hotaks444
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अब उन दो रातों में आंटी के साथ हुई मस्त चुदाई के बारे में क्या लिखूं. उस रात और अगली रात हमने ऐसी चुदाई की कि जैसे जनम जनम के प्यासे हों. आंटी की चूत के उस सोमरस का भी स्वाद आखिर मुझे मिला. उसका ज्यादा वर्णन करना भी रिपीटीशन हो जायेगा. उन्होंने अपनी चूत का स्वाद मुझे थोड़ा मिन्नत करने पर दिया, और वह भी इस तरह कि जैसे इतनी नायाब शराब पिला कर बड़ा एहसान कर रही हों. वैसे उनकी बात ठीक भी थी, उनकी वह सेक्सी बुर और वह गाढ़ा महकता शहद, मजा आ गया. एक बात समझ में आयी कि लता आंटी का दिमाग सेक्स के ऐसे आयामों की तरफ़ दौड़ता था जिसे हम जानते तो हैं पर असली जिंदगी में करते नहीं. इसलिये ज्यादा वर्णन के बजाय ऐसे ही दो तीन इन्स्टेंस नीचे बता रहा हूं, जिससे मुझे उनके स्वभाव और मन में उफ़नते वासना के तूफ़ानों का थोड़ा अंदाज लगने लगा था.
हम एक दूसरे से लिपटे पलंग पर पड़े थे और बस एक दूसरे के नग्न शरीर का आनंद ले रहे थे. मैं आंटी के पूरे बदन को चूम रहा था, ऊपर से लेकर नीचे तक मैंने एक हिस्सा नहीं छोड़ा, इसी चक्कर में उनके उन खूबसूरत पैरों के भी चुम्मे ले लिये जो अन्यथा करना अजीब सा लगता.
थोड़ी देर बाद आंटी ने मुझे नीचे पटका और यही मेरे साथ किया. मेरे बदन को वे पूरा जान लेना चाहती थीं. बहुत अजीब सुखद सा अनुभव था कि किसी नारी को मेरा शरीर इतना मोहक लग रहा था. फ़िर मुझे पट लेटने को कहा. मुझे जरा अजीब लगा क्योंकि उनके लायक जो भी चीज थी मेरे पास, वो तो बस सामने ही थी. मेरी पीठ उन्होंने चूमी और फ़िर पीठ को सहलाते सहलाते उनके हाथ मेरे नितंबों पर पहुंच गये. उसपर वे थम से गये. फ़िर वे उन्हें दबाने लगीं "क्यूट बटक्स हैं तुम्हारी विनय, बबल बट, तुम कॉलेज में थे तो कोई इनके पीछे नहीं लगा?"
मैंने कहा "नहीं आंटी". यह भी कहने वाला था कि इस तरफ़ मेरा जरा सा भी रुझान नहीं है. इतने में लता आंटी बोलीं "अगर मैं लड़का होती तो जरूर मरती तेरे इन चूतड़ों पर" फ़िर उन्होंने प्यार से उनको किस किया. क्षण भर उनके वे होंठ मेरे गुदा पर को छू कर गुजरे जैसे तितली बैठे और तुरंत उड़ जाये.
उसके बाद हमारे मैच के दो तीन गेम हो जाने के बाद वे मेरा लंड चूस रही थीं. उस वक्त बड़ा लुत्फ़ ले लेकर धीरे धीरे मेरे लंड का स्वाद लिया था. सुपाड़े को चूमना, जीभ से गुददुगुदाना, सब तरह के करम किये थे. चूसते वक्त भी कभी सिर्फ़ सुपाड़े की टिप चूसतीं, कभी पूरा सुपाड़ा और कभी पूरा लंड. बीच में बोलीं "पूरी कटोरी भर क्रीम चाहिये मुझे अब, कम से काम नहीं चलेगा" उस वक्त मैं झड़ने के शिखर पर लड़खड़ा रहा था. वरना कहने वाला था कि दो बार तो चुदा कर झड़ा दिया मुझे, अब जितना रस बनता है मेरी गोटी में उतना ही तो आपको मिलेगा आंटी, वैसे वे यह मुझे उकसाने को कह रही थीं यह तय था.
अब वे पूरा लंड जड़ तक मुंह में लेकर कस के अपने हाथों को मेरी कमर के इर्द गिर्द बांध कर नितंबों को दबा और मसल रही थीं. मेरे झड़ने के ऐन वक्त अचानक बिना बताये उन्होंने अपनी बीच की उंगली एकाएक मेरे गुदा में घुसेड़ दी. थोड़ी नहीं, जड़ तक अंदर, और जिस आसानी से वह पूरी अंदर गयी, उसमें जरूर उन्होंने पहले से कोल्ड क्रीम लगा रखी थी. मैं चिहुक पड़ा, एकदम दर्द हुआ और एक स्वीट सी भी फ़ीलिंग आयी. और वे सिर्फ़ उंगली डाल कर नहीं रुकीं, उसे अंदर बाहर, आगे पीछे, इधर उधर करती रहीं, सारांश यह कि मेरे झड़ते झड़ते उन्होंने कस के मेरी गांड में हर तरह से उंगली की. मैं झड़ा भी ऐसा कि जैसे सब शक्ति निकल गयी हो, कुछ न बचा हो.
बाद में बोलीं "टाइट है एकदम, और बहुत सॉफ़्ट ... मखमल जैसी ... विनय ... मुझे तो लव हो गया है तुम्हारी गांड से"
मैंने ध्यान नहीं दिया, मन में कहा कि आंटी, भले आप मेरी गांड पे मरती हैं, पर शुक्र है कि उसे भोगने के लिये जो चीज चाहिये वो तो आप के पास है नहीं. फ़िर सोचा कि ज्यादा मादक स्वभाव होने से बोल रही होंगी. उनकी उंगली ने मुझे काफ़ी तड़पाया था, उनके लंबे नाखून भी थे, अब भले ही उन्होंने केयरफ़ुली उंगली की हो, खरोंच भी न आने दी हो पर दर्द तो होता ही है!
हम एक दूसरे से लिपटे पलंग पर पड़े थे और बस एक दूसरे के नग्न शरीर का आनंद ले रहे थे. मैं आंटी के पूरे बदन को चूम रहा था, ऊपर से लेकर नीचे तक मैंने एक हिस्सा नहीं छोड़ा, इसी चक्कर में उनके उन खूबसूरत पैरों के भी चुम्मे ले लिये जो अन्यथा करना अजीब सा लगता.
थोड़ी देर बाद आंटी ने मुझे नीचे पटका और यही मेरे साथ किया. मेरे बदन को वे पूरा जान लेना चाहती थीं. बहुत अजीब सुखद सा अनुभव था कि किसी नारी को मेरा शरीर इतना मोहक लग रहा था. फ़िर मुझे पट लेटने को कहा. मुझे जरा अजीब लगा क्योंकि उनके लायक जो भी चीज थी मेरे पास, वो तो बस सामने ही थी. मेरी पीठ उन्होंने चूमी और फ़िर पीठ को सहलाते सहलाते उनके हाथ मेरे नितंबों पर पहुंच गये. उसपर वे थम से गये. फ़िर वे उन्हें दबाने लगीं "क्यूट बटक्स हैं तुम्हारी विनय, बबल बट, तुम कॉलेज में थे तो कोई इनके पीछे नहीं लगा?"
मैंने कहा "नहीं आंटी". यह भी कहने वाला था कि इस तरफ़ मेरा जरा सा भी रुझान नहीं है. इतने में लता आंटी बोलीं "अगर मैं लड़का होती तो जरूर मरती तेरे इन चूतड़ों पर" फ़िर उन्होंने प्यार से उनको किस किया. क्षण भर उनके वे होंठ मेरे गुदा पर को छू कर गुजरे जैसे तितली बैठे और तुरंत उड़ जाये.
उसके बाद हमारे मैच के दो तीन गेम हो जाने के बाद वे मेरा लंड चूस रही थीं. उस वक्त बड़ा लुत्फ़ ले लेकर धीरे धीरे मेरे लंड का स्वाद लिया था. सुपाड़े को चूमना, जीभ से गुददुगुदाना, सब तरह के करम किये थे. चूसते वक्त भी कभी सिर्फ़ सुपाड़े की टिप चूसतीं, कभी पूरा सुपाड़ा और कभी पूरा लंड. बीच में बोलीं "पूरी कटोरी भर क्रीम चाहिये मुझे अब, कम से काम नहीं चलेगा" उस वक्त मैं झड़ने के शिखर पर लड़खड़ा रहा था. वरना कहने वाला था कि दो बार तो चुदा कर झड़ा दिया मुझे, अब जितना रस बनता है मेरी गोटी में उतना ही तो आपको मिलेगा आंटी, वैसे वे यह मुझे उकसाने को कह रही थीं यह तय था.
अब वे पूरा लंड जड़ तक मुंह में लेकर कस के अपने हाथों को मेरी कमर के इर्द गिर्द बांध कर नितंबों को दबा और मसल रही थीं. मेरे झड़ने के ऐन वक्त अचानक बिना बताये उन्होंने अपनी बीच की उंगली एकाएक मेरे गुदा में घुसेड़ दी. थोड़ी नहीं, जड़ तक अंदर, और जिस आसानी से वह पूरी अंदर गयी, उसमें जरूर उन्होंने पहले से कोल्ड क्रीम लगा रखी थी. मैं चिहुक पड़ा, एकदम दर्द हुआ और एक स्वीट सी भी फ़ीलिंग आयी. और वे सिर्फ़ उंगली डाल कर नहीं रुकीं, उसे अंदर बाहर, आगे पीछे, इधर उधर करती रहीं, सारांश यह कि मेरे झड़ते झड़ते उन्होंने कस के मेरी गांड में हर तरह से उंगली की. मैं झड़ा भी ऐसा कि जैसे सब शक्ति निकल गयी हो, कुछ न बचा हो.
बाद में बोलीं "टाइट है एकदम, और बहुत सॉफ़्ट ... मखमल जैसी ... विनय ... मुझे तो लव हो गया है तुम्हारी गांड से"
मैंने ध्यान नहीं दिया, मन में कहा कि आंटी, भले आप मेरी गांड पे मरती हैं, पर शुक्र है कि उसे भोगने के लिये जो चीज चाहिये वो तो आप के पास है नहीं. फ़िर सोचा कि ज्यादा मादक स्वभाव होने से बोल रही होंगी. उनकी उंगली ने मुझे काफ़ी तड़पाया था, उनके लंबे नाखून भी थे, अब भले ही उन्होंने केयरफ़ुली उंगली की हो, खरोंच भी न आने दी हो पर दर्द तो होता ही है!