Hindi Kamuk Kahani मेरी मजबूरी - Page 3 - SexBaba
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Hindi Kamuk Kahani मेरी मजबूरी

मैंने थोड़ा नरम र रवैया करते हुए----,बोलो मम्मी अब पापा नही है तो क्या उनके पीछे मामा घर पर आ सकते है।
मम्मी कुछ डरते हुए--देख संजू अभी वो ऐसा है कि तुमारे पापा नही रहे तो मामा का साथ जरूरी है इस दुनिया मे घर मे कोई बुजुर्ग न हो तो दुनिया वाले फायदा उठाने की कोशिश करते है, उनमे और पापा में कुछ गलतफहमी हो गयी थी और कुछ नही । है तो घर के ही।
और संजू वैसे भी आज शाम की वो आने वाले है घर, प्लीज उनके सामने कुछ बखेड़ा मत करना।
ये सुनते ही मुझे झटका लगा आज इतने दिनों बाद मामा कैसे आ रहै है। मैंने दिदी की तरफ इशारे से पूछा तो उन्होंने अपनी उँगली के इशारे से बताया कि चुदाई के लिए आ रहे है।
मैं--- देख मम्मी आज के लिए में चुप रहता हूं लेकिन आगे से अगर बिना मेरी जानकारी से कोई भी इस घर से कही गया या कोई भी आया तो मुझसे बुरा कोई नही होगा।
ये बोलकर में ऊपर आ गया। और पिल्लर के पीछे छुपकर मम्मी की बात सुनने लगा कि क्या कहती है।
मम्मी--- रीटा देख तू तो जानती है वो क्यो आ रहा है अब देख संजू का क्या इंतज़ाम करना है और किरण का भी। रोशनी को खाने का बोल दे और उसे कहना कि फिर अपने क्वाटर में चली जाए। और बाहर गेट की लॉक कर देना।
मैं ताज्जुब से मम्मी की प्लानिंग सुन रहा था कि कैसे तयारी कर रही है अपनी चुदाई की
मुझे गुस्सा भी आ रहा था और सोचकर लण्ड भी खड़ा हो रहा था।
मैंने दीदी को आवाज दी तो मम्मी फिर घबरा गई मैंने दीदी को बोला कि रोशनी से कहे कि चाय बनाकर दे मुझे।
और मैं अपने रूम में आ गया और प्लान करने लगा।
कैसे क्या करना है।
तभी रोशनी आ गयी चाय लेकर और मेरे पास ही बैठ गयी। मैं चाय पी रहा था और सोच रहा था की रात को क्या क्या हो सकता है। ये सोच कर मेरा लण्ड तन कर खड़ा था और पेंट में साफ दिख रहा था।
तभी रोशनी ने मेरी पेंट के ऊपर से लण्ड को पकड़ लिया और हिलाने लगी। मैने भी चाय का कप साइड में रखा और उसको बिस्तर पर गिरा कर उसकी साड़ी और पेटीकोट को उठा कर ज़िप खोलकर लण्ड बाहर निकाल कर उसकी चुत में गुसा दिया। एक दम से सूखा लण्ड ही गुसने से वो चीख पड़ी लकीन मैंने अपने होठों से उसके होंठ बीच लिए और सटासट लन्ड अंदर बाहर करने लगा। और ताबड़तोड़ चुदाई की
और फ़ारिग़ हो गया।
फिर उठकर साइड में लेट गया। रोशनि अजीब से नजरो से मुझे देखने लगी कि हुआ क्या ।
और फिर साड़ी ठीक करके और चाय का कप उठाकर सड़ा हुआ मुह बनाकर चली गयी।
मैंने रीटा दीदी को मैसेज किया कि क्या हो रहा है नीचे।
दीदी ने थोड़ी देर में रिप्लाई किया कि 8 बजे तक मामा आ रहे है।
मैंने सभी कैमेरे चेक किये सभी प्रोपर काम कर रहे थे और व्यू एक दम क्लियर थे। अभी कैमेरे में किरण दीदी रूम कोई बुक पढ़ रही थी। मम्मी और रीटा दीदी में डिस्कसन चल रही थीं।
तभी दीदी साइड में आ गयी और मेरे मोबाइल पर काल आने लगी उनकी।
मैंने फ़ोन उठाया और बोला-- हां दीदी क्या हुआ।
रीटा-- भैया वो मम्मी कह रही थी कि मामा आज मुझे और मम्मी को इकठ्ठा चोद....... और आगे दीदी बोल नही पाई।
मैंने ही कहा ---दीदी जैसा वो लोग बोले करो उनको डाउट न होने देना बस। बाकी मै देख लगा क्या करना है कैसे करना है, मैं कुछ सोचता हूं। मामा आये तो मिस काल करना ।
और फोन काट दिया और सोचने लगा कि क्या मैं देख पाउगा अपनी दीदी और मम्मी को चुदते हुए।
फिर सोचा कोनसा पहली बार कर रही है मेरी पीठ पीछे हमेशा चुदी ही आज आंखों के सामने सही।

फिर मेरी आँख किस वक़्त लगी मालूम ही नही चला। क्योकि दिन में दीदी के साथ फिर अब रोशनी के साथ मेहनत, वैसे भी जब लेटा तो 4 बजे थे।
जब मेरी आँख खुली तो रात के 11 बजे थे, काफी रात बीत चुकी थी। तो मैं हड़बड़ा कर उठा और देखा तो मेरे ऊपर किसी ने चद्दर डाल रखी है और खाना भी एक तरफ कुर्सी पर रखा है। मैंने टाइम देखा तो 11:15 हो चुका था
दिसम्बर स्टार्ट था तो ठंड हो चुकी थी और दिन छोटे और रात बड़ी हो गयी थी।
मै उठा और खाना खाया क्योकि भूख लगी थी। फिर ध्यान आया कि आज तो मामा आया है और मुझे उनको मम्मी और रीटा की चुदाई करते हुए रँगे हाथों पकड़ना है।
याद आते ही मैंने मोबाइल चेक किया तो 15 काल और msg थे रीटा दीदी के।
मैने लेपटॉप ऑन किया और कैमेरे को देखा तो मम्मी रीटा और मामा तीनो उनके रूम में थे। मैने डायरेक्ट नीचे जाके देखने का सोचा फिर धीरे से नीचे उतरा। और नीचे आकर मम्मी के रूम की खिड़की को चेक किया कि खड़की खुली है या नही। खिड़की खुली मिली शायद दीदी ने छोड़ी होगी।
मैने खिड़की के थोड़ा पल्ला खोला और अंदर देखने लगा----
अंदर मामा जमीन पर लेटे हुए थे और मम्मी उनका लौडा चूस रही थी और रीटा दीदी उनके मुह पर बैठकर अपनी फुद्दी चुसवा रही थी। रीटा इस वक़्त मेरी बहन से ज्यादा रंडी लग रही थी। मम्मी भी रंडी की तरह अपने भाई का लन्ड चूसने में व्यस्त थी।
मैं ये सब देखकर पागलो जैसे हो गया। दिल कर रहा था इनको चिर के रख दु और लण्ड मम्मी को पहली बार नंगा देखकर अपनी औकात पर खड़ा था।
तभी मम्मी बोली कि भैया अभी बिस्तर पर चलो यहा क्या बच्चों की तरह जमीन पर लेटे हो।
रीटा मामा और मम्मी उठकर तीनो बेड पर लेट गए।
तभी मम्मी बोली--- रीता तुझमे तो जरा भी सब्र नही है कबसे अपनी फुद्दी चुसवा रही है।
रीटा-----मम्मी आपको चुदते कितने साल हो गए मामा से , अब मेरा भी कुछ हक़ बनता है इन पे , क्यो मामा।
मामा--- हां बेटी क्यो नही तुम हो ही इतनी प्यारी।
मम्मी---अच्छा जी अब ये बुड्ढी क्यो अछी लगेगी।
मामा---- अरे नही बहना ये भी तुमसे प्यार जताने का तरीका है जो तेरी पैदा की हुई बेटी से प्यार करके करता हु वैसे भी तुम मेरे दिल की रानी हो।
रीटा--- मामा कितनी बार कहा है प्रियंका को मिला लो अपने साथ, फिर मिलकर मजे करेंगे
मम्मी---अरे बेटी कितनी बार कहा है वो इनकी खुद की बेटी है और हम बाजारी। उसको नही मिला सकते।
मामा----साली रंडियों कितनी बार बोला है अपने मुह से उसका नाम मत लिया करो। बहुत सरीफ है मेरी बेटी।
रीटा--छोड़ो इन बातों को अब कुछ करना है या नही
मामा-- देख कौशल्या कितनी बड़ी रंडी है तेरी बेटी कैसे चुदने को बेताब है उप्पेर से कितनी सरीफ दिखती है अंदर से उतनी ही गर्म।
रीटा--बस बस मामा अपनी बेटी पर ध्यान रखना मुझसे भी बड़ी रंडी न बन जाये।
मम्मी हंस कर हाँ सही कह रही है रीटा।
मामा---- हराम की लोड़ी क्यो मेरे बेटी के पीछे पड़ी हो।

रीटा----सच बताओ मामा ऐसे ही तुमारी बेटी भी चुदने लग जाये तो क्या करोगे।

मम्मी--- हां भैया बंदा जो बोता है वही काटता है ध्यान रखना।
तभी मामा मम्मी पर झपट पड़ता है...... मा की लोड़ी आज तुमारी गांड फाड़नी ही पड़ेगी। बहुत बोलने लगी है।
फिर मम्मी को किस करने लगते है और मम्मी की दोनों टांगो को ऊपर उठा कर उनकी चुत में हाथ गुसाणे लगते है
मम्मी चिलाने लगती है।
मैं रूम से बाहर खड़ा अपनी मम्मी को अपने सगे भाई से ये सब करते देख रहा था, लकीन मामा से बदला लेने के लिए मजबूर था देखने को क्योकि यदि अभी कुछ करता तो सिर्फ पापा की तरह उनको घर से निकाल सकता था बदला नही ले सकता था जैसा मैंने सोचा था।
तभी मेरी बहन बोली कि मामा मम्मी की तो कई सालों से ले रहै हो अब तो मेरी बारी बनती है और मुस्कराने लगती है।
मम्मी---- रीटा तुझे मैने कब मना किया है अपने मामा से चुदने से । तू ही शादी करके गयी थी। और फिर मना करने लगी। मैं तो सिर्फ तुमारे मामा से चुदती हु।
रीटा---अरे मम्मी मेरा मुह न खुलवाओ कितने लंड लिए है तुमने। शायद ही कोई बचा हो।
मामा---- हां कौशल्या कितना ही मजा लिया हमारी बचची ने , हम बाद में करेंगे पहले इसको मज़ा देता हूं।
मम्मी बुरा से मुह बनाते हुए.....मेरी ही गलती है भुगतनी तो पड़ेगी।
रीटा और मामा एक दूसरे को देख कर मुस्कराए और फिर रीटा को मामा ने बेड पर सीधा लिटा दिया और खुद नीचे खड़े होकर बहन की टांगों को उठाकर अपना लण्ड उसकी चुत पर रख दिया और अंदर दबाने लगे लण्ड धीरे धीरे पूरा चुत में गुसने लगा।
लन्ड को आहिस्ता से पूरा गुसा के मामा दीदी से बोले क्या बात रीटा कही बाहर चुदवाने लगी हो क्या जो चुत इतनी खुली खुली सी लग रही है।

रीटा---आह हहहहहह क्यो पूछ रहे हो मामा क्या प्रिंयका के लिए बड़ा लण्ड चाहिए तुमको
रीटा के मुह से ये बात सुनते ही मामा ने अपना लण्ड बाहर खिंचा और फिर जड़ तक एक जटके में गुसा दिया।
जिससे रीटा के मुह से–-----हूऊंन्नंNनन्ननन्नमम्मममम्म, मामा ऐसे ही चुदाई करो मेरी चुत की, लगता है खस्सी जो गए हो, अब जवान लौंडिया चोदी नही जाती तुमसे।
मम्मी--/लगता है सही में इसने बाहर कोई नया लण्ड ढूंढ लिया है तभी तो सही से मजा नही आ रहा है इसे।
मम्मी की बात सुनकर मामा जोर जोर के झटके मारने लगे जिससे पूरे रूम थपथपथपथपथप की आवाज आने लगी और साथ मे रीटा की सिसकारियों की आवाज आहाहहम्ममम्म मामा पूरी जान लगाओ ओहह अहह मजा आ रहा हैहैहैहै अपनी भांजी की चुत फाड़ नही सकते तो जोर तो लगाओ। हरामीईककककककक ohhhhhhhhhh mummy ईईईईई मजा आ रहा है। देखो मम्मी मामा का पूरा लण्ड अंदर भड़ गया है tatto समेत अहहब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्
मामा भी ऐसे ही झटके मारते हुए दीदी को चोदते रहे फिर उन्होंने दीदी को पलट दिया और पीछे से लण्ड गुसेड दिया और अपना अंगूठा दीदी की गांड में डाल दिया।
दीदी चद्दर को अपने हाथ मे समेटे हुए अजीब से नशे में......आह मामा ये क्या कर रहे हो बहनचोद, सिसक उठी।
मामा दीदी की बात न सुनते हुए पूरा अंगूठा गांड में गुसाते हुए चोदने लगे। दीदी को और मजे आने लगे और उनकी जबरदस्त सिसकारियों की आवाजें आने लगी।
Aahhhhhhhh ahhbbbb मामा जोर से चोद, बहन की लोड़ी मम्मी बोल अपनी भाई से गांड का जोर लगाए। क्या तुम्हें चोद चोद खस्सी हो गया है। पूरी जान लगाओ हरामी भाई मादरचोद मम्मी मैं गईईईईककक, अअअअ आह आहाहहम्ममम्म मामा मेरा हो गया रुक न थोड़ी देर और दीदी वही निढाल सी पड़ गयी।
रीटा के फ़ारिग़ होते ही मामा भी अपना पानी छोड़ते
हुए ढीले पड़ गए।
मम्मी --क्या बात भाई आज इतनी जल्दी हार गए।
मामा ----सच कह रहा हु साली तेरी ये बेटी तुझसे भी बड़ी रंडी है।

मम्मी-- क्यो हरामी मेरी बेटी को क्यो रंडी बोल रहा है, सब तेरा ही किया धरा है जो हम मा बेटी तेरे सामने नंगी तुझसे चुदवा रही है।
मामा--- हां हां मानता हूं लेकिन ये बात मैने किसी और वजह से की है।
मम्मी--- वो क्या?
मामा---इसने कोनसा पहली बार चुदवाया है बाहर लेकिन अभी जो इसकी चुत की हालत है उससे मालूम चल रहा है ये किसी बड़े लण्ड वाले से चुद रही है हररोज और इसका स्टेमिना भी बड़ा हुआ है ये बता नही रही है हमें। ये किसी बैंगन का काम नही है

मम्मी---- क्यो रीटा तेरे मामा सही बोल रहे है?
रीटा जो कि आपनी चुत कपड़े से साफ कर रही थी---- क्यो मम्मी तुम्हे ऐतराज है क्या।
मम्मी--/नही बेटी जब मैंने कभी तुम्हे मना नही किया तो ये भी अच्छा नही की तुम मुझसे छुपाओ।

मामा--- और तुम्हे अपनी सेफ्टी भी तो रखनी है नही तो बाहर किसी को मालूम चल गया तो बनी बनाई बात बिगड़ जाएगी।
रीटा--समझती हूं आपकी बात लेकिन वो जो कोई भी है विस्वास वाला है और जल्दी ही मिलवा दूंगी भी आपको।
मम्मी---नही मुझे नही मिलना किसी से भी। बस तुम नाम बताओ।
रीटा अपने कपड़े समेटते हुए ----मैं सोने जा रही हु आप लोग एन्जॉय करिये। सुबह बात करेंगें।
अपने कपड़े हाथ मे लेकर ही दीदी नंगी ही कमरे से बाहर आ गयी।
मम्मी ठंडी आह भरते हुए--- देखा राघवेंद्र कैसी बदतमीज हो गयी है। ये सब तुमारा ही किया धरा है तूम पर ही इसकी जवानी का नशा चढ़ा हुआ था। इएलिये मना करती थी तुम्हे।
मामा--- अरे बहना क्यो परेशान होती हो अभी बच्ची ही है सुबह बात करुगा उससे। आ जा अब इसको खड़ा कर फिर तेरी नाराजगी दूर करता हु।
मम्मी----- मुझे नही लगता अब ये तुमारी भी बात सुनेगी।
मामा--- यार क्यो रात खराब कर रही हो आ जा अब लौडा चूसकर तैयार कर।
कुछ देर दोनो ऐसे ही बात करते रहे फिर मामा मम्मी से लिपट गये और किस करने लगे। मम्मी न
भी मामा का लण्ड पकड़ कर हिलाने लगी जो थोड़ी थोड़ी जान पकड़ने लगा था।
तभी मेरे पीठ पर किसी ने थपथपाया जिससे में पूरी तरह चौक कर पलटा तो देखा रीटा दी खड़ी थी जो खामोशी से अपने पीछे आने को बोल रही थी अपने कमरे की तरफ तो मैं भी उसके साथ चल दिया कमरे की तरफ
कमरे में पहुचकर रीटा दी ने मुस्करा कर पूछा--- क्यो भाई एंट्री क्यो नही मारी अंदर। क्या मजा आने लगे गया था बहन को चुदते देख।
मैं भी हल्का सा मुस्कराया और बोला---पहले ये बता अभी तक कपड़े क्यो नही पहने तूने।
दीदी-- क्यो तुमारा खड़ा नही हुआ क्या मुझे देख कर मैं तो सोची आते ही टूट पड़ोगे।
अच्छा ये बात है इतना बोलकर मैं भी दीदी पर टूट पड़ा और उनकी चुदी हुई चुत में लण्ड गुसाते हुए बोला-- दीदी अगर आज एंट्री मार लेता तो मामा से झगड़ा ही होता या गांडू बनकर उनके सामने तुम लोगो से चुदाई करता लेकिन मैं चाहता हु की मैं उसके पूरे खानदान की ओरतो को रंडी बना कर रखु अपने पास। इसलिए अभी मामा से झगड़ने का वक़्त नही आया है। जो काम तुम्हे कहा था वो किया। दीदी मुझे चूमते हुए, हां किया।
और हाथ बड़ा कर एक पुड़िया उठायी और मुझे पकड़ाई। वो मैने ली और दिदी की चुदाई करने लगा।
और जल्दी फ़ारिग़ होकर उठ बैठा और दीदी से बोला कि दीदी आराम करो अब मैं जाता हूं क्योंकि आज तुमने बहुत बदतमीजी से बात की है उनलोगों से तो वो कहि आ न जाये ।
ठीक है भैया अब आगे क्या प्लान है।
तुम कल मम्मी को ये हिंट देना की मैंने तुमारा सब कार्यक्रम देख लिया है, रात को तुमने मुझे बाहर देखा है
मैंने दीदी को समझाया।
और अपने कमरे में आ गया।
अपने लैपटॉप से कुछ रिकॉर्डिंग अपने मोबाइल में ट्रांसवर कर ली।
और सो गया अगले दिन के इंतज़ार में।
अगले दिन में सुबह उठ कर फ्रेस हुआ और नीचे आया तो दीदी से मालूम चला कि मामा सुबह जल्दी निकल गए थे।
मैंने मम्मी से पूछा कि क्या कल मामा नही आये।
मम्मी-- नही आये थे बेटा तुम सो गए थे और सुबह उनको जल्दी जाना था इसलिए निकल गए।
मैं-- मम्मी ऐसे भी क्या जल्दी कि आये और अपने इकलौते भांजे से मिले बिना ही चले गए। ऐसा क्या तीर मारने आये थे।
और जाकर नास्ता करने लगा।
मम्मी मुझे अजीब सी नजरो से देख रही थी।

नास्ता करके सीधा रानी के स्कूल चला गया उसको लेने के लिए। आज वो टूर से वापिश आने वाली थी। मैं स्कूल पहुचा तो उनकी बस तभी वहा पहुची थी
जैसे ही रानी नीचे उतरी और मुझे देख कर दौड़ कर आकर मुझसे लिपट गई।
ओह मेरी सोना कैसी है तू। कैसा रहा तेरा टूर मैंने अपने से थोड़ा अलग करते हुए पूछा।
एक दम मस्ट भैया बहुत मज़ा किया। घर चलो आपको वहा की फ़ोटो दिखाऊँगी जो हमने वहा खिंचवाई है।
अच्छा चलो अब घर या यही सारी बात करनी है।
और मैने उनके टीचर से मिलकर उसका सामान उठाया और घर की तरफ निकल गया।
जब घर पहुचा तो मम्मी बाहर गार्डन में बैठी थी। रानी दौड़कर उनके पास पहुची और लिप्त गयी।
मम्मी ने उसको थोड़ा चिढ़ते हुए अलग लिया और अंदर जाने को कहा ।
और मुझे देख कर घबरा सी गयी। और खुद भी उठकर अंदर चली गयी।
मैं वापिश दुकान की तरफ हो लिया।
दुकान पर आकर अपने केबिन में बैठ गया और सोचने लगा कल रात का मंजर।
अपनी मम्मी का नँगा बदन याद करके मेरा लण्ड तना जा रहा था। सोच रहा था कि अब कैसे मम्मी को हैंडल करू कि वो मुझसे चुदने को तैयार भी हो जाये और मामा के खिलाफ भी कर सकू।
तभी मोना केबिन में आ गयी। मोना बहूत ही मस्त लड़की है, उसका बॉडी बहूत ही स्लिम है पर चूचियां गोल गोल और बड़ी बड़ी है, गांड का उभार बाहर की तरफ है, लम्बे लम्बे उसके बाल है, और बहूत ही हॉट है, उसके गुलाबी होठ को देखकर मैं कब से चूसने की सोच रहा था, पर वही होता है जब तक ऊपर वाले की मर्जी ना हो कुछ नहीं होता चाहे कुछ भी कर लो , आज दुकान पर वो ,सुमन और राजन ही थे, राजन को मैने मार्किट भेजा था किसी काम से । मोना बोली--- सर् आपसे काम है।
मैंने कहाँ मेरे से? वो बोली हां, मैंने कहा ठीक है बोलो तो वो बोली सर् मैं आपसे अकेले में ही कह सकती थी। मैंने कहा हां हां बोलो बोलो। उसकी साँसे तेज तेज चलने लगी, और इधर उधर देखने लगी, मैंने कहा अरे यार बोलो कोई बात नहीं, जो भी बात होगा मेरे और तुम्हारे बिच ही रहेगा। मैं कुर्सी पर बैठ गया वो मेरे सामने ही खड़ी थी, मैंने कहा चलो अब बोलो, तो बोली सर् मैं आपसे प्यार नहीं करती। पर मैं आपसे सेक्स करना चाहती हु, मुझे चुदने का बहूत मन करता है, मुझे खुश कर दो प्लीज, आज तक मैं कुंवारी हु, आज तक चुदी नहीं हु, पर आजकल पता नहीं मुझे क्या हो गया है, जिस दिन से आपको सुमन को चोदते देखा है,मुझे चुदने का मन करने लगा है और रात रात भर किसी न किसी की याद में जागते रहती हु, हो सकता है मुझे बीमारी हो गई है, इसलिए मैं चाहती हु की आप मुझे आज चोद दो ताकि मेरा काम में मन लग जाये। और मेरी चुदाई का भूत भी उतर जाये। मैं अपनी चूत की गर्मी को शांत करना चाहती हु।
एक दम से ही मोना ने इतनी बड़ी बात हड़बड़ी में कह दी। मैंने कुछ देर उसको देखा और सोचा।

मैं भी पहले से मोना के कच्ची जवानी को चखना चाह रहा था लेकिन अचानक से मोना ने जो बात कही मेरी बोलती बंद हो गयी कुछ समझ नही आया क्या बोलूं। आज मेरे सामने बहूत ही खुबसूरत लड़की चुदवाने के लिए मेरे सामने गिडगिडा रही थी, भला दुनिया का कौन ऐसा लड़का होगा जिसको चूत मिल रही हो और वो ना चोदे। मैंने कहा ठीक है पर मैं ऐसा वैसा लड़का नहीं हु, तो वो बोली मैं भी ऐसा वैसा लड़की नहीं हु, तभी तो आज तक वर्जिन हु नहीं तो मेरी सारी सहेलियां चुद चुकी है।

फिर क्या था हम दोनों एक दुसरे के बाहों में आ गए तभी दीदी का फ़ोन आ गया, मैं फ़ोन उठाया तो बोली भाई मैने मम्मी को हिंट दे दिया है कि तुमने हमे रात को देख लिया है और तब से मम्मी रूम में है।मैंने कहा ठीक है मम्मी को आकर देखता हूं।और फ़ोन रख दिया,


अब तुरंत ही मोना के सारे कपडे उतार दिए ओह्ह्ह्ह क्या गोल गोल चूचियां, चौड़ी गांड, चूत पर हलके हलके बाल, कसा हुआ बदन, होठ लाल, गाल गुलाबी हो गया था।
मैं मोना के जांघो के बिच में आ गया और उसके चूत को चाटने लगा, वो आह आह आह करने लगी, चूत काफी टाइट थी, छेद भी दिखाई नहीं दे रहा था।
फिर मैं उसके चुचियों को मसलना शुरू कर दिया, वो आह आह आह करने लगी, होठ को चूसते ही वो आपा खो दी और मुझे बुरी तरह से अपने बाहों में ले लिए और मेरे होठ को चूसने लगी, फिर वो मुझे लिटा दी और मेरे ऊपर चढ़ गई, पहले वो मेरे पुरे शारीर को अपने जीभ से चाटी फिर मेरे लौड़े को अपने मुह में लेके चूसने लगी, मैं उसके बाल को पकड़ कर चुस्वाने लगा।

फिर वो निचे लेट गई, मैं ऊपर आ गया, अपने लंड को उसके चूत पर लगाया और घुसाने लगा, पर जा नहीं रहा था, वो भी नई नई थी और मैं भी, फिर उसने ही मेरे लंड को पकड़ कर चूत पर सेट किया मैंने धक्का दिया फिर भी नहीं गया, बस उसकी चीख निकली, फिर मैंने थोड़ा थूक अपने लौड़े पर लगाया और फिर से उसके चूत पर सेट किया और जोर से धक्का दिया, और आधा लंड उसके चूत में चला गया, जब लौड़ा बाहर निकाला तो देखा उसके चूत से खून निकल रहा था और मेरे लौड़े में भी खून लगा हुआ था, वो डर गई पर मैंने समझाया वो मान गई और फिर से मैंने लौड़ा के उसके चूत पर सेट किया और फिर अन्दर तक पेल दिया। उसके बाद तो कभी वो निचे कभी मैं चूचियां दबाते हुए जोर जोर से धक्के देने शुरू कर दिए, उसके गाल होठ को चूसते हुए उसके चूत में लौड़ा अन्दर बाहर करने लगा, वो दर्द से चिल्ला रही थी, पर मजे भी ले रही थी।

उस दिन पुरे १ घंटे तक चोदा उसे, और हम दोनों चुदाई में बिजी रहे लेकिन सुमन अंदर नही आई। मैने मोना से पूछा तो उसने बताया कि सुमन ने ही उसको आपसे चुदने का आईडिया दिया कि मेरे चूदने में मज़ा और सेफ्टी दोनो है।
मैं खुश था कि सुमन उस दिन चुद कर मुझसे इतनी खुश हुई कि मोना को भी मेरे पास भेज दिया।
फिर में खुद को ठीक करके प्लाट पर चला गया और मनोज को बुला लिया। और ड्रिंक करने लगे।
आज मैंने कुछ ज्यादा ही ड्रिंक की ताकि मम्मी से खुल के बात कर सकूं।
 
फिर मैं मम्मी का सोचते हुए कि अब कि ज़्यादा देर करना ठीक नही। वर्ना प्लान खराब हो सकता है और घर की तरफ निकल लिया।
लेकिन रास्ते मे रेस्टोरेंट में मनोज के साथ खाना खा लिया क्योकि घर पर नाराजगी दिखानी थी खाना न कर।
घर पहुचा तो मम्मी हाल में ही बैठी थी। मम्मी की नजर मुझ पर पड़ी तो मानो जैसे उनका खून सूख गया और सांस रुक गयी हो और रंग पीला पड़ने लगा
रीटा--- देखो मम्मी भैया आ गए है, भैया इतनी लेट कैसे हो गए।
मम्मी--हा... हां
रीटा---भैया खाना लगाउ।
मैं--नही भूख नही है।
मम्मी---बेटा थोड़ा सा खा लो।
मैं--/-जरा तेज़ आवाज में....बोला न भूख नही है।
रीटा--//भैया आपकी तबियत ठीक है ना,
मैं.... क्यो क्या हुआ है मेरी तबियत को।
रीटा---भाई आपने कभी घर मे ऊंची आवाज के बात या गुस्से में बात नही की किसी से इएलिये(थोड़ा घबराने का नाटक करते हुए)
मैं(थोड़ा नरम पड़ते हुए)हां ठीक है तबियत, मम्मी मेरे रूम में आना आपसे बात करनी है कुछ जरूरी।
और कमरे में चला गया ऊपर
और रूम में मम्मी का इंतज़ार करने लगा।
30 मिनेट तक जब मम्मी नही आई तो नीचे जाने की सोच खड़ा ही हुआ के मम्मी आ गयी और सर् नीचे करके खड़ी हो गयी
मैं--- किरण और रानी कब तक सो जाती है।
मम्मी--/हल्के कांपती आवाज में बस सो गई है अभी।
मैं---- ठीक है जब अछे से सो जाएं तो आप फिर आना मेरे रूम में।
मम्मी कुछ देर खड़ी रही जैसे कुछ कहना चाह रही हो फिर बाहर चली गयी।
मम्मी के जाने के बाद मैं आराम करने के लिए लेट गया। लकीन आराम किसको करना था जब उसकी मम्मी ही उससे चुदने वाली हो। तो दिमाग की मा बहन हो रही थी। अजीब सी सोचें जो जज्बात और बड़का रही थी कि समय बीतता गया।
मैंने चौकते हुए समय देख 10:30 होने वाले थे मम्मी नही आई
मैंने रीटा को sms किया और पूछा कि मम्मी कहा है आयी नही अभी तक।
जवाब आया आ रही है 5 मिनेट में
ये जवाब मुझे झुंझला गया लेकिन फिर भी बैठा रहा
मम्मी 5 मिनेट बाद आ गयी और रूम के थोड़ा के डोर के आगे आके खड़ी हो गयी सिर झुका के।
मैं----क्या बात कौशल्या देवी वहा क्यो खड़ी हो गयी है आप यहा आ जाईये(थोड़ा ताना मरते हुए)
ममी---कुछ न बोलकर लड़खड़ाते कदमो के साथ मेरे पास आकर खड़ी हो गयी।
मैंने मम्मी की तरफ देखा तो मुझे उनकी आंखों से आंसू दिखाई दिए लेकिन इगनोर करते हुए बोला क्या बात मम्मी आपकी आंखों में आंसू बह रहे है क्या बात है क्या।
मम्मी एक दम से मेरे पैरों में पड़ गयी और बोलने लगी---संजू मुझे माफ़ करदे गलती हो गयी मुझसे, बहुत बड़ी भूल हो गयी।
क्या भूल हो गयी मम्मी जो इस तरह माफी मांग रही हो,अनजान बनते हुए।
प्लीज् संजू मा हु तुमारी इतना जलील मत करो मुझे---मम्मी भिलखते हुए।
मैं----अरे मम्मी मा हो तुम मेरी मैं कैसे तुम्हे जलील कर सकता हु लेकिन हुआ क्या है वैसे हक़ को आपका है आप कैसे भी मुझे जलील कर सकती हो और जब आप मेरे सीधे सच्चे बाप को जलील कर चुकी हो मैं किस खेत की मूली हु। क्यो सही कहा ना मम्मी,
मम्मी----प्लीज बेटा मुझे माफ़ कर दो मानती हूं कि मैं बहुत बड़ी गुनाहगार हु लेकिन मैं वादा करती हूं कि आज के बाद में कोई शिकायत का मौका नही दूंगी। बेटा
मैं---- अच्छा तो क्या तुम अपनी बेटी को भी बदल दो गी जिस दलदल में तुमने उसे ढकेल दिया है उससे निकाल लोगी। बेइज्जती के अलावा आपके हाथ मे कुछ नही बचा।

मम्मी,---- मैं उसको समझा लुंगी बेटा, वो कुछ नही करेगी जल्दी ही फिर से उसकी शादी कर देंगे।
मैं--- क्या गारंटी है वो अपने पति से खुश रहेगी और बाहर नही चुदवायेगी, और फिर से तलाक नही होगा।
मम्मी--- नही होगा कभी नही होगा मैं उससे वादा लुंगी।
मैं.... नही मम्मी वादा तो आपने भी किया होगा पापा से और वो भी आपकी ही बेटी है जिसे तुमने खुद रंडी बनाया है। अपनी तरह।
मम्मी चीख कर--- बस करो संजू मा हु तुमारी कुछ तो लिहाज करो कैसी बात कर रहे हो।
मैं एक दम से उठ बैठा क्योकि अभी तक लेटा हुआ था मैं ने एक जोर का थप्पड़ मम्मी के मुह पे मारा और बोला--- चुप कर कुतिया मुझे शर्म करने की बोल रही है तुझे शर्म नही आई तब जब न्नगी अपने भाई से चुदवा रही रही थी अपनी बेटी को रंडी बनाकर अपने भाई के नीचे सुलाया। बालो से झिझोड़ दिया।
मम्मी हक्की बक्की सी खामोश रह गयी।
मैं मम्मी के बाल को खिंचता हुआ अब बोल बोलती क्यो बन्ध हो गयी तेरी कुतिया।
मम्मी---/aahhh betaaa छोड़ो मुझे plz उफ्फ्फ नही बेटा मानती हूं मैंने गुनाह किया है बस एक बार बस एक बार माफ कर दो बेटे और रोने लगी।
अब ज्यादा ड्रामा न करते हुए बोला चल उठ और पहले दरवाजा बंद कर ।
मम्मी चुपचाप खड़ी हुई और दरवाजे को बंद कर दिया। और वापिश बेड के पास आकर खड़ी हो गयी और आंसू बहाती रही।
मैं--- अब देखो मम्मी जो कर न सको उसकी हामी भी न भरना समझी आप
मम्मी ने हान में सर् हिलाया बोली कुछ नही।
मै--/देखो मम्मी मैं जान चुका हु की मामा से तुमारा रिश्ता शादी से पहले का है और अब ये छूटना मुमकिन नही है अब ये बताओ चाहती क्या हो आप।
मम्मी कुछ नही बोली बस अपने आंसू साफ करती रही।
मैं---- अब बोलो भी मम्मी।
जैसे तुम कहो बेटा--/मम्मी
मैं---- नही मम्मी मैं अपने रवैये के लिए माफी चाहता हु आपसे सॉरी बोलता हूं।मुझे आपके साथ ऐसा नही करना चाहिए था और आप अपने मन की बात बताईये क्या चाहती है आप आप जैसा कहेगी वैसा करुगा मैं। चाहे जो भी हो।
मम्मी--- नही बेटा अब कोई गलत काम मे नही करुँगी और न ही रीटा को करने दूंगी।
मैं---ठीक है बैठो यहा पर।
मम्मी कुछ नही बोली और मेरे पास बेड पर बैठ गयी।

मम्मी को अपने करीब बैठा लिया और कुछ देर उनकी तरफ देखता रहा शायद मम्मी पहले से काफी रो कर आई थी अब मेरे साख्ति से थोड़ा थोड़ा कांप रही थी।
मैंने मम्मी को अपनी तरफ खींच लिया और अपने से लिपटा लिया और बोला मम्मी मैं आप पर हाथ नही उठाना चाहता था लेकिन पता नही क्या हुआ मुझे आप मुझे माफ कर दो।
मम्मी---- नही बेटा गलती मेरी है जो तुम्हे हाथ उठाना पड़ा
मैं---- ठीक है मम्मी अब आगे का क्या करना है और कैसे।
मम्मी--- आगे क्या?
मैं--- मैं मामा को सबक सिखाना चाहता हु जो उसने मेरी फैमिली के साथ ऐसे किया। क्या आप मेरे साथ है या अपने भाई का साथ देंगी। मैं ये काम आपसे छुपकर भी कर सकता था लेकिन मुझे मालूम है आपने ये काम अपनी मर्जी से स्टार्ट नही किया। और अगर आप खुद से मुझे पूरी सच्चाई बताए तो ठीक रहेगा।
मम्मी खामोश हो गयी और काफी देर तक कुछ नही बोली।
बताओ मम्मी क्या सच है आपकी मजबूरी का। या ये समझू की खुद आप अपने बदन की गर्मी के कारण ये सब कर रही है और इसलिए अपनी बेटियों को फेक दिया उस जानवर के नीचे।
मेरे मुह से बेटियों सुनकर मम्मी को झटका लगा।
और वो मुझे देखने लगी।
हा मम्मी मैं जानता हूं कि किरण दीदी को भी खराब कर चुके है तुमारे भाई। और इसलिए पापा ने उनसे नाता तोड़ा। बोलो अब मम्मी या अब भी चुप रहोगी।

हां मैने ही खुद अपनी बेटियो को सुलाया है मेरे भाई के साथ, क्योकि मजबूर थी मैं। जब मैं कुँवारी थी तबसे मेरा भाई एक बुटी मुझे खिलाता है और मैं खुद अपनी टांगे खोलकर उसके आगे पड़ जाती थी। और अब मुझे आदत है उसकी नही रुक सकती मै । और सुनेगा तो सुन अगली बार रानी को भी सोना पड़ेगा उनके साथ और तू कुछ नही कर पायेगा। क्योकि उसने अपना खेल शुरू कर दिया है। कैसे रोकेगा जान से मारेगा, मार ना मुझे मैं हु इस सबकी जिम्मेदार। मेरे बदन में जब आग जलती है तो मुझे कुछ नही दिखता है उस तेरे मामा दिखते है।

मैं----- मम्मी ऐसा क्या करूँ जिससे तुम मामा के चंगुल से निकल सको। बताओ मम्मी वैसे भी अब मामा को छोड़ने वाला नही हु मैं। उनको ऐसी सजा दूंगा की उनकी सात पुस्ते भी याद रखेंगी। और रही मेरी बहनो की तो मैं खुद उनको इतना प्यार दूंगा की वो कभी मामा की तरफ़ जाएगी भी नही। अब तुम अपना सोच लो किसके साथ रहना है अगर जाना चाहो तो अभी निकल जाओ अपने भाई के पास लकीन एक बात याद रखना अगर उसे अभी मालूम चला कि मैं सब जान गया हूं तो अच्छा नही होगा।
मम्मी---- बेटा क्या सिरफ अपनी बहनों को प्यार देगा इस मा का कोई हक नही तेरे प्यार पर । मैं तेरे साथ हु जैसा तू बोलेगा वैसा ही करुँगी। बस हमे बचा ले । उस जानवर से । उसने हमें एडिक्ट कर दिया है सेक्स का , उसके आगे मजबुर हो जाती हूं।
मैं----- अगर आपको सेक्स चाहिए मुझे कहिये मै पूरी करुगा आपकी जरूरत लेकिन बाहर नही जाना।
फिर में मम्मी के पास गया और पीछे से उनकी गांड पर हाथ रखकर दबा दिया, तो वो वैसे ही आगे हो गयी. फिर मैंने कहा कि अच्छा लगा हाथ लगाकर. फिर मुझे समझ में आया कि मम्मी ने अंदर चड्डी नहीं पहनी है. फिर वो कुछ कहती उससे पहले मैंने अपने होठ उसके होंठ पर रख दिये अब वो शॉक हो गयी थी.

फिर मैंने उनकी कमर पर अपना हाथ रख दिया और उन्हें अपने बेड पर बैठाया और फिर उन्हें पानी के लिए पूछा तो उन्होंने मना कर दिया. फिर मैंने कहा कि आपके लिप्स बहुत सेक्सी है और में उन्हें फिर किस करने लगा. अब वो शॉक हो गयी और उठ गयी और कहने लगी कि ऐसा मत करो, में तुम्हारी माँ हूँ.

अब मुझे बहुत गुस्सा आया और मैंने कहा कि जाओ यहाँ से, अब मुझे जो करना है वो मै करुगा तुम अपने भाई के साथ करो। तो मम्मी मुझसे मांफी मांगने के लिए मेरे पैरों में गिर गयी और कहने लगी कि तुम जो कहोगे में करूँगी, लेकिन प्लीज ये मत कहो मैं कहि नही जाऊँगी.

फिर मैंने तुरंत अपनी पेंट से मेरा लंड बाहर निकाला और उनके मुँह में दे दिया और मम्मी से कहा कि चूस इसे और ज़ोर-ज़ोर से उनके मुँह में शॉट मारने लगा. फिर मैंने कहा कि दोनों बहनचोद माँ बेटी लंड चूसने में एक नंबर की रंडिया हो. फिर 15 मिनट तक लंड चुसवाने के बाद मैंने मम्मी को खड़ा होने कहा और उन्हें सारे कपड़े उतारने को कहा, तो वो 2 मिनट में मेरे सामने पूरी नंगी हो गयी. अब में मम्मी के बूब्स देखकर पागल हो गया और उन्हें चूसने लगा और ज़ोर-ज़ोर से दबाने लगा. अब मम्मी सिसकारियाँ भर रही थी.

फिर मैंने कहा रंडी नाटक तो ऐसे कर रही है जैसे पहली बार कर रही हो और उनके होठों को चूसने लगा और चूसते-चूसते मैंने अपना एक हाथ बिना बाल वाली चूत पर लगाया और अपनी एक उंगली मम्मी की चूत में अंदर डाल दी तो वो उछल पड़ी. फिर मैंने उनको नीचे बैठाया और अपना लंड फिर से उसके मुँह में दे दिया.

अब मम्मी मेरा लंड मजे लेकर चूसने लगी थी. फिर मैंने कहा कि मादरचोद आ गयी ना अपनी औकात पर. फिर मम्मी ने कहा कि मेरे बेटे ने जब मुझे रखेल बना ही दिया है तो क्यों ना पूरे मज़े लूँ? और वो ऐसा कहकर मज़े से मेरा लंड चूसने लगी. अब मम्मी गालियाँ देते-देते कह रही थी कि तेरे बाप ने मुझे कभी अपना लंड नहीं चुसवाया, साले का ठीक से खड़ा भी नहीं होता था. फिर मैंने उनको बेड पर पटका और उनके पूरे बदन को चाटना शुरू किया. अब वो और गर्म हो गयी और झड़ गयी. फिर मैंने मम्मी को उल्टा घुमाया और उनकी पीठ चाटने लगा.

अब वो सिसकारियाँ लेते हुए गाली दे रही थी और कह रही थी कि डाल दे भड़वे और मत तड़पा. फिर मैंने वैसे ही पीछे से अचानक अपना लंड एक शॉट में पूरा उसकी चूत में घुसा दिया, मेरा लंड मामा से बड़ा और मोटा है, फिर मैंने जैसे ही एक झटका मारा तो वो चीख उठी और में बिना रुके झटके मारता गया. फिर मैंने 35 मिनट तक उनकी चुदाई की, उसमें मम्मी 3 बार झड़ गयी. फिर हमने अगले दिन सुबह 11 बजे तक बहुत मज़े किए, जिसमें मैंने मम्मी की गांड भी मारी।
रीटा दीदी ने जब दरवाजा खटखटाया तब जाके मैंने मम्मी को छोड़ा और उन्होंने अपने कपड़े पहने और बाथरूम में गुस गयी।
 
रीटा---- क्या बात भैया पहली रात में ही मम्मी पर इतनी मेहरबानी, हमे तो कभी मौका नही दिया रात बिताने का।
मैं---- अब हमें साथ मे रात ही बितानी है बस तुम जाओ और मामा के घर चलने की तैयारी करो।
मम्मी जैसे ही ये सुनती है बाथरूम से बाहर आ जाती है और कहती है----ये क्या कह रहा है संजू वहा क्यो जाना है तुझे।
मैं--- मम्मी मुझे नही हमे जाना है
मम्मी ---लेकिन क्यो?
मैं---- मामा की मा चोदने। क्यो कोई प्रोब्लम है आपको।
रीटा-----जैसे रात से अपनी चोद रहे हो। हिहिहि दांत निकालते हुए बाहर भाग जाती है।
मम्मी,---देख संजू जीतना तू आसान समझ रहा है उतना ये नही है तेरा मामा बहुत खतरनाक आदमी है और अगर हम वहा गए तो क्या वो फिर से हमारे साथ कुछ नही करेगा।
मैं---देख मम्मी तूने मुझे जाना नही है तू चिंता मत कर बस देखती जा अगर मामा खतरनाक है तो मैं भी कम नही हु कुछ तो रात को समझ गयी होगी। या कुछ रह गया है मामा की बूटी का असर कम नही हुआ क्या। या अभी भी मामा की कमी है। और रही मामा के कुछ करने की आप लोगो के साथ तो आगे कुछ होना नही है तो एक दो बार ओर सही ,,करवा लेना( हंसते हुए)
मम्मी---देख संजू मजाक मत समझ ये ठीक नही हैं, हम उनसे रिश्ता नही रखेंगे अब से, वैसे भी तू है ना अब हमें सँभलने को क्यो हम दोबारा उसके पास जाएंगे।
मैं-- नही मम्मी जिस कंडिशन में हमे उस इंसान की वजह से पहुचे है उसका अंजाम तो उसे ही भुगतना होगा और आगे अब कोई बात नही और नही मामा को बताना है हम शाम को निकलेंगे और सुबह तक पहुच जाएंगे।
और इतना कह कर मम्मी को वही छोड़ कर नीचे आ गया। और फ्रेश होकर बाहर निकल आया।
मेरा एक फ्रेंड है जोकि फोरेंसिक स्पेस्लिस्ट है उसके पास पहुचा।
वो अपने केबिन के ही मिला। मुझे देखते ही खुश हो गया। अरे संजू कैसा बहुत दिनों बाद मिला , जय माथुर एक dr फॉरेन्सिक स्पेस्लिस्ट।
पुलिस की मदद करता है और बहुत ही जिनियस।
मैं जाते ही उसके गले लगा और हाल चाल पूछा।
फिर फॉर्मलटी के बाद में सीधे मुद्दे पर आ गया और उसे सब कहानी सुना दी बस सेक्स को छोड़ के । मामा ने मेरी फैमिली की लेडीज के साथ जो किया।
और उसको वो बूटी दे दी। उसने 30 मिनेट मांगे और अपनी लैब में चला गया। मैं केबिन में बैठा उसका वैट करने लगा।
तकरीबन सवा घण्टे बाद जय वापिश आया। और अपनी चेयर पर बैठ गया। मुझे उसके चेहरे पर कुछ टेंसन दिखी।
जय--- देख संजू जितना तूने बताया है और जो मुझे उस बूटी से जानकारी मिली है उससे इतना मालूम चल गया है कि जो भी अभी तक हुआ है वो बहुत कम है वर्ना इस बूटी के दम पर हम किसी भी लेडीज को इतना बहका सकते है कि वो सड़क पर नंगी हो जाय और अपने साथ जो भी हो रोकने की बजाय उसमे शामिल हो जाये। ये बात तुमारे घर से जुड़ी है इसलिए ऐसे समझा रहा हु और खुद समझदार है। इसका असर भी काफि समय तक रहता है। ये एक देसी तरीक़े से तयार मेडिसिन है जिसका प्रभाव समय के अनुसार भड़ता जाता है।
मैं सब सुन और समझ रहा था क्या इसका कोई अन्तिडोज़ है।
अभी नही है मेरे पास लकीन बना सकता हु।
थैंक्स जय मदद के लिए तूम इसका अन्तिडोज़ तैयार कर लो जो भी खर्चा आये में दे दूँगा।, मैं बोला
Ok संजू मैं तैयार करता हु। और हाँ इसका सिमिलर ड्र्ग्स में तुम्है 3 घण्टे दे सकता हु, जय ने बताया।
ठीक है जय तुम मुझे इस बुटी का सिमिलर दे दो, मैने कहा।
और मै वो दवा लेकर वहा से निकल आया और मनोज को फ़ोन किया। मैंने एक फैसला किया था जिसके लिए मैंने मनोज को बुलाया था । मैं अपने प्लाट वाले रूम पर आ गया। कुछ देर में मनोज भी वही पहुच गया।
कुछ देर में शांत रहा फिर मनोज से कहा--- देख मनोज जो भी मैं तुम्हे बताने जा रहा हु वो तुम्हे इसलिए बता रहा हु तू मेरा हमराज रहा है और जिगरी भी। मैं अपने घर का राज तुझसे शेयर कर रहा हु।
मनोज--- देख संजू तू मुझे अपना मानता है या नही मैं नही जानता लेकिन मैं तेरे लिए जान भी दे सकता हु मेरे परिवार में मेरी बहन के अलावा बस तू है। मैं किरण वाले मेटर के बाद जानता हूं तू मे्रे पे यकीन नही करता लकीन दोस्त मैं तेरे साथ धोखा नही कर सकता।
मैं---- जानता हूं तुझे धोखा करना होता तो कर चुका होता क्योंकि जानता हूं कि किरण अब भी तुझसे बात करती है और शायद मिली भी हो। लेकिन वो सेफ है।
मनोज मेरा मुह ताकने लगा।
साले मेरी बहन है वो इतना तो ध्यान रखूंगा।
फिर मैंने उसको अपने परिवार की सब बात बताई और उससे पूछा कि क्या वो किरण से शादी करेगा।
मनोज जट से तैयार हो गया मेरी दोस्ती की खातिर, मैंने उसको बताया कि मैं मामा के गांव जा रहा हु और वो अपनी बहन के साथ मेरे घर शिफ्ट हो जाये।
उनको परमिशन भी दे दी अगर किरण दीदी बेकाबू हो तो वो उसे संभाल सकता है। और फिर उसको घर आने को बोलकर वहां से निकल लिया।
जब घर पहुचा तो मम्मी हाल में मेरा इंतज़ार कर रही थी।
मुझे देखते ही मम्मी मेरे पास आ गयी।
मम्मी पैकिंग हो गयी, मैंने तुरंत पूछा ।
मम्मी अपना सिर नीचे किये हुए, संजू देख सोच ले ठीक नही है ये।
मम्मी तयारी हुई या नही या मैं और दीदी ही चले जायेंगे।
मैं रीता दीदी को आवाज लगाता हु , मेरी आवाज सुनते ही किरण दी, रानी और रीटा दीदी बाहर आ जाती है।
क्या हुआ भैया-- रानी
देख रानी हम बाहर जा रहे है-- मैं
बाहर?किरण
हा दीदी आप और रानी यही रहना अभी मेरा दोसत मनोज और उनकी बहन यहा आ जाती है। कोई परेशानी हो तो उनको बताना। वो सॉल्व कर देंगे।
मनोज का नाम सुनकर किरण दिदी की आंखों में एक चमक आ जाती है लकीन रानी मायूश हो जाती है।
क्या हुआ रानी तुम क्यो मुह बनाये खड़ी हो---मैं
भैया हम अकेले कैसे रहेंगे-- रानी
जैसे टूर पर रही थी---मैं और ज्यादा इमोशनल ड्रामा मत कर।
रीटा दीदी आप पैकिंग करो । मम्मी आप भी जल्दी करो।
मैं रोशनी के पास जाकर कुछ समझाता हु। थोड़ी देर में मनोज और उसकी बहन निधी आ जाती है।
निधि बला की सुंदर लड़की थी आज पहली बार मैंने उसको देखा था और देखते ही फिदा हो गया।
मैंने मनोज को घर दिखाया और उनका कमरे दिखा दिए और फिर हम लोग मामा के गांव के लिए निकल लिए।
रात भर ड्राइव करने के बाद हम मामा के गांव पहुच गए।
अभी मामा के हवेली कुछ दूरी पर थी।
मामी---प्रोमिला देवी 45 years
बड़ी बेटी प्रियंका 20
छोटी बेटी सीमा 18
जब हम हवेली में पहुचे तो मामा बाहर आंगन में ही चाय का मजा ले रहे थे। हमें देखते ही हड़बड़ा से गये और भाग कर आये अरे बहना तुम ऐसे अचानक कैसे आ गयी।
मम्मी--- अपने भांजे से पूछो, कोई जवाब न सुझा तो मुझे आगे कर दिया।
मैं--- तुम परसो आये औऱ मुझसे मिले बिना आ गए तो मैंने सोचा कि आपकी नाराजगी गयी नही इसलिए मैं खुद आ गया आपसे और मामी और अपनी बहनों से मिलने। कहा है सब लोग।
मामा--/ अरे बेटा ऐसी बात नही है मुझे कुछ जरूरी काम था इसलिए आ गया। और तुम आये हो इतने दिनों बाद ये भी अच्छा ही किया आओ अन्दर अपनी मामी से मिलो ।
मामी सामने ही नहाकर आती हुई दिखती है एक दम सेक्स की देवी। मामी मेरी मम्मी को देखकर खुश नही हुई लेकिन मुझे देख कर खुश हो जाती है
मेरी मामी का फिगर 36-32-37 है। उनकी हाईट 5.5 इंच है और वो बहुत ही मस्त और बहुत ही सेक्सी हैं और वो बहुत ही गोरी हैं। वो ज्यादातर साड़ी पहनती हैं और वो साड़ी में बहुत सुंदर लगती है।
मामी को मैं बहुत अच्छा लगता हु और मामी मुझसे बहुत सारी बातें करती। लकीन मम्मी और दीदी को इगनोर करती है तभी मेरी मामा की लड़कियां प्रिंयका और सीमा दोनो नीचे आती है और मुझे देखते ही लिपट जाती है और फिर अचानक से मारने लगती है कि इतने दिनों से क्यो नही आया मिलने को। जैसे तैसे उनको संभालता हु। फिर उनको दीदी के साथ लगा देता हूं और खुद । मामी के पीछे लग जाता हूं क्योंकि मैं जितनी जल्दी हो सके अपना काम करना चाहता था।
मेरे मामा वैसे काफी गर्म रहते थे मामी के प्रति , उनसे रुखा ही रहते। और हमेशा उनको डांटते रहते थेऔर मामी का व्यवहार मम्मी की तरफ़ जैसा था उससे साफ मालूम चल रहा था कि मामी को मालूम है उनके सम्बन्धो के बारे में।
मैं मामी से बात करके हवेली के ऊपर वाले कमरे में चला गया और आराम करने लगा थोड़ा। रात भर ड्राइव के कारण थकान हो रही थी।
उस दिन भी मामी किचन से साफ सफाई करने के बाद ऊपर वाले कमरे में आई.. जहाँ पर मैं आराम कर रहा था। फिर मामी आईं और मुझे हिलाकर पूछा।
मामी : संजू सो रहे हो क्या?
मैं : नहीं मामी बोलो ना क्या बात है?
मामी : चल मेरे रूम में आजा वहाँ पर में मेरी अलमारी भी जमा लूँगी और हम बातें भी कर लेंगे।

फिर हम मामी के रूम में चले गये और फिर मामी और मैं ऐसे ही इधर उधर की बातें करने लगे और मामी अपनी अलमारी जमाने लगी। मामी मुझसे बहुत फ्रेंक हो रही थी और मुझसे कोई भी बात करने में शरमा नहीं रही थी।
मामी : और बताओ संजू कितनी गर्लफ्रेंड है तुम्हारी?
में : एक भी नहीं मामी।
मामी : अरे संजू.. मुझसे क्यों शरमा रहे हो में थोड़े ही दीदी को बताउंगी तुम्हारी गर्लफ्रेंड के बारे में।
मैं: अरे मामी आपसे क्या शरमाना.. सच में मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है और अगर होती तो आपको तो जरुर बता ही देता।
मामी : अरे बाबा शहर की लड़कियों को क्या हो गया है। मेरे इतने सोने भांजे की कोई गर्लफ्रेंड नहीं है.. अगर तू मेरी उम्र का होता तो देखता तेरे साथ क्या क्या होता।
फिर में नॉटी स्माईल पास करते हुए बोला कि क्या होता मामी ऐसे ही बता दो? और मामी हंसने लगी और फिर अपना कम करने लगी। बातें करते करते मामी समान जमा रही थी और उनकी गांड मेरी तरफ थी। में उनकी गांड को देखे जा रहा था। हम ऐसे ही कुछ देर बात करते रहे और फिर मैंने मामी से कहा कि मुझे प्यास लगी है और में पानी पीने किचन में चला गया.. जब में पानी पीकर किचन से वापस मामी के रूम में घुस रहा था.. तभी मामी बाहर आ रही थी तो में और मामी टकरा गये। तो मामी के बूब्स मेरे चेस्ट पर ज़ोर से टकराए और एकदम से मामी फिसली.. लेकिन इससे पहले की मामी गिरती मेरा हाथ सीधा मामी की कमर पर गया और मैंने उन्हें संभाल लिया।
में : मामी आप ठीक तो हो ना?
मामी : हाँ बच गयी।
फिर मामी थोड़ा संभली और पीछे मुडकर जाने लगी तो उनका हाथ मेरे लंड पर लगा जो कि तनकर खड़ा था।

मामी : संजू बाबू.. तुम बड़े हो गये हो और इतना कहकर उन्होंने एक नॉटी स्माईल दी।
में : मैं तो कब से ही बड़ा हो गया हूँ मामीज़ी आपने तो नोटीस नही किया अभी तकऔर हम दोनों एक दूसरे को देखे जा रहे थे और पता नहीं मुझे क्या हुआ कि मैंने अपने हाथ मामी के बूब्स पर रख दिए और उन्हें दबाने लगा। मामी एकदम दंग होकर मुझे देखती हुई बोली।
मामी : अरे यह क्या कर रहा है? तुझे ज़्यादा शैतानी सूझ रही है.. छोड़ मुझे।
फिर मामी यह कह कर पलटी और वहाँ से जाने लगी.. लेकिन में अब मानने वाला नहीं था और मैंने मामी के बूब्स पीछे से पकड़ लिए और उन्हें जोर जोर से दबाने लगा।
मामी : बस संजू.. अब यह सब बहुत बदतमीज़ी लग रही है और में तेरी मामी हूँ। तुम मेरे साथ यह सब नहीं कर सकते हो।
में : मामी आप मुझे पसंद नहीं करती क्या? और वैसे भी अभी आपने ही तो कहा था कि में अगर आपकी उम्र का होता तो मेरे साथ बहुत कुछ होता.. तो अब बताओ मेरे साथ क्या क्या होता? फिर मामी मेरी तरफ पलटी और बोली कि नहीं बाबू यह सब ग़लत है.. समझा कर तू चाहता है कि में तुझसे बात वगेराह ना करूँ तो बोल दे.. में नीचे चली जाउंगी। फिर यह बोलकर मामी पलटने लगी कि हमारी चैन आपस में उलझ गयी और में खींचने की वजह से फिसल गया और में और मामी बेड पर गिर गये। में उस वक़्त मामी के ऊपर था। फिर हम दोनों एक दूसरे को देखे जा रहे थे और मामी मुझे अपने ऊपर से हटाने की कोशिश कर रही थी.. लेकिन बहुत ही कमज़ोर कोशिश थी। कुछ ही पल में पता नहीं क्या हुआ और हमारे होंठ मिल गये। अब हम एक दूसरे को किस कर रहे थे।
फिर मामी एक दम से उठी और अपने को छुटा कर नीचे चली गयी।
 
फिर मैं नीचे आ गया। नीचे किरण दी प्रियंका दी और सीमा अपनी बातो में लगी थी। मम्मी बाहर हाल में कुछ गांव की महिलाओं के साथ बैठी थी। मामा कहि नही दिख रहे थे।
मैंने सब को बारी बारी से प्रणाम किया और बैठ गया, चाय बिस्कुट ली और फिर वैसे ही उन महिलाओं से बात चित करने लगा, पर मेरी नजर हमेशा मामी पर ही था वो रसोई में खाना बना रही थी, और आ जा रही थी, मेरे तो ह्रदय के कमल खिल रहे थे उनकी मुस्कुराहट पे, मैं मामी को पूछा मामी जी मामा जी कब आते है घर पे, तो वो बोली उनका कुछ भी पता नहीं, वो बड़े बिजी रहने लगे है आजकल कभी कभी वो नहीं भी आते है, क्यों की खेत में भी सोने का जगह है. तभी हॉर्न की आवाज आई और मामा जी आ गए, मैंने फॉर्मलटी में उनको भी प्रणाम किया पर वो मामी जी से बोले, जल्दी मुझे खाना दे दो मुझे अभी दोबारा खेत के लिए निकलना है, जरुरी काम आ गया है, और मामा जी खाना खाके जल्दी ही चले गए,

फिर मैंने खाना खाने बैठ गया, मामी जी जब भी आती थी रोटी देने तब उनके बड़े बड़े गोर गोर बूब्स का दर्शन हो जाता था, मेरी निगाह उनके ब्लाउज के ऊपर से निकले हुए चूची पे ही था, पर वो भी भाप गयी की मैंने उनके चूची को ही देख रहा हु, इस बार आई और मुस्कुराते हुए बोली क्या देख रहे हो संजू, मैं मन ही मन सोचा मैं तो आपको चूची देख रहा हु मामी जी, क्या मामा जी दबाते नहीं है क्या क्यों की ये एक दम टाइट और सुडौल है, पर मैंने कह दिया नहीं नहीं मामी जी कुछ भी नहीं, बस यूं ही, आज आप बड़े ही सुन्दर लग रहे हो
कहते ही वो ज़ोर से हंसते हुए मेरी तरफ भागी और स्पीड के कारण मुझसे आकर टकरा गई। मैंने अपने बचाव के लिए हाथ आगे बढ़ाया.. लेकिन वो फिर भी मुझे अपने साथ लेकर बेड पर गिर गई। मामी मेरी बॉडी पर सीधे गिरी थी। मुझे पहली बार इतना सेक्सी सीन देखने को मिल रहा था.. उसके दोनों बड़े बड़े बूब्स मेरी छाती से लग कर दब रहे थे और में उन्हें बहुत अच्छे से महसूस कर सकता था.. वो एकदम मुलायम थे और मेरी छाती से दबने के कारण उनके बूब्स उनके सूट और ब्रा से बाहर झाँकने लगे थे.. एकदम गोल आकार में और उन्हें देखकर मेरा लंड खड़ा होने लगा था। तभी मामी ने अपना घुटना मेरे लंड के ऊपर रख दिया और धीरे से घूमने लगी और करीब 15-20 सेकण्ड उसी पोज़िशन में रही और वो कह रही थी कि..

मामी : क्या तू मुझे रोक नहीं सकता था? तू मुझे पकड़ लेता तो शायद हम गिरने से बच जाते और वो तो बहुत अच्छा हुआ कि हम बेड के पास खड़े थे और हम बेड पर ही गिर गये। फिर वो सेक्सी स्माईल देते हुए उठते समय मेरे लंड पर अपने घुटने को दबाने लगी और फिर उठकर कांच के सामने जाकर अपने बाल सेट करने लगी। फिर उन्होंने मुझमें एक ऐसी आग जला दी थी जो अपनी सीमा पार कर चुकी थी.. में उठा और धीरे धीरे उनके पीछे गया और जैसे ही उनको पकड़ने के लिये अपने हाथ उनकी कमर के दोनों तरफ से आगे लेकर जाने लगा कि तभी उन्होंने मेरे हाथ पकड़ लिए और घूम गई।

मामी : यह क्या कर रहा है?

में : मामी में आपसे सेक्स करना चाहता हूँ।

पता नहीं कहाँ से मेरे दिमाग में यह बात आई और मैंने हिम्मत करके बोल दी।

ऐसा बोलने पर मेरे पसीने छूट रहे थे और यह बोलने के साथ ही उनको गुस्सा आ गया और मुझे थप्पड़ मारने लगी.. लेकिन मैंने अपना हाथ बीच में ले लिया तो मेरे गाल पर थप्पड़ लगने से बच गया.. लेकिन उन्होंने तभी मेरा हाथ पकड़कर मुझे धक्का दिया और कमरे से निकल जाने को कहा और साथ में कहा कि में तेरी मम्मी को यह बात बताउंगी। तो फिर मैंने नाटक किया और फिर मैंने उनसे विनती की.. प्लीज़ आप मेरी मम्मी को मत बताना.. प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो.. दोबारा आगे से ऐसा कुछ नहीं होगा। फिर जैसे ही में मुड़कर जाने लगा तो मामी बोली कि में समझती हूँ.. इस उम्र में ऐसा हर किसी के साथ होता है। लेकिन यह तो देखो कि तुम जिसके साथ ऐसा करने की सोच रहे हो वो कौन है? में तुम्हारी मामी हूँ और क्या मेरे साथ ऐसा सोचते हुए तुम्हें शरम नहीं आई? क्या तुम्हें डर नहीं लगा।
मैं---मामी जब से तुम्हे देखा है बस कंट्रोल नही हो रहा है और अपने आप मुझसे गलती हो जाती है।
आगे से ध्यान रखूंगा की ऐसी कोई हरकत न हो।
और वहा से बाहर आ जाता हूं।
थोड़ी देर में मामी आती है और मुझसे कहती है कि संजू मेरे साथ चलो गांव में कुछ काम है
बिना कुछ बोले उनके साथ चल पड़ता हु लकीन कुछ बात नही करता।
मामी : क्या बात है? तू मुझसे बात क्यों नहीं करता है?

तो मैंने कोई जवाब नहीं दिया और में नीचे मुहं करके चुपचाप चलता रहा।

मामी : क्या तू नाराज़ है मुझसे? और क्या तुझे अभी भी मुझसे डर लग रहा है?

में : ( तो में थोड़ी हिम्मत करके बोला ) भला में क्यों डरूंगा?

मामी : क्यों भूल गया क्या वो बात.. दिन में तो तेरी गांड बहुत फट रही थी।

फिर ऐसे शब्द उनके मुहं से सुनकर में थोड़ा नॉर्मल हुआ और में भी उनसे थोड़ी बहुत बातें करने लगा।

में : में नहीं भूला.. मुझे सब पता है।

मैंने फिर से थोड़ी हिम्मत करके कहा कि मामी प्लीज़ मेरी गर्लफ्रेंड बन जाओ ना।

मामी : थोड़ी देर मेरी तरफ देखते हुए बोली कि चल ठीक है आज से में तेरी गर्लफ्रेंड हूँ।

फिर मेरी जेब में एक चोकलेट थी जिसमे वो ड्रग्स मैने मिल रखी थी तो मैंने उनको वो दे दी।

फिर उसके अगले दिन।

मामी : क्या बात है आज तू बड़ा खुश नज़र आ रहा है?

में : हाँ अब मेरी भी एक गर्लफ्रेंड जो बन गई है इसलिए में बहुत खुश हूँ।

फिर ऐसा कहते हुए में उनके बूब्स की तरफ घूर घूर कर देखने लगा।

मामी : तू ऐसे क्या देख रहा है और तुझे क्या चाहिए?

में : मुझे आपके साथ सेक्स करना है

फिर ऐसा कहते हुए उन्होंने मुझे ज़ोर से पीछे धक्का दिया और फिर किचन में जाकर काम करने लगी।
फिर मैंने मामी को पीछे से हग किया और गर्दन पर किस करते हुए चाय के लिए बोला तो उन्होंने बिना मुझे हटाये चाय बनाने लगी मैं उनसे वैसे ही खड़ा रहा और फिर चाय बन गयी तो मैंने कहा कि मैं डालता हु चाय आप बैठो।
मामी साइड हो गयी और मैंने चाय कप में डाली और वो ड्रग मिला दी मामी की चाय में।
फिर बैठ कर हम चाय पीने लगे। चाय पीने के बाद मामी फिर काम मे लग गयी ।
साला मामी पर ड्रग्स का असर क्यो नही हो रहा है।
मैं बाहर गांव गुमने आ गया और इधर उधर खेत देखने लगा। तभी घूमते घूमते मैं मामा के खेत मे पहुच गया।
जब खेत मे पहुचा तो देखा कि मम्मी वहा पहले से मौजूद थी। मुझे देखते ही मम्मी बोली संजू यहा क्या कर रहा है।
मैं---खेत देखने आ गया । आप क्या कर रहै हो यहाँ। घर से कब आयी।
तभी मामा आ गए वहा और मुझे अजीब से देखने लगे।
मैंने मुस्करा के मामा को कहा मामा क्या कर रहे है?
मामा--कुछ नही।
मैं समझ गया कि इसने मम्मी को बुलाया होगा और मैं बीच के पहुच गया।
मैंने ममी को पूछा कि घर चल रही हो या रुक कर आओगी।
अब बेचारी मम्मी ये तो कह नही सकती थी कि उनको चुद कर आना है तो साथ हो ली मेरे। लेकिन चेहरे से लग रहा था कि मन मे गालिया दे रही हैं।
जब हम वापिश आ रहे थे तो मम्मी की काकी जो वही पास में रहती थी तो अपने घर ले गयी और जिद करके हमे खाना खिला दिया।
फिर हम घर आ गए
मैंने खाना मम्मी के साथ काकी के घर खा लिया था इसलिए डिनर के लिए मना करके सीधा मामी के रूम में लेटकर टी.वी. देखने लग गया. थोड़ी देर में मामी काम निपटा कर आईं, उनसे औपचारिक बातें हुईं, पर थकावट के कारण मुझे कुछ जबाब नहीं सूझ रहा था तो आँखें मूंद लीं. मुझे सोता देख, मामी प्यार से मेरे सिर पर हाथ फेरती फेरती मेरे बगल में सोने का उपक्रम करने लगीं.

उनका कोमल स्पर्श मुझे कुछ अजीब सा महसूस होने लगा और मेरी नींद जाती रही. मैं कोशिश करके भी नहीं सो सका. कभी ऐसा अजीब महसूस नहीं हुआ था. चढ़ती जवानी में मेरा लंड मामी के स्पर्श से सर उठाने लगा. लाख कोशिश करने पर भी लंड मामी की पेट में चुभने लगा. शर्म के मारे मेरी रात की नींद काफूर हो गई. उनके साथ स्पर्श में मुझे पसीना आने लगा.

मामी को मेरे खड़े होते लंड का अहसास हो चुका था, जो उनके पेट में ठोकरें मार रहा था. मामी धीरे धीरे मुझे उकसाती हुई मेरे लंड से पेट सटा कर खेलती रहीं. अब अपने को रोक पाना मुझसे मुश्किल हो गया।
अब मामी भी उत्तेजित होने लगीं ,शायद ड्रग्स का असर हो गया था और अचानक उन्होंने उठ कर अपनी सूट एवं सलवार निकाल दी और पूरी नंगी हो गईं. मैंने भौचक्का सा उन्हें देख रहा था तभी अगले ही पल मामी मेरे नजदीक हुईं और मेरे एक एक कपड़े को निकाल कर मुझे भी नंगा कर दिया.

टयूबलाईट की रोशनी में मामी का नंगा बदन अंगारे की तरह दमक रहा था. वे देखने में कतई दो बच्चों वाली नहीं लगती थीं. उनकी शारीरिक बनावट भी कुछ अजीब और मस्त सी थी, मेरी आंखें फटी रह गईं और बरबस ही मेरा कोमल हाथ उनकी गहरी नाभि में रेंगने लगा. मामी का संरमरमर सा बदन देखकर ऐसा लग रहा था, जैसे मेरे पास जूही चावला सोई हो. मामी की दो बड़ी-बड़ी मस्त और कठोर उन्नत चूचियों की ढलान सपाट पेट से होते हुए गहरी नाभि में समा गई और फिर कदली जैसी जांघों के बीच पाव रोटी जैसी फूली हुई मुलायम चुत देखकर मैं भी किसी स्वपन लोक में विचरण करता रहा
जब मामी ने अपने मुँह में मेरा लंड लिया, तब मेरी तंद्रा टूटी. मुझे ऐसा लगा जैसे मेरा लंड फट जाएगा. मैं असहाय सा आहें भरता रहा. लंड चूसते चूसते शायद उनका पेट भर आया और डकार मारकर अचानक मामी ने पैंतरा बदला और मेरे लंड पर चुत टिका कर बैठ धीरे धीरे दबाव देने लगीं. मेरा लंड मामी की चुत में समाता चला गया.

मुझे ऐसा लगने लगा, जैसे किसी जलती आग में मेरा लंड चला गया हो. जड़ तक लंड जाते ही मामी चिहुंक उठीं और ताबड़तोड़ लंड की सवारी करने लगीं. हर चोट के साथ उनकी चीख निकल रही थी.
औरत का यह रौद्र रूप मुझे आज पहली बार देख रहा था , कामातुर मामी लंड पर खिलाड़ी की तरह कमरताल के साथ चुत पटकती रहीं. करीब बीस मिनट में उनका शरीर ऐंठने लगा और लंड पर थाप, गति की अपेक्षा तेज हो गई.
फिर एक जोरदार चीख के साथ मामी का लावा बह गया और इसके साथ ही उनकी उछल कूद मचाती दोनों चुचियां भी शांत हो गईं, जो अब तक उनकी कमर के हर उछाल के साथ हवा में लहराती रही थीं.

इधर अब भी मेरा लंड मामी की चुत से बाहर निकल कर सिंह गर्जना कर रहा था, यह देखकर मामी की खुशियां दोगुनी हो गईं और वे गांड मरवाने के लिए घोड़ी बन कर मुझे अपनी गांड में लंड डालने को इशारा करने लगीं.
मैंने मामी से अनजान बनते हुए कहा- मुझे नहीं आता है, अपने आप से कर लो.

तो उन्होंने चुदासी कुतिया बन कर अपनी गीली गांड में लंड का टोपा लगाकर मुझे धक्के मारने का इशारा किया. एक धक्के में ही मैंने गोल गोल चूतड़ों के बीच उनकी कसी हुई गांड में अपना मूसल सा लंड जड़ तक ठोक दिया.

मामी दर्द के मारे बिलबिला उठीं और मामी की गांड से खून आने लगा. मुझे चुत से ज्यादा गांड में मजा आने लगा था.. इसलिए मैं धीरे धीरे मामी की चुदाई करता रहा.
मेरा आनन्द हर सीमा को तोड़ गया और इसके साथ ही मैं हब्शी की तरह मामी की गांड को मारता रहा.
मामी हर कोण से चुदवाती रहीं और मैं पूरी रात गुलाम की तरह उनकी चुत और गोरी गांड बजाता रहा.

अब मेरे शरीर में थोड़ी सी भी हिलने की ताकत नहीं रह गई थी, साला अब मालूम चला कि क्यो मम्मी और दीदी ड्रग्स के कारण चुदने को व्याकुल रहती है,और मामी की हुई,इसलिए दो बार चुत और तीन बार गांड मारकर हम एक दूसरे को पकड़े पता नहीं कब सो गए।

मामी को चोदते चोदते अहसास ही नहीं हुआ कि कब तीन दिन निकल गए. मैने मम्मी और दीदी का भी ध्यान नही रहा कि वो कहा रहती है।
अगले दिन दोपहर लंच के बाद मामी को मेरा लंड चूसते हुए अचानक मामी की बेटी प्रियंका ने हम लोगों को रंगे हाथ पकड़ लिया था. पहले मेरी नजर प्रियंका पर पड़ी थी. अब मेरी हालत ऐसी कि काटो तो खून नहीं.

तुरन्त मामी के मुँह से लंड खींचकर अपनी पतलून की जिप लगाने की मैं नाकाम कोशिश करता रहा.

उधर प्रियंका अपनी मम्मी पर बुरी तरह चीखती चिल्लाती रही. मैं मूक दर्शक बना मां बेटी की चिल्लम पों सुन कर भयभीत हो गया था. प्रियंका की खुलेआम चुनौती मिली कि अब मैं ये करतूत घर में सभी को बताऊँगी.
मामी गिड़गिड़ा कर मिन्नतें करती करती हताश हो गईं, परन्तु प्रियंका कुछ भी सुनने को तैयार नहीं थीं. हताशा में उन्होंने एक झटके में प्रियंका को खींच कर बेड पर पटक दिया और मुझे उसकी सलवार उतारने का इशारा किया.

मैं मामी की इस हरकत से एक बार सन्न हो गया था. परन्तु बिना समय गवाएं मैं प्रिंयका की सलवार को उसकी टांगों से उतारने में कामयाब भी हो गया और वह जल बिन मछली की तरह तड़पती रही.
मामी ने प्रियंका को काबू में करके, बिस्तर में दबा कर मुझे उसको नंगी कर उसकी बुर चाटने का हुक्म दाग दिया.

मरता क्या नहीं करता, मैं अपनी ममेरी बहन की काली पैन्टी निकाल आज्ञाकारी कुत्ते की तरह फटाफट बुर चाटने लगा. उसकी कुंवारी रोयेंदार बुर की महक से अब मेरा भय जाता रहा और मैं पूरी तन्मयता से उसकी छोटी सी बुर चाटने लगा.

मेरे होंठों का वार सहन नहीं कर सकी और मेरी बहन की बुर से मूत निकल गया.

अब उसका विरोध भी ढीला पड़ता गया और वो मुझे गन्दी गन्दी गालियां देते हुए आत्मसमर्पण कर गई.

आखिर बीस साल की अकेली जान, कब तक हम दोनों का मुकाबला करती. मैं और भी जोश में उसकी बुर चूसने लगा. मक्खन सी बुर का कसैला नमकीन स्वाद पाकर लंड फिर से आकार लेने लगा था.

अब वह कमर उठा कर मेरे मुँह पर बुर मार रही थी, जिससे बार बार मेरे मुँह से बुर बाहर निकल जा रही थी. पर मैंने भी हार न मानी और बुर के अन्दर तक जीभ घुमा घुमाकर अर्चना की बुर को चूसता रहा.

मामी प्रियंका के सिर पर हाथ फेरते हुए संतोष की सांस ले रही थीं. तभी प्रियंका एक मार्मिक चीख के साथ अपना कामरस छोड़ने लगी और मैंने गरम और नमकीन पानी चाट कर उसकी बुर को साफ साफ कर दिया.

अब मेरा मन उसकी मांसल जांघों और गुदाज चूतड़ों को देखकर चोदने को हो रहा था, परन्तु मामी ने मना कर दिया और मुझे अपने ऊपर खींच कर चोदने का इशारा किया.

अपनी इच्छा पूरी करने के लिए मैं कपड़े हटा कर मामी की चुत में मुँह लगा कर इस कदर से बुरी तरह चूसने चाटने लगा कि बस दो मिनट में ही मामी का लावा भलभला कर निकल गया. तभी मैंने अपना लंड मामी की चुत में डाल दिया. बीस मिनट तक पूरे जोर जोर से मामी को चोदता रहा और प्रिंयका मुझे देखकर मुस्कुराती रही. उसकी मुस्कुराहट में अपनी जीत महसूस कर रहा था इसलिए जब मेरा लंड पूरे उत्कर्ष पर था, तभी मैंने मामी की चुत से निकाल कर प्रिंयका के मुँह में अपना लंड डाल दिया.

वह लंड बाहर निकालने की कोशिश करती रही और मैं तुनक तुनक कर उसके कंठ में झड़ता रहा.

उसे कुछ स्वाद अच्छा सा लगा इसलिए उसने मेरा लंड चूस कर साफ कर दिया.

अब मामी ने कहा- प्रियंका मैं एक नारी हूँ और नारी की भावना को समझते हुए मैंने तुम्हारा कामरस निकालने का कठोर निर्णय लिया. तुम अपनी मर्जी से कभी भी हमारे साथ शामिल हो सकती हो बशर्ते किसी को भनक तक नहीं लगे.
मामी की बात से मुझे एहसास हुआ कि क्यो मम्मी ने दीदी को मामा के आगे सुला दिया। आज वही हुआ जो कभी मेरे परिवार में हुआ होगा।
कुछ पल बाद खेल फिर शुरू हो गया, अब सामने अधनंगी प्रियंका भी थी. इधर मैं प्रिंयका की कमसिन और स्वादिष्ट चुत चाट कर मन ही मन उसको चोदने की सोच रहा था और उधर मामी मुझे खींचकर दुबारा से अपनी चुत की आग ठंडी करने में लग गई थीं.

मामी की गोरी चुत चोदते हुए मेरी नजर प्रिंयका से मिली तो वो मुस्कुराने लगी और मुझे उसकी मुस्कुराहट से जान में जान आ गई. मैंने मामी की चुत से लंड निकाल कर प्रिंयका के मुँह में फिर से लंड का पानी झाड़ दिया.

प्रिंयका ने मेरे पूरे लंड को चचोर कर ऐसा चूसा, जैसे लगता था कि चबा जाएगी. धीरे धीरे मुझे भी सुख की अनुभूति होने लगी थी.

मेरी कद काठी ठीक ठाक रही हैं, इसलिए लंड कुछ देर बाद अपना आकार लेने लगा था, जिसे देखकर प्रिंयका बार बार प्रसन्न हो रही थी.
मैं उसके बचे हुए कपड़े एक एक करके निकालने लगा. उसके दूध जैसे उजले जिस्म का कटाव यही कोई 32-28-32 और हाईट पूरे 170 cms की थी. मामी से भी सुन्दर उसके उठे हुए मम्मों को तो देखते ही उसे चोदने का मन करने लगा था. उसके उन्नत मम्मों के ऊपर भूरे दाने, किसी पहाड़ की चोटी की तरह खड़े अपने फतह किए जाने का इंतजार कर रहे थे.

झील सी गहरी काली आंखों में तैरते लाल डोरे.. वासना का आमंत्रण देते लग रहे थे. गोल गोल कटोरे जैसे चूतड़ और चिकनी मोटी मोटी जांघें किसी भी मर्द से टकराने की माद्दा रखती दिख रही थीं. पावरोटी की तरह फूली बुर पर सुनहरे रोयें और उसके ठीक ऊपर गहरी नाभि किसी की भी नियत खराब करती इठला रही थी.
कुल मिलाकर बीस साल की कचक जवान लड़की मेरे लंड से चुदने को बेकरार थी और मैं भी 167सेंटीमीटर हाईट और 62 किलो का गबरू जवान लड़का उसकी नथ उतारने के लिए उतावला था.
उधर मामी अपनी चुदी हुई चुत पर हाथ फेरती हम दोनों की कामक्रीड़ा का भरपूर आनन्द ले रही थीं.

हम दोनों जल्द ही 69 की पोजीशन में आ गए और एक दूसरे के गुप्तांगों को छेड़ कर उत्तेजित करने लगे. अभी अभी हम दोनों ही झड़े थे इसलिए मजा बहुत आ रहा था. मैंने प्रिंयका की अनचुदी बुर को चौड़ी करके जीभ से अन्दर का रस चाटता रहा. प्रिंयका के प्रीकम से मेरा मुँह लिसलिसा सा हो गया था.
तभी मामी ने खोद कर मुझे अपना लंड मेरी बहन की बुर में डालने का इशारा किया. मेरे 8 इंच लम्बे और 2 इंच मोटे लंड को बहन ने चूस चूस कर गहरा लाल कर दिया था.

बहन के सिर को मामी अपनी गोद में रखकर उसके दोनों मम्मों को सहलाने लगीं और मैंने मामी के बताए अनुसार थोड़ा फेश वाश लेकर बहन की बुर और अपने लंड पर लगा कर दोनों टांगों को ऊपर किया. दीदी की बुर फैला कर अपने लंड का टोपा सैट करके मामी से नजरें मिलाईं.

उन्होंने कहा कि जब तेरी बहन सांस अन्दर खींचे तो करारा चोट कर देना और अगर एक बार में नहीं डाल सके तो ये दूसरी बार तुझे चूत छूने भी नहीं देगी.

मैं बुर को किसी भूखे भेड़िये की तरह निहारता हुआ तैयार था. प्रियंका के सांस खींचते ही एक झन्नाटेदार धक्का दे मारा. मेरे लंड महाराज बहन की कुंवारी बुर की सील भंग करते हुए आधे से अधिक समा गए और इसी के साथ बहन एक हृदय विदारक चीख मार कर बेहोश हो गई.
मामी ने मुझे जस का तस रोक दिया और बहन के होश में आने तक उसके मुँह पर पानी के छींटे देती रहीं.

बहन की बुर से खून निकल रहा था और उसकी नंगी चुचियां सांस के साथ ऊपर नीचे हो रही थीं. अब धीरे धीरे मेरी ममेरी बहन होश में आने लगी और मेरी पकड़ से निकलने की बेकार कोशिश करने लगी.

समय की नजाकत को समझते हुए मामी ने मुझे धीरे धीरे चुदाई करने का इशारा किया. मैं छूटती हुई सवारी गाड़ी की तरह एक रफ्तार में चोदने लगा.

बहन थोड़ी देर में सामान्य हो गई और कमर उछाल उछाल कर अपनी बुर में ज्यादा लंड की मांग करने लगी. मुझे अपने लंड पर मामी की चुत से बहुत अधिक कसाव अनुभव हो रहा था. मुझे भी अब कुंवारी कन्या की बुर चोदने के असीम आनन्द की प्राप्ति होने लगी और मैं किसी मंजे हुए खिलाड़ी की तरह ताबड़तोड़ चोदते हुए बुर की धज्जियां उड़ाने लगा.

प्रिंयका आनन्द के उन्माद में एक हाथ में मामी के चुचे और दूसरे हाथ में तकिया भींच रही थी. करीब दस मिनट की भयंकर चुदाई के बाद दीदी दहाड़ मार मार कर झड़ने लगी और उसने मामी के एक चुचे को इतनी जोर से भींचा कि दीदी की दहाड़ के साथ मामी की भी चीख निकल गई.

मैं कुछ दिनों के अनुभव को लेकर एक रफ्तार में चुदाई करता रहा और प्रिंयका को ऐंठ ऐंठ कर गरम कामरस छूटने को महसूस करता रहा था.

आज मैंने भी चरम सुख भोगते हुए बहन की बुर में अपना लावा छोड़ दिया, जिसकी अनुभूति से प्रिंयका भी खिलखिला कर हंसने लगी, साथ में मामी भी हंसने लगीं.

दोनों मां बेटी की खुशी में मैं भी शरीक, खुश हो रहा था क्योंकि चार दिनों में मुझे दूसरी चुत चोदने को मिली थी.. वह भी सील पैक.

हम तीनों वहीं नंगे ही सो गए, करीब शाम पांच बजे मामी ने हम दोनों को जगाया. हम तीनों ने एक दूसरे के होंठों को चूम कर फ्रेश होने बाथरूम में नंगे समा गए. प्रियंका दीवार पकड़ कर चल रही थी, मामी ने उसको सहारा देकर नहलाया और चुत में अन्दर तक उंगली डाल कर पानी के प्रेशर से साफ किया.
प्रियंका की बुर की धारी फूल कर मोटी हो गई थी. परन्तु चेहरे पर अजीब लाली छा गई थी. प्रिंयका किसी खजुराहो की मूर्ति की तरह कामदेवी लग रही थी.

उसके बाद मामी और मैं एक दूसरे को साबुन लगाकर नहाने लगे. मेरा लंड साबुन लगे हाथ फेरने से पूरे आकार में हो गया तो मामी तुरन्त घोड़ी बन कर मेरे लंड को गांड में लेने को तैयार हो गईं.

मैं बिना किसी भूमिका के मामी की गंडासे जैसी धार दार गांड मारने लगा और प्रिंयका दीवार पकड़ कर खड़ी अवाक होकर ये गांड मराई का नजारा देखती रही. करीब आधे घंटे तक बाथरूम में सुनामी के बाद मैं मामी की चिकनी गोरी गांड में ही झड़ गया. इतनी ही देर में मामी दो बार झड़ गई थीं, ये उन्होंने बाद में बताया.

अब हम तीनों सुकून से अपने कपड़े पहन कर चाय की चुस्की ले रहे थे कि इतने में मामा जी थकी सी सूरत लेकर आ गए और कुछ देर में मम्मी और दीदी भी।
 
मैने जैसे ही मम्मी और दीदी को देखा तो उन्होंने अपनी नजर नीची कर ली। मैं समझ गया कि वो क्या करके आ रही है। यहा मैं उनके लिए मामा के परिवार से खेल रहा था वहा वो लोग खुद मामा के हाथों का खिलोना बने हुए थे। मैं खुद पर काबू नही कर पा रहा था लेकिन जहर का घुट पी लिया। और कमरे में चला गया।
कुछ देर में मम्मी और दिदी भी कमरे में आ गयी
और बिस्तर पर लेट गयी।
मैं---क्यो मम्मी कर आई रण्डी पना?
मम्मी मुझे खा जाने वाली नजरो से देख रही थी।
दीदी---भैया क्या बोल रहे हो?
मैं---चुप कर तू कौन सा कम है? यहा मैं तुम लोगो के लिए लड़ रहा हु और तुम उस जानवर के पास चुदने जा रही हो। अब लग रहा है कि सब तुमारी मर्जी से हो रहा है और तुम लोग मुझे ललु बना रही हो। जैसे मम्मी ने सदा पापा को बनाया।
मम्मी----हां हु रण्डी तुझे मना किया था यहा मत ला फिर तू लेकर आया। अब देख नही सकता तो हमे गालिया दे रहा है। देख जब तक तू मामा को रोक नही लेता वो ऐसे ही हमे बुलाता रहेगा और हमे जाना पड़ेगा। अगर हमने मना किया तो वो तेरे साथ कुछ भी कर सकता है,यहा राज चलता है उसका।
अब मेरे पास कहने को कुछ नही था मुझे जल्द से जल्द मामा का तोड़ निकालना था। और वो था उसकी फैमिली को उसके खिलाफ करना।
रात डिनर लेने के बाद मामा मामी अपने कमरे में और मैं दीदी और मम्मी कमरे में सोने आ गये.

सारा दिन चुदाई के चलते हम तीनो की नींद कब लगी, नहीं मालूम. गहरी रात में मेरी नींद खुली तो मैं रीटा दीदी के कसे हुए मम्मों को निहारने लगा और अगले ही अपना हाथ उसके मम्मों पर रख दिया. आअह्ह्ह.... एकदम मखमल की तरह लग रहा था. थोड़ी देर तक ऐसे ही हाथ रखे रहा और कुछ देर बाद जब बहन की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई.. तो मेरा मन अब कुछ और करने का होने लगा.

मैं धीरे से उसकी एक चूची को दबाने लगा. कुछ देर बाद मैं चूचियों को कपड़े के अन्दर से महसूस करना चाह रहा था तो मैंने उसके कुरते के गले में धीरे से हाथ डाला ही था कि बहन ने करवट बदल ली.

लगभग 5 मिनट के बाद मैंने देखा कि बहन की गांड और मेरा लंड.. दोनों आमने सामने हैं. तभी मैंने सोचा कि चलो गांड को भी स्पर्श कर लिया जाए. तो मैं धीरे से अपना सिर उसके पैरों की तरफ करके लेट गया और उसकी गांड पर हाथ रख कर धीरे से सहलाने लगा, मेरा लंड फिर अपना आकार लेने लगा.

अब मन नहीं मान रहा था.. एक हाथ मैंने पैन्ट के अन्दर ही धीरे धीरे लौड़ा सहला रहा था और दूसरे हाथ को दीदी की लोअर के अन्दर फेरता रहा. उसकी चुत से पानी निकलने लगा.

अब मैंने देर करना उचित नहीं समझा इसलिए अपने और बहन के सारे कपड़े उतार दिए. धीरे धीरे सिर से लेकर पैर तक उलट पुलट कर चूमने लगा. बहन की नींद जाती रही. हम लोग 69 की मशहूर पोजीशन में एक दूसरे को चाट कर समाप्त करने की नाकाम कोशिश करते करते दोनों चरम सुख को प्राप्त हो गए.

अब रीटा की बारी थी उसने मुझे सर से पैर तक चाट कर उत्तेजित किया और मेरे लंड पर बजाज आलमंड आयल से मालिश की. मुझे बहन की चुत के अलावा कुछ भी नजर नहीं आ रही थी इसलिए चुत के मुँह को चौड़ा कर, लंड के टोपे को टिकाकर दबाव बनाया ही था कि बहन ने मुँह से लम्बी सांस लेते हुए गांड उछाल दी और अपनी चुत में मेरा पूरा लंड गटक लिया.

फिर सूरज उगने तक चुदाई का मैराथन दौर चलता रहा.
सुबह उठ कर मैं बाहर आ गया और हाल में बैठकर चाय पीने लगा। मामी भी पास बैठ कर चाय पीने लगी।
मैं--- मामी जी क्या आपको नही लगता मामा शायद बाहर ज्यादा रहते है और आप पर ध्यान नही देते।
मामी---हां संजू जानती हूं तुम कहना क्या चाह रहे हो पर क्या कर सकती हूं मैं?
मैं---मामी अगर ऐसा हो जाये कि मामा को भी अहसास कराया जाए कि वो गलत कर रहे है।
मामी--कैसे संजू?
मैं---- गर उनको मालूम चल जाये कि वो बाहर रह सकते है तो आप भी घर मे रहकर उनकी गैर हाजिरी में गलत काम कर सकती है।
मामी--- तुम पागल हो क्या संजू, अगर उन्हें भनक भी लग गयी तो वो काट के फैंक देंगे मुझे।
मैं---कुछ नही कर सकेंगे वो आप साथ दे तो जो इंसान खुद गलत हो तो वो दुसरो का क्या करेगा। और आप चिंता न करे मैं सब सम्भाल लूंगा।पर---
मामी--पर क्या संजू
मैं--- इस खेल में सीमा को भी शामिल करना होगा ताकि मामा देखते ही टूट जाये।
मामी--देख संजू प्रियंका तो जवान हो गयी है हमे देख कर बहक गयी लेकिन सीमा अभी बच्ची है।
मैं---- आप चिंता न करे उसकी जिम्मेवारी मेरी है अपने साथ मिलाने की ।
मामी--- क्या तुम उसके साथ भी सेक्स करोगे?
मैं--- वो समय के अनुसार देखेंगे। वैसे भी अगर उसने सेक्स करवा लिया तो पूरी हवेली में आपको रोकने वाला कौन होगा। राज करोगी मामी जान तुम। आज तक जो अरमान आपके पूरे नही हुए वो पूरे कर सकते हो।
मामी--- मुझे कुछ नही चाहिए संजू बस जो सुख तुमने मुझे दिया है। एक औरत का अहसास जो तुमने मुझमे जगाया है बस हमेशा मुझे वो चाहिए । अब मैं तुमारे बिना नही रह सकती। अगर कहोगे तो तुमारे मामा को छोड़कर तुमारे साथ शहर चलने को तैयार हूं। अब मुझे रोज तुमसे चुदाई का स्वर्गिक आनंद चाहिए । बोलो दोगे।
मैं ---हां मामी तुम्हे रोज चोदुगा, तुमारी फुद्दी में हररोज मेरा लौडा गुसेगा। बस एक बार मामा का हिसाब कर लूं बस।
मामी--- हां जानती हूं जो तुमारे मामा कर रहे है और उसका जवाब देना भी चाहिए तुम्हे।
मानती हूं भाई और बहन में सम्बन्ध बन जाते है लकीन तुमारे मामा ने अति की है अपनी बहन को रण्डी बनाया है और उसकी बेटी को भी। तुम क्या सोचते हो सिर्फ तुमारे मामा भोगते है तुमारी मम्मी और दीदी को, नही वो उनको अपने दोस्तों के नीचे भी सुलाते है। एक रण्डी से भी भत्तर जिंगदी दी है उन्हें इसने। और इसको सबक सिखाने के लिए तुम मुझसे जो भी करने को कहोगे में करुँगी।
मैं--- ठीक है मामी अब मामा को भी हम दिखाएंगे कि वो ही नही किसी को रण्डी बना सकता दूसरे भी जब अपने पे आये तो रंदीपना कर सकते है। मामी क्या तुम एक साथ दो या तीन लोगों से सेक्स कर सकोगी।
मामी--- तुम्हारे लिए कुछ भी करुँगी लकीन एक बार फिर इस शरीर पर सिर्फ तुम्हारा हक़ होगा। और तुम्हे वादा करना होगा कि ये काम करने के बाद मुझे अपनी नजरो से नही गिराओगे।
मैं--- तुम मेरे लिए सब करोगी। जब मैंने अपनी मम्मी और दीदी को नही छोड़ा तो आपको कैसे छोड़ सकता हु। आप किसी भी प्रकार का भय न रखे अपने मन मे।
और मामी को अपनी बाहों में ले लेता हूं और होंठो पर एक डीप किस करता हु।
और अगले प्लान बनाने लगता हु।
अगले दिन सुबह मैं जब बरामदे से होते हुए दूसरे कमरे में जा रहा था कि अचानक तभी सीमा ने मुझे पीछे से पकड़ लिया, अपने सीने से चिपका कर मुझे खींचते हुए चूमा और जल्दी से दूसरे कमरे में चली गईं. उस वक़्त सब कोई डाइनिंग हॉल में बैठे हुए थे.
पहले तो मैं डर गया कि कहीं सीमा मुझे पकड़ कर सबके सामने ले जाकर रात वाली बात न बता दे. क्योकि रात में उसने मुझे रीटा दीदी की चुदाई करते देख लिया था, लेकिन जब सीमा दूसरे कमरे में जाते हुए पीछे मुझे देखते हुए हंस रही थी.. तो मेरी जान में जान आयी और अब मुझे तो मानो हरी झंडी मिल गई थी.

उसके पीछे से मैं भी उस कमरे में चला गया और तभी सीमा ने मुझे कस कर जकड़ लिया और चूमते हुए धीरे से बोली- रात को काफी मज़े किये; अब मुझे कब चोदोगे?
मैं उसे मौका मिलते ही चोदने की कहते हुए एक लम्बी लिप किस कर कमरे से बाहर निकल गया.

मुझे मामी और अर्चना के साथ समय बिताना बहुत अच्छा लगता था. मामा को भी सबक सिखाना था इसलिए मैंने एक प्लान बनाया। मैंने फ़ोन करके मनोज और जय माथुर को गांव बुला लिया
तीसरे दिन आने वाले थे। मैं गांव में खेतों की तरफ घूम रहा था तो मामी ने फोन कर के मुझे आने को कहा। मैने मामी से कुछ देर तक आने का कहा।

शाम को मैं मामी के घर पहुंच गया. तो वहा मनोज और जय दोनो पहुच गए थे। दोनो से मिल कर मन बहुत प्रसन्न हुआ लेकिन मामी कहि नजर नहीं आई. तब मैं दोनो से पूछा--- सफर में कोई परेशानी तो नही हुई।
नही भाई आराम से पहुच गए, दोनो ने जवाब दिया।
मम्मी और दीदी दोनो को वहा देख कर हैरान थी।

मैं अपने दोनों दोस्तो के साथ कुछ प्लानिंग में व्यस्त हो गया और मैंने मनोज , जय को राजी कर मामी के साथ फुल नाइट मस्ती का पूरा प्लान तैयार किया।

यही कोई 9 बजे प्रियंका ने आकर हम तीनों को डिनर के लिए बुलाया.
रुक रुक कर बारिश शुरू हो गयी थी. तेज हवा के थपेड़ों से ठंडक की अनुभूति हो रही थी. दोनों मेरी बहन रीटा और सीमा अपने कमरे में दुबके कुछ पढ़ रहे थे.
मामा मामी पर चिल्ला रहे थे क्योंकी शायद उनका भी कोई प्रोग्राम था मम्मी और दीदी को लेकर और जो मेरे दोस्तों के आने से कैंसल हो गया
वे मेरे दोस्तों को देख कर कुछ सामान्य हुए और मेरे दोस्तों का हालचाल पूछने लगे. कुछ इधर उधर की बातें होती रहीं,
फिर सबने एक साथ खाना खाया और मामा बारिश कम होने के कारण पहले ही निकल लिए खेत के लिए. प्रियंका मम्मी सीमा और रीटा को लेकर उनके कमरे में चली गई.
बीच में रोक कर मैंने प्रियंका को आज का प्लान समझा कर वहीं सोने की सख्त हिदायत दे डाली.

वो मुझे सवालिया निगाह से घूरते हुए चली गई. अब मैंने मनोज को लाइन क्लीयर का मैसेज कर दिया.

मैंने उन्हें कमरे के अन्दर किया और उनके लिए बीयर की बोतलें पेश की.

कुछ ही देर में उधर मामी ने अपने हुस्न का जलवा पेश किया. आज मामी झीनी नाईटी में गजब बिजलियां गिरा रही थीं. खुले बिखरे लट जो 36-32-36 चूतड़ों तक लहराते हुए और उन्नत पर्वत की चोटी की तरह दोनों चुचे मूक आमंत्रित करते हुए उस पर गहरी नाभि और मोटी मोटी रानें झीनी नाईटी में कुछ अलग समां बांध रही थीं.

मामी को देखकर हम तीनों की वासना हिलोरें मारनें लगी. अपनी अपनी बीयर की बोतलें गटक कर तीनों यार देश दुनिया से बेखबर एक साथ मामी पर टूट पड़े. देखते ही देखते सभी के कपड़े तन से अलग होकर जमीन पर बिखरने लगे. मनोज घुटनों पर बैठ मामी की चुत चपड़ चपड़ चाट रहा था और जय उनके चूचों पर जीभ फेर रहा था.

इस कामुक नजारे को देख कर मेरी वासना और भड़कने लगी. तभी मामी लड़खड़ाने लगीं. उन्होंने एक साथ दोहरे हमले से एवं बेड पर झुक कर हाथों का सहारा ले लिया.

मनोज सामने से निकल कर उनके पीछे से चुत चाटने लगा. मुझे मौका मिला और मैंने अपना लंड मामी के मुँह में पकड़ा दिया. नीचे बैठा जय किसी पिल्ले की तरह मामी के दोनों चुचों को चूसकर लाल किए जा रहा था.
मामी को असीम आनन्द की अनुभूति हो रही थी जिससे उनकी आँखें बंद होने लगीं.

तभी एकदम से जय ने खड़े होकर अपना काला लंड हिलाया और मामी के मुँह की तरफ लपका. तो मैंने पोजीशन चेंज करके पीछे मामी की चुत में लंड सैट करके दबाव दे दिया. मेरा लंड मामी की चूत में सरक कर अपनी जगह बनाने लगा. मामी के मुँह से ‘गुं गों..’ की आवाज आ रही थी और पीछे से मेरी हर चोट पर थप थप का मधुर संगीत कमरे में गूँजने लगा.

ओह माई गॉड.. जय का लंड फूलकर किसी नाग की तरह चमक रहा था, जिसकी साईज कोई 10 इंच लम्बी और 3 इंच मोटी लग रही थी. मैंने आज तक ऐसा लंड सिवाए ब्लू-फिल्म के कहीं नहीं देखा था, पर मन ही मन मामी की होने वाली दुर्दशा से विचलित भी था.

मैं मामी को लगातार पीछे से चोदता रहा जिससे मामी एक बार छूट चुकी थीं. इसलिए संगीत की धुन अब बदल गई थी और अब ‘फच फच..’ की तान सुनाई आ रही थी. मैं चरम आनन्द पर पहुंच मामी की चुत में ही झड़ गया. तभी जय अपना खिताबधारी लंड लेकर मामी को पीठ के बल बेड पर लेटा कर मामी पर सवार हो गया. मामी ने अपनी चुत की फांकों को चौड़ा किया और जय का लंड चुत की दीवारों को रगड़ता हुआ अन्दर समाने लगा.
मामी के मुँह से चीख निकली- आईई मैं मर गईईई…

मैं बैठ कर उनकी मनोदशा को महसूस कर रहा था. अभी जय का आधा लंड बाहर था, जिसे बार बार मामी उठकर देख रही थीं. जय ने एक जोरदार ठाप लगाई और पूरा लंड जड़ तक मामी की चुत में समां गया.

मामी दर्द के मारे बिलबिला उठीं. थोड़ी देर तक मनोज और जय मामी की चूचियां बारी बारी से चूसते रहे.

कब तक खैर मनाती मामी.. जय धीरे धीरे उनकी चूत को चोदने लगा. उसका मोटा हलब्बी लंड जकड़ कर मामी की चुत में आ जा रहा था. कुछ देर बाद दर्द मजे में बदलने लगा. अब मामी चूतड़ नचा नचा कर जय के हर ठाप का जबाब दे रही थीं.
उधर मनोज मामी के मुँह को चोद रहा था. मामी एक साथ दो लंड से मजे से चुद रही थीं. वे दोनों पूरी रफ्तार में चोद रहे थे. अब मामी तेज रफ्तार के कारण उन दोनों की पकड़ से छूटने के लिए छटपटा रही थीं, पर दोनों किसी मंजे हुए खिलाड़ी की तरह हर बार पहले से ज्यादा मजबूत वार कर रहे थे.

इधर मेरा लंड भयंकर चुदाई देखकर फिर लड़ने को तैयार था और मैंने उनको रोक कर मामी को राहत देते हुए पोजीशन चेंज कर दी.

जय को बेड पर लेटाकर मामी उसके लंड पर सवार हो गईं और मनोज ने अपना 6 इंच लम्बा और खूब मोटा लंड उनकी गुदाज गोरी गांड में पेल दिया, जिससे मामी की एक जोरदार चीख निकल आई. मामी के मुँह से चीख न निकले इसलिए मैंने अपना लंड उनके मुँह में ठेल दिया. फिर भी तेज आवाज गूँज गई.
आवाज सुनकर मैंने प्रियंका को दरवाजे की झिरी से झांकते हुए पाया, जिसकी नजरें मुझसे मिलीं, तो वो वापस चली गई.

जय और मनोज पूरे मस्त होकर मामी की सैंडविच चुदाई कर रहे थे और मामी भी उनका भरपूर मजा ले रही थीं. मैंने उनको एक दूसरे से गुंथते छोड़ कर कमरे से बाहर निकल कर बाहर से दरवाजा लॉक कर दिया.
और बाहर आकर मनोज के नंबर से मामा को काल किया और काफी बेल जाने पर मामा ने फ़ोन उठाया।
तब मैंने मामा को आवाज चेंज करके घर आकर एक बार उनकी पत्नी को देखने को कहा।
मुझे ये मालूम नही था कि मामा खेत मे न जाकर हवेली में ही पीछे के कमरे में मम्मी के साथ चुदाई कर रहा है , फ़ोन कटने के बाद ही 10 मिनेट में मामा वहा आ पहुचा।

जब मामा मामी के कमरे में गया तो देखा मामी जय के लंड पर सवार अपनी गांड फड़वा रही हैं और जय मामी से बार बार छोड़ देने की गुहार कर रहा था, पर मामी अपना पानी निकलने के बाद ही रुकी.
मामी के चेहरे से आत्म तृप्ति के भाव छलक रहे थे, भले ही उनकी गांड और चुत दोनों लहूलुहान हो चुकी थीं. जय के लंड के भी पपड़ियां छिल गई थीं. कुल मिलाकर तीनों जंग जीत चुके थे पर बुरी तरह घायल थे.
मामा ये देखकर कि उनकी पत्नी खुद जवान लड़को से चुदवा रही है तो बहुत हैरान रह गए। अपनी पत्नी का ये हवसी पन उन्होंने पहली बार देखा था जिसमे उसने जवान लौंडों को भी हाथ जुड़वा दिए थे।
मामा मामी और मेरे दोस्तों के साथ कुछ करते उससे पहले ही मैं वहा आ गया और मुस्करा कर मामा से बोला--- अरे मामा आप , खेत से कब आये।
 
मामा--- हरामखोर तेरे ये दोस्त क्या कर रहे है तुम्हारी मामी के साथ?
मैं--- क्यो मामा पसंद नही आया तुम्हे? मुझे तो लगा कि तुम्हे अपनी घर की औरतों को बाहर कर मर्दो से चुदवाना पसंद है। पसंद नही आया मामी का रण्डी रूप।
मामा--- साले रण्डी की औलाद तेरी ये हिम्मत तू मेरे ही घर मे मुझे बात सुना रहा।
मैं--- अभी तूने देखा सुना ही क्या है मामा आगे देख होता है क्या,
मामा मेरी तरफ बढ़ता है तभी प्रियंका वहा आ जाती है, और अपनी बेटी को देखकर मामा रुक जाता है।
प्रिंयका--- पापा आप और संजू रात को क्या बात कर रहे है। आप तो खेत गए थे अभी यहा क्या कर रहे है।
तभी मामी बाहर आ जाती है और कहती है अरे ये रात में क्या मिटिंग लगा रखी है?
तभी हमारे पीछे से मनोज और जय भी आंख मलते हुए आ जाते है। जैसे अभी उठे हो। मामा उनको देख के चौक जाता है ये लोग कमरे में थे अभी वहा से कहा आ गए।
फिर मामा मोके की नजाकत को समझ कर वहा से निकल जाता है।
प्रिंयका--- मम्मी ये पापा कहा से आ गए। और संजू तुम क्या बात कर रहे थे पापा से। ऐसे लग रहा था कि तुम झगड़ा कर रहे थे पापा से।
मैं---- अरे बुधु मैं तो उनका ध्यान भटका रहा था अगर सीधे कमरे मे जाते तो आज मामी गयी थी उपर।
फिर हम ठहाका लगा कर हंसते है और अपने अपने कमरे के चले जाते है और सो जाते है।
सुबह उठकर मैं पहले जय और मनोज को आगे क्या करना है समझकर वापिश भेज देता हूं।
उनको विदा करके जैसे ही मैं हाल में आता हूं मेरे मुह पर झनातेदार एक थप्पड़ पड़ता है
मैं अपना गाल सहलाते हुए देखता हूं तो सामने मम्मी खड़ी थी।
मम्मी---- कुते तेरी हिम्मत कैसे हुई अपनी मामी के साथ ये सब करने की।
मैं---- मैंने क्या किया मम्मी।
मम्मी---- अपनी मामी को अपने दोस्तों के सामने परोस दिया।
मैं-- तुम्हे किसने कहा कि मैंने ये सब किया? तुम तो अपने कमरे में सो रही थी न उस समय।
मम्मी अब बगले झांकने लगती है।
तभी आवाज गूंजती है---- दीदी क्या तुम ही रण्डी बन सकती हो मुझमे क्या कमी है। संजू की कोई गलती नही मैं खुद उन लड़कों से कुतिया बन कर चुदी हु। जब मेरे पति को बहन चोदने से फुरसत नही तो मै क्या करती। मैं भी जवान हु मेरे भी अरमान है क्या तुम्हें ही हक़ है मस्ती करने का , मैं नही कर सकती मस्ती----- मामी एक ही सांस में क्या क्या बोलती चली गयी उनको खुद मालूम नही चला होगा।
मम्मी बस उनको सांस रोके देखते ही चली गयी।
तभी मैंने देखा कि मामा ऊपर खड़े सब देख और सुन रहै है और मामी का चंडी रूप देख हतप्रभ थे।

और तभी मामी मामा को देखते हुए मुझे अपने साथ कमरे में लेकर बन्द हो गईं.

मामी ने आज मुझे एक गिलास मलाईदार दूध के साथ एक सेक्स की गोली लेने के लिए दिया. आज मामी थोड़ी गंभीर लग रही थीं, वे बहुत आराम से मुझे आलिंगन कर एक एक कपड़े उतारती रहीं. थोड़ी ही देर में हम लोग आदि मानव की तरह नंगे एक दूसरे में समा जाने की बेकार कोशिश कर रहे थे. मैं मामी को फॉलो करता रहा, मामी जैसे करतीं, मैं भी वैसे करता रहा.

हमने एक दूसरे के शरीर को चूम कर गीला कर दिया. अब मामी की सांसें धौंकनी की तरह चल रही थीं. मैं उनके एक निप्पल को चुटकी से मसलता और दूसरे को मुँह में लेकर चूस रहा था. उनकी सांस उखड़ने लगी थी, तभी मामी ने 69 की स्थिति में आकर खेल का रुख बदल दिया.

अब हम एक दूसरे के गुप्तांग चाटने लगे.. मुझे उस आनन्द की अनुभूति को बयान करने के लिए शब्द नहीं हैं.

मामी एक बार झड़ चुकी थीं, उनकी चुत से निकलता काम रस मेरी उत्तेजना बढ़ा रहा था. फिर मामी ने लंड डालने का संकेत किया, मैंने बहुत सावधानी से उनकी टांगें ऊपर कर चुत पर टोपा टिका कर दबाव बनाया और लंड आराम से अपने मांद में समा गया. लंड के घुसते मामी बुरी तरह सिसकार उठीं और चीख पड़ी उनकी चीख हवेली में गूंज उठी, तो मैं भी मौके पर चौका मारते हुए उनके मम्मों को दबाने लगा. वो धीरे से आँख बंद करके चूचों को मसलवाने के मजे लेने लगीं.

उन्होंने धीरे से कान में कहा- तुम नीचे हो जाओ.. मैं ऊपर आती हूँ.
मैंने वैसे ही किया, उसके बाद मामी मेरे मूसल लंड पर सवार होकर बेतरतीब उछलने लगीं. हर बार उनके गुदाज चूतड़ मेरी वासना भड़का रहे थे. नजर के सामने दो झकाझक सफेद चुचियां ऐसे उछल रही थीं, जैसे कि दो कबूतर उड़ने को बेताब हों.

पूरे कमरे में मामी की कामुक सिसकारियों के साथ थप थप का संगीत गूँज रहा था, जो माहौल को गर्म कर रहा था.

मामी आगे पीछे, दाएं बांए होकर चुत रगड़ रही थीं, जैसे चुत की महीनों की जंग छुड़ा रही हों. लगभग बीस मिनट में मामी की गति तेज हो गई और हर धक्के के साथ वे चीखकर गरम लावा छोड़ने लगीं. इसके बाद मामी मेरे ऊपर निढाल हो गईं.

तभी मुझे दोनो भाई बहन झरोखे से झांकते दिखे। मामा और मम्मी बाहर से कमरे का कार्यक्रम देख रहे थे।

तभी प्रियंका भी कमरे में आ गई. बहन को देख कर मेरी खुशी का ठिकाना न रहा. पिछले तीन दिन में बहन की काया ही बदल गई थी, मेरी बहन के चूतड़ पहले की अपेक्षा भारी हो गए थे और चुचियां बिल्कुल तन गई थीं. देखने पर वो एक सेक्स की देवी लगने लगी थी.

मैंने मामी को नीचे बेड पर लेटा कर प्रियंका को अपनी बांहों में भर लिया. वो धीरे से मुझे चुम्बन करने लगी और अपने होंठों को मेरे होंठों के साथ सटा कर उसने एक लम्बा चुम्बन किया. मैं भी धीरे से उसके मस्त मम्मों को दबाने लगा. अपने रसीले मम्मों को दबवाते ही वो एकदम से गर्म हो गई और इधर मेरा लंड भी उफान पर आ गया था.

प्रियंका ने मेरे लंड को पकड़ लिया और उसे हाथ में लेकर सहलाने लगी, मैंने भी उसकी चूत को ऊपर से ही मसलना शुरू कर दिया. थोड़ी देर बाद प्रियंका के सलवार सूट को मैंने उतार दिया, मेरी मस्त बहन ने अन्दर काली ब्रा और काली पैन्टी पहनी हुई थी. उसकी जालीदार ब्रा के हुक को मैंने धीरे से खोल दिया.

आह्ह..… क्या तने और कसे हुए चूचे थे. एक बार चुदने के बाद उनमें आज गजब की चमक बिखर रही थी. मुझसे रहा नहीं जा रहा था, मैं दोनों हाथों से उसकी चूचियों को सहलाने और दबाने लगा, मेरी बहन भी धीरे धीरे सिसकारियाँ लेने लगी.

फिर उसने कहा- भाई इन्हें चूस चूस कर इनका रस निकाल दो.

मैं भूखे शेर की तरह अपनी बहन के मम्मों पर टूट पड़ा और उसकी चूचियों को दबाने और चूसने लगा. कुछ देर बाद मैंने अपनी बहन की पैन्टी के अन्दर हाथ डाल कर उसकी चूत को मसलने लगा.
अब मेरी बहन ने मेरे लंड को पकड़ा और हिलाने लगी. अगले कुछ ही पलों में मेरा 8 इंच का लंड दुबारा तन कर उसके सामने खड़ा था. मेरी बहन भी भूखी शेरनी की तरह लंड को निहारने लगी और मेरे लंड को अपने मुँह में लेकर लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी.
‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ क्या मजा आ रहा था.. ऐसा लग रहा था कि मैं मानो हवा में उड़ रहा होऊं.

उधर मामा और मम्मी दोनो आंखे फाड़े देख रहै थे कि जो उन्होंने बोया था आज वही काट रहे है।

इधर मामी भी अपनी सांसों को नियंत्रित कर के अपनी बेटी की चुत चाटने लगी थीं. कुछ देर लंड चूसने के बाद प्रियंका बेड पर लेट गई और उसने अपने दोनों पैर फैला लिए और मुझे चूत चोदने के लिए बुलाने लगी. मैं उसकी दोनों टांगों के बीच में जा कर बैठ गया और झट से उसकी चूत को चूम लिया.

मेरे मुँह लगाते ही मेरी बहन के मुँह से मादक सिसकारी निकल गई- आआह्ह्..

मैं प्रियंका की चूत को चूसने लगा और अपनी जीभ को उसकी चूत के बीच डाल कर काम रस को चाटने लगा. करीब दस मिनट में प्रियन्का पागलों की तरह मेरा सिर अपने हाथों से पकड़ कर अपनी बुर में दबा रही थी और चुत चोदने की मिन्नत कर रही थी- आह.. अब चोद भी दे भाई.. चोद दे..

मैं अपना लंड प्रियंका की चूत के छेद के पास ले जाकर डालने की कोशिश करने लगा. लेकिन मैं लंड डालने में सफल नहीं हुआ.. तो मामी ने मेरी मदद करते हुए मेरे लंड के सुपारे को चूत के छेद के निशाने पर लगा दिया.

तभी मैंने धीरे से एक झटका लगा दिया. मेरे लंड का सुपारा प्रिंयका की बुर में घुस गया. लेकिन प्रियंका को दर्द नहीं हुआ तो मैंने पूछा- दर्द क्यों नहीं हुआ?
तो उसने मुस्कुराते हुए कहा- मेरी चूत की झिल्ली फाड़ चुके हो भाई, अब दर्द नहीं होगा.
ये सुन कर मैंने एक और तेज़ झटका लगा दिया और मेरा पूरा 7 इंच का लंड उसकी चूत के अन्दर समां गया.

इस झटके से उसको थोड़ा सा दर्द हुआ.. तो मैं रुक कर उसको चुम्बन करने लगा और चूचियों को दबाने लगा. कुछ देर बाद जब प्रियंका सामान्य हुईं तो मैं अपने लंड को आगे-पीछे करने लगा.
मेरी बहन के मुँह से मस्त आवाजें आने लगीं- आआह.. आअईई.. फाड़ दे बहनचोद!

मैं भी तेज़ी से झटके देने लगा कुछ देर बाद प्रियंका भी गांड उठा उठा कर साथ देने लगी. दस मिनट बाद उसका बदन अकड़ गया और वो झड़ गई.. पर मैं रुका नहीं.. उसे यूं ही धकापेल चोदता रहा.

इधर मामी फिर से दोनों टांगें ऊपर कर तैयार थीं, मैंने प्रियंका की चूत से गीला लंड खींचा और मामी की चुत में पेल दिया और जोर जोर से चोदने लगा.
उधर कुछ ही पल में प्रियंका फिर से चुदासी हो गई और उसने भी चुदाई की मुद्रा में अपनी चूत खोल दी.

मामा अपनी पत्नी और बेटी की चुदास देख कर हैरान थे। उन्होंने किया लेकिन छुप कर किया यहाँ दोनो उनके सामने चुद रही थी।

अब कभी मैं मामी की चुत में.. और कभी प्रियंका की चुत में बारी बारी से लंड पेल कर उन दोनों को चोदता रहा. पूरे कमरे में चुदाई की संगीत ‘फच.. पछह’ बिखरने लगा. काफ़ी देर तक चोदने के बाद दूसरी बार मामी झड़ने लगीं, तब मैं भी झड़ने वाला हो गया था.

मैंने लंड को मामी की चुत में से निकाल कर प्रियंका के मुँह में लगा दिया. मेरी बहन ने मेरे लंड का सारा का सारा वीर्य पी लिया और मेरे लंड को चाट चाट कर साफ़ कर दिया.
उसके बाद मैं, मामी और प्रियंका नंगे ही एक दूसरे से लिपट गए और मामा को देखकर मुस्कराने लगे.

उस दिन मामा के सामने प्रिंयका को मैंने दो बार एवं मामी को तीन बार चोदा.

जब हम फ़ारिग़ हुए तो मामा हवेली से जा चुके थे। मम्मी बाहर हाल में बैठी मिली।
 
हम तीनों को देखकर मम्मी खड़ी हो गयी। और हिरकत कि नजरो से देखने लगी।
मैं---- क्यो मम्मी कैसा लगा शो?
मम्मी खामोश खड़ी रही।
मम्मी--- देख बेटा जो तेरे मामा ने किया गलत था लेकिन जो तुम लोग कर रहे हो उससे भी गलत है। ये ठीक नही हो रहा ।
मामी--- साली कुतिया अब तुझे ये सब गलत दिख रहा है जब तूने एक बार भी अपने भाई को नही रोका। मे्रे सामने ये नही चलेगा कि तू मजबूर थी। पहले जब कुँवारी थी तो चाहती तो ससुर जी को बताकर रोक सकति थी लेकिन नही रोका। फिर जब तेरी शादी हुई तो तू अपने पति को बता सकती थी लेकिन फिर भी तूने ये सब होने दिया। फिर अपने बेटे को भी नही बताया। अरे निर्बल नारी इतनी कितनी अबला है तो जो तेरे साथ इतना हो गया और तू कुछ न कर सकी। अब भी जब तेरा बेटा तेरे साथ है तू नही रुक रही । ऐसी क्या मजबूरी है तेरी। देख तेरे कोई बहाने मेरे सामने नही चलेंगे। मैं मेरे पति को अच्छे से जानती हूं वो कितना कमीना है और कितना नही। और आप कितनी कमिनी हो जानती हूं तूने ये सब इसलिए किया कि इस परिवार पर आपकी हकूमत रहे। जो आप चाहो वो हो। मुझे कभी भी तुमने इस परिवार में हिस्सा नही बनने दिया। हमेशा ही मुझे एक नॉकरानी की तरह रखवाया।
मम्मी---- नही बेटा ये झूठ बोल रही है अपने पति को सही साबित करना चाहती है। मैंने अपनी मर्जी से कुछ नही किया। तुमारे मामा ने मजबूर किया है मुझे।
मैं---- बस करो मम्मी कितना झूठ बोलोगी तुमारी सचाई तो मैं बहुत पहले जान गया था कि इस सब मे तूम खुद शामिल हो। अपनी मर्जी से । मामा से आपने कराया जो आपको अच्छा लगा। दीदी को सुलाया मामा के नीचे क्योकि वो जान गई थी तुमारी रासलीला। कहि पापा को न बता दे । किरण दीदी को भी ऐसे ही बनाना चाहती थी लेकिन पहली बार मे ही पापा को मालूम चल गया। दीदी को शादी के बाद भी तुमने ही उस्काया और उनका घर नही बसने दिया। तुम्हे एक नशा है चुदाई का और उसको पूरा करने के लिए तुमने ये सब किया। और इस नशे का आदि तुमने मामा और फिर दिदी को बनाया। शायद पापा ने आपका ये रूप देख लिया होगा इसलिए उनकी मौत हो गयी।
मम्मी बस बैठे रोये जा रही थी और खुद को बेकसूर बता रही थी।
फिर मामी ने रोये जा रही मम्मी के मुँह पर ज़ोर से थप्पड़ मारा तो मैंने देखा कि मामी मम्मी की तरफ बहुत गुस्से से देख रही थी।
फिर मैंने कहा मामी आपने मम्मी को मारा क्यों?
तो उन्होंने मम्मी को और एक ज़ोर से थप्पड़ मारी, मैं तो देखता ही रह गया।
फिर मामी ने कहा कि साली रण्डी ड्रामा कर रही है। कुँवारी ही गांव के बाहर जंगलों में साधु से कोन चुदबाती थी? पूछो इससे। फिर तुमारे मामा को मालूम चल गया तो उस साधु के साथ मिलके उसे भी साथ मिला लिया और इस हवेली में ही पीछे रात रंगीन करने लगी। चलो तुम दिखाती हु इनका अय्यासी का अड्डा।
फिर मामी मम्मी को बालों से पकड़ कर उठाती है और हवेली के पीछे ले चलती है।
मैं और प्रियंका दोनो उनके पीछे चले जाते है। हवेली के पीछे एक कमरे में अलमीरा के अंदर से गुप्त दरवाजे के पीछे हालनुमा एक बड़ा कमरे में हम पहुचे।
वहा बीचो बीच एक बिस्तर था गोल। और एक सैफ जिसमे शराब थी महंगी से महंगी। तरह तरह के सेक्स टॉय देशी और विदेशी। एक बड़ी स्क्रीन होम थिएटर के साथ।
मामी--- ये है इनका अय्यासी का अड्डा। जहा ये हवस का नँगा नाच करते है। मैं ये नही कह रही तुमारे मामा दोषी नही है लेकिन उससे बड़ी दोषी ये है तुमारी मम्मी। मैंने खुद इनको हवस में अंधी हो यहा एक साथ पांच पांच मर्दो के साथ चुदाई करते देखा है।

फिर मामी ने मम्मी के पेट पर लात मारी और कहा---चल रण्डी खोल उस ड्रॉर को ।
मम्मी को धसीते हुए वहा तक ले गयी। मम्मी ने सिसकते हुए वही से एक चाभी निकाली और ड्रॉर खोली।
मामी ने उसमे से एक सीडी निकाली और स्क्रीन पर प्ले कर दी।
सीडी प्ले होते ही।
हर तरफ सिसकारियों की आवाज गूँजने लगी। और स्क्रीन पर मम्मी का चेहरा उभरा जो एक आदमी के लण्ड के उपर बैठ कर चुद रही थी। और दो आदमी के लण्ड को अपने हाथों में पकड़ कर मुठिया रही थी।
सिसकते हुए खुद को चोदने को बोल रही थी।
" हराम खोरो चोदो जोर लगा कर , क्या खसियो की तरह लग रहे हो। आज अगर तुमने मुझे बीच मे छोड़ा तो सबके गांड में गोली मारूंगी।
सब के सब मजदूर टाइप आदमी थे और लग रहे थे कि नशे में हो और मम्मी उनपर सवार थी रण्डी की तरह।
मुझसे ये सब नही देखा गया और मैंने स्क्रीन बन्ध कर दी। और वही घुटनो पर बैठ गया। मम्मी का ये रूप देख कर मैं टूट गया था।
मामी---- आजतक ये जब भी हवेली आयी थी मुझे इसने नोकरो की तरह समझा है। आज मेरी बारी है।
मामी ने मम्मी के बाल खिंच कर जमीन पर पटक दिया और बोली-----आज से में तेरी मालकिन हूँ और तू मेरी कुत्ति है और घरवालों के लिए में तेरी भाभी और अकेले में तेरी मालकिन हूँ समझि।
फिर मामी ने एक चांटा और मारा और कहा कि मुझे मालकिन बोल मादरचोद, तमीज़ नहीं सिखाई और कहाँ गई तेरी अकड़, माँ चुदवाने।
मम्मी ने कहा आह भाभी क्या कर रही हो माफ कर दो मुझे,
तो मामी बोली -- माफी रंडी कहीं की इतनी जल्दी डर गई।

फिर उन्होंने कहा कि तू मेरा कुत्ती बनने के लिए तैयार है या नहीं,
तो मम्मी ने कहा में तो आपकि कुत्ती हूँ मालकिन,
तो मामी बोली कि जल्दी ही सिख गयी।
फिर उन्होंने कहा चल अपने दोनों पैरो पर खड़ी हो जा और मम्मी खडी हो गयी।।
फिर उन्होंने मम्मी को अपने सारे कपड़े उतारने को कहा और मम्मी ने अपने कपड़े निकाल दिए। अब मम्मी बस चड्डी में ही थी,
तो मामी मम्मी के पास आई और उनके गाल पर ज़ोर से थप्पड़ मारी और मम्मी नीचे गिर गयी। फिर उन्होंने कहा कि मैंने तुझे तेरे पूरे कपड़े उतारने को कहा था तो तूने चड्डी क्यों नहीं उतारी? फिर उन्होंने एक झटके में मम्मी की चड्डी उतार दी और उसे मम्मी के मुँह मे भर दी। फिर बाद में उन्होंने मम्मी को पीठ के बल लेटने को कहा और मम्मी ने वैसा ही किया।
फिर मामी चलते हुए मम्मी के पास आई और कहने लगी कि तू मुझे अपनी दासी समझती थी ? तो मम्मी ने कुछ नहीं कहा। फिर उन्होंने अपनी हील वाली सेंडल मम्मी की चुत पर रख दी और दबाने लगी
तो मम्मी ने कहा मुझे माफ कर दे, तो वो हंस पड़ी और मम्मी के सीने पर आकर खड़ी हो गई।

फिर उसके बाद उसने मम्मी के मुँह के आगे अपनी सेंडल रखी और मम्मी को उसे चाटने को कहा तो मम्मी चाटने लगी।
उसके बाद उन्होंने मम्मी से उनके पैर भी चटवाए।
मैं मामी का ये रूप देख कर हैरान खड़ा था। मैं शायद ही मम्मी को ये सजा दे पाता लकीन मामी उनको जो सजा दे रही थी उसको देख कर मालूम चल रहा था कि मामी ने उनके कितने जुल्म झेले होंगे और न जाने कब से जो आज बाहर उनका गुस्सा बनकर निकल रहा है।
एक औरत होकर जो मम्मी ने मामी के साथ किया था वो अब खुद भुगत रही थी।
प्रियंका डरी हुई एक कोने में खड़ी थी।

फिर मामी ने मम्मी से कहा कि तुझे तेरे बेटे से चुदना है,
तो मम्मी के जवाब देने से पहले मैंने कहा नहीं,

मामी ने मुझे देखा और बोली कि तुझे अपनी मामी को भी चोदना है, तू तो बहुत ही बड़ी मादरचोद का बेटा है रे।
फिर उन्होंने कहा कि चल रण्डी अभी तेरी बरसों की ख्वाइश पूरी कर देती हूँ,
उसके बाद मामी ने अपनी नाइटी उतार दी और मम्मी को भी नँगा कर दिया।
मामी ने मुझे और प्रिंयका को भी कपड़े उतारने को कहा। मामी एक तरह से मानसिक रूप से विशिप्त दिख रही थी।
प्रियंका पूरी नंगी खड़ी हो गई। मामी का रूप देखकर प्रियंका का मूत बाहर आ गया और फर्श पर गिर गया। उसे देख मामी ज़ोर ज़ोर से हंसने लगी और मम्मी से कहा कि अब तू इसे पूरा साफ कर और वो भी चाट कर और अगर मुझे मूत की एक भी बूँद दिखी तो मैं तेरी चुत में मिर्ची भरवा दूँगी और वो हंसने लगी।

फिर मम्मी ने मूत को चाट कर साफ किया और मामी के पैरो पर जाकर गिर पड़ी। फिर मामी ने मम्मी को लेटाया और उनके ऊपर आ गई और मम्मी से कहा कि चल अब तू मेरा मूत पीयेगी
और मेरे कुछ बोलने के पहले ही उन्होंने अपने पेशाब को मम्मी के मुँह में छोड़ दिया।
फिर मम्मी ने मजबूरी में उस मूत को पूरी तरह से पी लिया और
उसके बाद मामी बोली कि चल अब मेरी गांड चाट कर साफ कर और मम्मी के मुँह पर आकर बैठ गई।
प्रियंका और मैं दम सादे सब देख रहे थे।
फिर मम्मी ने उनकी गांड साफ़ की और चूत को भी चाट कर साफ किया। इसके बाद मामी ने मुझे अपने पास खड़ा होने को कहा और फिर उन्होंने मेरा लंड हाथ में पकड़ा और देखते ही देखते मेरा लंड खड़ा हो गया तो मामी बोली कि वाह मेरे बेटे तेरी मामी का हाथ लगते ही तेरा ये लंड बड़ा हो गया और उन्होंने कहा कि तेरा लंड तो तेरे मामा से भी बड़ा है, कैसे किया बड़ा? ज्यादा मुठ मारता है क्या? या फिर अपनी मामी को चोदने के लिए इतना बड़ा किया है। देख बड़वी बाहर चुदती है और यहा तेरे बेटे का लौडा क्या मस्त है।
फिर मामी ने मेरे लंड को मुँह में लेना शुरू किया और मुझे नशा चढ़ने लगा और में हल्की-हल्की सिसकियां ले रहा था आआआअ आआहह अहह ऐसी आवाज़े निकल रही थी।
तभी अचानक से मेरी मामी पीछे हटी और मम्मी से बोली कि रंडी साली कुतिया तू अभी तक वही पड़ी है.. चल उठ साली हरामजादी। तो मम्मी जल्दी से कांपती हुई उठकर खड़ी हो गई।

फिर मामी बोली कि अभी तो बहुत कुछ बाकी है और अब तू इस घर के कुछ नियम सीख ले.. घर पर तुझे सब रंडी या गालियाँ देकर ही बुलाएँगे और तुझे घर में एक नौकरानी की तरह बाकी नौकरो के साथ काम करना पड़ेगा। मैं जो कपड़े दूँगी तू वो ही पहनेगी और तू किसी भी काम के लिए कभी भी मना नहीं करेगी। फिर मम्मी यह सब बातें सुनकर बहुत डर गयी। तो फिर मेरी मामी ने मम्मी को इसके आगे बताया कि तू इस घर की रंडी बनकर रहेगी। आज तेरी मुहं और चूत दिखाई होगी.. तू घर के सभी लोगो को खुश और संतुष्ट करेगी।
यह बात सुनकर तो मम्मी बहुत चकित रह गयी।
अरे रंडी बुहा तू क्या माल लग रही है? जब मेरा नंबर आएगा तो में तेरा वो हाल करूँगी कि तू सोच भी नहीं सकती.. चल अभी के लिए एक चुम्मा ही दे दे और यह कहकर प्रियंका ज़बरदस्ती मम्मी को चूमने लगी और मम्मी के बूब्स दबाने लगी । फिर प्रियंका बोली कि चल कुतिया अभी अपने बेटे को अपनी चूत दिखा और फिर प्रियंका ने मम्मी को मेरे पास छोड़ा। तो मम्मी की चुत प्रियंका के चूमने और बूब्स दबाने से गीली हो गयी थी। फिर मैंने मम्मी को दया भरी नजर से देखा.. तभी मुझे मेरी मामी की आवाज़ आई कि रंडी की चुत के अपना लण्ड गुसओ।
मैं---- मामी बस करो अब । लेकिन मामी अभी तक शांत नही हुई। और मम्मी को बोली----
इधर आ जा और अपने घुटनों पर बैठकर कुतिया बन जा।
मम्मी मेरी तरफ देखती रही

तभी मामी गुस्से में बोली कि साली रंडी हरामजादी तू क्या खड़ी है चल अब यूँ ही घुटनों के बल बैठकर कुतिया जैसे चलकर मेरे पास आ और मेरे चुत चाट। फिर जब मम्मी घुटनों पर कुतिया बनने के लिए बैठी तो दोनों बूब्स नीचे लटक गये और मेरी मम्मी की नंगी गांड दिखने लगी और मुझे बहुत दया आ रही थी मम्मी पर.. लेकिन मेरे पास और कोई रास्ता भी नहीं था। फिर मम्मी वैसे ही कुतिया की तरह अपने घुटनों के बल मामी के पास गयी और उनकी चुत चाटने लगी.. मेरी मम्मी का मुहं नीचे अपने काम में लगा हुआ था और मम्मी की गांड के ऊपर मेरी मामी अपना एक हाथ फिराकर दबा रहे थी। फिर मामी मम्मी से बोली कि अब तू अपने बूब्स मेरे पैर पर रगड़ और अपने बेटे का लण्ड मांग।

फिर मम्मी अपने लटकते हुए बूब्स मामी के पैरों पर रगडे और गालियाँ देनी शुरू की.. मालिकन में रंडी, हरामजादी कुतिया हूँ.. मालिकन मैं अपने बेटे के लंड की प्यासी हूँ.. मालिकन मुझे उसका लंड चूसने दीजिए। मेरी चूत पर रहम करो.. मालिकन में आपकी रंडी हूँ।
मम्मी ऐसे कह रही थी तभी मामी अपनी चुत मम्मी के मुह पर लगा दी मम्मी के बाल पकड़ कर ज़ोर ज़ोर से हिलाने लगे.. मामी ने जल्दी ही मम्मी के मुहं में सारा पानी छोड़ दिया और यह सब देख रही प्रियंका भी गरम हो गयी थी और अपनी चूत में उंगली कर रही थी। तब मेरी मामी ने कहा कि अब जा साली रंडी अपनी भतीजी की चूत चाट.... मम्मी वैसे ही कुतिया बनकर प्रियंका के पास गयी। प्रियंका ने अपनी गीली चूत फैला दी और मम्मी उसकी चूत चाटने लगी। तभी मामी पीछे से छड़ी लेकर आए और मम्मी की गांड में डाल दी । मम्मी बहुत ज़ोर से चिल्लाई तो प्रियंका ने मम्मी को चार जोरदार थप्पड़ मारे और गालियाँ दी.. रंडी कमिनी क्या पहली बार तेरी गांड मारी जा रही है।
मम्मी चुप हो गयी और मम्मी प्रियंका की चूत वापस चाटने लगी। तो प्रियंका अपनी चूत चटवाते हुए सिसकियाँ ले रही थी और अपने बूब्स ज़ोर ज़ोर से दबा रही थी।
.. मम्मी भी बहुत गरम हो गयी थी और प्रियंका भी अब एक बार झड़ चुकी थी.. लेकिन मम्मी अभी भी आहह आह्ह्ह कर रही थी और कह रही थी और चोदो मुझे प्लीज् चोदो मुझे एक बार चोद दो.. मामी ने मुठ मार कर मेरा वीर्य ज़मीन पर झाड़ दिया.. लेकिन मम्मी अभी तक एक बार भी झड़ी नहीं थी और चुदाई के लिए तड़प रही थी। तो यह देखकर मेरा मामी बोली कि साली रंडी और चुदना चाहती है ना.. फिर मम्मी ने कहा कि जी मालिकन तो उन्होंने एक मोटी सी मोमबत्ती ली और मम्मी की चूत में डाल दी और कहा कि अब उछल साली हरामजादी कुतिया.. अब तू इस मोमबत्ती को और चूत को हाथ मत लगाना और शाम तक तड़प। फिर मेरी मामी बोली कि चल यह ज़मीन पर पड़ा वीर्य सब अपनी जीभ से चाटकर साफ कर। मम्मी ने मेरा वीर्य चाट कर साफ कर गयी। लगा ही नही की जबरदस्ती कर रही है चेहरे से लग रहा था कि मजे से कर रही है।
फिर मामी ने मम्मी से कहा कि अब जा देख तेरा गण्ड मरा भाई कहा गांड मरवा रहा है। और जाकर अपनी चुत मरवा। अपने भड़वे को बताना मत तेरे साथ क्या हुआ है अभी उसका प्रोग्राम बाकी है। बस नंगी होकर जा और उसका लंड अपने मुहं में डालकर रखना । कुछ भोंकना मत , बाकी का काम में तुझे कल सुबह चाय पर बताउंगी।
और मम्मी को वही छोड़ कर मामी मुझे और प्रियंका को लेकर वापिश हवेली आ गयी।
 
हवेली पहुचने पर प्रियंका मुझे सीधा रूम में लेकर घुस गई और अपनी चुत में लगी आग को मेरे लण्ड के पानी से बुझाया। जब मै प्रिंयका के कमरे से बाहर निकला तो सामने सीमा खड़ी थी। मैंने चुपचाप उसको अपने कमरे के अन्दर ले गया तो वो अन्दर आ कर सोफे पर बैठ गई, मैं भी वहीं नज़रें नीची करके बैठ गया।

वो बोली- संजय, यह सब क्या चल रहा है?

मैं कुछ नहीं बोला तो वो बोली- अब नज़रे नीचे करके क्या बैठा है, जवाब दे मुझको? मैंने सब देख लिया है मैं तो सोच भी नहीं सकती थी कि तू ऐसा है। उस दिन रीटा दीदी और आज प्रियंका दीदी के साथ।

मुझको लगने लगा था कि आज मेरी खैर नहीं पर अब क्या कर सकता हूँ।

उसने मुझको अपने पास बुलाया तो मैं चुपचाप उठ कर उसके पास गया। वो क्या बोल रही थी, डर के कारण मुझको कुछ समझ नहीं आ रहा था।

तभी उसने मेरा हाथ पकड़ कर कहा- अब बचना चाहते हो तो मेरा कहना मानना होगा !

मैंने कहा- सीमा, गलती हो गई ! माफ़ कर दो !

तो वो बोली- गलती तो तुमने की है पर अब बचने के लिए तुमको एक गलती और करनी पड़ेगी ! मेरी तरफ देखो ! तुमको मेरे साथ भी वही करना पड़ेगा जो तुमने मेरी बहन के साथ किया है !

यह सुन कर मैं एकदम सकते में आ गया, मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि मेरी किस्मत इतनी अच्छी कैसे हो गई है ? अपनी बहन के साथ देख कर भी इसने अपना फैसला नही बदला।

मेरे सामने एक 18 साल की भरपूर जवान लड़की बैठी है और खुद मुझको चोदने को कह रही है।

मैंने जब पहली बार सीमा को देखा था तब से ही यह इच्छा मेरे मन में थी, पर वो उम्र में छोटी थी और गुस्से वाली भी थी। तो कहना तो दूर, उनको ठीक से देखने की भी हिम्मत नहीं हुई। पर आज वही लड़की मेरे पास बैठी थी। मैंने उनको सर से पाँव तक देखा। काला टॉप और सफ़ेद स्कर्ट में वो बहुत सुन्दर लग रही थी। रंग इतना साफ़ जैसे दूध हो !

मैं उनको देख ही रहा था कि वो बोली- क्या सोच रहा है ? क्या मैं प्रियंका जितनी सुन्दर नहीं हूँ?

मैंने कहा- ऐसी बात नहीं है सीमा !

वो बोली- तो क्या सोच रहा है?

इतना कह कर उन्होंने मेरा हाथ अपनी टांगों पर रख दिया। कसम से जैसे ही उन्होंने यह किया, मुझको कर्रेंट सा लगा। कितनी चिकनी टांगें थी उनकी ! बिल्कुल मखमल की तरह ! प्रियंका और उसमें जमीन-आसमान का फर्क था। मैंने सोच रहा था कि कहाँ मैंने इतने दिन खराब कर दिए। उसी दिन चोद देना था इसको।

मैंने हिम्मत करके उनके पैरों पर हाथ फेरना शुरु कर दिया। वो सोफे पर थोड़ा लम्बा होकर लेट गई। अब मेरी हिम्मत बढ़ गई और डर दूर हो गया था। मैंने उनकी टांगों पर हाथ फेरना शुरु कर दिया और धीरे धीरे उनकी स्कर्ट के अन्दर हाथ डालना शुरु कर दिया। क्या मज़ा था उसमें ! एकदम चिकनी और गोरी टाँगें थी उनकी ! मैंने उनकी स्कर्ट इतनी ऊपर कर दी कि मुझे उनकी पैंटी दिखने लगी। सफ़ेद रंग की पैंटी पहन रखी थी उन्होंने और उस पर गीला गीला धब्बा भी हो चुका था।

मैंने धीरे से उसकी दोनों टाँगें फ़ैलाई और उसकी तरफ देखा। वो मुस्कुराई और आँखें बंद करके बैठ गई। मैंने अपना मुँह उसकी चूत पर पैंटी के ऊपर से ही लगा दिया और चूमने लगा। उनके अमृत का खट्टा सा स्वाद मेरी जीभ महसूस कर रही थी। उसके हाथ मेरे सर पर थे और वो मेरे सर को दबा कर मेरा मुँह अपनी चूत के और पास ले जाने की कोशिश कर रही थी। मैंने अपने हाथ ऊपर उठा कर उसके स्तनों पर रख दिए और उनको सहलाने लगा।

प्रिंयका से छोटे आकार के स्तन थे उसके ! वो मुँह से आहा आहा उऽऽहू की आवाजें निकाल रही थी।

फिर मैंने उससे कहा- सीमा बिस्तर पर आ जाओ ! तुमको आराम मिलेगा।

वो उठी और मेरा हाथ पकड़े-पकड़े बिस्तर पर आकर लेट गई। उसने अपनी एक टांग सीधी और एक टांग घुटना मोड़ कर रख ली। मुझको वो लेटी हुई कयामत लग रही थी। मैंने फुर्ती से अपनी शर्ट उतारी और उनकी टांगों पर चूमने लगा। उसकी टांगों, फिर जांघों को चूमते-चूमते मैंने उनकी स्कर्ट पूरी ऊपर कर दी और अपनी उंगली उसकी पैंटी में डाल कर उसको एक तरफ़ करके पहली बार उनकी चूत के दर्शन किये। क्या मस्त माल थी ! वो गुलाबी सी बिना बालों की चूत मुझको मस्त कर रही थी।

मैंने तुरंत उनकी पैंटी उतार दी तो उसने अपनी टांगें पूरी चौड़ी कर दी। मैंने अपना मुँह उनकी गुलाबी चूत पर रख दिया और कभी उसको चाटता तो कभी अपनी जीभ उनकी चूत में डाल देता। मैं बार-बार उसके दाने को अपनी जीभ से सहला रहा था और हर बार वो मुँह से सेक्सी आवाज़ निकालती जो मुझको मस्त कर देती। थोड़ी देर तक ऐसा करने के बाद मेरा लंड पूरा तन गया था। मैंने अपने रहे सहे कपड़े भी उतार दिए और पूरा नंगा होकर उसके सामने खड़ा हो गया और अपने हाथ उसके टॉप में डाल कर स्तनों पर रख दिए। अब मैं उसके मोटे मोटे चूचे दबा रहा था।

उसने प्यार से मुझको देखा और उसकी नज़र मेरे लंड पर आकर रुक गई। उसने अपने कोमल हाथों में मेरे लंड को पकड़ा और उसको सहलाने लगी। फिर धीरे से उसने अपने गुलाबी होंठ मेरे लंड पर रख कर उसको चूमना शुरु किया। फिर उसने अपने होंठ गोलाई में किये और मेरा टोपे पर रख दिए। मैंने उसके सर पर हाथ रख कर अपना लंड उसके मुँह में डालना शुरू
मैंने उसके सर पर हाथ रख कर अपना लंड उनके मुँह में डालना शुरू किया। मेरा लंड पूरा उसके मुँह में था और वो बड़े प्यार से उसको चूस रही थी। मुझको बड़ा मज़ा आ रहा था।

जल्दी ही मैंने उसका टॉप और स्कर्ट उतार दी, अब वो सिर्फ ब्रा में थी और उसके स्तन बाहर आने को बेताब थे। मैंने उसकी ब्रा का हुक खोल कर उनको चूमना शुरू कर दिया और फिर उसके चुचूक को मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया। मेरी एक ऊँगली उनकी चूत में अंदर-बाहर हो रही थी और वो अपने हाथों से मेरे लंड से मुठ मार रही थी।

थोड़ी देर इसी अवस्था में रहने के बाद हम दोनों 69 की दशा में आ गए। अब मेरा मुँह और जीभ उनकी चूत चाट रही थी और वो मेरा लंड अपने मुँह में अन्दर-बाहर कर रही थी। थोड़ी देर में हम दोनों झड़ गए और वैसे ही लेट गए। उसकी चूत से गंगा-जमुना बह रही थी और क्या खुशबू आ रही थी।

थोड़ी देर में हम फिर तैयार थे।

सीमा ने कहा- अब देर मत कर और मेरी जवानी की प्यास बुझा दे !

तो मैंने अपने लंड का टोपा उनकी दोनों टांगो के बीच के गुलाबी छेद पर रख दिया। मैंने धीरे धीरे जोर लगाना शुरू किया। उसने बताया कि वो पहली बार चुद रही है, इससे पहले वो सिर्फ अपनी उंगली से ही मज़ा किया करती थी और उसने अपनी झिल्ली भी ऐसे ही तोड़ी ली थी।

मैंने कहा- सीमा , थोड़ा दर्द होगा पर फिर मज़ा भी बहुत आएगा !

तो वो बोली- इस मज़े के लिए मैं कुछ भी सहने को तैयार हूँ !

वैसे भी उनकी चूत का पानी अभी तक रुका नहीं था सो चूत बहुत चिकनी हो रही थी। मैंने धीरे धीरे जोर लगाना शुरू किया, उसको थोड़ा दर्द हुआ पर जल्द ही मेरा लौड़ा उनकी चूत में उतर गया। उसने मुझे कस कर पकड़ किया। अब मैं धक्के मार रहा था और वो चूतड़ उठा-उठा कर मेरा साथ दे रही थी। बीच बीच में मैं उसके स्तन भी दबा रहा था। मुझको बिल्कुल जन्नत का सुख मिल रहा था। थोड़ी देर में उसका शरीर ऐंठने लगा और मुझको भी लगा कि मेरा माल निकलने वाला है, मैंने अपना लंड उनकी चूत से जैसे ही निकाला, उनकी पिचकारी छूट गई, वो झड़ चुकी थी, मैंने अपना लंड उसके मुँह में डाल दिया, फिर दो तीन झटकों के बाद मेरा सारा माल उनके मुँह में निकल गया। वो मेरा सारा पानी चाट गई और अपनी जीभ से मेरा लंड भी साफ़ कर दिया। अब मैं थोड़ा नीचे सरक कर उनके ऊपर लेट गया और उसके चुचूक मुँह में लेकर चूसने लगा।

थोड़ी देर बाद हमने एक बार और सेक्स का मज़ा किया और मैंने उसकी गांड भी मारी ज़िस कारण थोड़ी देर तक तो वो ठीक से चल भी नहीं पाई।

उस दिन हमने तीन घंटे सेक्स का बहुत मज़ा लिया। जब वो जाने लगी तो उसने मुझसे कहा- मुझको पता नहीं था कि तुम ऐसे मजा देते हो ! वरना प्रियंका दीदी से पहले तुम्हारे लंड का स्वाद मैं ही चखती ! और आज मैं सोच कर आई थी कि मैं आज तुम से अपनी प्यास बुझा ही लूंगी। अब जब भी मौका मिले, तुम मेरे शरीर से खेल सकते हो।
मैंने कहा- पर मामा के होते हम कैसे मिल सकते हैं?

तो वो मुस्कुराई और बोली-पापा की तुम चिंता मत करो ! जैसे वो दीदी और मम्मी को नही रोक सके मुझे भी नही रोक सकते।

यह कह कर वो मुझे चूम कर चली गई।

मैं बस उसको देखता रह गया और उसकी कही बात को सोचता रहा।
मैंने मामा को एक ओर झटका देने की सोची, सीमा उनकी छोटी लाडली बेटी है और अगर उनको उस्की चुदाई दिखाई जाए तो वो टूट जायेंगे।
शाम को मामा से आने से पहले ही मैने सब सोच लिया कि उनको क्या झटका देना है।
मामा शाम को खाने के वक़्त घर आये और डायरेक्ट डाइनिंग टेबल पर बैठ गए। मैंने प्रियंका और मामी को अपने साथ बिठा किया और उनको दिखाते हुए उनसे छेड़ छाड़ करने लगा। तभी मम्मी बिल्कुल बुरे हाल रसोई से खाना ले कर आई। उनको इस हालत में देखकर मामा की सिटी पीटी गुम हो गयी।
सीमा अभी तक दिन की चुदाई की वजह से कमरे से नही निकली थी और उसने खाना कमरे में ही मंगा लिया था।
डाइनिंग टेबल पर मामी और प्रियंका के साथ खाना खाते हुए मैने नँगा नाच किया।

जिसको मामा को देखाने के बाद मेरे मन में कसक उठने लगी थी,
इसलिए सीमा को ढूँढते हुए मैं उसके कमरे में गया परंतु मेरी चुदक्कड़ बहन वहां नहीं थी.

मेरा दिल उसको देखने के लिए बेचैन होने लगा.
तभी मैंने उसको वाशरूम से निकलते देखा तो डाइनिंग हाल में मैंने उसका रास्ता रोक लिया. वो मामा की मौजूदगी में मुझे देखते ही मुझसे लिपट कर मुझे चूमने लगी.
मैंने पूछा- अभी तक सोई नहीं?
सीमा ने कहा- नही अब चुदाये बिना नींद नही आती.
मैंने अनजान बनते हुए पूछा- और किस से चुदवाये बिना?
उसने कहा कि मेरे प्यारे भैया के लंड से जिसने मम्मी और दीदी की चूत का फालूदा निकाल दिया।और झेंपकर मेरे सीने में अपना सिर दबा दिया. मैंने उसके गोल चूतड़ों को कसकर भींच लिया तो वो मेरी बांहों में पूरी तरह झूल गई.

मैंने समय नहीं गंवाते हुए उसके रसीले होंठों को अपने होंठों में भर लिया और चूमने लगा. उसको वहीं सोफे पर लिटा कर नंगी कर दिया. मामा का अब अपनी छोटी बेटी की चुदाई देख कर खून सुक गया , उनकी आंखों से पानी निकल रहा था. मैं मामा को देखते हुए पूरा नंगा हो गया. मैंने 69 की पोजीशन ली और गहराई तक जीभ डालकर सीमा की चुत का पानी साफ करने लगा, लेकिन चुत का पानी रुकने का नाम नहीं ले रहा था.

अब मैंने सीमा को उल्टा करके उसकी गांड और चुत दोनों चाटने लगा. चाटते चाटते सीमा अपनी गांड मेरे मुँह पर मारने लगी और अकड़ कर झड़ गई. मैंने उसकी चुत से बहते रस को गांड में मल कर लंड का टोपा सैट किया तो बिलबिला उठी और कहने लगी- प्लीज़ गांड केवल चाट लो.. और लंड को मेरी चूत में डाल दो.

पर मैंने लंड को उसकी गांड पर सैट करके ज़ोर लगा कर धक्का दे दिया, जिससे लंड गांड के अन्दर दाखिल हो गया.
“अहह मैं मरीईई ईईई.. फट गई.. बहनचोद.. साले कुत्ते.. हरामी.. रुक ज़ाआअ.. भाई.. तुझे मेरी गांड से क्या दुश्मनी है.. तू मुझे जिंदा नहीं रहने देगा.. लंड निकाल लो उह्ह.. मेरी गांड फट गई होगी.. मुझे जाने दो प्लीज़.. छोड़ दो मुझे..”

तभी मैंने एक ज़ोर का झटका दिया और आधा लंड उसकी गांड में चला गया. सीमा बिलबिलाकर रोने लगी.

“अहह मैं मरीईई ईईई.. फट गई.. बहनचोद.. साले कुत्ते..हरामी.. रुक ज़ाआाअ.. बाहर निकाल लो.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… मम्मी.. बचाओ.. बहनचोद.. फाड़ दीईईईई.. मेरीईईई ईईई गांड.. बाहर निकाल इसेययई..”
सीमा फूट फूट कर रोने लगी.
मामा भी देख के फुट फुट कर रोने लगे।

मैंने कहा- चुप कर साली.. थोड़ी देर दर्द झेल ले.. अगली बार से कम दर्द होगा. उसके बाद तू खुद ही गांड मरवाएगी.. चुपचाप अपनी गांड मराने का मजा ले.
मैंने उसकी चूचियों को दबाना शुरू कर दिया और मैंने मजा लेकर अपनी बहन की गांड मारनी शुरू कर दी. वो चीखती रही.. लेकिन मैं उसकी गांड मारता रहा. मैं एक मिनट के लिए भी नहीं रुका था.

अब सीमा को भी मजा आ रहा था, वो हर धक्के के साथ अपनी गांड पीछे धकेल कर पूरा लंड जड़ तक लेने की कोशिश कर रही थी. करीब बीस मिनट की धकापेल चुदाई के बाद मैं अपनी बहन की नरम गांड में झड़ गया.

इस बीच सीमा अपनी चूत में उंगली करने के कारण दो बार झड़ चुकी थी. लगातार तीन बार झड़ने के कारण बहन की हालत पस्त हो गई थी. उसको मैंने नंगी ही गोद में उठाया और मामा के पास से ही ले जाकर उसके कमरे में सुला दिया और मैं भी मामी कमरे का लॉक खोलकर उनके साथ सो गया.
मामा बेसुध पड़े हुई जैसे सोच रहे थे कि उनकी करनी का फल उनको मिल रहा है
 
जब हवेली में अगली सुबह हुई तो वो हुआ मिला जिसका मैने सोचा भी नही था, मामा अपने कमरे में अर्धविक्षिप्त अवस्था मे मिले। मामा झटका बर्दास्त नही कर पाए।
जो हवेली राघवेंद्र सिंह की अय्यासी का केंद्र हुआ करती थी । राघवेंद्र सिंह बड़ा ही खूंखार और ऐय्याश किस्म का जमींदार था इसलिए अगर किसी गाँव वाले को हवेली से बुलावा आया एक जमाना था जब बड़ी हवेली राजा हुकमसिंह की रियासत का केंद्र हुआ करती थी । राजा हुकमसिंह बड़ा ही खूंखार और ऐय्याश किस्म का राजा था इसलिए अगर किसी गाँव वाले को हवेली से बुलावा आया जाता तो इसका मतलब होता की उसने हुकमसिंह की नाराजगी मोल ले ली हो और अब उसकी खैर नहीं । हुकमसिंह की तक़रीबन दस साल पहले शिकार के वक्त घोड़े से गिर कर मौत हो गयी और उसके खौफ के साम्राज्य का अंत हो गया । हुकमसिंह की मृत्यु के बाद अब उसकी विधवा रानी ललिता देवी ने राज पाट संभाला । रानी ललिता स्वाभाव से दयालु थी उन्होंने गाँव वालों की पिछले कुछ वर्षों में बहुत मदद की और इस समय वो विधायक भी हैं यहाँ की । पर अब भी अगर किसी को बड़ी हवेली से बुलावा आ जाता है तो कोई मना नहीं कर सकता । तो इसका मतलब होता की उसने राघवेंद्र सिंह की नाराजगी मोल ले ली हो और अब उसकी खैर नहीं ।
आज उस राघवेंद्र सिंह की हालात आज बहुत खराब हो गयी थी वो मानसिक रूप से पागल हो गया था, अपनी पत्नी और लाडली दो बेटियों का चरित्र हनन नही देख सका।
और उसके खौफ के साम्राज्य का अंत हो गया । राघवेंद्र सिंह के पागल होने के बाद अब उसकी पत्नी प्रोमिला देवी ने मेरे साथ मिलकर मामा का सब काम संभाल लिया। अब मैं हवेली का अधोषित राजा बन गया था और मामी और उनकी बेटियां प्रियंका और सीमा मेरी रानिया ।
5 दिन बाद मामा ने हवेली की ऊपरी मंजिल से कूद कर अपनी जान दे दी।
मामा के जाने के बाद मैंने प्रियंका और सीमा से शादी करने के लिए दबाव दिया लेकिन उन्होंने मना कर दिया ।
मैने रीटा दीदी को समझाकर उनकी दोबारा उनके पहले पति से शादी करवा दी।
किरण दीदी और मनोज की शादी भी जल्दी ही होने वाली है, मैने शहर की दुकान मनोज को संभाल दी।लेकिन मनोज ने मुझसे अपनी बहन निधि को अपनाने को कहा, मैने उससे कहा कि मेरे उप्पेर मामी और उनकी बेटियो की जिम्मेवारी है एक तरह से वो मेरी पत्नियां ही बनकर रहेगी।
तब निधि को मालूम चला तो उसने स्वीकार कर लिया कि वो भी मेरे साथ ही शादी करेगी चाहे मुझे दुसरो से बाटना पड़े।
रानी अभी पढ़ रही है और शहर में किरण और मनोज के साथ रहती है।
मम्मी आज भी हवेली में है और अपने पुराने अय्यासी वाले कमरे में रहती है और पुराने दिनों की वीडियो देखती रहती है जब उनपर ज्यादा सेक्स हावी होता है तो मुझे उनकी प्यास भुझानी पड़ती है।
अब मै कर भी क्या सकता हु मजबूरी है मेरी।
समाप्त।

कहानी को पसन्द नापसन्द करने के लिए धन्यवाद।
 
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