hotaks444
New member
- Joined
- Nov 15, 2016
- Messages
- 54,521
"सुनीता डार्लिंग, अब मैं तुझे घोड़ी बनाकर पीछेसे चोदता हूँ, आजा अपने हाथों और घुटनोंपर।"
जैसे ही मैं घोड़ी बन गयी, उसने मेरी गांड पर दो चार चाटे मारकर मेरी योनि को खोल दिया और अपना सख्त और मोटा लंड उसमे घुसा दिया. लगातार बीस-पच्चीस मिनट तक लंड और चुत दोनों झूंझते रहे. मेरी चुतसे कामरस बहकर उसे गीली कर दे रहा था और रोहित को मेरी तंग योनिमें चोदकर ज़िन्दगी का असीम सुख मिल रहा था.
दोनों हाथोंसे मेरी चूचियोंको मसलते हुए आखरी उसके मुँहसे निकला, "डार्लिंग, अब मेरा छूटने वाला हैं, बता कहा निकालू?"
वैसे तो मैं वीर्य पी जाना ही पसंद करती हूँ मगर इसके सामने थोड़ा शर्मीलापन भी ज़रूरी था.
"मेरी चुत में ही पूरा छोड़ दो तुम्हारा पानी, मेरी प्यास मिटा दो रोहित डार्लिंग!"
इतना सुनने के बाद उससे और रहा न गया और उसने अपने गरम वीर्य की पिचकारी मेरी योनि में छोड़ दी.
अब मैं पेट के बलपर ही लेटी रही और वो मेरे ऊपर निढाल होकर लेटा रहा. करीब दस मिनट के बाद रोहित पलट कर मेरे समीप सो गया और उसने मुझे बाहोंमें ले लिया.
"सुनीता, तुमने मुझे आज वह प्लेज़र दिया है जिसके लिए मैं कई महीनोंका प्यासा था. मैं कोई कालगर्ल बुलाकर चुदाई नहीं करना चाहता था. तुमने मुझे इतना खुश किया हैं की मेरे पास तुम्हारी तारीफ़ करने के लिए शब्द भी नहीं हैं."
ऐसे ही कुछ समय तक हम एक दुसरे को सहलाते और चूमते रहे. उसके बाद उठकर दोनों एक साथ आलिशान बाथरूम में नहाये. तन को सुखाकर और तौलिये लपेटकर हमने टेबलपर रखे भोजन का आस्वाद लिया. लग रहा था रोहित एकदम मुझपर लट्टू हो गया था.
मैंने अपने बैग में से मिनी स्कर्ट और एक तंग चोली पेहेन ली. रोहित भी शॉर्ट्स और टी-शर्ट पहनकर मेरे साथ हाथोंमें हाथ डालकर निकला. थोड़ी दूर टहलने के बाद हम वापिस लौटे और अगले दो दिन (शनिवार और रविवार) यही दौर चलता रहा.
पूरे समय रोहित ने मेरे साथ मिशनरी, डॉगी , काउबॉय, रिवर्स काउबॉय, सिक्सटी नाइन और न जाने किन किन पोजेस में सम्भोग किया. उसने दिन में दो या तीन बार वायग्रा खाई और उसका लौड़ा बहुत ज्यादा समय तक खड़ा रहा. मैंने भी उसका पूरा साथ देते हुए सम्भोग के दौरान हर एक पल उसे स्त्री पुरुष का सर्वोत्तम सुख दिया. दुसरे दिन से मैंने उसके लौड़े से वीर्य पीना भी शुरू किया, जिसके कारण वो मुझसे और भी ज्यादा खुश हो गया.
सोमवार की सुबह जब हम उठकर तैयार हो रहे थे तब उसने मुझे अपने पास बुलाया.
"सुनीता, मैं साथ में दो लिफ़ाफ़े लाया था. अगर तुम मुझे तुम सिर्फ जबरदस्ती के सेक्स का सुख देती, तो मैं तुम्हे ये लिफाफा देता. इसमें दो गुना सैलरी, डेढ़ लाख का जोइनिंग बोनस और बैंक की तरफसे सिर्फ दो बैडरूम का फ्लैट वाला लेटर था."
"अच्छा, और दुसरे लिफ़ाफ़े में?" मैंने पूंछा.
"दुसरे लिफ़ाफ़े में तीन गुना सैलरी, ढ़ाई लाख का जोइनिंग बोनस और बैंक की तरफसे सिर्फ तीन बैडरूम का आलिशान फ्लैट वाला लेटर हैं."
फिर रोहित ने मुझे बाहोंमें लेकर चूमते हुए कहा, "क्योंकि तुमने मुझे इतना सुख देकर तृप्त कर दिया हैं इसलिए मैं तुम्हे यह दूसरा वाला लिफाफा दूंगा."
"ओह, थैंक यू रोहित, तुम कितने अच्छे और प्यारे हो," मैंने झूठ मूठ का प्यार दिखाते हुए कहा.
फिर कुछ समय तक हम चूमा चाटी करते रहे.
उसी समय मैं अपने दिल से कह रही थी, "सुनीता, अगर तू रोहित को इतना जी भरके सेक्स का सुख नहीं देती थी तो उतना ज्यादा लाभ नहीं होता था. अच्छा हैं की तूने बिना झिझक के उसपर सबकुछ लूटा दिया. अब तेरा सोने का कमरपट्टा पाने का ख्वाब भी जल्द ही पूरा होगा."
लिफाफा लेकर मैंने अपनी पर्स में रख दिया और उसे फिर से चूम लिया. नौकर दोनोंके बैग्स उठाकर कार में रख चुका था.
उसकी कार और ड्राइवर बाहर इंतज़ार ही कर रहे थे. हम दोनों बैठ गए और पौने घंटे में मुझे हमारे सोसाइटी के अंदर छोड़ दिया. जैसे ही मैं घर पर पहुँची, राज ने मुझे गले लगाकर मेरा स्वागत किया.
मैंने भी उसे चूमकर वो लिफाफा उसके हाथ में दे दिया.
"ओह मेरी प्यारी सुनीता रानी, तूने आखिर काम कर ही दिया!"
"हाँ, मेरे राजा, खोलके पढ़ तो लो."
जैसे ही राज ने पूरा लेटर पढ़ा, वो ख़ुशी मारे झूम उठा. हर चीज़ उसकी अपेक्षा से भी ज्यादा थी.
"उसने तुम्हे परेशान तो नहीं किया न मेरी रानी?"
"नहीं मेरे राजा, मैंने उसे पूरा खुश किया और उसने भी अपनी बात पूरी की. दो दिन तुमने क्या किया डार्लिंग?"
"आखिर मुझे सारी बात रूपेश और सारिका को बतानी ही पड़ी. मगर इस पूरे मामले में हम उन दोनोंको दूर ही रक्खेंगे. नहीं तो साला रोहित फिर सारिका के पीछे भी पड जाएगा!"
"हाँ, सच केहते हो," मैंने कहा.
राज ने अपनी मौजूदा नौकरी में त्यागपत्र दे दीया और एक महीने के अंदर नयी नौकरी शुरू कर ली. हमे अँधेरी में ही और अच्छे पॉश एरिया में बारहवीं मंज़िल पर तीन बैडरूम का बड़ा आलिशान फ्लैट नयी बैंक की तरफ से मिला था. एक वीकेंड को मजदूरोंको बुलाके सारा सामन पैक और शिफ्ट करवा दिया. फिर अगले दिन और तीन चार लोगोंकी मददसे सारा सामान नए फ्लैट में लगा दिया गया.
जैसे ही मैं घोड़ी बन गयी, उसने मेरी गांड पर दो चार चाटे मारकर मेरी योनि को खोल दिया और अपना सख्त और मोटा लंड उसमे घुसा दिया. लगातार बीस-पच्चीस मिनट तक लंड और चुत दोनों झूंझते रहे. मेरी चुतसे कामरस बहकर उसे गीली कर दे रहा था और रोहित को मेरी तंग योनिमें चोदकर ज़िन्दगी का असीम सुख मिल रहा था.
दोनों हाथोंसे मेरी चूचियोंको मसलते हुए आखरी उसके मुँहसे निकला, "डार्लिंग, अब मेरा छूटने वाला हैं, बता कहा निकालू?"
वैसे तो मैं वीर्य पी जाना ही पसंद करती हूँ मगर इसके सामने थोड़ा शर्मीलापन भी ज़रूरी था.
"मेरी चुत में ही पूरा छोड़ दो तुम्हारा पानी, मेरी प्यास मिटा दो रोहित डार्लिंग!"
इतना सुनने के बाद उससे और रहा न गया और उसने अपने गरम वीर्य की पिचकारी मेरी योनि में छोड़ दी.
अब मैं पेट के बलपर ही लेटी रही और वो मेरे ऊपर निढाल होकर लेटा रहा. करीब दस मिनट के बाद रोहित पलट कर मेरे समीप सो गया और उसने मुझे बाहोंमें ले लिया.
"सुनीता, तुमने मुझे आज वह प्लेज़र दिया है जिसके लिए मैं कई महीनोंका प्यासा था. मैं कोई कालगर्ल बुलाकर चुदाई नहीं करना चाहता था. तुमने मुझे इतना खुश किया हैं की मेरे पास तुम्हारी तारीफ़ करने के लिए शब्द भी नहीं हैं."
ऐसे ही कुछ समय तक हम एक दुसरे को सहलाते और चूमते रहे. उसके बाद उठकर दोनों एक साथ आलिशान बाथरूम में नहाये. तन को सुखाकर और तौलिये लपेटकर हमने टेबलपर रखे भोजन का आस्वाद लिया. लग रहा था रोहित एकदम मुझपर लट्टू हो गया था.
मैंने अपने बैग में से मिनी स्कर्ट और एक तंग चोली पेहेन ली. रोहित भी शॉर्ट्स और टी-शर्ट पहनकर मेरे साथ हाथोंमें हाथ डालकर निकला. थोड़ी दूर टहलने के बाद हम वापिस लौटे और अगले दो दिन (शनिवार और रविवार) यही दौर चलता रहा.
पूरे समय रोहित ने मेरे साथ मिशनरी, डॉगी , काउबॉय, रिवर्स काउबॉय, सिक्सटी नाइन और न जाने किन किन पोजेस में सम्भोग किया. उसने दिन में दो या तीन बार वायग्रा खाई और उसका लौड़ा बहुत ज्यादा समय तक खड़ा रहा. मैंने भी उसका पूरा साथ देते हुए सम्भोग के दौरान हर एक पल उसे स्त्री पुरुष का सर्वोत्तम सुख दिया. दुसरे दिन से मैंने उसके लौड़े से वीर्य पीना भी शुरू किया, जिसके कारण वो मुझसे और भी ज्यादा खुश हो गया.
सोमवार की सुबह जब हम उठकर तैयार हो रहे थे तब उसने मुझे अपने पास बुलाया.
"सुनीता, मैं साथ में दो लिफ़ाफ़े लाया था. अगर तुम मुझे तुम सिर्फ जबरदस्ती के सेक्स का सुख देती, तो मैं तुम्हे ये लिफाफा देता. इसमें दो गुना सैलरी, डेढ़ लाख का जोइनिंग बोनस और बैंक की तरफसे सिर्फ दो बैडरूम का फ्लैट वाला लेटर था."
"अच्छा, और दुसरे लिफ़ाफ़े में?" मैंने पूंछा.
"दुसरे लिफ़ाफ़े में तीन गुना सैलरी, ढ़ाई लाख का जोइनिंग बोनस और बैंक की तरफसे सिर्फ तीन बैडरूम का आलिशान फ्लैट वाला लेटर हैं."
फिर रोहित ने मुझे बाहोंमें लेकर चूमते हुए कहा, "क्योंकि तुमने मुझे इतना सुख देकर तृप्त कर दिया हैं इसलिए मैं तुम्हे यह दूसरा वाला लिफाफा दूंगा."
"ओह, थैंक यू रोहित, तुम कितने अच्छे और प्यारे हो," मैंने झूठ मूठ का प्यार दिखाते हुए कहा.
फिर कुछ समय तक हम चूमा चाटी करते रहे.
उसी समय मैं अपने दिल से कह रही थी, "सुनीता, अगर तू रोहित को इतना जी भरके सेक्स का सुख नहीं देती थी तो उतना ज्यादा लाभ नहीं होता था. अच्छा हैं की तूने बिना झिझक के उसपर सबकुछ लूटा दिया. अब तेरा सोने का कमरपट्टा पाने का ख्वाब भी जल्द ही पूरा होगा."
लिफाफा लेकर मैंने अपनी पर्स में रख दिया और उसे फिर से चूम लिया. नौकर दोनोंके बैग्स उठाकर कार में रख चुका था.
उसकी कार और ड्राइवर बाहर इंतज़ार ही कर रहे थे. हम दोनों बैठ गए और पौने घंटे में मुझे हमारे सोसाइटी के अंदर छोड़ दिया. जैसे ही मैं घर पर पहुँची, राज ने मुझे गले लगाकर मेरा स्वागत किया.
मैंने भी उसे चूमकर वो लिफाफा उसके हाथ में दे दिया.
"ओह मेरी प्यारी सुनीता रानी, तूने आखिर काम कर ही दिया!"
"हाँ, मेरे राजा, खोलके पढ़ तो लो."
जैसे ही राज ने पूरा लेटर पढ़ा, वो ख़ुशी मारे झूम उठा. हर चीज़ उसकी अपेक्षा से भी ज्यादा थी.
"उसने तुम्हे परेशान तो नहीं किया न मेरी रानी?"
"नहीं मेरे राजा, मैंने उसे पूरा खुश किया और उसने भी अपनी बात पूरी की. दो दिन तुमने क्या किया डार्लिंग?"
"आखिर मुझे सारी बात रूपेश और सारिका को बतानी ही पड़ी. मगर इस पूरे मामले में हम उन दोनोंको दूर ही रक्खेंगे. नहीं तो साला रोहित फिर सारिका के पीछे भी पड जाएगा!"
"हाँ, सच केहते हो," मैंने कहा.
राज ने अपनी मौजूदा नौकरी में त्यागपत्र दे दीया और एक महीने के अंदर नयी नौकरी शुरू कर ली. हमे अँधेरी में ही और अच्छे पॉश एरिया में बारहवीं मंज़िल पर तीन बैडरूम का बड़ा आलिशान फ्लैट नयी बैंक की तरफ से मिला था. एक वीकेंड को मजदूरोंको बुलाके सारा सामन पैक और शिफ्ट करवा दिया. फिर अगले दिन और तीन चार लोगोंकी मददसे सारा सामान नए फ्लैट में लगा दिया गया.