Desi Sex Kahani गदरायी मदमस्त जवानियाँ - Page 4 - SexBaba
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Desi Sex Kahani गदरायी मदमस्त जवानियाँ

"सुनीता डार्लिंग, अब मैं तुझे घोड़ी बनाकर पीछेसे चोदता हूँ, आजा अपने हाथों और घुटनोंपर।"

जैसे ही मैं घोड़ी बन गयी, उसने मेरी गांड पर दो चार चाटे मारकर मेरी योनि को खोल दिया और अपना सख्त और मोटा लंड उसमे घुसा दिया. लगातार बीस-पच्चीस मिनट तक लंड और चुत दोनों झूंझते रहे. मेरी चुतसे कामरस बहकर उसे गीली कर दे रहा था और रोहित को मेरी तंग योनिमें चोदकर ज़िन्दगी का असीम सुख मिल रहा था.

दोनों हाथोंसे मेरी चूचियोंको मसलते हुए आखरी उसके मुँहसे निकला, "डार्लिंग, अब मेरा छूटने वाला हैं, बता कहा निकालू?"

वैसे तो मैं वीर्य पी जाना ही पसंद करती हूँ मगर इसके सामने थोड़ा शर्मीलापन भी ज़रूरी था. 

"मेरी चुत में ही पूरा छोड़ दो तुम्हारा पानी, मेरी प्यास मिटा दो रोहित डार्लिंग!"

इतना सुनने के बाद उससे और रहा न गया और उसने अपने गरम वीर्य की पिचकारी मेरी योनि में छोड़ दी. 

अब मैं पेट के बलपर ही लेटी रही और वो मेरे ऊपर निढाल होकर लेटा रहा. करीब दस मिनट के बाद रोहित पलट कर मेरे समीप सो गया और उसने मुझे बाहोंमें ले लिया. 

"सुनीता, तुमने मुझे आज वह प्लेज़र दिया है जिसके लिए मैं कई महीनोंका प्यासा था. मैं कोई कालगर्ल बुलाकर चुदाई नहीं करना चाहता था. तुमने मुझे इतना खुश किया हैं की मेरे पास तुम्हारी तारीफ़ करने के लिए शब्द भी नहीं हैं."

ऐसे ही कुछ समय तक हम एक दुसरे को सहलाते और चूमते रहे. उसके बाद उठकर दोनों एक साथ आलिशान बाथरूम में नहाये. तन को सुखाकर और तौलिये लपेटकर हमने टेबलपर रखे भोजन का आस्वाद लिया. लग रहा था रोहित एकदम मुझपर लट्टू हो गया था. 

मैंने अपने बैग में से मिनी स्कर्ट और एक तंग चोली पेहेन ली. रोहित भी शॉर्ट्स और टी-शर्ट पहनकर मेरे साथ हाथोंमें हाथ डालकर निकला. थोड़ी दूर टहलने के बाद हम वापिस लौटे और अगले दो दिन (शनिवार और रविवार) यही दौर चलता रहा. 

पूरे समय रोहित ने मेरे साथ मिशनरी, डॉगी , काउबॉय, रिवर्स काउबॉय, सिक्सटी नाइन और न जाने किन किन पोजेस में सम्भोग किया. उसने दिन में दो या तीन बार वायग्रा खाई और उसका लौड़ा बहुत ज्यादा समय तक खड़ा रहा. मैंने भी उसका पूरा साथ देते हुए सम्भोग के दौरान हर एक पल उसे स्त्री पुरुष का सर्वोत्तम सुख दिया. दुसरे दिन से मैंने उसके लौड़े से वीर्य पीना भी शुरू किया, जिसके कारण वो मुझसे और भी ज्यादा खुश हो गया. 

सोमवार की सुबह जब हम उठकर तैयार हो रहे थे तब उसने मुझे अपने पास बुलाया. 

"सुनीता, मैं साथ में दो लिफ़ाफ़े लाया था. अगर तुम मुझे तुम सिर्फ जबरदस्ती के सेक्स का सुख देती, तो मैं तुम्हे ये लिफाफा देता. इसमें दो गुना सैलरी, डेढ़ लाख का जोइनिंग बोनस और बैंक की तरफसे सिर्फ दो बैडरूम का फ्लैट वाला लेटर था."

"अच्छा, और दुसरे लिफ़ाफ़े में?" मैंने पूंछा. 

"दुसरे लिफ़ाफ़े में तीन गुना सैलरी, ढ़ाई लाख का जोइनिंग बोनस और बैंक की तरफसे सिर्फ तीन बैडरूम का आलिशान फ्लैट वाला लेटर हैं."

फिर रोहित ने मुझे बाहोंमें लेकर चूमते हुए कहा, "क्योंकि तुमने मुझे इतना सुख देकर तृप्त कर दिया हैं इसलिए मैं तुम्हे यह दूसरा वाला लिफाफा दूंगा."

"ओह, थैंक यू रोहित, तुम कितने अच्छे और प्यारे हो," मैंने झूठ मूठ का प्यार दिखाते हुए कहा. 

फिर कुछ समय तक हम चूमा चाटी करते रहे.

उसी समय मैं अपने दिल से कह रही थी, "सुनीता, अगर तू रोहित को इतना जी भरके सेक्स का सुख नहीं देती थी तो उतना ज्यादा लाभ नहीं होता था. अच्छा हैं की तूने बिना झिझक के उसपर सबकुछ लूटा दिया. अब तेरा सोने का कमरपट्टा पाने का ख्वाब भी जल्द ही पूरा होगा."

लिफाफा लेकर मैंने अपनी पर्स में रख दिया और उसे फिर से चूम लिया. नौकर दोनोंके बैग्स उठाकर कार में रख चुका था. 

उसकी कार और ड्राइवर बाहर इंतज़ार ही कर रहे थे. हम दोनों बैठ गए और पौने घंटे में मुझे हमारे सोसाइटी के अंदर छोड़ दिया. जैसे ही मैं घर पर पहुँची, राज ने मुझे गले लगाकर मेरा स्वागत किया. 

मैंने भी उसे चूमकर वो लिफाफा उसके हाथ में दे दिया. 

"ओह मेरी प्यारी सुनीता रानी, तूने आखिर काम कर ही दिया!"

"हाँ, मेरे राजा, खोलके पढ़ तो लो."

जैसे ही राज ने पूरा लेटर पढ़ा, वो ख़ुशी मारे झूम उठा. हर चीज़ उसकी अपेक्षा से भी ज्यादा थी. 

"उसने तुम्हे परेशान तो नहीं किया न मेरी रानी?"

"नहीं मेरे राजा, मैंने उसे पूरा खुश किया और उसने भी अपनी बात पूरी की. दो दिन तुमने क्या किया डार्लिंग?"

"आखिर मुझे सारी बात रूपेश और सारिका को बतानी ही पड़ी. मगर इस पूरे मामले में हम उन दोनोंको दूर ही रक्खेंगे. नहीं तो साला रोहित फिर सारिका के पीछे भी पड जाएगा!"

"हाँ, सच केहते हो," मैंने कहा. 

राज ने अपनी मौजूदा नौकरी में त्यागपत्र दे दीया और एक महीने के अंदर नयी नौकरी शुरू कर ली. हमे अँधेरी में ही और अच्छे पॉश एरिया में बारहवीं मंज़िल पर तीन बैडरूम का बड़ा आलिशान फ्लैट नयी बैंक की तरफ से मिला था. एक वीकेंड को मजदूरोंको बुलाके सारा सामन पैक और शिफ्ट करवा दिया. फिर अगले दिन और तीन चार लोगोंकी मददसे सारा सामान नए फ्लैट में लगा दिया गया. 
 
रूपेश और सारिका भी खुश थे की उन्हें एक पूरा बैडरूम मिल गया था. तीसरा बैडरूम भी हमने अच्छे से सजाके रख दिया ताकि अगर कोई और कपल भी रात को रुकना चाहे तो उसका सारा इंतज़ाम हो. 

राज की नौकरी ठीक चल रही थी. चार महीने के बाद पता चला की रोहित की पत्नी माधुरी की डिलीवरी में कुछ दिक्कत हो गयी और वो अपनी संतान खो बैठी. 

अब इस सदमे के कारण वह अपने मैके में और दो महीने के लिए रुक गयी. राज से पता चला की रोहित ने कुछ महीनोंसे अपनी २० साल की उम्र वाली सेक्रेटरी डॉली के साथ सम्बन्ध बना लिए थे. 

मैं ये सुन कर खुश हुई, "चलो अच्छा हैं, अब रोहित कमसे कम मुझे फिर से तंग नहीं करेगा!"

जब माधुरी लौट कर आयी तब दो हफ्ते के बाद राज ने रोहित और माधुरी को हमारे घर पर भोजन के लिए बुलाया. 

पिछली बार की तरह आज भी बढ़िया खाना बना, अब की बार बाहर से एक रसोईया भी बुलाया था. उसने सारा मेहनत का काम किया और पांच बजे एक हज़ार रुपये लेकर चला गया. 

पिछली बार की तरह आज भी मैंने सारिका को रूपेश के दुकानपर भेज दिया था. राज आज बैंक से जल्दी आ गया था. हम दोनों साथ में नहाकर तैयार हो बैठे थे. राज ने डार्क ब्राउन सूट और मैंने लाल रंग का स्लीवलेस गाउन पहना था. 

रोहित और माधुरी साढ़े पांच बजे आ गए. माधुरी को हम दोनोंने आज पहली बार ही देखा था. वो दिखने में सुन्दर और गोरी थी मगर बहुत ही पतली थी. उसके वक्ष भी शायद ३२ इंच के ही होंगे. 

रोहित ने लाल रंग की टी-शर्ट और खाकी जीन्स पहनी थी. माधुरी काले रंग का स्लीवलेस और बैकलेस ब्लाउज और केसरिया रंग की पारदर्शी साड़ी पहनी थी. 

उन दोनोंका हमने आदर सत्कार किया और अच्छे से स्वागत किया. 

माधुरी बड़ी मुश्किल से बात चीत कर रही थी. मैं समझ सकती थी की, उसके हालात ही ऐसे थे. ऐसे में वो घर से निकलकर हमारे घर पर मिलने के लिए आयी यही बड़ी बात थी. 

रोहित हमारे घर पर पहले आ चूका था मगर माधुरी अभी तक नहीं आयी थी, इसलिए उसे मैंने सारा घर दिखाया. फिर साथ में बैठ कर यहाँ वहां की बाते करने लगे. मैंने और राज ने पूरी कोशिश की जो माधुरी के साथ हुआ उसका गलती से भी जिक्र न हो. थोड़ी देर के बाद माधुरी भी थोड़ा घुल मिल गयी और हंसी मजाक करने लगी. यह देखकर रोहित को बड़ी प्रसन्नता हुई. 

वाइन और नमकीन के दो राउंड चले, फिर भोजन हो गया. इतना सारा और स्वादिष्ट खाना देखकर और खाकर दोनों मेहमान खुश हो गए. मुझे भी अच्छा लगा की मेरी दिन भर की मेहनत रंग लायी. रात के नौ बजे के आसपास वो चले गए. उन्हें नीचे कार तक छोड़ने के लिए हम दोनों गए. 

आने वाले दिनोंमे दो-तीन बार ऐसे ही हमने किसी न किसी बहाने से रोहित और माधुरी को हमारे घर पर बुलाया. अब माधुरी को भी हमारे घर आना और मेरे और राज के साथ समय बिताना अच्छा लगने लगा. इस बात से रोहित भी खुश हुआ और उसने राज को ऐसे ही एक्स्ट्रा बोनस में ७५,००० रूपए दिला दिए. अब हम चारो अच्छे दोस्तोंकी तरह मिलने लगे. मालिक और नौकर सिर्फ बैंक के हदतक ही सिमित था, बैंक के बाहर हम घनिष्ठ मित्र बन गए. 
 
एक दिन शुक्रवार की शाम को मैं, राज, रोहित और माधुरी कोलाबा के पास एक डिस्को थेक में चले गए. आज पहली बार माधुरी ने सेक्सी टॉप और मिनी स्कर्ट पहनी थी. मैंने भी जामुनी रंग का टैंक टॉप और प्रिंटेड डिज़ाइन वाली हरे रंग की मिनी स्कर्ट पहनी थी. हम दोनों भी आज हॉट दिख रही थी. कारमें ड्राइवर के बाजू में राज बैठ गया और पीछे हम दोनोंके बीच रोहित था. ड्राइवर की नज़र हमारे वक्षों और जांघोंपर न जाए इसलिए मैंने और माधुरी ने एक पतली शॉल से अपने खुले अंगोंको ढक लिया था. 

डिस्को थेक में जाते ही रोहित ने ५००० प्रति कपल की एंट्री फी दे दी. ये बहुत ही ख़ास और मेहेंगा वाला डिस्को थेक था. अंदर जाते ही हमारे कदम संगीत की ताल पर थिरकने लगे. 

बियर और वाइन पीने के बाद हम चारो एक कोने में नाचने लगे. लगभग घंटेभर तक मिलकर नाचने के बाद, रोहित ने पूछा, "राज, क्या मैं सुनीता के साथ नाच सकता हूँ?"

मैंने फिर मन हि मन में सोचा, साला मेरे साथ तीन रात और दो दिन चुदाई कर चुका था और आज अपनी पत्नी के सामने बड़ा ही सीधा साधा होने का नाटक कर रहा था. मगर हमें इस बात से कोई शिकायत नहीं थी. 

"हाँ, हाँ, क्यों नहीं."

फिर रोहित और मैं एक दुसरे की बाहोंमे बाहें डालकर नाचने लगे. अब राज ने माधुरी की तरफ देखा और अपना हाथ आगे बढ़ाया. 

शर्माते हुए माधुरी राज के करीब आयी और वो दोनों भी साथ में नाचने लगे. 

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अब इसके आगे की कहानी राज की जुबानी 

जैसे ही मैंने अपना हाथ आगे बढ़ाकर माधुरी को नजदीक पाया, उसकी कमर में हाथ डालकर उसके और करीब आ गया. उसने भी अपनी बाहे मुझपर डाल दी और हम दोनों बिलकुल करीब होकर नाचने लगे. उसकी मुलायम कमर को जैसे ही मेरे हाथ स्पर्श करने लगे, वो और भी पास आ गयी. अब मेरा एक हाथ उसके नितम्बोंपर था और उसके वक्ष मेरे सीने से सटे हुए थे. 

उसके गालोंके पास अपने गाल लाकर मैंने उसके कानोंमें कहा, "माधुरी, आज तुम वाकई बहुत सुन्दर और प्यारी लग रही हो."

"ओह, राज, थैंक यू डिअर, कितने दिनोंके बाद मुझे इतना अच्छा लग रहा हैं. तुम भी बड़े प्यारे हो," उसने धीमी आवाज़ में कहा. 

अब मेरी गर्म साँसे उसकी गर्दन, गाल और कंधोंसे टकराने लगी. वो मेरे और पास आ गयी, अब तो उसके स्तन और कठोर स्तनाग्र मुझे छूने लगे. 

"माधुरी, मेरे साथ नाचते हुए अच्छा लग रहा हैं न तुम्हे?"

"हां राज, आप सचमुच बहुत अच्छे हो."

अब मैंने अपने गालोंसे उसके गोरे गालोंको स्पर्श किया. माधुरी के मुँह से एक आह निकली. 

उसने नज़र घुमाकर देखा तो रोहित और सुनीता एक दुसरे को लिपट कर मस्त थे. रोहित उसके गालोंपर और गर्दन पर चुम्बन किये जा रहा था और सुनीता अपने भरे हुए स्तन उसकी छाती पर दबा रही थी. 

"वो दोनों.." माधुरी आगे कुछ कह पाती उसके पहले मैं कह दिया, "उनको एन्जॉय करने दो, हम भी एन्जॉय करेंगे!"

मैंने माधुरी के गर्दन को हलके से चूमा, और अब वो मुझसे पूरी तरह लिपट गयी. हम डांस की जगह आलिंगन में आ गए थे. 

"मधु, तुम्हे अच्छा लग रहा हैं न?

"हां राज, तुम बड़े हॉट हो."

"तुम भी बहुत हॉट और सेक्सी हो मधु."

न जाने मैंने माधुरी को मधु नाम से क्यों पुकारा, मगर वो उसे अच्छा लगने लगा. 

अब मेरे दोनो हाथ उसकी पीठ और कमर पर फिर रहे थे और मैंने हिम्मत करके उसके गालोंको चूमना शुरू किया. 

"आह राज, कितना अच्छा लग रहा हैं, आह."

अब मैंने सोचा यही मौका हैं और उसका चेहरा उठाकर उसके रसीले होठोंपर अपने होंठ रख दिए. 

माधुरी ने भी अब मेरे चुम्बन का जवाब दिया और मेरे होठोंको अपने मुँह में लेकर चूसने लगी. मैंने उसे बाहोंमे जकड लिया और मेरे हाथ उसके मिनी स्कर्ट को उठाकर उसकी नितम्बोंकी गोलाईयाँ नापने लगे. धीरे धीरे हम दोनों रोहित और सुनीता से दूर गए और फिर दोनोंके जीभ का आपस में प्यार शुरू हुआ. 

मैं जानता था की अभीतक रोहित अपनी २० साल की सेक्सी सेक्रेटरी डॉली को ही चोदते रहता हैं. हो सकता हैं की वो माधुरी को ज्यादा सम्भोग सुख न देता हो. 
 
मैंने सोचा यह अच्छा मौका हैं रोहित से बदला लेने का! साले ने नौकरी के लिए मेरी बीवी को तीन दिन तक लगातार चोदा, अब मैं मुफ्त में उसकी बीवी को चोदूंगा. 

माधुरी को चूमते हुए अब मैंने एक हाथ उसके वक्षोंपर रखके उसे सहलाने लगा. 

"मेरे छोटे हैं न राज?"

"ना मधु, मुझे बहुत सेक्सी और मस्त लगते हैं ये."

"ओह, आह, राज, यू आर सो स्वीट."

"मधु डार्लिंग, तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो, और सेक्सी भी. आह, कितने कठोर और प्यारे मम्मे हैं तुम्हारे, आह."

मैं और मधु ऐसे ही सहलाते और चूमते हुए कुछ देर तक उत्तेजित होते रहे. उसका दिल जोरोंसे धड़क रहा था. 

"मैंने आज तक कभी ऐसा महसूस नहीं किया हैं, राज," माधुरी ने कहा. 

अब मैं और माधुरी दोनों एक दुसरे को सहलाते और चूमते हुए मदहोश हो गए थे. मेरा कड़क लंड उसकी योनि पर दब रहा था. मैंने देखा की माधुरी भी अब अपनी योनि मेरे लौडेपर दबा रही थी, जैसे की चोदने का संकेत दे रही हो. मगर मुझे बहुत सावधानीसे काम लेना जरूरी था क्योंकि वो मेरे बॉस की पत्नी थी. अभी तक मुझे ये भी पता नहीं था की रोहित को मेरी और माधुरी की चुदाई पर कोई आपत्ति है या नहीं. 

थोड़ी देर के बाद, हम चारो एक साथ मिले. माधुरी बहुत खुश लग रही थी और उसके चेहरे पर कोई अपराध की भावना बिलकुल नहीं थी. हो सकता है की वो रोहित के दूसरी लड़कियोंके साथ चक्कर के बारे में जानती हो, इसलिए मेरे साथ मस्ती करके उसे भी थोड़ा अच्छा लगा होगा. 

हँसते हुए रोहितने कहा, "यार राज, बड़ा मज़ा आया सुनीता के साथ रोमांटिक डांस करते हुए. क्या सुनीता, तुम्हे कैसे लगा?"

"मुझे तो रोमांटिक डांस हमेशा ही अच्छा लगता हैं, और तुम तो हो भी इतने हैंडसम!" खिलखिलाते हुए सुनीता ने कहा.

"हां यार, मुझे और मधु को, मतलब माधुरी को भी बड़ा मज़ा आया. वो बहुत अच्छी डांसर है," मैंने सहज भाव से कह दिया. 

"तुम भी कुछ बताओ माधुरी, तुम्हे कैसा लगा," रोहित उसकी आंखोंमें आँखे डाल कह रहा था. 

"ओह रोहित, मुझे इतना मज़ा आज तक कभी नहीं आया था. राज ने मेरा बहुत अच्छा ख़याल रखा, वो बहुत ही अच्छा डांसिंग पार्टनर हैं."

फिर मैं माधुरी के और रोहित सुनीता के कमर में हाथ डालकर हम डिस्को थेक के बार की तरफ गए. फिर एक बार वाइन और बियर का दौर हुआ. अब माधुरी को काफी चढ़ गयी थी. बाहर निकलकर हम रोहित की कार में बैठकर नजदीक के पंजाबी रेस्ट्रॉन्ट में गए और भोजन किया. उन्होंने वापसी में हमें घर पर ड्राप किया और आगे चले गए. 

"क्या क्या किया मेरे राजा ने अपनी मधु, ओह सॉरी माधुरी के साथ?" मेरी बाहोंमे आते हुए सुनीता ने पूंछा. 

"कुछ ज्यादा नहीं, बस चुम्बन और आलिंगन. थोड़ा उसकी गांड पर हाथ फिरा लिया, बस. और रोहित ने तुम्हारे साथ क्या क्या किया मेरी जान?"

"खड़े खड़े और नाचते हुए जो कुछ कर सकता था, सब कुछ किया सालें ने. बार बार उन तीन रातोंको याद कर रहा था. लगता हैं मुझसे चुदने के लिए बेताब हैं साला."

कपडे खोलकर हमने साथमें शावर किया और चुदाई में लग गए. 

"यार, मधु की गोरी गोरी जाँघे मस्त दिख रही थी. उन्हें चूमूंगा और फिर उसकी चुत चाटूँगा," सुनीता के वक्षोंको मसलते हुए मैं कह रहा था. 

"आह, दे तेरा लंड मेरे मुँह में राज, ओह आय मीन रोहित!"
 
रोहित और मधु के बारे में सोचते और बोलते हुए आधी रात तक चुदाई का दौर चल रहा था. 

अगले ही दिन सुनीता ने फ़ोन पर माधुरी से बात शुरू कर दी. दो तीन हफ्तोंमें दोनों और भी करीब बन गयी और उन दोनोंका एक दुसरे के घर आना जाना शुरु हो गया. 

एक दिन अचानक साढ़े ग्यारह बजे माधुरी के ड्राइवर ने दरवाजे की घंटी बजायी. जैसे ही सुनीता ने दरवाज़ा खोला, उसने कहा, "माधुरी मैडम ने आप को तुरंत बुलाया है."

सुनीता तैयार होकर उसके साथ चल दी. बंगले पर पहुंचनेपर नौकरानी ने दरवाज़ा खोला और कहा, "मैडम अपने कमरे में हैं, आप को उधर ही बुलाया हैं."

सुनीता सोच रही थी की अचानक क्या हो गया. उसे डर लगा की कहीं उसका रोहित से चुदवाने का किस्सा माधुरी को पता तो नहीं चल गया. 

जैसे ही उसने मास्टर बैडरूम में प्रवेश किया, माधुरी सिसकिया भर कर रोती हुई सुनीता के गले मिली. 

"सुनीता, मेरे रोहित का अपने सेक्रेटरी के साथ अफेयर चल रहा हैं."

सुनीता ने मन ही मन में सोचा, चलो मेरी जान तो छूटी. 

"अरे क्या हुआ, जरा अच्छे से बताओ तो सही, और यह रोना धोना बंद करो. हम इक्कीसवी सदी की लड़किया हैं, कोई अबला नारी नहीं," सुनीता ने कहा. 

फिर माधुरी ने रोते रोते बताया, "मुझे काफी दिन से रोहित पर शक था, इसलिए मैंने एक प्राइवेट डिटेक्टिव को उसके पीछे लगाया था. आज सुबह ही उसने सारे सबूत दिए, जिससे साफ़ पता चलता हैं की रोहित और डॉली दोनोंके कई महीनोंसे शारीरिक सम्बन्ध चल रहे हैं."

सुनीता ने उसे गले लगाया और सोचा यही मौका हैं रोहित से बदला लेने का. मुझसे चुदने के लिए तुमने राज को मजबूर किया, अब देख मैं क्या करती हूँ!

"ओह माधुरी, आखिर तुम्हे पता चल ही गया रोहित के बारे में. मैं और राज तो हमेशा ही चाहते थे की कम से कम तुम्हारे आने के बाद तो रोहित सीधे रास्ते पर आ जायेगा. अब लगता हैं, वो उम्मीद भी नहीं रही."

सुनीता ने माधुरी के आंसू पोंछे और फिर राज की नौकरी के लिए सुनीता से सेक्स करने के लिए कैसे मजबूर किया वो कहानी पूरे विस्तार से बतायी. 

थोड़ा सोच कर सुनीता बोली, "माधुरी, कांटे से ही काँटा निकलता हैं. अगर रोहित तुम्हे तड़पता छोड़कर दूसरी लड़कियोंके साथ गुलछर्रे उड़ा सकता हैं, तो तुम भी किस हसीं लड़के के साथ सम्बन्ध बनाकर जीवन के मजे लूट सकती हो. इसीको अंग्रेजी में कहते हैं टिट फॉर टैंट!"

"सुनीता, क्या सचमुच ऐसा हो सकता हैं?" अब माधुरी की आँखों से आंसू गायब हो गए थे और उसका चेहरा आवेश से लाल हो रहा था. 

"हाँ, क्यों नहीं हो सकता, मैं तुम्हारी इतनी अच्छी सहेली हूँ, मैं तुम्हारी मदद करूंगी."

"कैसे?"

"अगर एक बात पूंछू तो तुम्हे बुरा नहीं लगेगा न?"

"अब बुरा लगने के लिए बचा ही क्या हैं सुनीता, जो भी पूंछना हैं बिनधास्त पूंछ ले."

"तुम्हे राज कैसा लगता हैं?"

"ओह माय गॉड, तुमने तो मेरे दिल की बात कह दी. उस दिन डिस्को थेक में नाचते वक़्त हम काफी करीब आ गए थे और हमने थोड़ा किसिंग भी किया था."

"हाँ, मुझे पता हैं माधुरी, राज मुझसे कुछ भी नहीं छुपाता. वो भी मन हि मन तुम्हे चाहता हैं."

"हाँ, जब हम एक दुसरे से सटे हुए थे तब उसकी मर्दानगी का मुझे भी एहसास हुआ था," शर्माते हुए माधुरी ने कहा. 

"तो फिर मौका निकाल जब रोहित मुंबई से बाहर गया हो, और आ जा मेरे घर पर. मैं तुम्हे राज को सौप दूँगी, मगर उसके लिए ये एक सरप्राइज रहेगा."
 
दोनों सहेलिया फिर से गले मिली और फिर आगे की प्लानिंग शुरू हुई. दो हफ्तोँके बाद रोहित किसी कॉनफेरेन्स के लिए दुबई जाने वाला था, वो भी पांच दिन के लिए. प्राइवेट डिटेक्टिव से यह भी पता चला था की डॉली भी साथमें जाने वाली थी. 

अब प्लान ये बना, की जैसे ही रोहित एयरपोर्ट के लिए चला जायेगा, माधुरी ड्राइवर को लेकर अपनी बड़ी बेहेन कामिनी के घर जायेगी. 

वहांपर दो घंटे रुकने के बाद टैक्सी लेकर राज और सुनीता के घर आ जाएगी. वापसी के दिन भी दो-तीन घंटे पहले कामिनी के घर पर रहेगी और उसके बाद ड्राइवर को वही बुलाएगी. इससे किसीको पता भी नहीं चलेगा की पूरे पांच दिन माधुरी अपनी बेहेन कामिनी के नहीं मगर सुनीता के घर पर रही. 

गुरुवार के दिन दोपहर में दो बजे ही रोहित एयरपोर्ट के लिए निकल गया. वैसे तो कांफ्रेंस शनिवार से शुरू होने वाली थी मगर उसे एक दो दिन डॉली के साथ मौज मस्ती और शॉपिंग भी तो करनी थी. तीन बजे के करीब माधुरी ने ड्राइवर को अपनी बेहेन कामिनी के घर पर चलने के लिए कह दिया. 

माधुरी बस घंटा भर ही वहाँ पर रुकी और बादमें सहेलियोंके साथ घूमने जाने का बहाना करके उसने टैक्सी बुला ली. टैक्सी सीधा हमारे बिल्डिंग के नीचे आकर रुकी. मैंने खिड़की से देखते ही नौकर को नीचे भेज दिया, वो माधुरी का बैग लेकर आ गया. अंदर आते ही माधुरी मेरे गले मिली. उसका दिल जोरोसे धड़क रहा था. 

आजतक उसने अपने पति के अलावा किसी और मर्द के साथ सम्बन्ध नहीं बनाये थे, इसलिए उसे थोड़ा डर जरूर लग रहा था. 

सुनीता ने उसे समझाया और उसका हौसला बढ़ाया. 

सुनीता ने मुझे फ़ोन पर कहा, "राज, तुम्हे पता हैं रोहित दुबई चले गए है और माधुरी अकेला महसूस कर रही थी, इसलिए अपने घर पर आयी हैं."

मैंने कहा, "अच्छा, मैं बस बैंक से निकलने ही वाला हूँ. आते हुए रस्ते से मधु के पसंदीदा नमकीन और मिठाई लेते हुए घर पहुँचता हूँ."

कचोरी, समोसे, पकौड़े, जलेबी और बंगाली मिठाई (ये सब माधुरी को बहुत पसंद थे) खरीदकर मैं घर पहुँचा. 

सुनीता और मधु, दोनोंने खुले गले की टी-शर्ट और सेक्सी शॉर्ट्स पहनी हुई थी. दोनों भी बड़ी सुन्दर और हॉट लग रही थी. 

"कैसी हो मधु?" मैंने पूंछा. 

"अभी अभी रोहित लगभग हफ्ते भर के लिए दुबई गए हैं, घर में अकेलापन खाने को दौड़ने लगा इसलिए मैं सुनीता के पास चली आयी."

"अरे ये तो ख़ुशी की बात हैं की तुम यहाँ चली आयी, ये भी तो तुम्हारा ही घर हैं. चलो सब मिलके तुम्हारी पसंद का नाश्ता करते हैं."

अब तीनों बैठकर वाइन के साथ कचोरी, समोसे, पकौड़े का आस्वाद लेने लगे. 

"तुम दोनों भी आज बहुत सुन्दर और सेक्सी लग रही हो," मैंने कहा. 

सुनीता की सांवली मांसल जाँघे और माधुरी की गोरी गोरी जांघें देखकर मेरा लंड जीन्स में कड़क होने चला था. 

"यार आज कुछ ज्यादा ही गर्मी हैं, मैं ज़रा थोड़े ढीले कपडे पहनकर आता हूँ," कहकर मैं सिर्फ बनियान और लुंगी में उनके साथ बैठ गया. 

जैसे ही वाइन और नमकीन खत्म हुए, सुनीता ने कहा, "चलो, आज एक बच्चोंवाला गेम खेलते हैं, मगर थोड़ा अलग तरीके से."

"अरे वा, कैसा गेम?" मैंने पूंछा. 

"वही लुकाछुपी वाला मगर इसमें दो लोग एक साथ एक ही जगह छुपेंगे और तीसरा उन्हें ढूंढेगा." सुनीता ने कहाँ. 

पहली बारी मुझपर आयी और दोनों लड़किया छुप कर बैठी. दो मिनट में मैंने उन्हें कपडोंकी अलमारी से बहार निकाला. मुझे ऐसा लगा की अंदर सुनीता मधु के साथ चूमा चाटी कर रही थी. 

अब सुनीता ने कहा, "चलो, अब मेरी बारी, तुम दोनों छुपो."

मैंने मधु का हाथ पकड़कर उसे लेकर तीसरे बैडरूम में गया. वहांपर पलंग जमीन से थोड़ा ऊपर था. मैं पलंग के नीचे चला गया और मधु को भी आने को कहा. पलंग के नीचे जगह कम होने के कारण हम दोनों साइड पर लेटकर एक दुसरे की बाहोंमें थे. अब प्लान के मुताबिक सुनीता हम दोनोंको साथ में समय देना चाहती थी, इसलिए एक दो बार वो उस बैडरूम में आयी मगर नीचे झांके बगैर चली गयी. 

"मधु, तुम्हारे पैर बाहर न दिख जाए, करीब आ जाओ," यह कहकर मैंने उसे अपनी बाहोंमे और भी जकड लिया. मेरी बालोंसे भरी जाँघे उसकी गोरी मुलायम जाँघोंसे जुड़ गयी और मेरा लंड अपने आप खड़ा हो गया. उसकी चूचियाँ मेरे सीने पर दब रही थी और होठ होठोंसे जुड़े थे. 

"आह, ढूंढ लिया," चिल्लाते हुए सुनीता ने हमें पलंग के नीचे से बाहर आने के लिए कहा. 
 
अब मधु की बारी थी और मैं और सुनीता छुपने वाले थे. हम दोनों दुसरे बैडरूम के बाथरूम में घुस गए और टब बाथ में लेट गए. मैंने सुनीता का टॉप ऊपर उठाया और उसका दाया वक्ष चूसने लगा. वो भी मेरे लुंगी में हाथ डालकर मेरे लौड़े को सहलाती रही. दो-तीन मिनट के बाद पता चला की मधु बाथरूम के द्वार पर खड़ी होकर देख रही थी. 

"अरे यार, हम भी आउट हो गए," कहते हुए मैंने सुनीता का टॉप और मेरी लुंगी ठीक की. हम दोनों टब बाथ से उठकर आ गए. 

"कितना मज़ा आया न माधुरी?" सुनीता ने पूंछा. 

"हां यार, कितने दोनोंके बाद ऐसी मस्ती हो रही हैं. नहीं तो घर पर वही खिटपिट.."

"छोडो न मधु, अब यहाँ हमारे साथ हैं तो एन्जॉय करो," मैंने कहा. 

हम तीनोंने साथमें भोजन किया और समय बिताने के लिए ताश खेलने लगे. बीच में सारिका और रूपेश आकर भोजन कर के फिल्म देखने चले गए. 

अब सुनीता ने माधुरी को आँख मारी और बोली, "राज, मैं और माधुरी तीसरे बैडरूम में जाकर थोड़े ने कपडे ट्राय करके देखने वाले हैं. आप बैडरूम में जाकर सो जाओ."

मैं बैडरूम में चला गया और मुझे वाइन के नशे के कारण नींद कब लगी पता ही नहीं चला. बैडरूम में सिर्फ नाइटलैम्प का ही थोड़ा सा उजाला था. 

कुछ देर बाद मुझे एहसास हुआ की सुनीता मुझे चूम रही हैं. मैं भी उसे चूमता गया और उसके भरे हुए स्तनोंको प्यार से मसलने लगा. तभी मुझे लगा की नीचे से मेरी लुंगी खींच कर निकली गयी और मुझे अपनी जांघोंपर गीले होठोंसे चूमने का अंदेशा हुआ. मैंने सुनीता के वक्ष मसलते हुए उसको किस किया, तब मुझे झटका लगा की नीचे कोई और लड़की मुझे किस कर रही हैं. 

मैं कुछ पूंछता उसके पहले ही सुनीता ने मेरे होठोंपर अपनी ऊँगली रख दी. मैं समझ गया की नीचे मधु ही मुझे चूम रही हैं. 

मैं ख़ुशी से झूम उठा और मेरा लंड और भी सख्त और शायद और भी लम्बा हो गया. अब मधु चूमते हुए मेरे दोनों जांघोंको दूर करके मेरे लौड़े पर हलके हलके चूमने लगी. 

मेरे मुँह से आह निकल गयी, और मैंने उठकर मधु को अपने ऊपर लिटा दिया। 

"ओह मधु, तुम कितनी स्वीट और सेक्सी हो," कहते हुए उसके होठोंको चूसने लगा. 

मधु को चूमते और सहलाते हुए मैंने उसको वक्षोंको मसलना शुरू किया. अब मैं पलटकर ऊपर आ गया और मधु को नीचे लिटा दिया. 

"ओह मधु, कितने मस्त हैं तुम्हारे ये मम्मे," मैं उसके निप्पल्स को चूसते हुए बोला।

अब सुनीता मेरी पीठ और गांड पर अपने बड़े बड़े स्तनोंका स्पर्श करके मुझे और भी उत्तेजित कर रही थी. दोनोंने मुझे बीचमें लिटाकर सुनीता और मधु मेरे एक एक निप्पल को चूसने लगी. 

मैं दोनोंकी पीठ पर हाथ फिराकर बोले जा रहा था, "आह, कितना अच्छे से चूस रही हो दोनों. ओह सुनीता रानी, कितना बड़ा सरप्राइज दिया हैं तूने मुझे! ओ मधु, जबसे तुम्हारे साथ डांस किया था तबसे तुम्हे प्यार करने की इच्छा थी मेरी, जो आज जाकर पूरी हो रही हैं, आह.."

सुनीता नीचे सरककर मेरे लौड़े के मुँहमें लेकर प्यारसे चूसने लगी और मैंने मधु को ऊपर की तरफ खींचकर फिरसे उसके स्तनोंको बारी बारी पीने लगा. उसके मुखसे गर्म साँसे और आहे निकल रही थी. 

"आह, राज, ऐसे ही चूसे जाओ. मेरे यह बूब्स चूसो, कितना मज़ा आ रहा हैं, आह, कितने दिनोंके बाद इतना सुख मिल रहा हैं, आह!"

मैं समझ गया की डॉली को चोदने वाला रोहित अपनी पत्नी को कोई ख़ास सुख नहीं दे रहा था. उसके मम्मे मसलते हुए मैंने उठकर मधुको पीठ के बल लिटा दिया और उसकी जाँघे खोलकर उसकी गुलाबी योनि चाटने लगा. सुनीता ने मधु का एक स्तन मुँह में लेकर चूसने लगी. जैसे ही मधु को पता चला की मैं उसकी चुत चाट रहा हूँ और मेरी सुन्दर सेक्सी सुनीता रानी उसके वक्षोंको चूस रही हैं, मधु के मुँहसे एक जबरदस्त आह निकली। 

उसने सुनीता को अपने वक्ष पर दबा दिया और चिल्लाने लगी, "ओह, आह, राज, सुनीता, तुम दोनों कितने हॉट हो, चाटो मुझे वहाँ नीचे, आह, ऐसे ही, और सुनु तुम भी इसमें शामिल हो गयी, ओह माय गॉड, तुम कितनी हॉट और सेक्सी हो, मैंने आज तक कभी किसी लड़की को प्यार नहीं किया हैं. आह, राज, चाटो वहीँ पर, आह , हाँ मेरा दाना भी चूसते रहो, ऐसे ही.."

चुत चाटने के साथ मैंने पहले एक और फिर दो उंगलिया उसकी चुत में डालकर अंदर बाहर करने लगा. फिर तो मधु और भी ज्यादा उत्तेजित हो गयी. 

"ओहहऽऽऽ.... आहहहऽऽ.... ओह, माय गाडऽऽऽ... येसऽऽऽ.... राज, चोदो मुझे, ओह, याऽऽऽऽ...ओह, फक सुनीता, येसऽऽऽ....." 
 
सुनीता ने अपना दाया स्तन मधु के मुँहमे दिया और वो जोर जोरसे चूसने लगी. तभी मैंने मधु की टाँगे खोलकर उसकी चुत पर मेरे लंड का सुपाड़ा रगड़ा. जल्दी से लौड़े को अंदर घुसाया और मधु को प्यार के साथ चोदने लग गया. 

मधु चिल्लाती रह गयी, "ओह फक, राज! फक मीऽऽऽ... फक में हार्ड, और जोर से , आह... ओहह येससऽऽ... आय ऍम सो वेट, ओह राज, कम इनसाइड मि....." 

लगातार आधे घंटे तक मधु को चोदने के बाद मैंने सुनीता को नीचे लिटाकर उसकी गीली और रसीली चुत चोदने लगा. उस वक़्त सुनीता ने खींचकर मधु को अपने मुँहपर बिठा दिया और सुनीता अपनी जीभ और होठोंसे मधु की चुत और उसकी चुत का दाना चाटती और चूसती रही. 

आखिर जब मैं झड़ने को तैयार था, तब मैंने मधु से पूंछा, "मेरा वीर्य मुँह में लोगी क्या मधु डार्लिंग?"

वो उठकर करीब आयी और अपना मुँह खोलकर मेरे लंड के सामने आ गयी. जैसे ही मैंने पिचकारी मारी, उसने सारा वीर्य अंदर ले लिया. उतने में सुनीता ने मधु को होंठ चूसते हुए थोड़ा वीर्य चाट लिया. अब दोनों मिलकर बारी बारी मेरे लंड को चाटती और चूसती गयी. वीर्य की आखरी बूँद तक पी डाली. 

जब तक रोहित दुबई में रहकर उसकी सेक्रेटरी डॉली को चोद रहा था, तबतक मैं और मेरी डार्लिंग सुनीता रानी मिलकर मधु के साथ थ्रीसम का मजा ले रहे थे. 
अब समय निकालकर मधु हमारे घर पर आती रहती हैं और फिर उसी समय मुझे किसी अर्जेंट काम से बैंक से निकलकर घर भागना पड़ता हैं!
 
रूबी के साथ मस्ती का सफर!

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सुनीता की जुबानी 

राज जिस बैंक में मैनेजर थे, वहांपर महीने ले आखरी दिन काफी देर तक रूककर काम करना पड़ता था, जिसे मंथ एन्ड क्लोजिंग कहते है. उनके साथ एक लड़की काम करती थी जिसका नाम था रूबी. उसका असली नाम शबनम सिद्दीकी था मगर उसने ये छोटा और प्यारा सा नाम अपनाया हुआ था. रूबी की उम्र लगभग ३० साल की होगी, मगर वह २५-२६ के आसपास की लगती थी. चेहरा सुन्दर था मगर दिखने में सांवली, पतला शरीर और छोटे वक्ष थे. उसे सुबह बैंक छोड़ने के लिए और शाम को ले जाने के लिए अलग अलग लड़के आते रहते थे. बैंक के लोगोंमें उसके बारे में यह खुसफुस भी चलती थी की, उसका एक से ज्यादा लौण्डोंके साथ चक्कर चल रहा हैं. 

एक दिन मंथ एन्ड क्लोजिंग के काम के सिलसिलेमें राज को शामको देर तक बैंक में रुकना पड़ा, साथमें रूबी भी काम कर रही थी. साढ़े नौ बजे के करीब बिजली चली गयी. अब बैंक के अंदर तो जनरेटर से काम चला मगर बहार आते ही पूरा अँधेरा था. 

राज ने रूबी से कहा, "आज के दिन मेरे साथ मेरे घर पर चलो, वहाँ सुनीता के हाथ का बना खाना भी खा लेना और बिजली आने के बाद मैं तुमको टैक्सी करके भिजा दूंगा."

रूबी के पास कोई और चारा नहीं था, क्योंकि उसके दोस्तोंमें से कोई भी उसे लेने नहीं आया था. वो राज के पीछे उसकी मोटरसाइकिल पर बैठ गयी. 

जैसे ही दोनों घर पहुँचे, राज ने रूबी को मुझसे मिलाया, "सुनीता, यह देखो मेरे साथ कौन आया हैं! ये हैं रूबी. आज देरतक मेरे साथ काम कर रही थी. इसे मैं अपने साथ डिनर के लिए लेके आ गया."

मैंने रूबी का स्वागत किया, "आओ रूबी, चलो इस बहाने से तुमसे मिलना तो हुआ."

"ओह सुनीता जी, सॉरी, मैं आप को तकलीफ नहीं देना चाहती थी, मगर राज सर ने जबरदस्ती करके मुझे यहाँ लाया. कहते रहे की इतनी रात में जब बिजली नहीं हैं, तब तुम्हारा अकेले घर जाना ठीक नहीं हैं."

"अरे इसमें तकलीफ की क्या बात हैं? जो भी दाल रोटी हम लोग खा रहे हैं, तुम भी खा लेना," मैंने कहाँ. 

"हाँ, ये शाकाहारी लोगोंका घर हैं, तुम्हे चिकन वगैरा कुछ नहीं मिलेगा यहाँ," हँसते हुए राज ने कहा. 

"क्या राज सर, आप तो मुझे शर्मिंदा कर रहे हो. मुझे सब खाना अच्छा लगता हैं, और मैडम के हाथ का खाना तो नसीबवालोंको ही मिलता होगा."

मैं, राज, सारिका, रूपेश और रूबी सब ने साथ में बैठकर भोजन किया. अभी भी बिजली आयी नहीं थी, इसलिए राज ने उसे रोक कर रक्खा. बिजली न होने के कारण हम सब हॉल में बैठकर पंखे से हवा कर रहे थे, और हंसी मजाक चल रहा था. बातों बातोंमें रूबी से पता चला की उसके कई "ख़ास दोस्त" हैं. 

उतने में बिजली आ गयी, फिर रूबी ने बड़ी अदब से कहा, "राज सर, अब मुझे जाना चाहिये. मैं आप लोगोंको और परेशान नहीं करना चाहती."

फिर राज ने उसके पहचानवाले टैक्सी को बुलाकर रूबी को घर भिजवा दिया. घर पहुंचकर उसने फ़ोन करके फिर से हमारा शुक्रिया अदा किया. 

"मैंने सुना हैं बैंक के लोगोंसे की ये लड़की अलग अलग लडकोंके साथ लगी हुई हैं और काफी चालू टाइप की हैं," राज ने कहा. 

"अच्छा, तो इसीलिए उसे घर लेकर आ गए, उसके साथ टांका भिड़ाने के लिए," मैंने राज पर व्यंग कसा.

"नहीं मेरी जान, वो सचमुच साथ में काम कर रही थी. अगर बिजली न जाती तो उसे घर पर नहीं लाता."

कुछ दिनोंके बाद किसी दूकान में फिर मेरी और राज की मुलाक़ात रूबी और उसकी रूममेट तान्या से हुई. रूबी हमारे घर से थोड़ी दूरीपर किसी वर्किंग वीमेन हॉस्टल में दो और लड़कियोंके साथ रहती थी. एक का नाम तान्या था जो उस समय उसके साथ थी. तान्या लगभग ६ फ़ीट लम्बी पंजाबी लड़की थी. वो एक अभिनेत्री बननेका प्रयास कर रही थी और छोटे मोटे विज्ञापन और मॉडलिंग भी करती थी. उसका फिगर एकदम बढ़िया था. 

दूसरी का नाम भानुप्रिया था जो किसी बड़े कंपनी में सेक्रेटरी का काम करती थी. उसके पति पालघर में किसी अच्छी कंपनी में थे. वो शुक्रवार के दिन शाम को अपने घर चली जाती थी और फिर सोमवार के दिन सीधा ऑफिस जाती थी. हॉस्टल के कमरे में वो सिर्फ सोमवार से गुरुवार तक ही रहती थी. सारा वीकेंड रूबी और तान्या को कमरे में पूरी आज़ादी थी. 

यहाँ वहां की बाते करके शॉपिंग करने के बाद हम चारों एक बढ़िया से राजस्थानी भोजनालय (रेस्ट्रॉन्ट) में चले गए. डिनर के बाद वो दोनों अपने घर चली गयी और मैं और राज अपने घर आ गए.

"क्या राज, तुम तो घूर घूर को तान्या को और उसके क्लीवेज को देख रहे थे!" मैंने राज को चूमते और बाहोंमें लेते हुए कहा. 

"हां मेरी जान, इतनी लम्बी, गोरी चिट्टी और माल लड़की काफी दिनोंके बाद देखी मैंने," राज ने कहा. 

"तो अब क्या, उसे भी पटाने का इरादा है क्या डार्लिंग?"

"नहीं यार, वो तो मॉडल और एक्ट्रेस टाइप की हैं, उसके तो कई चाहने वाले होंगे. अपना नंबर कब आएगा!"

"और रूबी, उसका क्या? वो तो सीधी साधि टाइप की लगती हैं मुझे," मैंने हँसते हुए कहा. 

मेरी चूचिया मसलते हुए राज बोला, "उसपर तो बैंक के सारे जवान लौंडे लाइन मारते हैं मेरी जान, मेरे जैसे शादीशुदा आदमी से थोड़े ही फसने वाली हैं वो!"

"अगर तुम इतना ही चाहते हो दोनोंको, तो इस वीकेंड पर बुलालो उनको अपने घर पर! दावत देकर खुश करेंगे, और अगर उनके कोई हैंडसम बॉयफ्रेंड हो, तो मेरे भी काम आ जाएंगे," मैंने उसके लंड को सहलाते हुए कहा. 

"साला, मैं कितना लकी हूँ की मुझे तुझ जैसी चुदक्कड़ बीवी मिली हैं."
 
अब शायद राज दोनों लड़कियोंके बारे में सोचते हुए मुझे सहलाने और मेरे स्तनाग्र चूसने लगा. उसका कड़क लंड मेरी गीली चुत के द्वार पर जैसे ठोकरें मार रहा था. आज वो इतना ज्यादा एक्साइट हो गया की हमेशा की तरह सिक्सटी नाइन करे बिना ही मुझे मिशनरी पोज में चोदने लग गया. 

मेरी भी चुत इतनी गीली हो गयी थी की मुझे भी चुत चटवाने की जरूरत नहीं लगी. 

"आह राज, क्या मस्त मूड में हो आज, फक मी हार्डर, ओह, हाँ, ऐसे ही, फक," मैं भी उत्तेजित होती गयी. 

"सुनीता रानी, अगर वो गोरी गोरी तान्या मुझे मिल जाए तो क्या मज़ा आएगा मेरी जान," आखिर राज के मुँह से उसकी फैंटसी निकल ही गयी. वैसे भी मैं जानती हूँ की, सुन्दर, सेक्सी और गोरी लड़किया उसका वीक पॉइंट हैं. 

"आओ मेरे राजा, चोदो तान्या को, मेरी इस गीली चुत को फाड़ डालो, इस लम्बे लौड़े से मुझे चोदते रहो, डार्लिंग, फाड़ दो आज मेरी चूत को... रुकना नहीं! और जोर से... और जोर से!"," मैं चिल्लाकर बोली. 

"आह, आह, हाँ.. तान्या डार्लिंग, और खोलो तुम्हारी टाँगे और मेरे लंड को पेलती रहो .. आह, कितनी माल हो तुम ..आह," राज अब आँखें मूंदकर तान्या को चोदने का मज़ा ले रहा था. 

आखिर आधे घंटे तक कभी मिशनरी पोज तो कभी डॉगी पोज में राज मुझे चोदता गया और आखिर सारा पानी मेरे वक्षोंपर निकाल दिया. अगले कुछ रातोंतक तान्या के बारे में सोचते हुए मेरी ठुकाई होती रही. मुझे भी भरपूर सुख मिल रहा था. 

दो दिन बाद राज ने बताया की उसने रूबी और उसकी रूममेट तान्या को रविवार के दिन लंच पर बुलाया हैं. 

"मैं चाहता तो शनिवार के शाम के डिनर पर आये मगर वो लोग पहलेसे ही किसी पार्टी में जानेवाले हैं इसलिए रविवार के दिन लंच का तय हुआ हैं."

मैंने फिर से रसोईया बुलाकर अच्छा सा खाना बनवा लिया, जिसमे आलू के पराठे, राजमा, पुलाव, पनीर की सब्जी और रायता था. मिठाई और समोसे रूपेश हलवाई की दूकान से लेकर आ गया. 

दोनों लड़किया लगभग दोपहर के बारह बजे घर पर आयी. दोनोंने ढंगके सलवार कमीज पहने थे. दोनोंको देखकर ऐसा लग रहा था की पिछली रात को दोनों देरी तक जगी होगी। उनके मुँहसे भी शराब की हलकी सी बू आ रही थी. 

"सॉरी, राज सर, हमें आने में काफी देरी हो गयी," रूबी ने कहा. 

"अरे कोई बात नहीं, और घर पर राज कहो, सर वर सिर्फ बैंक में. इनसे मिलो, यह हैं मेरी जान सुनीता, और यह है मेरी प्यारी साली सारिका और उसके पति रूपेश," राज ने परिचय कराया. 

रूबी और तान्या फिर सुनीता, सारिका और रूपेश से मिले. फिर सभीने साथ में बैठकर भोजन किया. 

इतना सारा घर का बना हुआ खाना देखकर तो दोनों लड़कियोंके मुँह में पानी आ गया. दोनों हॉस्टल पर रहकर बाहर का खाना कहती थी, इतना अच्छा घर का बना हुआ खाना खाकर दोनों खुश हुई. फिर राजने मंगवाया हुआ पान भी ऑफर हुआ. 

बाहर कड़ाके की धूप होने के कारण हम लोगोंका काफी देर तक घर के अंदर ही बैठकर बाते करना, गाने सुनना , टीवी देखना और ताश खेलना चलता रहा. आखिर पांच बजे के करीब धुप ढलने के बाद, दोनों लड़किया मुझे और सारिका को धन्यवाद करती चली गयी. जाते वक़्त राज और रूपेश को थोड़ा रूबी और तान्या से गले मिलने का मौका मिल गया. अब दूसरी बार साथ में मिलने के बाद दोनों लड़किया शायद हम लोगोंसे घुल मिल गयी थी. 

अब तो रूपेश ने भी कहा," राज (अब वो राज भैया से राज पर आ गया था), ये दोनों काफी चालु लगती है, खास करके तान्या. साली मॉडलिंग का काम करती है, वो तो काफी लोगोंके साथ चक्कर चला चुकी होगी."

"तो क्या अब उसे भी पटाने का इरादा हैं क्या मेरे शेर?" सारिका ने पूंछा. 

"पट गयी तो क्यों नहीं," अब राज के दिल की आवाज़ निकल कर बाहर आ गयी. 

फिर रूबी और तान्या के बारे में सोचते हुए हम चारो हमेशा की तरह एक ही बिस्तर पर पार्टनर बदल कर सम्भोग सुख लेते रहे. 

अगले दो महीनोंमें कोई न कोई बहाने से हम चारो रूबी और तान्या से मिलते रहे. एक दिन राज को रूबी से पता चला की अगले दिन तान्या का जन्मदिन हैं. फिर क्या, राज और रूपेश ने बाजार में जाकर अच्छे परफ्यूम और फूलोंका गुलदस्ता लेकर आ गए. वैसे तो जन्मदिन तान्या का था मगर तोहफे रूबी और तान्या दोनोंके लिए लाये गए. 

वो दोनों सिर्फ कुछ ही देर के लिए हमारे घर पर रुकी, तोहफे लिए और थैंक्स बोलकर चली गयी. फिर एक बार, राज और रूपेश को रूबी और तान्या से गले मिलने का मौका मिल गया. इस समय ऐसा लगा की वो आलिंगन कुछ ज्यादा देरी तक चले और दोनों लडकोंके पैंटोसे उभरे हुए लंड भी दिखाई दिए. फिरसे मैंने और सारिका ने दोनों लड़कों की काफी टांग खींची. मगर मन ही मन मैं सोच रही थी की सही में अगर इनके हैंडसम, जवान और सेक्सी बॉयफ्रैंड्स हो तो चुदाई में और मजा आ जायेगा. 

उस वीकेंड पर अब रूबी ने हम सब लोगोंको एक पार्टी का आमंत्रण दिया. ये पार्टी उसके दोस्त विक्रम के घर पर शनिवार की शाम की थी. पार्टी के लिए राज और रूपेश दोनोने नए टी-शर्ट और शॉर्ट्स पहने। 

मैंने जामुनी रंग की मिनी स्कर्ट और काले रंग का स्लीवलेस टॉप पहना था, जिसका गला काफी खुला था. थोड़ा सा झुकते ही चूचियोंके क्लीवेज दर्शन देते थे. अब जब मौज मस्ती ही करने जाना था, तो अपने हुस्न को छुपाने में क्या मतलब? 

सारिका नीले रंग की शार्ट और गुलाबी रंग के टैंक टॉप पहनी थी. उसकी गोरी जाँघे और भरे हुए वक्ष कहर बरसा रहे थे. हम दोनों भी एकदम माल लग रही थी. 

जैसे ही हमारी टैक्सी उस पते पर पहुँची, हमने देखा की वो एक काफी बड़ा बंगला था. ऐसा लगा की विक्रम काफी पैसे वाले घर का होगा. तभी तो इन सेक्सी लड़कियोंने उसे फांस के रखा होगा. जैसे ही हमने घंटी बजायी, एक हसीं २२ वर्षीय युवक ने दरवाज़ा खोला. हमने अपना परिचय दिया और बताया की रूबी और तान्या ने हमें बुलाया हैं. 

"ओह, अच्छा, तो आप लोग हैं स्पेशल गेस्ट, आईये आइये, मेरा नाम सागर हैं. मैं इन सबका दोस्त हूँ."

हमें उसने स्पेशल गेस्ट कहा, यह सुनकर अच्छा लगा. जैसे हि हम लोग अंदर दाखिल हुए, देखा की पार्टी का माहौल अच्छा था. संगीत , शराब और डांस चल रहे थे. वहाँ पर रूबी और तान्या पहले से ही मौजूद थे. रूबी ने फूलोंके डिज़ाइन वाली लाल रंग की स्लीवलेस टॉप और ब्राउन स्कर्ट पहनी थी. तान्या एक पीले रंग का चोली के स्टाइल का छोटा सा टॉप और जीन्स शॉर्ट्स पहनी हुई थी. उसका क्लीवेज और गोरी जाँघे देखकर, राज और रूपेश दोनोंके लंड खड़े होकर सलामी देने लगे. 

दोनों हमारे पास आकर हमसे गले मिली और आने के लिए थैंक्स कहा. 

"अरे, इतनी अच्छी पार्टी में बुलाया हैं तो हम तो जरूर आते, हैं न राज?" मैंने कहा. 

"हां. हाँ, रूबी और तान्या बुलाये तो हम कही भी आने को तैयार हैं, ये तो बहुत बढ़िया जगह और ख़ास पार्टी हैं. हमें बुलाने के लिए फिर से थैंक्स रूबी," राज ने कहा. वैसे तान्या को उस सेक्सी ड्रेस में देखकर अब सिर्फ उसके मुँहसे लार टपकना ही बाकी था. 
 
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