hotaks444
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अब मुझे चलने फिरने मे उतनी दिक्कत नही हो रही थी…..फ्रेश होने के बाद मैं किचन मे गयी….और नाश्ता तैयार करने लगी…..नाश्ता तैयार करते हुए मैं बार-2 किचन के डोर पर आकर सीढ़ियों की तरफ देख रही थी….राज के जॉब पर जाने का टाइम भी हो गया था…जैसे ही मैं नाश्ता तैयार करके बाहर आई तो राज सीढ़ियों से नीचे उतरा…..”अब कैसी तबीयत है भाभी जी….” उसने अपने होंटो पर दिलकश मुस्कान लाते हुए कहा…..बदले मे मेने भी मुस्कुराते हुए कहा….”पहले से बेहतर है….अप डाइनिंग टेबल पर बैठिए……..मैं नाश्ता लेकर आती हूँ……मेने और राज ने एक साथ नाश्ता किया…..और फिर राज जाते हुए मुझसे बोला.
राज: भाभी जी, रात का खाना मैं बाहर से ही लाउन्गा…..आप बनाना नही…..
मैं: ठीक है……
राज: अगर किसी और चीज़ के ज़रूरत हो तो बता दीजिए…..मैं आते समय वो लेता आउन्गा.
मैं: नही अभी किसी और चीज़ की ज़रूरत नही है….
राज के जाने के बाद मैं घर के काम मे लग गयी…..पिछले दो दिन से मेने घर की सफाई भी नही की थी……इसीलिए मेने पहले नीचे के सभी रूम की सफाई की, और फिर ऊपेर आकर राज के रूम के सफाई करने लगी….जब मैं राज के रूम मे फर्श पर पोछा लगा रही थी, तो मुझे उसके बेड के नीचे कुछ पड़ा हुआ नज़र आया…..वो शायद कोई कपड़ा था.. मेने नीचे झुक कर उसे बाहर निकाला, तो मेरी आँखें एक दम से फेल गयी…..वो एक रेड कलर की कॉटन पैंटी थी…..रेड कलर की पैंटी ना तो मेरे पास थी और ना ही नाजिया के , तभी मुझे परसो शाम वाली घटना याद आ गयी….जब राज ने फातिमा को इसी रूम मे चोदा था…..ये ज़रूर फातिमा की ही पैंटी थी….
उस पैंटी पर जगह -2 बुर से निकले पानी और शायद राज के लंड से निकले वीर्य के धब्बे थे….पैंटी का कोई भी हिस्सा ऐसा नही था……जिस पर उस दिन हुई घमसान चुदाई के निशान ना हो…..मेने पैंटी को अपने दोनो हाथों मे लेकर नाक के पास लेजा कर सूँघा तो मंत्रमुग्ध करदेने वाली खुश्बू मेरे जिस्म को झींझोड़ गयी…….मेने पैंटी को लेकर बेड पर बैठ गयी…..और उसकी और देखते हुए, उस दिन देखे हुए दृश्यों को याद करने लगी… राज का मुन्सल जैसा लंड फातिमा की बुर मे अंदर बाहर हो रहा था…..मैं एक बार फिर से अपना आपा खोने लगी…..पर तभी बाहर मेन गेट पर नॉक हुआ, तो मेने उस पैंटी को वही बेड के नीचे फेंक दिया….
और बाहर आकर छत से नीचे गली की तरफ झाँका तो देखा कि पड़ोस मे रहने वाली विमला भाभी खड़ी थी…..”अर्रे विमला भाभी आप…..मैं अभी नीचे आती हूँ…..” मेने जल्दी से राज के रूम को लॉक किया, और नीचे आकर डोर खोला…..विमला भाभी हमारे पड़ोस मे रहती थी….वो दोपहर मे कई बार हमारे घर आ जाया करती थी….और बातें किया करती थी….उस दिन भी मेने और विमला भाभी ने गली मोहाले की ढेरों बातें की…
विमला भाभी के जाने के बाद मेने घर का दूसरा काम भी निपटा लिया…और फिर नहाने चली गयी….जब कभी अंजुम घर पर नही होते थे तो मैं घर मे साड़ी पहन लिया करती थी….क्योंकि अंजुम को मेरा और नाजिया का साड़ी पहनना पसंद नही था....इसलिए मेने उस दिन ब्लू कलर की प्रिंटेड साड़ी पहन ली….राज के आने का टाइम भी हो चला था….राज आज 5:30 बजे ही आ गया……जब मेने डोर खोला तो वो मुझे बड़े गोर से देखने लगा. उसे यूँ अपनी तरफ ऐसे घूरता देख कर मैने शर्मा कर सर झुका लिया और बोली…..”ऐसे क्या देख रहे है आप”
तो वो मुस्कुराता हुआ बोला…”वाउ भाभी आप आज बहुत खूबसूरत लग रही हो इस साड़ी मे…..” ये कह कर वो अंदर आ गया……वो साथ मे रात का खाना भी ले आया था…..”भाभी ये खाना लो…..और बाद मे गरम कर लेना…..मैं ऊपेर जा रहा हूँ फ्रेश होने के लिए…..आप एक कप चाय बना देंगी…..”
मेने उसकी तरफ देख कर मुस्कुराते हुए कहा….”हां क्यों नही…”
फिर राज ऊपर चला गया….फ्रेश होकर जब वो नीचे आया तो उसने एक ढीली सी टीशर्ट और हाफ पेंट पहना हुआ था…..मैने चाइ बनाई और उसे बेड रूम मे ले गयी…सोचा चाइ के साथ ही मेडिसिन भी ले लेती हूँ…..राज रूम मे आकर बेड के सामने चेर पर बैठ गया. और मुझे मेडिसिन लेते हुए देख कर बोला…..”भाभी आब आपकी कमर का दर्द कैसा है…..”
मैं: अब ठीक है….बस कल तक पूरी तरह ठीक हो जाएगा…..(मेने मेडिसिन ली और फिर हम दोनो ने चाइ पी……)
राज: (खाली कप टेबल पर रखते हुए) भाभी आप उल्टी लेट जाओ…..मैं एक बार और आख़िरी मालिश बॉम से कर देता हूँ…….
मैं: नही राज मैं अब ठीक हूँ…..
राज: भाभी आप मेरे लिए इतना कुछ करती है…..मैं आपके लिए इतना भी नही कर सकता…. चलाओ लेट जाइए….
मैं राज की बात टाल ना सकी, और बेड पर लेट गयी….क्योंकि आज मेने साड़ी पहनी हुई थी…..इसीलिए मेरी कमर पीछे से पूरी उसकी आँखो के सामने थी….उसने बॉम को पहले अपनी उंगलियों पर लगाया….और बोला……”भाभी बताएँ कि दर्द कहाँ पर है…..” मेने अपने हाथ से अपने कुल्हों की तरफ इशारा किया….पर अपनी चोट की असली जगह बताते हुए मुझे बेहद शरम आ रही थी….उसने पहले मेरी कमर को दोनो हाथों से मालिश करना शुरू किया. और फिर धीरे-2 नीचे की तरफ बढ़ने लगा…..
राज: भाभी…..
मैं: जी……….
राज: भाभी आपकी स्किन कितनी सॉफ्ट है…….एक दम स्मूद…..भाभी आप अपनी साड़ी थोड़ा नीचे सरका दें…..चोट वाली जगह पर भी अच्छे से मालिश हो जाएगी…..
मैने शरमाते हुए, अपनी साड़ी और कमर के बीच मे हाथ डाला और पेटिकोट का नाडा खोल दिया….और पेटिकोट और साड़ी ढीली कर दी….”क्योंकि आज मैने काफ़ी काम किया था….इसीलिए मेरी कमर मे फिर से दर्द बढ़ गया था…इसीलिए सोचा अगर सही जगह बॉम से मालिश हो जाएगी तो दर्द से राहत मिले…..जैसे ही मेरी साड़ी ढीली हुई, तो उसने मेरी साड़ी और पेटिकोट के अंदर अपनी उंगलियों को डाल कर उसे नीचे सरका दिया…..पर मुझे अहसास हुआ मेने बहुत बड़ी ग़लती कर दी है….मेने नीचे पैंटी भी नही पहनी हुई थी….पर तब तक बहुत देर हो चुकी थी…….मेरे आधे से ज़्यादा नितंब अब उसकी आँखों के सामने थे….
उसने धीरे-2 कमर से मालिश करते हुए, अपने हाथों को मेरे नितंबो की और बढ़ाना शुरू कर दिया…..उसके हाथों का स्पर्श मेरे जिस्म के हर अंग को ऐसा सकून पहुँच रहा था…. जैसे बरसो के प्यासे को पानी पीने के बाद सकून मिलता है…..चाहते हुए भी उसका विरोध नही कर पा रही थी….मैं बस लेटी हुई, उसके स्पर्श का मज़ा उठा रही थी….मेरा विरोध ना पा कर उसकी हिम्मत बढ़ी…..अब उसने मेरे आधे से ज़्यादा नंगे हो चुके चुतड़ों को ज़ोर-2 से मसलना शुरू कर दिया….मेरी साड़ी और पेटिकोट उसके हाथ से टकराते हुए और थोड़ा-2 और नीचे सरक जाते…..मुझे अहसास हो रहा था कि, अब उसे मेरी चुतड़ों के बीच की दरार भी दिखाई दे रही होगी…..
राज: भाभी जी, रात का खाना मैं बाहर से ही लाउन्गा…..आप बनाना नही…..
मैं: ठीक है……
राज: अगर किसी और चीज़ के ज़रूरत हो तो बता दीजिए…..मैं आते समय वो लेता आउन्गा.
मैं: नही अभी किसी और चीज़ की ज़रूरत नही है….
राज के जाने के बाद मैं घर के काम मे लग गयी…..पिछले दो दिन से मेने घर की सफाई भी नही की थी……इसीलिए मेने पहले नीचे के सभी रूम की सफाई की, और फिर ऊपेर आकर राज के रूम के सफाई करने लगी….जब मैं राज के रूम मे फर्श पर पोछा लगा रही थी, तो मुझे उसके बेड के नीचे कुछ पड़ा हुआ नज़र आया…..वो शायद कोई कपड़ा था.. मेने नीचे झुक कर उसे बाहर निकाला, तो मेरी आँखें एक दम से फेल गयी…..वो एक रेड कलर की कॉटन पैंटी थी…..रेड कलर की पैंटी ना तो मेरे पास थी और ना ही नाजिया के , तभी मुझे परसो शाम वाली घटना याद आ गयी….जब राज ने फातिमा को इसी रूम मे चोदा था…..ये ज़रूर फातिमा की ही पैंटी थी….
उस पैंटी पर जगह -2 बुर से निकले पानी और शायद राज के लंड से निकले वीर्य के धब्बे थे….पैंटी का कोई भी हिस्सा ऐसा नही था……जिस पर उस दिन हुई घमसान चुदाई के निशान ना हो…..मेने पैंटी को अपने दोनो हाथों मे लेकर नाक के पास लेजा कर सूँघा तो मंत्रमुग्ध करदेने वाली खुश्बू मेरे जिस्म को झींझोड़ गयी…….मेने पैंटी को लेकर बेड पर बैठ गयी…..और उसकी और देखते हुए, उस दिन देखे हुए दृश्यों को याद करने लगी… राज का मुन्सल जैसा लंड फातिमा की बुर मे अंदर बाहर हो रहा था…..मैं एक बार फिर से अपना आपा खोने लगी…..पर तभी बाहर मेन गेट पर नॉक हुआ, तो मेने उस पैंटी को वही बेड के नीचे फेंक दिया….
और बाहर आकर छत से नीचे गली की तरफ झाँका तो देखा कि पड़ोस मे रहने वाली विमला भाभी खड़ी थी…..”अर्रे विमला भाभी आप…..मैं अभी नीचे आती हूँ…..” मेने जल्दी से राज के रूम को लॉक किया, और नीचे आकर डोर खोला…..विमला भाभी हमारे पड़ोस मे रहती थी….वो दोपहर मे कई बार हमारे घर आ जाया करती थी….और बातें किया करती थी….उस दिन भी मेने और विमला भाभी ने गली मोहाले की ढेरों बातें की…
विमला भाभी के जाने के बाद मेने घर का दूसरा काम भी निपटा लिया…और फिर नहाने चली गयी….जब कभी अंजुम घर पर नही होते थे तो मैं घर मे साड़ी पहन लिया करती थी….क्योंकि अंजुम को मेरा और नाजिया का साड़ी पहनना पसंद नही था....इसलिए मेने उस दिन ब्लू कलर की प्रिंटेड साड़ी पहन ली….राज के आने का टाइम भी हो चला था….राज आज 5:30 बजे ही आ गया……जब मेने डोर खोला तो वो मुझे बड़े गोर से देखने लगा. उसे यूँ अपनी तरफ ऐसे घूरता देख कर मैने शर्मा कर सर झुका लिया और बोली…..”ऐसे क्या देख रहे है आप”
तो वो मुस्कुराता हुआ बोला…”वाउ भाभी आप आज बहुत खूबसूरत लग रही हो इस साड़ी मे…..” ये कह कर वो अंदर आ गया……वो साथ मे रात का खाना भी ले आया था…..”भाभी ये खाना लो…..और बाद मे गरम कर लेना…..मैं ऊपेर जा रहा हूँ फ्रेश होने के लिए…..आप एक कप चाय बना देंगी…..”
मेने उसकी तरफ देख कर मुस्कुराते हुए कहा….”हां क्यों नही…”
फिर राज ऊपर चला गया….फ्रेश होकर जब वो नीचे आया तो उसने एक ढीली सी टीशर्ट और हाफ पेंट पहना हुआ था…..मैने चाइ बनाई और उसे बेड रूम मे ले गयी…सोचा चाइ के साथ ही मेडिसिन भी ले लेती हूँ…..राज रूम मे आकर बेड के सामने चेर पर बैठ गया. और मुझे मेडिसिन लेते हुए देख कर बोला…..”भाभी आब आपकी कमर का दर्द कैसा है…..”
मैं: अब ठीक है….बस कल तक पूरी तरह ठीक हो जाएगा…..(मेने मेडिसिन ली और फिर हम दोनो ने चाइ पी……)
राज: (खाली कप टेबल पर रखते हुए) भाभी आप उल्टी लेट जाओ…..मैं एक बार और आख़िरी मालिश बॉम से कर देता हूँ…….
मैं: नही राज मैं अब ठीक हूँ…..
राज: भाभी आप मेरे लिए इतना कुछ करती है…..मैं आपके लिए इतना भी नही कर सकता…. चलाओ लेट जाइए….
मैं राज की बात टाल ना सकी, और बेड पर लेट गयी….क्योंकि आज मेने साड़ी पहनी हुई थी…..इसीलिए मेरी कमर पीछे से पूरी उसकी आँखो के सामने थी….उसने बॉम को पहले अपनी उंगलियों पर लगाया….और बोला……”भाभी बताएँ कि दर्द कहाँ पर है…..” मेने अपने हाथ से अपने कुल्हों की तरफ इशारा किया….पर अपनी चोट की असली जगह बताते हुए मुझे बेहद शरम आ रही थी….उसने पहले मेरी कमर को दोनो हाथों से मालिश करना शुरू किया. और फिर धीरे-2 नीचे की तरफ बढ़ने लगा…..
राज: भाभी…..
मैं: जी……….
राज: भाभी आपकी स्किन कितनी सॉफ्ट है…….एक दम स्मूद…..भाभी आप अपनी साड़ी थोड़ा नीचे सरका दें…..चोट वाली जगह पर भी अच्छे से मालिश हो जाएगी…..
मैने शरमाते हुए, अपनी साड़ी और कमर के बीच मे हाथ डाला और पेटिकोट का नाडा खोल दिया….और पेटिकोट और साड़ी ढीली कर दी….”क्योंकि आज मैने काफ़ी काम किया था….इसीलिए मेरी कमर मे फिर से दर्द बढ़ गया था…इसीलिए सोचा अगर सही जगह बॉम से मालिश हो जाएगी तो दर्द से राहत मिले…..जैसे ही मेरी साड़ी ढीली हुई, तो उसने मेरी साड़ी और पेटिकोट के अंदर अपनी उंगलियों को डाल कर उसे नीचे सरका दिया…..पर मुझे अहसास हुआ मेने बहुत बड़ी ग़लती कर दी है….मेने नीचे पैंटी भी नही पहनी हुई थी….पर तब तक बहुत देर हो चुकी थी…….मेरे आधे से ज़्यादा नितंब अब उसकी आँखों के सामने थे….
उसने धीरे-2 कमर से मालिश करते हुए, अपने हाथों को मेरे नितंबो की और बढ़ाना शुरू कर दिया…..उसके हाथों का स्पर्श मेरे जिस्म के हर अंग को ऐसा सकून पहुँच रहा था…. जैसे बरसो के प्यासे को पानी पीने के बाद सकून मिलता है…..चाहते हुए भी उसका विरोध नही कर पा रही थी….मैं बस लेटी हुई, उसके स्पर्श का मज़ा उठा रही थी….मेरा विरोध ना पा कर उसकी हिम्मत बढ़ी…..अब उसने मेरे आधे से ज़्यादा नंगे हो चुके चुतड़ों को ज़ोर-2 से मसलना शुरू कर दिया….मेरी साड़ी और पेटिकोट उसके हाथ से टकराते हुए और थोड़ा-2 और नीचे सरक जाते…..मुझे अहसास हो रहा था कि, अब उसे मेरी चुतड़ों के बीच की दरार भी दिखाई दे रही होगी…..