मैं, तुम्हारे सपनों की रानी तुम्हारे सामने हूँ. चोदो मेरी गांड को जितना जी चाहे. तुम मुझे बहुत अच्छे लगे इसलिए नीरज के बाद तुम पहले पुरुष हो जो इस गांड को चोदेगा."

राज ने उसे डॉगी पोज में आने को कहा और धीरे से झटके मारते हुए पहले तो अपना लंड उसकी चुत पर रगड़ा, फिर उसकी गांडके छेद में डालना शुरू किया. उसे इतना ज्यादा सुख मिल रहा था की वो अपने होश खो कर निकिता की गांड चोदता रहा. 

"निकिता डार्लिंग, आज तूने मेरी सारी इच्छाएं पूरी कर दी, तू सचमुच मेरी रानी हैं. मैं पूरा जीवन तुम्हारा गुलाम बनकर तेरी चुत, तेरे मम्मे और तेरी इस मस्त गांड को चोदता रहूंगा."

बाजू में लेटे हुए सारिका और नीरज यह नज़ारा देख रहे थे. आखिर चालीस मिनट तक गांड चोदने के बाद, राज ने पूंछा, "निकिता डार्लिंग, बोल अब इस माल को कहाँ निकालू?"

वह बोली, "हमेशा की तरह, मेरे मुँह में, और कहाँ?"

फिर राजने कंडोम हटाकर अपना लंड उसके मुँह में दिया और दो-चार झटके मारकर स्खलित हो गया. मेरे राज का कई दिनोंका सपना आज पूरा हुआ था. 

इसके बाद हर दुसरे दिन हम तीनो जोड़े एक साथ मिलकर ग्रुप सेक्स का आनंद लेते रहे. जब कभी एक लड़की की माहवारी (पीरियड्स) रहते तब वो लौड़े चूसती और बाकी की दो लड़किया चुदवाने का काम करती. आने वालो दिनोंमें मैं और सारिका ने भी गांड चुदाई सीख ही ली. हममें से कोई भी किसी की भी पत्नी को जब मर्ज़ी चाहे तब चोदता था, फिर भी मेरा फेवरिट रूपेश था, राज की फेवरिट निकिता थी और नीरज की फेवरिट सारिका थी. 

अगले साढ़े तीन साल तक यह दौर चला, उसके बाद नीरज और निकिता किसी दुसरे शहर चले गए. पता चला की वहांपर उन्होंने किसी और जवान जोडेको फांसकर ग्रुप सेक्स की परंपरा जारी रखी। अभी भी हम नीरज और निकिता से संपर्क बनाये हुए हैं मगर वो लोग राजस्थान में चले जाने के कारण हमारा मिलना नहीं हुआ. 

आज भी हम चारों निकिता और नीरज के साथ बिताये हुए पलोंको याद करते हैं और एक दुसरे के पार्टनर को सम्भोग का सर्वोच्च सुख देते हैं. 

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सुनीता की जुबानी 

पिछले एक साल से राज अपनी बैंक में पदोन्नति (प्रमोशन) के लिए पूरी कोशिश कर रहा था मगर किसी न किसी कारण से बात बन नहीं रही थी. अब गुस्से में आकर, राज ने दुसरे बैंकोंमें नौकरी ढूंढना शुरू कर दिया. पता चला की एक बड़ी बहु राष्ट्रीय (मल्टी नेशनल) बैंक अपनी नयी शाखा (ब्रांच) के लिए मैनेजर की तलाश में हैं. 

राजने तुरंत वहाँ के लिए अर्जी दे दी और तीन दिन में साक्क्षातकार (इंटरव्यू) के लिए बुलावा भी आ गया. 

जैसे ही राज कमरे में दाखिल हुआ, उसे "हे राज, तुम और यहाँ?" एक परिचित आवाज़ ने स्वागत किया. 

कमरे में तीन आदमी बैठे थे, जिसमे से बीचमें बैठा हुआ राज के कॉलेज का सीनियर रोहित था. 

रोहित के पिताजी सरकारी नौकरी में उच्च पद पर थे और उन्हींके कारण रोहित को उस बहु राष्ट्रीय बैंक का मुख्य अधिकारी (जनरल मैनेजर) बनाया गया था. 

इंटरव्यू के बाद दोनों दोस्तोंने आपस में चाय पी और बाते हुई. 

राजने सारा किस्सा बताया और कहा, "यार रोहित, यह नौकरी लग जाए तो मेरी किस्मत खुल जायेगी. तनख्वा भी अच्छी रहेगी और इतने बड़े बैंक में काम करने के बाकी लाभ भी."

रोहितने कहा, "देखते हैं मैं क्या कर सकता हूँ! वैसे भी अबतक आये सारे उम्मीदवारोंमें तुम्हारा ही पलड़ा सबसे भारी है."

फिर जब घर की बातें निकली तब रोहितने बताया की उसकी पत्नी माधुरी डिलीवरी के लिए अपने मइके गयी है. 

"कल शाम को मेरे घर पर आ जाओ डिनर के लिए," राजने तुरंत कह दिया. 

"अच्छा, ठीक है."

घर आते ही राजने मुझे सब बताया. अगले दिन मैं और सारिका ने मिलकर बहुत स्वादिष्ट खाना बनाया, साथमें महंगी वाली वाइन, बाहर से मिठाई सारा इंतज़ाम बढ़िया था. फिर घर को सजाके खुशबू वाला सेंट छिड़क दिया. 

सारिका ने कहा, "दीदी, आप दोनों रोहित की अच्छी खातिरदारी करो. मैं दूकान पर रूपेश का हाथ बटाने चली जाती हूँ."

मैंने भी पीले रंग का डीप नैक स्लीवलेस ब्लाउज और नीले रंग की पारदर्शी साड़ी पहनी. साढ़े पांच बजे ही राज रोहित को लेकर घर में दाखिल हुआ. 

"वॉव राज, तुम्हारा घर और पत्नी दोनों भी सुन्दर हैं यार," रोहित ने मुझसे हाथ मिलाते हुए कहा. 

"थैंक यू रोहित जी," मैंने मुस्कुराते हुए कहा. 

"अरे रोहित जी नहीं, सिर्फ रोहित!"

"अच्छा बाबा, थैंक यू सिर्फ रोहित!"

"सुनीता, आज कितने दिनों के बाद मैं खुल कर हंस रहा हूँ."

सभी हंसी मजाक करते रहे और फिर हम तीनो साथ में बैठकर वाइन और नमकीन का स्वाद लेने लगे. 

"लीजिये रोहित, मैं थोड़ी और वाइन आपके ग्लास में भर देती हूँ," कहते हुए मैंने झुककर अपने वक्षोंका दर्शन रोहित को कराया. 

फिर पल्लू ठीक करते हुए उसे एक मुस्कान देते हुए बैठ गयी. 

खाने पीने का दौर नौ बजे तक चला. अब रोहित भी बेशर्मी से मेरे कैसे हुए वक्षोंको और मेरी साड़ी में झलकते हुए नितम्बोँको ताड़ रहा था. 

निकलते हुए हाथ मिलाने के बाद, मैंने उसे गले लगाते हुए कानोंमें कहा, "आशा हैं की राज को यह पोस्ट मिल जाए और हम ऐसे ही मिलते रहेंगे!"

"हाँ हाँ, क्यों नहीं, जरूर मिलेंगे, और राज तो मेरा जिगरी यार हैं. उसके लिए जो कुछ हो सकता हैं, मैं ज़रूर करूंगा."

बाद में राज से पता चला की इस नयी नौकरी में अभी के मुक़ाबले दुगनी से भी ज्यादा वेतन (सैलरी) था और जोइनिंग बोनस मिलने के भी अपेक्षा थी. 

"अगर ये नौकरी तुम्हे मिल गयी तो हम और भी अच्छे ढंग से रह सकेंगे, और फिर वो सोने का कमरपट्टा भी तुम मुझे दिला सकोगे," राज के निप्पल्स को चूमते हुए मैंने रात को कहा. 

"हाँ सुनीता रानी, मगर यह रोहित साला मानने को तैयार नहीं लग रहा हैं. मेरा कॉलेज में सिर्फ सीनियर ही नहीं था, हम अच्छे दोस्त भी थे. अब जनरल मैनेजर बन गया हैं तो दोस्त के जैसा बर्ताव नहीं कर रहा हैं साला," राज गुस्से में था. 

"ठीक है, कुछ दिन इंतज़ार करके देखो. शायद कुछ अच्छी खबर आ जाए," मैंने धीरज बंधाते हुए कहा. 

उस रात चुदाई भी नहीं हुई क्योंकि राज काफी अपसेट था. मैंने भी रूपेश और सारिका को एक दिन बाहर सोने के लिए कह दिया था. 

दो दिन बाद जब राज बैंक से लौटा तब से उखड़ा हुआ था. मेरा और सारिका की हंसी मज़ाक और आलिंगन चुम्बन भी उसे आज अच्छे नहीं लग रहे थे.

"सारिका, आज तुम जरा रूपेश के साथ दुकान पर रहो. मुझे राज का मूड ठीक करना पडेगा."

"ठीक हैं दीदी।"
 
जैसे ही सारिका चली गयी मैंने राज के गलेमें अपनी बाहें डालकर पूंछा, "क्या बात हैं मेरे राजा, आज कुछ नाराज़ लग रहे हो?"

"नहीं डार्लिंग, कुछ नहीं. बस ऐसे ही थका हुआ हूँ."

"नहीं, मैं तुम्हे अच्छे से जानती हूँ. कुछ तो बात हैं."

"सुनीता, नयी नौकरी में दो गुना सैलरी, एक लाख का जोइनिंग बोनस और हो सकता है की बैंक की तरफसे दो बैडरूम का फ्लैट भी मिल जाए."

"यह तो बड़ी ख़ुशी की बात हैं, इसमें परेशान होने का क्या कारण हैं?"

"यह सब पाने के लिए.."

"पाने के लिए क्या?"

"जाने दो रानी, हम जैसे हैं वैसे ही अच्छे है!"

"तुम्हे मेरी सौगंध हैं, बताओ क्या बात हैं," मैंने पूंछा. 

"रोहित की शर्त हैं की... "

"क्या हुआ राज, तुम अच्छे से बताओ।"

"वो तुम्हारे साथ दो दिन और तीन रात बिताने के बाद हि तुम्हारे हाथ में मेरा अपॉइंटमेंट लेटर देगा."

मेरे तो पैरोंतले से जैसे जमीन खिसक गयी. 

हाँ, यह सच बात हैं की मैं रूपेश और नीरज के साथ कई बार सम्भोग कर चुकी थी, मगर वो मेरी और राज की मर्ज़ी से हुआ था. 

अब मैं जान गयी की घर लौटने के बाद से ही राज इतना अपसेट क्यों हैं. 

"रोहित तो तुम्हारा अच्छा दोस्त हैं फिर उसने ऐसी शर्त क्यों रक्खी?"

"उसकी बीवी चार महीने से अपने मैके में है और मुझे लगता हैं तबसे वो शायद भूखा शेर बन गया हैं. जिस दिन तुम्हे डिनर के समय देखा, शायद तभी उसने मन बना लिया था की तुम्हे चोदे बगैर वो यह नौकरी मुझे नहीं देगा."

काफी देर तक हम दोनों उलझे रहे, समझ में नहीं आ रहा था क्या किया जाए. 

आधी रात को मैंने राज का लौड़ा चूसना शुरू किया. आज वो इतना अपसेट था की उसका लौड़ा कड़क भी नहीं हो रहा था. 

उसकी गोटिया सहलाते हुए मैं बोली, "राज डार्लिंग, हमारे सुनहरे भविष्य के लिए मैं दो दिन रोहित के साथ बिताने के लिए राजी हूँ."

"नहीं सुनीता रानी, मैं नहीं चाहता की तुम अपने मन को मारकर ये कदम उठाओ."

"नहीं राज, बहुत सोच कर मैंने यह फैसला किया हैं," उसके लंड को सहलाते और चाटते हुए मैं बोली. 

"मैं नहीं चाहता की तुम.."

"राज, सिर्फ दो दिन की बात हैं, उसके बाद हमारी पूरी जिंदगी बदल जायेगी. बस उसे कंडोम पहनना होगा, क्योंकि मैं नहीं चाहती की उसके कारण मुझे कोई गुप्तरोग हो जाए."

अब राज का लंड खड़ा हो गया था और उसने मुझे घोड़ी बनाकर चोदना शुरू किया, शायद उस समय वो मेरी आँखों में आँखें डालने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था. 

"आह आह चोदो मुझे राज, कितना सख्त और मोटा लंड है तुम्हारा, आह, कितना मज़ा आ रहा हैं."

शायद एक नए लंड से चुदने की कल्पनासे मैं उत्तेजित हो रही थी. 

"ले मेरी जान, ले, ये ले मेरा लौड़ा तेरी इस चिकनी चुत में डालकर सारी रात तुझे चोद डालूँगा आज!"

पच पच ऐसी अावाज़ोंसे उसका लौड़ा मेरी चुत के अंदर बाहर हो रहा था और मैं भी गांड पीछे की ओर धकेलते हुए उसे और सुख दे रही थी. लग रहा था की मेरे किसी और पराये मर्द से चुदने के बारे में सोच कर राज भी काफी एक्साइटेड हो गया था. 

"आह, आह, क्या मजा आ रहा हैं तेरी चुत से आज मेरी जान," कहते हुए अब वो मेरे ३८ इंच के झूलते हुए वक्ष मसलने लगा. एक हाथ से चूँची और निप्पल मसलकर दुसरे हाथ की ऊँगली अब मेरी गांड के अंदर डाल दी. 

अब तक मेरी चुत दो बार पानी छोड़ चुकी थी मगर राज का लौड़ा पानी छोड़ने का नाम नहीं ले रहा था. 

लगातार दस मिनट तक डॉगी पोजमें मुझे चोदने के बाद उसने कहा, "डार्लिंग, अब तुम ऊपर आ जाओ."

राज पीठके बलपर लेट गया और मैं उसके लंडपर अपनी चुत सेट करके उछलने लगी. 

अब वो दोनों हाथोंसे मेरी चूचियाँ मसलते हुए मेरी आँखों में आँखे डाल कर बोला, "क्या सचमुच तुम रोहित से दो दिन और तीन रात चुदोगी?"

"हाँ मेरे राजा, तेरे लिए मैं कुछ भी कर सकती हूँ डार्लिंग, तेरी ख़ुशी के लिए."

इतना कहकर मैं और भी जोरसे उसके लंडपर कूदने लगी. अपने मजबूत हाथोंसे उसने मेरी गांड पकड़ी और और ताकत लगाकर मुझे नीचे से चोदने लगा. 
 
"ओह फक मेरे राजा और चोदो मुझे और और.. आह आह, यस, फक में हार्ड राज, चोदो मुझे, यसऽऽ.... ओह, माय गाडऽऽऽ... येसऽऽऽ.."

अब राजका छूटने वाला था इसलिए उसने मुझे अपने लौंडेपर से उठाया और सिक्सटी नाइन की पोज में लिटा दिया. वो मेरी गीली चुत चाटने लगा और मैं मेरे योनि रस से भरा उसका कड़क लंड लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी. एक जोरदार आवाज़ के साथ राज मेरे मुँह में स्खलित हो गया. 

इस बात को सिर्फ मैं और राज ही जानते थे और मेरी सारिका रूपेश को बताने की हिम्मत नहीं हुई. 

राज ने भी कहा, "ये सिर्फ हम दोनोंके बीच ही रहेगा. किसी औरको पता नहीं चलना चाहिए."

दो दिन बाद राजने मुझे बताया की रोहित बिना कंडोम सेक्स ही चाहता हैं. उसके लिए वो टेस्ट करके रिपोर्ट दिखाने को भी तैयार हैं मगर चुदाई कंडोम के बगैर ही होनी चाहिए. शर्त के मुताबिक़ मुझे भी टेस्ट करके रिपोर्ट दिखाना था, ताकि उसे भी विश्वास हो जाए की मैं एकदम सेफ हूँ. 

आने वाले दिनोंमें दोनोंके टेस्ट हो गए और दोनोंके के रिपोर्ट्स ठीक ही आये. 

शुक्रवार की शाम को एक बड़ी मर्सिडीज़ गाडी नीचे आकर रुकी. मैं पहले से ही तैयार होकर साथमें छोटा सा बैग लेकर घर में बैठी थी. ड्राइवर ऊपर आकर मुझे ले गया. 

कार में पीछे रोहित बैठा हुआ था. उसने मेरा हाथ चूमकर मेरा अभिवादन किया. 

"हेलो सुनीता।"

"हाय रोहित, कैसे हो आप?"

"मैं तो ठीक हूँ, आप बला की ख़ूबसूरत लग रही हो."

"अरे अब मुझे सिर्फ सुनीता कहके पुकारो, ये आप वाप छोड़ दो."

मैंने मन ही मन सोचा, साला ये हरामी मुझे तीन रात और दो दिन चोदने वाला है और यहाँ आप आप का नाटक कर रहा हैं. 

सफर के दौरान हमने यहाँ वहां की बाते की और मैं मुस्कुराते हुए उसपर मेरे हुस्न के तीर चला रही थी. ड्राइवर शीशे में से हमको बारी बारी देख रहा था, इसलिए रोहित ने भी कारमें कुछ नहीं किया. 

आधे घंटे के सफर के बाद हम लोग फार्म हाउस पहुँच गए. वहाँ कार के रुकते ही, एक नौकर भागता हुआ आया और द्वार खोल कर हम दोनोंको अंदर ले गया. मेरा और रोहित का सामान भी उसने उठाया और मास्टर बैडरूम में रख दिया. रोहित ने उसे ५०० की नोट पकड़ाई और वो गायब हो गया. मैं अंदर बाथरूम में फ्रेश होकर झीनी से गुलाबी नाइटी पहन कर आयी, तबतक मेजपर वाइन, नमकीन, पकोड़े, फ्रूट्स और ड्राई फ्रूट्स जमाकर नौकरानी चली गयी थी. 

रोहित अंदर जाकर एक पतली लुंगी और सफ़ेद कुरता पहनकर आ गया. वैसे दिखने में वो भी ठीक ठाक था, मगर मैं मजबूरी में चुदने जा रही थी, न की मेरी अपनी इच्छा से!

मैंने मुस्कुराकर अंगड़ाई लेते हुए कहा, "अब आगे का क्या प्रोग्राम हैं रोहित?"

उसने मुझे बाहोंमे लिया और मेरे होठोंपर अपने होंठ रख दिए. इसका मतलब साफ़ था की अब दिन रात सिर्फ चुदाई ही चुदाई होने वाली थी. 

"सुनीता, मैं कई दिनोंसे प्रेम का प्यासा हूँ. अब मेरी प्यास बुझा दो. मैं चाहता हूँ की तुम्हे भी पूरा सुख मिले," मेरे होंठ चूमते हुए और मेरी जीभ को चूसते हुए उसने कहा. 

मैंने अपनी आँखें मूँद ली और उसके जीभ से अपनी जीभ मिला दी. अब उसने मुझे कसके बाहोंमे लिया और उसका कड़क लंड मेरी चुत पर दबने लगा. 

"हाँ रोहित, हम दोनों एक दुसरे को जी भर के सुख देंगे।"

एक ही झटके में उसने मुझे उठाया और पलंग पर लिटा दिया. मेरी नाइटी ऊपर हो गयी और मेरी मांसल जाँघे उसकी आँखोने देख ली. मेरे पैरोंको चूमते हुए उसने मेरी जाँघे सहलाना शुरू किया. एक नए मर्द का स्पर्श थोड़ा अजीब, थोड़ा अलग और शायद थोड़ा अच्छा भी लगने लगा था. 

मैंने अपनी आँखे बंद की और उसके प्यार का आनंद लेने लगी. अगले दस मिनट तक उसने मेरी जांघोंको स्पर्श और चुम्बनोंसे उत्तेजित कर दिया. अब तक मेरी पैंटी गीली भी हो चुकी थी. मैं जान बूझकर शर्माने का नाटक कर रही थी ताकि उसे लगे की सचमुच मैं आज तक सिर्फ अपने पति राज से ही चुदी हूँ. 

उसने अपना कुरता उतार दिया और मैं बालोंसे भरी उसकी चौड़ी छाती को सहलाने और निप्पल रगड़ने लगी. अब मैंने उसे नीचे लिटाया और उसकी छाती को हलके हलके चूमने लगी. 

"आह सुनीता, कितना अच्छा लग रहा हैं, आह, ऐसे ही चूमते रहो. आह, डार्लिंग थोड़ा मेरे निप्पल भी चूसो न प्लीज."

मुझे लगा की ये जबरदस्ती सेक्स करवाने वाले बलात्कारी टाइप का आदमी नहीं हैं. ये सच मुच कई महीनोंसे सम्भोग सुख से वंचित हैं. इसे मैं इतना सुख दूँगी के मेरे राज को यह नौकरी शत प्रतिशत मिल जायगी. 

"हां रोहित डार्लिंग, " उसे चूमते हुए और निप्पल चूसते हुए मैं बोली. 

"ओह, कितना अच्छा चूसती हो तुम. आह, सुनीता, तुम सिर्फ सुन्दर ही नहीं, बहुत प्यारी भी हो. आह."

अब मैंने अपनी नाइटी उतार दी और उसके होंठोंको चूमने लगी. मेरे वक्षोंका स्पर्श होते ही उसका लंड और भी कड़क हो गया. मैं बेतहाशा उसे चूमने लगी और उसके दोनों हाथ अब मेरे कठोर चूचियोंको सहलाने और मसलने लगे. 

जैसे ही उसने मेरी पैंटी उतारनी चाही, मैं जान बूझ कर शरमाई और जलती हुई ट्यूबलाइट की तरफ इशारा किया. 

उसने झट से अँधेरा कर दिया और फिर मैंने उसकी लुंगी खींचकर उसके सख्त और लम्बे लौड़े को हाथ में लिया. 

"आह, ओह माय गॉड, सुनीता, तुम कितनी हॉट और सेक्सी हो, ओह..."

"आह, रोहित, कितना कड़क और बड़ा हैं ये," उसके लंड को चूमते हुए मैंने कहा. 

अब मुझे थोड़ी शर्मीली और थोड़ी सेक्सी, ऐसा डबल रोल खेलना जरूरी था ताकि उसे मज़ा भी आये और मेरी चुदक्कड़ सच्चाई का पता भी न चले. 
 
रोहित ने दो उंगलियां मेरी पैंटी की दोनों तरफ डालकर मेरी पैंटी, जो अबतक काफी गीली हो चुकी थी, नीचे की तरफ सरकायी. मैंने भी अपने गांड उठाकर उसका सहयोग किया। अब हम दोनों पूरी तरह से नग्नावस्था में थे. रोहित ने फिरसे मेरे होठोंको अपने होठों में लेकर बड़े प्यारसे मेरी जीभको चूसने लगा. 

मैंने भी उसका पूरा सहयोग करते हुए उसके मुँह से लार पीना शुरू किया. अब उसके दोनों बलिष्ठ हाथ मेरे वक्षोंको स्पर्श करने, धीरे से मसलने और मेरे स्तनाग्रोंको छूने लगे। 

उसका शिश्न (लंड) उत्तेजनामें आकर और भी सख्त हो रहा था. मुझे भी अब सुख का अनुभव होने लगा और मैं भावनाओंमें बहती चली गयी. 

"आह, रोहित, मेरे बूब्स को चाटो और मेरे निप्पल्स को चूसो ना. आह," मेरे हाथ उसके सरके बालोंको सहलाते हुए उसे माथे पर चूमकर मैं बोली. 

"आह, ऐसे ही, चूसते रहो मेरे निप्पल्स, आह, कितना अच्छा चूस रहे हो, ओह माय गॉड."

उसने मेरी आँखों में देखा और मुस्कुराया, फिर मेरे निप्पल को अपने होठोंसे और जीभ से प्यार देने लगा. 

"रोहित, ओह रोहित, अब मुझे नीचे भी प्यार करो न प्लीज. आह, ओह रोहित.."

मेरे स्तनोंको मसलकर वो मेरे पेटके आसपास चूमने और गीली जीभसे चाटने लगा. मुझे इतना प्लेज़र मिल रहा था की उसके योनि को छूने के पूर्व ही मैं एक बार झड़ चुकी थी. नीचे आते हुए उसने मेरी दोनों जांघें खोलकर अलग की और मेरे चुत को सूंघकर जैसे दीवाना हो गया. योनिपटल को चूमते हुए जैसे ही उसकी जीभ मेरी योनिमें प्रवेश कर गयी, मैं जोर से चीखी. 

उसने जान लिया की मुझे अत्याधिक कामसुख मिल रहा हैं. उसने अपना चेहरा उठाकर बड़े प्रेमभावसे मुझे देखा और फिर से मेरी योनि का रस चाटते हुए मुझे स्वर्ग के दर्शन कराने लगा. 

अब मैं भी अपने आप को रोक न साली और मेरे मुँह से बस आहें और गर्म साँसे निकलती रही. 

"आह, आह, आह, हां चाटो, ओह, वहीँ पर, आह, ओह रोहित, आह चाटो वहीँ पर..और अंदर डालो. आह, आह, आह, रोहित तुम कितने अच्छे हो, आह, माय डार्लिंग, आह, येस येस, ओह्ह.."

अब उससे भी और रहा न गया और उसने उठकर अपना सख्त औज़ार मेरी योनि के द्वार पर रगड़ना शुरू किया. 

"ओह, डालो अंदर डालो इसे. ओह माय गॉड, रोहित, डालो न प्लीज."

वो फिर भी मुझे तड़पाता रहा और अपने लौड़े के सुपाडे से सिर्फ मेरी योनि के द्वार पर ऊपर नीचे स्पर्श करता रहा. आजतक मैं लौड़ा अंदर लेने की लिए कभी इतना तरसी नहीं थी. 

"रोहित, फक मी प्लीज, फक मी हार्ड, ओह.."

जैसे की वो मेरी तड़प और बढ़ाना चाहता हो और उसने तुरंत पलटी खाकर मुझपर उल्टा आ गया. अब उसका कड़क लौड़ा मेरे होठोंके पास था और उसकी गीली जीभ मेरे चुत के दानेपर धावा बोल रही थी. मैंने उसका लंड मुँहमे लेकर जैसे ही चूसना आरम्भ किया, अब तेज आहें और गर्म साँसे उसके मुँह से निकलने लगी. 

"आह, ओह गॉड, ऐसे ही, सुनीता, चुसो, प्लीज, आह.."

कभी चूसना, कभी बहार निकाल कर चाटना और कभी अण्डकोषोंको चूसना चल रहा था और रोहित जैसे सुख के सागर में हिंडोले ले रहा था. 

"कितने दिनोंके बाद इतना सुख मिल रहा हैं, आह, मेरा पानी मत निकालो, मुझे तुमको चोदना हैं जान," उसके मुँहसे बड़ी मुश्किल से आवाज़ निकल रही थी. 

मैंने लम्बे चौड़े कड़क लंड को मुँह से निकालकर पलट गयी और उसके बाजू में लेट गयी. मेरे मम्मोंको मसलता हुआ रोहित मेरे ऊपर चढ़ गया और एक ही झटके में अपना लिंग मेरी योनिमें घुसेड़ दिया. 

अब वो मुझपर सवार होकर मुझे चोदने लगा और मैं भी अपनी टाँगे खोलकर उसके कड़क लंड को जितना हो सके उतना ज्यादा अंदर लेने लगी. 

"आह, आह, यस, चोदो मुझे, हाँ ऐसे ही, यस, ओह गॉड, रोहित, आह चोदो मुझे, यस, फक मि हार्ड."

मेरे उन्नत वक्षोंको और खड़े हुए निप्पल्स को अपने मजबूत हाथोंसे मसलते हुए वो मुझे लगातार चोदे जा रहा था. उसका लौड़ा राज, रूपेश और नीरज के लौडोंके मुक़ाबले में थोड़ा ज्यादा मोटा था, इसलिए मेरी चुत को कुछ अलग ही मज़ा आ रहा था. 

रोहित हाँफते हुए मुझे मिशनरी पोज में चोदता गया और मैं सोचती रही की यह अभीतक झडा कैसे नहीं. बादमें उसीने बताया की जब ड्राइवर मुझे लेने के लिए आया था तब उसने अमेरिका से मंगाई हुई वायग्रा दवाई खाई थी. इसलिए उसका लौड़ा पानी छोड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था. 

"सुनीता डार्लिंग, अब मैं तुझे घोड़ी बनाकर पीछेसे चोदता हूँ, आजा अपने हाथों और घुटनोंपर।"
 
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