अध्याय 6
“तुम पागल हो क्या जो उनसे भिड़ाने चले गए वो भी ऐसे सुनसान से इलाके में “
एक छोटे डिंडोर स्टेडियम की एक सीढ़ी में बैठे हुए काजल मेडम मेरे सर के चोट पर मरहमपट्टी कर रही थी वही कुछ लड़के टॉमी के घाव में मरहम लगा रहे थे…
वो बेहद ही चिंता में लग रही थी
“मैं कही नही गया था वो लोग मेरे पास आ गए थे मुझसे भिड़ने ..”
“अपने आप को बहुत स्मार्ट समझते हो ,कल क्लास में भी तुमने... खतरों से भिड़ने का बहुत शौक है तुम्हे ,”
उनकी बात से मैं मुस्कुरा पड़ा
“आप कोई खतरा थोड़े ही हो ,मैं तो आपको देखते ही आपका दीवाना हो गया ..”
मैं मुकुराया लेकिन मेडम नही ..
“ओ मजनू की औलाद ऐसे बहुत लड़के रहते है मेरे पीछे और ये देखो मैं रियाल खतरा हु “
उन्होंने अपने कमर में बंधी हुई ब्लैक बेल्ट की ओर इशारा किया ,उस इंडोर स्टेडियम में कराटे,कुंफ और मार्सल आर्ट सिखाया जाता था ,मेडम वंहा पर टीचर थी ,और जब वो लोग मैदान में दौड़ रहे थे तभी उन्होंने मुझे लड़को से लड़ते हुए देखा था,और फिर भागकर उन्हें थकाकर सुनसान इलाके में ले जाते …
“यकीन नही होता की आप कराटे टीचर है आपका हाथ तो बेहद ही मुलायम है “
इस बार मैंने बड़ी ही मासूमियत से कहा था,उनके होठो पर भी एक मुस्कान उभर आयी..
“अगर कभी पड़ेगा ना तब समझ आ जाएगा,ऐसे तुमने लड़ना कहा से सीखा ..?”
उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा
“कही नही मैं तो जीवन में पहली बार लड़ रहा था..”
उनके होठो की मुस्कान और भी गहरी हो गई थी ..
“तुम सच में बहुत बड़े झूठे हो ,जैसा पंच तुमने उस लड़के को मारा था वो कराटे में ही सिखाते है ,और फिर वो कोहनियो का वार ..”
“मैं सच कह रहा हु मैंने कही से नही सीखा बस मन में आया तो घुमा दिया “
वो मुझे घूरने लगी …
“तब तो तुम्हे यंहा आकर सीखना चाहिए,मेरे ख्याल से तुम अच्छे फाइटर बनोगे,”
“आप सिखाएंगी “
मैंने मासूमियत भरे हुए कमीने पन से कहा
वो मुस्कुरा उठी …
“तुम कमीने हो..,हा मैं ही सिखाऊंगी ऐसे एक ग्रैंड मास्टर भी है लेकिन उनके अनुपस्थिति में हम लोगो ही सिखाते है जो की यंहा के पुराने स्टूडेंट्स है ,हमारे मास्टर देश विदेश में घूमते रहते है साल में एक दो बार ही आते है …….”
“अब लगता है की आपके सानिध्य में बहुत कुछ सिख जाऊंगा ,अच्छा लग रहा है”
उन्होंने मुस्कुराते हुए हल्की सी चपत मेरे गालो में मार दी ……
तभी मेरी नजर गेट पर पड़ी जंहा मुझे चन्दू और निशा खड़े हुए दिखाई दिए ,मेरे देखते ही उन्होंने अपनी निगाहे फेर ली …
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मैं घर आया तो मम्मी से ढेर सारी डांट खाई ,वो अपने प्यार के कारण मुझे डांट रही थी ,मैंने उन्हें बताया की मैं किसी भारी चीज से टकरा गया था,मेरे सर पर पट्टी बंधी हुई थी ,आज रश्मि मुझे लेने घर आयी और घर से निकलते ही मुझपर बरस पड़ी ..
“तुम आंटी से झूठ बोल सकते हो मुझसे नही ,सच सच बताओ उस मोटे ने तुम्हे मारा है ना “
मैं स्कूटी में पीछे बैठा हुआ था ,मैं जोरो से हंस पड़ा
“अरे वो मोटा मुझे क्या मरेगा मैंने ही उसे धोया था,ऐसी जगह मारा हु की साला अब लड़ने से पहले दो बार सोचेगा जरूर,लेकिन सालो ने पीछे से वार कर दिया ..”
“तुम जंगल से क्या आये हो पागल ही हो गए हो ,तुम्हे जरूरत क्या थी उनसे लड़ने की सॉरी बोलकर निकल जाते “
रश्मि चिंतित थी ,मैंने उसके कमर को जकड़ लिया ..
“हमेशा से तो यही करता आया हु,अब और नही ..”
मैंने अपना सर उसके कंधे में रख दिया वो कुछ भी नही बोल रही थी………
स्कूल में मुझे और मोटे को काजल मेडम ने टीचर्स स्टाफ रूम में बुलाया था..
“तुम्हारे जो भी गीले शिकवे है वो यही भुला दो और हाथ मिला लो ,हमारे स्कूल के बच्चे आवारा जैसे लड़ रहे थे ये बात अगर प्रिंसपल को पता चल गई तो तुम दोनो की खैर नही ..”
मोटे ने एक बार मुझे देखा मैंने उसे आंख मार दी ,वो कुछ बोला नही ….
“मेडम मुझे इससे कोई प्रॉब्लम नही है ,लेकिन अगर इसने फिर से मुझे अपने लफंगे दोस्तो के साथ घेरा तो अभी तो चोट किया हु,अगले बार इसके दोनो बॉल्स फोड़ दूंगा ,निंजा टेक्निक से "
मेरी बात सुनकर मेडम हल्के से मुस्कुराई फिर झूठा गुस्सा दिखाते हुए मुझे डांटने लगी ..
“चुप करो तुम, तुम्हे निंजा टेक्निक आती है तो क्या तुम किसी को भी मरते फिरोगे..और तुम ...एक आदमी को मारने के लिए 20 लोगो को ले जाते हो “
मेडम की बात सुनकर मोटे ने बड़े ही अजीब निगाहों से मुझे देखा
“तूने कब निंजा टेक्निक सिख ली “
वो आश्चर्य से बोला ,मैंने बस उसे आंख मार दिया
“चलो बहुत हुआ हाथ मिलाओ और फिर मत लड़ना “
हम दोनो ने एक दूसरे से हाथ मिलाया ,मोटा वंहा से जा चुका था,मेडम उसके जाते ही मुह दबा कर हंस पड़ी
“ये क्या नया सगुफ़ा छोड़ दिया तुमने निंजा टेक्निक “
“अरे मेडम आप निकलोडियन नही देखती क्या ,हथोड़ी और शिन्जो एक निंजा है और सिसिमानो उनका कुत्ता वैसे ही मेरे पास है मेरा सीसीमानो टॉमी.”
“क्या????”
मेरी बात मेडम को समझ नही आयी,और जिन्हें अभी भी नही आयी उन्हें बता दु की निकिलोड़ियन एक टीवी का कार्टून चेनल है जिसमे निंजा हथोड़ी करके एक सीरियल चलता है और उसमे हथोड़ी एक निंजा है किसके पास कई तरह की निंजा टेक्निक होती है ……..
“छोड़िये जब आपके बच्चे हो जाएंगे तब मेरी बात समझ आ जायेगी.”
मेडम ने अपना सर हिलाया जैसे कह रही हो हे भगवान ..
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रात का समय था मैं अपने कमरे में बैठा हुआ मूवी देख रहा था,मूवी थी ‘नेवर बेक डाउन ‘
मारधाड़ और मार्सल आर्ट से भरपूर ..
तभी मेरे कमरे का दरवाजा खुला सामने निशा थी ..
“अब तुम्हारी चोट कैसी है “
उसने धीरे से कहा ,
मैंने उसे अजीब निगाहों से देखा
“तुम्हे कब से फर्क पड़ने लगा “
वो सर झुकाये खड़ी थी लेकिन वो सुबक रही थी ,मुझे ये अजीब बात लगी आज तक जो लड़की कभी मुझसे सीधे मुह बात भी नही करती थी आज वो मेरे सामने खड़ी सुबक रही है …
“तुम मुझे बहुत ही गलत समझते हो भाई “
आज उसने पहली बार मुझे भाई कहा था
“ओह भाई ...तुम्हारी तबियत तो ठीक है ना ,कही दिमाग तो नही हिल गया है जो मुझे भाई कह रही हो “
वो और भी जोरो से रोने लगी थी
“अब यंहा खड़ी खड़ी रो क्यो रही हो जाओ यंहा से मुझे मूवी देखना है “
लेकिन वो नही गई
“मुझे तुमसे बात करनी है “
“बात और मुझसे ..जाओ अपने बॉयफ्रेंड से जाकर बात करो ,”
“वो मेरा बॉयफ्रेंड नही है ,बस अच्छा दोस्त है “
“अच्छे दोस्त जांघो को नही मसला करते ,बॉयफ्रेंड नही तो शायद फक बॉडी होगा ,”
“राज ..”
वो चिल्लाई
“तुम जाओ यार यंहा से तुम्हे जिससे मरवाना हो मरवाओ लेकिन मेरा दिमाग मत खाओ “
वो जोरो से रो पड़ी
“मेरे भाई होकर तुम मुझसे ऐसी बाते कर रहे हो “
अब मुझसे बर्दास्त नही हुआ,मैं खड़ा हुआ और उसके पास जाकर उसके गालो को अपने हाथो से दबा लिया ..
उसका चहरा लाल पड़ चुका था,उसके आंखे आंसुओ से गीली थी,होठ कांप रहे थे,बाल बिखरे हुए थे,और आंखों में मेरे कृत्य के कारण एक डर सा आ गया था…
“एक बात समझ लो की मैं तुम्हारा भाई नही हु,तुमने कब मुझे अपना भाई माना जो आज बहन होने की दुहाई दे रही हो ,तुमने हमेशा ही मुझे नीचा दिखाने की कोशिस की है ,कभी मुझे भाई कहकर या मेरे असली नाम से बुलाया है तुमने ,तुमने मुझे लूजर कहा ,कुत्ता कहा और वैसा ही बर्ताव किया ,और अब तुम मुझे अपना भाई कह रही हो “
मेरी आंखे गुस्से से लाल थी ,निशा के गुलाबी होठ फड़क रहे थे ,मैंने उसके गालो को छोड़ दिया,उसके गालो पर मेरे उंगलियो के निशान पड़ चुके थे,उसके गाल बहुत मुलायम और फुले हुए थे,रंग बेहद ही गोरा था ,थोड़ा अंग्रेजो जैसे इसलिए उंगलियो के निशान साफ साफ दिखाई दे रहे थे..
“हा मैं तुम्हे चिढ़ाती थी ,तुम्हे जलील करती थी क्योकि तुम वैसे थे..इसमे मेरी कोई गलती नही है,मुझे तो तुम्हे भाई बोलते हुए भी शर्म आती थी,और तुम ही बताओ की तुमने भाई वाला कौन सा काम किया है जो मैं तुम्हे भाई बोलू,तुम तो एक डरपोक इंसान थे ,तुम्हे क्या लगता है की उस दिन कार में तुम्हारे गुम जाने के बाद मुझे खुशी हुई,तुम्हारे लिए हम सभी बहने रोती थी लेकिन छिप छिपकर …...लेकिन तुम ...तुम तो थे ही ऐसे ,तुम आज ऐसे पेश आ रहे हो मुझे थोड़ा भी आश्चर्य नही हो रहा है,असल में तुमने कभी हमे अपनी बहन नही माना ,वरना तुम उस दिन चन्दू से भीड़ जाते ,तुम मार खाने से नही डरते ,लेकिन तुम डरपोक थे ,तुम्हारे लिए तुम्हारी बहन की इज्जत के भी कोई मोल नही थे..
क्लास में कई लड़के तुम्हारे सामने ही मुझे छेड़ दिया करते थे लेकिन तुमने आज तक क्या किया ,तुम बस सर झुकाये उस रश्मि के पल्लू से दबे रहे ,तो कैसे तुम्हे अपना भाई बोलती..
जानते हो रक्षाबंधन में बहन अपने भाई के कलाई पर राखी क्यो बंधती है ...ताकि वो भाई उसके इज्जत की रक्षा करे ना की नामर्दो जैसे सर झुककर अपनी बहन की बेज्जती होते देखता रहे ..तो तुम ही बताओ मैं क्या करती,कैसे तुम्हे अपना भाई कहती ……तुम्हारी ऐसी हालत को देखकर दिल में दुख होता था ,तकलीफ होती थी लेकिन ये मेरा तुम्हारे लिए गुस्सा था जिसके कारण में तुम्हे जलील करती थी,सोचती की कभी तो तुम्हारा जमीर जागेगा लेकिन नही ...तुम्हारा तो जमीर ही मर चुका था “
निशा की बात सुनकर मैं अवाक रह गया था,उसका गाल पूरे तरह से आंसुओ से भीग चुका था,वही मेरे आंखों से भी आंसू आने लगे थे,आज तक मैं कई बार जलील हुआ था,मुझे हमेशा ही लगता था की ये उन लोगो की गलती है जो मुझे जलील कर रहे है,मैंने कभी अपने कमियों के बारे में नही सोचा,मैने कभी अपनी गलतियों को नही देखा ,कभी उसे सुधारने की कोशिस नही की ,आज निशा की बातो ने मुझे एक नया नजरिया दिया था,आज मुझे अपने ही किये कामो पर ग्लानि सी महसूस हो रही थी ,आज मुझे अपनी गलतियों का आभास हो रहा था,ज्ञानियो ने सही कहा है ,आप की असफलता आपकी ही गलती होती है,...
“हम सभी बहने तुमसे बहुत प्यार करती है भाई,मैं भी तुम्हे भाई बोलने को तराशती थी लेकिन तुम...तुम्हारे हरकतों के कारण मैं खुद को रोक लिया करती थी ,आखिर तुम ही तो हमारे एकलौते भाई हो ,तुम्हे जलाया ,तुझे जलील किया की तुम्हे कुछ तो समझ आये लेकिन कभी नही आया और तुम सब छोड़कर भाग गए ,कभी हिम्मत करके हमारे ऊपर प्यार जताया ,नही..तुम्हे तो कभी हमे बहन कहने तक की हिम्मत नही जुटाई,जानते हो कैसा लगता है एक भाई के होते हुए भी उसका ना होना, ..जानते हो हमे कितना दुख हुआ तुम्हारे जाने से,हमे अपनी गलती का अहसास हुआ लेकिन बहुत देर हो चुकी थी ,जब तुम वापस आये तो ...तुम बाहर से पूरी तरह से बदले हुए थे,लेकिन अंदर से आज भी वैसे ही हो, आज भी तुम हमे अपनी बहन नही मानते ,आज भी तुम्हारे नजरो में रिश्तों के कोई मायने नही है,तुम आज भी वैसे ही हो .. ”
वो रोने लगी थी फुट फुट कर रो रही थी ,मैंने उसे अपने सीने से लगा लिया …
“मुझे माफ कर दे बहन ...मुझे माफ कर दे ..”
मैं क्यो रो रहा था ???
मुझे नही पता लेकिन मुझे दुख था,ग्लानि से मेरा कलेजा जले जा रहा था ,निशा की बातें खंजर की तरह मेरे सीने को छलनी किये जा रही थी ,मैं उसे बहुत जोरो से जकड़े हुए था वही वो भी मुझे बहुत ही जोरो से जकड़े थी……
मैं उसके सर को उसके बालो के ऊपर से ही चुम रहा था,वो मेरे सीने से लगी सुबक रही थी …
“हमारा भी कोई चांस है क्या “
दरवाजे में खड़ी निकिता दीदी ने कहा,निकिता और नेहा दीदी दोनो ही अपने आंखों से आंसू पोछ रहे थे,मैंने अपनी बांहे फैला दी और वो दौड़ते हुए मुझसे लिपट गए …
मुझे समझ नही आ रहा था की ये क्या और क्यो हो रहा है,जो इतने सालो में नही हो रहा वो आज अचानक कैसे हो रहा है,क्या ये बाबा जी के ताबीज वाली लकड़ी का कमाल था ,या सच में बस एक ऐसी दीवार का टूटना जो दीवार हमने ही अपनी गलतियों से बना लिया था,जो भी हो मुझे लगा जैसे आज मेरा पुनर्जन्म हुआ है……
मेरी बहनो ने मुझे प्यार से भाई कहा था ,मुझे याद है बचपन में वो मुझे राखी बंधा करती थी ,मेरे गालो में चुम्मी लिया करती थी,सच में मेरी बहने मुझे कितना प्यार करती थी ,फिर क्या हुआ ??
फिर क्या ऐसा होने लगा की हम अलग होने लगे,निकिता और नेहा दीदी से बातचित ही बन्द होने लगी और निशा तो मुझसे नफरत करने लगी ….
शायद वक्त को यही मंजूर था,क्योकि जो चीजे आसानी से मिल जाती है उसकी लोग कद्र ही नही करते ……..