मनु हार कर स्नेहा की तरफ देख कर कहने लगा..... "मूड नही बेबी अभी, दो महीने बाद, काया के बर्तडे पर दादा जी वसीयत डिक्लेर करेंगे, और इधर मेरे बाप ने मेरा पत्ता सॉफ कर दिया".
स्नेहा, के हिल्स अब भी मनु के लंड पर थे, और उसे वो धीरे-धीरे प्रेस करती, अपने हाथों से अपनी शर्ट के बटन खोली, अपने ब्रा को बाहर निकालती, वो जा कर मनु के चेयर पर, अपने दोनो पाँव दोनो ओर लटका कर बैठ गयी.
"क्यों टेंशन लेते हैं सर, चिंता से कुछ हासिल नही होगा".... इतना कह कर स्नेहा ने मनु के हाथ को अपने शर्ट के अंदर डाल दिए, और होंठो से होंठो को चूसने लगी. मनु चिढ़ कर पूरी ताक़त से उसके बूब्स को दबा कर निचोड़ दिया....... "मेरा दिमाग़ काम नही कर रहा, और तुम्हे मस्ती चढ़ि है"
स्नेहा दर्द और मज़े मे पूरी तरह तड़प गयी..... "उफफफफफफफ्फ़, मनु... मर गयी..... पूरी ताक़त झोक दिए..... रूको अभी दिमाग़ ऑन करती हूँ तुम्हारा."
स्नेहा चेयर से उतर कर नीचे बैठ गयी, और मनु की बेल्ट को खोल कर उसके पैंट को घुटनो मे ले आई, और उसके शांत लंड को उलट-पलट कर देखने लगी. जैसे स्नेहा का हाथ मनु के लंड पर गया, उसके मूह से ठंडी "आआहह" निकल गयी, और वो खुद को ढीला छोड़ दिया.
स्नेहा ने मूह खोला और बॉल्स की जड़ पे जीभ टिकाती हुई, उसे नीचे से उपर तक चाट'ती चली गयी..... "ओह बाबयययी.... प्लीज़्ज़ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज रहने दो".... सिसकारियाँ निकालता मनु जैसे स्नेहा से अर्जी कर रहा हो.
पर स्नेहा नही मानी और अपनी लार को लंड पर टपकाती, उसे चाट'ती रही. स्नेहा की जीभ पड़ने से लंड हल्के-हल्के झटके ख़ाता अपना आकार लेने लगा... स्नेहा अपना बड़ा सा मूह खोली और लंड को मूह मे ले कर पूरा अंदर घुसा लिया.
मनु... "उफफफफफफफ्फ़" करता उसके सिर को ज़ोर से पकड़ कर तेज़ी से हिलने लगा..... वो भी अपने फुल मूड मे आ गया. तभी बेल बजी और बाहर से एक आवाज़ आई... "क्या मैं अंदर आ सकता हूँ"
मनु की आखें बड़ी हो गयी, और वो नीचे देखने लगा....
स्नेहा, लंड को मूह से निकालती हुई कहने लगी.... "बुला लो" ... इतना कह कर वो जल्दी से डेस्क के नीचे घुसी, और चेयर को अंदर तक खींच ली. मनु का पेट बिल्कुल डेस्क के किनारे से लगा था, और नीचे कुछ देख पाना किसी के बस की बात नही...
मनु.... यस अंकल आ जाइए....
मनु के पापा हर्षवर्धन के दोस्त और कंपनी बोर्ड ऑफ डाइरेक्टर्स मे से एक, रौनक गुप्ता, अंदर आते ठीक उसके सामने बैठ गये....
मनु..... कहिए अंकल कैसे आना हुआ....
मनु ने इधर सवाल पुछा, और उधर नीचे बैठी स्नेहा ने, लंड की चमड़ी को ज़ोर से पीछे करती, जीभ को उसके टॉप से लगा कर गोल-गोल फिराने लगी. मनु का चेहरा वासना की आग मे तप कर खिंच गया... सामने रौनक अंकल और नीचे लंड पर स्नेहा मेहरबान थी.
रौनक..... मेरे पास तुम्हारे लिए एक प्रपोज़ल है....
मनु..... "आहह, काअ.. कैसा प्रपोज़ल"