Desi Sex Kahani रंगीली पड़ोसन - Page 2 - SexBaba
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Desi Sex Kahani रंगीली पड़ोसन

मेरी बात सुनते ही नेहा ने झट से मेरा लिंग पकड़ कर बोली- तुम्हारे लिंग को अपने हाथ में ले कर मैं तुम्हें आज और अभी से तुम्हें अपने शरीर के गुप्तांगों सहित मेरे हर अंग को छूने की अनुमति देती हूँ।
नेहा द्वारा मेरे लिंग को छूने से मेरे लिंग में रक्त का बहाव बढ़ गया था और उसमें चेतना आने लगी थी!
देखते ही देखते मेरा लिंग नेहा के हाथ में ही तन कर कड़क हो गया और उसके हाथ में मेरे कड़क लिंग को देखकर थोड़ी शर्म महसूस कर रहा था।
नेहा ने मेरे लिंग को उलट पलट कर देखा और फिर उसके ऊपर की चर्म को पीछे हटा कर मेरा लिंग मुंड बाहर निकाल दिया और उसे गौर से देखने लगी।
नेहा को ऐसा करते देख कर मैंने उससे पूछ लिया- क्या, तुमने कभी किसी मर्द का लिंग नहीं देखा है? क्या तुम्हें अपने पति का लिंग देखने को नहीं मिलता जो मेरा लिंग इतने गौर से देख रही हो?
नेहा बोली- मैंने आज तक सिर्फ अपने पति का लिंग ही देखा है! तुम दूसरे मर्द हो जिसका लिंग मैं इतने करीब से देख और छू रही हूँ! मुझे तुम्हारा लिंग मेरे पति के लिंग से कुछ भिन्न सा दिख रहा है।
मैंने तुरंत पूछ लिया- तुम्हें मेरे लिंग और तुम्हारे पति के लिंग से क्या भिन्नता दिखाई दी है?
तब नेहा ने मेरे लिंग को पकड़े हुए ही सरकते हुए मेरे बैड पर आ कर लेट गई और बोली- मेरे पति का लिंग तुम्हारे लिंग से कुछ बड़ा लेकिन पतला लगता है! मेरे पति का लिंग साढ़े छह इंच लम्बा और लगभग एक इंच या सवा इंच मोटा होगा लेकिन तुम्हारा तो उनसे काफी बड़ा लगता है।
मैंने यह सुन कर उसे बताया- नेहा, मेरा लिंग तो तुम्हारे पति के लिंग से छोटा है यह तो सिर्फ छह इंच लम्बा ही है चाहो तो नाप लो! हाँ मेरा लिंग तुम्हारे पति के लिंग से मोटा ज़रूर होगा है क्योंकि इसकी मोटाई ढाई इंच है।
यह सुन नेहा बोली- तुम्हारे लिंग के ऊपर जो चर्म है वह पीछे करके तुम्हारा लिंग मुंड बाहर निकला जा सकता है लेकिन मेरे पति के साथ मैं ऐसा नहीं कर सकती क्योंकि उन्हें बहुत ही पीड़ा होने लगती है! एक बात और भी है कि तुम्हारा लिंग बहुत ही सख्त है बिल्कुल लोहे की रॉड की तरह और मैं उसे दबा भी नहीं पा रही हूँ! लेकिन मेरे पति का लिंग थोड़ा नर्म रहता है, खड़ा होने के बाबजूद मैं उसे दबा कर मोड़ सकती हूँ।
नेहा की बात सुन कर मैंने उसे समझाने के लिए कहा- नेहा देखो, जैसे हर इंसान की आकृति और प्रकृति में भिन्नता होती है उसी तरह उसके अंगों आकृति और प्रकृति में भी भिन्नता होती है।
नेहा ने मेरी बात बहुत ध्यान से सुनी और पूछा- जैसे हर इंसान के कर्म भिन्न होते है और उसे उन कर्मों का फल भी भिन्न मिलता है?
मैंने उसकी बात सुन कर बोला- हाँ नेहा, तुमने बिल्कुल सही समझा है।
तब नेहा ने प्रश्न किया- इस आकृति, प्रकृति, कर्म और फल आदि की भिन्नता को कैसे परखा जा सकता है?
मैं उसके प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा- उनकी भिन्नता को देख, छू, सूँघ, चख और कार्यशीलता का अनुभव करके ही परखा जा सकता है!
तब नेहा उचक कर बैठ गई और मेरे लिंग को पकड़ कर झुकी तथा उसे सूंघा, चूमा और फिर लिंग के छिद्र में से निकली पूर्वरस वीर्य की दो बूँद अपनी जीभ से चाटने के बाद बोली- मैंने अपने पति के और तुम्हारे लिंग को देख, छू, सूँघ और चख कर उनकी भिन्नता को परख लिया है! अब मैं इन दोनों की कार्यशीलता में भिन्नता का अनुभव भी करना चाहती हूँ! मुझे अपने पति के लिंग की कार्यशीलता का अनुभव तो पहले से ही है, क्या तुम मुझे अपने लिंग की कार्यशीलता का अनुभव करवा सकते हो?
 
नेहा की बात सुन कर अवाक रह गया और उससे पूछ लिया- तुम क्या कहना चाहती हो मैं नहीं समझा! मैं तुम्हें वह अनुभव कैसे करवाऊँ?
तो उसने झट अपनी नाइटी उतार कर दूर फैंक दी और पूर्ण नग्न हो कर मेरे से चिपट कर लेटते हुए कहा- बस तुम्हें मेरे साथ सम्भोग कर लो तब दोनों में तुलना के लिए मुझे तुम्हारे लिंग की कार्यशीलता का भी अनुभव हो जाएगा।
मैंने गुस्सा दिखाते हुए उसे कहा- नेहा, क्या तुम होश में तो हो? तुम्हें पता तो है की तुम क्या कह रही हो? तुम एक शादी शुदा नारी हो और तुम एक पर-पुरुष को तुम्हारे साथ सम्भोग करने के लिए कह रही हो?
नेहा ने तुरंत उत्तर दिया- रवि, तुम चिंता मत करो मैं बिलकुल होश में हूँ! मैं तुम्हें बता चुकी हूँ कि मुझे अपने पति के लिंग की कार्यशीलता की तुलना तुम्हारे लिंग की कार्यशीलता से करनी है! एक और बात भी बताना चाहूंगी की मुझे रात में बिना सम्भोग किये नींद नहीं आएगी और उसके लिए आज कि रात मेरे पति तो मेरे पास नहीं हैं! इसीलिए तो तुमसे अनुरोध कर रही हूँ कि मेरे साथ सम्भोग करो ताकि मुझे नींद आ जाये।
इससे पहले कि मैं उसे कोई उत्तर देता उसने मेरे तने हुए लिंग को अपनी जाँघों के बीच अपनी योनि के पास दबा लिया!
मेरे दोनों हाथों को पकड़ कर अपने स्तनों पर रख दिया तथा अपने होंठों को मेरे होंठों पर रख कर मेरा चुम्बन लेना शुरू कर दिया!
मैं उसकी इस हरकत से इतना उत्तेजित हो गया कि मैं उसका कोई प्रतिरोध नहीं कर सका और उसका साथ देने लगा!
मैंने उसके होंठों को चूसते हुए अपने लिंग को उसकी जाँघों में से निकाल कर उसके हाथ में दे दिया और उसके स्तनों को अपने हाथों से तथा उसकी चुचूकों को अपनी उँगलियों से मसलने लगा।
मेरी इस क्रिया से नेहा उत्तेजित होने लगी और हल्की हल्की सिसकारियाँ लेने लगी।
उधर नेहा द्वारा मेरे लिंग को हिला हिला कर मसलने के कारण वह एकदम तन कर कड़क हो गया था।
दस मिनट चुम्बन करने के बाद जब दोनों की साँसें फूलने लगी तब हम अलग हुए और तब नेहा ने मेरे लिंग को दबा कर उसके छिद्र में देखा तथा अपनी योनि में ऊँगली डाल कर बाहर निकाल कर देखी।
फिर मुझे अपनी गीली ऊँगली दिखाते हुए बोली- मेरी योनि तो गीली भी हो गई है, लेकिन तुम्हारे लिंग से अभी तक वीर्यरस की एक भी बूँद नहीं निकली।
मैंने हँसते हुए कहा- इस समय मेरा लिंग दांव पर लगा हुआ है और उसे अपनी कार्यशीलता का सबसे अच्छा प्रदर्शन देना है इसलिए उसे सयम तो रखना ही पड़ेगा।
 
इस पर वह बोली- मुझे तुम्हारे असीम संयम का पूरा अनुभव है और मैं उसकी दाद भी देती हूँ! लेकिन मुझे तो यह अनुभव करना है कि मुझे तथा मेरी योनि को तुमसे और तुम्हारे लिंग से मेरे पति की तुलना में कितना अधिक आनंद और संतुष्टि प्राप्त होती है या नहीं।
नेहा की बात सुन कर मेरी उत्तेजना थोड़ी और बढ़ गई तब मैंने नेहा के स्तनों को हाथों से दबाते हुए उसके दोनों चुचूकों को बारी बारी से चूसने लगा।
चुचूक चूसना शुरू करते ही नेहा की उत्तेजना में बहुत वृद्धि हो गई और वह पहले से अधिक ऊँची आवाज़ में सिसकारियाँ लेने लगी।
मैंने उससे पूछा- अभी तक तो तुम ठीक ठाक थी अब इतनी ऊँची आवाजें क्यों निकाल रही हो?
वह बोली- जब से तुमने मेरी चुचूक चूसनी शुरू करी है तब से मेरी योनि के अन्दर बहुत ही गुदगुदी और हलचल शुरू हो गई है! मेरी इच्छा हो रही है कि मैं अपनी योनि में कुछ डाल कर उस गुदगुदी और हलचल को शांत करूँ।
नेहा की यह बात सुन कर मैंने उसके एक स्तन को चूसते हुए, अपने एक हाथ से उसके दूसरे स्तन को मसलने लगा तथा अपने दूसरे हाथ से उसकी योनि की मसलने लगा!
पहले तो मैंने उसकी योनि के होंठों को मसला फिर उसकी योनि के भगनासा को उँगलियों से रगड़ा और उसके बाद दो ऊँगलियाँ उसकी योनि के अंदर बाहर करते हुए उसके जी-स्पॉट को सहलाया!
जब मेरी उँगलियाँ योनि के अन्दर गई तब मुझे महसूस हुआ कि नेहा को थोड़ी राहत हुई है लेकिन जैसे ही जी-स्पॉट को सहलाना शुरू किया तो वह बहुत अधिक उत्तेजित हो गई अपने कूल्हे उठा उठा कर बहुत ही ऊँची आवाज़ में लम्बी लम्बी सिसकारियाँ लेने लगी।
वह चिल्ला कर कहने लगी- यह तुम क्या कर रहे हो? तुमने तो मेरी योनि की गुदगुदी और हलचल कम करने के बजाय उसमें आग लगा दी है! जल्दी से कुछ करो नहीं तो मेरे को कुछ हो जाएगा, मैं पागल हो जाऊँगी।
मुझे नेहा के स्तनों को चूसते, मसलते और योनि में ऊँगली करते हुए दस मिनट से अधिक हो चुके थे इसलिए मैंने वह सब बंद करके नेहा को सीधा लिटाया और उसके ऊपर पलटी होकर लेट गया।
फिर मैंने अपने लिंग को नेहा के मुँह में दे दिया और उसे चूसने को कहा और मैं खुद उसकी योनि के ऊपर मुँह रख कर उसके भगनासा को जीभ से सहलाने लगा!
बीच बीच में मैं अपनी जीभ को योनि के अन्दर तक डाल कर उसके जी-स्पॉट को भी सहला देता!
अब तो नेहा को उत्तेजना की आग से कुछ राहत मिलने के बजाय और भी अधिक उत्तेजना का सामना करना पड़ रहा था।
मेरा लिंग चूसते हुए वह लगातार बहुत ही ऊँचे स्वर में गूं….. गूं…. की आवाज़े निकालती रही! पांच मिनट के बाद उसने मेरा लिंग अपने मुँह से निकाल कर कहने लगी- रवि, अब यह चूसना चुसाना बंद करो और जल्दी से मेरी समस्या का हल करो! तुम अपना लिंग मेरी योनि में डाल कर उसी से ही क्यों नहीं चुसवा लेते? इससे दोनों को ही राहत और संतुष्टि मिल जाएगी।
क्योंकि हमें एक साथ मैथुन-पूर्व क्रियाएँ करते हुए पैंतीस मिनट से अधिक हो चुके थे इसलिए मैंने नेहा के कहे अनुसार मुझे उसकी योनि में अपने लिंग को प्रवेश करा कर उसके साथ सम्भोग शुरू करने का निर्णय लिया!
मैं उसके ऊपर से हट कर उसकी टांगों के बीच में जाकर बैठ गया और अपने तने हुए अत्यंत ही कड़क लिंग को पकड़ कर उसकी योनि के होंठों और भगनासा पर रगड़ने लगा!
 
मेरी इस क्रिया से नेहा की उत्तेजना और भी प्रबल हो उठी थी और वह चीखने लगी- रवि, क्यों मुझे रहे हो? खुद तो मज़े ले रहे हो और मुझे तरसा रहे हो! मैं अब और सहन नहीं कर सकती! तुम्हें मेरी कसम है अब जल्दी से अपने अग्निशमन उपकरण का प्रयोग करके मेरी योनि में लगी आग को बुझाओ।
मैंने हँसते हुए बोला- लो मेरी सरकार, जैसी तुम्हारी आज्ञा।

और फिर मैंने अपने लिंग के मुंड को उसकी योनि के द्वार पर टिका कर एक हल्का धक्का दिया और मुंड को उसकी योनि के अंदर धकेल दिया। 
इतना होते ही नेहा फिर चिल्ला उठी- यह अंदर क्या डाला है तुमने? मैंने तो लिंग डालने को कहा था और तुमने जैसे कोई लट्ठ डाल दिया है?
मैंने कहा- नेहा रानी, मैंने तो वही डाला है जो तुमने कहा था! अगर तुम्हें विशवास नहीं है लो अपना हाथ लगा कर खुद देख लो। 
मैंने उसका हाथ पकड़ कर अपने लिंग पर रख दिया तो उसने लिंग को दबाते हुए कहा- यह तो अभी पूरा बाहर ही है! तुमने अभी तक अंदर क्या डाला है?
मैंने नेहा से कहा- अभी बताता हूँ कि मैंने तुम्हारी योनि में अभी तक क्या डाला है, और अब क्या डालने जा रहा हूँ यह भी तुम्हें जल्द ही पता चल जाएगा।
इतना कह कर मैंने एक थोड़ा जोर से धक्का लगाया और अपना आधे से ज्यादा लिंग उसकी योनि में घुसा दिया!
नेहा ने पूरा दम लगा कर चीख मारी- उईई… माँ, मर गई माँ! हाय… हाय… माँ, इस रवि के बच्चे ने तो मेरे अंदर पता नहीं यह क्या डाल दिया है! यह तो मुझे मार ही डालेगा।
नेहा की चिल्लाहट सुन कर मैं रुक गया और इससे पहले उसकी आवाज़ पूरी बिल्डिंग में गूँजती मैंने उसके मुँह पर अपना हाथ रख दिया और उसे पूछा- नेहा, इतना शोर क्यों मचा रही हो? क्या पहली बार सम्भोग कर रही हो?
कुछ देर बाद जब नेहा ने चिल्लाना बंद किया तब आँखों में आए आंसुओं को पोंछते हुए, रोती आवाज़ में बोली- नहीं, मैं तो अपने पति के साथ रोज़ सम्भोग करती हूँ लेकिन उन्होंने कभी इतना दर्द नहीं दिया जितना तुम ज़ालिम ने दिया है! मुझे पति के साथ जीवन का पहला सम्भोग करते हुए भी इतना दर्द नहीं हुआ था जब मेरी योनि की झिल्ली फटी थी! तुमने जितना दर्द और तकलीफ मुझे दी है शायद बच्चा पैदा होते समय भी इतनी नहीं होती होगी।
 
मैंने निर्णय लिया कि जब तक नेहा सामान्य नहीं हो जाती और उसका दर्द कम नहीं होता तब तक मैं ऐसे ही रुक कर उससे बातें करता रहूँगा!
इसी उद्देश्य से मैंने झुक कर उसके होंठों और उसकी नम आँखों को चूमा और फिर उससे पूछा- नेहा, अगर तुम अपने पति से रोज़ सम्भोग करती हो तो फिर तुम्हें इतना अधिक दर्द क्यों हुआ?
मेरे इस प्रश्न पर उसकी तीव्र प्रतिक्रिया मिली- मैं रोजाना लिंग के साथ सम्भोग करती हूँ किसी लट्ठ के साथ नहीं! मेरे पति के पास एक लिंग है लेकिन तुमने तो अपनी टांगों के बीच में एक लोहे की रॉड लटका रखा है। 
मैं हंस पड़ा और उसके स्तनों को चूमते हुए बोला- मेरी जान नेहा, मुझे नहीं मालूम कि तुम्हारी योनि किस मिट्टी की बनी है लेकिन वह इतनी संकीर्ण है कि उसे भेदने के लिए ही मुझे लोहे की रॉड का प्रयोग करना पड़ रहा है।
नेहा ने जब कोई प्रतिक्रिया नहीं दी और मुस्करा दी तब मैं समझ गया कि अब उसे दर्द कम हो गया, तब मैंने झुक कर उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और उन्हें चूसने लगा।
नेहा ने भी मेरा साथ दिया और वह भी मेरे होंठ चूसने लगी तब मैं उसके दोनों स्तनों को धीरे धीरे मसलने लगा।
मेरा ऐसा करने से वह उत्तेजित होने लगी और मुझे अपने लिंग पर उसकी योनि जकड़न तीव्र होती महसूस हो रही थी।
उसी स्थिति में मैंने नेहा के स्तनों के मसलते हुए और उसके होंठों को चूमते हुए अपने कूल्हों को नीचे की ओर दबाया।
मेरे शरीर के दबाव बढ़ने से मेरा लिंग नेहा की योनि के अन्दर जाने को अग्रसर हो गया।
अगले पांच मिनट तक मेरे द्वारा उसके होंठों का रस-पान एवं उसके स्तनों का मसलना चलता रहा और तब तक मेरा लिंग उसकी योनि की जड़ तक पहुँच गया।
यह सब इतने अहिस्ता और आराम से हुआ कि नेहा को लिंग एवं योनि के पूर्ण मिलन का पता ही नहीं चला क्योंकि उसने कुछ क्षणों के बाद वह बोली- क्या हुआ? क्या ऐसे ही मेरे ऊपर लेटे रहोगे? क्या मेरी योनि के अन्दर अपना पूरा लिंग डालने की मंशा नहीं है? 
मैंने मुस्कराते हुए उसकी चुचूकों को चूमते हुए बोला- वह तो कब का अन्दर पहुँच चुका है! क्या तुम्हारी योनि सो रही है जो उसे अभी तक पता ही नहीं चला की कोई तुम्हारे गर्भाशय के दरवाज़े को खटखटा रहा है।
मेरी बात सुन कर नेहा थोड़ी आश्चर्यचकित हुई, तभी मुझे अपने लिंग पर उसकी योनि की पकड़ में कसाव की अनुभूति हुई, मैं समझ गया कि वह मेरे कथन की पुष्टि कर रही थी!
मैंने तभी अपने लिंग को थोड़ा बाहर खींच कर अंदर धकेला तो वह उसके गर्भाशय से टकराया!
तब उसकी योनि के अंदर हुई गुदगुदी और हलचल से उत्तेजित हो कर उसने एक सिसकारी ली और मुझसे चिपट गई!
उसके सख्त स्तन और उनके ऊपर खड़ी चुचूक मेरी छाती में चुभने लगी तथा मुझे भी उत्तेजित करने लगी!
मुझसे चिपटी नेहा ने मेरे होंटों को चूमा फिर मेरे कान के पास अपना मुँह लेजा कर मेरे कान के नीचे के भाग को मुँह में ले कर हल्का सा काट लिया!
दर्द के कारण मेरे द्वारा सी… सी… करने पर वह बोली- मेरे हल्का सा काटने पर तो थोड़ी सी दर्द हुई होगी और तुम अभी से ही सी.. सी.. कर रहे हो और अगर मैं तुम्हें उतना ही दर्द देती जितना तुमने मुझे दिया है तब तो तुम चिल्ला चिल्ला कर आसमान ही सिर पर उठा लेते?
 
उसकी बात का उत्तर देते हुए मैंने कहा- अगर तुम्हें बहुत दर्द दिया है तो आनन्द और संतुष्टि भी तो मैं ही दूंगा!

नेहा ने तुरंत मेरे कान में बहुत ही मादक स्वर में फुसफसाया- फिर देते क्यों नहीं? मैं तो उसी आनन्द और संतुष्टि की प्रतीक्षा में हूँ।
उसकी बात सुनते ही मैंने उसके मुँह और स्तनों को चूम लिया और उसकी चुचूक को चूसते हुए हिलना शुरू कर दिय्।
मैं अहिस्ता अहिस्ता अपने लिंग तो उसकी योनि से बाहर निकलता और फिर अंदर धकेल देता।
उसकी संकीर्ण योनि में मेरा लिंग फस कर अंदर बाहर हो रहा था और नेहा की योनि में हो रही हर कम्पन एवं सिकुड़न मुझे महसूस हो रही थी।
मेरे हर धक्के पर वह आह्ह… आह्ह… करती और उसकी योनि के अन्दर एक लहर आती जो मेरे लिंग को जकड़ लेत॥
उस जकड़न के कारण जब मैं हिलता तो नेहा की योनि के अन्दर और मेरे लिंग को बहुत ही ज़बरदस्त रगड़ लगती थी।
उस रगड़ से उत्पन गुदगुदी और हलचल से दोनों की सिसकारियाँ निकल जाती थी और वह हमारी वासना के उन्माद को प्रतिकाष्ठा की ओर ले जाता।
दस मिनट के बाद नेहा ने एक बार फिर अपने मधुर और मादक स्वर में फिर फुसफसाया- रवि तुम सवारी तो एक फेरारी पर कर रहे हो लेकिन उसे एक बैलगाड़ी की तरह हाँक रहे हो! इस तरह तो हमें पूरी रात लग जायेगी अपनी आनन्द और संतुष्टि की मंजिल तक पहुँचने में! अगर तुम इसे तेज़ नहीं चला सकते तो इसकी लगाम मुझे दे दो और फिर देखो यह कैसे फराटे मारती है!
नेहा की बात सुन कर मेरे अहम् को चोट पहुँची थी इसलिए मैंने अपने लिंग को उसकी योनि के अन्दर बाहर करने की गति को तेज़ कर दिया।
अब नेहा की योनि में मेरे लिंग की रगड़ तेज़ी से लगने लगी थी और उसकी सिसकारियाँ भी तेज़ हो गई थी।
पांच मिनट के बाद नेहा का शरीर थोड़ा ऐंठ गया और उसने ‘मैं गई.. गई.. गईईईई…’ कहते हुए एक लम्बी सिसकारी ली और इसके साथ ही उसकी योनि से रस सख्लित हो गया!
उस रस संखलन के कारण उसकी योनि में हुए स्नेहन से मुझे अपने लिंग को तेज़ी से उसकी योनि में अन्दर बाहर करने में बहुत सुविधा हो गई!
नेहा को भी अब आनन्द आने लगा था और वह मेरे हर धक्के पर सिसकारी लेते हुए अपने चूतड़ ऊपर उठा कर योनि के अंदर जाते हुए लिंग का स्वागत करती!
जैसे जैसे मेरी गति तेज़ होती जाती वैसे ही वह भी अपनी गति को तेज़ कर रही थी! लगभग तेज़ गति में सम्भोग करते हुए दस मिनट ही हुए थे की एक बार फिर नेहा ने ‘मैं गई.. गई.. गईईईई…’ कहते हुए एक लम्बी सिसकारी ली और उसकी योनि ने एक बार फिर रस सखलित कर दिया!
अब उसकी योनि में इतना स्नेहन हो गया था कि मेरे हर धक्के पर उसकी योनि से ‘फच.. फच..’ का स्वर निकलने लगा था! 
इस ‘फच.. फच..’ के स्वर को सुन कर हम दोनों की उत्तेजना में अत्यंत वृद्धि हो गई और हमारी यौन संसर्ग की गति में अत्यधिक तेज़ी आ गई।
मैं रेस में सरपट दौड़ रहे एक घोड़े की तरह नेहा की योनि में अपने लिंग के धक्के लगा रहा था और उधर नेहा उन धक्कों का उछल उछल कर उत्तर दे रही थी!
अभी इस अत्यधिक तेज़ यौन संसर्ग को दस मिनट ही हुए थे कि मुझे अनुभूति हुई की मेरे लिंग से वीर्य सखलन होने वाला है तब मैंने नेहा से पूछा- नेहा, मेरा वीर्य रस निकलने वाला है इसलिए बताओ कि मैं उसे तुम्हारी योनि के अन्दर ही निकाल दूँ या बाहर निकालूँ?
नेहा ने उत्तर दिया- रवि, तुम अपना सारा वीर्य रस मेरी योनि के अन्दर ही निकलना! मैं नहीं चाहती कि इस उन्माद के समय तुम अपने लिंग को कुछ क्षणों के लिए भी मेरी योनि से बाहर निकालो! लेकिन थोड़ा रुको क्योंकि मेरा योनि रस भी निकलने वाला है और मैं चाहती हूँ कि जब मेरा योनि रस निकले तभी तुम भी अपना रस निकालो।
मैंने कहा- जो हुकुम, मेरी सरकार। 
 
फिर मैं नेहा के होंठों और चुचूकों को चूसते हुए अपने लिंग को उसकी की योनि की गहराइयों में धकेलने लगा तथा बहुत ही तेज़ी से धक्के लगाने लगा।
नेहा भी उसी तेज़ी से सिसकारियाँ लेती हुई मेरे हर धक्के का उत्तर अपने कूल्हों को उचका उचका कर देती और बड़े प्यार से मेरे लिंग का योनि के अंदर स्वागत करती। 
लगभग पन्द्रह से बीस धक्कों के बाद नेहा अत्यंत ही ऊँचे स्वर में चिल्लाते हुए सिसकारी ली और उसका शरीर ऐंठने लगा!
उसकी टाँगें अकड़ गई, साँसें अत्यन्त तेज़ हो गई और वह हाँफते हुए कांपते स्वर में कहने लगी- उईई.. माँ…. मैं गई.. गई.. गई..
इसके साथ ही उसकी योनि के अंदर बहुत ही तीव्र सिकुड़न हुई तथा उसकी सिकुड़ती हुई योनि ने मेरे फूले हुए लिंग को जकड़ लिया और उसे अन्दर की ओर खींचने लगी!
जब मुझे लिंग को उसकी योनि के अंदर बाहर करने में अड़चन आने लगी तब मैंने अत्याधिक जोर लगा कर तेज़ी से धक्के लगाये।
योनि की जकड़न और लिंग की फुलावट के कारण हम दोनों के गुप्तांगों पर बहुत ही तीव्र रगड़ लगी जिससे दो धक्कों में ही हम दोनों एक साथ सखलित हो गए।
उसकी योनि के अंदर उसके रस की धारा और मेरे लिंग से निकले रस की बौछार से बाढ़ आ गई थी!
तब नेहा ने मुझे अपने बाहुपाश में ले कर अपने शरीर के साथ चिपका लिया तथा मुझे चूमने लगी!
उसकी योनि के अन्दर मेरे और उसके रस के मिश्रण से पैदा हुई गर्मी के कारण उसकी योनि और भी अधिक सिकुड़ गई तथा उसकी योनि मेरे लिंग को अत्याधिक शक्ति से जकड़ कर अपना प्यार प्रदर्शित करने लगी।
मैं नेहा और उसकी योनि के प्यार को ग्रहण करने के लिए नेहा के शरीर के ऊपर ही लेट गया और उसके स्तनों को मसलते हुए उसके रसीले होंटों और जीह्वा को चूसने लगा!
पन्द्रह मिनटों के बाद जब नेहा की योनि की जकड़न और मेरे लिंग की फुलावट कम हुई तब मैंने अपने लिंग को उसकी योनि से बाहर निकला और उसके बगल में लेटते हुए उसे अपने साथ चिपका लिया।
लेटे लेटे हम दोनों को कब नीद आ गई कुछ भी पता नहीं चला।
जब मेरी नींद खुली तो देखा कि सुबह के पांच बज चुके थे लेकिन पास में सोई हुई नेहा के आकर्षक एवं कामुक नग्न शरीर को देख कर मेरा मन डोल गया।
मैं अपने पर नियंत्रण खो गया और मैंने नेहा की चूचियों को मसलना और उसके चुचूकों को चूसने लगा तथा उसके जघन-स्थल के छोटे छोटे बालों को अपने हाथों से सहलाने लगा! 
नेहा को जब अपने गुप्तांगों पर मेरा स्पर्श महसूस हुआ तो उसने अपनी आँखें खोली और मुझे विस्मित निगाहों से देखते हुए उठ कर बैठ गई!
फिर मेरे नग्न शरीर और लिंग को देख कर शायद उसे बीती रात की याद आ गई तो मुस्करा कर मुझसे लिपट गई तथा मेरे होंटों को चूमने लगी!
कुछ देर के बाद उसे मेरे लिंग की याद आ गई तब वह झट से एक हाथ से उसे पकड़ कर मसलने लगी और दूसरे हाथ से मेरे अंडकोष पकड़ कर उन्हें सहलाने लगी।
नेहा का हाथ लगते ही मेरे लिंग में चेतना आ गई और वह देखते ही देखते खड़ा हो गया।
मेरे लिंग के कड़क होते ही नेहा घूम गई और 69 की स्तिथि बनाती हुई मेरे लिंग को अपने मुँह में डाल कर चूसने लगी।
उसने मेरे सिर को अपने हाथों से पकड़ कर मेरे मुँह को अपनी योनि पर लगा कर दबा दिया।
 
मैं उसका इशारा समझ गया और मैंने उसकी योनि के पाटों को खोल कर उन्हें चाटने लगा तथा उसके भगनासा को जीभ से सहलाने लगा।
थोड़ी देर के बाद मैंने अपनी पूरी जीभ उसकी योनि के अन्दर डाल कर उसके जी-स्पॉट को सहलाने लगा।
अगले पाँच मिनट में ही नेहा ऊँची ऊँची सिसकारियाँ लेने लगी और उसकी योनि में से रस स्खलित हो गया।
तब नेहा ने मेरे लिंग को अपने मुँह से बाहर निकाल दिया और उठ कर मुझे धक्का दे कर बैड पर लिटा दिया और मेरे ऊपर आकर बैठ गई! मैं पीठ के बल लेटा रहा तब वह सरकते हुए मेरी जाँघों तक पहुँची और मेरे लिंग को पकड़ कर हिलाने लगी।
जब उसने देखा कि मेरा लिंग लोहे की तरह सख्त हो गया है तब वह थोड़ी ऊँची हो कर मेरे लिंग को अपनी योनि के पाटों पर स्थित किया और उस पर धीरे धीरे नीचे की ओर बैठने लगी।
कुछ ही क्षणों में मेरा पूरा लिंग फिसलता हुआ उसकी योनि के अन्दर चला गया और मुझे उसके अन्दर की गर्मी की अनुभूति हुई।
मुझे ऐसा लग रहा था कि मेरे लिंग को किसी गर्म तंदूर में डाल दिया गया था और उसे तंदूरी चिकन की तरह भुना जा रहा था!
तभी नेहा अपने पैरों के बल पर उछल उछल कर मेरे लिंग को अपनी योनि के अंदर बाहर करने लगी! उसकी हर उछाल पर उसके मनमोहक स्तन पेड़ों पर लगे आमों की तरह झूल जाते!
यह दृश्य देख कर मैं बहुत उत्तेजित हो गया और मैंने उसके स्तनों को पकड़ लिया और नीचे से उचक कर धक्के लगाने शुरू कर दिए!
दस मिनट तक ऐसे ही उछल कूद करने से नेहा की साँसें तेज़ी से चलने लगी और उसे थकान भी होने लगी थी।
तब मैंने उसे मेरे लिंग पर बैठे बैठे ही पकड़ कर घुमा दिया जिससे उसका चेहरा मेरे पाँव की ओर हो गया और उसकी पीठ मेरी ओर हो गई।
फिर मैं उसके साथ कस कर चिपट गया और बिना लिंग को बाहर निकाले करवट ले कर उसे नीचे कर दिया और मैं खुद उसके ऊपर आ गया।
तब मेरे कहे अनुसार नेहा धीरे धीरे अपनी टांगें समेट कर घोड़ी बन गई और मैं उसके पीछे से उसकी योनि में अपना लिंग अन्दर बाहर करने लगा।
कुछ समय बाद नेहा भी मेरा साथ देने लगी और मेरे हर धक्के का उत्तर अपने शरीर को पीछे धकेल कर मेरे लिंग को अपनी योनि में लेने लगी।
लगभग दस मिनट के बाद नेहा ने बताया कि उसकी योनि में गुदगुदी एवं हलचल हो रही थी और उसका योनि रस का स्खलन होने वाला था।
तब मैंने उसके दोनों स्तनों को पकड़ लिया और अपनी गति को तीव्र करते हुए लिंग को योनि के अंदर बाहर करने लगा।
पन्द्रह से बीस तीव्र धक्के लगते ही नेहा की योनि सिकुड़ गई और उसने मेरे लिंग को जकड़ लिया जिससे मेरे लिंग पर बहुत प्रबल रगड़ लगने लगी और मेरा लिंग भी फूल गया।
दो धक्के और लगाते ही नेहा और मैं दोनों चिल्लाते और सिसकारियाँ लेते हुए अपने अपने रस का स्खलन करने लगे।
नेहा की योनि हम दोनों के रस से भर गई और उसमे से रस बह कर बाहर निकल कर नेहा की जाँघों और मेरे अंडकोष को गीला करने लगा।
इसके बाद हम दोनों उठ कर बाथरूम में जाकर आपस में एक दूसरे को साफ़ किया और कपड़े पहन कर थकान के मारे निढाल हो कर बिस्तर पर लेट गए।
तभी हमारी दृष्टि दीवार पर लगी घड़ी पर गई तो हम दोनों चौंक पड़े क्योंकि उसमें छह बज चुके थे! 
मैं तुरंत उठा और नेहा के होंटों को चूमते हुए उसके कमरे का दरवाज़ा खोला और बालकनी को लांघते हुए अपने कमरे में जा कर सांस ली।
घर में घूम के देखा और जब भईया भाभी को अपने बंद कमरे में ही सोते हुए पाया तब मेरी जान में जान आई! 
*****
 
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