hotaks444
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- Nov 15, 2016
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मेरे पिताजी की मस्तानी समधन
मेरा नाम कामिनी है
ये मेरी कहानी है
मैं अपनी फॅमिली का इंट्रो देती हूँ
मेरे घर मे 4 लोग है
मेरे पिताजी रिटायर्ड आर्मी ऑफीसर है , मैं बचपन से ही उनके बहादुरी के किस्से सुनती आई हूँ ,
मेरे पिताजी छोटे से गाँव से बिलॉंग करते है, गाँव से होने से मेरे पिताजी को कसरत करने का बहुत शौक
था
मेरे पिताजी तो बचपन से कुश्ती खेलते आ रहे थे , जब वो जवान हुए तो सबने कहा कि मेरे पिताजी एक तो
पोलीस बन सकते है या आर्मी मे जा सकते है ,
पिताजी ने पोलीस मे जाने का ट्राइ लिया पर लास्ट स्टेज पर पैसे ना देने से उनका सलेक्शन नही हुआ था तो पिताजी
आर्मी मे चले गये
आर्मी मे जाते ही पिताजी ने अपने दिमाग़ का इस्तेमाल करके बहुत कारनामे किए , उनके चर्चे शहर मे भी होते
है , सब उनकी बहुत इज़्ज़त करते है ,
पर मैं ने एक बात नोटीस की , जब भी पिताजी छुट्टियों मे घर आते तो सोसाइटी की औरतें अपनी बाल्कनी मे ज़्यादा
देर खड़ी रहती
किसी ना किसी बहाने से औरतें हमारे घर ज़रूर आ जाती , औरतों के आने का टाइम ज़्यादातर सुबह या शाम
के समय होता था जब पिताजी कसरत करते है
मेरी कुछ सहेलियो ने कहा कि मेरे पिताजी का अफियर है सोसायटी की औरत के साथ , मेरी एक सहेली ने कहा कि
उसने अपनी माँ और मेरे पिताजी को कमरे से बाहर निकलते हुए भी देखा
पर मुझे इन बातों पे विश्वास नही था
और अब तो मेरे पिताजी रिटायर्ड भी हो गये है
लेकिन लगते है पूरे फिट
दोपहर मे मेरे पिताजी किसी ना किसी के घर चले जाते थे बाते करने क्यूँ कि उनको अकेले अच्छा नही लगता
मेरी माँ उनका क्या कहना , पिताजी ड्यूटी पर जाते तो वो घर मे पड़ी रहती, पूजापाठ पर ज़्यादा ही विश्वास रखती
थी ,
मेरी माँ और पिताजी की शादी तो जल्दी हो गयी थी पर दोनो मे प्यार बहुत था
जब भी पिताजी छुट्टियो मे घर आते तो माँ कुछ दिन बस सोती ही रहती थी
तब मैं छोटी थी तो समझ ही नही पाई कि पिताजी जब भी घर आते है तो माँ दोपहर मे क्यूँ सोती है
इस का पता जवान होते ही अपने आप चल गया , रात भर प्यार करेंगे तो दोपहर मे तो सोना ही था
लेकिन पिताजी दोपहर मे घूमने जाते उतना ही माँ को आराम मिलता था
माँ देखने मे कुछ खास नही थी फिर भी पिताजी उनको बहुत प्यार करते थे , जब पिताजी घर मे होते तो माँ को
एक पल के लिए चैन नही होता , मैं ने बहुत बार देखा कि पिताजी जिस दिन आते उसके दूसरे दिन माँ लंगड़ा कर
चलती है
माँ तो पिताजी की हर बात मानती थी
इस के बाद मेरा नंबर आता है
मैं कामिनी , मैं अपनी माँ पर नही गयी , दिखने मे सुंदर हूँ , सोसायटी की बहुत से लड़के पीछे पड़े रहते
थे , पर मैं ने किसी को लिफ्ट नही दी
मुझे डर भी था पिताजी का
पिताजी जब गुस्सा होते है तो मैं तो कमरे से बाहर ही नही निकलती
जिस से बाय्फ्रेंड के चक्कर मे कभी पड़ी ही नही
बस अपनी पढ़ाई मे खोई रहती और सहेलियो के साथ हँसी मज़ाक हो जाता
ज़्यादा कुछ बताने लायक नही था मेरी लाइफ के बारे मे
फिगर भी नॉर्मल ही थी ,
फिर नंबर आता है मेरे भाई का
उसको पिताजी गधा कहते थे
बस ज़्यादातर सोता ही रहता था
पिताजी की कोई कमी नही थी उसमे
अपनी ही दुनिया मे खोया रहता था
ऐसी है मेरी फॅमिली
पिताजी ड्यूटी पर रहते थे , माँ मंदिर मे , मैं अपनी पढ़ाई या सहेलियो के साथ मस्ती करती तो मेरा भाई बस
सोता रहता
बड़ी अजीब थी हमारी फॅमिली
हमारे घर मे 2 बेडरूम थे
एक बेडरूम माँ और पिताजी का तो दूसरे बेडरूम को मैं अपने भाई के साथ शेर करती हूँ
प्राइवसी तो कभी मिली ही नही
पर जब से पिताजी ने रिटायरमेंट लिया तब से वो घर मे ही रहते है
उनकी एज भी कुछ ज़्यादा नही थी उनको कोई भी जॉब मिल सकती थी पर वो अब अपनी लाइफ अपने मर्ज़ी से जीना चाहते
थे
पिताजी के घर मे रहने पर माँ तो दोपहर मे
बस सोती ही रहती , अब हर दिन उनके मज़े थे
लेकिन वो भी थक जाती
जिस से उन्होने अपने कुछ काम कम कर दिए , मंदिर मे जाना कीर्तन मे जाना , सब बंद हो गया
मुझे भी अब सलवार कमीज़ से काम चलाना पड़ रहा था
जीन्स और टीशर्ट तो बस अलमारी मे पड़े पड़े खराब हो रहे थे
पता नही पिताजी घर पर क्यूँ है
लेकिन जैसे ही दोपहर के 12 बज जाते तो पिताजी घर से बाहर जाते और बराबर शाम के 5 बजे घर आ जाते
जैसे कोई ड्यूटी हो
पर मुझे क्या है मैं तो अपनी पढ़ाई कर रही थी
ये मेरा लास्ट एअर था ,
और उसके बाद मेरी शादी होगी ये पक्का था
मैं अपनी पढ़ाई मे बिज़ी थी
या फिर अपनी सहेली के यहाँ चली जाती
मेरी सहेलियो से उनके बाय्फ्रेंड के बारे मे सुनती रहती
उनके किस्से सुनकर मेरी चूत गीली हो जाती
मेर सारी सहेलियो की सील तो कब की टूट गयी थी पता नही मेरी सील तोड़ने वाला कब आएगा
ऐसे ही एक दिन मैं अपनी सहेली के यहाँ गयी थी
सहेली- क्या कामिनी तू ये आम बेचने कहाँ निकल पड़ी
कामिनी-कहाँ है आम
सहेली- ये क्या , दो दो पके हुए आम लेकर घूम रही है
कामिनी-क्या करूँ कोई इन आमो को चूसने की हिम्मत ही नही कर पाता
सहेली- मॉका तो दे , देखना लड़को की लाइन लग जाएगी
कामिनी-मुझे तो बस एक ही चाहिए
सहेली- मेरा बाय्फ्रेंड कह रहा था कि एक बार कामिनी को दिलवा दे मेरा गुलाम बन कर रहेगा
कामिनी-बड़ा कमीना है तेरा बाय्फ्रेंड
सहेली- उसकी क्या ग़लती है , तू तो चलता फिरता आम का बगीचा है , और तेरे खरबूजे पे अपना चाकू चलाने
को सब तय्यार रहते है
कामिनी-मेरी छोड़ तू अपनी बता
सहेली- मेरा क्या है कल ही बाय्फ्रेंड के साथ उसके दोस्त से रूम पर जाकर आई हूँ
कामिनी-तुझे शरम नही आती ,
सहेली- इसमे जो मज़ा मिलता है उसके सामने शरम कैसी
कामिनी-पूरी फट गयी होगी , तेरा हज़्बेंड लात मारकर सुहागरात को बाहर निकाल देगा
सहेली- ऐसा नही होगा , उसको तो मैं अपनी उंगली पे नचाउन्गी
कामिनी-तू तो इस मे एक्सपर्ट है
सहेली- वैसे एक बात कहूँ
कामिनी-बोल
सहेली- कल तेरे पिताजी को देखा ,वो मेरी सोसायटी मे आए थे
कामिनी-कब
सहेली- दोपहर को
कामिनी-हाँ वो अपने दोस्तो से मिलने जाते है
सहेली- मुझे तो लगता है दोस्त नही गर्लफ्रेंड से मिलने जाते है
कामिनी-कुछ भी मत बोल
सहेली- तेरे पिताजी की कही सारी गर्लफ्रेंड होगी तभी तो कभी कभी यहाँ आते है
कामिनी-तू मेरे पिताजी की बात करेगी तो मैं जा रही हूँ
सहेली- तू खुद सोच कि तेरे पिताजी ठीक 12 बजे क्यूँ घर से बाहर जाते है
कामिनी-क्यूँ ?
सहेली- उस टाइम सबके हज़्बेंड जॉब पर चले जाते है और बच्चे कॉलेज या स्कूल मे होते है
कामिनी-तू अपना दिमाग़ मत लगा
सहेली- तू सोच , ठीक 5 बजे घर कैसे आ जाते है क्यूँ कि उस समय सबके हज़्बेंड और बच्चे घर आ जाते है
कामिनी-तू मेरे पिताजी पे इलज़ाम मत लगा
सहेली- सच कह रही हूँ तेरे पिताजी को देख कर तो कोई भी अपनी टाँगे खोल देगी उनके सामने
कामिनी-तू खोल , तू तो है ही रंडी
सहेली- तू तो गुस्सा हो गयी
कामिनी-गुस्सा ना करूँ तो क्या करूँ , तूने बात ही ऐसी की है
सहेली- मैं ने जो कहा वो सच है , मैं ने खुद अपनी माँ की बात सुनी है जो एक आंटी से कह रही थी कि
तेरे पिताजी जवान मर्द को हरा दें इतना मज़ा देते है
कामिनी-व्हाट
सहेली- सच यार , मुझे तो मेरी माँ पे भी डाउट है
कामिनी-तू और तेरा घटिया दिमाग़
सहेली- चल जाने दे , तू एक दिन समझ जाएगी , वैसे तेरी माँ बहुत लकी है
कामिनी-क्यूँ वो तो बस सोती रहती है दोपहर मे
सहेली- रात भर चुदाई जो होती होगी
कामिनी- तू भी ना
सहेली- यही सच है मेरी बिल्लो रानी
कामिनी-तू अपना दिमाग़ पढ़ाई पे लगा वरना रंडी खाने बैठना पड़ेगा
सहेली- तू हैना ,, साथ में रंडी खाना सुरू करेंगे
ऐसे इधर उधर की बात हो जाती थी
लेकिन इस से मज़ा बहुत आता था
सेक्स की बाते सुनते ही मैं तो गीली हो जाती थी
पता नही मेरा हज़्बेंड कैसा होगा
दमदार हुआ तो मेरे मज़े होंगे
मैं तो अपने हज़्बेंड के सपने देखने लगी
मेरा नाम कामिनी है
ये मेरी कहानी है
मैं अपनी फॅमिली का इंट्रो देती हूँ
मेरे घर मे 4 लोग है
मेरे पिताजी रिटायर्ड आर्मी ऑफीसर है , मैं बचपन से ही उनके बहादुरी के किस्से सुनती आई हूँ ,
मेरे पिताजी छोटे से गाँव से बिलॉंग करते है, गाँव से होने से मेरे पिताजी को कसरत करने का बहुत शौक
था
मेरे पिताजी तो बचपन से कुश्ती खेलते आ रहे थे , जब वो जवान हुए तो सबने कहा कि मेरे पिताजी एक तो
पोलीस बन सकते है या आर्मी मे जा सकते है ,
पिताजी ने पोलीस मे जाने का ट्राइ लिया पर लास्ट स्टेज पर पैसे ना देने से उनका सलेक्शन नही हुआ था तो पिताजी
आर्मी मे चले गये
आर्मी मे जाते ही पिताजी ने अपने दिमाग़ का इस्तेमाल करके बहुत कारनामे किए , उनके चर्चे शहर मे भी होते
है , सब उनकी बहुत इज़्ज़त करते है ,
पर मैं ने एक बात नोटीस की , जब भी पिताजी छुट्टियों मे घर आते तो सोसाइटी की औरतें अपनी बाल्कनी मे ज़्यादा
देर खड़ी रहती
किसी ना किसी बहाने से औरतें हमारे घर ज़रूर आ जाती , औरतों के आने का टाइम ज़्यादातर सुबह या शाम
के समय होता था जब पिताजी कसरत करते है
मेरी कुछ सहेलियो ने कहा कि मेरे पिताजी का अफियर है सोसायटी की औरत के साथ , मेरी एक सहेली ने कहा कि
उसने अपनी माँ और मेरे पिताजी को कमरे से बाहर निकलते हुए भी देखा
पर मुझे इन बातों पे विश्वास नही था
और अब तो मेरे पिताजी रिटायर्ड भी हो गये है
लेकिन लगते है पूरे फिट
दोपहर मे मेरे पिताजी किसी ना किसी के घर चले जाते थे बाते करने क्यूँ कि उनको अकेले अच्छा नही लगता
मेरी माँ उनका क्या कहना , पिताजी ड्यूटी पर जाते तो वो घर मे पड़ी रहती, पूजापाठ पर ज़्यादा ही विश्वास रखती
थी ,
मेरी माँ और पिताजी की शादी तो जल्दी हो गयी थी पर दोनो मे प्यार बहुत था
जब भी पिताजी छुट्टियो मे घर आते तो माँ कुछ दिन बस सोती ही रहती थी
तब मैं छोटी थी तो समझ ही नही पाई कि पिताजी जब भी घर आते है तो माँ दोपहर मे क्यूँ सोती है
इस का पता जवान होते ही अपने आप चल गया , रात भर प्यार करेंगे तो दोपहर मे तो सोना ही था
लेकिन पिताजी दोपहर मे घूमने जाते उतना ही माँ को आराम मिलता था
माँ देखने मे कुछ खास नही थी फिर भी पिताजी उनको बहुत प्यार करते थे , जब पिताजी घर मे होते तो माँ को
एक पल के लिए चैन नही होता , मैं ने बहुत बार देखा कि पिताजी जिस दिन आते उसके दूसरे दिन माँ लंगड़ा कर
चलती है
माँ तो पिताजी की हर बात मानती थी
इस के बाद मेरा नंबर आता है
मैं कामिनी , मैं अपनी माँ पर नही गयी , दिखने मे सुंदर हूँ , सोसायटी की बहुत से लड़के पीछे पड़े रहते
थे , पर मैं ने किसी को लिफ्ट नही दी
मुझे डर भी था पिताजी का
पिताजी जब गुस्सा होते है तो मैं तो कमरे से बाहर ही नही निकलती
जिस से बाय्फ्रेंड के चक्कर मे कभी पड़ी ही नही
बस अपनी पढ़ाई मे खोई रहती और सहेलियो के साथ हँसी मज़ाक हो जाता
ज़्यादा कुछ बताने लायक नही था मेरी लाइफ के बारे मे
फिगर भी नॉर्मल ही थी ,
फिर नंबर आता है मेरे भाई का
उसको पिताजी गधा कहते थे
बस ज़्यादातर सोता ही रहता था
पिताजी की कोई कमी नही थी उसमे
अपनी ही दुनिया मे खोया रहता था
ऐसी है मेरी फॅमिली
पिताजी ड्यूटी पर रहते थे , माँ मंदिर मे , मैं अपनी पढ़ाई या सहेलियो के साथ मस्ती करती तो मेरा भाई बस
सोता रहता
बड़ी अजीब थी हमारी फॅमिली
हमारे घर मे 2 बेडरूम थे
एक बेडरूम माँ और पिताजी का तो दूसरे बेडरूम को मैं अपने भाई के साथ शेर करती हूँ
प्राइवसी तो कभी मिली ही नही
पर जब से पिताजी ने रिटायरमेंट लिया तब से वो घर मे ही रहते है
उनकी एज भी कुछ ज़्यादा नही थी उनको कोई भी जॉब मिल सकती थी पर वो अब अपनी लाइफ अपने मर्ज़ी से जीना चाहते
थे
पिताजी के घर मे रहने पर माँ तो दोपहर मे
बस सोती ही रहती , अब हर दिन उनके मज़े थे
लेकिन वो भी थक जाती
जिस से उन्होने अपने कुछ काम कम कर दिए , मंदिर मे जाना कीर्तन मे जाना , सब बंद हो गया
मुझे भी अब सलवार कमीज़ से काम चलाना पड़ रहा था
जीन्स और टीशर्ट तो बस अलमारी मे पड़े पड़े खराब हो रहे थे
पता नही पिताजी घर पर क्यूँ है
लेकिन जैसे ही दोपहर के 12 बज जाते तो पिताजी घर से बाहर जाते और बराबर शाम के 5 बजे घर आ जाते
जैसे कोई ड्यूटी हो
पर मुझे क्या है मैं तो अपनी पढ़ाई कर रही थी
ये मेरा लास्ट एअर था ,
और उसके बाद मेरी शादी होगी ये पक्का था
मैं अपनी पढ़ाई मे बिज़ी थी
या फिर अपनी सहेली के यहाँ चली जाती
मेरी सहेलियो से उनके बाय्फ्रेंड के बारे मे सुनती रहती
उनके किस्से सुनकर मेरी चूत गीली हो जाती
मेर सारी सहेलियो की सील तो कब की टूट गयी थी पता नही मेरी सील तोड़ने वाला कब आएगा
ऐसे ही एक दिन मैं अपनी सहेली के यहाँ गयी थी
सहेली- क्या कामिनी तू ये आम बेचने कहाँ निकल पड़ी
कामिनी-कहाँ है आम
सहेली- ये क्या , दो दो पके हुए आम लेकर घूम रही है
कामिनी-क्या करूँ कोई इन आमो को चूसने की हिम्मत ही नही कर पाता
सहेली- मॉका तो दे , देखना लड़को की लाइन लग जाएगी
कामिनी-मुझे तो बस एक ही चाहिए
सहेली- मेरा बाय्फ्रेंड कह रहा था कि एक बार कामिनी को दिलवा दे मेरा गुलाम बन कर रहेगा
कामिनी-बड़ा कमीना है तेरा बाय्फ्रेंड
सहेली- उसकी क्या ग़लती है , तू तो चलता फिरता आम का बगीचा है , और तेरे खरबूजे पे अपना चाकू चलाने
को सब तय्यार रहते है
कामिनी-मेरी छोड़ तू अपनी बता
सहेली- मेरा क्या है कल ही बाय्फ्रेंड के साथ उसके दोस्त से रूम पर जाकर आई हूँ
कामिनी-तुझे शरम नही आती ,
सहेली- इसमे जो मज़ा मिलता है उसके सामने शरम कैसी
कामिनी-पूरी फट गयी होगी , तेरा हज़्बेंड लात मारकर सुहागरात को बाहर निकाल देगा
सहेली- ऐसा नही होगा , उसको तो मैं अपनी उंगली पे नचाउन्गी
कामिनी-तू तो इस मे एक्सपर्ट है
सहेली- वैसे एक बात कहूँ
कामिनी-बोल
सहेली- कल तेरे पिताजी को देखा ,वो मेरी सोसायटी मे आए थे
कामिनी-कब
सहेली- दोपहर को
कामिनी-हाँ वो अपने दोस्तो से मिलने जाते है
सहेली- मुझे तो लगता है दोस्त नही गर्लफ्रेंड से मिलने जाते है
कामिनी-कुछ भी मत बोल
सहेली- तेरे पिताजी की कही सारी गर्लफ्रेंड होगी तभी तो कभी कभी यहाँ आते है
कामिनी-तू मेरे पिताजी की बात करेगी तो मैं जा रही हूँ
सहेली- तू खुद सोच कि तेरे पिताजी ठीक 12 बजे क्यूँ घर से बाहर जाते है
कामिनी-क्यूँ ?
सहेली- उस टाइम सबके हज़्बेंड जॉब पर चले जाते है और बच्चे कॉलेज या स्कूल मे होते है
कामिनी-तू अपना दिमाग़ मत लगा
सहेली- तू सोच , ठीक 5 बजे घर कैसे आ जाते है क्यूँ कि उस समय सबके हज़्बेंड और बच्चे घर आ जाते है
कामिनी-तू मेरे पिताजी पे इलज़ाम मत लगा
सहेली- सच कह रही हूँ तेरे पिताजी को देख कर तो कोई भी अपनी टाँगे खोल देगी उनके सामने
कामिनी-तू खोल , तू तो है ही रंडी
सहेली- तू तो गुस्सा हो गयी
कामिनी-गुस्सा ना करूँ तो क्या करूँ , तूने बात ही ऐसी की है
सहेली- मैं ने जो कहा वो सच है , मैं ने खुद अपनी माँ की बात सुनी है जो एक आंटी से कह रही थी कि
तेरे पिताजी जवान मर्द को हरा दें इतना मज़ा देते है
कामिनी-व्हाट
सहेली- सच यार , मुझे तो मेरी माँ पे भी डाउट है
कामिनी-तू और तेरा घटिया दिमाग़
सहेली- चल जाने दे , तू एक दिन समझ जाएगी , वैसे तेरी माँ बहुत लकी है
कामिनी-क्यूँ वो तो बस सोती रहती है दोपहर मे
सहेली- रात भर चुदाई जो होती होगी
कामिनी- तू भी ना
सहेली- यही सच है मेरी बिल्लो रानी
कामिनी-तू अपना दिमाग़ पढ़ाई पे लगा वरना रंडी खाने बैठना पड़ेगा
सहेली- तू हैना ,, साथ में रंडी खाना सुरू करेंगे
ऐसे इधर उधर की बात हो जाती थी
लेकिन इस से मज़ा बहुत आता था
सेक्स की बाते सुनते ही मैं तो गीली हो जाती थी
पता नही मेरा हज़्बेंड कैसा होगा
दमदार हुआ तो मेरे मज़े होंगे
मैं तो अपने हज़्बेंड के सपने देखने लगी