hotaks444
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समधन बेहोश हो गयी.
पिताजी-ये क्या हो गया
माँ-आपने समधन को बेहोश कर दिया
पिताजी-तुम ने ऐसा करने को कहा था. इस लिए किया.
माँ-क्यूँ समधन की गंद नही मारनी थी.
पिताजी-मारनी थी.
माँ-तो मार लीजिए ,
पिताजी-ये तो बेहोश है.
माँ-आपके लंड से डर के समधन जी गंद मारने नही देती. इसी लिए एक साथ डालने को कहा. जैसे मैं
पहली बार बेहोश हो गयी थी वैसे समधन हो गयी.
पिताजी-समधन को होश मे लाओ
माँ-ऐसा नही कर सकती. आप एक बार बेहोशी मे गंद मार लो फिर गंद खुलते ही जिंदगी भर मारते रहना
पिताजी-तुम ने सही कहा. होश मे आई तो गंद मारने नही देंगी. और चिलाएगी बहुत ,पर तुम ऐसा क्यूँ
कर रही हो
माँ-बाद मे बताउन्गी. मारो जल्दी, नही तो समधन की गंद से हाथ धो बैठोगे
पिताजी ने अपनी बेहोश समधन की गंद मे धक्के मारना शुरू किया.
पिताजी को मज़ा नही आ रहा था पर वो शुरू से जोरदार धक्के मार रहे थे
माँ ने पिताजी समधन की चुदाई करने दी और वो रशोई घर मे जाकर गरम पानी करने लगी.
घर मे सब थक कर सो रहे थे.
इधर पिताजी समधन की बड़ी गंद मे जोरदार धक्के मार रहे थे
माँ ने सच कहा था कि समधन पिताजी को गंद मारने नही देती.
पिताजी ने एक बार लंड बाहर निकाल कर देखा तो पूरा लाल हो गया था.
पिताजी को अपने लंड पे गर्व था.समधन की लाल गंद देख कर उनका जोश बढ़ रहा था .
पिताजी ने वापस लंड गंद मे डाला और धक्के मारने लगे.
समधन इन सब से बेख़बर बेहोश होकर बेड पर लेटी हुई थी .
पिताजी को आज शीष्कारियाँ सुनने लायक मज़ा नही आ रहा था पर कल गंद मारने मे मज़ा ज़रूर आएगा.
थोड़ी देर बाद माँ गरम पानी और एक पेस्ट लेकर आ गयी.
माँ-हो गया
पिताजी-अभी तो आधी चुदाई हुई है.
माँ-रूको, मुझे अपना काम करने दो
पिताजी ने माँ की बात मान ली और समधन की गंद से लंड निकाल लिया.
माँ ने गरम पानी से समधन की गंद को अच्छे से साफ किया.
फिर पेस्ट को अपनी उंगली पे ले कर गंद के अंदर डाल दिया.
कुछ देर तक माँ ने पेस्ट से समधन की गंद की मालिश की फिर. गरम पानी डाल कर पेस्ट साफ किया.और पानी
छुपा दिया.
माँ ने पिताजी को गंद मे लंड डालने को कहा. गंद मे लंड जाते ही माँ समधन को उठाने लगी.
माँ ने समधन के मूह पर ठंडा पानी डाल दिया.
माँ-समधनजी उठो
समधन हड़बड़ा कर उठ गयी
समधन-आअहह. लंड निकालो
माँ-क्या हुआ
समधन-दर्द हो रहा है.दर्द ?
माँ-क्या हो रहा है
समधन-अभी तो दर्द हुआ था. अब क्या हुआ
माँ- समधी ,समधन को दर्द नही होने देंगे .धक्के मारने को कहूँ
समधन-मुझे क्या हुआ था.
माँ-आप बेहोश हो गयी थी. मैं ने आपको उठाया. धक्के मारने को कहूँ
समधन-हाँ, पर वो दर्द तो बहुत हो रहा था और अब बहुत कम हो रहा है
और पिताजी धीरे धीरे धक्के मारने लगे
पिताजी को माजी का आइडिया पसंद आ गया.
पिताजी ने समधन को घोड़ी बना दिया .और गंद पर थप्पड़ मार कर धक्के मारने लगे
माजी-कैसा लग रहा है
समधन-मुझे पता होता गंद मारने मे इतना मज़ा आता है तो पहले गंद मरवा लेती
पिताजी को अपनी समधन की बात सुनकर अच्छा लगा.
पिताजी खुश होकर समधन की कमर पकड़ कर धक्के मारने लगे
माँ के आइडिया से पिताजी को समधन की गंद रोज मारने को मिलेगी
पिताजी 10 12 धक्के के बाद समधन की गंद पर एक थप्पड़ मार देते .
पिताजी के ऐसा करते ही समधन शीष्कारी लेने लग जाती
समधन-आआआहह और्र्र्र्र्ररर जोर्र्र्र्र्र्ररर सीईई ाओसीईईईई हीोीओिओ मरूऊऊऊऊ
मेरिइईईईईईइगंद्द्द्द्द्द्दद्ड मरूऊऊऊऊओ
सामड़िीईईईऊजीीइईईईईईईई आप्प्प्प्प्प्प्प्प्प जादूगर्र्र्र्र्र्ररर हूऊऊऊओ मैंन्ननणणन् आअप्प्प्प्प्प के लुंद्द्द्द्द्दद्ड
कीईईईई गुलाआाँ हूऊऊओ गाइिईईईईई
पिताजी समधन की शीष्कारी सुनकर जोश मे आकर चुदाई करने लगे.
माँ पिताजी का जोश देख कर खुश हो गयी
पिताजी अपनी समधन की एक एक हड्डी तोड़ते चले गये
समधन धक्के खा कर अपनी चर्बी को सही तरीके से अड्जस्ट करने लग गयी.
यहाँ से जाने के बाद समधन का बदन खिल जाएगा.
पिताजी और समधन दोनो मस्ती मे डूब गये थे.
पहले तो पिताजी ने समधन की चूत मे वीर्य डाला था.
अब समधन की गंद मे वीर्य डालने की तैयारी मे थे
माँ ने पिताजी को खुश कर दिया.इसी लिए पिताजी माँ से इतना प्यार करते है.हर एक बात मानते है
पिताजी दना दन धक्के मार कर समधन को पूरी तरह से खुश करने लगे.
पिताजी के धक्को से पता चल रहा था कि उनका वीर्य निकलने वाला है.
और आख़िरी धक्को से साथ पिताजी ने समधन की गंद मे वीर्य डाल दिया.
वीर्य डालते ही पिताजी बुरी तरह से थक गये थे.
और समधन भी थक कर बेड पर गिर गयी.
पिताजी भी वही पर गिर गये
दोनो हान्फते हुए अपनी लंबी जोरदार चुदाई का सबूत दे रहे थे.
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समधन बेहोश हो गयी.
पिताजी-ये क्या हो गया
माँ-आपने समधन को बेहोश कर दिया
पिताजी-तुम ने ऐसा करने को कहा था. इस लिए किया.
माँ-क्यूँ समधन की गंद नही मारनी थी.
पिताजी-मारनी थी.
माँ-तो मार लीजिए ,
पिताजी-ये तो बेहोश है.
माँ-आपके लंड से डर के समधन जी गंद मारने नही देती. इसी लिए एक साथ डालने को कहा. जैसे मैं
पहली बार बेहोश हो गयी थी वैसे समधन हो गयी.
पिताजी-समधन को होश मे लाओ
माँ-ऐसा नही कर सकती. आप एक बार बेहोशी मे गंद मार लो फिर गंद खुलते ही जिंदगी भर मारते रहना
पिताजी-तुम ने सही कहा. होश मे आई तो गंद मारने नही देंगी. और चिलाएगी बहुत ,पर तुम ऐसा क्यूँ
कर रही हो
माँ-बाद मे बताउन्गी. मारो जल्दी, नही तो समधन की गंद से हाथ धो बैठोगे
पिताजी ने अपनी बेहोश समधन की गंद मे धक्के मारना शुरू किया.
पिताजी को मज़ा नही आ रहा था पर वो शुरू से जोरदार धक्के मार रहे थे
माँ ने पिताजी समधन की चुदाई करने दी और वो रशोई घर मे जाकर गरम पानी करने लगी.
घर मे सब थक कर सो रहे थे.
इधर पिताजी समधन की बड़ी गंद मे जोरदार धक्के मार रहे थे
माँ ने सच कहा था कि समधन पिताजी को गंद मारने नही देती.
पिताजी ने एक बार लंड बाहर निकाल कर देखा तो पूरा लाल हो गया था.
पिताजी को अपने लंड पे गर्व था.समधन की लाल गंद देख कर उनका जोश बढ़ रहा था .
पिताजी ने वापस लंड गंद मे डाला और धक्के मारने लगे.
समधन इन सब से बेख़बर बेहोश होकर बेड पर लेटी हुई थी .
पिताजी को आज शीष्कारियाँ सुनने लायक मज़ा नही आ रहा था पर कल गंद मारने मे मज़ा ज़रूर आएगा.
थोड़ी देर बाद माँ गरम पानी और एक पेस्ट लेकर आ गयी.
माँ-हो गया
पिताजी-अभी तो आधी चुदाई हुई है.
माँ-रूको, मुझे अपना काम करने दो
पिताजी ने माँ की बात मान ली और समधन की गंद से लंड निकाल लिया.
माँ ने गरम पानी से समधन की गंद को अच्छे से साफ किया.
फिर पेस्ट को अपनी उंगली पे ले कर गंद के अंदर डाल दिया.
कुछ देर तक माँ ने पेस्ट से समधन की गंद की मालिश की फिर. गरम पानी डाल कर पेस्ट साफ किया.और पानी
छुपा दिया.
माँ ने पिताजी को गंद मे लंड डालने को कहा. गंद मे लंड जाते ही माँ समधन को उठाने लगी.
माँ ने समधन के मूह पर ठंडा पानी डाल दिया.
माँ-समधनजी उठो
समधन हड़बड़ा कर उठ गयी
समधन-आअहह. लंड निकालो
माँ-क्या हुआ
समधन-दर्द हो रहा है.दर्द ?
माँ-क्या हो रहा है
समधन-अभी तो दर्द हुआ था. अब क्या हुआ
माँ- समधी ,समधन को दर्द नही होने देंगे .धक्के मारने को कहूँ
समधन-मुझे क्या हुआ था.
माँ-आप बेहोश हो गयी थी. मैं ने आपको उठाया. धक्के मारने को कहूँ
समधन-हाँ, पर वो दर्द तो बहुत हो रहा था और अब बहुत कम हो रहा है
और पिताजी धीरे धीरे धक्के मारने लगे
पिताजी को माजी का आइडिया पसंद आ गया.
पिताजी ने समधन को घोड़ी बना दिया .और गंद पर थप्पड़ मार कर धक्के मारने लगे
माजी-कैसा लग रहा है
समधन-मुझे पता होता गंद मारने मे इतना मज़ा आता है तो पहले गंद मरवा लेती
पिताजी को अपनी समधन की बात सुनकर अच्छा लगा.
पिताजी खुश होकर समधन की कमर पकड़ कर धक्के मारने लगे
माँ के आइडिया से पिताजी को समधन की गंद रोज मारने को मिलेगी
पिताजी 10 12 धक्के के बाद समधन की गंद पर एक थप्पड़ मार देते .
पिताजी के ऐसा करते ही समधन शीष्कारी लेने लग जाती
समधन-आआआहह और्र्र्र्र्ररर जोर्र्र्र्र्र्ररर सीईई ाओसीईईईई हीोीओिओ मरूऊऊऊऊ
मेरिइईईईईईइगंद्द्द्द्द्द्दद्ड मरूऊऊऊऊओ
सामड़िीईईईऊजीीइईईईईईईई आप्प्प्प्प्प्प्प्प्प जादूगर्र्र्र्र्र्ररर हूऊऊऊओ मैंन्ननणणन् आअप्प्प्प्प्प के लुंद्द्द्द्द्दद्ड
कीईईईई गुलाआाँ हूऊऊओ गाइिईईईईई
पिताजी समधन की शीष्कारी सुनकर जोश मे आकर चुदाई करने लगे.
माँ पिताजी का जोश देख कर खुश हो गयी
पिताजी अपनी समधन की एक एक हड्डी तोड़ते चले गये
समधन धक्के खा कर अपनी चर्बी को सही तरीके से अड्जस्ट करने लग गयी.
यहाँ से जाने के बाद समधन का बदन खिल जाएगा.
पिताजी और समधन दोनो मस्ती मे डूब गये थे.
पहले तो पिताजी ने समधन की चूत मे वीर्य डाला था.
अब समधन की गंद मे वीर्य डालने की तैयारी मे थे
माँ ने पिताजी को खुश कर दिया.इसी लिए पिताजी माँ से इतना प्यार करते है.हर एक बात मानते है
पिताजी दना दन धक्के मार कर समधन को पूरी तरह से खुश करने लगे.
पिताजी के धक्को से पता चल रहा था कि उनका वीर्य निकलने वाला है.
और आख़िरी धक्को से साथ पिताजी ने समधन की गंद मे वीर्य डाल दिया.
वीर्य डालते ही पिताजी बुरी तरह से थक गये थे.
और समधन भी थक कर बेड पर गिर गयी.
पिताजी भी वही पर गिर गये
दोनो हान्फते हुए अपनी लंबी जोरदार चुदाई का सबूत दे रहे थे.
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