hotaks444
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सारे काम करके अलका सजधजकर बच्चों को स्कूल भेज कर खुद ऑफिस चली गई उसके दिन बड़े अच्छे से गुजर रहे थे ईस समय उसे कोई भी परेशानी नहीं हो रही थी ना तो आर्थिक रुप से ना तो शारीरिक रूप से दोनों ही रूप से अलका पूरी तरह से संतुष्ट थी। रोज अपने बेटे द्वारा शारीरिक कसरत हो जा रही थी इसी वजह से उसकी खूबसूरती और भी ज्यादा निखरते अा रही थी।
राहुल भी बहुत खुश था क्योंकि आज उसे विनीत की भाभी से मिलने जाना था बहुत दिन हो गए थे उसे विनीत की भाभी की बुर का स्वाद चखे। लेकिन राहुल को यह नहीं पता था कि उसका ही दोस्त अब इसके लिए मुसीबत बनने वाला था। विनीत की भाभी ने राहुल को फोन करके यह बता दी थी कि उसे कब घर आना है। वीनीत की भाभी के घर पर जाने की पूरी तैयारी राहुल ने कर लिया था। उसकी याद में आज रह-रहकर राहुल का लंड ठुनकी ले रहा था। यही हाल वीनीत की भाभी का भी था। वह भी जब से गई थी तबसे ढंग से चुदवाने का मौका भी नहीं मिल पाया था और जब मौका मिला तो राहुल की तरह तगड़ा मोटा लंड नहीं मिल पाया। इसलिए माफी राहुल से चुदवाने के लिए तड़प रही थी और वहां से निकलते ही राहुल को फोन कर दी थी कि आज घर पर आ जाना।। आग दोनों जगह बराबर लगी हुई थी।
विनीत को तो राहुल की मां की याद सता रही थी जब से उसने अस्पताल में अलका को भोगा था , सबसे उसको अलका के बदन को ले करके एक अजीब सा सुरूर छा गया था। दिन-रात उसे बस अलका ही नजर आती थी। क्योंकि उसने आज तक अलका जैसी औरत ना देखा था और ना ही भोगा था बार-बार उसे अलका का नंगा बदन आंखों के सामने नजर आ रहा था उसकी बड़ी बड़ी चूचियां जिसे वह उस रात दबा दबा कर अपने मुंह में भर कर चूसा था, उसकी मोटी मोटी मांसल केले के तने के सामान चिकनी जांगे , ऐसी जांगो के बारे में विनीत ने कभी कल्पना भी नहीं किया था , और अलका की खूबसूरत जांघो उसने अपनी हथेली से निकलते हुए उसके गरम स्पर्श का अहसास अपने अंदर उतारा था। जिसकी गर्मी उसे आज तक अपनी हथेली में महसूस होती थी। उसे इस बात का भी यकीन उसे भोगने के बाद भी नहीं हो पा रहा था कि इस उम्र में भी उसकी रसीली बुर का कसाव पहले की तरह बरकरार है। उसने तो आज तक ऐसी कसी हुई बुर में कभी लंड भी नहीं डाला था। नीलु को भी जब वह पहली बार चोदा था तब भी जो ऐसा जान का के साथ उसे आया था वैसा एहसास उसके साथ कभी भी महसूस ही नहीं हुआ।
इसलिए तो वह अलका की खूबसूरती और उसके बदन के प्रति पूरी तरह से कायल हो चुका था। इसलिए तो वह अलका को फिर से भोगना चाहता था। अलका के खूबसूरत बदन के मादक खुशबू को वह फिर से अपने सीने में उतारना चाहता था। वह भी अलका से मिलने के लिए पूरी तरह से बेकरार था।
राहुल तो स्कूल से छूटते ही सीधे विनीत की भाभी के घर पहुंच गया। विनीत की भाभी उसे देखते ही बहुत प्रसन्न हुई। बहुत दिनों से काम की प्यासी थी और उसने जी भर के राहुल से चुदवा कर अपने काम की प्यास बुझाई । राहुल भाई कुछ दिनों से नीलू और अपनी मां की प्यास बुझाने में लगा हुआ था आज एक बार फिर से विनीत की भाभी की बुर पाकर उसकी जबरदस्त चुदाई किया। जाते समय फिर से वीनीत की भाभी ने राहुल को कुछ पैसे दी जिसे राहुल ले करके अपने पेंट की जेब में रख लिया' और घर से बाहर आ गया।
शाम के वक्त विनीत अलका का इंतजार करते हुए उसी मार्केट में बैठा रहा लेकिन ना जाने कब अलका वहां से निकल गई इस बात का विनीत को पता भी नहीं चला। विनीत को यह लगा कि शायद अलका ऑफीस ही नही गई होगी। ऊस दीन तो राहुल हांथ मसल के रह गया।
अलका घर पहुंचकर घर में राहुल को देखते ही खुश हो गई। खुशी खुशी वह भोजन तैयार करने में जुट गई। ऊसे बड़ी बेसब्री से रात का इंतजार था क्योंकि रोज की तरह आज भी उसकी बुर में खुजली मची हुई थी जो कि उसका बेटा ही अपना लंड डालकर मिटा सकता था।
खाना बन चुका था तीनों गरमा गरम भोजन करके संतुष्ट हो चुके हैं रोज की तरह दोनों अपने कमरे में चला गया और राहुल अपनी मां के पीछे पीछे उसके कमरे में।
आज जब राहुल अपनी मां के कपड़े उतारकर उसे नंगी कर रहा था तब जैसे ही राहुल अलका की पेंटिं को खींच कर नीचे सरकाने लगा तभी उसकी नजर पेंटिं पर हुए छोटे से छेंद पर पड़ी , पेंटिं को टांगो से निकालने के बाद वह उस छोटे से छेद को अपनी मां को दिखाते हुए बोला।
मम्मी तुम्हारी गांड थोड़ी और ज्यादा बड़ी होती जा रही है तभी तो देखो यह पेंटी फटने लगी है।
अपने बेटे की यह बात सुनकर अलंका शरमा गई क्योंकि वह जानती थी कि महंगी पेंटी और ब्रांडेड कंपनी की वह खरीद नहीं पाएगी इसलिए बाजार से लाकर चालू कंपनी की पैंटी वह पहनती थी। वह एकबार पहले भी बता चुकी थी, और वही बात फीर से दोहराते हुए बोली।
बेटा मैं तुझे पहले भी तो बता चुकी हुं की महंगे और ब्रांडेड पैंटी और ब्रा पहनने की मेरी हैसियत नहीं है। इसलिए यह सब जो भी पहनती में बाजार से लाते हैं एक दो महिना तो बड़ी मुश्किल से चलता है और फटना शुरू हो जाती है।
( अपनी मां की बात और उसकी मजबूरी जानकर राहुल बोला।)
कोई बात नहीं मम्मी 10 दिन बाद मेरा जन्मदिन है मैं तुम्हारे लिए ब्रांडेड कंपनी की ब्रा और पैंटी और एक अच्छी सी गाऊन खरीद कर आप को गिफ्ट कर दूंगा।
( अपने बेटे की बात सुनकर अलका हंसने लगी और हंसते हुए बोली।)
अरे ऐसा कैसे हो सकता है बेटा जन्मदिन तेरा है और तू खुद मुझे गिफ्ट देगा बल्कि मुझे तुझे गिफ्ट देना चाहिए था।
तो क्या हुआ मम्मी आप तो रोज मुझे गिफ्ट देती हो
( बुर की तरफ इशारा करते हुए) और इससे अनमोल दूसरा कोई भी गिफ्ट नहीं हो सकता।
( राहुल की बात सुनकर अलका एक बार फिर से मुस्कुरा दी और मुस्कुराते हुए बोली।)
तू बहुत चालाक है सच में यह औरत की सबसे अनमोल गिफ्ट है जो कि मैंने तुझे अर्पित कर दिया लेकिन फिर भी तो मुझे मेरे जन्मदिन पर कुछ ना कुछ तो देना ही होगा।
मुझे कुछ नहीं चाहिए मम्मी बस अपनी यही अनमोल तोहफा मुझे हमेशा देते रहना मैं हमेशा खुश रहूंगा।
यह अनमोल तोहफा तेरा ही है बेटा इस पर सिर्फ तेरा ही हक है। तू जब चाहे जेसे चाहे इसे ले सकता है।
( अलका अपनी हथेली को अपनी बुर पर मसलते हुए बोली। राहुल अपनी मां को अपनी बुर को मसलते हुए देखा तो अपनी भी हथेली अपनी मां की हथेली पर रखकर दबा दिया। राहुल की ईस हरकत पर अलका की सिसकारी छूट गई, और वह सिसकारी लेते हुए बोली।)
ससससहहहहहहह......आााााहहहहहहह..... राहुल मेरे को इतना तेरे जन्मदिन पर मैं तुझे जरुर कोई ना कोई तोहफा दूंगी। ( राहुल अपनी मां की बुर को मसलते हुए एकदम से चुदवासा हो गया था और वह अपनी मां की कलाई हो तुम अपनी हथेली में तो करते हुए अपनी मां के ऊपर सवार हो गया और अपने लंड के सुपाड़े को अपनी मां की बुर की गुलाबी पत्तियों के बीच टीकाते हुए बोला।
बस मम्मी अब कुछ मत बोलो तुम मेरे लंड का सिर्फ मजा लो( इतना कहने के साथ ही राहुल ने अपना पूरा लंड अपनी मां की बुर में पेल दिया। और अपनी मां को चोदने लगा दोनों ने एक बार फिर से पूरी रात चुदाई का सुख लेते रहें। )
दूसरे दिन स्कूल जाते समय अलका ने राहुल से बोली की स्कूल से सीधा घर पर आाना कहीं जाना मत क्योंकि आज बाजार जाना है घर का कुछ सामान खरीद कर लाना है तो मेरी मदद कर देना क्योंकि आज मेरे ऑफिस की छुट्टी है इसलिए मैं आज सारा दिन घर पर ही हूं।
ठीक है मम्मी (इतना कह कर राहूल अपने स्कूल चला गया विनीत के आ जाने के बाद राहुल और नीलू छुप-छुपकर मिलने लगे क्योंकि वह नहीं चाहते थे कि बात का बतंगड़ बने ,। नीलू भी जितना हो सकता था विनीत से दूर ही रहने की पूरी कोशिश करती थी।
राहुल भी बहुत खुश था क्योंकि आज उसे विनीत की भाभी से मिलने जाना था बहुत दिन हो गए थे उसे विनीत की भाभी की बुर का स्वाद चखे। लेकिन राहुल को यह नहीं पता था कि उसका ही दोस्त अब इसके लिए मुसीबत बनने वाला था। विनीत की भाभी ने राहुल को फोन करके यह बता दी थी कि उसे कब घर आना है। वीनीत की भाभी के घर पर जाने की पूरी तैयारी राहुल ने कर लिया था। उसकी याद में आज रह-रहकर राहुल का लंड ठुनकी ले रहा था। यही हाल वीनीत की भाभी का भी था। वह भी जब से गई थी तबसे ढंग से चुदवाने का मौका भी नहीं मिल पाया था और जब मौका मिला तो राहुल की तरह तगड़ा मोटा लंड नहीं मिल पाया। इसलिए माफी राहुल से चुदवाने के लिए तड़प रही थी और वहां से निकलते ही राहुल को फोन कर दी थी कि आज घर पर आ जाना।। आग दोनों जगह बराबर लगी हुई थी।
विनीत को तो राहुल की मां की याद सता रही थी जब से उसने अस्पताल में अलका को भोगा था , सबसे उसको अलका के बदन को ले करके एक अजीब सा सुरूर छा गया था। दिन-रात उसे बस अलका ही नजर आती थी। क्योंकि उसने आज तक अलका जैसी औरत ना देखा था और ना ही भोगा था बार-बार उसे अलका का नंगा बदन आंखों के सामने नजर आ रहा था उसकी बड़ी बड़ी चूचियां जिसे वह उस रात दबा दबा कर अपने मुंह में भर कर चूसा था, उसकी मोटी मोटी मांसल केले के तने के सामान चिकनी जांगे , ऐसी जांगो के बारे में विनीत ने कभी कल्पना भी नहीं किया था , और अलका की खूबसूरत जांघो उसने अपनी हथेली से निकलते हुए उसके गरम स्पर्श का अहसास अपने अंदर उतारा था। जिसकी गर्मी उसे आज तक अपनी हथेली में महसूस होती थी। उसे इस बात का भी यकीन उसे भोगने के बाद भी नहीं हो पा रहा था कि इस उम्र में भी उसकी रसीली बुर का कसाव पहले की तरह बरकरार है। उसने तो आज तक ऐसी कसी हुई बुर में कभी लंड भी नहीं डाला था। नीलु को भी जब वह पहली बार चोदा था तब भी जो ऐसा जान का के साथ उसे आया था वैसा एहसास उसके साथ कभी भी महसूस ही नहीं हुआ।
इसलिए तो वह अलका की खूबसूरती और उसके बदन के प्रति पूरी तरह से कायल हो चुका था। इसलिए तो वह अलका को फिर से भोगना चाहता था। अलका के खूबसूरत बदन के मादक खुशबू को वह फिर से अपने सीने में उतारना चाहता था। वह भी अलका से मिलने के लिए पूरी तरह से बेकरार था।
राहुल तो स्कूल से छूटते ही सीधे विनीत की भाभी के घर पहुंच गया। विनीत की भाभी उसे देखते ही बहुत प्रसन्न हुई। बहुत दिनों से काम की प्यासी थी और उसने जी भर के राहुल से चुदवा कर अपने काम की प्यास बुझाई । राहुल भाई कुछ दिनों से नीलू और अपनी मां की प्यास बुझाने में लगा हुआ था आज एक बार फिर से विनीत की भाभी की बुर पाकर उसकी जबरदस्त चुदाई किया। जाते समय फिर से वीनीत की भाभी ने राहुल को कुछ पैसे दी जिसे राहुल ले करके अपने पेंट की जेब में रख लिया' और घर से बाहर आ गया।
शाम के वक्त विनीत अलका का इंतजार करते हुए उसी मार्केट में बैठा रहा लेकिन ना जाने कब अलका वहां से निकल गई इस बात का विनीत को पता भी नहीं चला। विनीत को यह लगा कि शायद अलका ऑफीस ही नही गई होगी। ऊस दीन तो राहुल हांथ मसल के रह गया।
अलका घर पहुंचकर घर में राहुल को देखते ही खुश हो गई। खुशी खुशी वह भोजन तैयार करने में जुट गई। ऊसे बड़ी बेसब्री से रात का इंतजार था क्योंकि रोज की तरह आज भी उसकी बुर में खुजली मची हुई थी जो कि उसका बेटा ही अपना लंड डालकर मिटा सकता था।
खाना बन चुका था तीनों गरमा गरम भोजन करके संतुष्ट हो चुके हैं रोज की तरह दोनों अपने कमरे में चला गया और राहुल अपनी मां के पीछे पीछे उसके कमरे में।
आज जब राहुल अपनी मां के कपड़े उतारकर उसे नंगी कर रहा था तब जैसे ही राहुल अलका की पेंटिं को खींच कर नीचे सरकाने लगा तभी उसकी नजर पेंटिं पर हुए छोटे से छेंद पर पड़ी , पेंटिं को टांगो से निकालने के बाद वह उस छोटे से छेद को अपनी मां को दिखाते हुए बोला।
मम्मी तुम्हारी गांड थोड़ी और ज्यादा बड़ी होती जा रही है तभी तो देखो यह पेंटी फटने लगी है।
अपने बेटे की यह बात सुनकर अलंका शरमा गई क्योंकि वह जानती थी कि महंगी पेंटी और ब्रांडेड कंपनी की वह खरीद नहीं पाएगी इसलिए बाजार से लाकर चालू कंपनी की पैंटी वह पहनती थी। वह एकबार पहले भी बता चुकी थी, और वही बात फीर से दोहराते हुए बोली।
बेटा मैं तुझे पहले भी तो बता चुकी हुं की महंगे और ब्रांडेड पैंटी और ब्रा पहनने की मेरी हैसियत नहीं है। इसलिए यह सब जो भी पहनती में बाजार से लाते हैं एक दो महिना तो बड़ी मुश्किल से चलता है और फटना शुरू हो जाती है।
( अपनी मां की बात और उसकी मजबूरी जानकर राहुल बोला।)
कोई बात नहीं मम्मी 10 दिन बाद मेरा जन्मदिन है मैं तुम्हारे लिए ब्रांडेड कंपनी की ब्रा और पैंटी और एक अच्छी सी गाऊन खरीद कर आप को गिफ्ट कर दूंगा।
( अपने बेटे की बात सुनकर अलका हंसने लगी और हंसते हुए बोली।)
अरे ऐसा कैसे हो सकता है बेटा जन्मदिन तेरा है और तू खुद मुझे गिफ्ट देगा बल्कि मुझे तुझे गिफ्ट देना चाहिए था।
तो क्या हुआ मम्मी आप तो रोज मुझे गिफ्ट देती हो
( बुर की तरफ इशारा करते हुए) और इससे अनमोल दूसरा कोई भी गिफ्ट नहीं हो सकता।
( राहुल की बात सुनकर अलका एक बार फिर से मुस्कुरा दी और मुस्कुराते हुए बोली।)
तू बहुत चालाक है सच में यह औरत की सबसे अनमोल गिफ्ट है जो कि मैंने तुझे अर्पित कर दिया लेकिन फिर भी तो मुझे मेरे जन्मदिन पर कुछ ना कुछ तो देना ही होगा।
मुझे कुछ नहीं चाहिए मम्मी बस अपनी यही अनमोल तोहफा मुझे हमेशा देते रहना मैं हमेशा खुश रहूंगा।
यह अनमोल तोहफा तेरा ही है बेटा इस पर सिर्फ तेरा ही हक है। तू जब चाहे जेसे चाहे इसे ले सकता है।
( अलका अपनी हथेली को अपनी बुर पर मसलते हुए बोली। राहुल अपनी मां को अपनी बुर को मसलते हुए देखा तो अपनी भी हथेली अपनी मां की हथेली पर रखकर दबा दिया। राहुल की ईस हरकत पर अलका की सिसकारी छूट गई, और वह सिसकारी लेते हुए बोली।)
ससससहहहहहहह......आााााहहहहहहह..... राहुल मेरे को इतना तेरे जन्मदिन पर मैं तुझे जरुर कोई ना कोई तोहफा दूंगी। ( राहुल अपनी मां की बुर को मसलते हुए एकदम से चुदवासा हो गया था और वह अपनी मां की कलाई हो तुम अपनी हथेली में तो करते हुए अपनी मां के ऊपर सवार हो गया और अपने लंड के सुपाड़े को अपनी मां की बुर की गुलाबी पत्तियों के बीच टीकाते हुए बोला।
बस मम्मी अब कुछ मत बोलो तुम मेरे लंड का सिर्फ मजा लो( इतना कहने के साथ ही राहुल ने अपना पूरा लंड अपनी मां की बुर में पेल दिया। और अपनी मां को चोदने लगा दोनों ने एक बार फिर से पूरी रात चुदाई का सुख लेते रहें। )
दूसरे दिन स्कूल जाते समय अलका ने राहुल से बोली की स्कूल से सीधा घर पर आाना कहीं जाना मत क्योंकि आज बाजार जाना है घर का कुछ सामान खरीद कर लाना है तो मेरी मदद कर देना क्योंकि आज मेरे ऑफिस की छुट्टी है इसलिए मैं आज सारा दिन घर पर ही हूं।
ठीक है मम्मी (इतना कह कर राहूल अपने स्कूल चला गया विनीत के आ जाने के बाद राहुल और नीलू छुप-छुपकर मिलने लगे क्योंकि वह नहीं चाहते थे कि बात का बतंगड़ बने ,। नीलू भी जितना हो सकता था विनीत से दूर ही रहने की पूरी कोशिश करती थी।