hotaks444
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में दुबई पहुँच चुका था...ऑफीसर अब्दुलह के साथ में मॉर्ग के लिए निकल गया ...
वहाँ पहुँच कर बड़ी मुश्किल से में पापा और भाई की बॉडी को देख पाया मेरे आँसू रुकना भूल गये थे ....बिल्कुल अकेला पड़ गया था में...काश इस वक़्त कोई मेरे साथ होता जिसके कंधे पर सिर रख के में रो सकता...
कुछ ज़रूरी फ़ौरमलिटी के बाद अब्दुलह ने कहा..
अब्दुलह--मिस्टर जय आप अब ये बॉडी वापस ले जा सकते है मुझे बड़ा अफ़सोस है आपके साथ जो हुआ उसका..अभी थोड़ी देर में ही एक फ्लाइट जाने वाली है आपको टिकिट और बॉडीस को भेजने का प्रबंध मैने उसी में कर दिया है....
मुझे जैसे ही कुछ पता चलेगा हत्यारो के बारे में आपको इनफॉर्म कर दूँगा.
में--ठीक है ऑफीसर अब मुझे चलना चाहिए वैसे भी अब कुछ बचा नही है यहाँ पर.
उसके बाद एक आंब्युलेन्स में बैठ कर मैं एयिरपोर्ट की तरफ निकल जाता हूँ...आंब्युलेन्स में मेरे सामने दो ताबूतो में दोनो की बॉडी पड़ी हुई थी....में उस तरफ़ देखने की हिम्मत नही जुटा पा रहा था....एयिरपोर्ट आने पर वहाँ के स्टाफ ने ताबूतो को आंब्युलेन्स से निकाला और अपने साथ ले गये.
में जा कर अपनी सीट पर बैठ गया और अपनी सीट बेल्ट लगाने के बाद में अपनी आँखे बंद करके सोचने लग जाता हूँ....प्लेन अब आसमान में उड़ने लग गया था और में अपनी सोच के अंधेरे में अंधेरों से गिरता जा रहा था...
तभी एक आवाज़ मुझे उस भंवर में से निकाल देती है ...वहाँ रीना मेरे सामने खड़ी थी... और उसके हाथ में मेरे लिए एक ड्रिंक था...
में--आप इस फ्लाइट में भी...
रीना--सर ये वही प्लेन है जिसमें आप कुछ घंटो पहले आए थे...
अब ये प्लेन वापस भारत जा रहा है तो में भी तो इसी में मिलूंगी ना...ये लीजिए आपका ड्रिंक...क्या में जान सकती हूँ आप इतने परेशान क्यो है...
में--आपके प्लेन में मेरे पापा और भाई भी सफ़र कर रहे है....
रीना--ओह्ह थ्ट्स नाइस अगर आप बोले तो में आप लोगो की सीट्स एक साथ करवा दूं...
में--रीना तुम समझी नही वो उन दो ताबूतो में हैं वो अब मेरे पास नही बैठ सकते...
रीना--ओह्ह्ह माइ गॉड एक्सट्रीम्ली वेरी सॉरी सर...शायद मैने आपकी चोट को और कुरेद दिया..मुझे माफ़ कर देना.
में--आपको सॉरी बोलने की कोई ज़रूरत नही है...क्या आप मेरा एक काम कर सकती है...
रीना --बोलिए सर कौनसा काम करना है...
में--जहाँ वो बॉक्स रखे हुए है में वहाँ जाना चाहता हूँ थोड़ी देर में मेरे भाई और पापा के साथ रहना चाहता हूँ...
रीना--सर में कॅप्टन से पर्मिशन लेने की कोशिश करती हूँ शायद वो मान जाए..
में--ठीक है वैसे कोशिश अक्सर कामयाब हो जाती है आप जाइए.
उसके बाद रीना कॉकपिट में घुस गयी और थोड़ी देर बाद फिर से मेरे पास आई.
रीना--सर कॅप्टन मान गये है बस उन्होने ये कहा है बाकी पॅसेंजर्स को परेशानी नही होनी चाहिए....
में--रीना में किसी को भी परेशान नही करूँगा बस मुझे वहाँ छोड़कर तुम वापस अपना काम संभाल लेना.
रीना-- ठीक है सर आप चलिए मेरे साथ...
वहाँ पहुँच कर बड़ी मुश्किल से में पापा और भाई की बॉडी को देख पाया मेरे आँसू रुकना भूल गये थे ....बिल्कुल अकेला पड़ गया था में...काश इस वक़्त कोई मेरे साथ होता जिसके कंधे पर सिर रख के में रो सकता...
कुछ ज़रूरी फ़ौरमलिटी के बाद अब्दुलह ने कहा..
अब्दुलह--मिस्टर जय आप अब ये बॉडी वापस ले जा सकते है मुझे बड़ा अफ़सोस है आपके साथ जो हुआ उसका..अभी थोड़ी देर में ही एक फ्लाइट जाने वाली है आपको टिकिट और बॉडीस को भेजने का प्रबंध मैने उसी में कर दिया है....
मुझे जैसे ही कुछ पता चलेगा हत्यारो के बारे में आपको इनफॉर्म कर दूँगा.
में--ठीक है ऑफीसर अब मुझे चलना चाहिए वैसे भी अब कुछ बचा नही है यहाँ पर.
उसके बाद एक आंब्युलेन्स में बैठ कर मैं एयिरपोर्ट की तरफ निकल जाता हूँ...आंब्युलेन्स में मेरे सामने दो ताबूतो में दोनो की बॉडी पड़ी हुई थी....में उस तरफ़ देखने की हिम्मत नही जुटा पा रहा था....एयिरपोर्ट आने पर वहाँ के स्टाफ ने ताबूतो को आंब्युलेन्स से निकाला और अपने साथ ले गये.
में जा कर अपनी सीट पर बैठ गया और अपनी सीट बेल्ट लगाने के बाद में अपनी आँखे बंद करके सोचने लग जाता हूँ....प्लेन अब आसमान में उड़ने लग गया था और में अपनी सोच के अंधेरे में अंधेरों से गिरता जा रहा था...
तभी एक आवाज़ मुझे उस भंवर में से निकाल देती है ...वहाँ रीना मेरे सामने खड़ी थी... और उसके हाथ में मेरे लिए एक ड्रिंक था...
में--आप इस फ्लाइट में भी...
रीना--सर ये वही प्लेन है जिसमें आप कुछ घंटो पहले आए थे...
अब ये प्लेन वापस भारत जा रहा है तो में भी तो इसी में मिलूंगी ना...ये लीजिए आपका ड्रिंक...क्या में जान सकती हूँ आप इतने परेशान क्यो है...
में--आपके प्लेन में मेरे पापा और भाई भी सफ़र कर रहे है....
रीना--ओह्ह थ्ट्स नाइस अगर आप बोले तो में आप लोगो की सीट्स एक साथ करवा दूं...
में--रीना तुम समझी नही वो उन दो ताबूतो में हैं वो अब मेरे पास नही बैठ सकते...
रीना--ओह्ह्ह माइ गॉड एक्सट्रीम्ली वेरी सॉरी सर...शायद मैने आपकी चोट को और कुरेद दिया..मुझे माफ़ कर देना.
में--आपको सॉरी बोलने की कोई ज़रूरत नही है...क्या आप मेरा एक काम कर सकती है...
रीना --बोलिए सर कौनसा काम करना है...
में--जहाँ वो बॉक्स रखे हुए है में वहाँ जाना चाहता हूँ थोड़ी देर में मेरे भाई और पापा के साथ रहना चाहता हूँ...
रीना--सर में कॅप्टन से पर्मिशन लेने की कोशिश करती हूँ शायद वो मान जाए..
में--ठीक है वैसे कोशिश अक्सर कामयाब हो जाती है आप जाइए.
उसके बाद रीना कॉकपिट में घुस गयी और थोड़ी देर बाद फिर से मेरे पास आई.
रीना--सर कॅप्टन मान गये है बस उन्होने ये कहा है बाकी पॅसेंजर्स को परेशानी नही होनी चाहिए....
में--रीना में किसी को भी परेशान नही करूँगा बस मुझे वहाँ छोड़कर तुम वापस अपना काम संभाल लेना.
रीना-- ठीक है सर आप चलिए मेरे साथ...