desiaks
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पर जहाँ कोई अजनबी देखा नहीं कि बुरी तरह उग्र हो जाता है…मधु को देख मेरे लण्ड का भी वही हाल था…और यह भी समझ आ गया था… कि सलोनी के नंगे अंगों को देख अरविन्द अंकल, पारस या दूसरे लोगों का क्या हाल होता होगा…तभी मेरे दिमाग में शाम वाली बात आ जाती है…
मैं- अरे जान… शाम क्या कह रही थी??सलोनी- किस बारे में?
मैं- वो जब मैं मधु को नहला रहा था… तब कि तो मत शरमा… अब क्यों ऐसा कर रही है… क्या कोई पहले भी इसको नहला चुका है..या नंगी देख चुका है?अपनी बात सुनते ही तुरंत मधु ने प्रतिरोध किया- क्या भैया… आप फिर?
सलोनी- तू चुप कर खाना खा… तुझसे किसी ने कुछ पूछा क्या ???
सलोनी की डाँट से वो कुछ डर गई…और ‘जी भाभी’ बोल नजरें नीचे कर खाने लगी…
सलोनी- जानू और कोई नहीं इसका बाप ही… वो शराबी… जब देखो इसको परेशान करता रहता है…
मैं- क्याआआ??? क्या कह रही है तू… क्या ये सच है… इसके पापा ही… क्या करते हैं वो?मधु एक बार फिर- रहने दो ना भाभी…
सलोनी- अरे इसकी कुछ समय पहले तक बिस्तर पर सूसू निकल जाती थी… ना फिर…
मधु- छीइइइइइइ भाभी नहीं ना…
सलोनी- अच्छा वो तो एक बीमारी ही है ना… इसमें शरमा क्यों रही है…
मधु- पर वो तो बहुत पहले की बात है ना… अब क्यों…मैं दोनों की बातें रस लेकर सुन रहा था…
मैं- हाँ तो फिर क्या हुआ???
सलोनी- तो इसके पापा ही रोज इसके कपड़े बदल… इसको साफ़ करते थे…
मैं- और इसकी माँ… वो नहीं…
सलोनी- वही तो… वो सोती रहती थी… और इसके पापा को ही बोलती थी… ये बेचारी डर के मारे कुछ नहीं बोलती थी…
मैं- वो तो है…तो इसमें गलत क्या है… हर बाप… यही करेगा…
सलोनी- अरे आगे तो सुनो… वो इसकी बिस्तर के साथ साथ… इसके कपड़े… कच्छी सब निकाल पूरा नंगा कर देते थे… और इसका पूरा शरीर साफ़ करते थे…
मैं- हाँ तो क्या हुआ… गीले हो जाते होंगे ना…
सलोनी- अरे नहीं… इसका कोई पूरा थोड़ी निकलता था… केवल डर की बीमारी थी… केवल जरा सा निकल जाता था…
मैं- ओह… फिर वो क्या करते थे??
सलोनी- वही तो… इसके पूरे शरीर को बहाने से छूते… रगड़ते थे…
मधु- बस भाभी ना…
सलोनी- उस समय बस नहीं बोलती थी…
मैं- और क्या करते थे वो…
सलोनी- इसके नंगे बदन से चिपक कर लेट जाते थे…इसको सोए हुआ जानकर… इसके निप्पल को चूसते हैं… इसके होंटों को भी चूमते हैं… और अभी उस दिन तो बता रही थी… कि इसकी मुनिया को भी चाटा था… क्यों मधु…???मैं सलोनी की बात सुन… आश्चर्यचकित था…क्या एक बाप आप ही बेटी के साथ…?
मधु सर झुकाये बैठी थी… उसने कोई जवाब नहीं दिया…
मैं- तो क्या अब भी इसको सूसू निकल जाती है…मधु तुरंत ना में सर हिलाती है- …नहीं भैया…
सलोनी- अरे नहीं… अब तो यह बिल्कुल ठीक है… मगर इसका बाप अब भी…
मैं- क्याआआआ?
सलोनी- हाँ… जब पीकर आता है… तो इसी के बिस्तर पर आकर… इसको डराता है… कि दिखा आज तो नहीं मूता तूने… और इसको नंगा कर परेशान करता है…
मैं- साला… शराबी… हरामी…
सलोनी- अरे आप क्यों गाली दे रहे हो…
मधु- भाभी आप बहुत गन्दी हो… मैं भी भैया को आपकी बात बता दूंगी हाँ…मधु कुछ ज्यादा ही बुरा मान रही थी मगर इसमें मेरा फ़ायदा ही था… लगता है उसके पास कोई सलोनी के राज हैं… जो मैं उससे
जान सकता हूँ…
मैं- वो क्या मधु???
सलोनी- अच्छा मेरी कौन सी बात है… हा हा… मैं कोई तेरी तरह बिस्तर पर सूसू नहीं करती…
मधु- धत्त्त भाभी… अब तो मैं बता दूंगी…
सलोनी- तो बता दे ना… मैं कुछ नहीं छुपाती अपने जानू से हाँ…
मधु- अच्छा वो जो डॉक्टर अंकल…
कहानी जारी रहेगी.