Free Sex Kahani स्पेशल करवाचौथ - Page 9 - SexBaba
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Free Sex Kahani स्पेशल करवाचौथ

अनूप की बात पूरी होते ही बैंक मैनेजर उठा और चला गया जबकि अनूप आज और ज्यादा दुखी हो गया। चारो तरफ से उस पर मुसीबत अा रही थी और ये तो बस एक नीरज ही था जो उसके साथ खड़ा हुआ था।

" चारो तरफ से मुसीबत से घिरे हुए अनूप ने आख़िरकार बहुत सोच समझ कर फैसला लिया कि वो अब वो रूबी को तमीज सिखाने के लिए नीरज की हर संभव मदद लेगा। काश उसे पता होता कि जिस नीरज पर वो भरोसा कर रहा हैं दर असल वही उसकी सभी समस्याओं कर लिए जिम्मेदार हैं। अनूप ने नीरज को कॉल किया और बोला:"

" नमस्कार नीरज भाई, कैसे हैं आप ?

नीरज: ठीक हू अनूप, काम कब से शुरू कर रहे हो तुम ?

अनूप:" बस देखो आज एक सब कुछ अच्छे से देख कर कल से काम शुरू कर दूंगा।

नीरज:" बहुत अच्छा, अपनी तरफ से कोई कमी मत छोड़ना, सारा सामान एक दम अच्छी क्वॉलिटी का होना चाहिए।

अनूप:" आप उसकी फिक्र मत कीजिए, बस आपसे एक मदद चाहिए थी मुझे ?

नीरज:" हान बोलो अनूप ? क्या मदद चहिए ?

अनूप हल्का सा धीमी आवाज में बोला:" कुछ पैसे चाहिए थे ताकि टेंडर का काम शुरू हो सके।

अनूप जी बात सुनते ही नीरज के होंठो पर मुस्कान अा गई और समझ गया कि अब अनूप के साथ असली खेल खेलने का समय अा गया है इसलिए बोला:"

" भाई पैसे के लिए तो मैंने कभी तुम्हे मना ही नहीं किया हैं, बस तुम्हीं मेरा काम नहीं कर पाते हो यार !

अपने आखिरी शब्द नीरज ने थोड़े शिकायती लहजे में कहे थे तो अनूप अपने आप ही शर्मिंदा होकर धीमे से बोला:"

" भाई बस और शर्मिंदा मत करो मुझे, टेंडर खत्म होने के बाद सबसे पहले मैं रूबी के घमंड को तोड़ दूंगा। बस आप मुझे कुछ दिन की मोहलत और दे दो। हान अगर वो सके तो करीब 15 लाख रुपए भी ताकि काम शुरू कर सके।

नीरज:" ठीक हैं अनूप, मुझे तुझ पर पूरा यकीन है, अपना आदमी भेज देना, पैसा घर से मिल जाएगा आज ही।

अनूप की आंखे खुशी से चमक उठी और बोली:"

" नीरज भाई मै तुम्हारा एहसान कभी नहीं भूल सकता, आपका ये एहसान मैं जान देकर भी चुकाऊंगा।

नीरज:" अनूप मुझे जान नहीं कुछ और चाहिए और क्या चाहिए ये तुम बहुत अच्छे से जानते हो। अच्छा ठीक हैं तुम आदमी भेजो और काम शुरू करो , मुझे कहीं जाना है।

अनूप:" जी नीरज भाई, मैं भेजता हू करीब 30 मिनट में आपके पास पहुंच जाएगा।

इतना कहकर अनूप ने फोन काट दिया और अपने एक खास आदमी को पैसे लेने के लिए भेज दिया। करीब एक घंटे बाद पैसा अा चुका था और अनूप अपने काम में लग गया।

प्रिया जैसे ही साहिल के घर से निकली तो सीधे नीरज के घर पहुंच गई। नीरज उसे देखते ही खुशी के साथ हैरान हुआ और बोला:"

:" प्रिया आओ कहां रह गई थी तुम? ना कोई फोन ना कॉल ? तुम यहां अाई थी मैंने तुम्हारे कपड़े देखे लेकिन फिर कहां चली गई थी तुम ?

प्रिया समझ गई कि नीरज जरुरत से कुछ ज्यादा ही तेज हैं और इसकी नजरो से कुछ भी छुपे रहना बहुत मुश्किल हैं इसलिए उसने सब कुछ सच बताने का फैसला किया ताकि कम से कम किसी एक के साथ तो ईमानदारी से खड़ी रह सके और बोली

" मैं जान बचाकर भाग आई थी लेकिन वो कमीना अनूप मुझे शाम को फिर से उठाकर ले गया। मैं फस गई है सर और अब उसने मुझे पैसे का लालच देकर आपके पास भेजा हैं और कमीने ने अपने बेटे से कहकर मेरी वीडियो भी बना ली हैं ताकि मैं उसके हिसाब से काम करती रहूं। लेकिन मैं जान दे दूंगी पर आपको धोखा नहीं से सकती।
 
नीरज के दिमाग में धमाका सा हुआ और बोला:"

" क्या तुम सच बोल रही हो ? क्या सच में अनूप ये अंदर इतनी हिम्मत हैं कि वो तुम्हे यहां से उठा कर ले गया ? तुम झूठ तो नहीं बोल रही हो ना कुछ ?

प्रिया नीरज की आंखो में देखते हुए बोली:" नहीं सर, मैं बिल्कुल सच बोल रही हूं, सच में अनूप ही यहां आया था और मुझे घर पर कोई नहीं था तो उसने धोखे से मुझे बेहोश किया और और गाड़ी में छुपाकर ले गया।

नीरज को प्रिया के उपर यकीन नहीं हो रहा था क्योंकि वो अनूप को अच्छे से जानता था और उसके जैसा फत्तू आदमी ये काम कभी नहीं कर सकता इसलिए बोला:"

" अच्छा के बात बताओ प्रिया अनूप किस टाइम तुम्हे उठा कर ले गया ?

प्रिया:" यही करीब रात को 8: 30 के आस पास आया था वो।

नीरज की आंखे में चिंगारी सी उठी और वो सोच में पड़ गया कि आठ बजे ही तो वो दोनो साथ में निकले थे इसका मतलब अनूप जैसा दिख रहा है वैसा हैं नहीं, हो ना हो ये अनूप मेरे साथ जरूर कोई बड़ा खेल खेल रहा है। मुझे लग रहा था कि वो मेरे इशारों पर नाच रहा है जबकि आज समझ आया कि मैं उसके इशारे पर नाच रहा हूं। अब दिखाता हू इस कमीने को मैं चीज क्या हूं। नीरज प्रिया की तरफ देखते हुए बोला:"

" प्रिया तुमने अच्छा किया जो सब कुछ मुझे सच सच बता दिया, ध्यान रखना अगर तुमने कभी भी मुझे धोखा दिया तो तुम्हे जिंदा नहीं छोडूंगा।

प्रिया के पल के लिए सहम सी गई और बोली:"

" सर मैं हर तरह से आपके साथ हू, मर जाऊंगी मगर आपको धोखा नहीं दूंगी, आपके कितने एहसान हैं मुझ पर ये मैं अच्छे से जानती हूं। लेकिन सर कुछ भी करके मेरी वीडियो हासिल करनी होगी साहिल से ताकि मेरी ज़िन्दगी खराब ना हो।

नीरज:" वो तुम सब मुझ पर छोड़ दो, मैं तुम्हारा कुछ भी बुरा नहीं होने दूंगा। आओ चलो पहले खाना खाते हैं।

नीरज और प्रिया दोनो खाने की टेबल पर बैठ गए और साथ में खाना खाने लगे। खाना खाते हुए ही नीरज बोला:"

" अच्छा एक बात तो बताओ प्रिया डार्लिंग मुझे कि अनूप ने तुम्हे क्या पता करने के लिए यहां भेजा हैं ?

प्रिया:" वो ये जानना चाहता है कि आप क्यों उनके पीछे पड़े हुए हो और क्यों उसकी वाइफ को हासिल करना चाहते हो ?

नीरज की आंखे हल्की सी आश्चर्य से फैल गई और बोला:"

" क्या तुझे ठीक से याद है कि ये बात अनूप ने बोली ?

प्रिया:" नहीं मुझसे ये सब साहिल ने पूछा, अनूप ती बस मुझे उठा कर ले गया था और उसके बाद मुझे नहीं मिला घर पर।

नीरज:" ओके, इसका मतलब साफ है कि बाप बेटा दोनो मिले हुए हैं और अनूप जितना मैं सोच रहा था उससे कहीं ज्यादा तेज निकला।

प्रिया:" क्या हुआ सर ? आप क्या सोच रहे थे और अनूप क्या निकला ?

नीरज स्माइल के साथ प्रिया की तरफ देखते हुए बोला:"

" थोड़ा धीरज रखो, ऐसी भी क्या जल्दी हैं तुम्हे सब कुछ जान लेने की प्रिया !

प्रिया एक पल के लिए कांप उठी और फिर खुद को संभाल लिया और बोली:"

" मुझे कोई जल्दी नहीं है सर और मुझे तो जानने की भी कोई जरूरत नहीं है लेकिन आप पर्शब लग रहे थे तो सोचा शायद मै कुछ मदद कर सकू।

नीरज:" मदद तो मेरी अब सिर्फ तुम ही कर सकती है प्रिया, बस पहले फुर्ती से खाना खा लेते हैं।

ये बात नीरज ने प्रिया की चुचियों के उभार की तरफ देखते हुए कही तो प्रिया भी मुस्कुरा उठी और थोड़ी देर बाद ही दोनो बेड पर थे और कमरे में प्रिया की मस्ती भरी सिसकारियां गूंज रही थी। नीरज आज कोई कसर नहीं छोड़ रहा था और प्रिया उसे पूरा सहयोग दे रही थी। जल्दी ही दोनो झड़ गए और एक दूसरे से चिपक कर सो गए।

वहीं दूसरी तरफ रूबी अपने घर पहुंच गई और साहिल ने एक स्माइल के साथ अपनी मा का स्वागत किया तो रूबी भी स्माइल देते हुए बोली:"

" बेटा प्रिया ने कुछ बताया क्या ?

साहिल: मम्मी प्रिया ने कुछ नहीं बताया और मैंने उसे छोड़ दिया।

रूबी के चेहरे पर घोर हैरानी के भाव उभरे और बोली:"

" क्या क्या तुम सच बोल रहे हो साहिल ! तुम उसे कैसे छोड़ सकते हो बेटा ? ।

साहिल ने उसके बाद रूबी को सारी बाते बताई और बोला:".

" आप अब उसकी चिंता मत कीजिए, प्रिया वहीं करेगी जो मैं चाहूंगा मम्मी।

रूबी थोड़ी चिंतित होते हुए बोली:" बात तो चिंता की ही हैं बेटा, मान लो अगर उसने हमारा ही साथ दिया और वो फस गई तो हम शांता को क्या कहेगी क्योंकि कैसी भी हो वो उसकी सगी बेटी हैं और वर्षों के बाद मिली है।

साहिल:" ओह प्रिया शांता की बेटी नहीं हैं लेकिन सच ये भी है कि उसने बताया कि उसके मा बाप का भी उसे नहीं पता हैं।

रूबी:" इसका मतलब साफ है बेटा वो जरूर शांता की ही बेटी है, खैर अब जो भी होगा देखा जायेगा। सुन मुझे दिल्ली से कॉल अाया था और वो चाहते हैं कि मैं शनिवार और रविवार उनके सेन्टर में ट्रेनिंग दू, अच्छा पैसा और बंगला भी देने के लिए बोल रहे हैं।बताओ क्या करना चाहिए ?

साहिल हल्की सी मजाक करते हुए बोला:" क्या मम्मी आप अपने पति से पूछिए आपको क्या करना चाहिए ?

रूबी:" मैं नहीं जानती उसे, मेरे लिए तो वो कब जा मर चुका है और अब सब कुछ तुम्हीं हो समझे तुम।

साहिल हल्का सा हैरान होते हुए बोला:" ठीक हैं मम्मी, आपको मेरे हिसाब से तो जाना चाहिए लेकिन पहले ये नीरज वाला लफड़ा खत्म हो जाए तो ठीक रहेगा। कहीं ऐसा ना हो कि दिल्ली में भी मुश्किल आने लगे।

रूबी की साहिल की बात सही लगी और खाना लगाने लगी। जल्दी ही दोनो मा बेटे खाना खा चुके तो रूबी का मोबाइल बज उठा। रूबी ने देखा कि मॉडर्न जिम एंड योगा सेंटर के ड्राइवर का कॉल था।

संजीत:" मैडम मैं आपके लिए गाड़ी लेकर अा गया हूं। आप क्या प्लीज़ बाहर आएगी ?

रूबी:" बस अभी अाई आप अंदर अा जाए घर में। मैं अा रही हूं।

इतना कहकर रूबी ने फोन काट दिया और साहिल को अपने पीछे आने का इशारा करके बाहर की तरफ चल पड़ी। साहिल पूरी तरह से बिल्कुल हल्का भक्का रूबी के पीछे पीछे चल पडा जिसमे मन ने इस समय सैकड़ों सवाल उठ रहे थे कि आखिर ये हो क्या रहा है !!
रूबी और साहिल बाहर अा गए और तब तक संजीत गाड़ी लेकर घर के अंदर प्रवेश कर चुका था। रूबी को देखते ही उसने सिर झुका कर प्रणाम किया और बोला :"

" मैडम आशा जी ने आपके लिए ये गाड़ी गिफ्ट में दी है और आपके कहे अनुसार सारे डॉक्यूमेंट आपके बेटे साहिल के नाम पर बन गए हैं।

इतना कहकर संजीत ने गाड़ी में से एक फाइल निकाली और कार की चाबी के साथ साथ फाइल को रूबी की तरफ बढ़ा दिया तो रूबी स्माइल करते हुए बोली:"

" अरे भाई संजीत जी मुझे नहीं बल्कि आप गाड़ी के असली हकदार साहिल को ये ये चाभी और फाइल दीजिए।

संजीत ने एक स्माइल के साथ फाइल और चाभी को साहिल जी की तरफ बढ़ा दिया तो साहिल ने अंदर ही अंदर खुश होते हुए रूबी की तरफ देखा तो रूबी ने उसे प्यारी सी स्माइल करते हुए इशारे से चाभी लेने को कहा तो साहिल ने खुशी खुशी चाभी को हाथ में पकड़ लिया और संजीत की तरफ देखते हुए बोला:'

" धन्यवाद जी, क्या आप मेरा एक काम करेंगे प्लीज़ ?

संजीत:" जी जरूर साहब, कहिये आप किस काम अा सकता हूं ?

साहिल ने अपनी जेब से मोबाइल निकाला और संजीत की तरफ बढ़ाते हुए बोला:"

" दर असल मैं ये चाभी अपनी मां के हाथ से लेना चाहता हूं और इस पल को यादगार बनाने के लिए आप एक फोटो लीजिए अच्छी सी।

इतना कहकर साहिल ने चाभी को अपनी मा ये हाथ में थमा दिया तो रूबी ने कैमरे की तरफ देखते हुए चाभी साहिल के हाथ में थमा दी और संजीत ने अपना काम करते हुए फोटो क्लिक कर दिया।

संजीत:" अच्छा मैडम मुझे इजाज़त दीजिए आप, मुझे जाना होगा ।

रूबी:" ऐसे कैसे चले जाओगे तुम ? खाना खाने के बाद ही जाना होगा ।

संजीत:" मैडम समझिये प्लीज आप नहीं तो मुझे लेट हो जायेगा, आप तो समझ सकती हैं मुझ पर कितना बोझ है अभी काम का।

रूबी ने फिर कुछ नहीं कहा और स्माइल करते हुए संजीत को जाने की इजाज़त दे दी। संजीत बिना देर किए बाहर चौक से बस पकड़कर दिल्ली की तरफ रवाना हो गया।

वहीं साहिल को तो जैसे आप मुंह मांगी मुराद मिल गई थी। उसने स्विफ्ट वापिस करी तो आज उसे होंडा सिटी कार मिल गई। वो खुशी के मारे रूबी के हाथ पकड़ा और कार का दरवाजा खोल कर अंदर घुस गया।

अंदर घुसते ही उसने रूबी के मुंह पर किस की बरसात सी कर दी और रूबी बस आंखे बंद करके स्माइल करे जा रही थी और साहिल दीवानों की तरह उसका मुंह चूमता जा रहा था।

रूबी:" बस कर बेटा उफ्फ साहिल, और कितना प्यार करेगा मुझे बेटा ?

साहिल उसके चेहरे को हाथ से थामकर चूमते हुए बोला:"

" ओह मम्मी, मैं बता नहीं सकता कि आज में कितना खुश हूं, सच में आप दुनिया की सबसे प्यारी मम्मी है।

इतना कहकर साहिल ने जोर से रूबी के गाल को चूम लिया और इससे पहले कि रूबी कछ बोलती साहिल गाड़ी को स्टार्ट करके शहर की तरफ घुमा चुका था।
 
" ओह मम्मी, मैं बता नहीं सकता कि आज में कितना खुश हूं, सच में आप दुनिया की सबसे प्यारी मम्मी है।

इतना कहकर साहिल ने जोर से रूबी के गाल को चूम लिया और इससे पहले कि रूबी कछ बोलती साहिल गाड़ी को स्टार्ट करके शहर की तरफ घुमा चुका था।

गाड़ी अपनी रफ़्तार से दौड़ रही थी और साहिल रेस पर रेस दिए जा रहा था। गाड़ी अब करीब 120 किमी की स्पीड से चल रही थी और रूबी बार बार साहिल को गाड़ी की स्पीड कम करने की हिदायत दे रही थी लेकिन साहिल तो आज जैसे सातवे आसमान पर था। वो ऐसे दर्शा रहा था मानो किसी छोटे बच्चे को उसका मन पसंद खिलौना मिल गया था।

रूबी कांपते हुए बोली:"

" बस करो बेटा, स्पीड कम करो कहीं ऐसा ना हो जाए कि तुम सन्तुलन खो दो।

साहिल ने खाली सड़क की तरफ देखा और फिर रूबी की तरफ देखते हुए स्माइल के साथ बोला:"

" ओह मम्मी आप फिक्र ना करे, आपका बेटा बिना संतुलन खोए इससे भी तेज गाड़ी चला सकता हैं मम्मी।

तभी सामने से एक तेज रफ्तार ट्रक पता नहीं कहां से मुड़कर सीधे सड़क पर आया और रूबी के साथ साथ साहिल की चींखं निकल गई। साहिल ने होश संभालते हुए गाड़ी के ब्रेक लगाए और गाड़ी का स्टेयरिंग पूरा दूसरी दाई दिशा में काट दिया। गाड़ी एक धनुष की तरह मुड़ती चली गई और शायद उन दोनों की किस्मत अच्छी थी सामने से कोई दूसरी गाड़ी नहीं अा रही थी। साहिल ने जैसे तैसे करके गाड़ी को कंट्रोल किया और रूबी की तरफ देखा तो उसकी मम्मी की तो कब की बेहोश हो गई थी डर के मारे।

गाड़ी अब पूरी तरह से रुक गई थी और साहिल ने रूबी को आवाज लगाई:"

" मम्मी मम्मी आंखे खोलिए ना आप प्लीज़, सब ठीक हैं देखिये तो एक बार ।

रूबी की आंखे नहीं खुली तो साहिल ने एक बॉटल में पानी लेकर अच्छा सा छींटा रूबी के मुंह पर मारा तो उसने कुनमुनाते हुए आंखे खोल दी। रूबी को जैसे ही सब कुछ याद आया तो वो साहिल से लिपट गई और उसका मुंह चूमने लगी। साहिल ने अभी अपनी मम्मी को गले लगा लिया और रूबी काफी देर तक प्रेम पूर्वक उससे चिपकी रही।

साहिल अपनी मम्मी की बंद आंखो वाले खूबसूरत चेहरे को प्रेम पूर्वक देखता रहा और धीरे धीरे रूबी ने साहिल को देखा और उसका फिर से माथा चूम कर बोली:"

" बेटा अगर तुझे कुछ हो जाता तो मैं कहीं की भी रहती, कसम खाओ आज के बाद तुम तेज गाड़ी नहीं चलोगे।

साहिल ने तत्काल अपने दोनो कान पकड़े और स्माइल करते हुए बोला:"

" मम्मी कसम, आज के बाद आपका बेटा कभी तेज गाड़ी नहीं चलाएगा, अब तो खुश हो ना।

रूबी ने स्माइल दी और बोली:"

" अच्छा अब घर की तरफ चले अगर तुम्हारा मन हो तो ?

साहिल:" ठीक हैं मम्मी, जैसे आपको ठीक लगे, वैसे भी हल्का हल्का अंधेरा हो रहा है तो घर जाना ही ठीक होगा।

इसके बाद साहिल ने गाड़ी वापिस घर की तरफ घुमा दी और दोनो मा बेटे थोड़ी देर बाद ही घर पहुंच गए। अनूप घर अा चुका था और साहिल और रूबी को नई गाड़ी से निकलते हुए देख कर हैरान हुआ और बोला:"

" किसकी गाड़ी मांग लाए हो साहिल बेटा ?

साहिल बुरा सा मुंह बनाकर घूरते हुए बोला:"

" मांग कर नहीं लाया, मैं आपकी
तरह खैरात नहीं लेता, मम्मी को मॉडर्न जिम एंड योगा सेंटर वालो ने गिफ्ट करी हैं।

साहिल का जवाब सुनकर अनूप की बोलती बंद हो गई और रूबी अंदर ही अंदर खुश हुई कि अब साहिल अपने बाप की हरकतों का खुलकर विरोध कर रहा हैं।

अनूप:" अच्छा ठीक हैं, मुझे टेंडर मिल गया हैं और उसके काम के लिए मुझे एक दिन के लिए दिल्ली जाना पड़ रहा है। मैं थोड़ी देर बाद निकल जाऊंगा। तुम दोनो अपना ख्याल रखना।

रूबी:" जाओ, और जब मन करे तब आना, मेरा ख्याल रखने के लिए साहिल हैं।

अनूप को गुस्सा तो बहुत आया लेकिन अपने पैर पटकते हुए अंदर घुस गया और पीछे पीछे ही साहिल और रूबी भी अा गए। साहिल नहाने के लिए घुस गया और अनूप अपना बैग उठाकर बाहर निकल गया। ना उसने रूबी से कुछ बोला और ना ही रूबी ने उससे कुछ बात करना जरूरी समझा।

रूबी भी नहा धोकर खाना बनाने लगी और शांता अा गई थी और उसकी मदद कर रही थी। साहिल अपने कमरे में बैठा हुआ था तभी प्रिया का कॉल आया और बोली:"

" साहिल सर एक जरूरी बात, नीरज को मेरे ऊपर शक हो गया था इसलिए उसको सब बताना कि किस तरह आपने मुझे वीडियो बनाकर यहां भेजा ताकि वो आगे मुझ पर शक ना करे।

साहिल के दिमाग में खतरे कि घंटी बज उठी और बोला:"

" ओह प्रिया कहीं तुम चाहो तो रहने दो और अपनी वीडियो ले जाओ, कहीं तुम फस मत जाना इस कई में।

प्रिया:" सर जो होगा देखा जायेगा लेकिन अब मैं पीछे नहीं हट सकती उससे।

प्रिया की बात सुनते ही उसके सामने बैठे हुए नीरज में होंठो पर स्माइल तैर गई तो प्रिया आगे बोली:"

" साहिल सर आप चिन्ता ना करे, मैंने आपकी नमक खाया हैं तू नमक हरामि नहीं कर सकती। मैं जल्दी ही आपको सब बता दूंगी बस उसके बाद आप सब देख लेना।

साहिल:" मैं तो तुम्हे मना ही करूंगा, फिर भी अगर तुम नहीं मानती तो बहुत सावधानी से करना सब कुछ।

प्रिया ने नीरज का हाथ अपने हाथ में लिया और हल्का सा दबाते हुए उसकी तरफ स्माइल करते हुए बोली

" आप निश्चिन्त रहे सर, मैं बिल्कुल सावधानी से करूंगी सब कुछ एकदम। अच्छा ठीक हैं कोई अा रहा है बाद मैं करती हूं ।

प्रिया का फोन कटने के बाद साहिल सोच में पड़ गया कि कहीं उसने प्रिया को ख़तरे में तो नहीं डाल दिया है।

खाना बन गया था और तीनो बैठे हुए खाना खा रहे थे। साहिल के मन में प्रिया को लेकर बहुत सारे सवाल उठ रहे थे जिनकी एहसास उसके चेहरे से साफ झलक रहा रहा और रूबी सब समझ रही थी लेकिन शांता की वजह से खामोश थी और चुपचाप खाना खाए जा रही थी ।

शांता:" रूबी मेरी बेटी प्रिया का कुछ पता चला क्या ?

रूबी ने एक बार साहिल की तरफ देखा और बोली:"

" नहीं मा जी लेकिन मैं और साहिल दोनो आपकी बेटी को एक दिन धुंध कर ही दम लेंगे आप अब उसकी चिंता छोड़ दीजिए ये काम हमारा हैं।

शांता एक गहरी सांस लेते हुए बोली:" कहीं ऐसा ना हो वो एक दिन मेरी मौत के बाद आए और मैं अपनी बेटी से जी भर कर बात भी ना कर सकू।

साहिल:" अम्मा आप उल्टी बात मत कीजिए, धीरज रखो सब ठीक हो जाएगा।

शांता चुप हो गई और खाना खाने लगी। थोड़ी देर बाद ही सभी लोग खाना खा चुके तो शांता बर्तन उठाकर धोने के लिए चल दी तो रूबी बोली:"

" बस कीजिए मा आप, अब आप जाकर आराम कीजिए, मैं खुद बर्तन धो लूंगी।

शांता ने कोशिश तो बहुत करी लेकिन रूबी के आगे उसकी एक ना चली और आखिरकार वो बाहर बने अपने कमरे में चली गई। रूबी ने एक नजर साहिल की तरफ देखा और उसे स्माइल दी और बर्तन उठाकर धोने चली गई। साहिल प्रिया के बारे में सोच ही रहा था कि उसका मोबाइल बज उठा। आरव का फोन था तो उसने उठाया।

साहिल:" हान भाई कैसे हो तुम ?

आरव बहुत मस्ती भरी आवाज में बोला:" जन्नत में हूं भाई, मजा आ गया ज़िन्दगी का, जिस रेखा भाभी के सपने देखता था आखिरकार आज उसे पा ही लिया मैने।
 
आरव की बातो की मादकता से साहिल साफ महसूस कर चुका था कि आरव सच में कुछ बड़ा कर चुका था इसलिए उसके सारे जिस्म में सनसनी सी दौड़ गई। साहिल ने नीचे बात करना ठीक नहीं समझा इसलिए उपर छत पर अा गया और बोला:"

" हान भाई अब बताई क्या हुआ सब कुछ ?

आरव:" होना क्या था भाई भाई आज मैं ट्यूशन पढ़ाने के बहाने से गया तो पता चला कि दिन में उसकी सिस्टर अाई थी और उसके बेटे को अपने साथ ले गई।

साहिल:" ओह इसका मतलब घर में तुम दोनों अकेले ही रह गए थे , फिर आगे क्या हुआ ?

बोलते हुए साहिल की आवाज हल्की भारी हो गई थी और जिस्म में हलचल सी मचने लगी थी।

आरव:" जब उसने मुझे बताया तो मैं वापिस आने लगा तो बोली कि अरे आज बेटा नहीं हैं तो उसकी मा को ही पढ़ा दो तुम, मैंने पलट कर उसकी तरफ देखा तो वो दोनो कोहनियां बेड पर टिकाए हुए मेरी तरफ देख रही थी और उसकी चूचियां बाहर निकलने को तड़प रही थी।

साहिल:" अच्छा जी फिर तो तेरे तो मजे हो गए होंगे, तूने तो अच्छा मौका मिल गया।

आरव:' भाई मै बिना कुछ सोचे सीधे उनके पास जाकर बैठ गया और उनके उभार को देखने लगा तो भाभी का चेहरा खिल उठा। मैंने पूछा भाभी क्या पढ़ोगे आप ? आप तो मुझसे बड़ी हो सब कुछ जानती हो।

फिर भाभी बोली अरे आज कल के लड़के बहुत कुछ नया सीख गए हैं बस वही सब कुछ तुमसे सीखना हैं मुझे अच्छा तुम बैठो मैं तुम्हारे लिए दूध लेकर आती हूं फिर पढ़ाई शुरू करते हैं। इतना कहकर भाभी रसोई में जाने लगी। उफ्फ कितने कामुक तरीके से अपनी गांड़ को मटका रही थी।
मेरा तो हाल खराब हो गया था भाई।

साहिल के हाथ अपने आप लंड पर पहुंच गए और हल्का अा सहलाते हुए बोला:"

" बोल ना भाई जल्दी बोल आगे क्या हुआ फिर ?

आरव:" अच्छा जी इतनी बेताबी लगता हैं तेरा शेर भी दहाड़ मारने लगा हैं, क्यूं बेटा ठीक कह रहा ना मैं ?

साहिल:" फालतू की बात मत कर , जब तुझे सब पता हैं तो आगे बता ना क्या हुआ फिर ?

वहीं दूसरी तरफ रूबी बर्तन साफ कर चुकी थी और आज दिन में हुई घटनाओं के बारे में सोच रही थी। साहिल के चेहरे पर गाड़ी मिलने की खुशी और जिस तरह से साहिल अपने बाप का खुलकर विरोध कर रहा था उससे एक बात तो साफ जाहिर हो गई थी कि साहिल अब पूरी तरह से उसके साथ हैं। रूबी ने खाना खाते हुए साहिल को कुछ परेशान देखा था इसलिए वो जानना चाहती थी कि आखिर क्या हुआ हैं साहिल को , इसलिए उसने साहिल को उसके कमरे में देखा तो वो नहीं दिखाई दिया और जैसे ही वो अपने कमरे में अाई तो उसकी नजर विटामिन सिरप पर पड़ी तो उसने बॉटल को उठाया और पीने के लिए मुंह खोला तो कमरे में दौड़ता हुआ एक चूहा उसके पैर पर से उतर गया और रूबी के मुंह से मुंह से डर के मारे एक आह निकल पड़ी और हाथ कांप गए और बॉटल उसके मुंह में पड़ती चली गई।

रूबी ने चूहा देखा तो उसे होश आया लेकिन जब तक उसका मुंह सिरप से पूरा भर गया था और मजबुरी में उसे सारा सिरप पीना पड़ा जो करीब चार से पांच चम्मच था।

सिरप पीने के बाद रूबी ने उसे वापिस रखा और बाहर रखा वाइपर उठाकर चूहे हो बेड के नीचे ढूंढने लगी। चूहा सामान के पीछे छुप गया था और रूबी ने जैसे तैसे करके उसे बाहर निकाला और जैसे ही चूहा बाहर निकला तो रूबी ने उस पर हमला किया लेकिन चूहा बाहर की तरफ दौड़ गया और रूबी पीछे पीछे लेकिन चूहा हाथ नहीं आया। थक हार कर रूबी ने कमरे में आकर सारा सामान फिर से बेड के अंदर लगाया और एसी में बैठ कर पसीना सुखाने लगी।

वो साहिल को कुछ मिनट के लिए चूहे के चक्कर में भूल ही गई थी। अपने बेटे की याद आते ही रूबी के कदम अपने आप उपर छत की तरफ बढ़ गए। रूबी जैसे ही छत पर पहुंचने वाली थी तो उसके कानों में साहिल की आवाज पड़ी।

" अरे आरव बता भी भाई अब आगे क्या हुआ फिर जब रेखा भाई रसोई से दूध वापिस लेकर अाई ?

रूबी के पैरो को अपने आप ब्रेक लग गया और वो वहीं कौतूहलवश खड़ी होकर उसकी बाते सुनने लगी। साहिल छत पर सीधी के पास जी रखी हुई टंकी के पीछे खड़ा हुआ था इसलिए रूबी को उसकी आवाज साफ सुनाई दे रही थी।

आरव:" होना क्या था भाई वो फिर उसी अदा के साथ मतकटी हुई अाई और पूरी झुकते हुए बोली:"

" लो आरव दूध पियो तुम ?

भाई सच में उसकी चूचियां आधे से ज्यादा बाहर छलक उठी और मुझे समझ नहीं आया कि कौन सा दूध पीने के लिए बोल रही हैं ,

साहिल की आवाज अब पूरी तरह से मस्ती में डूब गई थी और बोला:" फिर तेरे तो मजे हो गए होंगे भाई हाथ में दूध का ग्लास लिए चूची दिखाती हुई भाभी, उफ्फ फिर आगे क्या हुआ भाई ?

रूबी अपने बेटे के मुंह से चूची और उत्तेजक बाते सुनकर हैरान हो गई और और उसके दिमाग को झ्टका सा लगा। वो ये तो देख चुकी थी कि उसका बेटा जवान हो गया हैं लेकिन ऐसी बाते भी करता है उसे आज पता चला।

आरव:" होना क्या था भाई मैं उसकी चूचियों को देखते हुए दूध पीने लगा और भाभी बिल्कुल मुझसे सटकर बैठ गई। मैंने जैसे ही दूध का ग्लास रखा तो भाभी अपनी पीठ खुजाते हुई बोली:"

" आह आरव लगता हैं मेरे सूट में कुछ घुस गया हैं।

इतना कहकर उसने देखते ही देखते अपना सूट उतार दिया और मैं उसकी कमर और चूचियों को देखने लगा जो ब्रा में कसी हुई थी।

साहिल:" आह भाई, भाभी ने सूट उतार दिया, तेरी तो किसमत खुल गई होगी, ब्रा में चूची देखकर।

साहिल के मुंह से इतनी मस्ती भरी बाते सुनकर रूबी दबे पांव आगे बढ़ने लगी और साहिल की आंखे अभी मस्ती से बंद हो गई थी। रूबी आराम से अब टंकी के दूसरी तरफ खड़ी हुई साहिल पर नजर टिका दी और देखा कि वो धीरे धीरे अपने लंड के उभार को सहला रहा था। साहिल के कान से लगकर कब फोन का स्पीकर खुल गया उसे पता ही नहीं चला।

आरव की आवाज उभरी:" हान भाई मै तो उनकी ब्रा में कैद चूचियों को देखकर मस्त हो गया। उफ्फ क्या नजारा था बिल्कुल गोल गोल चूचियां। भाभी पलट गई और बोली:"

" आह आरव देख ना मेरी पीठ पर कुछ हैं क्या,

मैं उनकी नंगी चिकनी पीठ को देखने लगा लेकिन पीठ पर तो कुछ भी नहीं था। मै समझ गया कि भाभी मुझे आगे बढ़ने के लिए उकसा रही है तो फिर मैंने थोड़ा उनके पास होते हुए अपनी सांसे उनकी गर्दन पर छोड़ते हुए बोला

" दिख तो कुछ नहीं रहा हैं भाभी ? कोई कीड़ा नहीं हैं।

अपनी गर्दन पर सांसे पड़ते ही भाभी गरम हो गई और बोली:"

" आह आरव लगता है ब्रा के नीचे घुस गया है, तू एक काम कर इसे खोलकर चैक कर, कहीं स्ट्रिप के नीचे ना छुप गया हो।

साहिल:" हाय आरव तेरी किस्मत साले, फिर बता ना आगे क्या हुआ ? भाई तूने हो आग लगा दी हैं मेरे अंदर।

इतनी सेक्सी बाते सुनकर रूबी के जिस्म में भी उबाल आने लगा और अब सिरप भी अपना असर दिखा रही थी। रूबी की सांसे तेज हो गई और आंखे लाल होने लगी। रूबी ने अपनी कोहनी को वहीं टंकी पर धीरे से टिका दिया और अपने सूख चुके होंठो पर जीभ फेरते हुए उनकी बाते सुनने लगीं।

आरव:" भाई मैंने कांपते हाथो से उनकी कमर को छुआ तो भाभी अपने आप थोड़ा सा पीछे हट गई और उसके मुंह से एक आह निकल पड़ी और बोली कुछ कर ना आरव ये कीड़ा मुझे बहुत परेशान कर रहा हैं। मेरा लन्ड अब तक खड़ा हो चुका था और वो भाभी की गांड़ से जा लगा। उफ्फ भाई मैंने धीरे से उनकी ब्रा के हुक को खोल दिया और भाभी बिल्कुल एकदम मुझसे सट गई और उनकी नंगी कमर मेरे सीने से अा लगी। भाभी बोली क्या हुआ मिला क्या कुछ आरव ?

मैं अब बेकाबू हो रहा था लेकिन सीधे हाथ डालने की हिम्मत नहीं थी इसलिए बोला:" भाभी कुछ भी नहीं हैं। लगता हैं गिर गया होगा नीचे। भाभी की दोनो चूचियां नंगी हो गई थी जिनपर वो हाथ फेर रही थी और मै उनके पीछे खड़ा हुआ ये सब देख रहा था। भाभी बोली अच्छा हुआ गिर गया नहीं तो आज तो मेरी जान ही ले लेता ये कीड़ा।

मैं भाभी कि चूचियों को देखकर अपने होश खो बैठा और मेरे दोनो हाथ उनके कंधे पर घूमने लगे तो भाभी के मुंह से मस्ती भरी आह निकल पड़ी और उसने अपना एक हाथ पीछे लाते हुए मेरी जांघ पर टिका दिया तो मेरी हिम्मत बढ़ गई और मैंने अपने होंठ उनकी गर्दन पर टिका दिए।
भाभी की आंखे मस्ती से बंद हो गई और उसने अपने हाथ को सीधे मेरे लंड के उभार पर टिका दिया तो मेरा भी धैर्य जवाब दे गया और मैंने हाथ आगे बढाया और उनकी दोनो चुचियों पर टिका दिया तो भाभी ने मेरे लंड को जोर से दबा दिया और मैंने उसकी चूचियों को मसल दिया तो भाभी पलट गई और अपने होंठ मेरे होंठो पर टिका दिए और चूसने लगी।

साहिल ने अपने लंड को बाहर निकाल लिया और उसका लंड हवा में लहरा उठा जिसे देखकर रूबी की सांसे तेज हो गई। उफ्फ ये भगवान ये कैसा मोटा लंड दिया हैं तूने मेरे बेटे को। साहिल ने अपनी चमड़ी को पीछे खींचते हुए सुपाड़े को बाहर निकाल लिया और गुलाबी सुपाड़ा देखकर रूबी के हाथ अपने हाथ उसकी चूचियों पर पहुंच गए और मसलने लगी।

साहिल:" आह भाई फिर आगे क्या हुआ ?
साहिल:" आह भाई फिर आगे क्या हुआ ?

आरव:" भाई कितने मीठे होंठ थे उसके, मजा आ गया, फिर भाभी ने अपने आप है मेरी पैंट को नीचे किया और लंड को बाहर निकाल कर अपने मुंह में भर लिया। आह भाई कितना अच्छा लग रहा था। देखते ही देखते मेरा पूरा लंड भाभी के मुंह में समा चुका था। उनकी जवाब कमाल कर रही थी और मजे से मेरी आंखे बंद हो गई थी।
 
साहिल का बुरा हाल हो गया था और वो मस्ती से आंखे बंद किए अपने लंड को अब अच्छे से सहला रहा था। वहीं रूबी का जिस्म आज फिर से आग का गोला बन गई था और उत्तेजना में वो भूल गई कि वो छत पर हैं और अपने जिस्म को टंकी पर रगड़ने लगी। आवाज सुनकर साहिल की आंखे हल्की सी खुल गई तो उसे किसी के होने का एहसास हुआ और उसने धीरे से देखा तो अपनी मा को वहां देखंकर उसके होश उड़ गए। लेकिन जैसे ही उसे रूबी की हालत का अंदाजा हुआ तो उसे एहसास हो गया कि उसकी मा की वासना पूरी तरह से भड़क चुकी हैं जो आंखे बंद किए बहुत देर से उनकी बात सुन रही थी और अब अपने जिस्म को टंकी पर ही रगड़ रही है। साहिल के कानों में आरव की आवाज पड़ी

" भाई बस फिर मेरा लन्ड फटने को हो गया तो मैंने भाभी को बेड पर लिटा दिया और उसने खुद ही अपने कपड़े उतार दिए और लंड अपनी चूत पर टिका दिया। मैंने एक झटका मार दिया और लंड सीधे अंदर, उफ्फ कितनी गरम चूत थी उनकी।

साहिल एक बार फिर से अपने होश खो बैठा और अपने लंड को हिलाने लगा वहीं रूबी ने लंड चूत में जाने की बात सुनकर अपनी सलवार को खोल दिया और जोर जोर से अपनी चूत टंकी पर रगड़ने लगी। रूबी के मुंह से अपने आप हल्की हल्की मस्ती भरी सिसकारियां निकल रही थी जिन्हे सुनकर साहिल पूरी ताकत से अपने लंड को हिला रहा था। साहिल ने फोन काट दिया ताकि आरव उसकी मम्मी की आवाज ना सुन ले।

जैसे ही आरव की आवाज आनी बंद हुई तो रूबी की आंखे हल्की सी खुली और अपने बेटे को खुली छत पर लंड हिलाते देखकर वो शरमा गई और समझ गई कि अब साहिल नीचे आएगा और नीचे की तरफ जाने लगी। रूबी के क़दमों की आवाज सुनकर साहिल ने ना चाहते हुए भी अपने हाथ रोक दिए और अपनी मा को नीचे जाते हुए देखकर उसने एक सुकून की सांस ली।

रूबी नीचे अा गई और फिर से छत की तरफ उपर जाने लगी लेकिन इस बार वो साहिल को जोर जोर से आवाज लगा रही थी।

" साहिल अरे बेटा साहिल कहां हो तुम ?

साहिल ने जल्दी से अपने कपड़े ठीक लिए और नीचे की तरफ आने लगा तो रास्ते में ही उसे रूबी मिल गई जिसकी नजर सीधे उसके पेंट में बने तम्बू पर पड़ी और उसके होंठो पर स्माइल अा गई।

साहिल:" जी मम्मी क्या हुआ ? कुछ काम था क्या आपको ?

रूबी की चूचियां अभी भी उपर नीचे हो रही थी जिन्हे देखकर साहिल का लंड पूरी औकात दिखा रहा था और के पेंट में तम्बू और बढ़ता जा रहा था।

रूबी:" कुछ नहीं, मेरा मन नहीं लग रहा था अकेले, सोचा तुझसे बात कर लू।

साहिल और रूबी दोनो मा बेटे अब कमरे में अा गए थे।

रूबी:" देखो ना आज कितनी गर्मी हो रही हैं, उफ्फ एसी में भी सुकून नहीं मिल रहा हैं। मैं कपडे बदलकर आती हूं।

रूबी अंदर बाथरूम में चली गई और गर्मी के कारण ब्रा पेंटी नहीं पहनी और थोड़े देर बाद एक सुंदर सी ड्रेस पहनकर अा गई। साहिल अपनी मा को देखकर खुश हो गया।

साहिल:" मम्मी आप बहुत खूबसूरत लग रही हैं।

रूबी:" अच्छा जी, लेकिन मेरा बेटा भी तो लाखो तो मैं एक हैं। सच में साहिल मुझे लगता हैं कि तेरे आने से मैं फिर से जिंदा हो गई हूं। लगता हैं कि मुझे भी जीने का हक हैं नहीं तो अनूप ने तो मुझे बर्बाद की कर दिया था।

साहिल ने रूबी का एक हाथ अपने हाथ में लिया और चूमकर बोला:

" मम्मी आप खुलकर अपनी ज़िन्दगी जिए अब, आपका बेटा अा गया है। आपकी हर खुशी का ख्याल मैं रखूंगा।

रूबी ने साहिल को अपनी बांहों में भर लिया और उससे कसकर लिपट गई और बोली:"

" हान बेटा, मुझे तुझ पर पूरा यकीन हैं और सच में में तेरे साथ फिर से जीना चाहती हूं।

साहिल ने भी रूबी को जोर से कस लिया तो साहिल का खड़ा हुआ लंड रूबी की जांघो में जा घुसा और रूबी के जिस्म में एक बार से हलचल सी मच गई और साहिल के कंधे पर अपना सिर टिका दिया और आंखे बंद कर ली। साहिल ने अपने दोनो हाथ रूबी की कमर पर लपेट दिए और हल्के हल्के घुमाते हुए बोला:"

" मम्मी मैं आपको बहुत प्यार करता हूं, अब देखना आप की ज़िन्दगी में खुशियां फिर से आयेंगी।

रूबी:" हान बेटा, तूने ही मुझे फिर से मुस्कुराने की वजह दी हैं, तुम दुनिया के सबसे अच्छे बेटे हो साहिल ।

साहिल की उंगलियां रूबी ने तन बदन में आग भरती जा रही थी और रूबी की चूचियां अपने आप अकड़ रही थी और उनके निप्पल कड़े होते जा रहे थे जिनका एहसास साहिल को अब धीरे धीरे हो रहा था। साहिल की गर्म गर्म सांसे रूबी की गर्दन पर पड़ रही थी और रूबी की मदहोशी बढ़ती जा रही थी। रूबी को लगने लगा कि अगर कुछ देर ऐसे ही रहा तो अपने होश खो देगी इसलिए बोली:"

" अच्छा बेटा मुझे नींद आ रही है, चलो सो जाते हैं।

साहिल ने एक आज्ञाकारी बच्चे की तरह तुरंत रूबी को छोड़ दिया और दोनो मा बेटे बेड पर पहुंच गए और रूबी ने अपने बेटे का माथा चूम लिया और बोली:"

" गुड नाईट मेरे बेटे।

रूबी ने साहिल को बांहों में भर लिया और सोने की कोशिश करने लगी। लंड एक बार फिर से उसकी जांघो में घुस गया। दोनो मा बेटे पूरी तरह से गरम थे लेकिन किसी के भी अंदर आगे बढ़ने की हिम्मत नहीं थी।

साहिल की गर्म गर्म सांसे अब रूबी की चूचियो पर पड़ रही थी और पल पल रूबी की हालत खराब होती जा रही थी। साहिल की दोनो आंखें बंद थी इसलिए थोड़ी देर के बाद रूबी को लगा कि साहिल सो गया है तो वो धीरे से उठी और अपनी ड्रेस को उतारकर एक सफेद रंग की पतली सी चादर ली और कमरे से बाहर निकल गई।

साहिल अभी पूरी तरह से जागा हुआ था लेकिन उसकी करवट दूसरी तरफ थी जिस कारण वो रूबी को कपडे बदलते नहीं देख पाया लेकिन जैसे ही रूबी के क़दमों की आहट बाहर जाती सुनाई पड़ी तो वो समझ गया कि उसकी मा आज फिर से चुदाई लोक में जा रही है।

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रूबी के कदम लड़खड़ा रहे थे लेकिन वो कमरे से बाहर निकल गई और गैलरी की लाइट को बंद कर दिया। रूबी की आंखे लाल हो गई थी जबसे उसने फोन पर साहिल की बाते सुनी और अपने बेटे को लंड हिलाते हुए देखा था तब से उसके जिस्म की आग एक चिंगारी की तरह सुलग रही थी।

रूबी धीरे धीरे चलती हुई चुदाई लोक में घुस गई और जैसे ही उसने स्क्रीन पर चुदाई लोक लिखा देखा तो उसकी चूत अपने आप ही गीली हो गई।

वहीं दूसरी तरफ रूबी के जाते ही साहिल भी बाहर निकला और चुदाई लोक की तरफ चल पड़ा। रूबी के घुसते ही पीछे पीछे वो भी अंदर अा गया और देखा कि रूबी उसकी मा आज फिर उसी छोटे से पहाड़ पर एक झरने के नीचे बैठी खड़ी थी और बेहद कामुक लग रही थी। उपर से पानी गिरने के कारण उसकी सफ़ेद रंग की चादर पूरी तरह से भीग चुकी थी और उसके जिस्म का एक एक कटाव बिल्कुल साफ नजर आ रहा था। एक कंधा पूरी तरह से नंगा और चूचियों का आकार दूर से ही साफ नजर आ रहा था।

साहिल की आंखे एक बार फिर अपनी मा के हुस्न के आगे चूंधिया सी गई और उसके पहले से ही खड़े लंड ने एक जोरदार हुंकार ली मानो किसी तगड़े सांड ने अपना शक्ति प्रदर्शन किया हो।

वहीं दूसरी तरफ रूबी को लग रहा था उपर से गिरता पानी उसकी आग को कम नहीं बल्कि और ज्यादा बढ़ा रहा हैं इसलिए रूबी ने अपनी साडी को हटा दिया और पूरी तरह से नंगी हो गई। रूबी ने एक बार अपनी कहर ढाती हुई चूचियों की तरफ देखा और उसके होंठो पर स्माइल अा गई। उसने दोनो हाथो में अपने निप्पल थाम लिए और हल्का हल्का सहलाने लगी। रूबी के मुंह से अपने आप ही मस्ती भरी आह निकल रही थीं। रूबी चलती हुई बिल्कुल झरने के ठीक नीचे अा गई और अपनी टांगे को खोल दिया जिससे पानी की धार अब बिल्कुल उसकी चूत पर पड़ रही थी। जैसे ही पानी की धार पड़ी तो जिस्म का पूरा जिस्म थरथरा उठा और उसके मुंह से फिर से एक और मस्ती भरी आह निकल पड़ी।

साहिल को अपनी मा की एकदम भरी हुई गोल गोल चूचियां साफ़ नजर आ रही थी और गांड़ का उभार और जांघें भी नजर आ रही थी, चूत पर पड़ती पानी की धार और साहिल के दूर होने के कारण उसे रूबी की टांगो के बीच कुछ भी नजर नहीं अा रहा था। साहिल ये तो जानता था कि उसकी मा बहुत गरम औरत है लेकिन आज उसे महसूस हुआ कि रूबी तो एक जीती जागती कयामत हैं और आग में जल रही एक बेहद कामुक और प्यासी औरत हैं जो अपनी मर्यादा और संस्कारों से बंधी हुई है।

साहिल को आज एहसास हुआ कि उसकी मा उसके परिवार की इज्जत के लिए कितना बड़ा त्याग कर रही है। मेरा बाप तो अब हिजड़ा बन चुका हैं। क्या मेरी मम्मी अब पूरी ज़िन्दगी ऐसे ही तड़पती रहेगी।

नहीं नहीं मैं ऐसा बिल्कुल नहीं होने दूंगा। मैं अपनी मा को प्यार दूंगा। हर खुशी दूंगा। है भगवान एक औरत की सबसे बड़ी खुशी तो लंड होती हैं और मेरी मम्मी तो उसके लिए बुरी तरह से तड़प रही है। हान हान मैं करूंगा अपनी मा की ये खुशी पूरी।

लेकिन क्या वो अपने बेटे से चुदना चाहती है, नहीं ये नहीं होना चाहिए। क्यों नहीं हो सकता साहिल, तूने देखा नहीं था कि किस तरह वो छत पर तेरा लंड देख रही थी।

उफ्फ क्या करू, एक काम करता हूं , मम्मी के थोड़ा करीब जाने की कोशिश करता हूं अगर उन्होंने मेरा साथ दिया तो मतलब मेरे साथ सेक्स से कोई दिक्कत नहीं हैं। साहिल ने आज पक्का मन बना लिया कि वो कोशिश करके देखेगा, आगे क्या होता हैं उसके बाद देखा जाएगा।

साहिल ने कुछ सोचा और वापिस चुदाई लोक के गेट पर पहुंच गया और वहीं से जोर जोर से आवाज लगाता हुआ अंदर घुसा

" मम्मी मम्मी आप कहां हो ?

साहिल की आवाज सुनते ही रूबी के एक पल के लिए तो होश ही उड़ गए लेकिन उसके अपने आप को संभालते हुए चादर को अपने जिस्म पर डाल लिया और खड़ी होती हुई बोली

" हान साहिल बेटा, मैं यहां हूं झरने के नीचे।
 
रूबी ने एक नजर अपने जिस्म पर डाली और महसूस हुआ कि चादर उसके जिस्म को ठीक से नहीं छुपा पा रही है। उसे एक पल के लिए शर्म महसूस हुई लेकिन उसके जिस्म की आग ने उसे अगले ही पल दूर कर दिया। और वैसे ही उसके पास अब कोई दूसरा रास्ता नहीं बचा था इसलिए सोचा जो होगा देखा जाएगा।

साहिल तो पहले से ही सब कुछ जानता था इसलिए धीरे धीरे चलता हुआ उसकी तरफ बढ़ा और ठीक उसके सामने पत्थर के नीचे खड़ा हो गया।

साहिल अपनी मा के जिस्म पर नजर डालते हुए बोला:"

" ओह मम्मी आप यहां हैं, मैं तो आपको घर में देख रहा था, अच्छा हुआ आप मिल गई।

रूबी ने साहिल की नजरो का पीछा किया और उसके अंदर एक अलग ही एहसास ने जन्म लिया और बोली:"

" वो बेटा नींद नहीं आ रही थी और गर्मी लग रही थी इसलिए चली आई।

साहिल:" ओह अच्छा लिया मम्मी आपने, आज सच में गर्मी बहुत ही ज्यादा हैं, मैं भी नहा लू क्या मम्मी ?

साहिल ने अपना दांव चलते हुए कहा तो रूबी ने स्माइल देते हुए कहा:"

" हान आजा बेटा, लेकिन क्या तू अपनी ही सगी मा के साथ नहाएगा ?

साहिल चलता हुआ पत्थर पर चढ़ गया और रूबी के पास पहुंच गया और बोला:"

" हान तो मा के साथ नहाने में मुझे कोई दिक्कत नहीं हैं, क्या आपको हैं मम्मी ?

रूबी:" लेकिन बेटा अगर किसी को पता चला कि एक सगी मा अपने बेटे के साथ नहा रही हैं तो क्या सोचेगा ?

साहिल:" ओह मम्मी आप भी ना, मुझसे तो कोई दिक्कत नही हैं ना आपको ? यहां कौन हैं देखने वाला हमे इस चुद...

साहिल के मुंह से आगे शर्म के मारे शब्द ही नहीं निकल पाए और रूबी अंदर ही अंदर कांप उठी कि वो अपने बेटे के साथ चुदाई लोक में नहाने वाली हैं।

रूबी:" अरे नहीं मेरे लाल तुझसे क्या दिक्कत होगी , और तूने ठीक कहा कि यहां कौन देखने वाला हैं कि मा बेटे एक साथ नहा रहे हैं।

साहिल को अच्छा लगा कि रूबी को कोई दिक्कत नहीं हैं क्योंकि कोई देख नहीं रहा है इसलिए उसे लगा कि उसकी मा जल्दी ही लाइन पर अा जाएगी।

साहिल ने अपने सारे कपड़े उतार दिए और सिर्फ अंदर वियर में अा गया तो उसके चौड़े और शक्तिशाली जिस्म को देखकर रूबी की आंखे चमक उठी और एक नजर गौर से उसकी छाती पर मारते हुए बोली

" मेरा बेटा तो पूरा जवान हो गया है, आज पता चला मुझे।

साहिल:" ओह मम्मी ये सब आपके दूध और प्यार का ही तो असर हैं।

रूबी के साहिल को फिर से एक स्माइल दी और साहिल झरने के ठीक नीचे खड़ा हो गया और उपर से पानी गिरने लगा तो उसका अंडर वियर भीग गया और लंड का उभार साफ़ नजर आ रहा था। रूबी ने एक नजर लंड के उभार पर डाली और उसे अपने सांसे रुकती हुई महसूस हुई। साहिल ने रूबी की नजरो का पीछा किया और जैसे ही रूबी ने नजर उठाई तो दोनो की नजरे आपस में टकरा गई और रूबी को एहसास हो गया कि साहिल ने उसे अपने लंड घूरते हुए देख लिया हैं तो डर के मारे रूबी के हाथ से उपर से चादर छूट गई। चादर छूटते ही रूबी का उपर का हिस्सा पूरी तरह से नंगा होकर साहिल की आंखो के आगे अा गया। साहिल की नजरे अपने आप अपनी में जिस्म पर चिपकती चली गई और रूबी की गोल गोल मादक उभरी हुई नारियल के आकार की मदमस्त चूचियां देखकर साहिल की आंखे खुली की खुली रह गई उसके लंड ने एक जोरदार झटका खाया।

चादर छूटते ही रूबी के मुंह से डर और शर्म के मारे आह निकल पड़ी और उसकी हिम्मत नहीं हुई कि वो चादर उठा सके। उसे होश आया और उसने एक कोहनी से अपनी चूची को छुपा लिया तो दूसरी पर अपनी हथेली रख दी। रूबी ने बड़ी मुश्किल से एक बार साहिल की तरफ देखा और शर्म के मारे अपना मुंह दूसरी तरफ करते हुए घूम गई।

अब रूबी की पीठ उसके बेटे के सामने बिल्कुल नंगी थी और साहिल बिना किसी डर और शर्म के ध्यान से उसकी कमर देख रहा था। चादर थोड़ी नीचे अटक गई थी जिससे हल्का सा गांड़ का उभार भी साफ नजर आ रहा था। साहिल ने उपर से नीचे तक ध्यानपूर्वक अपनी मा की मछली के आकार की नंगी कमर को देखा और उसे आज एहसास हुआ कि क्यों आजकल के लड़के उसकी मा के दीवाने हैं। बिल्कुल सुंदर, चिकनी, पतली, नदी की तरह बलखाती हुई, किसी को अपनी तरफ आकर्षित कर ले।
गोरे गोरे कंधे और उन पर पड़े हुए काले बाल जिन पर उपर से पड़ती हुई पानी की बूंदे रूबी की कमर को और अधिक उत्तेजक बना रही थी।

साहिल के मुंह से अपने आप ही ना जाने कैसे ये शब्द निकल पड़े

" आह मम्मी आपकी कमर कितनी चिकनी और सुंदर हैं, आज समझ में आया कि क्यों आज कल के लड़के आपके इतने दीवाने हैं।

रूबी अपने सगे बेटे के मुंह से अपनी तारीफ सुनकर खुश हुई और उसके होंठो पर स्माइल अा गई और बोली:"

" आह साहिल बेटा, वो मेरी चादर नीचे गिर गई पानी की वजह से, उठा दे ना प्लीज।

साहिल धीरे से नीचे झुका और चादर को उठा लिया और रूबी की तरफ बढ़ा। साहिल के क़दमों की आवाज सुनकर रूबी की सांसे भारी हो गई और साहिल ने उसके बिल्कुल करीब होते हुए खड़ा हो गया। रूबी की तेज गति से चलती हुई सांसे उसे साफ सुनाई दे रही थी। साहिल थोड़ा और आगे हुआ और अपना हाथ आगे बढाया और चादर को रूबी के कंधे पर टिकाने लगा। साहिल के आगे झुकने से वो अब रूबी से सट सा गया और उसका खड़ा हुआ रूबी की गांड़ पर अड गया। लंड के अपनी गांड़ पर महसूस होते ही रूबी के मुंह से एक मस्ती भरी आह निकल पड़ी और उसका जिस्म कांप उठा जो साहिल ने साफ महसूस किया। रूबी चाहकर भी आगे नहीं हो सकती थी क्योंकि पत्थर के वो बिल्कुल अंतिम छोर पर खड़ी हुई थी। साहिल ने चादर को अच्छे से टिका दिया और रूबी के कान के पास अपना मुंह लाते हुए बोला:"

" मम्मी, चादर को आप अच्छे से पकड़ लो, कहीं पानी की धार के कारण के कारण फिर से नीचे ना गिर जाए।

साहिल की गर्म गर्म सांसे अब रूबी की गर्दन पर पड़ रही थी और नीचे गांड़ पर अड़ा हुआ लंड पूरी तरह से रूबी की हालत खराब किए दे रहा था। रूबी ने अपना चेहरा घुमाया और साहिल की तरफ देखकर स्माइल करते हुए बोली:"

" गिर गई तो कोई बात नही, मेरा बेटा हैं ना फिर से उठाने के लिए।
 
और फिर से अपना मुंह दूसरी तरफ घुमा लिया। साहिल के लिए ये एक तरह से ग्रीन सिग्नल था तो उसने अपने लंड का दबाव थोड़ा सा और अपनी मा की गांड़ पर बढ़ा दिया और एक हाथ अपनी मा के कंधे पर टिकाते हुए बोला:'

" ओह मम्मी, आप फिर से उठाने की बात कर रही हैं लेकिन आपका बेटा इसे अब गिरने ही नहीं देगा।

इतना कहकर उसने चादर के उपर से रूबी के कंधे को थोड़ा जोर से पकड़ लिया और रूबी तो जाने कब से मर्द के ऐसे स्पर्श के लिए तड़प रही थी। हालाकि ये स्पर्श उसके सगे बेटे का था लेकिन उसके जिस्म की आग इस कदर भड़क चुकी थी कि उसे अपने बेटे में अब सिर्फ एक मर्द नजर अा रहा था और कहीं ना कहीं ना चाहते हुए भी रूबी बहकने लगी। रूबी ने अपने एक हाथ को पीछे की तरफ बढ़ा लिया और साहिल के दूसरे हाथ को थाम लिया और बोली:*

" आह बेटा, थोड़ा प्यार से पकड़ ना चादर, दर्द होता हैं मुझे।

साहिल ने अब रूबी के हाथ की उंगलियो को अपने हाथ की उंगलियों में फसा लिया और उसकी गर्दन पर अपनी होंठ रखते हुए बोला

" आह मम्मी, क्या सचमुच इतना नाजुक बदन हैं आपका जो बेटे के छूने से ही दर्द होने लगा ?

गर्दन पर साहिल के होंठ पड़ते ही रूबी पूरी तरह से मचल उठी और मस्ती से सिसकते हुए अपने हाथ की उंगलियों का दबाव साहिल की उंगलियों पर बढ़ाते हुए बोली:"

" आह बेटा, इतना ज्यादा नाजुक भी नहीं, लेकिन तू पकड़ ही इतने जोर से रहा हैं। बहुत तगड़ा हो गया है मेरा लाडला बेटा।

साहिल ने अब अपने लंड को थोड़ा सा और आगे बढ़ा कर दिया तो रूबी की गांड़ की दरार में लंड घुसने लगा और रूबी का एक हाथ अपने आप उसकी चूत पर पहुंच गया और मस्ती में आते हुए उसने पहली बार अपनी गांड़ को लंड पर दबा दिया। साहिल के लिए तो ये जैसे खुला न्यौता था। उसने रूबी के कंधे पर से हाथ हटा दिया और धीरे से पीछे लाते हुए अपने अंदर वियर को नीचे सरका दिया। रूबी को जैसे ही साहिल के नंगे लंड का एहसास अपने गीली साड़ी में लिपटी हुई गांड़ पर महसूस हुआ तो उसे एक तेज झटका सा लगा और वो हल्की सी आगे को हुई तो साहिल ने अपना एक हाथ अपनी मा के पेट पर टिकाते हुए और पीछे की तरफ खींच लिया और लंड पूरी तरह से अब रूबी की गांड़ में उसके छेद पर अड गया। रूबी के मुंह से एक मस्ती भरी आह निकल पड़ी

" उई मा आह, है भगवान , ओह साहिल बेटा तुमने मुझे गिरने से बचा लिया।

साहिल ने प्यार से रूबी के पेट पर हाथ फेरते हुए कहा:"

" ओह मम्मी, आपके बेटे के होते हुए आपको डरने कि कोई जरूरत नहीं हैं, वैसे मम्मी आप का पेट कितना पतला और मुलायम हैं एक दम।

रूबी के पेट पर घूमती हुई उसके बेटे की उंगलिया उसे हर ज्यादा बहका रही थी और रूबी ने अपने पैर को हल्का सा खोल दिया जिससे लंड अब बिल्कुल पूरी तरह से उसकी गांड़ के बिलकुल अंदर छेद पर दस्तक देने लगा। रूबी की आंखे मस्ती से बंद हो गई और उसने एक हाथ अपने बेटे के कंधे पर रख दिया और अपनी टांग को फिर से बंद करते हुए बोली:"

" आह साहिल, क्या सच मैं मेरी फिटनेस इतनी ज्यादा अच्छी हैं बेटा आह।

रूबी के टांगे बंद करते ही लंड गांड़ के दोनो पटो के बीच फस सा गया। साहिल पूरी तरह से मचल उठा और उसने रूबी के पर को थोड़ा जोर से थाम लिया और अपनी नंगी छाती अपनी मा की नंगी पीठ पर रगड़ते हुए बोला

" आह मम्मी, आपकी फिटनेस कि तो पूरा दिल्ली मेरठ कसमें खाता हैं, उफ्फ पानी कितनी तेज गिर रहा है मम्मी।

इतना कहकर उसने रूबी को जोर से पकड़ लिया तो रूबी ने भी अपनी गांड़ जोर से पीछे की तरफ कर दी और लंड को महसूस करके मस्ती से सिसकते हुए बोली:"

" आह बेटा सच में पानी तेज हैं, तू मुझे कसकर पकड़ ले बेटा कहीं मैं गिर ना जाऊ।

साहिल ने अब अपनी मा को अपने जिस्म में पूरी तरह से समेत लिया और हल्का हल्का आगे पीछे होने लगा जिससे लंड के धक्के गांड़ पर पड़ने लगे। दोनो मा बेटे इस मस्ती भरे एहसास से हवा में उड़ रहे थे लेकिन एक दूसरे पर सीधा हाथ डालने की हिम्मत नहीं हो रही थी।

रूबी ने भी अब पानी तेज होने का फायदा उठाकर अपनी गांड़ को लंड पर रगड़ना शुरु कर दिया और साहिल तो अब अपना हाथ रूबी के पेट पर फेरते हुए धक्के लगाने लगा।

साहिल की लंबाई रूबी से ज्यादा थी इसलिए पीछे खड़े होने के कारण उसे अपनी मा की चूचियां साफ़ नजर आ रही थी। उफ्फ निप्पल पूरे टाइट होकर अपना मुंह उठा रहे थे। साहिल धीरे धीरे अपने होंठ अपनी मा की गरदन पर फेर रहा था जिससे रूबी के सब्र का बांध टूट पड़ा और उसने एक हाथ नीचे करते हुए अपनी चूत पर टिका दिया और सारी के उपर से ही मसलने लगी। साहिल भी ये सब देखते ही अपने होश खो बैठा और उसने रूबी की गांड़ पर से साडी को हटा दिया और अब बिल्कुल नंगा लंड उसकी मा की एकदम नंगी गांड़ पर जा लगा तो रूबी के मुंह से एक मस्ती भरी आह निकल पड़ी

" आह बेटा, उफ्फ उई मा,

रूबी लंड के एहसास से कांप उठी और उसकी चूत में तूफान सा उठ गया। रूबी ने अपनी साडी को हटाते हुए अपनी उंगली को चूत पर रख दिया और सहलाने लगी। साहिल अपनी आंखो से ये सब होते देख रहा था और उसने अब जोर जोर से रूबी की गांड़ पर धक्के मारने शुरू कर दिए। रूबी के मुंह से मस्ती भरी सिसकारियां निकलने लगी और उसने एक उंगली को अपने मुंह में भर कर चूस लिया और फिर नीचे ले जाते हुए अपने चूत में घुसा दिया और मस्ती से सिसक उठी

" आह साहिल, उफ्फ बेटा,

साहिल ने अपना हाथ नीचे लाते हुए रूबी की चूत में घुसी हुई उंगली को छोड़कर पूरा हाथ पकड़ लिया। अब रूबी की उंगली उसकी चूत में ही घुसी रह गई और बाहर नहीं निकल पाई तो रूबी हाथ छुड़ाने की कोशिश करने लगी लेकिन कामयाब नहीं हो पाई तो उसने अपनी चूत को ही उंगली पर आगे पीछे करना शुरु कर दिया। फिर तो जैसे कमाल हो गया, गांड़ के लंड पर धक्के पड़ने लगे और साहिल ने भी रूबी की हालत समझते हुए उसकी हाथ को ढील दी तो उंगली भी आगे पीछे होने लगी। रूबी की चूत में सनसनी सी उठ रही थी और साहिल अब पूरी ताकत से रूबी के हाथ को आगे पीछे कर रहा था जिससे रूबी की उंगली उसकी चूत में बहुत भयंकर रफ्तार से घुस रही थी।

रूबी की चूत में हलचल शुरू हो गईं और साथ ही साथ साहिल के लंड के धक्के भी बढ़ते चले गए। तभी साहिल ने अपनी जीभ को अपनी मा की गर्दन पर फेर दिया और रूबी ने जोर से सिसकते हुए अपनी उंगली को जड़ तक घुसा लिया और मस्ती से सिसक उठी

" आह गई मेरी चूत, उफ्फ आह मा,

जैसे ही उंगली अंदर घुसी तो गांड़ अपने आप पीछे हो गई और साहिल ने भी एक आखिरी तेज धक्का लगाया और रूबी को उसकी गांड़ का छेद खुलता हुआ महसूस हुआ और साहिल के लंड ने वीर्य की पहली बारिश अपनी मा के गांड़ के छेद पर दी और उससे कसकर लिपट गया।

दोनो मा बेटे ऐसे ही एक दूसरे से लिपटे हुए खड़े रहे और साहिल ने होश में आते हुए धीरे से अपनी की चादर को ठीक किया और अपने अंडर वियर को उपर करते हुए बोला:"

" ओह मम्मी, बहुत मजा आया नहाने में आपके साथ, अब तो मै रोज ही आपके साथ नहाया करूंगा।

रूबी ने भी चादर के ठीक होते ही अपनी आंखे खोल दी और पलट कर बोली:

" अच्छा जी, मुझे भी बहुत अच्छा लगा बेटा, तूने मुझे कितनी बार गिरने से बचाया। आज तो अनूप नहीं था लेकिन कल से वो होगा फिर कैसे नहाएगा मेरे साथ ?

साहिल ने अपनी मा का हाथ पकड़ लिया और बोला:_

" मा अनूप का तो मैं खुद सोच लूंगा उसका क्या करना हैं, अब आपको अनूप की नहीं बल्कि अपने बेटे की जरुरत हैं। उससे अब कुछ नहीं हो पाएगा।

रूबी:" अच्छा क्या कुछ नहीं हो पाएगा उससे ? बताओ तो मुझे जरा तुम ?

साहिल बोलना तो चाहता था कि वो तुम्हारी गर्मी दूर नहीं कर पाएगा लेकिन शर्म के मारे बोल नहीं पाया और बोला:"

" आपकी सारी मुश्किलें दूर नहीं कर पाएगा अब वो।

रूबी के होंठो पर स्माइल अा गई और बोली:"

" अच्छा और तुम्हे लगता हैं कि तुम मेरी सारी मुश्किल दूर कर दोगे ?

साहिल:' एक बार कहकर तो देखो, जान भी दे दूंगा तुम्हारे लिए मम्मी।

रूबी:" लगता हैं तुम भी और लडको की तरह अपनी मा के दीवाने हो गए हो।

साहिल रूबी की आंखो में देखते हुए बोला:" दीवाना, आशिक जो मर्जी कहो, अब तो सिर्फ तुम्हारा हूं मेरी मम्मी।

" आशिक हैं तेरे हम इस बात से इंकार नहीं,
झूठ कैसे कहूं कि तुमसे प्यार नहीं ,
कुछ कुसूर तो आपकी अदाओं का भी हैं जहांपनाह
हम अकेले ही तो गुनहगार नहीं।

रूबी साहिल की शायरी सुनकर मन ही मन बहुत खुश हुई लेकिन हल्का गुस्सा करते हुए बोली:"

" मारूंगी बहुत तुझे आशिक के बच्चे, रात बहुत हो गई है आओ अंदर चलते हैं।

साहिल:" आप क्या मारेगी मम्मी, मारूंगा तो मैं वो भी उठा उठा कर।

रूबी के होठों पर एक बार फिर से स्माइल अा गई और चलते हुए बोली:"

" तू क्या मारने की बात कर रहा है बेटा साहिल ?

इतना कहते ही रूबी ने एक हाथ से अपनी चूत के पास जांघ को सहला दिया तो साहिल ये देखकर मस्त हो गया और बोला:"

" ओह मम्मी मैं हर उस चीज को मार दूंगा जो आपको परेशान करती है और सोने नहीं देती।

रूबी सोचने लगी ये भगवान ये तो मेरी चूत मारने की बात रहा हैं इसलिए मस्त होते हुए बोली

" अच्छा कैसे मारेगा तू ? बंदूक हैं क्या तेरे पास ?

साहिल ने अपने लंड पर नजर डाली और बोला:"

" ओह मा बंदूक में तो बार बार गोली भरनी पड़ती है, मैं तो मोटे डंडे से मार दूंगा। तगड़ा करके मारूंगा जोर जोर से।

रूबी:" अच्छा जी इतना भी मत मार देना की वो मर ही जाए,

साहिल:" ओह मा, उसको तो जितना मारो उतना ही सुकून मिलता हैं, मारने वाले को भी और मरवाने वाले को।

रूबी:" धत तेरे की, तू क्या मारने कि बात कर रहा है साहिल ?

साहिल:" हर उस चीज को मेरी मा को परेशान करती हैं। मम्मी बताओ ना क्या आप मारने दोगी ?

रूबी हल्की सी मुस्कान देते हुए बोली:" क्या मारने कि बात कर रहे हैं तुम ?

साहिल:" आपकी मुश्किलें और क्या मम्मी। आप भी ना पता नहीं क्या क्या सोचती हो।

रूबी ने साहिल को एक थप्पड़ दिखाया और साहिल ने अपने दोनो कान पकड़ लिए। चलते चलते दोनो घर के अंदर घुस गए और दोनो थके हुए थे और बिस्तर पर पड़ते ही आंख लग गई।

अगले दिन सुबह दोनो लेट तक सोते रहे और करीब आठ बजे रूबी की आंख खुली तो देखा कि आठ बज गए हैं तो वो तेजी से बाथरूम कि तरफ भागी और देखा कि शांता सफाई कर रही है। रूबी ने शांता के पैर छुए और बाथरूम में घुस गई। थोड़ी देर बाद ही वो नहाकर वापिस अा गई। शांता अब नाश्ता तैयार कर रही थी। रूबी अपने कमरे में कपडे बदल रही थी और साहिल की आंख खुली तो वो अपनी मा को देखने के लिए उसके कमरे में गया तो देखा कि रूबी नहा चुकी हैं और अपने ब्लाउस को पहन रही थी लेकिन मुश्किल हो रही थी तो साहिल को देखते ही पहले तो डर गई लेकिन फिर रात वाली घटना याद करके स्माइल कर दी और बोली:

" इधर आओ तो बेटा, इसे पहनने में मेरी मदद करो,

साहिल आगे आया और रूबी के दोनो कंधे थाम लिए और उसे ब्लाउस पहना दिया और बोला:"

" क्या मम्मी आप सुबह सुबह अकेली ही नहा ली, अब मैं अकेला कैसे नहाऊंगा,

रूबी:" ज्यादा सपने मत देखो तुम, जाओ और जल्दी से नहा कर आओ मुझे भूख लगी हैं बहुत तेज बेटा।

साहिल:" अच्छा ठीक हैं, लेकिन मम्मी ध्यान रखना मैं सिर्फ सपने देखता ही नहीं हूं बल्कि उन्हें पूरा भी करता हूं।

इतना कहकर साहिल ने रूबी की तरफ देखा तो रूबी ने उसे जीभ निकाल कर दिखा दी मानो कह रही हो कि तुम सिर्फ सपने देखते रहो। साहिल ने भी स्माइल दी और बोला:"

" आप एक बार शाम को घर आओ तो सही, तब देखता हूं।

साहिल बाथरूम में घुस गया और नहाकर अा गया। नाश्ता करने के बाद रूबी योगा सेंटर चली गई जबकि साहिल ने एक बार आज अपने बाप के ऑफिस जाने के बारे में सोचा ताकि उसे वहां से कुछ और जानकारी मिल सके। वो जानता था कि अभी आज अनूप ऑफिस में नहीं होगा इसलिए आराम से मैं अपना काम कर सकता हूं।

साहिल ने गाड़ी निकाली और ऑफिस की तरफ चल दिया।
 
साहिल जल्दी ही ऑफिस पहुंच गया और सबसे पहले उसकी मुलाकात मैनेजर दुबे जी से हुई तो साहिल ने उनकी उम्र का लिहाज करते हुए उनके पैर छुए तो दुबे पूरी तरह से गदगद हो गए। उन्होंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था जिस कंपनी में उन्होंने अपनी सारी ज़िन्दगी गुज़ार दी उसका होने वाला मालिक उन्हें इतना बड़ा सम्मान देगा। दुबे ने दो हाथ साहिल के सिर पर रखे और बोले:"

" जुग जुग जियो बेटा, भगवान तुम्हे इज्जत, धन दौलत से मालामाल कर दे।

साहिल ने उन्हें स्माइल दी और उन्हें पास ही पड़ी हुई चेयर पर बैठ गया। दुबे जी एकदम से बोले:"

" अरे साहिल सर ये कुर्सी अापके लिए नहीं हैं, आपके लिए तक अंदर बहुत ही मुलायम और गद्देदार घूमने वाली कुर्सी लगी हुई हैं बेटा।

साहिल के होंठो पर एक हल्की सी स्माइल अाई और बोला:"

" बाबा जी कुर्सी तो कुर्सी ही होती हैं, क्या मुलायम और क्या कठोर। इंसान को वक़्त पर जो मिल जाए वहीं अच्छी होती है।

दुबे को आज एहसास हुआ कि दोनो बाप बेटे में कितना अंतर है। वो समझ गए कि ये सब जरूर उसकी मालकिन रूबी के संस्कारों का ही कमाल हैं।

दुबे:" बेटा आप तो सचमुच एक बेहद अच्छे इंसान हैं, हमेशा इन्हीं आदर्शो और संस्कारों पर चलना।

साहिल:" जी बाबा बस आपका आश्रीवाद चाहिए मुझे।

दुबे:" बेटा मेरा आशीर्वाद हमेशा आपके साथ रहेगा। अच्छा ये बताओ आज इधर कैसे आना हुआ ?

साहिल ने एक गहरी सांस ली और बोला:" बस ऐसे ही पापा आज नहीं आयेंगे तो वो बोलकर गए थे कि ऑफिस चले जाना और दुबे जी से सब कुछ अच्छे से समझ लेना। पापा आपकी बहुत तारीफ कर रहे थे।

साहिल ने अपन अपना काम निकालने के लिए दुबे जी को मक्खन लगाया लेकिन दुबे जी अनूप को भली भांति जानते थे इसलिए बोले:"

" क्या बेटा सच में उन्होंने ऐसा बोला ? मुझे तो यकीन नहीं हो रहा हैं बेटा।

साहिल दुबे जी के चेहरे पर आए हैरानी के भावों को देखकर समझ गया कि अनूप का जितना खराब व्यवहार घर पर हैं उससे कहीं ज्यादा ऑफिस में हैं।

साहिल:" जी पापा ने ऐसा ही बोला हैं। अच्छा आप मुझे बताए ऑफिस के बारे में, मुझे सारी कंपनी घुमा दीजिए एक बार।

दुबे जी और साहिल दोनो खड़े हो गए और दुबे जी ने साहिल को जब जगह दिखाना शुरू कर दिया। साहिल एक एक चीज को ध्यान से देख और समझ रहा था।
करीब दो घंटे के अंदर साहिल ने सब कुछ देखा लिया और एक डायरी में नोट करता रहा। बाद में दोनो अनूप के ऑफिस में आकर बैठ गए।

साहिल:" अच्छा मैंने देखा कि हमारी आधे से ज्यादा अच्छी मशीन तो बंद पड़ी हुई हैं ऐसा क्यों दुबे जी ?

दुबे जी के माथे पर पसीना छलक उठा और उन्होंने अपना रुमाल निकाल कर मुंह साफ किया और बोले:" बेटा अब बेचारे कर्मचारी बिना वेतन के कितने दिन काम कर सकते हैं, एक महीना या दो महीना, अधिकतर छोड़ कर चले और अब तो बस जो कुछ बचे हुए हैं वो अपने नमक का हक अदा कर रहे हैं। पता नहीं कब कब ये भी छोड़कर चले जाए।

साहिल के दिमाग में धमाका सा हुआ और चौंकते हुए बोला"

" क्या क्या है भगवान, क्या आपको जो कह रहे हैं वो सच हैं ?

दुबे:" हान बेटा, बिल्कुल सत्य हैं, सच तो ये हैं कि कंपनी पूरी तरह से कर्ज में डूब चुकी हैं और बैंक लॉन में गिरवी रखी हुई हैं।

साहिल के सामने आज रहस्य की पट्टियां खुल रही थी और उसे यकीन करना मुश्किल हो रहा था। साहिल:"

" लेकिन बाबा ये सब हुआ कैसे ? हमारी तो इतनी बड़ी मार्केट थी, ये सब डूब कैसे गया ?

दुबे जी:" बेटा सही तो नहीं पता, लेकिन सच्चाई हैं कि हमें पिछले पांच साल से कोई भी टेंडर नहीं मिला हैं , ये सब बिजनेस जो तुम्हारे दादा जी ने खड़ा किया था आपके पिता जी ने सब अपनी अय्याशी में डूबो दिया हैं।

साहिल:" लेकिन एकदम से इतना नुकसान कैसे हो सकता हैं?

दुबे:" बेटा अनूप साहब तो बस नशे में डूबे रहे और देखते ही देखते नीरज मिश्रा सब टेंडर और काम लेते गए। हर टेंडर में नुकसान होता रहा और धीरे धीरे सब डूब गया।

नीरज का नाम आते ही साहिल समझ गया कि उनके बिजनेस को तबाह करने में सबका बड़ा हाथ उसका ही हैं। लेकिन वो ये सब कर क्यों रहा हैं। साहिल:"

" अच्छा सर आप एक बात बताए कि ये नीरज कौन हैं और उसने इतनी जल्दी इतना नाम कैसे कमाया ?

दुबे ने बहुत ही अजीब सी नजरो से साहिल की तरफ देखा और बोला:" नीरज तुम्हारे पिता जी के सबसे अच्छे दोस्त हैं। बेटा इससे ज्यादा तो मुझे नहीं पता लेकिन एक बात जान लो कि समय अपने आपको दोहरा रहा हैं।

साहिल:" वो कैसे समय अपने आपको दोहरा रहा हैं ?

दुबे:" बेटा मुझे ठीक से कुछ नही पता हैं इसलिए क्या बताऊं।

साहिल:" आपको जो भी पता हैं आप मुझे सब बता दीजिए ताकि मैं इस डूबती हुई कंपनी को बचा सकू।

दुबे ने घबरा कर दोनो हाथ जोड़ दिए और बोला:" माफ करना बेटे , मैं इससे आगे कुछ नहीं जानता ।

साहिल समझ गया कि दुबे जी जरूर कुछ छिपा रहे हैं और उसने उन्हें जायदा मजबुर करना जरूरी नाही समझा। फिर कुछ सोचते हुए बोला:"

" अच्छा बाबा आप एक बात बताओ कंपनी के पैसे का हिसाब कौन रखता था ? पापा कितने दिन बाद ये सब देखते थे ?

दुबे को लगा जैसे किसी ने उसके जख्मों को कुरेद दिया हो। अपनी पीड़ा को छुपाते हुए बोले:"

" बेटा पहले तो मैं ही देखता था फिर उन्होंने प्रिया और लीमा को काम पर रख लिया और वो दोनो ही ऑफिस का ज्यादातर काम देखने लगी। वैसे प्रिया ही सारा हिसाब देखती थी क्योंकि लीमा और वो दोनो एक दूसरे से बात करना पसंद नहीं करती थी। लीमा का स्वभाव थोड़ा अलग था क्योंकि उसने एक बार प्रिया को थप्पड़ मार दिया था और उसके बाद भी प्रिया सब अपमान सहन कर गई और यहीं जॉब करती रही।

साहिल को तो लगा रहा था कि दोनो अच्छी दोनो होनी चाहिए लेकिन दोनो के बीच की दुश्मनी ने मामले को और उलझा दिया।
साहिल आगे बोला:"

" अच्छा बाबा मैं चलता हूं, आपका बहुत धन्यवाद। मैं अपनी कंपनी को बचाकर फिर से सभी मजदूरों के घरों को आबाद करना चाहता हु। अगर आपको लगे कि मुझे और कुछ बताना चाहिए तो आप मुझे कॉल करना।

इतना कहकर साहिल ने उन्हें अपना मोबाइल नंबर दिया और उनके पैर छूकर घर की तरफ चल पड़ा। दुबे जी साहिल के इस व्यवहार से एक बार फिर से प्रभावित हुए बिना नहीं रह सके।

उधर रूबी भी योगा सेंटर पहुंच गई और उसने लोगो को योग कराया और उसके बाद अपने ऑफिस में बैठी हुई रात हुई घटनाओं के बारे में सोच रही थी कि किस तरह से रात उसने भोली बनकर अपने बेटे के साथ मस्ती करी थी। मेरा बेटा तो अब पूरा मर्द बन गया हैं, सच में हीरो लगता हैं मेरा बेटा।

लेकिन क्या मैंने जो रात किया वो सब सही था। लेकिन मैं और क्या करू, अनूप तो अब किसी काम का रहा नहीं। लेकिन साहिल पहले से ही मुझे खराब चरित्र की मान रहा था और अब क्या सोच रहा होगा वो मेरे बारे में !!

मुझे साहिल को अपनी तरफ आकर्षित करना है तो उसकी मर्जी होनी चाहिए। वैसे वो भी ये ही सब चाहता है लेकिन फिर भी मुझे सावधानी से काम लेना होगा ताकि उसे कहीं से भी ये ना लगे कि मैं खुद ये सब सोच रही हूं।

रूबी खड़ी हुई और ऑफिस बंद करने के बाद घर की तरफ चल पड़ी।

रूबी घर के अंदर दाखिल हो गई और थोड़ी देर आराम करने के बाद उसने साहिल को फोन किया

" साहिल कहां हो बेटा ?

साहिल घर की तरफ की अा रहा था तो बोला:"

" बस मम्मी घर आने वाला हूं थोड़ी देर बाद।

रूबी ने फोन काट दिया और देखा कि शांता खाना बना चुकी थी और बाहर ही गैलरी में घूम रही थी। रूबी को उसका इस तरह से घूमना ना जाने क्यों पसंद नहीं आया और बोली:'

मम्मी क्या हुआ आपकी तबीयत तो ठीक हैं ना ?

शांता:" हान ठीक हूं मैं, खाना लगा दू क्या आपके लिए ?

रूबी:" हान लगा दो आप, साहिल भी आने वाला हैं , तब तक आप खाना गर्म कीजिए।

शांता किचेन में चली गई और अपना काम करने लगी। थोड़ी देर के बाद साहिल अा गया और उसने अपनी मा देखते ही स्माइल दी और बोला:"

" मम्मी मुझसे आपसे बहुत जरूरी बात करनी हैं, मैं आज पापा के ऑफिस गया था।

रूबी:_ बेटा पहले तुम जाकर फ्रेश हो जाओ और फिर खाना खाकर आराम से बात करते हैं।

साहिल ना चाहते हुए भी नहाने के लिए चला गया और थोड़ी देर बाद सभी लोग खाना खा चुके तो शांता बाहर सफाई में लग गई तो रूबी बोली:"

" मा जी आप रहने दीजिए, मैं खुद काम कर लूंगी, आप थक जाती होगी।

शांता थोड़ा नाराज होते हुए बोली:" पिछले कुछ दिनों से देख रही हूं कि तुम मुझे काम नहीं करने दे रही हो, मुझसे कोई गलती हुई हैं क्या ?

रूबी:" नहीं मा जी बस आपकी उम्र का ख्याल रखती हूं मैं, आप आराम कीजिए। बाकी मैं खुद कर लूंगी।

शांता रूबी की बात सुनकर बहुत दुखी हुई और ना चाहते हुए भी बाहर की तरफ चल पड़ी। शांता के जाने के बाद रूबी और साहिल दोनो सोफे पर बैठ गए और रूबी बोली:"

" हान बेटा बताओ क्या हुआ ?

साहिल:" मम्मी आज ऑफिस गया तो वहां दुबे जी से मेरी बात हुई और पता चला कि हमारी कंपनी तो बर्बाद हो चुकी हैं। बुरी तरह से कर्ज में डूब गई है।

रूबी एकदम से चौंकते हुए बोली:"

" क्या बेटा ऐसा कैसे हो गया ? क्या ये सच बात हैं क्या ?

साहिल:" हान मम्मी, सच हैं और ये सब कहीं का कही उस नीरज की वजह से हुआ है, साथ ही साथ प्रिया और लीमा दोनो ने मिलकर हमे बर्बाद किया हैं।

रूबी:* है भगवान, इसका मतलब नीरज बहुत कमीना आदमी निकला, प्रिया और लीमा दोनो इसके लिए ही काम करती हैं।

साहिल:" नहीं , मुझे लगता हैं कि कोई और भी हैं जो हमें बर्बाद देखना चाहता है क्योंकि लीमा और प्रिया आपस में जानी दुश्मन हैं। कोई तो हैं जो ये सब करना चाह रहा हैं।

रूबी:" है भगवान कौन हो सकता हैं और , ये सब तेरे कमीने बाप की वजह से हो रहा हैं।

साहिल:" लेकिन हमें अब ये सब ठीक करना होगा। मुझे तो लगता हैं कि पापा को मिला नया टेंडर भी उन्हें फसाने की कोई साजिश हैं, मम्मी मुझे आपका साथ चाहिए इस मुश्किल से निकलने के लिए।
 
रूबी ने साहिल का हाथ पकड़ लिया और बोली:" बेटा हर कदम पर तेरे साथ हूं। बोल क्या करना होगा मुझे ?

साहिल:" अभी तक कुछ नहीं, बस पहले आज शाम को अनूप अा जाए , उसके बाद देखता हूं क्या करना होगा।

दोनो की बात जैसे ही खत्म हुई तो साहिल को बाहर किसी के क़दमों की आहट हुई तो वो बाहर आया लेकिन दूर दूर तक कोई नहीं दिखा। रूबी भी साथ थी लेकिन उसे भी कोई नहीं दिखा। रूबी बोली:"

" क्या हुआ बेटा ?

साहिल:" मुझे लगा जैसे बाहर कोई हैं और छुपकर हमारी बाते सुन रहा हैं। लेकिन यहां तो कोई भी नहीं हैं।

रूबी कुछ सोचते हुए बोली:"

" कहीं शांता तो नहीं थी ? बेटा पता नहीं आजकल क्यों मुझे उसका व्यवहार ठीक नहीं लग रहा हैं ?

साहिल:" ओह मम्मी आप भी ना, वो तो एक गरीब बूढ़ी औरत हैं। वो नहीं हो सकती।

रूबी:" लेकिन मेरा दिल नहीं मान रहा बेटा, एक बार देखे कि क्या वो अपनी कमरे में हैं या नहीं ?

साहिल और रूबी दोनो बाहर नौकरों के लिए बने कमरे में आए तो खिड़की से देखा कि शांता तो पड़े हुए खर्राटे मार रही थी। दोनो वापिस घर के अंदर अा गए और थके होने के कारण सो गए।

शाम को रूबी की आंखे खुली तो देखा कि शांता खाना बना रही थी तो वो भी उसकी मदद करने में जुट गई।

शांता:" रूबी मेरी बेटी का कुछ पता चला क्या ? कहां गई मेरी सपना फिर से ?

रूबी:" मा जी हम धुंध रहे हैं जैसे ही मिल जाएगी आपके हवाले कर दिया जाएगा।

शांता पूरी तरह से उदास हो गई और उसकी आंखो से आंसू टपक पड़े और सुबकते हुए बोली

" पता नहीं कहां होगी , किस हाल में होगी मेरी बेटी ?

रूबी:" आप परेशान मत हो मा जी, हम बहुत ही जल्दी धुंध लेंगे।

शांता थोड़ा शांत हुई और काम में लग गई। दूसरी तरफ साहिल भी उठ गया था और और उसने बाहर घूमने का सोचा क्योंकि वो अक्सर घूमने जाया करता था।

साहिल:" मम्मी मैं बाहर जा रहा हूं, कुछ काम हैं आप चलेगी क्या ?

रूबी:" क्या काम हैं बेटा तुम्हे ? कहां जाना हैं ?

साहिल:" वो मम्मी बाजार का कुछ काम हैं। आओ जल्दी वापिस अा जाएंगे।

रूबी:" ठीक हैं तुम गाड़ी निकालो मैं अा रही हूं।

साहिल ने गाड़ी निकाली और रूबी के साथ मार्केट की तरफ बढ़ गया। रूबी;"

" अरे बेटा तुम्हे अचानक से क्या काम अा गया जो एक दम से अा गए ?

साहिल स्माइल करते हुए बोला:"

" काम तो कुछ नहीं मम्मी, बस आपके साथ थोड़ा घूमने का मन था। और कोई तो मेरा दोस्त हैं नहीं तो आप ही हो मेरी सबसे अच्छी दोस्त।

रूबी:" अच्छा तुम तो बड़े तेज निकले बेटा, तुम्हे कोई और नहीं मिली दोस्त बनाने के लिए ?

साहिल:" मम्मी आपके जैसा कोई नहीं हो सकता, और सच कहूं तो आपकी ज़िन्दगी में एक दोस्त की बहुत ज्यादा जरूरत हैं। जो आपका ध्यान रखे, केयर करे और आपको हंसाए।

रूबी:" हान बेटा, सच हैं ये बात तो मेरी ज़िन्दगी बेरंग सी हो गई हैं, अनूप ने सिर्फ मेरे विश्वास ही नहीं बल्कि मेरी आत्मा तक को छलनी कर दिया हैं।

साहिल:" बस मम्मी अब आपको चिंता करने की कोई ज़रुरत नहीं है, आपका बेटा अब आपकी ज़िन्दगी में प्यार के रंग भर देगा।

रूबी ने साहिल का हाथ पकड़ लिया और बोली:".

" ठीक है फिर आज से हम दोस्त हुए, पक्का प्रोमिस।

साहिल: पक्का एकदम पक्का।

साहिल ने थोड़ी देर गाड़ी चलाने के बाद एक सुंदर से होटल के सामने रोक दी और बोला:"

" चलो ठीक हैं फिर दोस्त बनने की पहली पार्टी हो जाए।

रूबी:" लेकिन बेटा खाना तो मैं बनाकर आई हूं। बाहर नहीं खाना ना फिर।

साहिल:" ओह मम्मी, हूं सिर्फ आइस क्रीम खाएंगे। आपको पता हैं मेरठ की सबसे अच्छी आइस क्रीम यहीं मिलती है। वानीला के एक से बढकर ब्रांड हैं यहां।

रूबी स्माइल के साथ गाड़ी से उतर गई और दोनो मा बेटे अंदर घुस गए। दोनो आइस क्रीम खाकर निकलने ही वाले थे कि तभी रूबी ने साहिल को बाथरूम जाने का इशारा किया और बाथरूम की तरफ चल पड़ी। साहिल वहीं बिल चुकाने के बाद उसका इंतजार करने लगा।

बाथरूम अंदर से बंद था और जैसे ही बाथरूम खुला तो रूबी को 440 वोल्ट का झटका लगा क्योंकि अंदर से लीमा बाहर निकली और उसे देखते ही रूबी ने साहिल को पुकारा और उसे दबोच लिया।

लीमा छूटने की कोशिश करने लगी और दोनो फर्श गिर पड़ी। साहिल तब तक पहुंच गया और रूबी तेजी से बोली:"

" साहिल ये लीमा हैं, उठाओ उसे और भागो।

साहिल ने बिना देर किए उसे कंधे पर उठाया और गाड़ी की तरफ दौड़ लगा दी। पीछे पीछे किडनैप होते देखकर होटल की सिक्योरिटी दौड़ पड़ी। लेकिन साहिल ने तेजी से लीमा को पीछे की सीट पर पटका और रूबी भी बिजली की गति से अंदर घुस गई और साहिल ने तूफान की गति से गाड़ी दौड़ा दी। सिक्योरिटी वाले देखते ही रह गए और कुछ नहीं कर पाए।

अंदर गाड़ी में बैठी लीमा ने रूबी पर हमला कर दिया और रूबी के साथ उसकी लड़ाई शुरू हो गई। लीमा ने रूबी को दो तीन थप्पड लगा दिए लेकिन लीमा रूबी के स्टेमिना के आगे टिक नहीं पाई और रूबी ने मार मारकर उसका हाल खराब कर दिया।

साहिल ने गाड़ी को गति से दौड़ते हुए कच्चे रास्ते पर उतार दिया और रोककर उसने लीमा पर दो चार तेज थप्पड़ दिए तो लीमा के कस बल ढीले हो गए और वो रोते हुए बोली:"

" आह मुझे छोड़ दो, माफ कर दो मुझे साहिल।

साहिल:" कमीनी मेरी मा पर हाथ उठाती है तेरे हाथ तोड़ दूंगा साली कुतिया कहीं की।

साहिल ने ताबड़तोड़ कई थप्पड़ लीमा को जड़े तो लीमा बेहोश हो गई। रूबी और साहिल एक पल के लिए डर गए कि कहीं मर तो नहीं गई। लेकिन साहिल ने उसकी नाड़ी देखी और सुकून की सांस ली।

साहिल:" बेहोश हो गई है ये, मम्मी आपको कहीं चोट तो नहीं अाई ना ?

रूबी का गाल हल्का लाल हो गया था लेकिन हिम्मत दिखाते हुए बोली:" नहीं बेटा मैं ठीक हूं, आज किस्मत अच्छी थी जो ये कमीनी मिल गई।

साहिल:' हान मा लेकिन अब तक होटल वाले इसके किडनैप होने की पुलिस में रिपोर्ट करा चुका होंगे और इसके मालिक को भी पता चल गया होगा। अब इसका क्या करे ? अगर ये हमारे साथ रही तो हम फंस जायेंगे।

रूबी:' बेटा इसे हम घर पर तक तो नहीं रख सकते, हान एक तरीका है इसे हम मेरे योगा सेंटर में बंद कर सकते है। वहां कोई होता भी नहीं हैं। लेकिन वहां तक हम जाएंगे कैसे ? पुलिस सक्रिय हो गई होंगी।

साहिल ने कुछ देर सोचा और गाड़ी को वापिस उसी दिशा में घुमा दिया जहां से वो वापिस आए थे। रूबी बौखला गई और बोली:"

" अरे बेटा ये तुम क्या कर रहे हों? वहां से निकले तो हम फंस जाएंगे। वहां तो बहुत ज्यादा पुलिस होगी।

साहिल:" मम्मी दीपक तले ही सबसे ज्यादा अंधेरा होता हैं। जहां केस हुआ हैं पुलिस सोच भी नहीं सकती कि हम वापिस वहीं से निकल सकते हैं।

रूबी ने कुछ नहीं बोला और साहिल की बात सच साबित हुई। रास्ते में कहीं कोई दिक्कत नहीं था। हान होटल के सामने जरूर कुछ पुलिस वाले थे लेकिन उन्होंने गाड़ी चैक करने की जरूरत महसूस नहीं करी और जल्दी ही उनकी गाड़ी रूबी जे के योगा सेंटर के सामने खड़ी हुई थी।

साहिल ने लीमा को कंधे पर उठाया और रूबी ने सेंटर का दरवाजा खोल दिया। साहिल ने लीमा को वहीं के सोफे पर लिटा दिया और एक रस्सी से उसके हाथ पैर बांध दिए।

साहिल ने लीमा के मुंह पर पानी के छींटे मारे और उसने आंखे खोल दी और अपने आपको बंधे हुए पाकर दया की भीख मांगने लगी और बोली:'

" मुझे छोड़ दो मैडम आप प्लीज़, मेरी कोई गलती नहीं हैं, मैं मजबूर थी।

इतना कहकर लीमा फिर से बेहोश हो गई।

इससे पहले कि वो फिर से होश में आती रूबी का मोबाइल बज उठा और उसने देखा कि अनूप का कॉल था।

रूबी:" हान अनूप बोलो क्या हुआ ?

अनूप:" मैं घर बैठा हुआ हूं, तुम दोनो मा बेटे दिख नहीं रहे हो। कहां चले गए तुम ?

रूबी:* तुमसे मतलब, तुम कौन होते हो पूछने वाले, तुम्हे कोई जरूरत नहीं हैं मुझसे बात करने की समझे तुम।

अनूप को रूबी की बात सुनकर गुस्सा तो बहुत आया लेकिन अपमान का घूूट पीकर रह गया। साहिल को लगा कि अगर अनूप जायदा नाराज हो गया तो उसका प्लान जो वो बना रहा था खराब हो जाएगा। इसलिए उसने रूबी से फोन लिया और बोला:"

" जी पापा, हम दोनों तो यहीं शहर में ही हैं और बाद घूमने आए थे। कुछ ही देर में पहुंच जायेगे।

अनूप:" बेटा थोड़ा जल्दी आओ, मुझे कुछ जरूरी काम के लिए बाहर जाना होगा आज भी।

साहिल:" बस पापा आप थोड़ी देर प्रतीक्षा कीजिए, मैं और मम्मी अा रहे हैं। मुझे आपको एक बहुत बड़ी खुशखबरी देनी हैं

अनूप:" ठीक हैं बेटा आओ जल्दी। मैं घर ही मिलता हूं।

अनूप को कुछ तसल्ली हुई कि आज कम से कम उसके बेटे ने तो उससे इज्जत से बात करी हैं। अनूप ने फोन काट दिया और दारू की बॉटल निकाल कर पीने बैठा गया।

वहीं दूसरी तरफ रूबी ने हैरानी से साहिल की तरफ देखा और बोली

" अब तुम क्या करना चाह रहे हो ? ऐसी कौन सी खुश खबरी है जो मुझे नहीं बताई तुमने।

साहिल ने रूबी मक को स्माइल दी और बोला:'

" मम्मी ऐसा कुछ नहीं नहीं हैं, दरअसल मैंने एक प्लान किया हैं बस अब उस पर ही काम करना हैं और वो बिना अनूप के नहीं हो सकता।

रूबी ने शून्य दृष्टि से साहिल की तरफ देखा और साहिल बोला:"

" मम्मी आपको रास्ते में सब बताता हूं, पहले यहां से निकलो जल्दी कहीं ऐसा ना हो अनूप निकल जाए तो बड़ी दिक्कत हो जाएगी।

रूबी:" लेकिन लीमा का क्या करे ? इससे भी तो हमे बहुत कुछ पूछना हैं अभी।

साहिल:" इसको कल दिन में देख लेंगे। अभी फिलहाल अनूप से मिलना बहुत जरूरी हैं।

इतना कहकर साहिल ने एक बॉटल में रखी हुई क्लोरोफॉर्म लीमा को अच्छे से सूंघा दी तो लीमा एक बार के लिए हल्की सी छटपटाई और बेहोश हो गई। साहिल ने एक कपडा लिया और उसे कसकर लीमा के मुंह पर बांध दिया ताकि वो आवाज ना निकाल सके।

साहिल ने अच्छे से दरवाजा बंद किया और घर की तरफ दोनो मा बेटे चल पड़े। रास्ते में साहिल ने अपनी मा को अपना प्लान बनाया शुरू कर दिया और रूबी की आंखे हैरानी से खुलती जा रही थी।
 
साहिल और रूबी दोनो घर पहुंच गए और अनूप जब तक अपने पैग पीकर मस्त हो गया था।

साहिल को देखते ही उसने स्माइल और बोला:".

" अा गए तुम , मैं कब से इंतजार कर रहा था ?

साहिल ने रूबी को इशारा किया और ठीक अनूप के सामने बैठ गया। साहिल बोला:".

" पापा आज मैं ऑफिस गया था और ऑफिस की सारी कहानी मैं समझ चुका हैं। आपने अपनी अय्याशियों में चलते सब कुछ डूबा दिया है।

अनूप को साहिल की बात खत्म होते ही अपना सारा नशा उतरता हुआ महसूस हुआ और उसके माथे पर परेशानी के भाव साफ छलक पड़े लेकिन खुद को संयत करते हुए बोला:"

" ये क्या तुम उल्टी सीधी बाते कर रहे हो ?

साहिल:' अनूप बनने की कोशिश मत करो तुम, मैं सब कुछ जान गया हूं।

इतना कहकर साहिल ने उसे एक एक रिपोर्ट, सभी कागज और बंद पड़ी हुई मशीनों के बारे में बताया तो अनूप अपना सिर पकड़ कर बैठ गया और उदास सा होते हुए बोला:' ।

" बेटा मैंने बहुत कोशिश करी लेकिन मैं अपने डूबते हुए बिजनेस को नहीं बचा पाया।

साहिल ने एक जोरदार थप्पड़ अपने बाप को मारा और बोला:"..

" हरामजादे मुझे पता हैं तूने क्या कोशिश करी हैं ऑफिस में , सिर्फ और सिर्फ रंडीबाजी और दारूबाजी। साले जब अपने दम पर बिजनेस नहीं संभाल पाया ती उस कुत्ते नीरज के कहने पर मेरी मा को उसके नीचे लिटाना चाहता था तू जो हमारी बर्बादी का जिम्मेदार हैं।

अनूप थप्पड़ लगने से बौखला उठा लेकिन दारू के नशे के चलते चाह कर कुछ नहीं को कर पाया और चौंकते हुए बोला:"

" क्या नीरज, ये नहीं हो सकता, वो तो मेरा सबसे अच्छा मित्र हैं और उसकी वजह से ही मुझे टेंडर मिला हैं।

साहिल:" चुप कर कमीने, टेंडर मिला दिया नहीं तुम्हे दिलवाया गया हैं। पैसे है क्या तुम्हारे पास टेंडर पूरा करने के लिए ?

अनूप:" नहीं है लेकिन वो पैसे भी दे रहा हैं और मुझे दे भी दिए हैं।

साहिल:" जरूर ये उसकी कोई चाल हैं, तुम चाहकर भी ये टेंडर पूरा नहीं कर सकते क्योंकि नीरज नहीं होने देगा। अच्छा ये बताओ क्या तुम लीमा को जानते हो ?

अनूप:" मेरे ऑफिस में काम करती थी। अभी छुट्टी पर हैं।

साहिल": वो छुट्टी पर नहीं है बल्कि भाग गई है। तुम उसके साथ अपने ऑफिस से जुड़े रूम में रंगरेलियां मनाते थे। और जानते हो उसने तुम्हारे साथ क्या किया हैं ?

अनूप ने हैरानी से साहिल की तरफ देखा कि उसे ये कैसे पता चला। साहिल :"

" वो तुम्हे दारू में दावा मिलाकर नामर्द बना गई है।

अनूप के दिमाग में एक जोरदार धमाका हुआ और उसे अब जाके पता चला कि वो पिछले कुछ महीने से उसके लंड में तनाव क्यों नहीं आ रहा हैं।

अनूप बुरी तरह से डर गया और बोला:" नहीं ये नहीं हो सकता, कह दो साहिल ये सब झूठ हैं।

साहिल:" यहीं सच है अनूप, और इसका मुझसे ज्यादा तुम्हे पता होगा।

इतना कहकर साहिल ने अपने बाप के लंड पर एक नजर डाली तो अनूप की नज़रे शर्म के मारे खुद ही झुक गई जो इस बात का सबूत थी कि अनूप का लंड खराब हो गया था।

रूबी:" कमीने मैंने ज़िन्दगी में बहुत नीच इंसान देखे मगर तेरे जैसा कमीना नहीं देखा। तुमने मेरी ज़िन्दगी बर्बाद कर दी हैं।

अनूप की नज़रे शर्म से नीचे ही गड़ी रही और रूबी अपने मन की भड़ास निकाल रही थी। अनूप के अंदर इतनी हिम्मत नहीं थी वो सिर उठा सके।

अनूप:" बस रूबी मुझे तुम एक आखरी मौका दो, मैं सब कुछ ठीक कर दूंगा, इस नीरज के बच्चे को ज़िंदा जमीन में गाड़ दूंगा

साहिल: बस कर अनूप, तुमने जो करना था कर चुके, अब मैं नीरज के साथ लीमा और पायल सब की ठीक कर दूंगा और अपनी मा की ज़िन्दगी फिर से खुशियों से भर दूंगा। आज के बाद तुम इसी घर में कैद रहोगे। तुझे अपनी बाकी बची हुई ज़िन्दगी अब घर के तहखाने में बितानी होगी।

अनूप साहिल की बाते सुनकर लगभग रों पड़ा और बोला:".

"नहीं साहिल बेटा, मेरे साथ ऐसा ज़ुल्म मत कर, देख मैं तेरा सगा बाप हूं बेटे।

रूबी:" अनूप तुम अब वो हक खो चुके हो और आज के बाद मैं तुम्हारी शक्ल नही देखना चाहती। आज से ना तुम साहिल के बाप हो और ना ही मेरे पति।

साहिल ने अनूप की टांग पकड़ी और घसीटते हुए तहखाने की तरफ ले गया और उसे अंदर डालते हुए तहखाने को बाहर से बंद कर दिया। अनूप अंदर चिल्लाता रहा और उस पर दया करने की भीख मांगता रहा लेकिन उसकी आवाज तहखाने की दीवारों को पार नहीं कर पाई।
साहिल और रूबी दोनो बाहर अा गए और साहिल के चेहरे पर जहां एक ओर अपने बाप के लिए गुस्सा और नफरत थी तो वहीं रूबी के दिल में आज साहिल के लिए बेपनाह इज्जत और प्यार था। सच कहूं तो एक समर्पण जहां औरत को सिर्फ और सिर्फ अपने साथी की खुशी दिखती हैं।

रूबी आगे बढ़ी और साहिल से लिपट गई और बोली:"

" साहिल बेटा अनूप को कैद करने तक तो ठीक हैं लेकिन आगे का जो तुम्हारा प्लान हैं उससे मुझसे डर लग रहा हैं। नीरज बहुत ही खतरनाक आदमी हैं, शहर के बड़े से बड़े गुंडे उसके लिए काम करते हैं।

साहिल ने एक बार रूबी की आंखो में देखा और बोला:"

" मम्मी आपको इस मुसीबत से बचाने के लिए भले ही मेरी जान क्यों ना चली जाए, मैं पीछे नहीं हट सकता।

रूबी ने अपने हाथ की उंगली साहिल के होंठो पर रख दी और बोली:"

" ना बेटे, ऐसी अशुभ बाते नहीं करते, भगवान करे तुझे मेरी उमर लग जाए। बेटा क्यों ना हम सब कुछ छोड़कर दिल्ली चले ?

साहिल के चेहरे पर कठोर भाव उभर आए और बोला:"

" मम्मी जरूर चलेंगे लेकिन जिस नीरज ने आप पर गलत नजरे डाली हैं उसकी आंखे फोड़ने के बाद। आपके हर एक गुनाहगार को सजा देने के बाद।
 
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