Desi Sex Kahani मेरी प्रेमिका - Page 8 - SexBaba
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Desi Sex Kahani मेरी प्रेमिका

तभी सोनाली विजय के कमरे मे आती है, "तुम दोनो काफ़ी एंजाय कर
रहे हो लगता है, किसी लड़की की ज़रूरत महसूस हो रही है." उसने
कहा.

विजय ने कुछ कहा नही बल्कि उसे उठा कर बिस्तर पर लिटा दिया और
उसकी चूत मे अपना लंड डाल दिया. थोड़ी देर उसकी चूत चोदने के बाद
जैसे ही उसने अपना लंड उसकी गान्ड मे घुसाना चाहा सोनाली बोल उठी,

"ओह विजय गान्ड मे नही, अभी तक दर्द हो रहा है, राज ने थोड़ी देर
पहले खूब चुदाई की है."

पर सोनाली को कहने मे देर हो चुकी थी, विजय का लंड तब तक उसकी
गान्ड मे घुस चुका था. विजय जोरों से उसकी गान्ड मारने लगा. अब
सोनाली उसे रोकने के बजाई सिसक रही थी, "ऑश वियाअ हां मारो
मेरी गांद ऑश हाआँ और जूओर से."

थोड़ी देर के बाद वो दोनो तक कर अलग हो गये थे. में सोनाली का
हाथ अपने हाथों मे लिए बिस्तर पर बैठा था.

"सोनाली तुम्हे याद है उस दिन हमने क्या किया था?" विजय ने सोनाली
से पूछा.

"हां मुझे अच्छी तरह याद है." सोनाली ने कहा. में भी जानना
चाहता था कि उस दिन क्या हुआ. सोनाली ने मुझे बताया.

उस दिन सोनाली नाहकार बाथरूम से बाहर आ रही थी और विजय और
अमित अपने कमरे से बाहर निकल रहे थे. थोड़े देर पहले वो तीनो
साथ मे विजय के कमरे मे ही थे. वो सब साथ मे कोई ब्लू फिल्म देख
रहे थे.

दोनो जब कमरे से बाहर आए तो बिल्कुल नंगे थे. जब उन्होने ने
सोनाली को नंगी बाथरूम से बाहर निकलते देखा तो उन दोनो का लंड
खड़ा हो गया.

विजय ने उसका रास्ता रोक लिया और चिढ़ाते हुए कहा, "सोनाली अगर
तुम्हे यहाँ से जाना है तो टोल टॅक्स देना होगा."

"अभी नही विजय मुझे बहोत काम करना है." सोनाली ने उसे
समझाया.

विजय था क़ी वो मान ही नही रहा था. विजय ने उसके कंधों को
पकड़ा और उसके होठों पर अपने होठ रख दिए. सोनाली ने भी अपना
मुँह खोला और उसकी जीब को अपने मुँह मे ले चूसने लगी. तभी अमित
ने पीछे से उसकी चूत मे अपना लंड घुसा दिया.

अमित का लंड बड़ा तो नही था पूर उसे अपनी चूत मे उसका लंड अच्छा
लगता था. पर पता नही क्यों आज उसे चुदवाने का मन नही था.

"प्लीज़ अमित रुक जाओ, मुझे जाने दो?" सोनाली ने कहा.

"ऐसे कैसे जाने दें. हम तुम्हे तब तक जाने नही देंगे जब तक
हम तुम्हे अपने वीर्य से नहला ना दे, फिर तुम्हे ये सब अच्छा भी तो
लगता है." विजय ने उसे बाहों मे भर उसकी चुचियों को मसल्ते हुए
कहा.

अमित के लंड का हर धक्का उसे गरम और उत्तेजित करता जा रहा था.
अब वो अपने दो आशिक़ के बीच फँस गयी थी. उसके दिमाग़ मे ये बात
कहीं थी कि वो अमित से चुदवा कर उस हद को पर कर रही थी जो
मैने और उसने तय की थी.

पर उत्तेजना और चूत की खुजली उस हद को पर करने पर उसे मजबूर
कर रही थी. अगर वो दोनो उसे जाने भी देते तो वो नही जाती, वो
अपनी चूत की खुजली के सामने लाचार थी.

"अमित का लंड तुम्हे अच्छा लगता है ना, थोड़ी देर पहले उसका लंड
मेरे मुँह मे था अब वो तुम्हारी चूत मे है मेरी छिनाल बेहन."
विजय ने कहा.

"ह्म्‍म्म्म हाआँ………अमित चूओड़ो मुझे और ज़ोर से चूड़ो." सोनाली ने
स्वीकार किया.
 
अमित ने उसकी बात मानी और ज़ोर के धक्के लगाने लगा. कई दिनो से
विजय के साथ रहने के बाद उसने चुदाई मे काफ़ी तरक्की कर ली थी.
वो उसके चुतडो को फैलाकर ज़ोर के धक्के मार रहा था.

विजय ने उसके एक निपल को अपने मुँह मे ले लिया और चूसने लगा,
सोनाली का निपल उसके मुँह मे और बड़ा हो गया था. उसका एक हाथ
उसकी चूत पर था जहाँ अमित का लंड अंदर बाहर हो रहा था.

"ओह हाआअँ य्ाआही आऐसे हिी रग़द्डड़ड़ो ओह मेराा छूटा."
सोनाली सिसक रही थी.

जब उसकी चूत ने अच्छी तरह पानी छोड़ दिया तो उससे बड़ी मुश्किल से
खड़ा हुआ जा रहा था. अमित ने उसे ज़मीन पर घोड़ी बना दिया और
फिर चोदने लगा.

"ऊवू चूऊओदूओ मुझहह्े ऊवू हाां पर आअपँा लुंदड़ड़ बाहर
निक्ाअल लेना मेरी चूओत मे पानी नही छोड़ना." सोनाली बोली.

विजय उसके सामने आ गया और अपना लंड उसके चेहरे के सामने कर
दिया. सोनाली ने अपना मुँह खोला और उसके लंड को चूसने लगी. विजय
अब धक्के लगा कर उसके मुँह को चोद रहा था, कभी वो अपने लंड को
उसके गले तक अंदर डाल देता जिससे उसकी साँसे रुक सी जाती.

सोनाली का पूरा बदन काँप रहा था, दोनो इतनी भयंकर तरीके से
उसे चोद रहे थे की उसकी चुचियाँ घड़ी के पेंडुलम की तरह हिल
रही थी. आज वो इन दो चुड़दकड़ लड़कों की रांड़ थी, और वो दोनो
उसे जमकर चोद रहे थे.

"ऊऊओ मेराअ छूटने वाअला है." अमित सिसका.

"इस्की चूऊत को भार दूओ आआँित." विजय ने कहा.

"नही बाहर निकाल लो. अंदर मत छुड़ाना." सोनाली गिडगिडाइ.

उसकी माहवारी अभी ख़त्म हुई थी और वो फिर से गर्भ निरोधक
गोलियाँ लेना शुरू करने वाली थी. उसके पास गोलियाँ ख़त्म हो गयी
थी और वो रात को बज़ार से लाना भूल गयी थी.

पर बहोत देर हो चुकी थी. अमित अपना लंड उसकी चूत से समय पर
बाहर नही निकाल पाया और उसने अपना वीर्य उसकी चूत मे छोड़ दिया.
सोनाली ने उसके वीर्य को अपनी चूत मे महसूस किया. और उसकी चूत ने
एक बार फिर पानी छोड़ दिया. फिर उसने विजय का वीर्य अपने मुँह मे
महसूस किया जिसे वो निगल गयी.

अमित ने अपना लंड उसकी चूत से बाहर निकाल लिया, उसका वीर्य उसकी
चूत से बाहर को बह रहा था.

सोनाली ज़मीन से खड़ी हुई, "हे भगवान देखो तुम दोनो ने क्या किया
है, मुझे फिर से नहाना पड़ेगा." वो दोनो हँसने लगे.

सोनाली जल्दी से बाथरूम मे घुसी और अपनी चूत को रगड़ कर सॉफ
करने लगी. विजय उसके पीछे पीछे बाथरूम मे आ गया. अमित पीछे
हाल मे रह गया था. उसने आज पहली बार सोनाली को चोदा था, और वो
ये जानता था कि आज के बाद उसे और कई मौके मिलेंगे सोनाली को
चोदने के.

"तुम क्यों नही चाहती थी कि अमित अपना पानी तुम्हारी चूत मे छोड़े?"
विजय ने पूछा.

"में दो दिन से गोलियाँ नही ले रही हूँ." सोनाली ने डरते हुए कहा.

विजय भी एक बार चिंतित हो उठा, कहीं कुछ ग़लत ना हो जाए, "ऐसा
करो प्रियंका से ले कर ले लेना." विजय ने कहा.

विजय की बात सुनकर उसे थोड़ी राहत महसूस हुई. उसने पहले ये क्यों
नही सोचा वो सोचने लगी. पर जब इतनी चुदाई हो रही हो तो बाकी
बातें दिमाग़ मे कहाँ आती है.

"तुम सही कह रहे हो, मुझे ये पहले ही सोच लेना चाहिए था. अब
जब कि में ठीक हूँ तो क्या तुम एक और दौर करना चाहोगे? सोनाली ने
विजय से पूछा.

विजय ने हां कहा. सोनाली बाथरूम की ठंडी टाइल पर पीठ के बल
लेट गयी. विजय उसके उपर चढ़ उसे चोदने लगा. तभी अमित बाथरूम
मे आ गया और उसके मुँह को चोदने लगा. थोड़ी देर मे दोनो ने अपना
पानी उसके बदन पर छिड़कना शुरू कर दिया.

सोनाली की बात सुनकर मेरा लंड एक बार फिर खड़ा हो गया था. मैने
सोनाली को बिस्तर पर लिटाया और अपने लंड को उसकी चूत मे पेल दिया.

"तो मेरी छिनाल प्रेमिका तुमने पड़ोस के लड़के से भी चुदवा लिया,"
मैने थोड़ा मज़ाक करते हुए कहा, "तुमने उसे चोदने दिया और उसने
अपना वीर्य भी तुम्हारी चूत मे छोड़ दिया. तुमने इसकी सज़ा मिलनी
चाहिए." मैने धक्के मारते हुए कहा.

"हाां मीई राअंड्ी हुउऊऊँ, लुउउन्ड्क कििई भूवकी हुन्न्ं, मुझे
सज़्ज़ा दो, फाड़ कर दो हिस्सों मे कर दो मेरी चूत को, ऊओह
चूओडू मुज्ज़े." सोनाली चिल्ला रही थी.

में ज़ोर ज़ोर के धक्के मार उसे चोद रहा था. पता नही मुझे क्या
हुआ मेरे दिमाग़ से मज़ाक निकल गया और उसकी जगह नफ़रत और गुस्से
ने ले लिया. में उसके उपर चढ़ गया और उसकी टाँगे को पूरी तरह
फैलाते हुए भय्न्कर धक्को के साथ उसे चोदने लगा.

में उसकी चूत को इतनी बेदर्दी से चोद रहा था कि यक़ीनन उसे
दर्द हो रहा होगा. पर जैसे मुझ पर शैतान सवार था.

"ओह राज क्या कर रहे हो? मुझे दर्द हो रहा है." सोनाली रोने
लगी, "हां मेरी यही सज़ा है, मुझे माफ़ कर दो प्लीस माफ़ कर
दो." वो धीरे से बोली.
 
मेरी नसों मे तनाव आया और मेरे लंड ने उसकी चूत मे पानी छोड़
दिया. मैने अपना लंड उसकी वीर्य से भरी छूट से बाहर निकाल
लिया. सोनाली ने मेरे चेहरे को अपने हाथों मे लिया और मुझे चूमने
लगी.

उस रात हम बिस्तर पर लेटे थे. सोनाली का चेहरा मेरी छाती पर
था और वो मेरी छाती के बालों मे अपनी उंगलियाँ फिरा रही थी.
मुझे आज लगा कि सोनाली से मुझे आखरी फ़ैसला कर ही लेना चाहिए.
आख़िर हर चीज़ की एक हद होती है.

"डार्लिंग मुझे लगता है कि हमे बात कर लेनी चाहिए." मैने कहा.

"मुझे पता है." सोनाली ने अपनी गर्दन हिलाते हुए कहा.

"ठीक है मेरी बात सुनो. मुझे लग रहा है कि हालात अब हमारे बस
मे नही है. मेरा मतलब है कि जब तक में और तुम फिर बाद मे
तुम्हारा परिवार तब तक तो सब ठीक था. पर अब बाहर के लोग भी
चुदाई मे शामिल हो रहे है…………तुम समझ रही हो ना में क्या कह
रहा हूँ." मैने कहा.

"हां में समझ रही हूँ जो तुम कह रहे हो. में जानती हूँ अमित
हमारी शर्त का हिस्सा नही था. और मेरा विश्वास करो में दिल से भी
नही चाहती थी पर सब कुछ इतना जल्दी हो गया कि में कुछ कर
नही पाई. प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो." सोनाली लगभग रोते हुए बोली.

"चलो इस बार तो ठीक है, पर दूसरी बार………तुम्हे पता नही कब कौन
तुम्हारी जिंदगी मे आ जाएगा."

सोनाली थोड़ी परेशान सी मेरी तरफ देखने लगी, "दूसरी बार से
तुम्हारा मतलब क्या है?"

में उसके बालों पर हाथ फिराने लगा. वो मेरी आँखों मे देख समझ
गयी के मेरा कहने का मतलब कुछ ग़लत नही था.

"तुम सही कह रहे हो राज. मुझे पता नही कि पिछले कुछ महीनो से
मुझे क्या हो गया है. इन सब बातों के पहले मैने सपने मे भी
नही सोचा था कि में ऐसा कुछ करूँगी. जब विजय ने मुझे पहली
बार चोदा तो में समझी कि अच्छा हुआ जिससे में अपने परिवार और
करीब आ गयी. में मेरे परिवार का हिस्सा बन गयी और मुझे मज़ा
भी आने लगा." सोनाली ने कहा.

"मुझे पता है, और तुम ये भी अच्छी तरह जानती हो कि में कभी
भी तुम्हारे परिवार या तुम्हारी ख़ुसी की रुकावट नही बनूंगा." मैने
कहा.

"हां मे जानती हूँ." सोनाली मुस्कुराते हुए बोली.

मैने एक गहरी साँस ली. में जानता था कि जो मैं कहने जा रहा
था वो बड़ा मुश्किल था पर एक दिन तो कहना ही था.

"सोनाली मैने तुमसे प्यार करता हूँ और हमेशा करता रहूँगा. पर
मुझे लगता है कि अब ये सब में और नही कर पाउन्गा. मुझे काफ़ी
मज़ा और आनंद आया पर क्योंकि अब में तुम्हे दूसरे मर्दों के साथ
नही बाँट सकता. मुझे एक पक्का और वफ़ा का रिश्ता चाहिए, जैसे
हमारा शुरू मे था."

सोनाली मेरी बात सुनकर खामोश रही.

आख़िर मैने कह ही दिया. उसके परिवार के साथ चुदाई के दौर मुझे
अच्छे लगे थे, मैने अपनी सोच भी काफ़ी चौड़ी कर दी थी. पर
मुझे लगा कि अब मुझे जिंदगी मे आगे बढ़ना चाहिए. अगर सोनाली
के बगैर भी बढ़ना पड़ा तो बढ़ जाना चाहिए.

मैने खामोशी तोड़ी, "सोनाली में नही चाहूँगा कि तुम एक ऐसे
दोराहे पर खड़ी हो जाओ जहाँ तुम्हे तुम्हारे परिवार और मुझ मे से
एक को चुनना पड़े. इससे तो अच्छा है कि हम दोनो एक दूसरे से मिलना
बंद कर दे. फिलहाल कुछ समय के लिए तो नही मिले."

जहाँ तक मुझे याद है, उस रात यही हुआ था. में हादसों को जल्दी
से भूल जाने की कोशिश करता हूँ. मुझे ज़्यादा याद भी नही और ना
ही में याद करना चाहता हूँ.

उस रात के बाद में और सोनाली अपने अपने रास्तों पर आगे बढ़ गये.
हम दोनो एक दूसरे से बात करते रहते है, और काफ़ी बात करते है.
वो खुश है, कोई प्रेमी कोई दोस्त नही. पर हां आज भी उनके घर मे
चुदाई खूब होती है.

सोनाली से अलग होने के एक महीने बाद में गायत्री से मिलने उसके
सहर चला गया. गये एक महीने मैने उससे काफ़ी सारी बात की थी.
पिछली बातों को में अपने दिमाग़ से निकालना चाहता था और जिंदगी
मे कुछ करना चाहता था. में सोनाली की कमी आज भी महसूस करता
हूँ पर मुझे मालूम है मैने सही फ़ैसला किया था.

जब में ये कहानी आप लोगों को लिख रहा हूँ गायत्री मेरे पीछे
खड़ी ये सब पढ़ रही है. मैं उसके बेडरूम मे बैठा हूँ. कहानी
के इस भाग ने उसे गरमा दिया और वो अपनी चूत मे उंगलियाँ कर रही
है. वो मेरे सामने बैठ गयी और जब मैने उसकी आँखों की चमक
को देखा तो समझ गया कि अब मुझे आप लोगों से विदा लेनी होगी.

उम्मीद है आपलोगों को ये कहानी पसंद आई होगी, अपनी राई और
कॉमेंट्स ज़रूर भेजें.

*समाप्त*
 
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