desiaks
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प्यारेलाल ने सुखजीत को कसकर अपनी बाहों में भर लिया, और कहा- “भाभी तेरे घर की हालत खराब रहती है। की किस टाइम घर में कोई है या नहीं। अभी घर में कोई भी नहीं है, इसलिए मुझे फुटू बनाने की कोशिश मत कर..” कहकर प्यारेलाल ने और जोर से सुखजीत को अपनी बाहों में भर लिया, और अपने हाथों से उसके दोनों चूतरों को जोर-जोर से मसलने लगा।
सुखजीत अपने चूतरों से प्यारेलाल के हाथ को हटते हुए बोली- “प्यारेलाल आहह... स्स्सीईई प्लीज़्ज़... मत करो.... हाय मैं मर गई...”
प्यारेलाल ने सुखजीत को अपनी बाहों में ही घुमा लिया और सुखजीत की कमर अपनी ओर कर ली। फिर प्यारेलाल ने सुखजीत की चुन्नी नीचे जमीन पर गिरा दी। सुखजीत की कसे हुए चूचियां पकड़कर वो जोर-जोर से मसलने लगा और बोला- "आए हाए भाभी... तुझे नहीं पता तेरे अंदर कितनी गर्मी है। सच में साली तू बहुत ही कमाल की चीज है...”
प्यारेलाल जोर-जोर से सुखजीत की चूचियों को सूट के ऊपर से ही जोर-जोर से मसल रहा था। सुखजीत की आँखें मस्ती में बंद हो रही थीं। अब सुखजीत प्यारेलाल के हाथों का मजा लेने लगी थी। सुखजीत बहुत ही ना के बराबर कोशिश कर रही थी, प्यारेलाल के होंठों को अपनी चूचियों से हटाने की।
सुखजीत मस्त होकर बोली- “तूने मुझे पागल कर देना है एक दिन..."
पर प्यारेलाल हटने के मूड में नहीं था। उसने अपनी पैंट की जिप खोली और अपना लण्ड बाहर निकालकर सुखजीत के चूतरों पर रगड़ने लगा। प्यारेलाल का लण्ड सूट के बाहर से ही सुखजीत के चूतरों की बीच की लाइन में फँसा हुआ था, और जोर-जोर से अपने चूतर हिलाकर अपना लण्ड सुखजीत के चूतरों में अंदर-बाहर कर रहा था।
सुखजीत को भी साफ-साफ अपने चूतरों के बीच में लण्ड महसूस हो रहा था। अब वो पागल हो गई थी। फिर प्यारेलाल ने अपना एक हाथ आगे सुखजीत की कमीज के अंदर डाल दिया। अब अपने हाथों से सुखजीत के गोरे चिकने पेट पर अपने हाथ चला रहा था।
सुखजीत की सांसें तेज होने लगी थी। फिर प्यारेलाल ने अपना हाथ अंदर ही उसकी चूचियों पर ले आया। प्यारेलाल ने सुखजीत की ब्रा में से उसकी दोनों चूचियां बाहर निकल ली, और अपने हाथों से सुखजीत की नंगी चूचियां पकड़कर जोर-जोर से मसलने लगा। प्यारेलाल ने आज पहली बार इतनी सेक्सी पंजाबन की इतनी सेक्सी चूचियां अपने हाथों में लिए थे।
सुखजीत की चूत लगातार अपना पानी बाहर निकाल रही थी। सुखजीत की पैंटी पूरी भीग चुकी थी।
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सुखजीत अपने चूतरों से प्यारेलाल के हाथ को हटते हुए बोली- “प्यारेलाल आहह... स्स्सीईई प्लीज़्ज़... मत करो.... हाय मैं मर गई...”
प्यारेलाल ने सुखजीत को अपनी बाहों में ही घुमा लिया और सुखजीत की कमर अपनी ओर कर ली। फिर प्यारेलाल ने सुखजीत की चुन्नी नीचे जमीन पर गिरा दी। सुखजीत की कसे हुए चूचियां पकड़कर वो जोर-जोर से मसलने लगा और बोला- "आए हाए भाभी... तुझे नहीं पता तेरे अंदर कितनी गर्मी है। सच में साली तू बहुत ही कमाल की चीज है...”
प्यारेलाल जोर-जोर से सुखजीत की चूचियों को सूट के ऊपर से ही जोर-जोर से मसल रहा था। सुखजीत की आँखें मस्ती में बंद हो रही थीं। अब सुखजीत प्यारेलाल के हाथों का मजा लेने लगी थी। सुखजीत बहुत ही ना के बराबर कोशिश कर रही थी, प्यारेलाल के होंठों को अपनी चूचियों से हटाने की।
सुखजीत मस्त होकर बोली- “तूने मुझे पागल कर देना है एक दिन..."
पर प्यारेलाल हटने के मूड में नहीं था। उसने अपनी पैंट की जिप खोली और अपना लण्ड बाहर निकालकर सुखजीत के चूतरों पर रगड़ने लगा। प्यारेलाल का लण्ड सूट के बाहर से ही सुखजीत के चूतरों की बीच की लाइन में फँसा हुआ था, और जोर-जोर से अपने चूतर हिलाकर अपना लण्ड सुखजीत के चूतरों में अंदर-बाहर कर रहा था।
सुखजीत को भी साफ-साफ अपने चूतरों के बीच में लण्ड महसूस हो रहा था। अब वो पागल हो गई थी। फिर प्यारेलाल ने अपना एक हाथ आगे सुखजीत की कमीज के अंदर डाल दिया। अब अपने हाथों से सुखजीत के गोरे चिकने पेट पर अपने हाथ चला रहा था।
सुखजीत की सांसें तेज होने लगी थी। फिर प्यारेलाल ने अपना हाथ अंदर ही उसकी चूचियों पर ले आया। प्यारेलाल ने सुखजीत की ब्रा में से उसकी दोनों चूचियां बाहर निकल ली, और अपने हाथों से सुखजीत की नंगी चूचियां पकड़कर जोर-जोर से मसलने लगा। प्यारेलाल ने आज पहली बार इतनी सेक्सी पंजाबन की इतनी सेक्सी चूचियां अपने हाथों में लिए थे।
सुखजीत की चूत लगातार अपना पानी बाहर निकाल रही थी। सुखजीत की पैंटी पूरी भीग चुकी थी।
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