desiaks
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- Aug 28, 2015
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मैंने सोनी की ब्रा को पीछे से खोल दिया और उसके कबूतर उड़ कर मेरे मुंह से आ टकराए, मैंने उनके पर पकड़कर उन्हें चूमना शुरू कर दिया, अन्नू ने मेरा लंड चूसते हुए अपनी बहन की कच्छी को पकड़ा और उसे उतार दिया, ऋतू भी अन्नू के पास बैठ गयी और उसकी नंगी चूत में मुंह डालकर उसके रस को पीने लगी..
वो तीनो तो ऐसे पेश आ रही थी जैसे आज उनकी जिन्दगी का आखिरी दिन है, कल के बाद उन्हें कुछ नहीं मिलने वाला...बड़ी व्याकुलता दिखाई दे रही थी तीनो के अन्दर..
अन्नू तो मेरे लंड को अपने मुंह में ऐसे चूस रही थी मानो उसे उखाड़कर घर ले जायेगी... सोनी भी अपने पुरे शरीर और खासकर अपने मोटे मुम्मो को मेरे मुंह में डालकर ज्यादा से ज्यादा मजा लेने को तैयार थी..
"अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह बाबु......चुसो इन्हें.....सुबह से आपने देखा भी नहीं...इन्हें....देखो ये दोनों आपके बच्चे नाराज हैं आपसे...नुन्नु और मन्नू....सुबह से बोल रहे हैं...पापा कहाँ है....चुसो अब इन्हें....अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह .......म्मम्मम ओग्ग्ग्ग ओह्ह्हह्ह बाबु.....अह्ह्ह्ह हाआन्न्न.....काटो....खा जाओ....अह्ह्ह....ओग्ग्ग्ग...." उसे कुछ ज्यादा ही लाड आ रहा था मुझपर...अपने मुम्मो को मेरे बच्चे बना डाला..
मैंने भी उन्हें बाप का प्यार देना शुरू कर दिया..मेरा क्या जा रहा था.
ऋतू की तेज और पैनी जीभ ने अन्नू की चूत के अन्दर अपना कमाल दिखाना शुरू कर दिया...
अन्नू मेरे लंड को चूस रही थी पर अपनी चूत पर होते ऋतू की जीभ और दांतों के हमलो से उसकी हालत बड़ी खराब हो रही थी... अंत में उसने मेरा लंड अपने मुंह से निकाल दिया और ऋतू को नीचे लिटाकर उसके मुंह पर अपनी चूत के सहारे जा बैठी...अब ठीक है...
और फिर उसने अपने कुल्हे हिला हिलाकर उसके मुंह और दांतों पर जब अपनी चूत रगडनी शुरू की तो उसकी चीखों से पूरा घर गूँज उठा..
"अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ऋतू..दीदी......क्या चुस्ती हो.......अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह और जोर से चुसो......मेरी चूत.....अह्ह्ह्हह्ह ओफ्फ्फ्फ़ ओफ्फफ्फ्फ़ ओह्ह्हह्ह्ह्ह मर गयी....मम्मी.....अह्ह्हह्ह........क्या कर रही हो.....काटो मत न.....अह्ह्ह्ह......हां यही......यही...चुसो....अऊओफ़ फू फ्फोफोफ्फ़ ओ फफफफ फ्फूफूफ़ ....."
ऋतू के मुंह में शायद उसकी क्लिट आ गयी थी, जिसे चूसकर वो मजे ले रही थी और अन्नू के तो कुत्ते फेल हो गए ....
उसने अपनी चूत को रगड़ने की स्पीड उतनी ही बढ़ा दी उसके मुंह पर......
सोनी की चूत भी बहकर नीचे कीचड़ सा जमा कर रही थी, वो उछल कर मेरी गोद में आ चड़ी और मेरे लंड के ऊपर अपनी चूत को रखकर अपनी टाँगे लपेट दी मेरी कमर पर...
मेरा लंड स्र्रर्र्र्रर्र्र करके उसकी गीली सी चूत के अन्दर जा पहुंचा...
अह्ह्हह्ह्ह्ह बाबु.......चोद डालो मुझे .........सुबह से तड़प रही हूँ...मैं आपके लंड के लिए....अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह म्मम्मम्म क्या लंड है आपका...साब.....अह्ह्हह्ह......जोर से और जोर से...."
मैंने उसके कुल्हे अपने पंजो में दबाये और उसकी चूत में लंड से धक्के मारना शुरू कर दिया....वो भी मेरी गोद में उछल -२ कर बड़े मजे से चुदाई करवा रही थी, उसके उछलने से उसके मोटे मुम्मे मेरे मुंह पर थपेड़े मार रहे थे...मैंने उसके उछलते हुए मुम्मो को अपने मुंह में केच करने की कोशिश की और सफल भी हो गया…
जैसे ही उसका दांया निप्पल मेरे मुंह में अटका उसकी जान ही निकल गयी, मैंने शायद कुछ ज्यादा ही तेज पकड़ लिया था उसके निप्पल को, मैंने जैसे ही उसे छोड़ा, तो पाया की मेरे दांतों की वजह से उसके निप्पल के चारों तरफ निशान सा बन गया है और उसमे से थोडा खून भी निकल रहा है...वो तड़प रही थी...
मैंने उसके निप्पल को मुंह में भरा और उसे चुब्लाना शुरू कर दिया...दर्द होने के बावजूद उसके शरीर में से मजे की तरंगे उठने लगी और वो अपना दर्द भुला कर और तेजी से अपनी चूत को मेरे लंड पर पटकने लगी.... और जल्दी ही उसकी चूत के अन्दर से रस का फव्वारा फूट पड़ा और नीचे लेटी हुई उसकी बहन के मुंह पर आकर गिरा...उसके मुंह से होता हुआ उसका रस नीचे लेटी हुई ऋतू के मुंह तक जा पहुंचा...जिसके मुंह जितना आया उन्होंने उसे चाट कर साफ़ कर दिया...
मेरा लंड अभी भी खड़ा था, मैंने सोनी को नीचे उतरा और अन्नू को अपने पास आने को कहा...वो ऋतू के मुंह से उठी और मेरे लंड को पकड़कर मुझे सोफे तक ले गयी और अपनी मोटी गांड उठा कर मुझे बोली...
" डाल दो साब.....पीछे से डालो मेरी चूत में अपना लंड...."
मैंने उसकी बात मानी और ऋतू की द्वारा चाटी गयी चूत , जो काफी गीली हो चुकी थी, में अपना लंड डाला और धक्के मारना शुरू कर दिया....
सोनी मेरे लंड से उतर कर ऋतू के पास गयी और उसके ऊपर 69 वाले पोस में लेट गयी, ऋतू को तो उसकी चूत में से निकलती रसमलाई चाटने में बड़ा मजा आया, सोनी ने भी ऋतू की चूत पर जब मुंह लगाया तो वहां से निकलते मीठे पानी के झरने से अपनी प्यास बुझाने में उसे भी काफी मजा आने लगा...
मैंने अन्नू को गांड के छेद में अपना अंगूठा फंसाया और उसे मसलने लगा, उसे बड़ा मजा आ रहा था चूत में लंड और गांड में अंगूठा लेने में.. "अह्ह्हह्ह ह्ह्ह्हह्ह हाय.....मर गयी......साब.....क्या मारते हो....आआअप.....अह्ह्ह्हह्ह.....हाँ ऐसे ही करो....और जोर से....गांड को मसलो न...साब....चोदो मुझे......."
मैंने उसके कुलहो पर जमे मांस को अपनी उँगलियों से आटे की तरह गूंधना शुरू कर दिया..और लंड को उसकी चूत की दीवारों से पटकना...
जल्दी ही मेरे लंड से रस की बारिश होने लगी और उसकी चूत में से भी रस का बाँध फूट पड़ा, दोनों तरफ से प्रेशर आकर उसकी चूत के अन्दर एक बवंडर सा बनाने लगा और जल्दी ही उस प्रेशर की वजह से उसकी चूत में से रस की पिचकारियाँ बाहर की और रिसने लगी...
"अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह होय्य्य्य.......मार गयी......मैं तो गयी......अह्ह्ह्हह्ह.....साब......मजा आ ..... अआः ........ गया....अह्ह्हह्ह...... ओफ्फ्फ्फफ्फ्फ़.......म्मम्मम्मम......"
और गहरी साँसे लेती हुई उसकी गांड नीचे की और लेंड करने लगी..मेरा लंड पूपप करके उसकी चूत से बाहर निकल आया और उसके पीछे मेरा और उसका रस भी...
ऋतू भी झड चुकी थी , उसका मीठा पानी पीकर सोनी की प्यास भी बुझ गयी ..जल्दी ही सभी लोग सोफे पर एक लाइन में आ बैठे, नंगे और एक दुसरे के शरीर से खेलने लगे...
चुदाई तो हो गयी पर फिर से हम सभी आने वाले कल की चिंता में आकर ये सोचने लगे की कल से ये चुदाई कैसे संभव होगी...
*****
वो तीनो तो ऐसे पेश आ रही थी जैसे आज उनकी जिन्दगी का आखिरी दिन है, कल के बाद उन्हें कुछ नहीं मिलने वाला...बड़ी व्याकुलता दिखाई दे रही थी तीनो के अन्दर..
अन्नू तो मेरे लंड को अपने मुंह में ऐसे चूस रही थी मानो उसे उखाड़कर घर ले जायेगी... सोनी भी अपने पुरे शरीर और खासकर अपने मोटे मुम्मो को मेरे मुंह में डालकर ज्यादा से ज्यादा मजा लेने को तैयार थी..
"अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह बाबु......चुसो इन्हें.....सुबह से आपने देखा भी नहीं...इन्हें....देखो ये दोनों आपके बच्चे नाराज हैं आपसे...नुन्नु और मन्नू....सुबह से बोल रहे हैं...पापा कहाँ है....चुसो अब इन्हें....अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह .......म्मम्मम ओग्ग्ग्ग ओह्ह्हह्ह बाबु.....अह्ह्ह्ह हाआन्न्न.....काटो....खा जाओ....अह्ह्ह....ओग्ग्ग्ग...." उसे कुछ ज्यादा ही लाड आ रहा था मुझपर...अपने मुम्मो को मेरे बच्चे बना डाला..
मैंने भी उन्हें बाप का प्यार देना शुरू कर दिया..मेरा क्या जा रहा था.
ऋतू की तेज और पैनी जीभ ने अन्नू की चूत के अन्दर अपना कमाल दिखाना शुरू कर दिया...
अन्नू मेरे लंड को चूस रही थी पर अपनी चूत पर होते ऋतू की जीभ और दांतों के हमलो से उसकी हालत बड़ी खराब हो रही थी... अंत में उसने मेरा लंड अपने मुंह से निकाल दिया और ऋतू को नीचे लिटाकर उसके मुंह पर अपनी चूत के सहारे जा बैठी...अब ठीक है...
और फिर उसने अपने कुल्हे हिला हिलाकर उसके मुंह और दांतों पर जब अपनी चूत रगडनी शुरू की तो उसकी चीखों से पूरा घर गूँज उठा..
"अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ऋतू..दीदी......क्या चुस्ती हो.......अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह और जोर से चुसो......मेरी चूत.....अह्ह्ह्हह्ह ओफ्फ्फ्फ़ ओफ्फफ्फ्फ़ ओह्ह्हह्ह्ह्ह मर गयी....मम्मी.....अह्ह्हह्ह........क्या कर रही हो.....काटो मत न.....अह्ह्ह्ह......हां यही......यही...चुसो....अऊओफ़ फू फ्फोफोफ्फ़ ओ फफफफ फ्फूफूफ़ ....."
ऋतू के मुंह में शायद उसकी क्लिट आ गयी थी, जिसे चूसकर वो मजे ले रही थी और अन्नू के तो कुत्ते फेल हो गए ....
उसने अपनी चूत को रगड़ने की स्पीड उतनी ही बढ़ा दी उसके मुंह पर......
सोनी की चूत भी बहकर नीचे कीचड़ सा जमा कर रही थी, वो उछल कर मेरी गोद में आ चड़ी और मेरे लंड के ऊपर अपनी चूत को रखकर अपनी टाँगे लपेट दी मेरी कमर पर...
मेरा लंड स्र्रर्र्र्रर्र्र करके उसकी गीली सी चूत के अन्दर जा पहुंचा...
अह्ह्हह्ह्ह्ह बाबु.......चोद डालो मुझे .........सुबह से तड़प रही हूँ...मैं आपके लंड के लिए....अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह म्मम्मम्म क्या लंड है आपका...साब.....अह्ह्हह्ह......जोर से और जोर से...."
मैंने उसके कुल्हे अपने पंजो में दबाये और उसकी चूत में लंड से धक्के मारना शुरू कर दिया....वो भी मेरी गोद में उछल -२ कर बड़े मजे से चुदाई करवा रही थी, उसके उछलने से उसके मोटे मुम्मे मेरे मुंह पर थपेड़े मार रहे थे...मैंने उसके उछलते हुए मुम्मो को अपने मुंह में केच करने की कोशिश की और सफल भी हो गया…
जैसे ही उसका दांया निप्पल मेरे मुंह में अटका उसकी जान ही निकल गयी, मैंने शायद कुछ ज्यादा ही तेज पकड़ लिया था उसके निप्पल को, मैंने जैसे ही उसे छोड़ा, तो पाया की मेरे दांतों की वजह से उसके निप्पल के चारों तरफ निशान सा बन गया है और उसमे से थोडा खून भी निकल रहा है...वो तड़प रही थी...
मैंने उसके निप्पल को मुंह में भरा और उसे चुब्लाना शुरू कर दिया...दर्द होने के बावजूद उसके शरीर में से मजे की तरंगे उठने लगी और वो अपना दर्द भुला कर और तेजी से अपनी चूत को मेरे लंड पर पटकने लगी.... और जल्दी ही उसकी चूत के अन्दर से रस का फव्वारा फूट पड़ा और नीचे लेटी हुई उसकी बहन के मुंह पर आकर गिरा...उसके मुंह से होता हुआ उसका रस नीचे लेटी हुई ऋतू के मुंह तक जा पहुंचा...जिसके मुंह जितना आया उन्होंने उसे चाट कर साफ़ कर दिया...
मेरा लंड अभी भी खड़ा था, मैंने सोनी को नीचे उतरा और अन्नू को अपने पास आने को कहा...वो ऋतू के मुंह से उठी और मेरे लंड को पकड़कर मुझे सोफे तक ले गयी और अपनी मोटी गांड उठा कर मुझे बोली...
" डाल दो साब.....पीछे से डालो मेरी चूत में अपना लंड...."
मैंने उसकी बात मानी और ऋतू की द्वारा चाटी गयी चूत , जो काफी गीली हो चुकी थी, में अपना लंड डाला और धक्के मारना शुरू कर दिया....
सोनी मेरे लंड से उतर कर ऋतू के पास गयी और उसके ऊपर 69 वाले पोस में लेट गयी, ऋतू को तो उसकी चूत में से निकलती रसमलाई चाटने में बड़ा मजा आया, सोनी ने भी ऋतू की चूत पर जब मुंह लगाया तो वहां से निकलते मीठे पानी के झरने से अपनी प्यास बुझाने में उसे भी काफी मजा आने लगा...
मैंने अन्नू को गांड के छेद में अपना अंगूठा फंसाया और उसे मसलने लगा, उसे बड़ा मजा आ रहा था चूत में लंड और गांड में अंगूठा लेने में.. "अह्ह्हह्ह ह्ह्ह्हह्ह हाय.....मर गयी......साब.....क्या मारते हो....आआअप.....अह्ह्ह्हह्ह.....हाँ ऐसे ही करो....और जोर से....गांड को मसलो न...साब....चोदो मुझे......."
मैंने उसके कुलहो पर जमे मांस को अपनी उँगलियों से आटे की तरह गूंधना शुरू कर दिया..और लंड को उसकी चूत की दीवारों से पटकना...
जल्दी ही मेरे लंड से रस की बारिश होने लगी और उसकी चूत में से भी रस का बाँध फूट पड़ा, दोनों तरफ से प्रेशर आकर उसकी चूत के अन्दर एक बवंडर सा बनाने लगा और जल्दी ही उस प्रेशर की वजह से उसकी चूत में से रस की पिचकारियाँ बाहर की और रिसने लगी...
"अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह होय्य्य्य.......मार गयी......मैं तो गयी......अह्ह्ह्हह्ह.....साब......मजा आ ..... अआः ........ गया....अह्ह्हह्ह...... ओफ्फ्फ्फफ्फ्फ़.......म्मम्मम्मम......"
और गहरी साँसे लेती हुई उसकी गांड नीचे की और लेंड करने लगी..मेरा लंड पूपप करके उसकी चूत से बाहर निकल आया और उसके पीछे मेरा और उसका रस भी...
ऋतू भी झड चुकी थी , उसका मीठा पानी पीकर सोनी की प्यास भी बुझ गयी ..जल्दी ही सभी लोग सोफे पर एक लाइन में आ बैठे, नंगे और एक दुसरे के शरीर से खेलने लगे...
चुदाई तो हो गयी पर फिर से हम सभी आने वाले कल की चिंता में आकर ये सोचने लगे की कल से ये चुदाई कैसे संभव होगी...
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