अध्याय 4
सामने मेरा घर था जिसे मैं आज तक अपना घर कहता रहा था,लेकिन यकीन मानिए ये कभी मुझे अपना घर नही लगा,और वो 10 दिन जो मैंने उस पहाड़ी के मंदिर में बिताए थे ,मुझे लगने लगा था की यही मेरा असली घर है,आज मुझे लग रहा था की मैं अपने असली घर को छोड़कर किसी दूसरी जगह आ रहा हु…
सामने गेट था और अब मेरी नई दुनिया में प्रवेश करने का समय आ चुका था…..
पुलिस ने मेरे घर वालो को पहले ही मेरे आने की खबर दे दी थी तो मुझे यकीन था की सभी ,सभी ना सही कम से कम मेरी प्यारी माँ तो मेरे आने का इंतजार कर ही रही होगी ,ऐसे भी इस घर में मैं बस उन्हें ही देखना चाहता था और वो ही तो एक थी जिसे मुझसे प्यार था…….
दरवाजा खुला और मेरी मैं ने दौड़ाते हुए मुझे गले से लगा लिया .
“बेटा तू कहा चला गया था “
वो मेरे गालों को बेतहाशा चूमने लगी थी ,मेरी उम्मीद के विपरीत यंहा घर का हर सदस्य था और सारे नॉकर भी …
“ऐसे क्या लाड़ दिखा रही हो इसे, ये कोई जंग जीतकर नही आया है,अपनी गलती से खो गया था ,कहा भाग गया था तू ..”
मेरा बाप चिल्लाया ,मैंने इस बार नजर नीचे नही की बल्कि उसे एक बार घूर कर देखा और फिर अपनी माँ की तरफ देखने लगा,रो रो कर बेचारी के आंख सूज गए थे,मैं उसके गालों को प्यार से सहलाने लगा..
मेरा बाप फिर से भड़का
“कुछ पूछा जा रहा है तुमसे ,कहा भाग गए थे तुम “
“ये अभी तो आया है और आप ..”
माँ कुछ बोलने वाली थी की पापा ने अपना हाथ दिखा के रोक दिया आखिर मुझे बोलना ही पड़ा..
“मैं कही भागा नही था,आपकी प्यारी बेटी और उसके बॉयफ्रेंड ने मिलकर मुझे जंगल में भरी बारिश में अकेले छोड़ दिया था …”
मैंने घूरकर निशा की ओर देखा मेरी बातों से वो सकपका सीं गई थी ..
“कुछ भी मत बोल लूजर ,.”
वो भड़की लेकिन इस बार मेरा सर झुका नही बल्कि मेरे होठो में एक कमीनी सी मुस्कान आ गई ,मेरे इस एटीट्यूड को देखकर निशा मानो जल सी गई ..
“पापा ये ..”
पापा ने उसे फिर से रोका
“अपनी गलती को अपनी बहन पर मत डालो “
वो कुछ और बोलते की मैं बोल पड़ा
“बहन ….हा हा हा…”मैंने बड़े ही व्यंगात्मक अंदाज से निशा की ओर देखा ,पता नही मेरी आंखों में क्या था की वो घबरा सी गई और सहम गई,मुझे लगा की ये मेरे उस ताबीज वाली लकड़ी का कमाल है जो भी हो अब तो मैं राजा था …..
“पहले इससे तो पूछ लो की इसने कब मुझे अपना भाई माना है ..माँ मुझे बहुत जोरो की भूख लग रही है आपके हाथो का खाना खाये मानो बरसो हो गए ,जल्दी से खाना लगा दो मैं फ्रेश होकर आता हु ..”
मेरी बात और कांफिडेंस से मेरी माँ भी चकित थी ,मैं मुड़ा और पुलिस वालो को खुद ही धन्यवाद कहा और बिना किसी से कुछ कहे टॉमी की साथ अपने कमरे में आ गया …..
कितना सरल था …
जिन चीजों से मैं आज तक डरता रहा था उनका सामना करना इतना सरल होगा ये मैंने सोचा ही नही था …
मैंने अपने ताबीज को चूमा ,टॉमी को नहलाया और खुद भी नहा कर नीचे आ गया ,अब घर में कोई भी नही दिख रहा था ,मैं डायनिंग टेबल पर बैठा था मेरे पास ही माँ भी बैठी थी ..
“हो क्या गया है तुझे ,अपने पापा से ऐसे बात कर रहा था ,तू ठीक तो है ना बेटा ..”
उन्होंने मुझे खाना परोसते हुए कहा
मैं जोरो से हँस पड़ा
“हा माँ अब ही तो ठीक हुआ हु “
मेरे इस बात से माँ के आंखों में आंसू आ गए ,मैं समझ सकता था की क्यो,उन्होंने मुझे जीवन भर घुटते हुए देखा था,हमेशा ही दबकर रहते हुए देखा था ,उनके लिए इससे ज्यादा खुसी की बात और क्या हो सकती थी की उनका बेटा अपनी जिंदगी सर उठा कर जिये …
मैं खाना खाकर स्कूल के लिए निकलने लगा ,माँ ने फिर से मुझे रोक लिया
“बेटा आज भी स्कूल जाएगा,पहले तो स्कूल के नाम से तेरा चहरा उतर जाता था ..”
मैं बस मुस्कुरा कर रह गया ….
स्कूल में जैसे मैं एक खास अट्रेक्सन था ,क्लास में जाते ही चंदू मुझे मिल गया ..
“क्यो बे चुतिये कहा भाग गया था ..”
मैं अपने बेंच में बैठा ही था की वो मेरे सामने आकर खड़ा हो गया था,चंदू की बात का मैंने कोई जवाब नही दिया बल्कि बस उसको देख कर मुस्कुरा दिया,पता नही क्यो लेकिन मुझे लगा जैसे मेरे मुस्कान में वो ताकत है जो मेरी बातों में नही होगी ,सच था क्योकि चंदू थोड़ा झल्ला गया था,मैं उसके आंखों में आंखे मिलाकर उसके प्रश्न का जवाब दिए बिना बस मुस्कुरा रहा था जैसे उसके प्रश्न की मेरे लिए कोई अहमियत ही नही हो ..
निशा दूर खड़ी हम दोनों को देख रही थी वही जैसे ही रश्मि की नजर मुझपर पड़ी वो दौड़ाते हुए मेरे पास आ गई ..
“कहा थे तुम, ना जाने तुम्हारे बारे में कितनी कहानियां ये लोग फैला रहे थे,की तुम घर छोड़ कर भाग गए हो...“
उसने चंदू को घृणा की दृष्टि से देखा
“बस जंगल घूमने का मन किया तो निकल पड़ा ,ऐसे जंगल बेहद ही खूबसूरत था….. तुम्हारी तरह ..”
मैंने ये बात उसकी आंखों में देखकर कही थी ,और इससे उसके साथ साथ चंदू का भी मुह खुला का खुला रह गया था,रश्मि इतने दिनों से मेरी दोस्त थी लेकिन मैंने आजतक कभी उससे दोस्तो की तरह बात नही की थी ,और आज आते ही मैं उससे फ्लर्टिंग करने लगा था,मुझे नही पता था की ये मुझसे कैसे हो रहा है बस मुझे अब डर नही लग रहा था,मेरे साथ बाबा जी का आशीर्वाद जो था,तो मैं जो मुह में आये वो बोल रहा था दिल से बोल रहा था ,अपने दिमाग को मैंने थोड़ा साइड कर दिया था,क्योकि दिमाग सोचता बहुत है ,अच्छा- बुरा,ये- वो, दुनिया- दारी..
इतना सोचता है की हम जी ही नही पाते तो दिमाग को रिलेक्स रखो और अपनी जिंदगी जिओ ,बाबा ने मुझे यही सिखाया था ..
“तुम्हे क्या हो गया आज ,तुमने जिंदगी में पहली बार मेरी खूबसूरती की तारीफ की है ..कुछ बदले बदले लग रहे हो “
रश्मि की बात से मैं खुल कर हँस पड़ा था ,जिसे वो दोनों ऐसे देख रहे थे जैसे कोई भूत देख लिया हो मानो जो देखा उसपर यकीन ही नही आ रहा हो …
“अरे यार मैंने तो बस सच कहा है ,ऐसे तुम बहुत याद आई मुझे ,जंगल में मेरे अकेलेपन में, आखिर तुम ही तो एक दोस्त हो मेरी “
ऐसे ये बात पूरी तरह से गलत थी क्योकि मुझे उसकी बिल्कुल भी याद नही आयी थी लेकिन मेरी बात सुनकर वो मुस्कराई ,
“तुम सच में बहुत बदल गए हो ..”
उसने बस इतना ही कहा और अपने सीट पर चली गई ..
उसके जाते ही चंदू मेरी ओर हुआ
“क्यो बे साले बहुत हीरो बन रहा है तू ,रश्मि से फ्लर्ट करेगा “
उसने मुझे धमकाने वाले अंदाज में कहा ,
“क्यो तेरी बहन है क्या ..”
मैंने मुस्कुराते हुए कहा ,
“तेरी तो ..”उसने मुक्का ताना लेकिन रुक गया ,मैं अब भी उसे मुस्कुराते हुए देख रहा था,यकीन मानो मेरे दिमाग में उसके लिए कोई गुस्सा ही नही था वो तो मुझे बच्चे जैसा लग रहा था,
अर्ज किया है
मैं तो चीता से लड़ने वाला इंसान था ,ये तो मेरे लिए झांट समान था ..वाह वाह वाह वाह
जैसे ही मेरे मन में ये बात आयी मेरी मुस्कान और भी गहरा गई ..
“साले बहुत बोल रहा है तू,अपने को बड़ा तीसमार खान समझ रहा है ना,बहन की बात करता है पता है ना तेरी बहन के साथ क्या किया था कार में “
मुझे उसकी बात से गुस्सा या शर्म आना था लेकिन दोनों ही नही आया ,मैंने बस के अंगड़ाई ली ,मैंने देखा की निशा उसी ओर आ रही थी ...
“तुझे निशा को चोदना है ना ,चोद उसे, लेकिन उसे मेरी बहन बोलकर बहन शब्द को गाली मत दे ..”
मेरी बात निशा के भी कानो में गई होगी ,वो सन्न थी जबकि चंदू निरुत्तर, वो खिसियाया हुआ अपने सीट में चला गया ,वही निशा गुस्से से भरी हुई मुझे देख रही थी लेकिन मैंने उसको बिल्कुल ही इग्नोर कर दिया था ….
दो क्लास के बाद ब्रेक हुआ और एक मोटा लड़का मेरे सामने आकर खड़ा हो गया,ये लड़का रश्मि का दीवाना था इसलिए स्वाभाविक रूप से मुझसे जलता था और मुझे परेशान किया करता था ..
“क्यो बे चोदू कहा था इतने दिन “
उसने अपने दांत निकाले ,एक बार उसने रश्मि की ओर देखा की कही वो आ तो नही रही है लेकिन रश्मि अपनी एक सहेली से बातों में बिजी थी ..
“सामने से हट बे गैंडे मुझे मूतने जाना है “
मेरी बात सुनकर वो थोड़ा चौका क्योकि उसे इस उत्तर की उम्मीद नही थी ,
“मादरचोद तेरी तो “
उसने अपना हाथ मेरे कॉलर को पकड़ने के लिए उठाया ही था की ..
चटाक ..
एक करारा झापड़ मैंने उसके गाल पर झड़ दिया ,
वो इतना जोर का था की उसका एक दांत टूट कर बाहर आ गया ,मुह से खून बह रहा था ,पूरी क्लास हमे ही देख रही थी ,मैंने उसे सामने से हटाया और पूरे एटीट्यूड के साथ क्लास से बाहर निकल गया ,वो अब भी अपना टूटा हुआ जबड़ा पकड़कर मुझे देख रहा था लेकिन वो क्या किसी की इतनी हिम्मत नही हुई की मुझे रोक सके …..
मुझे लगा था की वो प्रिंसपल के पास जाएगा फिर याद आया की ये तो स्कूल के बदमाशो के एक लोकल गैंग का मेम्बर है तो वो मेरी शिकायत नही करेगा बल्कि स्कूल के बाहर ही सबक सिखाने की सोचेगा...खैर मुझे क्या फर्क पड़ता है मेरे पास तो मेरी लकड़ी थी …
क्लास शुरू होने के बाद वो लड़का मुझे नही दिखा,शायद वो अपने गैंग के लोगो को इकठ्ठा कर रहा होगा ,लांग रिसेस के समय रश्मि मेरे साथ हो ली ,वो मेरे बदले हुए रूप को देखकर बहुत खुश हुई लेकिन वो थोड़ी घबराई हुई भी थी ..
“जानते हो ना जिस लड़के को तुमने मारा वो गुंडा टाइप का है उसका गैंग भी है ..”
रश्मि ने डरते हुए कहा
“हा तो क्या हुआ “
“तुम्हे डर नही लगता ,पहले तो सर झुकाए घूमते रहते थे,कोई भी डरा दिया करता था और अब आखिर हुआ क्या है तुम्हारे साथ जंगल में ..”
रश्मि बड़े ही आकर्षक अंदाज में मुझे देख रही थी ,मैं उसके साथ इतने सालो से था लेकिन मैंने कभी उसके चहरे को ध्यान से नही देखा था ,वो सच में बेहद ही सुंदर थी ..
“बस समझ लो मुझे कुछ ऐसा मिल गया जिसकी मुझे तलाश थी ,मैंने मौत को इतने पास से देखा की मेरा पूरा डर ही जाता रहा,”
मैं कुछ देर के लिए चुप हो गया ,वो हादसे मेरे दिमाग में चल रहे थे..जबकि रश्मि मुझे ही घूर रही थी ..
“ऐसे क्या देख रही हो “
मैंने उसे खुद को देखता पाकर कहा
“ऐसे ही रहना ,हमेशा…”
हमारी आंखे मिली और मानो कुछ स्पार्क सा हुआ और उसने तुरंत ही नजर झुका ली ,मुझे पता था की क्या हुआ था ,बाबा जी ने कहा था की मेरे अंदर आकर्षण आ जाएगा ,शायद यही बजह थी की रश्मि मुझसे आकर्षित हो गई हो ,उसके चहरे में शर्म साफ दिख रही थी ,एक ही दिन में क्या क्या होने वाला था मेरे साथ ,मैंने मन ही मन बाबा जी को धन्यवाद दिया …
क्लास शुरू हुई तो रश्मि अपनी जगह को छोड़कर मेरे बाजू में आकर बैठ गई ,उसकी इस हरकत से सभी की निगाहे फिर से एक बार मुझपर टिक गई थी,निशा और चंदू का चहरा तो छोटा ही पड़ गया था ,शायद उन्हें अभी भी, घटित हो रही बातों पर विस्वास नही हो रहा हो ….
रश्मि ने मुझे बताया की आज एक नई टीचर हिस्ट्री पढ़ने के लिए आने वाली है ,
पहले जो हिस्ट्री के सर थे वो बड़े ही खड़ूस थे तो मुझे लगा की ये अच्छा ही हुआ ..
तभी एक साड़ी में लिपटी हुई औरत कमरे में आई ,उसके आने से पहले उसके पायलों की खन खन की आवाज मेरे कानो तक आ पहुची थी ,घने घुंघराले बाल लहराती हुई ,मेरी नजर पहले उसके पैरों में गई वो साड़ी पहने हुई थी,स्लेटी कलर की रेशमी पतली साड़ी,और मेरी नजर उसके कमर में जाकर रुक ही गई ,जैसे थूक गले में रुक गया हो ,गोरी चिकनी कमर पर एक चांदी का पतला करधन था,कमर पतले होने की वजह से उसके पिछवाड़े उभरे हुए लग रहे थे ,जब नजर थोड़ी ऊपर गई तो वक्षो की चोटिया दिखाई देने लगी ,और सुराहीदार गर्दन के ऊपर उसके होठ जो अभी मुझसे कुछ ही दूरी पर थे ..
वो हिले ..