hotaks444
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दोनो लड़कियाँ तयार हो चुकी थी ....ब्रेकफास्ट करते हुए ....सुनील सुमन को राजेश की उंगली का साइज़ देता है ताकि वो रिंग नाप के हिसाब से ले सकें और ......सोनल की ड्यूटी रात होने तक कविता के साथ ही लगा देता है .....रूबी ने तो साथ रहना ही था .....सुमन को भी शॉपिंग ख़तम करने के बाद वो होटेल में ही रहने के लिए बोलता है ...पता नही कब क्या ज़रूरत पड़ जाए ......
अब उसे इंतेज़ार था अपने दोस्त का जो विजय की फॅमिली का पूरा कच्चा चिट्ठा लाने वाला था......
सब लोग शॉपिंग के लिए चले गये और सुनील अपने कमरे में जा कर बैठ गया.....
थोड़ी देर बाद राजेश आ कर उससे मिलता है ....और शाम को एक सर्प्राइज़ देने की इज़ाज़त माँगता है....वो सर्प्राइज़ था कविता का बर्तडे .....जो आज ही था ...जिसके बारे में सुनील खुद सर्प्राइज़ देना चाहता था पर ...राजेश की बात मान लेता है....
सुनील थोड़ा हैरान भी था कि राजेश को पता कैसे चला कविता के बर्तडे के बारे में...पर कुछ बोलता नही ...चुप ही रहता है.....राजेश चला जाता है .....
राजेश सुनील के कमरे से बाहर निकला ही था कि उसके दोस्त का फोन आता है देल्ही से ...
राजेश ......अबे तू अभी देल्ही में ही है ...फ्लाइट क्यूँ नही ली अभी तक.....
दोस्त.....यार एक भी सीट नही मिल रही...
राजेश .....एक काम कर मुंबई चला जा....पापा ने एक चार्टर्ड फ्लाइट बुक की है 3 बजे की अपने दोस्तों के लिए उसमे आ जाना ...मैं इन्फ़ॉर्मेशन भेज दूँगा एरपोर्ट पे .....और हां अपनी बहन उर्वी को ज़रूर ले के आना ...कविता बहुत खुश होगी उसे देख....
दोस्त ...ठीक चल मैं मुंबई की फ्लाइट लेता हूँ.....तेरा काम हुआ या नही...
राजेश...हो गया यार थॅंक्स....उर्वी कविता की क्लास मेट है और उसकी सहेली भी ...तभी तो इतनी जल्दी उसकी डेट ऑफ बर्त का पता चला....मेरा साला तो खुद भोचक्का रह गया था कि मुझे कैसे मालूम पड़ा ....मज़ा आ गया यार ....और शाम को जब कविता को सर्प्राइज़ दूँगा .....तब देखते हैं ......उसे कैसा लगता है ....चल रखता हूँ...इंतेज़ार करूँगा...
राजेश अपनी माँ आरती के साथ सगाई की शॉपिंग के लिए निकल पड़ता है....
करीब घंटे बाद सुनील का दोस्त पहुँच जाता है और विजय की सारी इन्फर्मेशन उसे देता है....25 साल से ये लोग मुंबई में थे ...अच्छी फॅमिली है...बिज़्नेस भी अच्छा है और मार्केट में साख भी बहुत है ...पर मुंबई आने से पहले ये कहाँ से आए थे इसके बारे में कोई जानकारी नही थी........
सुनील को ये बात बहुत अजीब लगी ...और उसने विजय से बात करने का फ़ैसला कर लिया...
सुनील ने विजय के कमरे में इंटरकम से बात करी और मिलने के लिए कहा तो विजय ने उसे कमरे में ही बुला लिया.......
जब सुनील ने अपना सवाल किया ....तो विजय बहुत सीरीयस हो गया....उसे शायद उम्मीद नही थी कि सुनील इतनी छान बीन करेगा......
विजय.....सुनील बेटा ....अब जो मैं तुम्हें बताने जा रहा हूँ....वो बात सिर्फ़ तुम तक रहनी चाहिए ....किसी भी कीमत पे ये बात राजेश और कविता को नही पता चलनी चाहिए ....
सुनील वादा करता है और उसके बाद विजय बोलना शुरू करता है ....सुनते सुनते सुनील की आँखें भर आती हैं और एक बहुत बड़ा बोझ जो उसके दिल में था ....वो उतर जाता है....
सुनील विजय के पैर छूता है और एक खुश दिल के साथ पूरी तन्मयता के साथ कविता की सगाई की तयारि में जुट जाता है......
मिनी ब्रेकफास्ट करने के बाद होटेल के स्टाफ के पीछे पड़ चुकी थी और एक एक बात को बारीकी से डिसकस कर रही थी और अपने सुझाव भी दे रही थी...
सुमन आदि एक ज्वेल्लेर के यहाँ सगाई की अंगूठी पसंद कर रहे थे और इतेफ़ाक से आरती और राजेश भी वहीं पहुँच गये......क्यूंकी दोनो परिवारों ने गोआ के सबसे बड़े ज्वेल्लेर के पास ही जाना पसंद किया था.....कविता की नज़र जैसे ही राजेश पे पड़ी ...घबरा के सोनल के पीछे छुप गयी ....सोनल उसके इस रविए से हैरान हुई की अच्छा इसको क्या हो गया ....लेकिन जब आरती की आवाज़ सुनी तो समझ गयी और गर्दन मोड़ जब देखा तो आरती और राजेश वहाँ खड़े थे.....सोनल अपनी जगह से उठ गयी और आरती को नमस्ते कर उसे अपनी जगह दे दी ......सोनल के उठते ही कविता सामने पड़ गयी ...और नज़रें खुका ली...उसके दिल की धड़कन बढ़ चुकी थी ....और राजेश शरत भरी नज़रों से उसे देख रहा था.
आरती ...ये तो बहुत अच्छी बात हो गयी आप लोग यहाँ मिल गये ...अब तो बहू की पसंद की ही अंगूठी लूँगी......इधर आ बेटी मेरे पास बैठ .....
कविता शरमाती हुई आरती के पास बैठ गयी ...फिर आरती ने उसके पसंद की डाइमंड रिंग ली .....
सुमन ने भी राजेश की पसंद की रिंग ले ली....उसके बाद ये लोग अपने रास्ते निकल पड़े ...बीच में में मौका देख राजेश ने कविता के हाथ को अपने हाथों में ले मसल दिया....कविता की तो सांस उपर की उपर नीचे की नीचे रह गयी ....रूबी ये सब हरकत देख रही थी और राजेश के कान में बोली...जीजा जी सब्र रखिए ...सब्र का फल मीठा होता है...
राजेश भी जवाब तो देना चाहता था पर अपनी माँ की वजह से चुप रह गया.
दोपहर तक इनकी शॉपिंग चलती रही ......कविता मन ही मन बहुत खुश थी ....सुमन से उसे वाक़्य में माँ का प्यार मिल रहा था...रूबी से एक दोस्त और बहन का और सोनल बिल्कुल एक भाभी की तरहा उसका ख़याल रख रही थी....कुछ दिनो में ये साथ छूट जाएगा....ये सोच सोच के वो उदास होती रहती ...रूबी जब भी उसे उदास देखती तो कुछ ना उत्पाटांग हरकत कर उसे हंसा देती ...
जब ये लोग होटेल पहुँच गये ....और सुनील के पास कमरे में गये तो वो अपने दोस्त के साथ ही बैठा हुआ ...रात के प्रोग्राम के बारे में बात कर रहा था और उसकी ड्यूटी उसने केटरिंग स्टाफ के उपर लगा दी थी......साथ ही हाल में डिस्को लाइट्स और डॅन्सिंग फ्लोर का बंदोबस्त कर ने को भी कह दिया था....इनलोगो के आते ही उसका दोस्त बाहर चला गया और जो काम सुनील ने उसे दिए थे उनमे लग गया.....
उसके जाते ही कविता सुमन से लिपट गयी और रोने लगी .....
सुमन....अरे क्या हुआ ...रोने क्यूँ लगी...
कविता रोते हुए ....मैं आप सब को छोड़ के नही जाउन्गि ....
सुमन...पगली ...एक दिन तो हर बेटी को जाना होता है ....और जब दिल करे तब मिलने आ जाना ....
कविता ....कैसे आउन्गि .....आप देल्ही में और वो मुझे मुंबई ले जाएँगे....
सुनील....कोई बात नही हम भी मुंबई शिफ्ट हो जाएँगे ...........पर कुछ टाइम बाद .....
सुमन और सोनल...दोनो ही चॉक के सुनील को देखने लगी ....
सुनील....बाद में बात करेंगे ....पहले इस गुड़िया को सजाओ और संवारो ....सबकी नज़रें मेरी बहन पे ही होनी चाहिए .....बिल्कुल सुंदरता की देवी की तरहा ......अच्छा में चलता हूँ ...कुछ काम निपटाने हैं....
सुमन ने ब्यूटीशियन को कमरे में ही बुला लिया .......कम से कम 4 लड़कियाँ आई थी ...जो कविता,सोनल,और रूबी को तयार करने लगी .....
सोनल के ज़ोर देने पे सुमन ने भी बॉडी मसाज करवा लिया और सोनल ने सुमन की चूत के चारों तरफ .....मेंहदी से सुनील का नाम लिखवा लिया .....और अपने भी ....
इन दोनो का मेक अप अलग रूम में हो रहा था और रूबी और कविता का अलग रूम में.
सोनल तो ऐसे तयार हुई थी कि जैसे आज उसकी शादी होनेवाली हो ...बस वो भारी गहनो की कमी थी और वैसे भी गहनो के बिना भी सोनल बहुत सुंदर लगती थी ....आख़िर भाभी जो थी लड़की की और उसे तो पूरा हक़ था सजने सवरने का.....सुमन ने आज सोनल को भी एक डाइमंड का हार ले दिया था और उसे पह्न उसकी सुंदरता और भी बढ़ गयी थी....
सुमन ने हल्का ही मेक अप किया था.
हल्के मेक अप के बावजूद भी सुमन अपनी सुडौलता की वजह से बड़ी कातिल लग रही थी और ब्यूटीशियन ने इतनी मेहनत करी थी सोनल/रूबी और खांस कर कविता को सजाने सवारने की आज महफ़िल का कोई भी आदमी इन तीनो से नज़रें नही हटा पाता और अपने अंदर इनको पाने की ख्वाइश पाल बैठता .......
राजेश के दोस्त तो यक़ीनन जब कविता को देखते तो उसकी किस्मत से जलन करते ........
वक़्त आ गया था कि ये लोग पार्टी हॉल में जाएँ ...पर सुनील और मिनी और सुनील का दोस्त तो बस लास्ट मिनिट तायारी में लगे रहे ....सोनल ने जाने कितनी बार फोन किया सुनील को ......दो घंटे पहले सुनील ने मिनी को भी भेज दिया था कि वो तयार हो जाए .....और मिनी के लिए दो घंटे काफ़ी थे अपने हुस्न को निखार देने के लिए.
आधा घंटा पहले ही सुनील आया ...फटाफट शेव करी नहाया और सुमन से अपने कपड़े माँगे तो सुमन ने उसके लिए एक नया जोड़ा निकाल दिया जो उसने और सोनल ने मिल कर खांस तौर पे आज की शाम के लिए नया खरीदा था.....
वो सूट पहनने के बाद अगर कोई लड़की सुनील को देखती तो बस देखती रह जाती .....
सोनल और सुमन तो बस .....अह्ह्ह्ह कर उठी जब सुनील तयार हो गया ....तयार होने के बाद जब सुनील की नज़र अपनी दोनो बीवियों पे पड़ी तो उसके लंड ने सलामी देनी शुरू कर दी ....सोनल उसकी हालत समझ मुस्कुरा उठी और अपने होंठ नशीले अंदाज़ में कटती हुई बोली .....सब्र करो जान अभी रात होने में काफ़ी वक़्त है ....
सभी हाल में पहुँच जाते हैं और कुछ देर बाद लड़के वाले भी आने शुरू हो जाते हैं .....जिस वक़्त सुनील वगेरह हाल में पहुँचे उसी वक़्त विजय वगेरह भी पहुँच गये ....कविता और राजेश को स्टेज पे रखी दो सजी हुई कुर्सियों पे बिठा दिया गया और विजय और आरती वहीं गेट पे रुक गये और अपने मेहमानों का स्वागत करने लगे ....रूबी कविता के पास ही रही ...सुनील और सोनल भी गेट पे रहे और आने वालों का स्वागत करते रहे विजय के साथ.
आरती ने एक पंडित का भी इंतेज़ाम कर रखा था ....जब सब .....सेट्ल होगया ( इस दोरान वेटर्स कोल्ड ड्रिंक्स और हॉट ड्रिंक्स सर्व कर रहे थे स्नॅक्स के साथ) तो पंडित जी ने पूजा आरंभ की और जो वक़्त उन्होने निकाला था उस के हिसाब से राजेश और कविता ने एक दूसरे को अंगूठी पहनाई .....उसी वक्त उपर से दोनो पे गुलाब के फूलों की पत्तियॉं की बारिश होने लगी ...ये इंतेज़ाम मिनी ने खांस तौर पे करवाया था ........हॉल के सेंटर में कुछ अंधेरा सा था और वेटर्स उस एरिया को घेर के खड़े हुए थे ताकि कोई वहाँ ना जा सके .....
इधर......................................
जिस वक़्त ...जिस लम्हा राजेश ने कविता को अंगूठी पहनाई ...........उसी वक़्त समर की आँख खुल गयी ...जैसे उसकी अंतरात्मा पे पड़ा एक बोझ हट गया हो ....और उसके अवचेतन मश्तिश्क ने उसे आज़ादी दे दी दुबारा जिंदगी जीने की ...........
अंगूठी पहनाने के बाद विजय ने दोनो को नीचे उतार गेस्ट्स से मिलने को कहा ...........
दोनो अपनी सीट से खड़े हो जाते हैं......दोनो के चेहरे पे छाई खुशी बता रही थी ....कि जब जीवन साथी का चुनाव हो जाता है और परिवार की सहमति के साथ होता है ...वो पल एक यादगार बन जाता है ...
दोनो सीडीयों की तरफ बढ़े ......और राजेश रुक गया ........कमर झुका के कविता के सामने झुकते हुए ....
राजेश:- लॅडीस फर्स्ट.
कविता एक स्माइल देती है और उससे पहले ही उतरने लगती है और जैसे ही पहला हदम सीढ़ियो पे रखती है वैसे ही सीढ़ियों की लाइट्स अप हो जाती हैं आंड तभी पीछे से बहुत ज़ोर से आवाज़ आती है
हॅपी बर्तडे कविता!!!!!!!!.
एक पल के लिए तो वो घबरा जाती है बट जब उसे वो शब्द वापस से गूंजते हुए सुनाई देते हैं तो उसकी आँखें नम हो जाती है और बहुत ही हैरत से वो राजेश की तरफ देखती हैं.
तब तक कविता एक कदम नीचे उतर चुकी थी.
राजेश उसके पास आता है और उसका हाथ पकड़ के उसे वापस स्टेज पे लाता है और फिर से सॉफ्ट्ली प्यार से कहता है
हॅपी बर्तडे कविता. हॅपी बर्तडे.......
कविता हैरानी से उसे देखे जा रही थी. राजेश उसके चेहरे से पढ़ लेता है कि उसे बहुत सवाल करने हैं.
कविता कुछ बोलती ....तभी अंधेरा हो जाता है और एक स्पॉट लाइट कविता के उपर पड़ती है और चमकीले सितारों और फूलों की बारिश कविता पे होने लगती है .......कविता वहीं जाम जाती है और तभी एक स्पॉट लाइट बीच सेंटर पे पड़ती है ....अब वहाँ से वेटर्स हट चुके थे और वो स्पॉट लाइट सुनील पे पड़ती है जो अपनी बाँहें फैला अपनी बहन का इंतेज़ार कर रहा होता है .....
खट से सारी लाइट्स ऑन हो जाती हैं और राजेश कविता का हाथ पकड़े उसे सुनील के पास ले जाता है ....कविता सुनील की बाँहों में समा जाती है और रोने लगती है .....
सुनील : क्या हुआ मेरी गुड़िया को ...आज तो खुशी का दिन है ...ऐसे रोते नही ....
कविता ...बस चिपकी हुई सुबक्ती रही ...इतना प्यार सहना उसके बस में नही था ...भाई और होनेवाला शोहेर दोनो ही बेमिसाल थे.
सुनील....चल अब बस कर सब तुझे ही देख रहे हैं.....चल केक काट ....और सुनील उसे बाँहों में लिए पलट जाता है ....पलटते ही सामने एक बहुत बड़ा केक था....
सुमन,सोनल, मिनी,रूबी, विजय और आरती सभी वहीं आ जाते हैं....
कविता जब केक काट रही थी तो विमल भी राजेश के पास आ के खड़ा हो गया ....राजेश ने कनखियों से उसे रूबी की तरफ इशारा किया और इतने में केक कट गया और हॅपी बर्तडे कविता का शोर हॉल में गूँज गया ......विमल की नज़रें जब रूबी पे पड़ी ..वो तो वहीं जम के रह गया.....
राजेश ने उसे कोहनी मारी तो वो सकपका के नज़रें इधर उधर फेरने लगा पर घूम फिर के उसकी नज़रें फिर रूबी पे टिक जाती .... सोनल ने इस बात को ताड़ लिया और सुनील के कान में कुछ कहा .....सुनील ने अपनी नज़रें विमल पे गढ़ा दी तो राजेश भी थोड़ा घबरा गया और विमल को इशारा किया फुट ले अभी....
वेटर्स केक सारे गेस्ट में बाँटने लगे और राजेश कविता से बोला ....चलो तुम्हें अपने ख़ास दोस्त से मिलाता हूँ...कविता ने सोनल की तरफ देखा और उसने आँख से इशारा कर दिया जाने का .....विमल एक कोने में खड़ा बस रूबी को देख रहा था......
अब उसे इंतेज़ार था अपने दोस्त का जो विजय की फॅमिली का पूरा कच्चा चिट्ठा लाने वाला था......
सब लोग शॉपिंग के लिए चले गये और सुनील अपने कमरे में जा कर बैठ गया.....
थोड़ी देर बाद राजेश आ कर उससे मिलता है ....और शाम को एक सर्प्राइज़ देने की इज़ाज़त माँगता है....वो सर्प्राइज़ था कविता का बर्तडे .....जो आज ही था ...जिसके बारे में सुनील खुद सर्प्राइज़ देना चाहता था पर ...राजेश की बात मान लेता है....
सुनील थोड़ा हैरान भी था कि राजेश को पता कैसे चला कविता के बर्तडे के बारे में...पर कुछ बोलता नही ...चुप ही रहता है.....राजेश चला जाता है .....
राजेश सुनील के कमरे से बाहर निकला ही था कि उसके दोस्त का फोन आता है देल्ही से ...
राजेश ......अबे तू अभी देल्ही में ही है ...फ्लाइट क्यूँ नही ली अभी तक.....
दोस्त.....यार एक भी सीट नही मिल रही...
राजेश .....एक काम कर मुंबई चला जा....पापा ने एक चार्टर्ड फ्लाइट बुक की है 3 बजे की अपने दोस्तों के लिए उसमे आ जाना ...मैं इन्फ़ॉर्मेशन भेज दूँगा एरपोर्ट पे .....और हां अपनी बहन उर्वी को ज़रूर ले के आना ...कविता बहुत खुश होगी उसे देख....
दोस्त ...ठीक चल मैं मुंबई की फ्लाइट लेता हूँ.....तेरा काम हुआ या नही...
राजेश...हो गया यार थॅंक्स....उर्वी कविता की क्लास मेट है और उसकी सहेली भी ...तभी तो इतनी जल्दी उसकी डेट ऑफ बर्त का पता चला....मेरा साला तो खुद भोचक्का रह गया था कि मुझे कैसे मालूम पड़ा ....मज़ा आ गया यार ....और शाम को जब कविता को सर्प्राइज़ दूँगा .....तब देखते हैं ......उसे कैसा लगता है ....चल रखता हूँ...इंतेज़ार करूँगा...
राजेश अपनी माँ आरती के साथ सगाई की शॉपिंग के लिए निकल पड़ता है....
करीब घंटे बाद सुनील का दोस्त पहुँच जाता है और विजय की सारी इन्फर्मेशन उसे देता है....25 साल से ये लोग मुंबई में थे ...अच्छी फॅमिली है...बिज़्नेस भी अच्छा है और मार्केट में साख भी बहुत है ...पर मुंबई आने से पहले ये कहाँ से आए थे इसके बारे में कोई जानकारी नही थी........
सुनील को ये बात बहुत अजीब लगी ...और उसने विजय से बात करने का फ़ैसला कर लिया...
सुनील ने विजय के कमरे में इंटरकम से बात करी और मिलने के लिए कहा तो विजय ने उसे कमरे में ही बुला लिया.......
जब सुनील ने अपना सवाल किया ....तो विजय बहुत सीरीयस हो गया....उसे शायद उम्मीद नही थी कि सुनील इतनी छान बीन करेगा......
विजय.....सुनील बेटा ....अब जो मैं तुम्हें बताने जा रहा हूँ....वो बात सिर्फ़ तुम तक रहनी चाहिए ....किसी भी कीमत पे ये बात राजेश और कविता को नही पता चलनी चाहिए ....
सुनील वादा करता है और उसके बाद विजय बोलना शुरू करता है ....सुनते सुनते सुनील की आँखें भर आती हैं और एक बहुत बड़ा बोझ जो उसके दिल में था ....वो उतर जाता है....
सुनील विजय के पैर छूता है और एक खुश दिल के साथ पूरी तन्मयता के साथ कविता की सगाई की तयारि में जुट जाता है......
मिनी ब्रेकफास्ट करने के बाद होटेल के स्टाफ के पीछे पड़ चुकी थी और एक एक बात को बारीकी से डिसकस कर रही थी और अपने सुझाव भी दे रही थी...
सुमन आदि एक ज्वेल्लेर के यहाँ सगाई की अंगूठी पसंद कर रहे थे और इतेफ़ाक से आरती और राजेश भी वहीं पहुँच गये......क्यूंकी दोनो परिवारों ने गोआ के सबसे बड़े ज्वेल्लेर के पास ही जाना पसंद किया था.....कविता की नज़र जैसे ही राजेश पे पड़ी ...घबरा के सोनल के पीछे छुप गयी ....सोनल उसके इस रविए से हैरान हुई की अच्छा इसको क्या हो गया ....लेकिन जब आरती की आवाज़ सुनी तो समझ गयी और गर्दन मोड़ जब देखा तो आरती और राजेश वहाँ खड़े थे.....सोनल अपनी जगह से उठ गयी और आरती को नमस्ते कर उसे अपनी जगह दे दी ......सोनल के उठते ही कविता सामने पड़ गयी ...और नज़रें खुका ली...उसके दिल की धड़कन बढ़ चुकी थी ....और राजेश शरत भरी नज़रों से उसे देख रहा था.
आरती ...ये तो बहुत अच्छी बात हो गयी आप लोग यहाँ मिल गये ...अब तो बहू की पसंद की ही अंगूठी लूँगी......इधर आ बेटी मेरे पास बैठ .....
कविता शरमाती हुई आरती के पास बैठ गयी ...फिर आरती ने उसके पसंद की डाइमंड रिंग ली .....
सुमन ने भी राजेश की पसंद की रिंग ले ली....उसके बाद ये लोग अपने रास्ते निकल पड़े ...बीच में में मौका देख राजेश ने कविता के हाथ को अपने हाथों में ले मसल दिया....कविता की तो सांस उपर की उपर नीचे की नीचे रह गयी ....रूबी ये सब हरकत देख रही थी और राजेश के कान में बोली...जीजा जी सब्र रखिए ...सब्र का फल मीठा होता है...
राजेश भी जवाब तो देना चाहता था पर अपनी माँ की वजह से चुप रह गया.
दोपहर तक इनकी शॉपिंग चलती रही ......कविता मन ही मन बहुत खुश थी ....सुमन से उसे वाक़्य में माँ का प्यार मिल रहा था...रूबी से एक दोस्त और बहन का और सोनल बिल्कुल एक भाभी की तरहा उसका ख़याल रख रही थी....कुछ दिनो में ये साथ छूट जाएगा....ये सोच सोच के वो उदास होती रहती ...रूबी जब भी उसे उदास देखती तो कुछ ना उत्पाटांग हरकत कर उसे हंसा देती ...
जब ये लोग होटेल पहुँच गये ....और सुनील के पास कमरे में गये तो वो अपने दोस्त के साथ ही बैठा हुआ ...रात के प्रोग्राम के बारे में बात कर रहा था और उसकी ड्यूटी उसने केटरिंग स्टाफ के उपर लगा दी थी......साथ ही हाल में डिस्को लाइट्स और डॅन्सिंग फ्लोर का बंदोबस्त कर ने को भी कह दिया था....इनलोगो के आते ही उसका दोस्त बाहर चला गया और जो काम सुनील ने उसे दिए थे उनमे लग गया.....
उसके जाते ही कविता सुमन से लिपट गयी और रोने लगी .....
सुमन....अरे क्या हुआ ...रोने क्यूँ लगी...
कविता रोते हुए ....मैं आप सब को छोड़ के नही जाउन्गि ....
सुमन...पगली ...एक दिन तो हर बेटी को जाना होता है ....और जब दिल करे तब मिलने आ जाना ....
कविता ....कैसे आउन्गि .....आप देल्ही में और वो मुझे मुंबई ले जाएँगे....
सुनील....कोई बात नही हम भी मुंबई शिफ्ट हो जाएँगे ...........पर कुछ टाइम बाद .....
सुमन और सोनल...दोनो ही चॉक के सुनील को देखने लगी ....
सुनील....बाद में बात करेंगे ....पहले इस गुड़िया को सजाओ और संवारो ....सबकी नज़रें मेरी बहन पे ही होनी चाहिए .....बिल्कुल सुंदरता की देवी की तरहा ......अच्छा में चलता हूँ ...कुछ काम निपटाने हैं....
सुमन ने ब्यूटीशियन को कमरे में ही बुला लिया .......कम से कम 4 लड़कियाँ आई थी ...जो कविता,सोनल,और रूबी को तयार करने लगी .....
सोनल के ज़ोर देने पे सुमन ने भी बॉडी मसाज करवा लिया और सोनल ने सुमन की चूत के चारों तरफ .....मेंहदी से सुनील का नाम लिखवा लिया .....और अपने भी ....
इन दोनो का मेक अप अलग रूम में हो रहा था और रूबी और कविता का अलग रूम में.
सोनल तो ऐसे तयार हुई थी कि जैसे आज उसकी शादी होनेवाली हो ...बस वो भारी गहनो की कमी थी और वैसे भी गहनो के बिना भी सोनल बहुत सुंदर लगती थी ....आख़िर भाभी जो थी लड़की की और उसे तो पूरा हक़ था सजने सवरने का.....सुमन ने आज सोनल को भी एक डाइमंड का हार ले दिया था और उसे पह्न उसकी सुंदरता और भी बढ़ गयी थी....
सुमन ने हल्का ही मेक अप किया था.
हल्के मेक अप के बावजूद भी सुमन अपनी सुडौलता की वजह से बड़ी कातिल लग रही थी और ब्यूटीशियन ने इतनी मेहनत करी थी सोनल/रूबी और खांस कर कविता को सजाने सवारने की आज महफ़िल का कोई भी आदमी इन तीनो से नज़रें नही हटा पाता और अपने अंदर इनको पाने की ख्वाइश पाल बैठता .......
राजेश के दोस्त तो यक़ीनन जब कविता को देखते तो उसकी किस्मत से जलन करते ........
वक़्त आ गया था कि ये लोग पार्टी हॉल में जाएँ ...पर सुनील और मिनी और सुनील का दोस्त तो बस लास्ट मिनिट तायारी में लगे रहे ....सोनल ने जाने कितनी बार फोन किया सुनील को ......दो घंटे पहले सुनील ने मिनी को भी भेज दिया था कि वो तयार हो जाए .....और मिनी के लिए दो घंटे काफ़ी थे अपने हुस्न को निखार देने के लिए.
आधा घंटा पहले ही सुनील आया ...फटाफट शेव करी नहाया और सुमन से अपने कपड़े माँगे तो सुमन ने उसके लिए एक नया जोड़ा निकाल दिया जो उसने और सोनल ने मिल कर खांस तौर पे आज की शाम के लिए नया खरीदा था.....
वो सूट पहनने के बाद अगर कोई लड़की सुनील को देखती तो बस देखती रह जाती .....
सोनल और सुमन तो बस .....अह्ह्ह्ह कर उठी जब सुनील तयार हो गया ....तयार होने के बाद जब सुनील की नज़र अपनी दोनो बीवियों पे पड़ी तो उसके लंड ने सलामी देनी शुरू कर दी ....सोनल उसकी हालत समझ मुस्कुरा उठी और अपने होंठ नशीले अंदाज़ में कटती हुई बोली .....सब्र करो जान अभी रात होने में काफ़ी वक़्त है ....
सभी हाल में पहुँच जाते हैं और कुछ देर बाद लड़के वाले भी आने शुरू हो जाते हैं .....जिस वक़्त सुनील वगेरह हाल में पहुँचे उसी वक़्त विजय वगेरह भी पहुँच गये ....कविता और राजेश को स्टेज पे रखी दो सजी हुई कुर्सियों पे बिठा दिया गया और विजय और आरती वहीं गेट पे रुक गये और अपने मेहमानों का स्वागत करने लगे ....रूबी कविता के पास ही रही ...सुनील और सोनल भी गेट पे रहे और आने वालों का स्वागत करते रहे विजय के साथ.
आरती ने एक पंडित का भी इंतेज़ाम कर रखा था ....जब सब .....सेट्ल होगया ( इस दोरान वेटर्स कोल्ड ड्रिंक्स और हॉट ड्रिंक्स सर्व कर रहे थे स्नॅक्स के साथ) तो पंडित जी ने पूजा आरंभ की और जो वक़्त उन्होने निकाला था उस के हिसाब से राजेश और कविता ने एक दूसरे को अंगूठी पहनाई .....उसी वक्त उपर से दोनो पे गुलाब के फूलों की पत्तियॉं की बारिश होने लगी ...ये इंतेज़ाम मिनी ने खांस तौर पे करवाया था ........हॉल के सेंटर में कुछ अंधेरा सा था और वेटर्स उस एरिया को घेर के खड़े हुए थे ताकि कोई वहाँ ना जा सके .....
इधर......................................
जिस वक़्त ...जिस लम्हा राजेश ने कविता को अंगूठी पहनाई ...........उसी वक़्त समर की आँख खुल गयी ...जैसे उसकी अंतरात्मा पे पड़ा एक बोझ हट गया हो ....और उसके अवचेतन मश्तिश्क ने उसे आज़ादी दे दी दुबारा जिंदगी जीने की ...........
अंगूठी पहनाने के बाद विजय ने दोनो को नीचे उतार गेस्ट्स से मिलने को कहा ...........
दोनो अपनी सीट से खड़े हो जाते हैं......दोनो के चेहरे पे छाई खुशी बता रही थी ....कि जब जीवन साथी का चुनाव हो जाता है और परिवार की सहमति के साथ होता है ...वो पल एक यादगार बन जाता है ...
दोनो सीडीयों की तरफ बढ़े ......और राजेश रुक गया ........कमर झुका के कविता के सामने झुकते हुए ....
राजेश:- लॅडीस फर्स्ट.
कविता एक स्माइल देती है और उससे पहले ही उतरने लगती है और जैसे ही पहला हदम सीढ़ियो पे रखती है वैसे ही सीढ़ियों की लाइट्स अप हो जाती हैं आंड तभी पीछे से बहुत ज़ोर से आवाज़ आती है
हॅपी बर्तडे कविता!!!!!!!!.
एक पल के लिए तो वो घबरा जाती है बट जब उसे वो शब्द वापस से गूंजते हुए सुनाई देते हैं तो उसकी आँखें नम हो जाती है और बहुत ही हैरत से वो राजेश की तरफ देखती हैं.
तब तक कविता एक कदम नीचे उतर चुकी थी.
राजेश उसके पास आता है और उसका हाथ पकड़ के उसे वापस स्टेज पे लाता है और फिर से सॉफ्ट्ली प्यार से कहता है
हॅपी बर्तडे कविता. हॅपी बर्तडे.......
कविता हैरानी से उसे देखे जा रही थी. राजेश उसके चेहरे से पढ़ लेता है कि उसे बहुत सवाल करने हैं.
कविता कुछ बोलती ....तभी अंधेरा हो जाता है और एक स्पॉट लाइट कविता के उपर पड़ती है और चमकीले सितारों और फूलों की बारिश कविता पे होने लगती है .......कविता वहीं जाम जाती है और तभी एक स्पॉट लाइट बीच सेंटर पे पड़ती है ....अब वहाँ से वेटर्स हट चुके थे और वो स्पॉट लाइट सुनील पे पड़ती है जो अपनी बाँहें फैला अपनी बहन का इंतेज़ार कर रहा होता है .....
खट से सारी लाइट्स ऑन हो जाती हैं और राजेश कविता का हाथ पकड़े उसे सुनील के पास ले जाता है ....कविता सुनील की बाँहों में समा जाती है और रोने लगती है .....
सुनील : क्या हुआ मेरी गुड़िया को ...आज तो खुशी का दिन है ...ऐसे रोते नही ....
कविता ...बस चिपकी हुई सुबक्ती रही ...इतना प्यार सहना उसके बस में नही था ...भाई और होनेवाला शोहेर दोनो ही बेमिसाल थे.
सुनील....चल अब बस कर सब तुझे ही देख रहे हैं.....चल केक काट ....और सुनील उसे बाँहों में लिए पलट जाता है ....पलटते ही सामने एक बहुत बड़ा केक था....
सुमन,सोनल, मिनी,रूबी, विजय और आरती सभी वहीं आ जाते हैं....
कविता जब केक काट रही थी तो विमल भी राजेश के पास आ के खड़ा हो गया ....राजेश ने कनखियों से उसे रूबी की तरफ इशारा किया और इतने में केक कट गया और हॅपी बर्तडे कविता का शोर हॉल में गूँज गया ......विमल की नज़रें जब रूबी पे पड़ी ..वो तो वहीं जम के रह गया.....
राजेश ने उसे कोहनी मारी तो वो सकपका के नज़रें इधर उधर फेरने लगा पर घूम फिर के उसकी नज़रें फिर रूबी पे टिक जाती .... सोनल ने इस बात को ताड़ लिया और सुनील के कान में कुछ कहा .....सुनील ने अपनी नज़रें विमल पे गढ़ा दी तो राजेश भी थोड़ा घबरा गया और विमल को इशारा किया फुट ले अभी....
वेटर्स केक सारे गेस्ट में बाँटने लगे और राजेश कविता से बोला ....चलो तुम्हें अपने ख़ास दोस्त से मिलाता हूँ...कविता ने सोनल की तरफ देखा और उसने आँख से इशारा कर दिया जाने का .....विमल एक कोने में खड़ा बस रूबी को देख रहा था......