Free Sex Kahani जालिम है बेटा तेरा - Page 6 - SexBaba
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Free Sex Kahani जालिम है बेटा तेरा

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कस्तूरी---- क्या बात हैं, अभी आम का समय आया भी नही है, फीर भी मेरी अनन्या बेटी का आम इतना बड़ा हो गया हैं ।

अनन्या--- कैसा आम चाची?
कस्तूरी--- अरे तेरे आम बेटी ।
अनन्या--- शर्मा जाती है , क्या चाची आप भी ना कितनी गंदी हो ।

कस्तूरी--- अच्छा बेटी, सच बोली तो मैं गंदी हो गई ।
तभी सुनीता भी वहां आ जाती है ........।

सुनीता----- कस्तूरी तू नहायी नही अभी तक ।
कस्तूरी--- अरे दीदी, ये अनन्या को तो पहले नहाने दो । कितना रगड़ रगड़ कर नहा रही हैं ।

सुनीता---- अच्छा ठीक हैं , तू भी नहा ले जल्दी से....... और कह कर वहा से चली जाती हैं ।

अनन्या अब तक नहा कर कपड़े भी बदल चुकी थी ।
कस्तूरी भी नहाने के लिए जैसे ही अपना ब्लऊज निकलती हैं ।

अनन्या--- खुद बड़े बड़े खर्बुजे ले के घूम रही हो चाची और तुम आम की बात कर रही हो ।

कस्तूरी ये सुन कर हंसने लगती है .............अरे अनन्या बेटी, जब तेरी भी शादी हो जायेगी ना तो तेरा भी आम खर्बुजे जैसा हो जायेगा ।

ये सुन अनन्या शर्मा कर वहां से भाग जाती हैं .......।

कस्तूरी नहाते नहाते उसका ध्यान उसकी बुर पर जाता है .......जो सोनू का लंड लेके खुल चुकी थी, कस्तूरी अपने बुर पर हाथ रखते ही उसके मुह से .......सी, सी की आवाज़ निकलती है और सोनू के लंड के सपनो में जैसे खो जाती है ।

कस्तूरी (मन में)---- आह ....... सोनू क्या हालत कर दी तूने अपने चाची के बुर की, पुरा का पुरा खोल दीया । बस अब तू इसको खोलते जा बेटा तेरे लंड के बिना अब चैन नही आता रे....।

तभी वहा अनीता पहुंच जाती है .......कस्तूरी की आंखे बंद थी और उसका एक उंगली उसके बुर में था ......कस्तूरी की सूजी हुई बुर देख कर अनीता ये समझ जाती है की कस्तूरी ने सोनू के लंड से अपनी बुर खुलवा ली है ।

अनीता--- अब नहा भी लो दीदी ।
ये सुन कस्तूरी हड़बड़ा जाती है .....और जैसे ही आंख खोलती है उसके सामने अनीता खड़ी थी ।

कस्तूरी---- अरे तुने तो, मुझे डरा ही दीया । मुझे लगा कौन आ गया?
अनीता--- हा दीदी, तुम्हे लगा सोनू आ गया ।
कस्तूरी --- धत बेशरम .....और शरमा जाती है ।

अनीता----- दीदी, फीर तुमने आखिर सोनू से खुलवा ही लिया अपना ।
कस्तूरी---- हाय रे, अनीता बड़ा बेरहम है ......सच में औरतों पर रहम नही करता .....लेकीन मज़ा भी बहुत देता हैं ।

अनीता---- तुम्हारे ही तो मज़े हैं दीदी ।
कस्तूरी---- तू चिंता मत कर, तेरा भी जुगाड़ लगती हूं सोनू का लंड तेरा भी फाड़ फाड़ कर चोदेगा । तेरी बुर ........

अनीता शर्मा जाती है और जैसे ही वहां से जाने को होती हैं कस्तूरी उसका हाथ पकड़ अपनी तरफ़ खींच लेती हैं ।

अनीता---- आह .....दीदी क्या करती हो ......छोड़ो कोई देख लेगा ।
कस्तूरी ने अपना हाथ अनीता की चुचियो पर रख जोर जोर से मसलने लगती हैं .....।

अनीता---- आह दीदी .....दर्द हो रहा है .....थोड़ा धी.......रे। तुम भी सोनू से .....आह चुदवा कर उसकी तरह बेरहम हो गई हो क्या ।

कस्तूरी---- मेरी बेरहमी कुछ नही है ....अनीता । जब सोनू तेरी चुचिया मसलेगा तब पता चलेगा ....... aur फीर कस्तूरी अपना मुह अनीता के मुह में डाल देती हैं ।
 
अनीता भी गरम हो चुकी थी, उसकी शादी होते ही उसका पति शहर गया तो आया ही नही ......वो भी लंड के लिए हमेशा तडपती रहती थी ।
और आज जब कस्तूरी ने उसकी जवानी को छेड़ा तो उसका बदन हवस के आग में जलने लगा ।
कस्तूरी अपने दोनो हाथो से अनीता की चुचिया मसल रही थी, और अनीता भी अपना पुरा मुह कस्तूरी के मुह में घुसा उसके होठो को चुस रही थी ......।


अरे बेशर्मो क्या रही हो तुम लोग ..........लेकीन अनीता और कस्तूरी तो जैसे उस आवज को सुन ही नही रही थी, बस हवस की आग में एक दुसरे को मसल रही थी ।

सुनीता ने पास जाकर ऊन दोनो को अलग कीया .......।
सुनीता---- घर पर तिन तिन जवान बेटियाँ है और तुम लोग बेफिकर हो कर मसली मसला कर रही हो ।

कस्तूरी---- अब क्या करू दीदी, जब से तेरे बेटे ने अपना सांड जैसा लंड घुसेड़ा है । कुछ समझ में ही नही आ रहा हैं ।

सुनीता--- तो क्यूँ घुसवा ली मेरे बेटे का लंड ।
कस्तूरी---- अब क्या करू दीदी, आसमां के तारे जो दिखा देता है तेरे बेरहम बेटे का लंड ।

ये सुन सुनीता के बदन में तुफान सी उठने लगती हैं .......और सोचने लगती है, अखिर कितना मज़ा देता है मेरे बेटे का लंड जो भी ले रही है, उसके लंड की तारिफ करते नही थक रही है ।

कस्तूरी----- क्या हुआ दीदी कीस सोच में पड़ गयी? कही तुम भी तो ......

सुनीता----- चुप छीनाल, और अपने चेहरे पर हल्की सी शर्म लिए वहां से चली जाती है ..........।
 
आज सोनू अपने खेत के बने झोपड़े में बैठा वैभवी को अपनी यादों सें निकाल देने की कोशिश कर रहा था .....लेकीन वैभवी का वो खुबसूरत प्यारा चेहरा उसके आंखो के सामने आ ही जाता था .......वो एकदम पागल हो जाता है ।


सोनू सोचने लगा की यार मैं उसको कैसे भूलू , तभी सोहन वहां आ जाता हैं ।

सोनू सोहन को देख कर सोचा ---- अब तो बस चुदायी करूंगा बस, ताकी उसका खयाल ना आये.......लेकीन सोनू शायद ये नही समझ रहा था की ......चुदायी की बात करते समय भी वो वैभवी की ही बात कर रहा है .......जिसे वो भूल जाना चहता है ।

सोहन---- अरे मेरे राज क्या सोच रहे हो .......मेरा तो खयाल ही नही रहा ।

सोनू---- भोस्ड़ी के ज्यादा बोल मत और मेरा लंड निकाल और चुस ......।

सोहन बिना देर किये सोनू का लंड निकाल अपने मुह में भर लेता है ।
सोनू लेटा हुआ अपने लंड को उसके मुह में घुसा रहा था ......लेकीन उसका ध्यान तो सिर्फ वैभवी के उपर ही था ।
करीब 5 मिनट से सोहन सोनू के लंड को चुस रहा था ।


सोहन---- क्या बात हैं ......राजा, आज ये फ़ौलाद खड़ा क्यूँ नही हो रहा हैं ।

सोनू--- तु चुसता रह साले ......।
सोहन और 10 मिनट चुसता है लेकीन सोनू का लंड खड़ा ही नही होता .......और खड़ा भी कैसे होता सोनू का ध्यान तो अपने लंड पर नही बल्की वैभवी पर था ।

अखिर थक हार कर सोहन उसका लंड छोड़ देता है .......।

सोहन---- लगता है आज इसका मुड़ नही है ......मैं जा रहा हूं ।

सोनू---- ठीक है जा तू।
सोहन अपना गांड लिए झोपड़े से बाहर निकल जाता हैं ।

सोनू--- अरे यार ये लड़की आखिर मेरे खयालो से जा क्यूं नही रही हैं । वो एकदम परेशान हो जाता है , और वही खाट पर पड़े फिर से वैभवी के खयालो में खो जाता है .......।


और ईधर वैभवी भी बिस्तर पर पड़े सोनू के बारे में ही सोच रही थी ।तभी पायल आ जाती हैं ........।

पायल---- कीस खयाल में खोयी हैं मेरी बेटी ।
वैभवी---- कुछ नही मा, वो मुझे कल मुंबई वापस जाना है exam हैं, ना तो वही सोच रही थी ।

पायल--- लेकीन मेरी बेटी की आँखे तो कुछ और ही कह रही हैं ।
वैभवी--- अरे मां वही सोच रही थी मैं, और कुछ नही ।

पायल--- सच सच बता क्या बात हैं ......मैं तेरी मां ही नही तेरी दोस्त भी हूं ।

वैभवी--- वो मां मैं सोनू के बारे में सोच रही थी .......आज उससे जब मिली तो पता चला की वो मुझसे प्यार करता है........।

पायल--- तो तू भी तो उससे प्यार करती हैं ।
वैभवी--- नही मा मैं नही करती ......वो गांव का अनपढ़ और मैं एक medical student कैसे, हो ही नही सकता ।

पायाल--- बेटी प्यार किसी status, की मुहमुहताज नही होती वो तो बस हो जाता हैं । भगवान ने हमे जिन्दगीं दी हैं सिर्फ जीने के लिए नही, बल्की उसके साथ जीने के लिए जिसके साथ हम अपनी पुरी जीन्दगी गुजार सके । और रही बात तेरी जो तू बोल रही है की तू सोनू को प्यार नही करती, अगर सच में नही करती तो उसके बारे में सोचती ही नही ।

देख बेटी ये जिन्दगी तेरी है तो तू ही फैसला कर सोनू तेरे लिए सही है या नही ........ ।

वैभवी पारुल की बाहों में अपना सर रख कर लेट जाती हैं .......।
 
वैभवी --- मां ये लड़का तो मेरी नींद ही चुरा लिया है ......मुंबई में इतने लड़के मेरे दोस्त है, लेकीन कभी उतना नही सोचा जितना ये कमीने के बारे में सोच रही हूँ ।

पारुल---- यहीं तो प्यार हैं .........जा जाकर बोल दे ।
वैभवी का चेहरा शर्म से लाल हो जाता है ........।

वैभवी---- नही मा थोड़ा तड़पने दे .......... उसको, अब जब मुंबई से आऊंगी तब ही उसको propose करूंग। तब तक थोड़ा तडपा लूँ, हक़ है मेरा ।

पारुल---- ठीक है तड़पा ले, बाद में वो वसूल भी कर लेगा, हक़ है उसका ।

वैभवी (शर्मा कर)----- मां .......तुम भी ना ।
पारुल---- अच्छा सो जा, कल तुझे निकलना भी हैं ।
वैभवी ठीक है मां और फिर बेड पर लेट जाती है...... वो सोने की कोशिश करती है लेकीन नींद उसकी आंखो से कोशो मील दूर थी ................।


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बेचन घर में बैठा खाना खा रहा था, बकी लोग सब खाना खा चुके थे ......वो खाना खाते खाते सीमा को ही देख रहा था, और साथ में दारु की शीशी भी हलक मे उतार रहा था ।

सुगना --- सीमा तेरा बिस्तरा, बहु के बगल में लगा दीया है ।
सीमा--- तू कहा सोयेगी दादी?

सुगना---- मैं दुसरे कमरे में जा रही हू सोने ।
ये सुन बेचन खुश हो जाता है .....और सोचने लगता हैं की आज तो अपनी बेटी को कली से फूल बना ही दूंगा, यही जोश में वो फटा फट दो शीशी पी लेता है ......बेचन को बहुत चढ़ गई थी । वो खाना खत्म कर थोड़ा बाहर घुमने चला जाता है ........दारु के नशे में लड़खड़ा कर चल रहा था ।


सीमा (मन में)--- आज तो बापू मेरी जम कर कुटाई करेंगे , तभी रितु वहां आ जाती हैं ।

सुगना--- अरे रितु बेटा तू ।
रितु--- हा दाई वो मैं , सीमा को लेने आइ थी । कल से मेरा परीक्षा है, तो अकेले पढ़ने में मन नही लगता और नींद भी आती हैं । अगर सीमा रहेगी तो बात करते करते पढ़ भी लूंगी ।

सीमा--- अरे रितु, मुझे नींद आ रही है, तू जा मैं कल से आ जाऊंगी ।

सुगना--- जा चली जा, उसके साथ रहेगी तो वो पढ़ तो लेगी कम से कम ।

सीमा भी मरती क्या ना करती, आज उसे रितु पर बहुत गुस्सा आ रहा था .....लेकीन वो wheelchair पर बैठ रितु के साथ चली जाती है ।


और ईधर सुगना भी सीमा के बिस्तरे पर लालटेन बुझा कर रजाई ओढ़ लेट जाती है ।
 
घर के पिछवाड़े बेचन बीड़ी सुलगा कस लेता हुआ सोच रहा था की थोड़ा लेट जाऊंगा, तब तक अम्मा भी सोने चली जायेगी ।
बेचन करीब 1 घंटे बाद घर में घुसता हैं, घर में अन्धेरा था, और उपर से उसने चढा भी रखी थी ।
वो धीरे से सीमा के बिस्तरे के करीब जाता हैं, और रजाई हटा कर बिस्तरे में घुस जाता हैं .......।

सुगना कस्मसाई, की ये कौन हैं ......तभी उसके कानो के बगल में बहुत धीरे से आवाज़ आती हैं ।
सीमा बेटी तेरा बाप आ गया, तुझे कली से फूल बनाने ।

लेकीन बेचन को शायद ये नही पता था की, वो जिसे अपनी बेटी समझ रहा है वो उसकी अम्मा हैं ।
खैर सुगना की हालत तो ये सुनसुनकर ही खराब हो जाती हैं की एक बाप अपने बेटी को चोदने आया था , लेकीन कही ये अपनी अम्मा ही ना चोद दे ।
लेकीन सुगना भी कुछ4नही बोलती, क्युकी बगल में उसकी बहु जो लेती थी ।

बेचन का हाथ सुगना की चुचियो को पकड़ कर जोर जोर से मस्लना शुरु कर दीया था ।
इतनी जोर जोर से मसलने पर सुगना की चुचियो में दर्द होने लगा तो उसने अपने मुह में रजाई ठूंस लिया ।
शराब के नशे में धुत्त बेचन सुगना के उपर आ गया, और उसको होठो को अपने मुह में भर जोर जोर से चूसने लगा ।

बेचन का जोश इतना था की एक 60 साल की औरत का भी भोस्ड़ा फुदकने लगा, और वो औरत कोई और नही उसकी खुद की अम्मा थी ।
शायद अब सुगना की भी बची खुची जवानी रंग लाई, उसने भी सोहन को कस कर अपनी बाहो मे भर लिया, और अपने मुह का कमाल दिखाने लगी ।


बेचन हवस मे इतना पागल हो गया था की, वो खाट पर खड़ा हो गया और, अपना 6 इंच का लंड सुगना के मुह में डाल कर उसका बाल जोर जोर से पकड़ उसका मुह चोदने लगा, जैसे वो बुर चोद रहा हो


सुगना की सांसे अटक जाती जब बेचन का लंड अन्दर तक घुसता । खप्प खप्प की आवाज़ इतनी जोर दार थी की झुमरी की आंखे खुल गई ।
और ईधर सुगना अपना मुह खोले बचन का लंड मजे से मुह में ले रही थी ।

तभी बेचन ने सुगना का पैर उपर उठाया उसकी साडी सरक कर कमर तक आ गई, सोहन ने अपना लंड सुगना के बुर पर रख जोरदार धक्का मारा?, लंड आराम से सरकता सुगना के बुर पुरा घुस गया ।
सुगना--- आह, उह ......।

की आवाज़ से चदाई के मज़े लेने लगी । पुरे 20 साल बाद उसके बुर में लंड घुसा था, और बेचन भी हुमच हुमच कर उसको चोद रहा था ......खाट तो इतनी जोर जोर से चरर मरर कर रही थी की झुमरी ये जान चुकी थी की किसी की चदाई हो रही है .......lekink kiski?

अभी तक तो सिर्फ खाट की आवाज़ रही थी लेकीन अब सुगना के बुर से भी फच्च फच्च की आवाज़ आने लगी ।
सुगना की बुर एक दम पानी से भर चुकी थी जिसके वजह से जब बेचन का लंड उसमे घुसता तो फच्च फच्च की आवाज़ आती ।

सुगना जोश में बेचन को अपने तरफ़ खींच लेती हैं और कहती है,

सुगना ---- चोद मदर्चोद, अपनी बुढ्ही अम्मा, को चोद मज़ा आ रहा है, मदर्चोद पहले क्यूँ नही चोदा ।

अपनी अम्मा का आवाज़ सुन कर बेचन का जोश ठंढा पड़ जाता है, और ईधर झुमरी भी आवक रह जाती हैं की उसका मरद अपनी अम्मा को ही चोद रहा हैं ।

सुगना का पारा तब गरम हो जाता है जब बेचन उसको चोद्ते चोद्ते रुक जाता है ।

सुगना ने खींच कर एक थप्पड़ बेचन के गाल पर मारा .......चोद मधर्चोद, चोदने आया था ना , चोद अपनी अम्मा को ।

ये सुनते ही बेचन जोश में आता है और जोर जोर से उसकी बुर में अपना लंड पलने लगता है ।


बचन---- ले मदर्चोद अपने बेटे का लंड, साली फाड़ दूंगा तेरी बुर मैं भोस्ड़ी ।
सुगना--- आह .........चोद, और अन्दर डाल मदर्चोद, इतने से ही .....आह अपनी मा का भोस्ड़ा फाड़ेगा ।

बेचन और तेज तेज धक्के मारने लगता है .....लेकीन जितना लंड है उतना ही जायेगा ना ।
 
खैर धक्को की गति ने सुगना को झरने के कगार पर ला कर खड़ा कर दीया ।
सुगना --- चोद, हा मै गई 20 साल बाद, आह और अन्दर डाल दे रे कोई तो, और वो खुद बेचन को कस कर पकड़ खाट पर खड़ी हो जाती है ......और अपनी गांड उठा उठा कर इतनी जोर जोर से से धक्के मारने लगती है की ।
बचन का भी पानी सुगना के साथ ही निकल जाता है .......।


दोनो मा बेटे हाफ्ते हाँफते खाट पर लेट जाते हैं ........।

सुगना----- आह बेटा, तेरा लंड छोटा पड़ गया लेकीन मेरा पानी निकाल दीया तुने ।

बेचन---- साली तू 60 साल की छीनाल औरत है, तुने तो मेरा पानी निकाल दीया ......।

तभी जाग चुकी झुमरी ने कहा .......अरे कोई मेरा पानी भी तो निकाल दो ...................।


सुगना---- अरे बहु रोज तो ये तेरा पानी निकलता है।
झुमरी---- जब से बिमार हू अम्मा तब से एक बार भी लंड नही गया ।

बेचन---- पहले तू ठीक हो जा रानी फीर तेरा भी पानी निकाल दूंगा ।

और फीर बेचन अपनी अम्मा की चुचियो में मुह लगा देता है ......।
सुगना---- अरे हरामी फीर से चोदेगा क्या?

बेचन---- मन तो कर रहा है,
सुगना--- तो फीर डाल कर फीर से गदर मचा दे,

बेचन ने अपना लंड फीर से अपनी अम्मा के बुर में डाल हुमचने लगता है ।
उस रात पता नही कितनी बार बेचन ने अपनी अम्मा को चोदा होगा ............... ।


सुबह सुबह वैभवी तैयार हो कर अपनी मां के साथ कार में बैठ स्टेशन की तरफ़ निकल देती है ।
उसका दील एक बार सोनू को देखने का कर रहा था, लेकीन इतनी सुबह सुबह उसे सोनू कहा दिखेगा .....यही सोचती हुई वो स्टेशन पर पहुंच जाती है ।

स्टेशन पर ट्रेन आकर खड़ी होती है, वो ट्रेन में अपनी सीट पर बैठ जाती है और जैसे ही ट्रेन जाने को होती है उसे सोनू भागते हुए दिखा ।

वैभवी ट्रेन के दरवाजे पर आ जाती है , जिसकी वजह से सोनू उसे देख लेता है । सोनू के पैरो की रफ्तार तेज होती है और धीरे चल रही ट्रेन से आगे भागते वो वैभवी के पास पहुंच जाता है ।

सोनू (ट्रेन के साथ भागते हुए)---- आप आज जा रही थी, एक बार बता तो देना चाहिये था ।

वैभवी की पलकें भीग चुकी थी उसे यकीं नही था की सोनू उसे इस कदर चहता है,

वैभवी---- मेरी हिम्मत नही पड़ी बताने की ।
सोनू की सांसे भागते भागते फूलने लगी थी ........

सोनू--- अच्छा ठीक है, फीर कब आओगी?
वैभवी--- 2 महिने बाद, आ जाऊंगी मैं ......

sonu(हांफते हुए)----- अच्छा .......भूल तो नही जाओगी मुझे । दोस्त माना है ना ।

वैभवी ये सुनते ही, उसे ऐसा लगा की अभी ट्रेन से उतर जाऊं और सोनू को अपनी बाहों में भर कर बोलू अब तुम मेरे सिर्फ दोस्त नही बल्की मेरी जिन्दगी हो ............लेकीन जब तक वैभवी सोनू को कुछ जवाब देती ट्रेन स्टेशन के साथ साथ सोनू को भी दूर छोड़ चुकी थी ।
 
सोनू स्टेशन के आखरी छोर पर खड़ा अपनी आंखो में आंसू लिए वैभवी को देखता रहा, और वैभवी भी रोते हुए अपना हाथ हिलाते सोनू को अलविदा कह रही थी ।

वो दोनो एक दुसरे को तब तक देखते रहे जब तक की वो एक दुसरे के आंखों से ओझल नही हो जाते .........

sonu जैसे ही पीछे की तरफ़ घुमा उसे पारुल खड़ी दिखी, सोनू के भीग चुके आंखो को देख कर पारुल की आंखे भी नम हो जाती है .......aur वो सोचने लगती है की ( किसी ने सच ही कहा है जब प्यार होता है तो सारी दुनिया उसे बेगाना लगती है सिर्फ एक उसे छोड़ कर)


सोनू बिना कुछ बोले वहां से निकल जाता है .................।


इधर घर में कस्तूरी अपनी बुर मसल मसल कर सोनू के लंड को याद कर रही थी , लेकीन शायद उसे ये नही पता था की जिसे वो याद कर रही है वो पहले से ही किसी के याद में पागल हैं ।

कस्तूरी अपनी बुर मसल ही रही थी की तभी वहा सोनू आ जाता है ।
कस्तूरी सोनू को देख उसे अपनी बाहो में भर लेती हैं ......।

सोनू उसे अपने से दूर कर देता है ......जिसकी वजह से कस्तूरी को ऐसा करना अच्छा नही लगता ।

कस्तूरी--- क्या हो गया है तुझे? पिछले 2 दिनो से ना तू बात कर रहा है और ना ही ठीक से खाना खा रहा है .......।

अगर मै पसंद नही तो वो भी बोल दे मै तेरे पास नही आऊंगी ।

सोनू--- कस्तूरी को अपनी बाहो में भरते हुए ..... नही मेरी जान ऐसी कोई बात नही हैं, कौन बोला की तू मुझे पसंद नही है, वो तो बस मेरा मुड़ खराब था इसीलए।

कस्तूरी सोनू के होठो को चूमती हुई---- क्या बात है सोनू मुझे बता की अखिर ऐसी कौन सी बात है जो तुझे परेशान कर रही है ।

सोनू कस्तूरी को अपनी बाहो में उठा लेता हैं और उसे छत पर ले कर आ जाता है ।
छत के कमरे में खाट पर कस्तूरी को लिटा कर खुद उसके उपर लेट जाता है ........।

कस्तूरी कुछ बोलने ही वाली थी की सोनू ने उसके होठो को अपने होठो में कैद कर लेता है ।

उसकी यादों में सिर्फ वैभवी का चेहरा घूम रहा था, वो भूल गया था की इस वक़्त वो अपनी चाची के उपर लेटा है ।
वो कस्तूरी को वैभवी समझ उसे ऐसे चूम और चुस रहा था जैसे की उसके नीचे वैभवी हो।

कस्तूरी भी आज इतनी मदमस्त हो गई थी की वो समझ ही नही पाई की हमेशा बेरहमी से चोदने वाला आज इसको क्या हो गया ।
सोनू कस्तूरी के पुरे चेहरे को चाट चाट कर भिगा दीया था .....कस्तूरी का पुरा चेहरा सोनू के थूक से भीग गया था ।

ऐसा अहसास कस्तूरी को पहले कभी नही हुआ था, आज पता नही क्यूँ सोनू की हर एक छुअन उसे अपना सा लग रहा था ।
उसे ऐसा लग रहा था जैसे उसे कोई बेइन्तहा प्यार करने वाला उसका पति उसके साथ है .....।

सोनू कस्तूरी के चेहरे को चूम्ते हुए उसके गर्दनो को अपनी होटो में पुरा भर चारो तरफ़ चूमने चाटने लगता हैं ।
कस्तूरी अपनी आंखे बंद किये जैसे किसी दुसरी दुनिया में पहुंच गई हो ........।


आज कस्तूरी को एक अजीब सा प्यारा अहसास हो रहा था ......उसकी बुर ने पानी उग्ल्ना शुरु कर दीया था ।
सोनू धीरे धीरे चूम्ते हुए उसकी चुचियो पर आ जाता है और उसकी एक चुची को अपने मुह में जैसे ही मुह में लेके चुसता हैं .......।

कस्तूरी----- आह ......मेरे राजा, आज क्या हो गया हैं तुझे .....शुरु से ही मजा देने लग गया हैं ।
लेकीन सोनू तो जैसे उसकी आवज ही नही सुन रहा था ......वो कस्तूरी की चुचियो को चुस चुस कर फूला देता हैं ।
कस्तूरी से इतनी मस्ती सही नही जा रही थी अब उसकी बुर लंड के लिए तैयार हो चुकी थी ।
 
तभी सोनू का एक हाथ कस्तूरी की बुर पर पड़ता है और सोनू ने अपनी एक उंगली कस्तूरी के बुर में घुसा कर आगे पीछे करने लगा ......।

कस्तूरी----- आह सोनू, बेटा मार डालेगा क्या? जल्दी से डाल दे अपना........मुसल अपनी चाची की बुर में ........आह कीस रंडी के खयाल में खोया हैं .....आह ।


सोनू इतना सुनते ही उसका पारा आसमां पर चढ़ गया, क्युकी वो वैभवी के खयाल में ही खोया था ।

सोनू का गुस्सा बहुत तेज था ., उसने कस्तूरी के गाल पर जोर का थप्पड़ जड़ दीया ।

सोनू---- साली बहुत आग है ना तेरे भोस्ड़ी में, आज इसका वो हाल करूंगा की..........

कस्तूरी---- आह राजा तो कर ना, देखती हू तेरे लंड में कितना ताकत हैं ।

सोनू अपने बेरहमी पर आ गया, उसने कस्तूरी के दोनो टाँगे सटा कर हवा में उठाया जिससे कस्तूरी की बुर की फान्के एक दुसरे से चिपक गई ......... और सोनू जबरन अपना लंड उसके बुर में घुसने लगा ।

एक जोर के झटके से कस्तूरी की बुर अन्दर चिर्ते हुए सोनू का लंड लेने लगी ।
कस्तूरी का चेहरा लाल हो चुका और इतनी जोर की चिल्लाहट से कमरा गूंज गया ।


सोनू ने फाटक से अपना लंड बाहर खींच लीया और कस्तूरी की टाँगे cross कर दीया जिससे कस्तूरी की बुर और सिकुड़ गई ।

अब सोनू ने फिर से अपना लंड कस्तूरी के बुर में घुसना चाहा लेकीन टाँगे cross होने की वजह से कस्तूरी के बुर की छंद जकड़ गई थी ।
फीर भी सोनू ने जबरन अपना लंड उसके बुर में अपने लंड का टोपा फंसा कर अपनी पुरी ताकत से जड़ तक घुसा दीया ।




कस्तूरी-- आ..............आ......मां, मर जाऊँगी .............सोनू, रहम कर........आ।
कस्तूरी का दर्द उसकी चिन्खो से बयाँ हो रहा था, इतनी जोर की चिल्लाहत से नीचे बैठे सुनीता और अनीता भागते हुए छत पर आ गई ।

छत पर आते ही, उन्होने जो नजारा देखा तो दंग रह गई .....।

कस्तूरी जोर जोर से चिल्ला रही थी उसके चेहरे की हालत बता रही थी की, वो सोनू के लंड को बहुत मश्क़िल से ले पा रही है ।

और वो सोनू से बार बार, अपनी अटक चुकी आवाज़ से कह रही थी, की मुझें माफ़ कर दे सोनू, निकाल ले इसे मैं नही ले पाऊंगी ।

लेकीन सोनू ने अपने धक्को की रफ्तार और तेज कर दी ......।

सुनीता और अनीता का गला सुख चुका था, सोनू को किसी जानजानवर की तरह चोद्ता देख ।

सोनू---- चल साली गांड खोल । पीछे कुतीया बन ....
कस्तूरी को थोड़ा आराम मील सोनू के लंड निकलने से ......।

कस्तूरी (रोते हुए)----- मैने ऐसा क्या कह दीया, सोनू जो तू इतनी बेरहमी से चोद रहा है मुझे ।

सोनू---- कुछ नही, बस तू कुतीया बन, और अपनी गांड में मेरा लंड ले
कस्तूरी की हालत और खराब हो जाती हैं, वो सोनू को अपनी बाहो में भर लेती हैं, और रोते हुए कहती हैं ।

कस्तूरी---- इतनी बेरहमी मत कर, सोनू बेटा कुछ गलत बोल दीया हो तो माफ़ कर दे ।

सोनू कस्तूरी को वैसे ही बाहो में उठा लेता हैं, और उसकी दोनो टांगो को अपने दोनो बाहो में भर उसका पीठ पकड़ जकड़ लेता हैं ।

कस्तूरी अब सोनू के बाहो में जकड़ी हुई थी, उसका गांड सीधा सोनू के लंड के उपर था ।

कस्तूरी सोनू के गले में अपना हाथ डाले उसके बाहो में थी, और सोनू नीचे जमीन पर उसको उठाये खड़ा था ।

सोनू--- चल मदर्चोद, अपने एक हाथ से मेरा लंड अपनी गांड में घुसा ।
कस्तूरी समझ चुकी थी की आगे आनेवाला दर्द बहुत भयानक हैं .....उसकी आंखो से आंसू निकलने लगता हैं ।

कस्तूरी---- नही सोनू, वहा नही मैं मर जाऊंगी, और रोने लगती हैं ।
सोनू(कस्तूरी को उठाये)--- साली ज्यादा नाटक मत कर, जितना बोल रहा हूं उतना कर,

कस्तूरी--- मरती क्या ना करती, वो रोते हुए अपना एक हाथ नीचे ले जाकर सोनू के लंड को अपनी गांड के छंद पर टिका देती है,

सोनू कस्तूरी को अपने हाथ के सहारे नीचे करते हुए, जोर का धक्का मारता है .....जिससे कस्तूरी की गांड फटती चली जाती हैं,
कस्तूरी--- आ...aa.aaaaaaaeeeeeeeeii........आआआ...... aaah ,
अपना पुरा मुह खोल कर चिल्लाने लगती हैं, लेकीन सोनू जोर जोर से उसकी गांड मारने लगता हैं ......। हद तो तब हो जाती हैं, जब सोनू कस्तूरी को ही अपने लंड पर उसे उठा उठा कर उछल्ने लगता हैं ।
 
सोनू का लंड कस्तूरी के गांड के औकात से अन्दर जैसे ही घुसना चालू कीया ........खून की लरि उसके गांड से बहते नीचे जमीन पर गिरने लगी .......और साथ ही कस्तूरी एक जोर की चिल्लहट से बेहोश हो जाती है ......।
सोनू पगला चुका उसे खाट पर लिटा, बगल में पड़े पानी के ग्लास से पानी निकाल कस्तूरी के चेहरे पर जोर से पानी का छिटा मारता है ......जिससे कस्तूरी होश में आती हैं ।


सोनू कस्तूरी का बाल जोर से खींचता हैं---- क्या हुआ साली, इतनी जल्दी हार मान गई, अभी तो और लंड बचा है पुरा कहा ली तुने, और सोनू फीर से उसे उसी अवश्था में उथाने लगा ......।


कस्तूरी का रो रो कर गला सुख गया था, वो किसी तरह बस यहा से निकलना चाहती थी ।

कस्तूरी---- छोड़ दे सोनू ......मैं तेरे हाथ जोडती हू, मेरी बुर फाड़ दे मगर गांड में नही ले पाऊंगी, देख तेरी चाची हूं मैं इतना कहा तो मान ले मेरा ......aaaaaaaaaaaaआ.............aआ.............म.......री।

सोनू का लंड फीर से कस्तूरी के गांड में घुस चुका था,
बाहर खड़ी सुनीता और अनीता का हाथ पैर सुन्न हो चुका था । और सुनीता की नज़र कस्तूरी की गांड के छेंंद पर पड़ी, जो सोोनू के लंड ने बुुरी..........तरह खोल.....दीया था ......और कस्तूरी के गांड से रीस रीस कर।
खून नीचे टपक रहा था .....लेकीन सोनू का लंड उसके गांड में अभी भी बुरी तरह अन्दर बाहर हो रही थी ।
कस्तूरी सोनू के बाहो में पड़ी सिर्फ दर्द बर्दाश्त करने की कोशिश कर रही थी ......लेकिन सोनू ने इस बार कस्तूरी को अपने दोनो हाथो से उपर उठाया लंड गांड से बाहर निकला, लेकिन सोनू ने वापस कस्तूरी को नीचे की तरफ़ जोर से लाया और नीचे से अपना गांड भी उछाल कर धक्के दीया दोनो तरफ़ से धक्के पड़ने सें .........कस्तूरी सोनू से चिपक दर्द से छटपटाने लगती हैं .......।


और जोर से.......आmmmmmmmmmm ......... आ........... हाँ मां .......मार डालेगा .....ये आज।


कस्तूरी की हालत सुनीता से देखी नही जाती, वो झट से दरवाजा खोलती हैं ........जिसे सोनू अपनी मां को देख सुन्न हो जाता हैं ।

और कस्तूरी को नीचे खाट पर लिटा देता हैं .......।
सुनीता गुस्से में लाल पास में पड़ी लकड़ी से सोनू को सटा सट मारने लगती हैं .......।



सुनीता(सोनू को दंडे से मरती हुई)----- हरामी ...... तुने औरतो को समझ क्या रखा हैं ......खिलौना ......हैं , जिसे तू जैसे चाहे वैसे इस्त्ट्तेमाल करेगा ।
सोनू मार खाता रहा और अपने कपड़े पहनता रहा ......।

दर्द से निढ़ाल हो चुकी कस्तूरी भी सुनीता को रोक रही थी और इधर अनीता भी उसको पकड़ रही थी ।

सुनीता--- नही हट जा अनीता, औरते मर्दो के पास आती है ताकी वो भी अपने शरीर को संतुष्ट कर पाये ......लेकिन ये हरामी औरतो को खिलौना समझता हैं, थोड़ा भी रहम नही हैं इसके अन्दर ......जानजानवर हैं ये ।

और फीर एक जोर का दंडा खींच कर मारती हैं सोनू अपना बेल्ट उठाने नीचे झुक्ता हैं और वो दंडा सीधा उसके सर पर लगता है ....... और सोनू वही नीचे निढ़ाल हो कर गीर जाता हैं ........।
 
सुनीता--- नही हट जा अनीता, औरते मर्दो के पास आती है ताकी वो भी अपने शरीर को संतुष्ट कर पाये ......लेकिन ये हरामी औरतो को खिलौना समझता हैं, थोड़ा भी रहम नही हैं इसके अन्दर ......जानजानवर हैं ये ।

और फीर एक जोर का दंडा खींच कर मारती हैं सोनू अपना बेल्ट उठाने नीचे झुक्ता हैं और वो दंडा सीधा उसके सर पर लगता है ....... और सोनू वही नीचे निढ़ाल हो कर गीर जाता हैं ........।


सोनू के गिरते ही सुनीता का गुस्सा गायब हो जाता हैं ....वो सोनू के तरफ़ बढती हैं ......
सोनू को अपने गोद में उसका सर उठाती हाय, उसके सर से बहुत खून निकल रहा था .....और सोनू बेहोश हो चुका था ।


सुनीता----- रोते हुए ......हाय राम ये मैने क्या कर दीया ।
वो सोनू को 2,3 बार झिंझोद्ती हैं लेकिन सोनू के तरफ़ से कोई हलचल नही होती ..............




डाक्टर साहिबा .....डाक्टर साहिबा .....जोर जोर की आवाज़ अस्पताल में गूंज रही थी ।
ये आवाज़ राजू की थी जो सोनू को सुनीता और अनीता के साथ अस्पताल ले कर आया था ......।

पारुल आवाज़ सुनते ही, अपने cabin से बाहर आती हैं ......।

राजू--- डाक्टर देखो ना मेरे भाई को चोट लग गई हैं आप कुछ किजीये ।

पारुल जैसे ही सोनू को देखती हैं ......वो खून से लत्पथ अपनी मां सुनीता के गोद में लेटा था ।

पारुल की हालत खराब हो जाती हैं .....वो फटाफट नर्स को सोनू को अन्दर लाने के लिििि बोलतीी हैं ।


सोनू को हॉस्पिटल के सरकारी special ward ले आया गया ।

सब लोग बाहर खड़े रोते बिल्खते पारुल का इन्तज़ार करने लगे ......।
कुछ देर बाद पारुल बाहर आती हैं ......।


सुनीता---- डॉक्टर साहिबा कैसा है मेरा बेटा ।
पारुल--- देखीये सुनीता जी, सोनू का खून बहुत निकल बह गया है हमे खून की शख्त ज़रुरत हैं ।


सुनीता पागल हो चुकी---- म .....मेरा खून ले लो डॉक्टर साहिबा लेकिन मेरे बेटे को बचा लो ......।


पारुल---- ठीक है सुनीता जी आप अपना blood चेक करवा लो हमे A+ का ही ब्लड चाहिये ।

और फिर सुनीता पारुल के साथ blood checkup के लिए अन्दर ward में चली जाती हैं ............

पारुल सुनीता का ब्लड चेक करने के बाद सुनीता से बोली की आप का ब्लड ग्रुप सोनू के ब्लड ग्रुप से अलग है तो हम आपका खून नही ले सकते ।

सुनीता एक दम घबरा गई .......वो रोते रोते पारुल के सामने हाथ जोडती है की आप कुछ भी करके मेरे बेटे को बचा लो ।

राजू--- डॉक्टर आप मेरा खून ले लो लेकीन भैया को बचा लो ।
पारुल --- नही राजू, तुम्हारी उम्र के हिसाब से मैं तुम्हरा भी खून नही ले सकती ।

पारुल को भी चिंता हो रही थी की वक़्त बहुत कम है और ब्लड सोनू को जल्दी ना मिला तो उसकी जान को खतरा हो सकता है .....पारुल यही सोच ही रही थी की अचानक से उसके दिमाग आया की A+ ब्लड ग्रुप तो मेरा भी हैं .......।

वो फटाफट नर्स को आवाज़ देती हैं और उस वार्ड में चल देती है जीस वार्ड में सोनू था ।

सोनू के बगल वाली पेशेंट बेड पर लेटती हुई वो नर्स को अपना ब्लड सोनू को चढ़ाने के लिए कहती हैं ।

नर्स ने फटाफट सिरिंज इन्जेच्ट कीया और पारुल का ब्लड सोनू को चढ़ाने लगी ।

ब्लड चढ़ाने के बाद पारुल उठ कर बाहर आती हैं ........।

पारूल---- सुनीता जी डरने की कोई बात नही सोनू को ब्लड मील गया हैं । वो खतरे से बाहर हैं 2, 4 घंटे में उसे होश आ जायेगा ।
 
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