Desi Sex Kahani मेरी प्रेमिका - SexBaba
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Desi Sex Kahani मेरी प्रेमिका

hotaks444

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Nov 15, 2016
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मेरी प्रेमिका

लेखक -राज अग्रवाल

दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा एक और मस्त कहानी लेकर हाजिर हूँ 
वैसे तो मेरी कई कहानियाँ अभी अधूरी पड़ी हैं और मैने आपसे वादा किया है कि
मैं उन्हे जल्द ही पूरा करूँगा तब तक आपके लिए एक कहानी और पेश कर रहा हूँ…………………

मुझे ये पहले से एहसास था कि मेरी प्रेमिका अपने भाई के काफ़ी
नज़दीक है, पर अभी मुझे ये मालूम होने वाला था कि वो आपस मे
कितने करीब है. और जब ये बात मुझे पता चली तो हमारे लिए
चुदाई के नए दरवाज़े खुल गये. इस कहानी को पढ़े कि आख़िर हुआ
क्या?

कुछ महीनो पहले की बात है, सोनाली और में नंगे बिस्तर पर लेटे
थे. हम दोनो कुछ देर पहले ही भयंकर चुदाई कर के हटे थे और
अपनी उखड़ी सांसो पर काबू पाने की चेस्टा कर रहे थे. सोनाली मेरी
छाती पर सिर रख कर मेरे बालों में उंगलिया फिरा रही थी.

में आपको सोनाली के बारे में बता दूं, सोनाली 24 साल की है, गोरा
बदन, झील जैसी नीली आँखे. काफ़ी बड़े नही पर थोड़े भरे
भरे मम्मे, पतली कमर और सबसे बड़ी बात कि उसकी चूत बड़ी कसी
हुई है, जो मुझे बहोत पसंद है. वो अपनी चूत का बड़ा ख़याल
रखती, सुग्नधित पाउडर लगाना, उसके इर्द गिर्द के बालों को तराशना
ये सब उसका शौक है.

सोनाली ने सिर उठाया और कहा, "राज में तुमसे कुछ कहना चाहती
हूँ."

उसकी इस बात ने मेरी जागृता बढ़ा दी. हम दोनो एक दूसरे से कुछ
नही छुपाते थे. फिर भी उसने ये बात मुझसे तीन महीने तक छुपा
के रखी थी, जब हमें मिले हुए करीब साल भर होने आया था. उसने
जो बताया वो कुछ इस प्रकार से था.

एक दिन सोनाली जब फिटनेस सेंटर से रात को घर पहुँची तो उसका
घर सुनसान पड़ा था. उसके माता पिता छुट्टियाँ मनाने बाहर गये थे
और वो इस समय अपने भाई विजय और छोटी बेहन प्रियंका के साथ
रहती थी. प्रियंका अपने कुछ दोस्तों के साथ पिक्चर देखने गयी हुई
थी, तो उसने सोचा कि सिर्फ़ विजय घर पर होगा.

एक्सर्साइज़ करने से वो पसीने से तर बतर थी और शवर ले नहाना
चाहती थी, पर उसने सोचा कि पहले विजय से मिल ले और खाने के
प्रोग्राम के बारे मे जान ले.

वो विजय के कमरे की और बढ़ी तो उसे जोरों से संगीत की आवाज़
सुनाई पड़ी. सोनाली ने दरवाज़ा खटखटाया पर संगीत की आवाज़ मे
विजय ने सुना नही. यही सोच वो दरवाज़ा खोल विजय के कमरे मे
दाखिल हो गयी.
 
कमरे मे घुसते हुई जो उसने देखा, वो देखकर वो हैरान रह गयी.
उसका भाई विजय कंप्यूटर के पीछे बैठा कोई ब्लू फिल्म देख रहा था
और साथ ही साथ अपना 9' इंची लंड मुठिया रहा था.

विजय ने जब अपनी छोटी बेहन को वहाँ देखा तो उसके लंड ने उसी
वक्त पानी छोड़ दिया. उसके वीर्य की पिचकारी हवा मे होती हुई उसकी
बेहन के कदमो के पास गिर पड़ी.

"सॉरी भैया," सोनाली पलटी और दरवाज़े के बाहर हो ली, "जब तुम
फारिग हो जाओगे तब तुमसे मिलूंगी." सोनाली ने मुस्कुराते हुए कहा.

सोनाली अपने भाई को मूठ मारते देख खुद उत्तेजित हो गयी थी और
उसकी चूत पानी छोड़ने लगी थी. वो दौड़ कर अपने कमरे मे पहुँची और
कपड़े उतार बाथरूम मे शवर की लिए घुस गयी. अभी भी उसके
दिमाग़ मे उसके भाई का लंड घूम रहा था. यही सोचते हुए उसने अपनी
चूत पर हाथ फिराया और अपनी दो उंगलिया चूत मे घुसा अंदर
बाहर करने लगी. उसे अपना पानी छुड़ाने मे ज़्यादा वक्त नही लगा.

विजय ने बाथरूम का दरवाज़ा खट काया, "दीदी मुझे पेशाब करना
है." और वो बाथरूम का दरवाज़ा खोल अंदर घुस गया. बदहवाशी
मे सोनाली दरवाज़ा बंद करना भूल गयी थी.

सोनाली वैसे शवर कर्टन के पीछे थी फिर भी विजय को उसके
शरीर की हर कटाव अच्छी तरह दिखाई दे रहा था. सोनाली को लगा
कि वो पकड़ी गयी फिर उसने ऐसा परदर्शित किया कि जैसे कुछ हुआ
ही ना हो.

"और भैया क्या हाल चाल है?" सोनाली ने विजय को चिढ़ाते हुए
पूछा.

विजय टाय्लेट के सामने खड़ा था, उसने अपना लंड निकाला और पेशाब
करने लगा, "हाल चाल अच्छे ही है. थॅंक्स."

"लगता है तुम्हे पेशाब करने में कुछ तकलीफ़ हो रही है, अगर
कोई मदद चाहिए तो कहो?" सोनाली एक बार फिर उसे चिढ़ाते हुए
बोली.

सोनाली हमेशा से ही अपने भाई विजय से काफ़ी प्यार करती थी, पर
उसके साथ सेक्स करने की कभी उसने सोची भी नही थी. उसने शवर
बंद किया और तौलिया उठा अपने बदन को पौंच्छने लगी. उसके निपल
तन कर खड़े थे और वो अपने आपको अपने भाई का लंड देखने से नही
रोक सकी.

विजय का लंड मुरझाया हुआ सा था, पर इस अवस्था मे भी उसे अच्छा
लग रहा था. विजय ने टाय्लेट की फ्लश खीची और अपनी बेहन की ओर
घूम गया. "उम्मीद है मेने तुम्हे ज़्यादा तो नही चौंका दिया."

"तुम उसकी चिंता मत करो मुझे लंड देखने की आदत है, याद है
मेने कहा था कि मेरा एक बाय्फ्रेंड है." सोनाली अपने बाल सुखाते
हुए बोली.

"हां तुमने कहा तो था," विजय कुछ खोई सी आवाज़ मे बोला. असल
में उसका ध्यान अपनी बेहन की कमर के नीचे के हिस्से पर था. टवल
सोनाली के बदन पर कुछ इस तरह से था कि उसके आधे चूतड़ विजय
को दिखाई दे रहे थे.

विजय ने करीब छह महीने से किसी को नही चोदा था, इसलिए इस
हल्के नज़ारे ने भी उसमे गर्मी भर दी.

पहले तो सोनाली ने अपने भाई की नज़रों पर ध्यान नही दिया, पर
देखा कि उसका भाई उसे घूर रहा है तो उसने अपना टवल ठीक कर
अपने बदन को ढांप लिया.
 
सोनाली अपने भाई की ओर घूम कर बोली, "विजय लगता है कि आजकल
कोई लड़की तुम्हारे साथ नही है, इसलिए मूठ कुछ ज़्यादा ही मारने
लगे हो?" उसने देखा कि विजय का लंड उसकी पॅंट मे एक बार फिर खड़ा
हो रहा था, और उसकी खुद की हालत भी कुछ ऐसी ही हो रही थी.

"अच्छा सच सच बताओ, मूठ मारते वक्त तुम क्या सोचते रहते हो?"
सोनाली ने पूछा.

विजय भी उसे मुस्कुराते देख थोड़ा शरारती हो गया और उसे कंधों
से पकड़ बोला, "में हमेशा यही सोचता रहता हूँ कि तुम्हे कुतिया
की तरह चोद रहा हूँ." ये इन्दोनो के लिए कुछ नया नही था, "फिर
तो तुम मेरी चूत से पानी भी छुड़ा देते होगे अपने ख़यालों मे."
सोनाली उसे और चिढ़ाते हुए बोली.

सोनाली ने अपने आपको छुड़ाया और बाथरूम का दरवाज़ा खोल पॅसेज
मे बढ़ गयी.

छः महीने की सेक्स की भूक ने विजय को एक तुरंत निर्णय लेने पर
मजबूर कर दिया, उसपर से अपनी बेहन के अधनंगे जिस्म ने उसके बदन
मे आग भर दी थी.

विजय ने सोनाली के टवल को पकड़ खींच लिया, जिससे सोनाली लड़खड़ा
गयी और ज़मीन पर पेट के बल गिर गयी जिससे उसकी गान्ड हवा मे हो
गयी थी.

सोनाली ने महसूस किया कि किस तरह विजय ने उसके चूतड़ पकड़े थे
और अपना खड़ा लंड उसकी चूत मे एक ही धक्के मे डाल दिया था.

"उउउइईई माआअ" वो सिर्फ़ इतना ही कह पाई. इससे पहले कि वो कुछ
कहती उसकी खुद की भावनाए उस पर हावी हो गयी और उसे विजय का
लंड अपनी चूत मे अच्छा लगने लगा.

विजय अपने लंड को सोनाली की चूत मे अंदर बाहर कर रहा था और
सोनाली को भी मज़ा आ रहा था. उसे अब इस बात की परवाह नही थी
कि विजय उसका भाई है, इस वक्त वो सिर्फ़ चुदवाना चाहती थी जोरों
से, और वो चुद रही थी.

विजय जोरों से अपने लंड को उसकी चूत के अंदर बाहर कर रहा था.
अक्सर उसने अपनी बेहन को चोदने के सपने देखे थे. वो हमेशा सोचा
करता था कि सोनाली की चूत कैसी होगी, पर ये नही सोचा था कि इतनी
कसी हुई होगी. उसे अपना लंड सोनाली की चूत के अंदर बाहर होता हुआ
भी अच्छा लग रहा था, उसने उसके चूतड़ पकड़े और फैला दिए और
अपने लंड को अंदर बाहर होते देखने लगा.

`ओह सोनायायाययाली तुम्हारी चूत कितनी कसी हुई है.
बहुत अच्छा लग रहा है तुम्हारी चूत मारते हुई." विजय
अपनी उखड़ती सांसो के साथ सिसका.

सोनाली को भी माज़ा आ रहा था पर उसके घुटनो मे भी दर्द होने
लगा था जो विजय के हर धक्के के साथ ज़मीन पर रगड़ खा रहे
थे.

"ओह आआआः मेरा छूटने वाल्ला हॅयाययी." विजय सोनाली के कान मे
फुसफुसाया.

"हाआअँ छोड़ दो अपना पानी भर दो मईरी चूऊत को."
सोनाली जवाब मे सिसकी.

विजय ने दो चार कस के धक्के मारे और अपने वीर्य की बौछार अपनी
बेहन की चूत, मेरी प्रेमिका की चूत मे छोड़ दी. सोनाली की चूत ने
भी तुरंत ही पानी छोड़ दिया.

विजय ने अपने लंड को उसकी गीली चूत से बाहर खींचा, उसके लंड के
साथ उसका वीर्य भी थोड़ा बाहर आ गया और ज़मीन पर चुहुने लगा.
एक बार तो उसे लगा कि उसने कोई पाप कर दिया है, पर सोनाली की
चूत से बहते रस ने फिर उसकी सोच बदल दी, "सोनाली मुझे तो
मज़ा आ गया."

सोनाली कुछ देर के लिए खामोश रही. मज़ा उसे भी आया था पर उसे
अपने आप पर शर्मिंदगी हो रही थी कि उसने अपने सगे भाई से
चुदवाया है.

सोनाली विजय की ओर घूमी और उसे अपनी बाहों मे भरते हुए
बोली, "हां विजय मज़ा तो मुझे भी आया पर ये सिर्फ़ एक बार के लिए
ही था ये याद रखना."

"हां में भी यही सोच रहा था, पर अगर राज को पता चलेगा तो
वो क्या सोचेगा." विजय ने कहा.

"उसे कुछ पता नही चलना चाहिए, ये सिर्फ़ हमारे और तुम्हारे बीच
रहेगा." सोनाली ने उससे कहा.

सोनाली अपनी गर्दन हिलाते हुए बोली, "में जाकर कपड़े पहन लेती
हूँ." विजय ने उसके होठों को चूम लिया, और उसे अच्छा लगा. वो उससे
अलग हो अपने कमरे मे आ गयी.
 
अपडेट 2

थोड़ी देर बाद ही विजय अपने कमरे मे चला गया. सोनाली बिस्तर पर
बैठ अपनी चूत को देख रही थी. उसके भाई का वीर्य अब भी उसकी
चूत से चूह रहा था. उसने उसके वीर्य को थोड़ा अपनी उंगलियों मे
लिया और चाटने लगी. विजय के वीर्य का स्वाद उसे अच्छा लगा, बहोत
अच्छा लगा.

जब सोनाली ने अपनी कहानी पूरी की तो मेरी तरफ डरी हुई नजर से देख रही थी.
वो मुझसे डर रही थी उसकी कहानी सुनने के बाद में उसे छोड़ दूँगा, "तुम
दोनो सिर्फ़ उसी दिन चुदाई की थी फिर कभी नही की?" मेने पूछा.

"हां राज विश्वास करो. में इस बात के लिए तुमसे माफी भी मांगती
हू, पर अगर तुम मुझे छोड़ना चाहते हो तो मेरी जिंदगी से जा
सकते हो? में कोई शिकायत नही करूँगी." सोनाली रोते हुए बोली.

"अरे बाबा तुम्हारी कहानी सुनकर में चौंक पड़ा था," मेने कहा.

"प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो." सोनाली अपने कान पकड़ते हुए बोली.

सच पूछो तो उसकी कहानी ने मुझे भी उत्तेजित कर दिया था. मेरा
लंड भी एक बार फिर खड़ा हो गया था. मेने सोनाली के चेहरे को
अपने हाथों मे लिया और उसके होठों को चूम लिया. उसने अपना मुँह
खोला और उसकी जीभ मेरे मुँह मे घुस गयी.

मेने उसका हाथ पकड़ा और अपने लंड पर रख दिया, "देखो तुम्हारी
कहानी ने मेरे साथ क्या किया है? अब तुम इसकी मदद क्यों नही
करती?'

सोनाली मुस्कुरई, जिस तरह से मेने उसकी बात को संभाला था वो
हंस दी, मेरे लंड को अपनी मुट्ठी मे पकड़ रगड़ने लगी और मसल्ने
लगी. फिर उसने झुक कर मेरे लंड को अपने मुँह मे ले लिया और जोरों
से चूसने लगी.

वो इतनी जोरों से और अच्छी तरह से मेरे लंड को चूस रही थी कि
मेने अपनी आँखें बंद कर ली. पर आँखे बंद होते ही मुझे ऐसा
दिखा कि वो अपने भाई से कस के चुदवा रही है और उसी वक्त मेरे
लंड ने उसके मुँह मे पानी छोड़ दिया.

* * * * * * * *

जिस दिन सोनाली ने मुझे बताया था कि किस तरह उसके भाई ने उत्तेजना
में उसे चोदा था, उसके दूसरे दिन में अपने छोटे से फ्लॅट मे
किचन मे बर्तन धो रहा था.

सही पूछो तो में सोनाली और उसके भाई विजय की बीच जो घटना कुछ
महीने पहले हुई उसके बारे में और जानना चाहता था. बर्तन धोते
हुए मैने उससे पूछा, "अच्छा एक बात तो बताओ सोनाली, अपने ही भाई से
चुदवाते वक़्त तुम्हे कैसा महसूस हुआ?"

सोनाली ने मेरी तरफ देखा और कहा, "राज में तो समझी थी कि हम
लोग इस विषय को ख़त्म कर चुके है. वो सिर्फ़ एक बार का हादसा था
डियर."

"मुझे पता है और मेरा विश्वास करो में कुछ और नही सोच रहा,
वो तुम्हारा भाई है और तुम दोनो एक दूसरे से प्यार करे हो………….."

सोनाली अजीब निगाहों से मुझे देखती रही फिर थोड़ा मुस्कुराते हुए
बोली, "तुम कितने समझदार और अच्छे इंसान हो राज."
 
"वो तो ठीक है, पर जब भी में तुम्हारे और विजय के बारे मे
सोचता हूँ मेरा लंड खड़ा हो जाता है. देखो ना इस वक़्त भी खड़ा
हो गया है." मेने अपना लंड पीछे से उसके चुतडो पर चुभोते
हुए कहा.

"मुझे महसूस हो रहा है, अच्छा पूछो तुम क्या पूछना चाहते हो?"
सोनाली बोली.

"मुझे सिर्फ़ इतना बताओ कि जब तुम्हारा भाई तुम्हे चोद रहा था तो
तुम्हे कैसा महसूस हुआ?" मेने कहा.

"सही बोलूं तो मुझे बहोत अच्छा लगा, मुझे लंड पसंद है और
खास तौर पर लंबे और मोटे लंड जो मेरी चूत को चौड़ा दे और
भर दे. और तुम्हारे जैसे लंड तो कुछ ज़्यादा ही पसंद है." उसने
मुस्कुराते हुए कहा.

मेने धीरे से उक्से गालों को चूम लिया और अपने लंड को उसकी गान्ड
पे ज़ोर से दबा दिया. मुझे पता है कि उसे ये सब करना अच्छा लगता
है फिर उसकी गान्ड भी तो बड़ी प्यारी है.

"ओह राअज थोड़ा ज़ोर सस्ससे दाआबाआओ ना……….अककचा तो में
कहाँ थी."

"तुम्हारे भाई का लंड तुम्हारी कसी हुई चूत मे था." मेने जोरों से
अपने लंड को उसकी गान्ड पे दबाते हुए कहा.

"तुम उन दिनो बाहर गये हुए थे या मेने कई दिन से चुदवाया नही
था इसलिए, मुझे पता नही क्या हुआ. जब विजय ने मुझे पीछे से
पकड़ अपने लंड पे खींचा तो में उसे रोक नही पाई. में खुद
इतनी उत्तेजित थी कि मुझे भी अच्छा लग रहा था." सोनाली अपनी गान्ड
को मेरे लंड से रगड़ती हुई बोली.

वो सही कह रही थी, उन दिनो में काम के सिलसिले मे बाहर गया हुआ
था और दो हफ्ते बाद ही लौटा था. सोनाली की कहानी ने मुझे काफ़ी
गरम कर दिया था.

सोनाली किचन की सिंक पर खड़ी बर्तन धो रही थी, मेने उसकी
स्कर्ट को उपर उठाया और उसकी पईण्टY को नीचे खिसका दिया. फिर मे
घुटनो के बल बैठ गया और उसके चूतड़ पर हाथ फिराने लगा.
उसके चूतड़ को चूमते हुए मेने कहा, "सोनाली मुझे और विस्तार से
बताओ."

"हे भगवान, में तो सिर्फ़ सोचकर ही गरमा रही हूँ." सोनाली बोली.

"वो तो में देख ही रहा हूँ." मेने कहा.

फिर मेने उसके चूतड़ थोड़े फैलाए और उसकी गुलाबी चूत को
देखने लगा. उसकी चूत काफ़ी गीली हो चुकी थी और उसके भूरी झान्टे
पानी मे लिसडी चमक रही थी. मुझे उसकी गान्ड के छेद के चारों और
का काला हिस्सा और गरम कर गया. मैं झुक कर अपनी ज़ुबान उसकी
गान्ड के छेद पे फिराने लगा.

"ओह राआाज हहाआअँ वही चाट. ओह अपनी जुबााअँ
मेरे उस छोटे छेएएएएड मे घुस्सा दो." सोनाली सिसक पड़ी.

मेने एक बार के लिए अपने चेहरे को उसकी गान्ड पर से हटाया और
कहा, "सोनाली प्लीज़ मुझे और बताओ ना?" मेने फिर अपनी ज़ुबान उसकी
गान्ड के छेद मे घुसा दी.

"हां हां बताती थोड़ी देर रूको." सोनाली ने अपने हाथ सिंक के
किनारों पर जम कर रख दिए जिससे उसका संतुलन बना रहे.
 
"जब विजय मुझे जोरों से चोद रहा था तो में भी उसका साथ दे
रही थी. मेरा मन कर रहा था की वो और जोरों से मुझे चोदे, में
उसके वीर्य को अपनी चूत मे महसूस करना चाहती थी. उस समय मुझे
इस बात की परवाह नही थी कि में अपने सगे भाई से चुदवा रही
हूँ, बल्कि उत्तेजना मुझ पर इस कदर हावी थी कि में एक छिनाल की
तरह उसे और जोरों से चोदने के लिए कह रही थी. मेरे पास कोई
चारा भी नही था, उसने मुझे पकड़ ही इतनी कस कर रखा था, की
मेरे घुटनो तक उसके धक्के से छिल गये थे." सोनाली ने कहा.

उसकी गान्ड के छेद में अपनी ज़ुबान घूमाते हुए मेने अपनी दो उंगलियाँ
उसकी गीली चूत मे घुसा दी और अंदर बाहर करने लगा. उसी समय
सोनाली की चूत ने पानी छोड़ दिया.

"ऊहह हाआआं ओह मेरा छूट रहाा है." उसके सिसकने
की आवाज़ कमरे माइयन गूँज उठी.

मेरा काम अभी ख़तम नही हुआ था, में अपनी ज़ुबान को उसकी गान्ड मे
घुमाता रहा और अपनी जीब से उसकी गान्ड का और कहानी का स्वाद ले
रहा था. मेरा लंड तन कर इतना कड़ा हो गया था कि लगा कि मेरी पॅंट फाड़
कर बाहर आ जाएगा.

"बताती रहो रूको मत, जहाँ तक मुझे याद है उन दिनो तुम गर्भ निरोधक
गोलियाँ भी नही ले रही थी." मेने उससे कहा.

"हां तुम सही कह रहे हो, इस बात का मुझे ख़याल ही नही आया."
सोनाली ने जवाब दिया.

"विजय तुम्हे गर्भवती भी कर सकता था." मेने सोचते हुए कहा.

"हां कर सकता था, और अगर हो जाती तो एक नई कहानी बन जाती,
पर शुक्र है भगवान का कि नही हुई." सोनाली बोली, "राज चलो ना
ड्रॉयिंग रूम मे सोफे पर चलते है."

हम लोग ड्रॉयिंग रूम मे सोफे पर आगाये. सोनाली ने अपनी स्कर्ट के
हुक खोल उसे निकाल दिया और ज़मीन पर फैंक दिया. उसकी पैंटी जो
अभी तक उसके घुटनो मे फँसी हुई थी उसे भी उतार दिया उसने. फिर
वो आकर मेरे बगल मे सोफे पर बैठ गयी.

मेने अपना लंड अपनी पॅंट से बाहर निकाला और उसे रगड़ने लगा.

"लाओ में तुम्हारे लिए कर देती हूँ." कहकर सोनाली ने मेरे लंड को
अपनी मुट्ठी मे भींच लिया. वो एक अलग अंदाज़ से लंड को मुठिया रही
थी. वो बड़ी धीरे धीरे मेरे लंड को मुठिया रही थी शायद वो
मुझे और बताना चाहती थी.

"तुमने बहोत बड़ा ख़तरा मोल लिया था उसका पानी अपनी चूत मे
छुड़वा के." मेने कहा.

"हो सकता है लिया हो, पर इससे भी बड़ा ख़तरा तो मेने बाद मे
लिया था." सोनाली मेरे लंड को मसल्ते हुए बोली.

"में समझा नही तुम क्या कहना चाहती हो?" मेने पूछा.

"राज देखों जब एक बार बात खुल ही गयी है तो में तुम्हे पूरी
कहानी सुनाती हूँ." ये कहकर उसने मेरे लंड पर अपनी गिरफ़्त बढ़ा
दी जो मुझे अच्छी लग रही थी.

उसी वक़्त में सोच रहा था कि वो क्या कह रही है. पिछली रात तो
उसने कहा था कि उसके भाई ने उसे एक बार ही चोदा था और वो किस्सा
वहीं ख़त्म हो गया था. क्या इसके आगे भी कोई बात है.

"सुनो राज, मेने तुम्हे पूरी सच्चाई नही बताई थी. मेरी बात ध्यान
से सुनो और फिर तुम फ़ैसला करना कि में ग़लत थी या सही." सोनाली
ने कहा, वो मेरे लंड को जोरों से मुठिया रही थी, और इसी अवस्था
मे मेरे लिए सोचना मुश्किल हो जाता था.

सोनाली ने बताया कि उस रात जब उसकी भाई विजय ने उसकी चूत खुद
के वीर्य से भर दी थी, उसके बाद वो अपने अपने कमरे मे चले गये
थे. सोनाली बिस्तर पर बैठ अपने भाई के वीर्य को अपनी उंगलियों मे
लेकर चाट रही थी. उसे वीर्य का स्वाद काफ़ी पसंद है.

तभी विजय ने उसके कमरे के दरवाज़े पर दस्तक दी, "दीदी क्या में
थोड़ी देर के लिए अंदर आ सकता हूँ, मुझे तुमसे कुछ बात करनी
है."

सोनाली ने सोचा कि वो अपने बदन को ढक ले, लेकिन जब उसने सोचा कि
थोड़ी देर पहले ही तो वो उससे चुदवा चुकी है तो तन ढके या ना
ढके क्या फरक पड़ता है, "हां क्यों नही अंदर आओ ना." सोनाली ने
कहा.

विजय ने कमरे मे कदम रखा. उसने अपनी शॉर्ट और टी-शर्ट पहन
रखी थी. उसके हाथ मे उसका डिजिटल कॅमरा था. सोनाली को नंगी
देख वो वहीं रुक गया, "हे भगवान सोनाली तुम कितनी सेक्सी लग रही
हो. सही मे राज नसीब वाला है."

"पर आज की रात तो तुम्हारे भी नसीब खुल गये लगता है." सोनाली
ने जवाब दिया.

विजय मुस्कुराया और उसके सामने कुर्सी पर बैठ गया, "सोनाली तुम्हारी
चूत तो अभी भी चूह रही है."

"और तुम्हारा लंड भी तो खड़ा है," सोनाली ने उसके शॉर्ट मे बने
तंबू की ओर इशारा करते हुए कहा.

"यही तो बात है जो में तुमसे करने आया हूँ. देखो सोनाली जो
मेने आज किया उसके लिए में बिल्कुल भी शर्मिंदा नही हूँ, बल्कि
मुझे बहोत अच्छा लगा. तुम्हे चोदने में मुझे बहोत मज़ा आया."
विजय ने कहा.

सोनाली ने कुछ जवाब नही दिया, और सोच रही थी उसकी बात का क्या
उत्तर दे, मज़ा तो उसे भी आया था.
 
अपडेट 3

"सोनाली तुम मेरी बेहन हो और में तुम्हे प्यार करता हूँ." विजय ने
कहा.

"बेवकूफ़ में ये जानती हूँ." सोनाली ने कहा.

"तुम मुझे ग़लत मत समझो. बस में तुम्हे प्यार करता हूँ."

"एक भाई की तरह जैसे में करती हूँ, तो फिर बात क्या है, तुम
मुझे क्या बताने वाले हो विजय."

सोनाली ने विजय के हाथ मे कॅमरा देखा तो कुछ कुछ उसकी समझ मे
आने लगा. उसे पता था कि विजय को पिक्चर खींचने का शौक है.
विजय जिस भी लड़की की चुदाई करता था उसकी चूत की फोटो खींच
अपने आल्बम मे लगा लेता था.

भूल से वो आल्बम एक बार सोनाली के हाथ लग गयी थी. नंगी
लड़कियों की तस्वीरें देख वो गरमा गयी थी और उस रात उसने अपने
कमरे मे मूठ मारी थी.

विजय हर लड़की की एक से ज़्यादा तस्वीरेब खींचता था, पर उसकी
सबसे पसंदीदा पिक्चर थी लड़की की चूत की जब उसका वीर्य उस
चूत से बहता था. आज वो अपनी बेहन की चूत की भी तस्वीर उतारना
चाहता था.

जब मेने सोनाली के मुँह से ये सुना तो में हँसने लगा. उसका आल्बम
देखने को मेरा भी मन करने लगा. सोनाली अब जोरों से मेरे लंड को
रगड़ मसल रही थी. मेरा झड़ने का वक़्त करीब था ये बात सोनाली
समझ गयी थी.

सोनाली ने अपनी कहानी जारी रखी. विजय ने उससे पूछा कि क्या वो उसकी
तस्वीर ले सकता है. सोनाली ये बात सुनकर ही गरम हो गयी, पर एक
समस्या थी कि उसकी चूत पूरी तरह सुख चुकी थी. अब उसकी चूत
मे ज़रा भी गीला पन या वीर्य की एक भी बूँद नही थी जो विजय के
हिसाब से फोटो के लिए ज़रूरी थी.

सोनाली पूरी तरह एक बार फिर उत्तेजित हो चुकी थी, "विजय ठीक है
मेरे एक बात सुनो. मेरी चूत मे अभी भी आग लगी हुई है, और राज
को आने मे अभी दो हफ्ते पड़े है. हम लोग आज एक बार पहले ही
चुदाई कर चुके है, और में तुम्हारे लंड का एक बार फिर मज़ा लेना
चाहती हूँ. पर विजय तुम्हे मुझे एक वादा करना होगा कि आज की रात
हमारे इस रिश्ते की आखरी रात होगी. हां आज तुम पूरी रात मेरी
चूत की धज्जियाँ उड़ा सकते हो."

विजय उसकी बात मान गया और मन ही मन बहुत खुश हुआ कि उसे अपनी
बेहन की कसी चूत एक बार फिर चोदने को मिलेगी.

"पर हमे थोड़ा जल्दी करना होगा, कारण प्रियंका कभी वापस आ
सकती है." सोनाली ने कहा.
 
प्रियंका उनकी बेहन थी जो अपने कुछ दोस्तों के साथ पिक्चर देखने
गयी थी. विजय सबसे बड़ा 28 साल का था, फिर प्रियंका 25 साल की
और सोनाली सबसे छोटी 24 साल की. सोनाली अपने मा बाप की काफ़ी
लाडली बेटी थी. रहने को वो अपने माता पिता के घर ही रहती थी पर
उसका ज़्यादा समय मेरे यहाँ गुज़रता था. विजय और सोनाली की आपस
में अच्छी बनती थी पर उसकी प्रियंका के साथ नही जमती थी.

"चलो अब यहाँ मेरे पास आओ और अपना लंड मेरी चूत मे घुसा दो
जल्दी से." सोनाली उत्तेजित होते हुए बोली.

में कल्पना में विजय को सोनाली को चोद्ते हुए देखने लगा और उसी
वक्त मेरे लंड से एक लावा के रूप मे मेरा वीर्य छूट गया. मेरा
वीर्य कुछ सोनाली के हाथों मे और कुछ मेरी जांघों पर गिर गया
था.

"वाउ ये कहानी तो सही में तुम्हे गरमा रही है." सोनाली ने कहा
और मेरे लंड को अपने मुँह ले चूस कर सॉफ करने लगी. उसके
मुलायम मुँह मे मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. सही मे मेरी सोनाली
लंड चूसने मे माहिर थी.

"तो उस रात तुम दोनो ने दुबारा चुदाई की?" मेने पूछा.

सोनाली ने मेरे लंड को अपने मुँह से बाहर निकाल दिया और मेरी
जांघों पर गिरे मेरे वीर्य को चाटने लगी.

"हां, प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो. मेने कल सब नही बताया क्यों की
में डर गयी थी की तुम्हे बुरा लगेगा." सोनाली ने कहा.

"तुम्हे अच्छी तरह याद है ना कि तुम्हे अपने भाई से दो बार ही
चुदवाया था." मेने सोनाली से पूछा.

सोनाली मेरी गोद मे बैठ गयी और अपनी टाँगे मेरी जांघों के अगल
बगल रख मेरी अर्ध मुरझाए लंड को अपनी चूत से रगड़ने
लगी, "हां अभी तक तो ऐसा ही याद है."

"क्या मतलब है तुम्हारा?" मेने चौंकते हुए कहा.

"अरे बाबा मज़ाक कर रही थी, मे तुमसे वादा कर चुकी हूँ कि दुबारा
ऐसा नही होगा," कहकर वो मेरे लंड को और जोरों से अपनी चूत पर
रगड़ने लगी. थोड़ी ही देर मे मेरा लंड एक बार फिर तन कर खड़ा हो
गया. सोनाली ने मेरे लंड को अपनी चूत के मुँह पर लगाया और
बैठते हुए पूरा लंड अपनी चूत मे ले लिया.

"तुम अपनी कहानी पूरी करो? में सब कुछ सुनना चाहता हूँ." मेने
कहा.

"हां में तुम्हे सब बताउन्गि," वो जोरों से मेरे लंड पर उछल रही
थी. उसकी चूत पूरी तरह से गीली हो पानी छोड़ रही थी. सोनाली के
हाव भाव देख में कह सकता हूँ कि एक तो मेरा लंड उसकी चूत मे
और दूसरा अपने भाई के साथ की हुई चुदाई उसे बहुत उत्तेजित कर रही
थी.

वो मुझे चोदे जा रही थी और अपनी कहानी भी सुना रही थी. विजय
ने अपनी शॉर्ट्स उतार दी और लगभग अपनी टी-शर्ट को फड़का उतार
फैंका. फिर वो उछल कर अपनी बेहन की टाँगो के बीच आ गया. उसने
अपना लंड अपनी बेहन की चूत के मुहाने पर लगा दिया.

"किसकी राह देख रहो हो विजय, घुसा दो अपना लंड अपनी बेहन की
चूत मे और जोरों से चोदो आज उसे इसकी ज़रूरत है." सोनाली उसके
मुँह में अपनी ज़ुबान घुसाते हुए बोली.

विजय ने हल्का सा धक्का मारा और उसका सुपाडा सोनाली की चूत मे
घुस गया, फिर थोड़ा सा बाहर खिचते हुए उसने ज़ोर का धक्का मारते
हुए पूरा लंड उसकी चूत मे घुसा दिया.

"ओह विजय तुमने मेरी चूत को पूरा भर दिया,
तुम्हारा लंड मेरी बच्चेदानी पर ठोकर मार रहा है." सोनाली
सिसकते हुए बोली.
 
विजय पागलों की तरह उसे चोदे जा रहा था. सोनाली ने अपनी टाँगे
और फैला दी और कूल्हे उछाल उसके लंड को और अंदर लेने लगी. फिर
उसने अपनी टाँगे उठा कर विजय के कंधों पर रख दी. विजय उसकी
टाँगो को पकड़ ढके पर धक्के मार रहा था.

"ओह बहहाना माआज़ एयाया गया, आअज मीईईं तुम्हारी
चूत का भोसड़ा बना दूँगा फाड़ दूँगा आअज इसे." विजय
धक्के लगाते हुए बड़बड़ा रहा था.

"हाां फाड़ दो मेरी चूऊत को ओह हाां और जूऊऊर सीई
ओह विजया और कस के माररो नाआअ." सोनाली भी सिसक रही थी.

सोनाली काफ़ी जोरों से सिसक रही थी. विजय का लंड जब उसकी चूत की
गहराइयों तक जाता तो वो मनाने लगी आज विजय रुके ही नही बस उसे
चोद्ता जाय. जब वो उसके लंड को अपनी चूत मे गायब होते देखती और
जब उसके रस से लसा हुआ बाहर आता तो उसे बहुत अच्छा लग रहा था.
आज उसे अपने भाई पर बहुत प्यार आ रहा था.

विजय ने अब उसके निपल को मुँह ले चूसना शुरू कर दिया था और
दूसरे को अपनी उंगलियों से भींच रहा था.

"ओह विजय खा जाओ मेरी चुचियो को ओह आआआः ओःःः
हाआँ." सोनाली की चूत ना जाने कितनी बार पानी छोड़ चुकी थी. एक
बार छूटता और दूसरा तय्यारी पर होता.

सोनाली ये सुनते हुए मेरे लंड पर उछल उछल कर चोद रही थी.
उसके मम्मे हर धक्के पर उछल रहे थे, मेरा भी झड़ने का समय
करीब ही था. सिर्फ़ इस ख़याल ने कि इसके भाई ने इसकी चूत को
चोदा था मेरे शरीर मे और उत्तेजना बढ़ने लगी.

"ऑश राज्ज्जज आआअज तुम मुझहीईई विजय की तरह जोर्र्र्र से
चोदो ओह."

मेने उसे कमर से पकड़ा और सोफे पर लिटा दिया. फिर उसकी टाँगो को
पूरी तरह फैला अपने लंड को एक ही धक्के मे पूरा घुसा दिया. में
उछल उछल कर जोरों के धक्के मारने लगा था. वो आज उसी तरह लेटी
थी जिस तरह उस रात अपने भाई से चुदवाते वक़्त लेती थी.

मेरी भयंकर चुदाई से उसके मुँह से शब्द नही निकल पा रहे थे,
कारण मेरे हर धक्के से उसका शरीर हिल रहा था फिर भी किसी तरह
उसने अपनी कहानी पूरी की.

विजय उसके निपल को बुरी तरह चबा रहा था जिसने सोनाली को
उत्तेजना की चरम सीमा पर पहुँचा दिया था. उसकी चूत कई बार
पानी छोड़ चुकी थी.
आख़िर मे विजय भी सिसक पड़ा, "ओह सूऊनाअली मेरााा छूटने
वाला हाऐी ओह."

"हाां विजाआआ चूऊद डूऊ अपनाअ पनई मेरिइइ चूऊत मे."
और वही हुआ विजय ने अपना वीर्य उसकी चूओत मे छोड़ दिया. शायद
आज से ज़यादा पानी उसके लंड ने कभी नही छोड़ा था.

"ओह भगवान माआज़ा एयेए गय्ाआ इतनी भयाअंकर चुदाइ
मईएईने आज से पहले कभी नही की." विजय उसके बगल मे निढाल
गिरते हुए बोला.

"विजय इससे पहले कि तुम्हारा वीर्य मेरी चूत से बह जाय, अपना
कॅमरा ले आओ और तस्वीरें खींच लो." सोनाली ने कहा.

विजय अपना कॅमरा ले आया और फिर उसकी वीर्य से भरी चूत की
तस्वीरें ली. जब मेने ये सुना तो मेने भी मन बना लिया कि एक
दिन उसका आल्बम और सोनाली की फोटोस ज़रूर देखूँगा.

विजय जब तस्वीरे खींच रहा था तब सोनाली ने कमरे के बाहर कुछ
आहट सुनी थी. उसने महेसुस किया कि कोई उन्हे देख रहा है पर उसे
अपना भरम समझ उसे उस ख़याल को अपने दिमाग़ से झटक दिया.

विजय ने तस्वीरे खींचने के बाद अपनी बेहन को चूम लिया. सोनाली
ने उसके मुरझाए लंड को देखा, उसका मन तो एक बार फिर मचल उठा
पर नही अब ऐसा नही करूँगी कह उसने अपने भावनाओं को वहीं दबा
लिया.
 
अपनी कहानी सुनाते हुए शायद सोनाली 6-7 बार झाड़ चुकी थी. में
भी कहानी सुनते हुए इतनी कस के धक्के लगा रहा था की अब अपने आप
को रोकना मुझे मुश्किल लग रहा था.

मेने अपनी ज़ुबान उसके मुँह मे डाली, "आआआआआआआआअहह." में
सिसका और मेरे लंड ने उसकी चूत मे बौछार कर दी. सोनाली ने मेरे
लंड को अपनी चूत मे जाकड़ लिया और उसे निचोड़ने लगी.

"सोनाली मेने इतनी ज़्यादा गरम कहानी कभी नही सुनी." मेने कहा.

सोनाली ने मुझे चूम लिया, "राज तुम नही जानते में कितनी खुश हूँ, आइ
लव यू में तुमसे बहुत प्यार करती हूँ. तुम कितने समझदार इंसान
हो." कहकर वो मुस्कराई और एक बार फिर मुझे चूम लिया.

"अच्छा है तुमने मुझे बता दिया. तुम सही कह रही हो ना कि उस दिन
के बाद तुमने अपने भाई के साथ दुबारा नही किया.?" मेने आखरी बार
उससे पूछा.

"हां मैं कसम खाती हूँ, मेने विजय से दुबारा कभी नही
चुदवाया." सोनाली बोली.

में थका निढाल उसके बगल में बैठ गया.




सोनाली की कहानी सुनने के बाद में सोफे पर उसके बगल में बैठा
कुछ सोच रहा था.

"सोनाली एक बात अभी भी मेरी समझ मे नही आ रही है?' मेने
सोनाली से पूछा.

"और वो क्या बात है?" सोनाली ने कहा.

"तुम्हारे और विजय के बीच जो कुछ भी हुआ उस बात को करीब तीन
महीने हो गये. तुम ये बात मुझे इस वक्त क्यों बता रही हो? इसके
पहले क्यों नही बताई. और सबसे बड़ी बात तुम इसे छुपा भी सकती
थी.? मेने सोनाली से पूछा.
 
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