hotaks444
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पर दिल का एक कोना उसके अंदर एक उथल पुथल मचा रहा आता उसका शरीर का हर कोना जगा हुआ था और कुछ माँग रहा था कामेश नहीं भीमा नहीं लाखा नहीं शायद भोला नहीं अभी नहीं अभी तो कुछ नहीं हो सकता कामेश अगर घर में होता तो शायद कुछ होता पर वो तो खेर कोई बात नहीं किसी तरह से अपने आपको समझा कर कामया मम्मीजी के साथ लगी रही काम तो क्या बस मम्मीजी के साथ भर घूमती रही थी घर के हर कोने तक और जैसा मम्मीजी कह रही थी घर के नौकरो को वो सब होते हुए देखती रही
खेर कोई ऐसी घटना नहीं हुई जो लिख सकूँ पर हाँ… एक बात साफ थी की कामया के अंदर का शैतान का कहिए कामया का शरीर जाग उठा था अपने आपको संभालती हुई वो किसी तरह से सिर्फ़ कामेश का इंतजार करती रही
रात को बहुत देर से कामेश आया घर का हर कोना साफ था और सजा हुआ था गुरु जी के आने का संकेत दे रहा था पापाजी और कामेश के आने के बाद तो जैसे फिर से एक बार घर में जान आगई थीपूरा घर भरा-भरा सा लगने लगा था नौकर चाकर दौड़ दौड़ कर अब तक काम कर रहे थे भीमा को असिस्ट करने के लिए भी कुछ लोग आ गये थे किचेन से लेकर घर का हर कोना नौकरो से भरा हुआ था पर कामया का हर कोना खाली था और उसे जो चाहिए था वो उसे नहीं मिला था अब तक उसे वो चाहिए ही था कामेश के आते ही वो फिर से भड़क गया था एक तो पूरा दिन घर में फिर इस तरह के ख्याल उसके दिमाग में घर कर गये थे की वो पूरा दिन जलती रही थी
पर कमरे में पहुँचते ही कामेश का नजरिया ही दूसरा था वो जल्दी-जल्दी सोने के मूड में था बातें करता हुआ जैसे तैसे बेड में घुस गया और गुड नाइट कहता हुआ बहुत ही जल्दी सो गया था कामया कुछ कह पाती या कुछ आगे बढ़ती वो सो चुका था कमरे में एक सन्नाटा था और वो सन्नाटा कामया को काटने दौड़ रहा था किसी तरह चेंज करते हुए वो भी सोने को बेड में घुसी थी की कामेश उसके पास सरक आया था एक उत्साह और ललक जाग गई थी कामया में मन में और शरीर में पर वो तो उसे पकड़कर खर्राटे भरने लगा था एक हथेली उसके चूचों पर थी और दूसरा कहाँ था कामया को नहीं पता शायद उस तरफ होगा पर कामेश के हाथों की गर्मी को वो महसूस कर रह थी एक ज्वाला जिसे उसने छुपा रखा था फिर से जागने लगी थी
पर कामेश की ओर से कोई हरकत ना देखकर वो चुपचाप लेटी रही अपनी कमर को उसके लिंग के पास तक पहुँचा कर उसे उकसाने की कोशिश भी की पर सब बेकार कोई फरक नहीं दिखा था कामया को रात भर वो कोशिश करती रही पर नतीजा सिफर सुबह उठ-ते ही कामेश जल्दी में दिखा था कही जाना था उसे कामया को भी जल्दी से उठा दिया था उसने और बहुत सी बातें बताकर जल्दी से नीचे की ओर भगा था नीचे जब तक कामया पहुँची थी तब तक तो कामेश नाश्ते के टेबल पर अकेला ही नाश्ता कर रहा था पापाजी और मम्मीजी चाय पीते हुए उससे कुछ बातें कर रहे थे
जो बातें उसे सुनाई दी थी
मम्मीजी- अरे तो बहू को आज क्यों भेज रहा है उसे रहने दे घर में
कामेश- मम्मी आ जाएगी वो दोपहर तक फिर कर लेना जो चाहे
कामेश--सोनू तुम थोड़ा सा कॉंप्लेक्स हो आना कुछ वाउचर रखे है साइन कर देना और कुछ कैश भी निकाल कर अकाउंट्स में रख देना कल से नहीं जा पाओगी
कामया- जी
कामेश- और हाँ… उसे ऋषि को बोल देना कि रोज जाए कॉंप्लेक्स कुछ सीखा कि नहीं
कामया- जी
मम्मीजी - हाँ ऋषि भी तो है वो क्या करता है
कामेश- फिल्म देखता है वो भी सलमान खान की हाँ… हाँ… हाँ…
पापाजी और मम्मीजी के चहरे पर भी मुश्कान दौड़ गई थी कामेश का खाना हो गया था और वो जल्दी में बाहर निकला था कामया भी उसके साथ बाहर तक आई थी तीनों गाडिया लाइन से खड़ी थी कामेश की गाड़ी नहीं थी और पापाजी की
कामेश---अरे भोला मेरी गाड़ी नहीं निकाली
भोला की नजर एक बार कामेश और कामया पर पड़ी थी कुछ सोचता उससे पहले ही
कामेश---तू सुन तू मेमसाहब को लेकर कॉंप्लेक्स जाना और जल्दी आ जाना मेरी गाड़ी निकाल दे और सुन दोपहर को शोरुम आ जाना
भोला- नज़रें झुकाए जल्दी से गेराज में गया और कामेश की गाड़ी निकाल कर उसे सॉफ करने लगा था लाखा भी दौड़ा था पर कामेश की जल्दी के आगे वो सब रुक गये थे कामेश जल्दी से गाड़ी में बैठकर बाहर की ओर चला गया रह गये थे तो सिर्फ़ लाखा भोला और कमाया एक नजर लाखा और फिर भोला पर पड़ते ही कामया अंतर मन फिर से जाग उठा था भोला की नजर में कुछ था जो उसे हमेशा से ही बिचलित करता था वो एक गहरी सांस लेकर पलटी थी और अंदर आ गई थी अपने बेडरूम में पहुँचकर देखा था कि एक मिस कॉल था
किसका है देखा तो ऋषि का था उसने ऋषि को डायल किया
ऋषि- हेलो भाभी कैसी हो अरे यार तुम कल गई नहीं में बोर हो गया था आज जाओगी ना
कामया- हो दोपहर तक हूँ लेने आती हूँ तैयार रहना आज कुछ जल्दी है ठीक है
ऋषि- जी भाभी
और फोन रखने के बाद कामया नहाने को चली नहाते वक़्त भी उसे कामेश का ध्यान आया था कैसे उसने कल रात पूरी गँवा दी कुछ नहीं किया और आज सुबह भी जल्दी चला गया था पर एक शान्ती थी आज वो फिर बाहर जा सकती है कल तो पूरा दिन ही खराब हो गया था
खेर कोई ऐसी घटना नहीं हुई जो लिख सकूँ पर हाँ… एक बात साफ थी की कामया के अंदर का शैतान का कहिए कामया का शरीर जाग उठा था अपने आपको संभालती हुई वो किसी तरह से सिर्फ़ कामेश का इंतजार करती रही
रात को बहुत देर से कामेश आया घर का हर कोना साफ था और सजा हुआ था गुरु जी के आने का संकेत दे रहा था पापाजी और कामेश के आने के बाद तो जैसे फिर से एक बार घर में जान आगई थीपूरा घर भरा-भरा सा लगने लगा था नौकर चाकर दौड़ दौड़ कर अब तक काम कर रहे थे भीमा को असिस्ट करने के लिए भी कुछ लोग आ गये थे किचेन से लेकर घर का हर कोना नौकरो से भरा हुआ था पर कामया का हर कोना खाली था और उसे जो चाहिए था वो उसे नहीं मिला था अब तक उसे वो चाहिए ही था कामेश के आते ही वो फिर से भड़क गया था एक तो पूरा दिन घर में फिर इस तरह के ख्याल उसके दिमाग में घर कर गये थे की वो पूरा दिन जलती रही थी
पर कमरे में पहुँचते ही कामेश का नजरिया ही दूसरा था वो जल्दी-जल्दी सोने के मूड में था बातें करता हुआ जैसे तैसे बेड में घुस गया और गुड नाइट कहता हुआ बहुत ही जल्दी सो गया था कामया कुछ कह पाती या कुछ आगे बढ़ती वो सो चुका था कमरे में एक सन्नाटा था और वो सन्नाटा कामया को काटने दौड़ रहा था किसी तरह चेंज करते हुए वो भी सोने को बेड में घुसी थी की कामेश उसके पास सरक आया था एक उत्साह और ललक जाग गई थी कामया में मन में और शरीर में पर वो तो उसे पकड़कर खर्राटे भरने लगा था एक हथेली उसके चूचों पर थी और दूसरा कहाँ था कामया को नहीं पता शायद उस तरफ होगा पर कामेश के हाथों की गर्मी को वो महसूस कर रह थी एक ज्वाला जिसे उसने छुपा रखा था फिर से जागने लगी थी
पर कामेश की ओर से कोई हरकत ना देखकर वो चुपचाप लेटी रही अपनी कमर को उसके लिंग के पास तक पहुँचा कर उसे उकसाने की कोशिश भी की पर सब बेकार कोई फरक नहीं दिखा था कामया को रात भर वो कोशिश करती रही पर नतीजा सिफर सुबह उठ-ते ही कामेश जल्दी में दिखा था कही जाना था उसे कामया को भी जल्दी से उठा दिया था उसने और बहुत सी बातें बताकर जल्दी से नीचे की ओर भगा था नीचे जब तक कामया पहुँची थी तब तक तो कामेश नाश्ते के टेबल पर अकेला ही नाश्ता कर रहा था पापाजी और मम्मीजी चाय पीते हुए उससे कुछ बातें कर रहे थे
जो बातें उसे सुनाई दी थी
मम्मीजी- अरे तो बहू को आज क्यों भेज रहा है उसे रहने दे घर में
कामेश- मम्मी आ जाएगी वो दोपहर तक फिर कर लेना जो चाहे
कामेश--सोनू तुम थोड़ा सा कॉंप्लेक्स हो आना कुछ वाउचर रखे है साइन कर देना और कुछ कैश भी निकाल कर अकाउंट्स में रख देना कल से नहीं जा पाओगी
कामया- जी
कामेश- और हाँ… उसे ऋषि को बोल देना कि रोज जाए कॉंप्लेक्स कुछ सीखा कि नहीं
कामया- जी
मम्मीजी - हाँ ऋषि भी तो है वो क्या करता है
कामेश- फिल्म देखता है वो भी सलमान खान की हाँ… हाँ… हाँ…
पापाजी और मम्मीजी के चहरे पर भी मुश्कान दौड़ गई थी कामेश का खाना हो गया था और वो जल्दी में बाहर निकला था कामया भी उसके साथ बाहर तक आई थी तीनों गाडिया लाइन से खड़ी थी कामेश की गाड़ी नहीं थी और पापाजी की
कामेश---अरे भोला मेरी गाड़ी नहीं निकाली
भोला की नजर एक बार कामेश और कामया पर पड़ी थी कुछ सोचता उससे पहले ही
कामेश---तू सुन तू मेमसाहब को लेकर कॉंप्लेक्स जाना और जल्दी आ जाना मेरी गाड़ी निकाल दे और सुन दोपहर को शोरुम आ जाना
भोला- नज़रें झुकाए जल्दी से गेराज में गया और कामेश की गाड़ी निकाल कर उसे सॉफ करने लगा था लाखा भी दौड़ा था पर कामेश की जल्दी के आगे वो सब रुक गये थे कामेश जल्दी से गाड़ी में बैठकर बाहर की ओर चला गया रह गये थे तो सिर्फ़ लाखा भोला और कमाया एक नजर लाखा और फिर भोला पर पड़ते ही कामया अंतर मन फिर से जाग उठा था भोला की नजर में कुछ था जो उसे हमेशा से ही बिचलित करता था वो एक गहरी सांस लेकर पलटी थी और अंदर आ गई थी अपने बेडरूम में पहुँचकर देखा था कि एक मिस कॉल था
किसका है देखा तो ऋषि का था उसने ऋषि को डायल किया
ऋषि- हेलो भाभी कैसी हो अरे यार तुम कल गई नहीं में बोर हो गया था आज जाओगी ना
कामया- हो दोपहर तक हूँ लेने आती हूँ तैयार रहना आज कुछ जल्दी है ठीक है
ऋषि- जी भाभी
और फोन रखने के बाद कामया नहाने को चली नहाते वक़्त भी उसे कामेश का ध्यान आया था कैसे उसने कल रात पूरी गँवा दी कुछ नहीं किया और आज सुबह भी जल्दी चला गया था पर एक शान्ती थी आज वो फिर बाहर जा सकती है कल तो पूरा दिन ही खराब हो गया था