hotaks444
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डॉली- सर छोड़ो.. मुझे बाथरूम जाना है.. बड़ी ज़ोर से सूसू आ रही है।
चेतन- हा हा हा सूसू.. अरे तू कोई छोटी बच्ची है क्या.. जो सूसू बोल रही है.. पेसाब बोल.. मूत बोल.. सूसू हा हा हा…
डॉली- बड़े गंदे हो आप.. अब जाने भी दो… नहीं तो यहीं निकल जाएगी।
चेतन- चल मैं भी साथ चलता हूँ.. मुझे भी करना है.. दोनों साथ में करेंगे।
दोनों बाथरूम में घुस गए..
चेतन आज फिर वैसे ही करना चाहता था जैसा उसने ललिता की चूत से पेशाब निकलते हुए किया था, मगर वो डॉली को कुछ बोलता उसके पहले वो कमोड पर बैठ गई और मूतना शुरू कर दिया.. शायद उससे कंट्रोल नहीं हुआ.. चेतन बस देखता रह गया।
वो भी क्या करता.. अब बोल कर कोई फायदा भी नहीं था.. उसके पेशाब करने के बाद चुपचाप खुद करने लगा।
डॉली वापस कमरे में आकर शीशे के सामने टेढ़ी खड़ी होकर अपनी गाण्ड देखने की कोशिश करने लगी.. तभी चेतन भी आ गया।
चेतन- डॉली ऐसे क्यों खड़ी हो.. क्या देख रही हो?
डॉली- अपनी गाण्ड देख रही हूँ.. अभी भी ऐसा लग रहा है जैसे कोई चीज़ अन्दर घुसी हुई हो.. दर्द भी हो रहा है गाण्ड में…
चेतन- अरे कुछ नहीं.. कसी हुई गाण्ड पहली बार चुदी है ना.. तो ऐसा लगता है.. चल आजा बिस्तर पर.. मैं थोड़ा सहला देता हूँ.. आराम मिलेगा…
डॉली- सर.. सिर्फ़ गाण्ड को सहलाओगे.. मेरा पूरा बदन अकड़ गया है आप थोड़ा दबा दो ना प्लीज़…
चेतन- जान तू दो मिनट रुक.. मैं सरसों का तेल थोड़ा गर्म कर के लाता हूँ.. उसकी मालिश से तेरा सारा दर्द निकल जाएगा।
डॉली ने कुछ सोचा उसके बाद बिस्तर पर पेट के बल लेट गई।
चेतन रसोई में चला गया और वहाँ से एक प्याली में तेल को हल्का गर्म करके ले आया।
चेतन- ले.. मैं आ गया.. अब देख थोड़ी ही देर में तुझे आराम मिल जाएगा।
चेतन बिस्तर पर बैठ गया और अपने हाथों पर ढेर सारा तेल लेकर डॉली की गर्दन से मालिश करना शुरू हो गया।
डॉली- आह.. गर्म तेल का अहसास कितना अच्छा है.. उफ सर.. आपके हाथ में तो जादू है.. हाथ लगाते ही बड़ा सुकून मिल रहा है आह्ह.. दबाव उफ्फ हाँ.. ऐसे ही.. मज़ा आ रहा है।
चेतन बड़े प्यार से मालिश करने लगा.. गर्दन से पीठ पर होता हुआ गाण्ड को रगड़ने लगा। करीब आधा घंटा तक वो मसाज करता रहा।
दोस्तों इतनी कमसिन लड़की नंगी पड़ी हो और उसके जिस्म को मालिश हो रही हो तो जाहिर सी बात है.. उसकी उत्तेजना तो बढ़ेगी ही.. क्योंकि चेतन गाण्ड में तेल डाल कर ऊँगली अन्दर तक डाल रहा था, कभी उसकी चूत को दबा रहा था।
डॉली एकदम जल बिन मछली की तरह तड़पने लगी।
वो एकदम गर्म हो गई थी।
इधर चेतन का भी यही हाल था।
डॉली के यौवन को छूने से उसके लौड़े में तनाव पैदा हो गया था और होगा भी क्यों नहीं..
18 साल की कली को मसाज दे रहा था.. लौड़ा तो फुंफकार मारेगा ही।
डॉली- आह्ह.. आह उफ़फ्फ़… सर आह्ह.. बड़ा मज़ा आ रहा है.. आपने तो आह..
मेरे जिस्म में आग लगा दी.. उफ्फ अब तो आ आपके लौड़े से चूत और गाण्ड के अन्दर तक मालिश कर ही दो आह्ह.. तभी मुझे सुकून मिलेगा…
चेतन- हाँ साली रंडी.. तू है ही इतनी हॉट कि साला कोई भी तुझे देख कर गर्म हो जाए और मैं तो कब से तेरे यौवन को मालिश कर रहा हूँ साला लौड़ा फटने को आ गया.. चल अब बन जा घोड़ी.. पहले तेरी गाण्ड बजाऊँगा.. उसके बाद चूत की आग बुझाऊँगा।
डॉली झट से घोड़ी बन गई और चेतन ने अपना लौड़ा गाण्ड में डाल दिया.. करीब आधा घंटा तक वो गाण्ड मारता रहा.. अबकी बार डॉली को दर्द नहीं बल्कि मज़ा मिल रहा था।
लौड़ा गाण्ड में घुस रहा था और उसकी चूत पानी-पानी हो रही थी।
जब चूत की आग हद से ज़्यादा हो गई तो डॉली ने चेतन को नीचे लिटा दिया और खुद उसके लौड़े पर बैठ गई.. और कूदने लगी..
केवल 5 ही मिनट में वो झड़ गई..
मगर चेतन कहाँ झड़ने वाला था.. वो नीचे से धक्के मारता रहा।
उसके बाद स्थिति बदल कर उसे चोदने लगा।
दोस्तो, 25 मिनट तक चेतन चूत में लौड़ा पेलता रहा.. डॉली दोबारा झड़ने को आ गई.. तब कहीं जाकर चेतन के लौड़े ने लावा उगला..
दोनों एक साथ झड़ गए और एक-दूसरे से लिपटे हुए पड़े रहे।
चुदाई की थकान और रात भी काफ़ी हो गई थी.. दोनों कब सो गए.. पता भी नहीं चला।
सुबह 6 बजे ललिता की आँख खुली वो भी नंगी ही सोई पड़ी थी..
उठ कर वो सीधी बाथरूम में गई.. नहा कर फ्रेश हुई।
आज उसने नीली साड़ी पहनी, उसमें वो बहुत सुन्दर लग रही थी।
उसके बाद वो दूसरे कमरे में गई.. जहाँ चेतन और डॉली एक-दूसरे की बांहों में गहरी नींद में सोए हुए थे।
ललिता- लो इनको देखो.. अभी तक बेशर्मों की तरह सोए पड़े हैं।
ललिता ने उनको उठाने की बजाय कमरे की बत्ती बन्द की और रसोई में चली गई।
लगभग 7 बजे तक ललिता ने आलू के परांठे और चाय तैयार कर ली.. उसके बाद वापस कमरे में गई.. दोनों अभी तक वैसे ही पड़े थे।
ललिता- डॉली.. अरे उठ भी जा.. अब क्या पूरा दिन सोती रहेगी.. स्कूल नहीं जाना क्या?
दोस्तो, मैं आपको बता दूँ.. डॉली का स्कूल 8 से 2 बजे तक का था।
चलिए आगे देखिए।
डॉली अंगड़ाई लेती हुई उठी.. वो पूरी नंगी थी.. उसकी चूत पर वीर्य लगा हुआ था.. जो सूख गया था।
डॉली- उहह.. क्या दीदी.. कितनी अच्छी नींद आ रही थी.. सोने भी नहीं देती आप…
चेतन भी उठ गया था.. उसने दीवार घड़ी की ओर देखा तो चौंक कर बैठ गया।
चेतन- अरे बाप रे… 7 बज गए.. क्या अनु पहले क्यों नहीं उठाया.. डॉली चल उठ जा.. स्कूल जाना बहुत जरूरी है.. आज इम्तिहान के प्रवेश-पत्र मिलेंगे।
ललिता- अच्छा मैंने नहीं उठाया.. आप ही रात भर चोदने का मज़ा लेते रहे थे.. चलो कुछ देर नहीं हुई.. नास्ता रेडी है.. बस तुम दोनों तैयार हो जाओ।
चेतन कुछ नहीं बोला और सीधा बाथरूम में घुस गया।
ललिता ने डॉली का हाथ पकड़ कर उसको खड़ा किया।
ललिता- अरे बहना.. जल्दी कर तेरे घर भी जाना है.. बैग लेने.. और स्कूल ड्रेस भी वहीं है।
डॉली आधी खुली आँखों से बाथरूम की तरफ बढ़ने लगी।
ललिता- यहाँ कहाँ जा रही है.. इसमें चेतन है.. सारी रात चुदवा कर भी तेरा मन नहीं भरा क्या.. जो अभी भी वहीं जा रही है.. दूसरे कमरे में जा और जल्दी तैयार हो जाना.. ओके…!
डॉली कुछ बोली नहीं बस ललिता की तरफ देख कर मुस्कुरा दी और वहाँ से चली गई।
ललिता कमरे का हाल ठीक करने लगी।
करीब 20 मिनट में दोनों नहा कर फ्रेश हो गए।
डॉली ने अपने कपड़े लिए और पहनने लगी। चेतन भी वहीं उसके सामने खड़ा कपड़े पहन रहा था।
ललिता- हद हो गई बेशर्मी की.. कपड़े बाथरूम में ले गई होती.. नहा कर ऐसे ही नंगी बाहर आ गई।
अब कपड़े भी यहीं पहन रही है।
डॉली- दीदी आपने ही मुझे बेशर्म बनाया है और सर से कैसी शर्म रात भर नंगी इनके साथ थी तो अब क्या नया हो गया.. दीदी.. प्लीज़ ये ब्रा का हुक बन्द करो ना.. कब से ट्राइ कर रही हूँ हो नहीं रहा..
ललिता- मेरी जान.. जब सर से कोई शर्म नहीं है तो हुक भी उनसे ही बन्द करवा ले और अब तू बड़ी साइज़ की ब्रा खरीद ले.. चेतन ने तेरे मम्मों को दबा-दबा कर बड़े कर दिए हैं हा हा हा…
डॉली- क्या दीदी.. आप भी ना.. एक ही रात में बड़े हो गए क्या.. अब आप बन्द कर रही हो या सच में सर को बोलूँ।
ललिता- ला इधर आ.. बड़ी बेशर्म हो गई है और रात भर तेरे सर ने दबाए भी तो खूब हैं ना.. फरक तो पड़ेगा ही.. अभी नहीं तो कुछ दिन बाद बड़े हो जाएँगे.. खरीदना तो पड़ेगा ही तुमको..
डॉली- चलो मान लिया मैंने मगर मैं क्यों खरीदूँ.. सर ने बड़े किए है वो ही लाकर दे देंगे हा हा हा हा…
कमरे में हँसी का माहौल बन गया। ललिता भी उसकी बात से हँसने लगी।
ललिता- अच्छा ठीक है.. मंगवा लेना, अभी जल्दी रेडी हो जा मेरी माँ.. बातें शाम को कर लेना।
डॉली- ना ना माँ नहीं सौतन.. हा हा हा हा..
डॉली पर मस्ती करने का भूत सवार हो गया था।
ललिता इसके आगे कुछ ना बोली.. बस उसको गुस्से से आँख दिखाई और कपड़े पहनने को बोल कर नास्ता लाने चली गई।
नाश्ते के दौरान भी हल्की-फुल्की बातें हुईं..
उसके बाद चेतन निकल गया।
ललिता और डॉली भी साथ में निकले।
डॉली के घर के बाहर गमले से चाबी ली.. जल्दी से उसने ड्रेस पहना और स्कूल के लिए निकल गई।
चाबी वापस वहीं रख दी।
इस दौरान ललिता ने घर की तारीफ की और डॉली से कहा- स्कूल से वापस उसके पास आ जाए.. उसके मॉम-डैड तो शाम तक आएँगे।
डॉली ने ललिता को किस किया और बाय बोलकर चली गई
चेतन- हा हा हा सूसू.. अरे तू कोई छोटी बच्ची है क्या.. जो सूसू बोल रही है.. पेसाब बोल.. मूत बोल.. सूसू हा हा हा…
डॉली- बड़े गंदे हो आप.. अब जाने भी दो… नहीं तो यहीं निकल जाएगी।
चेतन- चल मैं भी साथ चलता हूँ.. मुझे भी करना है.. दोनों साथ में करेंगे।
दोनों बाथरूम में घुस गए..
चेतन आज फिर वैसे ही करना चाहता था जैसा उसने ललिता की चूत से पेशाब निकलते हुए किया था, मगर वो डॉली को कुछ बोलता उसके पहले वो कमोड पर बैठ गई और मूतना शुरू कर दिया.. शायद उससे कंट्रोल नहीं हुआ.. चेतन बस देखता रह गया।
वो भी क्या करता.. अब बोल कर कोई फायदा भी नहीं था.. उसके पेशाब करने के बाद चुपचाप खुद करने लगा।
डॉली वापस कमरे में आकर शीशे के सामने टेढ़ी खड़ी होकर अपनी गाण्ड देखने की कोशिश करने लगी.. तभी चेतन भी आ गया।
चेतन- डॉली ऐसे क्यों खड़ी हो.. क्या देख रही हो?
डॉली- अपनी गाण्ड देख रही हूँ.. अभी भी ऐसा लग रहा है जैसे कोई चीज़ अन्दर घुसी हुई हो.. दर्द भी हो रहा है गाण्ड में…
चेतन- अरे कुछ नहीं.. कसी हुई गाण्ड पहली बार चुदी है ना.. तो ऐसा लगता है.. चल आजा बिस्तर पर.. मैं थोड़ा सहला देता हूँ.. आराम मिलेगा…
डॉली- सर.. सिर्फ़ गाण्ड को सहलाओगे.. मेरा पूरा बदन अकड़ गया है आप थोड़ा दबा दो ना प्लीज़…
चेतन- जान तू दो मिनट रुक.. मैं सरसों का तेल थोड़ा गर्म कर के लाता हूँ.. उसकी मालिश से तेरा सारा दर्द निकल जाएगा।
डॉली ने कुछ सोचा उसके बाद बिस्तर पर पेट के बल लेट गई।
चेतन रसोई में चला गया और वहाँ से एक प्याली में तेल को हल्का गर्म करके ले आया।
चेतन- ले.. मैं आ गया.. अब देख थोड़ी ही देर में तुझे आराम मिल जाएगा।
चेतन बिस्तर पर बैठ गया और अपने हाथों पर ढेर सारा तेल लेकर डॉली की गर्दन से मालिश करना शुरू हो गया।
डॉली- आह.. गर्म तेल का अहसास कितना अच्छा है.. उफ सर.. आपके हाथ में तो जादू है.. हाथ लगाते ही बड़ा सुकून मिल रहा है आह्ह.. दबाव उफ्फ हाँ.. ऐसे ही.. मज़ा आ रहा है।
चेतन बड़े प्यार से मालिश करने लगा.. गर्दन से पीठ पर होता हुआ गाण्ड को रगड़ने लगा। करीब आधा घंटा तक वो मसाज करता रहा।
दोस्तों इतनी कमसिन लड़की नंगी पड़ी हो और उसके जिस्म को मालिश हो रही हो तो जाहिर सी बात है.. उसकी उत्तेजना तो बढ़ेगी ही.. क्योंकि चेतन गाण्ड में तेल डाल कर ऊँगली अन्दर तक डाल रहा था, कभी उसकी चूत को दबा रहा था।
डॉली एकदम जल बिन मछली की तरह तड़पने लगी।
वो एकदम गर्म हो गई थी।
इधर चेतन का भी यही हाल था।
डॉली के यौवन को छूने से उसके लौड़े में तनाव पैदा हो गया था और होगा भी क्यों नहीं..
18 साल की कली को मसाज दे रहा था.. लौड़ा तो फुंफकार मारेगा ही।
डॉली- आह्ह.. आह उफ़फ्फ़… सर आह्ह.. बड़ा मज़ा आ रहा है.. आपने तो आह..
मेरे जिस्म में आग लगा दी.. उफ्फ अब तो आ आपके लौड़े से चूत और गाण्ड के अन्दर तक मालिश कर ही दो आह्ह.. तभी मुझे सुकून मिलेगा…
चेतन- हाँ साली रंडी.. तू है ही इतनी हॉट कि साला कोई भी तुझे देख कर गर्म हो जाए और मैं तो कब से तेरे यौवन को मालिश कर रहा हूँ साला लौड़ा फटने को आ गया.. चल अब बन जा घोड़ी.. पहले तेरी गाण्ड बजाऊँगा.. उसके बाद चूत की आग बुझाऊँगा।
डॉली झट से घोड़ी बन गई और चेतन ने अपना लौड़ा गाण्ड में डाल दिया.. करीब आधा घंटा तक वो गाण्ड मारता रहा.. अबकी बार डॉली को दर्द नहीं बल्कि मज़ा मिल रहा था।
लौड़ा गाण्ड में घुस रहा था और उसकी चूत पानी-पानी हो रही थी।
जब चूत की आग हद से ज़्यादा हो गई तो डॉली ने चेतन को नीचे लिटा दिया और खुद उसके लौड़े पर बैठ गई.. और कूदने लगी..
केवल 5 ही मिनट में वो झड़ गई..
मगर चेतन कहाँ झड़ने वाला था.. वो नीचे से धक्के मारता रहा।
उसके बाद स्थिति बदल कर उसे चोदने लगा।
दोस्तो, 25 मिनट तक चेतन चूत में लौड़ा पेलता रहा.. डॉली दोबारा झड़ने को आ गई.. तब कहीं जाकर चेतन के लौड़े ने लावा उगला..
दोनों एक साथ झड़ गए और एक-दूसरे से लिपटे हुए पड़े रहे।
चुदाई की थकान और रात भी काफ़ी हो गई थी.. दोनों कब सो गए.. पता भी नहीं चला।
सुबह 6 बजे ललिता की आँख खुली वो भी नंगी ही सोई पड़ी थी..
उठ कर वो सीधी बाथरूम में गई.. नहा कर फ्रेश हुई।
आज उसने नीली साड़ी पहनी, उसमें वो बहुत सुन्दर लग रही थी।
उसके बाद वो दूसरे कमरे में गई.. जहाँ चेतन और डॉली एक-दूसरे की बांहों में गहरी नींद में सोए हुए थे।
ललिता- लो इनको देखो.. अभी तक बेशर्मों की तरह सोए पड़े हैं।
ललिता ने उनको उठाने की बजाय कमरे की बत्ती बन्द की और रसोई में चली गई।
लगभग 7 बजे तक ललिता ने आलू के परांठे और चाय तैयार कर ली.. उसके बाद वापस कमरे में गई.. दोनों अभी तक वैसे ही पड़े थे।
ललिता- डॉली.. अरे उठ भी जा.. अब क्या पूरा दिन सोती रहेगी.. स्कूल नहीं जाना क्या?
दोस्तो, मैं आपको बता दूँ.. डॉली का स्कूल 8 से 2 बजे तक का था।
चलिए आगे देखिए।
डॉली अंगड़ाई लेती हुई उठी.. वो पूरी नंगी थी.. उसकी चूत पर वीर्य लगा हुआ था.. जो सूख गया था।
डॉली- उहह.. क्या दीदी.. कितनी अच्छी नींद आ रही थी.. सोने भी नहीं देती आप…
चेतन भी उठ गया था.. उसने दीवार घड़ी की ओर देखा तो चौंक कर बैठ गया।
चेतन- अरे बाप रे… 7 बज गए.. क्या अनु पहले क्यों नहीं उठाया.. डॉली चल उठ जा.. स्कूल जाना बहुत जरूरी है.. आज इम्तिहान के प्रवेश-पत्र मिलेंगे।
ललिता- अच्छा मैंने नहीं उठाया.. आप ही रात भर चोदने का मज़ा लेते रहे थे.. चलो कुछ देर नहीं हुई.. नास्ता रेडी है.. बस तुम दोनों तैयार हो जाओ।
चेतन कुछ नहीं बोला और सीधा बाथरूम में घुस गया।
ललिता ने डॉली का हाथ पकड़ कर उसको खड़ा किया।
ललिता- अरे बहना.. जल्दी कर तेरे घर भी जाना है.. बैग लेने.. और स्कूल ड्रेस भी वहीं है।
डॉली आधी खुली आँखों से बाथरूम की तरफ बढ़ने लगी।
ललिता- यहाँ कहाँ जा रही है.. इसमें चेतन है.. सारी रात चुदवा कर भी तेरा मन नहीं भरा क्या.. जो अभी भी वहीं जा रही है.. दूसरे कमरे में जा और जल्दी तैयार हो जाना.. ओके…!
डॉली कुछ बोली नहीं बस ललिता की तरफ देख कर मुस्कुरा दी और वहाँ से चली गई।
ललिता कमरे का हाल ठीक करने लगी।
करीब 20 मिनट में दोनों नहा कर फ्रेश हो गए।
डॉली ने अपने कपड़े लिए और पहनने लगी। चेतन भी वहीं उसके सामने खड़ा कपड़े पहन रहा था।
ललिता- हद हो गई बेशर्मी की.. कपड़े बाथरूम में ले गई होती.. नहा कर ऐसे ही नंगी बाहर आ गई।
अब कपड़े भी यहीं पहन रही है।
डॉली- दीदी आपने ही मुझे बेशर्म बनाया है और सर से कैसी शर्म रात भर नंगी इनके साथ थी तो अब क्या नया हो गया.. दीदी.. प्लीज़ ये ब्रा का हुक बन्द करो ना.. कब से ट्राइ कर रही हूँ हो नहीं रहा..
ललिता- मेरी जान.. जब सर से कोई शर्म नहीं है तो हुक भी उनसे ही बन्द करवा ले और अब तू बड़ी साइज़ की ब्रा खरीद ले.. चेतन ने तेरे मम्मों को दबा-दबा कर बड़े कर दिए हैं हा हा हा…
डॉली- क्या दीदी.. आप भी ना.. एक ही रात में बड़े हो गए क्या.. अब आप बन्द कर रही हो या सच में सर को बोलूँ।
ललिता- ला इधर आ.. बड़ी बेशर्म हो गई है और रात भर तेरे सर ने दबाए भी तो खूब हैं ना.. फरक तो पड़ेगा ही.. अभी नहीं तो कुछ दिन बाद बड़े हो जाएँगे.. खरीदना तो पड़ेगा ही तुमको..
डॉली- चलो मान लिया मैंने मगर मैं क्यों खरीदूँ.. सर ने बड़े किए है वो ही लाकर दे देंगे हा हा हा हा…
कमरे में हँसी का माहौल बन गया। ललिता भी उसकी बात से हँसने लगी।
ललिता- अच्छा ठीक है.. मंगवा लेना, अभी जल्दी रेडी हो जा मेरी माँ.. बातें शाम को कर लेना।
डॉली- ना ना माँ नहीं सौतन.. हा हा हा हा..
डॉली पर मस्ती करने का भूत सवार हो गया था।
ललिता इसके आगे कुछ ना बोली.. बस उसको गुस्से से आँख दिखाई और कपड़े पहनने को बोल कर नास्ता लाने चली गई।
नाश्ते के दौरान भी हल्की-फुल्की बातें हुईं..
उसके बाद चेतन निकल गया।
ललिता और डॉली भी साथ में निकले।
डॉली के घर के बाहर गमले से चाबी ली.. जल्दी से उसने ड्रेस पहना और स्कूल के लिए निकल गई।
चाबी वापस वहीं रख दी।
इस दौरान ललिता ने घर की तारीफ की और डॉली से कहा- स्कूल से वापस उसके पास आ जाए.. उसके मॉम-डैड तो शाम तक आएँगे।
डॉली ने ललिता को किस किया और बाय बोलकर चली गई