Gandi Kahaniya एक आहट जिंदगी की - Page 5 - SexBaba
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Gandi Kahaniya एक आहट जिंदगी की

पूरी रात नाजिया विमला और राज की चुदाई का खेल चला…..दिन इसी तरह गुजर रहे थी. उस दिन की घटना के 2 मंत के बाद की बात है….एक दिन नाजिया को अचानक से वॉर्मटिंग शुरू हो गयी…और वो बेहोश होकर गिर पड़ी…..मेने उसके चेहरे पर पानी फेंका तो उसे थोड़ी देर बाद होश आया…में उसे लेकर सहर के हॉस्पिटल में गयी….क्योंकि नाजिया को कभी कोई बीमारी या शिकायत नही हुई थी….जब वहाँ पर एक लेडी डॉक्टर ने उसका चेक अप किया तो उसने मुझे बताया कि नाजिया प्रेग्नेंट है….

मेरे तो पैरो तले से ज़मीन खिसक गयी…मेने वहाँ तो नाजिया को कुछ नही कहा. और उसे लेकर घर आ गयी….घर आकर मेने नाजिया को जब सारी बात बताई तो नाजिया के चेहरे का रंग उड़ गया…मेरे डाँटने और धमकाने पर नाजिया ने सारा राज़ उगल दिया….

में बहुत परेशान थी….मुझे यकीन नही हो रहा था कि, राज हमारे साथ इतना बड़ा धोका कर सकता है….उस दिन राज अंजुम से कुछ देर पहले घर वापिस आ गया……में राज के रूम में गयी, तो राज उठ कर मेरी तरफ बढ़ा…मेने राज को वही रुकने के लिए कह दिया…..

में: राज तुमने ये सब हमारे साथ सही नही किया…..

राज: पर हुआ क्या है…..मुझे पता तो चले…..

में: राज तुम हमे इस तरह धोका दोगे…..अगर मुझे पहले पता होता तो में तुम्हे अपने घर में कभी रहने नही देती….

राज: सॉफ -2 बोलो ना बात क्या है…..

में: अच्छा तो सुनो……नाजिया के पेट में तुम्हारा बच्चा है….अब मैं क्या करूँ. तुम ही बताओ…..तुमने हम सब को धोका दिया है…में तुम्हे कभी माफ़ नही करूँगी…..तुमने नाजिया की जिंदगी बर्बाद क्यों की…..

मेरी बात सुन कर राज के चेहरे का रंग उड़ चुका था…..”कोई बात नही में पैसे देता हूँ तुम उसका अबॉर्षन करवा दो….” राज ने ऐसा दिखाया जैसे उसे किसी की परवाह ही ना हो…” अबॉर्षन करवा दो….अबॉर्षन से तुमने जो पाप किया है वो तो छुप जाएगा…पर नाजिया का क्या….जिसे तुमने प्यार का झूठा सपना दिखा कर उसके साथ इतना ग़लत किया है….”

राज: देखो नजीबा ताली एक हाथ से नही बजती…..अगर इस बात के लिए में कसूर वार हूँ. तो नाजिया भी कम कसूरवार नही है…और नजीबा अबॉर्षन के अलावा और कोई चारा है तुम्हारे पास….

में: ठीक है राज में नाजिया का अबॉर्षन करवा देती हूँ…..पर एक बात बताओ कि तुम सच में नाजिया से प्यार करते हो…..

राज: नही में उससे कोई प्यार व्यार नही करता….वो ही मेरे पीछे पड़ी थी…..

में: देखो राज अगर नाजिया को ये सब पता चला तो वो टूट जाएगी….उसने आज तक अपनी जिंदगी में सब दुख ही दुख देखे है….पर अब और नही…..नाजिया भले ही मेरी कोख से नही जनमी. पर मैने उसे अपनी बेटी की तरह पाला है….तुम्हे उससे शादी करनी ही होगी.

राज: खवाब मत देखो नजीबा….ऐसा कभी नही होगा….

ये कह कर राज बाहर चला गया….में उसी के रूम में बैठी रोते हुए अपनी किस्मत को कोस रही थी…..तभी मेरी नज़र टेबल पर पड़ी हुई एक डायरी पर पड़ी….मेने वो डायरी उठा कर देखी तो,उस पर राज के फ्रेंड्स और कुछ रिश्तेदारों के कॉंटॅक्ट नंबर लिखे हुए थे…और मुझे उन्ही कॉंटॅक्ट नंबर में से राज की मम्मी का नंबर. मिल गया….

मेने पेन उठा कर उस नंबर को अपने हाथ पर लिखा और नीचे आ गयी….फिर बाहर डोर लॉक करके अपने रूम में आकर राज के घर का नंबर मिलाया….थोड़ी देर बाद किसी ने आदमी ने फोन उठाया……

आदमी: हेलो कॉन….

में: जी में नजीबा बोल रही हूँ **** से. क्या में कविता जी से बात कर सकती हूँ

आदमी: जी दो मिनिट होल्ड कीजिए….कविता दीदी आपका फोन है…..

कविता: (थोड़ी देर बाद) हेलो कॉन…..?

में: जी में नजीबा बोल रही हूँ…..

कविता: नजीबा कॉन सॉरी मेने आपको पहचाना नही…..

में: जी राज हमारे घर पर किराए पर रहता है….

कविता: ओह्ह अच्छा -2 सॉरी में भूल गयी….हां एक बार राज ने बताया था…. जी कहिए कुछ काम था क्या…..

में: जी क्या आप यहाँ आ सकती है…..

कविता: क्यों क्या हुआ सब ठीक है ना…राज तो ठीक है ना….

में: जी राज ठीक है…..

कविता: तो फिर बात क्या है….?

में: जी बहुत ज़रूरी बात है….फोन पर नही बता सकती….बस आप यही समझ लो कि मेरी बेटी की लाइफ का सवाल है…..

कविता: क्या आपकी बेटी…ओके ओके में कल सॉरी आज ही निकलती हूँ यहाँ से…

में: कविता जी प्लीज़ राज को मत बताईएगा कि मेने आपको फोन किया है….और आपको यहाँ बुलाया है…..

कविता: ठीक है तुम फिकर ना करो…..में कल सुबह वहाँ पर पहुँच जाउन्गी….
 
फिर मेने कविता जी को पूरा अड्रेस्स समझाया….और फोन रख दिया….उस दिन घर का महॉल ऐसा रहा जैसे किसी का मातम हो रहा हो…..अगले दिन सुबह मेने नाजिया को स्कूल नही जाने दिया…..राज और अंजुम जा चुके थे…में कविता जी के आने का वेट कर रही थी. और 4 बजे कविता जी हमारे घर आ गयी….मेने और नाजिया ने उनकी मेहमान नवाज़ी की और फिर में कविता जी को लेकर अपने रूम में आ गयी…..

कविता: हां नजीबा अब कहो क्या बात है…..?

में: कविता जी दरअसल बात ये है कि, आपके बेटे ने मेरे बेटी के साथ….( और में बोलते -2 चुप हो गयी)

कविता: तुम सच कह रही हो….और तुम्हे पूरा यकीन है कि मेरे बेटे ने….

में: जी…..नाजिया को दूसरा महीना चल रहा है…..

कविता: (एक दम से चोन्कते हुए) क्या हाए मेरी माँ….उस नलायक ने….उसने तो मुझे कही मुँह दिखाने लायक नही छोड़ा….पर आपकी बेटी भी तो समझदार है ना….उसने ये सब क्यों होने दिया….

में: जी में नही जानती पर दोनो बच्चे है अभी…..

कविता: देखो में अभी कुछ नही कह सकती….और मेरा बेटा मुझसे कभी झूठ नही बोलता….तुम नाजिया को यहाँ बुला कर लाओ….

मेने नाजिया को आवाज़ दी और नाजिया रूम में आ गयी……”तुम मेरे बेटे से प्यार करती हो…” नाजिया सहमी सी कभी मेरी तरफ देखती तो कभी ज़मीन की तरफ….”घबराओ नही….जो सच है बताओ….”

नाजिया: (हां में सर हिलाते हुए) जी…..

कविता: और ये बच्चा…..

नाजिया: जी…..

कविता: हे भगवान….ये आज कल के बच्चे….माँ बाप के लिए कही ना कही कोई ना कोई मुसीबत खड़ी कर देते है….आने दो उस नलायक को…..

अभी हम बात ही कर रहे थी कि, बाहर डोर बेल बजी…..”सुनो अगर राज होगा तो उसे यही बुला लाना…और नाजिया तुम अपने रूम में जाओ….” मेने कविता जी की बात सुन कर हां में सर हिलाया और बाहर आकर गेट खोला तो देखा सामने राज खड़ा था….उसके अंदर आने के बाद मेने डोर लॉक किया…और राज के पीछे चलने लगी….जैसे ही राज ऊपेर जाने लगा तो मेने उसे रोक लिया….”आपकी मम्मी आई है….अंदर बैठी है…..”

राज ने मेरी तरफ देखा उसके चेहरे का रंग उड़ चुका था…वो तेज़ी से रूम में गया. में भी उसके पीछे रूम में चली गयी…नाजिया अपने रूम में जा चुकी थी….राज ने जाते ही अपनी मम्मी के पैर छुए…..”मम्मी आप यहाँ अचानक से…..”

कविता: जब बच्चे अपने आप को इतना बड़ा समझने लगें कि, उनको किसी और की परवाह ना रहे तो माँ बाप को ही देखना पड़ता है….क्यों रे राज इसलिए तुझे पढ़ा लिखा कर बड़ा किया था…इसलिए तुझे अपने से इतनी दूर भेजा था कि, तुम बाहर जाकर अपने खानदान का नाम मिट्टी में मिलाओ…..”

कविता: राज जो कुछ भी नजीबा ने मुझे बताया है क्या वो सच है….

राज: (सर को नीचे झुकाते हुए) जी….

कविता: और जो बच्चा नाजिया के पेट में है वो तुम्हारा है….तुमने उसके साथ ग़लत किया ?

राज: जी….

कविता: शादी भी करना चाहते होगे तुम अब उससे…..

राज: जी जी नही…..

कविता: (उठ कर खड़ी होजाती है….और एक जोरदार थप्पड़ राज के गाल पर जडती है) नलायक ये सब करने से पहले नही सोचा तुमने…..किसने हक़ दिया तुझे किसी की जिंदगी की बर्बाद करने का….हां बोल अब बुत बन कर क्यों खड़ा है…..

राज: मम्मी मुझसे बहुत बड़ी भूल हो गयी…..मुझे माफ़ कर दो…भले ही मुझे जो मर्ज़ी सज़ा दो….

कविता: ग़लती तूने की है….और ग़लती कबूल भी की है…..अगर तेरी बेहन होती और अगर नाजिया की जगह तेरी बेहन के साथ ऐसा होता….तो तुझ पर क्या बीतती….कभी सोचा भी है. कि किसी की जिंदगी से कैसे खिलवाड़ करते है….

कविता: देखो नजीबा बच्चों ने जो ग़लती करनी थी कर दी….पर अब हमे इनकी ग़लती को सुधारना है……में अभी इसके मामा जी को फोन करके बुलाती हूँ….और कल ही इन दोनो की शादी करवाती हूँ…..क्यों राज तुझे कोई एतराज तो नही है….

कविता जी ने बड़े कड़क लहजे में राज को कहा…..”और हां नाजिया को बोलो कि कोई अबॉर्षन करवाने की ज़रूरत नही है……”

में: कविता जी में आपका ये अहसान जिंदगी भर नही भूलूंगी……


तो दोस्तो ये थी मेरी दास्तान……एक मजबूर औरत की दास्तान……जिसके अंत में एक और औरत ने आकर मेरी सभी मजबूरियाँ जड से मिटा दी….नाजिया और राज की शादी हो गयी….नाजिया इस शादी से बहुत खुश है…..और अब वो दो बच्चों की माँ बन चुकी है….में भी खुश हूँ. क्योंकि राज और नाजिया अपने बच्चों के साथ मेरे पास ही रहते है…..

हॅपी एंडिंग


दोस्तो ये कहानी कैसी लगी ज़रूर बताना मुझे आपके जबाब का इंतजार रहेगा
 
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