Hindi Chudai Kahani मेरी चालू बीवी - Page 5 - SexBaba
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Hindi Chudai Kahani मेरी चालू बीवी


अपडेट 32

पर जहाँ कोई अजनबी देखा नहीं कि बुरी तरह उग्र हो जाता है…मधु को देख मेरे लण्ड का भी वही हाल था…और यह भी समझ आ गया था… कि सलोनी के नंगे अंगों को देख अरविन्द अंकल, पारस या दूसरे लोगों का क्या हाल होता होगा…तभी मेरे दिमाग में शाम वाली बात आ जाती है…
मैं- अरे जान… शाम क्या कह रही थी??सलोनी- किस बारे में?
मैं- वो जब मैं मधु को नहला रहा था… तब कि तो मत शरमा… अब क्यों ऐसा कर रही है… क्या कोई पहले भी इसको नहला चुका है..या नंगी देख चुका है?अपनी बात सुनते ही तुरंत मधु ने प्रतिरोध किया- क्या भैया… आप फिर?
सलोनी- तू चुप कर खाना खा… तुझसे किसी ने कुछ पूछा क्या ???
सलोनी की डाँट से वो कुछ डर गई…और ‘जी भाभी’ बोल नजरें नीचे कर खाने लगी…
सलोनी- जानू और कोई नहीं इसका बाप ही… वो शराबी… जब देखो इसको परेशान करता रहता है…
मैं- क्याआआ??? क्या कह रही है तू… क्या ये सच है… इसके पापा ही… क्या करते हैं वो?मधु एक बार फिर- रहने दो ना भाभी…
सलोनी- अरे इसकी कुछ समय पहले तक बिस्तर पर सूसू निकल जाती थी… ना फिर…
मधु- छीइइइइइइ भाभी नहीं ना…
सलोनी- अच्छा वो तो एक बीमारी ही है ना… इसमें शरमा क्यों रही है…
मधु- पर वो तो बहुत पहले की बात है ना… अब क्यों…मैं दोनों की बातें रस लेकर सुन रहा था…
मैं- हाँ तो फिर क्या हुआ???
सलोनी- तो इसके पापा ही रोज इसके कपड़े बदल… इसको साफ़ करते थे…
मैं- और इसकी माँ… वो नहीं…
सलोनी- वही तो… वो सोती रहती थी… और इसके पापा को ही बोलती थी… ये बेचारी डर के मारे कुछ नहीं बोलती थी…
मैं- वो तो है…तो इसमें गलत क्या है… हर बाप… यही करेगा…
सलोनी- अरे आगे तो सुनो… वो इसकी बिस्तर के साथ साथ… इसके कपड़े… कच्छी सब निकाल पूरा नंगा कर देते थे… और इसका पूरा शरीर साफ़ करते थे…
मैं- हाँ तो क्या हुआ… गीले हो जाते होंगे ना…
सलोनी- अरे नहीं… इसका कोई पूरा थोड़ी निकलता था… केवल डर की बीमारी थी… केवल जरा सा निकल जाता था…
मैं- ओह… फिर वो क्या करते थे??
सलोनी- वही तो… इसके पूरे शरीर को बहाने से छूते… रगड़ते थे…
मधु- बस भाभी ना…
सलोनी- उस समय बस नहीं बोलती थी…
मैं- और क्या करते थे वो…
सलोनी- इसके नंगे बदन से चिपक कर लेट जाते थे…इसको सोए हुआ जानकर… इसके निप्पल को चूसते हैं… इसके होंटों को भी चूमते हैं… और अभी उस दिन तो बता रही थी… कि इसकी मुनिया को भी चाटा था… क्यों मधु…???मैं सलोनी की बात सुन… आश्चर्यचकित था…क्या एक बाप आप ही बेटी के साथ…?
मधु सर झुकाये बैठी थी… उसने कोई जवाब नहीं दिया…
मैं- तो क्या अब भी इसको सूसू निकल जाती है…मधु तुरंत ना में सर हिलाती है- …नहीं भैया…
सलोनी- अरे नहीं… अब तो यह बिल्कुल ठीक है… मगर इसका बाप अब भी…
मैं- क्याआआआ?
सलोनी- हाँ… जब पीकर आता है… तो इसी के बिस्तर पर आकर… इसको डराता है… कि दिखा आज तो नहीं मूता तूने… और इसको नंगा कर परेशान करता है…
मैं- साला… शराबी… हरामी…
सलोनी- अरे आप क्यों गाली दे रहे हो…
मधु- भाभी आप बहुत गन्दी हो… मैं भी भैया को आपकी बात बता दूंगी हाँ…मधु कुछ ज्यादा ही बुरा मान रही थी मगर इसमें मेरा फ़ायदा ही था… लगता है उसके पास कोई सलोनी के राज हैं… जो मैं उससे
जान सकता हूँ…
मैं- वो क्या मधु???
सलोनी- अच्छा मेरी कौन सी बात है… हा हा… मैं कोई तेरी तरह बिस्तर पर सूसू नहीं करती…
मधु- धत्त्त भाभी… अब तो मैं बता दूंगी…
सलोनी- तो बता दे ना… मैं कुछ नहीं छुपाती अपने जानू से हाँ…
मधु- अच्छा वो जो डॉक्टर अंकल…

कहानी जारी रहेगी.
 
अपडेट 33

अचानक मेरी ज़िंदगी ने एक रोमांचक मोड़ ले लिया था… जो अब तक मैं जी रहा था.. वो केवल सूखी नदी की तरह था, अब ऐसा लग रहा था जैसे ज़िंदगी में रस ही रस आ गया हो…अब तक किताबों या लोगों से सुने सभी सामाजिक विचार मुझे बेकार लगने लगे थे… इज्जत, सम्मान, मर्यादा सब आपके दिल में ही अच्छे लगते हैं… दिखावट करने से ये आपको जंजीरों में जकड़ लेते हैं… मैं अगर इन सब में पड़ता… तो अब तक सलोनी से लड़ झगड़ कर… हम दोनों की जिंदगी नरक बना लेता…मगर मेरी सोच अलग है…लण्ड किसी की भी चूत में जाए.. इससे ना तो लण्ड को फर्क पड़ता है.. और ना ही चूत का ही कुछ नुकसान होता है…परन्तु बदलाव आने से… एक अलग मजा आता है और जवानी बरकरार रहती है…मैं देख रहा था… कि सलोनी के चेहरे पर एक अनोखी चमक बरकरार रहती है… यह सब उसके चंचल जीवन के कारण ही था…हम तीनों को ही खाना खाते हुए मस्ती करने में बहुत मजा आ रहा था…मैंने सलोनी को चुप कराते हुए कहा- तू चुप कर जान… मुझे भी तो पता चले ..कि मेरे पीछे उस साले डॉक्टर ने क्या किया?? हा हा हा हा..मैं जोर से हंसा भी जिससे माहौल हल्का ही बना रहे..
मधु- हाँ भैया… मेरे को चिड़ा रही हैं भाभी… जब आप यहाँ नहीं थे तब… ना…मैंने मधु को अपने पास करके उसके गाल को चूमते हुए पूछा- पुच च च च… बता बेटा.. क्या किया डॉक्टर ने…सलोनी अपने चेहरे को नीचे कर खाते हुए ही आँखें ऊपर को चढ़ा हम दोनों को घूर रही थी… उसके चेहरे पर कई भाव आ जा रहे थे…उसके चेहरे के भाव देख मुझे लग रहा था कि जरूर कुछ अलग राज़ खुलने वाला है… क्या डॉक्टर ने मेरे पीछे सलोनी की चुदाई की थी… वो भी मधु के सामने???क्या इसीलिए सलोनी मधु को मेरे इतना पास ला रही है…मैंने अपने सीधे हाथ से मधु की नंगी ..चिकनी जांघें सहलाते हुए उसको बढ़ावा दिया…
मधु- वो भैया.. भाभी की तबियत खराब नहीं हो गई थी… जब… तब आपने ही तो भेजा था ना डॉक्टर को… भाभी बिल्कुल चल ही नहीं पा रही थी.. तब ना ..उन डॉक्टर ने भाभी को नंगा करके… सुई लगाईं थी…
मैं- क्याआआआआ…
सलोनी- एएएएए मारूंगी.. क्या बकवास कर रही है…
मैं- क्यों मारेगी… कौन सी सुई लगाई थी.. हा हा हा हामैंने बिल्कुल ऐसे जाहिर किया ..जैसे कुछ हुआ ही नहीं… मेरे इस बर्ताव से माहौल सामान्य बना रहा..सलोनी जो कुछ बेचैन हो गई थी.. अब मजे ले रही थी- …अरे नहीं जानू… मैं तो बिल्कुल बेजान ही हो गई थी उस दिन… मेरा ब्लड प्रेशर बहुत कम हो गया था…
मैं- हाँ मुझे पता है जान… सॉरी यार उस समय मैं तुम्हारे पास नहीं था..
सलोनी- ओह थैंक्स माय लव..
मैं- फिर डॉक्टर ने कहाँ इंजेक्शन लगाया?सलोनी- अरे उस दिन मैंने पीला वाला लॉन्ग गाउन पहना था ना… बस… उसी कारण…
मैं- अरे तो क्या हुआ जान… डॉक्टर जब चूतड़ों पर इंजेक्शन ठोंकता है… तो उसके सामने तो सभी को नंगा होना ही पड़ता है…
मधु- हाँ भैया… मगर भाभी ने तो उस दिन ..कच्छी भी नहीं पहनी थी… डॉक्टर ने तो भाभी के चूतड़ और सुसू पूरी नंगी देखी थी.. हे हे..मधु को कुछ ज्यादा ही मस्ती चढ़ गई थी… मगर अब हम दोनों ही उसकी बातों से मजा ले रहे थे ..
सलोनी- इसे देखो जरा ..कितनी चुगली कर रही है..? अरे जानू वो गाउन ..केवल नीचे से ऊपर ही हो सकता है ना…मुझे तो पता ही नहीं था कि वो इंजेक्शन लगाएंगे… वरना मैं कोई पजामा जैसा कपड़ा पहन लेती..
मैं- अरे तो क्या हुआ जान… क्या फरक पड़ता है..
सलोनी- मुझे तो बाद में समझ आया… फिर बहुत शर्म भी आई.. पहली बार मुझे लगा कि कच्छी पहननी चाहिए थी !पर तब तो उन्होंने इंजेक्शन लगा गाउन ठीक भी कर दिया था…
मधु- नहीं भाभी ..बहुत देर तक उन्होंने आपके चूतड़ सहलाये थे.. मैंने देखा था…मधु ने तो जैसे पूरा मोर्चा संभाल लिया था… उसको लगा आज सलोनी कि डांट पड़वा कर ही रहेगी…
सलोनी- ओह… नहीं जान.. मुझे कोई होश नहीं था.. मुझे नहीं पता यह क्या बक रही है…
 
अपडेट 34

मैं- हा हा हा हा… मुझे पता है जान…मैंने मधु को और भी अपने से चिपका कर उसकी जांघों की जड़ तक अपना हाथ पहुँचा दिया… आश्चर्य जनक रूप से उसने अपने दोनों पैरों को खोल एक गैप बना दिया…मेरी उँगलियों ने एक बार फिर उसकी कोरी छोटी सी चिकनी फ़ुद्दी को सहलाना शुरू कर दिया…
मैं- मेरी प्यारी बच्ची… वो जो डॉक्टर है ना सुई लगाने से पहले ..उस जगह को मुलायम करने के लिए मलते हैं…
मधु- अहा ह्ह्ह्ह्ह… जज्जी… भैया
सलोनी- समझी पागल…
मधु- मुझे लगा कि वो भाभी के साथ कोई गन्दी हरकत कर रहे हों…
मैं- नहीं बेटा…ऐसी बातें करते हुए और… मजे लेते हुए हम तीनों ने खाना खत्म किया…अब बारी थी सोने की…
मेरे मन में ना जाने कितने विचार चल रहे थे… कि आज रात मधु के साथ कुछ न कुछ तो करता हूँ…मगर मधु जब भी आती है… वो बाहर के कमरे में ही सोती है… अब उसको अपने बैडरूम में तो सुला नहीं सकता था… और अगर रात को सोते हुए उठकर कुछ करता हूँ तो कैसे…यही सब प्लान मेरे दिमाग में चल रहे थे…मगर यह पक्का था कि आज यार कुछ करूँगा जरूर ..जब सलोनी भी लगभग साथ दे रही है… और मधु भी मजे ले रही है… कोई विरोध नहीं कर रही ..तो यह मौका नहीं छोड़ना चाहिए…मेरा लण्ड भी बैठने का नाम नहीं ले रहे था… उसको भी एक टाइट माल की ख़ुशबू आ रही थी…रसोई के सब काम निबटने और बिस्तर लगाने तक कई बार मैंने मधु को छेड़ा… उसके नंगे चूतड़ों को मसला… उसकी चूची को सहलाया…मधु ने हर बार मेरा साथ दिया… दो बार तो उसने खुद बहाने से मेरे लण्ड को पकड़ दबाया…मैंने सोच लिया कि आज रात को इसे उसके किसी न किसी छेद में तो डालूँगा ही…मधु की चिकनी फ़ुद्दी और मनमोहक चूतड़ों ने मेरी सोचने समझने की शक्ति को बिल्कुल ख़त्म ही कर दिया था… मेरी कुछ समझ नहीं आ रहा था कि कैसे इसकी ठुकाई करूँ…साफ़ नजर आ रहा था कि सलोनी कुछ नहीं कह रही है बल्कि हर बार साहयता ही कर रही है…फिर भी मुझमें खुलकर कुछ करने की हिम्मत नहीं हो रही थी…शायद यह हम दोनों का एक दूसरे के प्रति असीम प्यार था जो एक दूसरे की इच्छा का सम्मान भी कर रहे थे मगर एक दूसरे के सामने खुलकर किसी दूसरे से रोमांस नहीं कर पा रहे थे…मेरे दिमाग में यही चल रहा था कि अगर मैं मधु को चोद रहा हूँ और सलोनी देख ले तो क्या वो कोई प्रतिक्रिया देगी… या मेरी तरह ही चुप रहेगी…अब सोने का इन्तजार था…मधु ने अपना बिस्तर बाहर के कमरे में ही लगाया था..मैं यही सोच रहा था कि रात को एक बार कोशिश तो जरूर करूँगा… यह अच्छा ही था कि सलोनी बैडरूम में रहेगी और मैं आसानी से मधु की बन्द चूत खोल पाऊँगा.मगर फिर एक डर भी सता रहा था कि अगर वो ज़ोर से चिल्ला दी तो क्या होगा !बहुत से विचार मेरे दिल में आ जा रहे थे… मैं बहुत सारी बातें सोच रहा था… कि मधु को ऐसे करके चोदूंगा, वैसे चोदूंगा..यहाँ तक कि मैंने दो तीन चिकनी क्रीम भी ढूंढ कर पास रख ली थीं… मेरे शैतानी लण्ड ने आज एक क़त्ल का पूरा इंतजाम कर लिया था और वो हर हाल में इस काण्ड को करने के लिए तैयार था…

कहानी जारी रहेगी.

 
अपडेट 35

मधु ने अपना बिस्तर बाहर के कमरे में ही लगाया था..मैं यही सोच रहा था कि रात को एक बार कोशिश तो जरूर करूँगा… यह अच्छा ही था कि सलोनी बैडरूम में रहेगी और मैं आसानी से मधु की बन्द चूत खोल पाऊँगा.मगर फिर एक डर भी सता रहा था कि अगर वो ज़ोर से चिल्ला दी तो क्या होगा !बहुत से विचार मेरे दिल में आ जा रहे थे… मैं बहुत सारी बातें सोच रहा था… कि मधु को ऐसे करके चोदूंगा, वैसे चोदूंगा..यहाँ तक कि मैंने दो तीन चिकनी क्रीम भी ढूंढ कर पास रख ली थीं… मेरे शैतानी लण्ड ने आज एक क़त्ल का पूरा इंतजाम कर लिया था और वो हर हाल में इस काण्ड को करने के लिए तैयार था…फिर काम निपटाकर सलोनी अंदर आई और उसने मेरे पुराने सभी विचारों पर बिंदु लगा दिया..अहा… सलोनी ने यह क्या कर दिया…पता नहीं मेरे फायदे के लिए किया… या सब कुछ रोकने के लिए… मगर मुझे बहुत बुरा लगा…दरअसल हमारे घर में ऐ सी केवल बैडरूम में ही लगा है…बाहर के कमरे में केवल छत का पंखा है जो सोफे वाली तरफ है, जहाँ मधु ने बिस्तर लगाया था वहाँ हवा बिल्कुल नहीं पहुँचती.सलोनी ने वहाँ आते ही उसको कहा- अरे मधु, यहाँ तू कैसे सोयेगी? रात को गर्मी में मर जाएगी… चल अंदर ही सो जाना…लगता है जैसे मधु मेरे से उल्टा सोच रही थी… जहाँ मैं उसको अलग आराम से चोदना चाह रहा था.. वहीं वो शायद मेरे पास लेटने की सोच रही थी.. क्योंकि वो एकदम से तैयार हो गई, उसने फटाफट अपना बिस्तर उठाया और बैडरूम में आ देखने लगी कि किस तरफ लगाना है..मैं कुछ कहना ही चाह रहा था मगर तभी सलोनी ने एक और बम छोड़ दिया- यह कहाँ ले आई बेवकूफ, इसको बाहर ही रख दे.. यहीं बेड पर ही सो जाना…अब मुझसे नहीं रुक गया, मैं बोला- अरे जान यहाँ..कैसे…सलोनी- अरे सो जाएगी एक तरफ को जानू… वहाँ गर्मी में तो मर जायेगी सुबह तक…मैं चुप करके अब इस स्थिति के बारे में विचार करने लगता हूँ… पता नहीं यह अच्छा हुआ या गलत…पर जब मधु सलोनी के पास ही सोयेगी तब तो मैं हाथ भी नहीं लगा पाऊँगा…मेरा दिल कहीं न कहीं डूबने लगा था और सलोनी को बुरा-भला भी कह रहा था.हम तीनों बिस्तर पर आ गए, एक ओर मैं था, बीच में सलोनी एवं दूसरी तरफ मधु लेट गई… ऐ सी मधु वाली साइड में लगा था…मैंने कमर में एक पतला कपड़ा बाँध लिया था और पूरा नंगा था… वैसे मैं नंगा ही सोता था पर आज मधु के कारण मैंने वो कपड़ा बाँध लिया था.सलोनी अपनी उसी शार्ट नाइटी में थी जो उसके पैर मोड़ने से उसके कमर से भी ऊपर चली गई थी.. उसके मस्त नंगे चूतड़ मेरे से चिपके थे…उधर मधु केवल एक समीज में लेटी थी..हाँ उसमे अभी भी शर्म थी.. या वाकयी ठण्ड के कारण वहाँ रखी पतली चादर ओढ़ ली थी… उसका केवल सीने तक का ही बदन मुझे दिख रहा था..करीब आधे घंटे तक मैं सोचता रहा कि यार क्या करूँ…एक तो सलोनी के मस्त नंगे चूतड़ मेरे लण्ड को आमंत्रण दे रहे थे.. मगर उसे तो आज नई डिश दिख रही थी…मेरा कपड़ा खुल कर एक ओर हो गया था और अब नंगा लण्ड छत की ओर तना खड़ा था, मेरे बस करवट लेते ही वो सलोनी के नंगे चूतड़ से चिपक जाता …मगर ना जाने क्यों मैं सीधा लेटा मधु के बारे में सोच रहा था कि क्या रिस्क लूँ, उस तरफ जा मधु को दबोच लूँ..मगर मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी… फिर मेरे दिमाग ने काम करना बंद कर दिया.. मैंने सलोनी की ओर करवट ले ली और सलोनी से पीछे से चिपक गया..मेरे लण्ड ने सलोनी के चूतड़ के बीचों बीच अपनी जगह बना ली….सलोनी ने भी थोड़ा सा खिसक कर अपने चूतड़ों को हिलाकर लण्ड को सही जगह सेट कर लिया.[/i][/b]
 
अपडेट 36

अब मैंने अपना हाथ बढ़ा कर सीधे मधु की चादर में डाल दिया… मुझे पता था कि सलोनी आँखे खोले मेरे हाथ को ही देख रही है…मगर मैंने सब कुछ जान कर भी अपने हाथ को मधु की चादर में डाल दिया और हाथ मधु के नंगे पेट पर रखा…मधु की समीज उसके पेट से भी ऊपर चली गई थी..मैं सलोनी की परवाह ना करते हुए अपना हाथ सीधे पेट से सरकाते हुए मधु की मासूम फ़ुद्दी तक ले गया जहाँ अभी बालों ने भी पूरी तरह निकलना शुरू नहीं किया था…उसका यह प्रदेश किसी मखमल से भी ज्यादा कोमल था ….मेरी उँगलियों ने उसकी फ़ुद्दी को सहलाते हुए जल्दी ही उसके बेमिसाल छेद को टटोल लिया….!मधु कसमसाई, उसने आँखे खोली और सर घुमाकर सलोनी की ओर देखा…सलोनी की भी आँखें खुलीं थी…बस मधु बिदक गई और उसने तुरंत मेरा हाथ झटक दिया…
मधु- क्या करते हो भैया… सोने दो ना…मैं पहले तो घबरा गया मगर फिर मेरे दिमाग ने काम किया,
मैं बोला- अरे, मैं देख रहा हूँ कि तूने कहीं सूसू तो नहीं कर दिया… गद्दा खराब हो जायेगा…
सलोनी- हा हा.. और एक दम ऐसी के सामने लेटी है.. जरा संभलकर…
मधु- क्या भाभी आप भी… मैं नहीं बोल रही आपसे..तभी सलोनी ने वो कर दिया जिसकी मुझे सपने में भी उम्मीद नहीं थी…मधु की मक्खन जैसी फ़ुद्दी के छूने से मेरे लण्ड में जबरदस्त तनाव आ गया था जिसको सलोनी ने भी महसूस कर लिया था…मेरी समझ से बिल्कुल परे था कि एक बीवी होकर भी वो अपने पति के सेक्सी रोमांस का मजा ले रही है… ना केवल मजे ले रही है बल्कि मेरे इस काम में सहयोग भी कर रही है…अब ना जाने उसके मन में क्या था…इन सब बातों को सोचने के बारे में मेरे दिल और दिमाग दोनों ने ही मना कर दिया था…मधु की नाजुक जवानी को चखने के लिए उसमें इतना तनाव आ गया था कि दिल और दिमाग दोनों ही सो गए थे, उनको तो बस अब एक ही मंजिल दिख रही थी… चाहे उस तक कैसे भी जाया जाये…
मधु- ओह भाभी… भैया भी.. पापा की तरह परेशान कर रहे हैं…सलोनी ने मधु का हाथ पकड़ कर खींच कर सीधे मेरे तने हुए लण्ड पर रख दिया और बोली- तू भी तो पागल है.. बदला क्यों नहीं लेती… तू भी देख ..कि कहीं तेरे भैया ने तो सूसू नहीं की.. हे हे हे हे…सलोनी के इस करतब से मैं भौंचक्का रह गया.. और शायद मधु भी…हाथ के खिंचने से वो सलोनी के ऊपर को आ गई थी.. सलोनी ने ना केवल मधु का हाथ मेरे लण्ड पर रखा बल्कि उसको वहाँ पकड़े भी रही कि कहीं मधु जल्दी से हटा न ले…

कहानी जारी रहेगी.
 
अपडेट 37

सलोनी ने मधु का हाथ पकड़ कर खींच कर सीधे मेरे तने हुए लण्ड पर रख दिया और बोली- तू भी तो पागल है.. बदला क्यों नहीं लेती… तू भी देख ..कि कहीं तेरे भैया ने तो सूसू नहीं की.. हे हे हे हे…सलोनी के इस करतब से मैं भौंचक्का रह गया.. और शायद मधु भी…हाथ के खिंचने से वो सलोनी के ऊपर को आ गई थी.. सलोनी ने ना केवल मधु का हाथ मेरे लण्ड पर रखा बल्कि उसको वहाँ पकड़े भी रही कि कहीं मधु जल्दी से हटा न ले…मधु का छोटा सा कोमल हाथ मेरे लण्ड को मजे दे ही रहा था कि अब मधु ने भी मेरी समझ पर परदा डालने वाली हरकत की…उसने कसकर अपनी छोटे छोटे हाथ से बनी जरा सी मुट्ठी में मेरे लण्ड को जकड़ लिया…
मधु- हाँ भाभी, आप ठीक कहती हो… क्या अब भी भैया सूसू कर देते हैं बिस्तर पर?सलोनी- हा हा… हाँ बेटा… तुझे क्या पता कि ये अब भी बहुत नालायक हैं.. ना जाने कहाँ कहाँ मुत्ती करते हैं… मेरे कपड़े तक गीले कर देते हैं…मैंने मधु के हाथ को लण्ड से हटाने की कोई जल्दी नहीं की… लेकिन कुछ प्रतिवाद का दिखावा तो करना ही था इसलिए..
मैं- तुम दोनों पागल हो गई हो क्या?? यह क्या बकवास लगा रखी है?तभी मधु मेरे लण्ड को सहलाते हुए अपना हाथ लण्ड के सुपाड़े के टॉप पर ले जाती है.. उसको कुछ चिपचिपा महसूस हुआ… मेरे लण्ड से लगातार प्रीकम निकल रहा था…
मधु- हाँ भाभी.. आप ठीक कह रही हो… भैया ने आज भी सूसू की है.. देखो कितना गीला है…
सलोनी- हा हा हा…मैं- हा हा… चल पागल…फिर तो तूने भी की है ..अपनी देख वहाँ भी कितनी गीली है…शायद सलोनी जैसी समझदार पत्नी बहुत कम लोगों को मिलती है… मेरा दिल कर रहा था कि जमाने भर की खुशियाँ लाकर उसके कदमों में डाल दूँ…मेरे लण्ड और मधु की चूत के गीलेपन की बात से ही वो समझ गई कि हम दोनों अब क्या चाहते हैं… उसने बिना कुछ जाहिर करे मधु को एक झटके से अपने ऊपर से पलटकर मेरी ओर कर दिया और खुद मधु की जगह पर खिसक गई.फिर बड़े ही रहस्यमयी आवाज में बोली- ..ओह तुम दोनों ने मेरी नींद का सत्यानाश कर दिया… तू इधर आ और अब तुम दोनों एक दूसरे की सूसू को देखते रहो.. कि किसने की और किसने नहीं की सूसू…
.!मधु एकबारगी तो बौखला सी गई पर बाद में सीधी होकर लेट गई…मैं समझ नहीं पा रहा था कि कुछ बोलूं या नहीं…मैंने घूमकर देखा कि सलोनी वाकयी दूसरी और करवट लेकर लेट गई थी…अब मैंने मधु के चेहरे की ओर देखा… उसके चेहरे पर कई भाव थे… उसकी आँखों में वासना और डर दोनों नजर आ रहे थे..जबकि होंटो पर हल्की मुस्कुराहट भी थी…मेरे दिल में एक डर भी था कि कहीं सलोनी कुछ फंसा तो नहीं रही…मगर पिछले दिनों मैंने जो कुछ भी देखा और सुना था… सलोनी का वो खुला रूप याद कर मेरा सारा डर निकल गया…मैंने झुककर मधु के पतले कांपते होंठों पर अपने होंठ रख दिए…मधु तो जैसे सब कुछ करने को तैयार थी… लगता है… इस उम्र में उसकी वासना अब उसके वश से बाहर हो चुकी थी…वो लालायित होकर अपने मुँह को खोलकर…मेरा साथ देने लगी…मैं उसके ऊपर तिरछा होकर झुका था… उसका बायां हाथ मेरे लण्ड को छू रहा था…अचानक मैंने महसूस किया कि उसने फिर से अपनी मुट्ठी में मेरे लण्ड को पकड़ लिया है… उसकी बेचैनी को समझते हुए मैं उसके होंठों को छोड़कर ऊपर उठा… मैंने उसकी समीज की ढीली आस्तीन को उसके कंधो से नीचे सरका दिया…मधु इतनी समझदार थी कि वो तुरंत समझ गई कि मैं क्या चाहता हूँ…उसने अपने दोनों हाथों से अपनी आस्तीन को निकाल दिया…मैंने उसके सीने से समीज को नीचे कर उसकी नाजुक छोटी छोटी चूचियों को एक ही बार में अपनी हथेली से सहलाया…
मधु बहुत धीरे से- अहा… आआ…उसकी समीज उसके पेट पर इकट्ठी हो गई थी…मैंने एक बार फिर समीज नीचे को की…मधु ने सलोनी की ओर देखते हुए अपने चूतड़ को उठाकर अपने हाथ और पैर से समीज को पूरा निकाल दिया…सलोनी अपने नंगे चूतड़ को उठा हमारी ओर करवट लिए वैसे ही लेटी थी… उसकी साँसें बता रही थी कि वो सो गई है या सोने का नाटक कर रही है…मेरा कमर से लिपटा कपड़ा तो कब का खुलकर बिस्तर से नीचे गिर गया था…

कहानी जारी रहेगी.
 
अपडेट 38

मधु ने सलोनी की ओर देखते हुए अपने चूतड़ को उठाकर अपने हाथ और पैर से समीज को पूरा निकाल दिया…सलोनी अपने नंगे चूतड़ को उठा हमारी ओर करवट लिए वैसे ही लेटी थी… उसकी साँसें बता रही थी कि वो सो गई है या सोने का नाटक कर रही है…मेरा कमर से लिपटा कपड़ा तो कब का खुलकर बिस्तर से नीचे गिर गया था…अब मधु भी पूरी नंगी हो गई थी…नाईट बल्ब की नीली रोशनी में उसका नंगा बदन गजब लग रहा था…मैंने नीचे झुककर उसकी एक चूची को पूरा अपने मुँह में ले लिया…उसकी पूरी चूची मेरे मुँह में आ गई… मैं उसको हल्के हल्के चूसते हुए अपनी जीभ की नोक से उसके नन्हे से निप्पल को कुरेदने लगा…मधु पागल सी हो गई… उसने अपनी मुट्ठी में मेरे लण्ड को पकड़ उमेठ सा दिया…मैंने अपना बायां हाथ उसकी जांघों के बीच ले जाकर सीधे उसकी फ़ुद्दी पर रखा और अपनी उंगली से उसके छेद को कुरेदते हुए ही एक उंगली अंदर डालने का प्रयास करने लगा…मधु कुनमुनाने लगी…लगता है उसको दर्द का अहसास हो रहा था…मुझे संशय होने लगा कि इतने टाइट छेद में मेरा लण्ड कैसे जायेगा…वाकयी उसका छेद बहुत टाइट था… मेरी उंगली जरा भी उसमें नहीं जा पा रही थी…मैंने अपनी उंगली मधु के मुँह में डाली… उसके थूक से गीली कर फिर से उसके चूत में डालने का प्रयास किया..मेरा बैडरूम मुझे कभी इतना प्यारा नहीं लगा… मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि ज़िंदगी इतनी रंगीन हो सकती है…मेरे सामने ही बेड के दूसरे छोर पर मेरी सेक्सी बीवी लगभग नंगी करवट लिए लेटी है… उसकी अति पारदर्शी नाइटी जो खड़े होने पर उसके घुटनो से 6 इंच ऊपर तक आती थी… इस समय सिमट कर उसके पेट से भी ऊपर थी… और मेरी जान अपने गोरे बदन पर कच्छी तो पहनती ही नहीं थी… उसके मस्त चूतड़ पीछे को उठे हुए मेरे सेक्स को कहीं अधिक भड़का रहे थे…अब तक मजेदार भोजन खिलाने वाली मेरी बीवी ने आज एक ऐसी मीठी डिश मेरे सामने रख दी थी कि जिसकी कल्पना शायद हर पति करता होगा मगर उसे मायूसी ही मिलती होगी…और खुद सोने का नाटक कर रही थी…मधु के रसीले बदन से खेलते हुए मैं अपनी किस्मत पर रश्क कर रहा था…इस छोटी सी लोंडिया को देख मैंने कभी नहीं सोचा था कि यह इतनी गर्म होगी और चुदाई के बारे में इतना जानती होगी…मेरा लण्ड उसके हाथों में मस्ती से अंगड़ाई ले रहा था और बार-बार मुँह उठाकर उसकी कोमल फ़ुद्दी को देख रहा था, जैसे बोल रहा हो कि आज तुझे जन्नत की सैर कराऊँगा…उसकी फ़ुद्दी भी मेरी उँगलियों के नीचे बुरी तरह मचल रही थी… वो सब कुछ कर गुजरने को आतुर थी…शायद उसकी फ़ुद्दी होने वाले कत्लेआम से अनभिज्ञ थी…मेरे और मधु के बदन पर एक भी कपड़ा नहीं था, मधु बार-बार मेरे गठीले एवं संतुलित बदन से कसकर चिपकी जा रही थी…मेरा मुँह उसकी दोनों रसीली अम्बियों को निचोड़ने में ही लगा था… मैं कभी दाईं तो कभी बायीं चूची को अपने मुँह में लेकर चूस रहा था…मधु कुछ ज्यादा ही मचल रही थी… उसने मेरी तरफ घूम कर अपना सीधा पैर मेरी कमर पर रख दिया…मैंने भी अपना हाथ आगे उसकी फ़ुद्दी से हटा कर उसके मांसल चूतड़ों पर रख उसको अपने से चिपका लिया.इस अवस्था में उसकी रसीली चूत मेरे लण्ड से चिपक गई…शाम से हो रहे घटनाक्रम से मधु सच में सेक्स लिए पागल हो रही थी… वो अपनी चूत को मेरे लण्ड से सटा खुद ही अपनी कमर हिला रही थी.. उसकी रस छोड़ रही चूत मेरे लण्ड को और भी ज्यादा भड़का रही थी…मैंने एक बात और भी गौर की कि मधु शुरू शुरू में बार बार सलोनी की ओर घूमकर देख रही थी, उसको भी कुछ डर सलोनी का था…मगर अब बहुत देर से वो मेरे से हर प्रकार से खेल रही थी, उसने एक बार भी सलोनी की ओर ध्यान नहीं दिया था… या तो वासना उस पर इस कदर हावी हो चुकी थी कि वो सब कुछ भूल चुकी थी या अब वो सलोनी के प्रति निश्चिंत हो चुकी थी !हाँ, मैं उसी की ओर करवट से लेटा था तो मेरी नजर बार बार सलोनी पर जा रही थी…कमाल है.. उसने एक बार भी ना तो गर्दन घुमाई थी और ना उसका बदन जरा भी हिला था…सलोनी पूरी तरह से मधु का उद्घाटन करवाने को तैयार थी…मेरा लण्ड इस तरह की मस्ती से और भी लम्बा, मोटा हो गया था…मैं अपने हाथ से उसके चूतड़ों को मसलते हुए अपनी ओर दबा रहा था और मधु अपने कमर को हिलाते हुए मखमली चूत को मेरे लण्ड पर मसल रही थी…मेरे मुँह में उसकी चूची थी… हम दोनों बिल्कुल नहीं बोल रहे थे..मगर फिर भी मेरे द्वारा चूची चूसने की ‘पुच पिच’ जैसी आवाजे हो ही रही थीं…मधु की बेकरारी मुझे उसके साथ और भी ज्यादा खेलने को मजबूर कर रही थी…मैंने उसको सीधा करके बिस्तर पर लिटा दिया…मगर इस बार अब मैं उसके ऊपर आ गया, एक बार उसके कंपकंपाते होठो को चूमा, फिर उसकी गर्दन को चूमते हुए जरा सा उठकर नजर भर मधु की मस्त उठानों को देखा…दोनों चूचियाँ छोटे आम की तरह उठी हुई जबरदस्त टाइट और उन पर पूरे गुलाबी छोटे से निप्पल…जानलेवा नजारा था…मैंने दोनों निप्पल को बारी बारी से अपने होंटों से सहलाया..फिर नीचे सरकते हुए उसके पतले पेट तक पहुँचा, अब मैंने उसके पेट को चूमते हुए अपनी जीभ उसकी प्यारी सी नाभि पर रख दी…मैं जीभ को नाभि के चारों ओर घुमाने लगा…मधु मचल रही थी, उसके मुख से अब हल्की हल्की आहें निकलने लगी- अह्ह्हाआ… ह्ह्ह्ह… आ…मैं थोड़ा और नीचे हुआ… मैंने मधु के पैरों को फैलाया और उसकी कोमल कच्ची कली फ़ुद्दी को पहली बार इतनी नजदीक से देखा…उसकी दोनों पत्तियाँ कस कर एक दूसरे से चिपकी थी…पूरे वस्तिक्षेत्र पर एक भी बाल नहीं था… कुछ रोयें से थे बस…सलोनी की चूत भी गजब की है बिल्कुल छोटी बच्ची जैसी, मगर उस पर बाल तो आ चुके ही थी… भले ही वो कीमती हेयर रेमूवर से उनको साफ़ कर अपनी चूत को चिकना बनाये रखती थी…और फिर लण्ड खाने से उसकी चूत कुछ तो अलग हो गई थी…मगर मधु की चूत बिलकुल अनछुई थी, उस पर अभी बालों ने आना शुरू ही किया था… जिस चूत में अंगुली भी अंदर नहीं जा रही थी उसका तो कहना ही क्या…इतनी प्यारी कोमल मधु की चूत इस समय मेरी नाक के नीचे थी… उसकी चूत से निकल रहे कामरस की खुशबू मुझे मदहोश कर रही थी…मैंने अपनी नाक उसकी चूत के ऊपर रख दी…

कहानी जारी रहेगी.

 
अपडेट 39

मगर मधु की चूत बिलकुल अनछुई थी, उस पर अभी बालों ने आना शुरू ही किया था…
जिस चूत में अंगुली भी अंदर नहीं जा रही थी उसका तो कहना ही क्या…इतनी प्यारी कोमल मधु की चूत इस समय मेरी नाक के नीचे थी… उसकी चूत से निकल रहे कामरस की खुशबू मुझे मदहोश कर रही थी…मैंने अपनी नाक उसकी चूत के ऊपर रख दी…मधु- अह्ह्हा… आआआ… स्श…वो जोर से तड़फी… उसने अपनी कमर उठा बेकरारी का सबूत दिया…मैं उस खुशबू से बैचेन हो गया और मैंने अपनी जीभ उसके चूत के मुँह पर रख दी…बहुत मजेदार स्वाद था… मैं पूरी जीभ निकाल चाटने लगा… मुझे चूत चाटने में वैसे भी बहुत मजा आता था…और मधु जैसी कमसिन चूत तो मक्खन से भी ज्यादा मजेदार थी…मैं उसकी दोनों टाँगें पकड़ पूरी तरह से खोलकर उसकी चूत को चाट रहा था… मेरी जीभ मधु के चूत के छेद को कुरेदती हुई अब अंदर भी जा रही थी…उसकी चूत के पानी का नमकीन स्वाद मुझे मदहोश किये जा रहा था… मैं इतना मदहोश हो गया कि मैंने मधु की टाँगें ऊपर को उठाकर उसके चूतड़ तक चाटने लगा…कई बार मेरी जीभ ने उसके चूतड़ के छेद को भी चाटा…मधु बार बार सिसकारियाँ लिए जा रही थी…हम दोनों को ही अब सलोनी की कोई परवाह नहीं थी…मैंने चाट चाट कर उसका निचला हिस्सा पूरा गीला कर दिया था… मधु की चूत और गांड दोनों ही मेरे थूक से सने थे…मेरा लण्ड बुरी तरह फुफकार रहा था…मैंने एक कोशिश करने की सोची… मैंने मधु को ठीक पोजीशन में कर उसके पैरों को फैला लिया… और अपना लण्ड का अग्रमुण्ड उसकी लपलपाती चूत के मुख पर टिका दिया…यह मेरी ज़िंदगी का सबसे हसीं पल था…एक अनछुई कली… पूरी नग्न… मेरे नीचे दबी थी…उसके चिकने कोमल बदन पर एक चिंदी वस्त्र नहीं था…मैंने उसके दोनों पैरों को मोड़कर फैलाकर चौड़ा कर दिया… उसकी छोटी सी चूत एकदम से खिलकर सामने आ गई…मैंने अपनी कमर को आगे कर अपना तनतनाते लण्ड को उन कलियों से चिपका दिया…मेरे गर्म सुपारे का स्पर्श अपने चूत के महाने पर होते ही मधु सिसकार उठी…मैं धीरे धीरे उसी अवस्था में लण्ड को घिसने लगा..दिल कर रहा था कि एक ही झटके में पूरा लण्ड अंदर डाल दूँ…मगर यही एक शादीशुदा मर्द का अनुभव होता है कि वो जल्दबाजी नहीं करता…मैंने बाएं हाथ को नीचे ले जाकर लण्ड को पकड़ लिया, फिर कुछ पीछे को होकर लण्ड को चूत के मुख को खोलते हुए अंदर सरकाने की कोशिश करने लगा.मधु बार-बार कमर उचकाकर अपनी बेचैनी जाहिर कर रही थी…शायद दस मिनट तक मैं लण्ड को चोदने वाले स्टाइल में ही चूत के ऊपर घिसता रहा…1-2 बार सुपारा जरा जरा… सा ही चूत को खोल अंदर जाने का प्रयास भी कर रहा था..मगर मधु का जिस्म अभी बिल्कुल दर्द सहने का आदि नहीं था… वो खुद उसे हटा देती थी…शायद उसको हल्के सी भी दर्द का अंदाजा नहीं था… उसको केवल आनन्द चाहिए था ..इसलिए हल्का सा भी दर्द होते ही वो पीछे हट जाती थी..इससे पहले भी मैंने 4-5 लड़कियों की कुंवारी झिल्ली को भंग किया था और उस हर अवस्था का अच्छा अनुभव रखता था ..जिन 4-5 लड़कियों की मैंने झिल्ली तोड़ी थी उनमें एक तो बहुत चिल्लाई थी, उसने पूरा घर सर पर उठा लिया था..मुझे यकीन था कि मधु अभी तक कुंवारी है..उस सबको याद करके एवं सलोनी के इतना निकट होने से मैं यह काम आसानी से नहीं कर पा रहा था…मुझे पता था कि मधु आसानी से मेरे लण्ड को नहीं ले पायेगी और अगर ज़ोर से झटके से अंदर घुसाता हूँ तो बहुत बवाल हो सकता है…
खून-खराबा, चीख चिल्लाहट.. और ना जाने कितनी परेशानी आ सकती है…हो सकता है सलोनी भी इसी सबका इन्तजार कर रही हो…फिर वो मेरे ऊपर हावी होकर अपनी रंगरलियों के साथ-साथ दबाव भी बना सकती है…मेरा ज़मीर खुद उसके सामने कभी नीचे दिखने को राजी नहीं था…वो भी एक चुदाई के लिए… क्या मुझे अपने लण्ड पर काबू नहीं है..??मुझे खुद पर पूरा भरोसा है, मैं अपने लण्ड को अपने हिसाब से ही चुदाई के लिए इस्तेमाल करता हूँ…. ज़बरदस्ती कभी करता मैं…और जो तैयार हो उसको छोड़ता नहीं…मधु के साथ भी मैं वैसे ही मजे ले रहा था… मुझे पता था कि लौंडिया घर की ही है… और बहुत से मौके आएँगे… जब कभी अकेला मिला तब ठोक दूँगा…और अगर प्यार से ले गई तो ठीक.. वरना खून खराबा तो होगा ही….मधु की नाचती कमर बता रही थी कि उसको इस सब में भी चुदाई का मजा आ रहा है…खुद को मजा देने के लिए मैंने अपने लण्ड को उसकी चूत के पूरा लेटी अवस्था में चिपका दिया और मैं ऊपर-नीचे होकर मजा लेने लगा…लण्ड पूरा मधु की चूत से चिपककर उसके पेट तक जा रहा था…उसकी चूत की गर्मी से मेरा लण्ड लावा छोड़ने को तैयार था पर लगता है कि मधु की चूत के छेद पर अब लण्ड छू नहीं पा रहा था या
उसको पहले टॉप के धक्कों से ज्यादा आनन्द आ रहा था…उसने कसमसाकर मुझे ऊपर को कर दिया, फिर खुद अपने पैरों को मेरी कमर से बांधकर अपना हाथ नीचे कर मेरे लण्ड को पकड़ लिया…उसके पसीने से भीगे नरम छोटे हाथों में आकर लण्ड और मेरी हालत ख़राब होने लगी…उसने लण्ड के सुपारे को फिर अपनी चूत के छेद से चिपकाया और कमर हिलाने लगी…अब मैं भी कमर को थोड़ा कसकर आगे पीछे करने लगा…उसके कसे हुए हाथों में मुझे ऐसा ही लग रहा था कि मेरा लण्ड चूत के अंदर ही है…मैं जोर जोर से कमर हिलाने लगा जैसे चुदाई ही कर रहा हूँ…मधु लण्ड को छोड़ ही नहीं रही थी कि कहीं मैं फिर से लण्ड को वहाँ से हटा न लूँ…

कहानी जारी रहेगी.

 
अपडेट 40

अब लण्ड का सुपारा आधा से लेकर एक इंच तक भी चूत के अंदर चला जा रहा था…मधु ने इतनी कसकर लण्ड पकड़ा था कि…वो वहाँ से इधर उधर न हो इसीलिए चूत में भी ज्यादा नहीं घुस पा रहा था…वरना कुछ झटके तो इतने जोरदार थे कि लण्ड अब तक आधा तो घुस ही जाता…और तभी मेरे लण्ड ने पिचकारी छोड़ दी…मैं- अहाआआ… ह्ह्ह्ह्ह…ह्ह्ह्ह्ह… ओह्ह्ह ह्ह्ह्ह्ह… आआअ… ह्ह्ह्ह्ह्…ह ह्ह्ह… ऊऊ ओह ह्ह्ह्ह्ह्ह…कई पिचकारियाँ मधु की चूत को पूरा गीली करती हुई उसके पेट और छाती तक को भिगो गई…सच में बहुत ज्यादा वीर्य निकला था…मधु ने अब भी कसकर लण्ड को पकड़ा था… मुझे जन्नत का मजा आ रहा था…पर अब मुझमें अब जरा सी भी हिम्मत नहीं बची थी, मैं एक ओर गिर कर लेट गया…मुझे बस इतना ध्यान है कि मधु उठकर बाथरूम में गई….कुछ देर बाद मैंने देखा मधु बाथरूम से बाहर निकली.. वो अभी भी पूरी नंगी थी…उसने बाथरूम का दरवाजा, लाइट कुछ बंद नहीं की.. और मधु बाथरूम से अपने शरीर को साफ़ करके फिर मेरे पास आ चिपक कर लेट गई…उसने अपनी समीज भी नहीं पहनी और ना उसको सलोनी का डर था ..इतने मजे करने के बाद उसका सारा डर निकल गया था… वो पूरी नंगी उसी अवस्था में मुझसे चिपक लेट गई ..इतनी कम उम्र में भी वो सेक्स की देवी थी…उसने अपना एक हाथ मेरे सीने पर और एक पैर मेरे लण्ड पर रख दिया था.. सिर मेरे कंधे पर रख सो गई थी…मेरे अन्दर इतनी ताकत भी नहीं बची थी कि अपना हाथ भी उस पर रख सकूं… मैंने भी उसको दूर नहीं किया…उसकी चूचियों का अहसास मेरे हाथ पर एवं उसकी गर्म चूत का कोमल अहसास मेरी जांघ पर हो रहा था…मेरे में बिल्कुल हिलने तक की ताकत नहीं बची थी.. नींद ने मेरे ऊपर पूरा कब्ज़ा कर लिया था…जबकि दिमाग में यह आ रहा था… कि उठकर सब कुछ सही कर देना चाहिये… खुद को और मधु को कपड़े पहना देने चाहियें…वरना सुबह दोनों को ऐसे देख सलोनी क्या सोचेगी और ना जाने क्या करेगी?मुझे नहीं पता कि मैं कब बेहोशी की नींद सो गया..सुबह सलोनी ने ही मुझे आवाज दी- सुनो, अब उठ भी जाओ… चाय पी लो…रात की सारी घटना मेरे दिमाग में आई और मैं एकदम से उठ गया…कमरे में सलोनी नहीं थी… मैंने राहत की सांस ली… फिर चारों और देखकर सारी स्थिति का अवलोकन किया…मेरी कमर तक चादर थी जो पता नहीं मैंने खुद ली या किसी और ने… कुछ पता नहीं…मैंने चादर हटा कर देखा… मेरी कमर पर रात को बंधा कपड़ा भी अंदर ही था… बंधा तो नहीं था पर हाँ लिपटा जरूर था….फिर मैंने बिस्तर पर देखा….दूसरे कोने पर मुँह तक चादर ढके शायद मधु ही सो रही थी…क्या मधु अभी तक नहीं जगी… उसने कपड़े पहने या नहीं ..मैंने चारों और नजर घुमाकर उसकी उतरी हुई समीज को खोजा पर कहीं नजर नहीं आई…मधु कब रात को उधर चली गई…?क्या सलोनी ने ये सब किया…?या फिर मधु ही सब कुछ ठीक करके फिर सोई…मेरा दिमाग बिलकुल सुन्न हो गया था…मैंने चाय पीकर अपने कमर का कपड़ा कस कर बांधा.. फिर एक बार बाहर कमरे में देखा….सलोनी शायद रसोई में थी.. उसकी आवाज भी आ रही थी… और शायद कोई और भी था…जिससे वो बात कर रही थी…मगर मेरे दिमाग में अब वो नहीं थी… मैं तो रात के काण्ड से डरा हुआ था…कि ना जाने सलोनी का क्या रुख होगा…??उसे कुछ पता चला या नहीं….मैं जल्दी से मधु की ओर गया और उसको उठाने के लिए उसकी चादर हटाई…क्या नजारा था… सुबह की चमकती रोशनी में मधु का मादक जिस्म चमक रहा था…उसके बदन पर समीज तो थी… मगर वो उसके पेट पर थी…शायद उसने खुद या फिर सलोनी ने उसको समीज पहनाने की कोशिश की होगी… जो केवल कमर तक ही पहना पाई…उसका पूरा जिस्म ही पूरा नंगा मेरे सामने था…उसने अपनी दोनों टांगें घुटनों से मोड़ कर फैला रखी थी…उसकी खुली हुई कोमल चूत मेरे सामने थी…वैसे तो इसको मैं पहले भी देख चुका था पर इस समय उसमे बहुत अंतर था…उसकी चूत बिल्कुल लाल सुर्ख हो रही थी… और एक दो खून के लाल निशान भी दिख रहे थे…ओह… क्या रात मेरे लण्ड ने इस बेचारी को इतना दर्द दिया था…मगर लण्ड तो बहुत जरा सा ही अंदर गया था फिर इसकी चूत इतना कैसे सूज गई…फिर मैंने प्यार से मधु की चूत पर अपना हाथ रखा और धीरे से उसको सहलाया…मुझे लगा कि रात को जोश में मुझे पता नहीं चला पर शायद मधु को बहुत कष्ट हुआ होगा…हो सकता है मेरा लण्ड कुछ ज्यादा ही अंदर तक चला गया हो…फिर मुझे उसकी चूत पर कुछ अलग ही गन्ध आई..अरे यह तो बोरोप्लस की खुशबू थी…इसका मतलब मधु ने रात को बोरोप्लस भी लगाया… इसने एक बार भी मुझे अपने दर्द के बारे में नहीं बताया…मुझे उसके इस दर्द को छुपाने पर बहुत प्यार आया… मैंने उसके होंठों को चूम लिया..तभी मुझे सलोनी के कमरे में आने की आवाज आई…उसके पैरों की आवाज आ रही थी…मैंने जल्दी से मधु को चादर से ढका और बाथरूम में घुस गया…

 
अपडेट 41

मुझे उसकी चूत पर कुछ अलग ही गन्ध आई..अरे यह तो बोरोप्लस की खुशबू थी…इसका मतलब मधु ने रात को बोरोप्लस भी लगाया… इसने एक बार भी मुझे अपने दर्द के बारे में नहीं बताया…मुझे उसके इस दर्द को छुपाने पर बहुत प्यार आया… मैंने उसके होंठों को चूम लिया..तभी मुझे सलोनी के कमरे में आने की आवाज आई…उसके पैरों की आवाज आ रही थी…मैंने जल्दी से मधु को चादर से ढका और बाथरूम में घुस गया…सलोनी कमरे में आकर- अरे आप कहाँ हो जानू…मैं- बोलो जान… बाथरूम में हूँ…सलोनी- ओह ठीक है.. मैं आपको उठाने ही आई थी…उसकी आवाज में कहीं कोई नाराजगी या कुछ अलग नजर नहीं आया… वो हर रोज की तरह ही व्यवहार कर रही थी…मुझे बहुत सुकून सा महसूस हुआ… फिर मुझे लगा कि शायद वो मधु को उठा रही है…अब ये सब मैं नहीं देख सकता था… क्योंकि बाथरूम से केवल बाहर का कमरा या रसोई ही देखी जा सकती है… बैडरूम में नहीं…हाँ मैं दरवाजा खोल देख सकता था मगर मैंने इसमें कोई रूचि नहीं ली.. मेरे दिल को सुकून था कि इतने बड़े कांड के बाद भी सब कुछ ठीक था…मैं नहाकर बाहर आया तो बेडरूम पूरी तरह से व्यवस्थित था, कमरे में कोई नहीं था, मधु और सलोनी दोनों ही रसोई में थी…मैं तैयार हुआ… दस से भी ऊपर हो गए थे… मैं रसोई में ही चला गया…दोनों काम में लगी थीं, दोनों ने रात वाले कपड़े ही पहन रखे थे…मधु ने मुझे देखकर सलोनी से बचकर एक बहुत सेक्सी मुस्कान दी…मैंने भी उसको आँख मार दी तो उसने शरमाकर अपनी गर्दन नीचे कर ली…मैं सलोनी के पास जाकर उसके गोलों मटोल चूतड़ों को सहलाकर बोला- क्या बात जान… आज अभी तक तैयार नहीं हुई?सलोनी नहीं जानू.. मैं भी देर से ही उठी… वो तो भला हो दूध वाले का जिसने उठा दिया सुबह आकर… वरना इतनी थकी थी कि सोती ही रहती…मेरे जरा से सहलाने से ही उसकी पतली नाइटी खिसकी और सलोनी के नंगे चूतड़ मेरे हाथों में थे…मैं सोचने लगा कि सुबह से सलोनी ऐसे ही सब काम कर रही है? वो लगभग नंगी ही दिख रही है उस पतली सी आधी नाइटी में…
जिसके नीचे उसने ब्रा या कच्छी कुछ भी नहीं पहना था… क्या सबके सामने वो ऐसे ही आ-जा रही है?सभी के खूब मजे होंगे…पहले तो मैं उसको कुछ नहीं कहता था मगर अब उसको छेड़ने के लिए मैं बात करने लगा था, मैंने उसके चूतड़ सहलाते हुए ही कहा- क्या बात जानू… कुछ पहन कर दूध लिया या ऐसे ही दूधवाले को जलवा दिखा दिया? वो तो मर गया होगा बेचारा…मधु हमको देखकर मुस्कुरा रही थी…सलोनी भी मस्ती के मूड में ही लग रही थी, अपने चूतड़ों को हिलाये जा रही थी, वो कोई विरोध नहीं कर रही थी- …नहीं जी… दूध लेने के बाद ही यह नाइटी पहनी मैंने !
मैं- हा हा हा… फिर तो ठीक है…
सलोनी- हे हे… आपको तो बस हर समय मजाक ही सूझता है…मैंने उसके नाइटी के गले की ओर देखा… उसके जरा से झुकने से ही उसके दोनों मस्त गोलाइयाँ पूरी नंगी दिख रही थी… उनके निप्पल तक बाहर आ-जा रहे थे…मैं समझ सकता था कि सलोनी के दर्शन कर कॉलोनी वालों के मजे आ जाते होंगे…ना जाने दूधवाले, अंडे वाले और भी किसी ने क्या क्या देखा होगा…अब जब सलोनी को दिखाने में मजा आता है तो मैं उसके इस आनन्द को नहीं छीन सकता था, उसको भी मजे लेने का पूरा हक़ है…नाश्ता करते हुए रात की किसी बात का कोई जिक्र ना तो सलोनी ने किया और ना ही मधु ने…मेरे दिल में जो थोड़ा बहुत डर था वो भी निकल गया…हाँ सलोनी ने एक बात की जिसके लिए मुझे कोई ऐतराज नहीं था- जानू एक बात कहनी है…
मैं- बोलो… आज बाजार जाना है, पैसे चाहिएँ?
सलोनी- नहीं…हाँ…अरे वो तो है… पर एक और बात भी है…मैं- तो बोलो न जानू… मैंने कभी तुमको किसी भी बात के लिए मना किया है क्या?
सलोनी- वो विनोद को तो जानते हो ना आप? मेरे साथ जो पढ़ते थे…मैंने दिमाग पर जोर डाला पर कुछ याद नहीं आया… हाँ उसने एक बार बताया तो था…वैसे सलोनी ने एम० ए० किया है… और एम० एड० भी… उस समय उसके साथ कुछ लड़के भी पढ़ते थे पर मुझे उनके नाम याद नहीं आ रहे थे…एक बार उसने मुझे मिलवाया भी था… हो सकता है…उन्ही में कोई हो…
मैं- हाँ यार…पर कुछ याद नहीं आ रहा…
सलोनी- विनोद भाईजी ने यहाँ एक स्कूल में जगह बताई है… उसका कॉल लेटर भी आया है… मैं पूरे दिन बोर हो जाती हूँ.. क्या मैं यह जॉब कर लूँ?मैं उसकी किसी बात को मना नहीं कर सकता था फिर भी- यार, तुम घर के काम में ही इतना थक जाती हो, फिर ये सब कैसे कर पाओगी?
सलोनी- आपको तो पता ही है… मुझे जॉब करना कितना पसंद है… प्लीज हाँ कर दो ना… मैं मधु को यहाँ ही काम पर रख लूँगी, यह मेरी बहुत सहायता कर देती है, मैंने इसके मां से भी बात कर ली है…सलोनी पूरी तरह मेरे ऊपर आ मुझे चूमकर मनाने में लगी थी…मैं कौन सा उसको मना कर रहा था- अरे जान… मैं कोई मना थोड़े ही कर रहा हूँ… पर कैसे कर पाओगी इतना सब? बस इसीलिए… मुझे तुम्हारा बहुत ख्याल है जान

 
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